अब बाक़ी बचे थे सर तनवीर और लेडी तनवीर! इमरान को उनकी फ़िक्र थी और अब वह सोच रहा था कि किस तरह उनसे राज़ उगलवाया जाये।

ठीक एक बजे दिन को शाम के अख़बार बाज़ार में आ गये। उनमें ग़ज़ाली और मोरीना सलानियो की दास्तानें छपी हुई थीं। इमरान ने सोचा कि बस, यही वक़्त मुनासिब है, इसलिए वह सर तनवीर के दफ़्तर में जा धमका....! सर तनवीर अख़बार ही देख रहा था इमरान का सामना होते ही उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।

‘‘और सुनाइए जनाब, क्या ख़बरें हैं?’’ इमरान बड़ी बेतकल्लुफ़ी से मेज़ पर हाथ मारते हुए बोला।

‘‘तुम....बग़ैर....इजाज़त....यहाँ...!’’

‘‘उसकी परवाह न कीजिए। अख़बार मैंने भी पढ़ा है और इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि यहाँ ग़ज़ाली की शख़्सियत में दिलचस्पी लेने वाले सिर्फ़ मोरीना की पार्टी ही के आदमी हो सकते हैं।’’

‘‘नहीं....यह ज़रूरी नहीं!’’ सर तनवीर की साँस तेज़ी से चलने लगी थी।

‘‘लेकिन मेरी शराफ़त भी देखिए कि मैंने अब तक पुलिस को आपके बारे में खबर नहीं दी और आप कह रहे थे कि मैं ब्लैकमेलर हूँ।’’

‘‘तुम क्या चाहते हो?’’ सर तनवीर ने फँसी-फँसी आवाज़ में कहा।

‘‘हक़ीक़त बता दीजिए। बस, इतना ही काफ़ी है।’’

‘‘इससे तुम्हें क्या फ़ायदा पहुँचेगा?’’

‘‘बताने से आपको क्या नुक़सान पहुँचेगा।’’ इमरान ने सवाल किया।

सर तनवीर कुछ सोचने लगे। इमरान ने महसूस किया कि उसका चेहरा फिर ठीक होता जा रहा है और आँखों की चमक भी वापस आ गयी है।

तभी सर तनवीर उठता हुआ बोला। ‘‘अच्छा, तुम बैठो....मैं लेडी तनवीर की मौजूदगी में कुछ बता सकूँगा....क्योंकि उसका ताल्लुक़ उन लोगों से ज़्यादा है।’’

‘’तो आप चले कहाँ!’’ इमरान उठता हुआ बोला। लेकिन इतनी देर में सर तनवीर दरवाज़े से निकल कर उसे बाहर से बन्द कर चुका था....इमरान के होंटों पर शरारती मुस्कुराहट थी।

दूसरी तरफ़ दूसरे कमरे में सर तनवीर फ़ोन पर झुका हुआ था और कह रहा था। ‘‘सायरा, सायरा....मैंने उस बोगस डॉक्टर को अपने दफ़्तर में बन्द कर लिया है। तुम इमरान को साथ ले कर फ़ौरन आ जाओ....आओ....जल्दी करो....बहुत जल्दी!’’

वह उस कमरे से निकल कर दफ़्तर के सामने आ गया। चपरासी को उसने पहले ही भगा दिया था।

इमरान बड़े सुकून से अन्दर बैठा रहा। और उसके इस सुकून पर सर तनवीर को भी हैरत हो रही थी। आधा घण्टा बीतने के बाद लेडी तनवीर बौखलायी हुई वहाँ आयी....

‘‘वह तो....वह तो....नहीं मिल सका डार्लिंग।’’ उसने हाँफते हुए कहा। ‘‘वह डॉक्टर कहाँ है?’’

सर तनवीर ने दरवाज़े की तरफ़ इशारा किया। लेडी तनवीर पंजों के बल ऊपर उठ कर शीशों से अन्दर झाँकने लगी....फिर उसने एक लम्बी साँस ली और पलट कर पूछा, ‘‘क्या यही है?’’

सर तनवीर ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और लेडी तनवीर बोली। ‘‘दरवाज़ा खोल दो।’’

‘‘क्यों? क्यों?’’

लेडी तनवीर ने कोई जवाब न दिया। वह बहुत ज़ोर से हँस रही थी। फिर उसने ख़ुद ही दरवाज़ा खोल दिया। सर तनवीर उसके इस तरह हँसने पर बुरी तरह झल्ला गया। इमरान लेडी तनवीर को देख कर खड़ा हो गया था।

लेडी तनवीर पर हँसी का दौरा पड़ गया था। इमरान भी उनके साथ ठहाका लगाने लगा। लेकिन वह पागलों की तरह हँस रहा था....

‘‘ओह, यह क्या बदतमीज़ी है?’’ अचानक सर तनवीर ज़ोर से गरजा।

लेडी तनवीर ख़ामोश हो गयी। लेकिन इमरान बराबर हँसता रहा और वह इस तरह पेट दबा-दबा कर हँस रहा था जैसे साँस न समा रही हो।

लेडी तनवीर जैसी संजीदा औरत भी दोबारा हँस पड़ने पर मजबूर हो गयी।

आख़िर उसने बड़ी मुश्किल से कहा। ‘‘इमरान....यही.... है।’’

‘‘क्या....इमरान!’’ सर तनवीर ने हैरत से कहा....और फिर वह भी हँसने लगा।

इमरान अचानक संजीदा हो गया। बिलकुल ऐसा ही मालूम हुआ जैसे अचानक कोई मशीन चलते-चलते बन्द हो गयी हो....इस पर उन दोनों को और ज़्यादा हँसी आयी।

थोड़ी देर बाद माहौल शान्त हुआ और इमरान ने फिर मतलब की बात छेड़ दी।

और अब लेडी तनवीर को बताना ही पड़ा। लेकिन उसने इमरान से वादा ले लिया कि वह उसका राज़ ख़ुद अपने तक ही रखेगा।

‘‘नहीं रखेगा तो हम उसे पकड़ कर पीटेंगे।’’ सर तनवीर ने कहा। ‘‘क्या रहमान साहब के लड़के पर मेरा इतना भी हक़ न होगा।’’

फिर सर तनवीर ने बताया कि दोनों की शादी अफ्रीका में हुई थी....और लेडी तनवीर निचले तबक़े की और आवारा औरत थी....लेकिन सर तनवीर को उससे मोहब्बत हो गयी। लेडी तनवीर भी उसे चाहने लगी और उसने वादा किया कि वह अपनी ज़िन्दगी एक़दम बदल देगी। इसलिए दोनों शादी के बन्धन में बँध गये यहाँ किसी को भी लेडी तनवीर की असलियत के बारे में कुछ नहीं मालूम था और वह सोसाइटी में इज़्ज़त की नज़रों से देखी जाती थी। ग़ज़ाली के बारे में दोनों सिर्फ़ इतना ही जानते थे कि वह नस्ल से तुर्की है और दक्षिण अफ्रीका का रहने वाला भी और लेडी तनवीर की असलियत से भी अच्छी तरह वाकिफ था, इसलिए उसे एक दिन अपने मुल्क में देख कर सर तनवीर को बड़ी हैरत हुई और उसने सोचा कि कहीं ग़ज़ाली यहाँ के ऊँचे तबक़े तक यह बात न पहुँचा दे। इसलिए वे दोनों उससे मुलाक़ात करने की कोशिश करने लगे। जब कामयाबी न हुई तो लेडी तनवीर ने इमरान की मदद हासिल करने के बारे में सोचा, क्योंकि उसकी फ़र्म का इश्तहार काफ़ी इत्मीनानबख़्श था। यानी वह समझ गयी कि वह कोई प्राइवेट जासूस है और क़ानूनी तौर पर यहाँ किसी प्राइवेट जासूस की गुंजाइश नहीं है, इसलिए उसने तलाक़ और शादी की फ़र्म का ढोंग रचाया है। पश्चिमी मुल्कों में भी अक्सर इसी क़िस्म की फ़र्में पायी जाती हैं। लेकिन हक़ीक़त में उनके मेम्बर प्राइवेट जासूस होते हैं और क़ानूनी पाबन्दी की वजह से इस क़िस्म की फर्मों की आड़ ले कर काम करते हैं।

इस तरह यह दास्तान दोनों की झेंपी-झेंपी-सी हँसी पर ख़त्म हो गयी।

समाप्त