वह शाम कम-से-कम कर्नल ज़रग़ाम के लिए आनन्ददायक थी। हालाँकि कर्नल डिक्सन को भी अब बारतोश के पर्दे में ली यूका के वजूद का यक़ीन आ गया था, मगर फिर भी उसके चेहरे पर मुर्दनी छायी हुई थी। पता नहीं उसे इस हादसे का सदमा था या इस बात की शर्मिन्दगी थी कि वह ज़रग़ाम के दुश्मन को उसका मेहमान बना कर लाया था।

चाय की मेज़ पर सोफ़िया के क़हक़हे गूँज रहे थे। शायद पहली बार वह इस तरह दिल खोल कर क़हक़हे लगा रही थी। इमरान के चेहरे पर वही पुरानी मूर्खता दिखाई दे रही थी।

‘यह दो सौ साल वाली बात मैं भी नहीं समझ सका।’ कर्नल ज़रग़ाम ने इमरान की तरफ़ देख कर कहा।

‘दो सौ साल तो बहुत कम हैं। जो तरीक़ा ली यूका ने अपना रखा था, उससे उसका नाम हज़ारों साल तक ज़िन्दा रहता।’ इमरान सिर हिला कर बोला, ‘ली यूका सिर्फ़ एक नाम है जिसे नस्ल-दर-नस्ल अलग-अलग लोग अपनाते रहते हैं। तरीक़ा बड़ा अजीब है। किसी ली यूका ने भी अपनी औलाद को अपना वारिस नहीं बनाया। यह दरअस्ल ली यूका का पर्सनल चुनाव होता था। वह अपने गिरोह ही के किसी आदमी को अपनी विरासत सौंप कर दुनिया से रुख़्सत हो जाता है और यह चुनाव वह उसी वक़्त करता है, जब उसे यक़ीन हो जाये कि वह बहुत जल्द मर जायेगा और फिर दूसरा ली यूका बिलकुल उसी के नक़्शे-क़दम पर चलना शुरू कर देता है। मेरा ख़याल है कि बारतोश को मैंने दूसरे ली यूका के चुनने का मौक़ा ही नहीं दिया। इसलिए हमें फ़िलहाल यही सोचना चाहिए कि दुनिया ली यूका के वजूद से पाक हो गयी।’

‘लेकिन शायद हम उसके गिरोह के बदले से न बच सके।’ कर्नल डिक्सन भर्रायी हुई आवाज़ में बोला।

‘हरगिज़ नहीं!’ इमरान ने मुस्कुरा कर कहा, ‘अब ली यूका के गिरोह का हर आदमी कम-से-कम करोड़पति तो ज़रूर ही हो जायेगा। बस यह समझो कि गिरोह टूट गया। ली यूका की मौजूदगी में उन पर दहशत सवार रहती थी और वह उसके ग़ुलामों से भी बदतर थे। दहशत की वजह यह थी कि ली यूका छुपा होता था और मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि पिछले पच्चीस साल से उसका गिरोह बग़ावत पर आमादा रहा है। उसकी तरफ़ से आप लोग बेफ़िक्र रहें। कोई ली यूका के नाम पर आपकी तरफ़ उँगली भी न उठा सकेगा।’

‘लेकिन तुम्हें यक़ीन कैसे आ गया था कि बारतोश ही ली यूका है।’ कर्नल ज़रग़ाम ने पूछा।

‘मुझे इस पर उसी दिन शक हो गया जब वह मुझे जड़ी-बूटियों की तलाश में ले गया था। उसके बाद से मैं लगातार उसकी टोह में लगा रहा और पिछली रात को मैंने ख़ुद उसे चौखट में ख़ंजर गाड़ते देखा था।’

‘ओह!’ कर्नल की आँखें फैल गयीं।

‘मगर इमरान साहब, आपने अपनी कामयाबी का सेहरा इन्स्पेक्टर ख़ालिद के सर क्यों डाल दिया?’ सोफ़िया ने पूछा।

‘यह एक लम्बी दास्तान है!’ इमरान ठण्डी साँस ले कर बोला, ‘मैं नहीं चाहता कि मेरा नाम इस सिलसिले में मशहूर हो।’

‘आख़िर क्यों?’

‘हाहा! मेरी मम्मी ठेठ पूरबी क़िस्म की औरत हैं और डैडी सौ फ़ीसदी अंग्रेज़। अल्लाह बचाये...कभी-कभी जूतियाँ सँभाल लेती हैं और फिर मेरी समझ में नहीं आता कि कितने फ़ासले पर हूँ। यक़ीन कीजिए कि कभी-कभी ऐसी हालत में मुझे बीस का पहाड़ा भी याद नहीं आता।’

‘लड़के तुम बड़े ख़तरनाक हो,’ कर्नल ज़रग़ाम मुस्कुरा कर बोला, ‘मगर ये तुम्हारी एयरगन क्या बला है जिसने बारतोश का एक बाज़ू तोड़ दिया!’

‘क्या बताऊँ!’ इमरान गम्भीर लहजे में बोला, ‘मैं इस कमबख़्त से परेशान आ गया हूँ। इसमें से कभी-कभी प्वाइण्ट टू-टू-बोर की गोलियाँ निकल पड़ती हैं...है न बेवक़ूफ़ी!’

तीन दिन बाद अख़बारों में इन्स्पेक्टर ख़ालिद की तरफ़ से एक रिपोर्ट छपी जिसमें कर्नल ज़रग़ाम तक कुछ रहस्यमय काग़ज़ात पहुँचने के हालात से ले कर मौजूदा गिरफ़्तारी तक की घटनाएँ बतायी गयीं थी। आख़िर में उन काग़ज़ात के बारे में बहस करते हुए कहा गया था कि अगर कर्नल ज़रग़ाम चीनी और जापानी ज़बानें जानता होता और वे काग़ज़ात किसी ऐसे आदमी तक ले जाये गये होते जिसके लिए ये दोनों ज़बानें अजनबी न होतीं तो ली यूका की शख़्सियत काफ़ी हद तक रोशनी में आ गयी होती। इन काग़ज़ात में चीनी जासूस की रिपोर्ट भी शामिल थी जो चीनी गुप्तचर विभाग के हेड क्वार्टर के लिए लिखी गयी थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि मौजूदा ली यूका, जापानी नहीं, बल्कि चेकोस्लोवाकिया का नागरिक है। इन्स्पेक्टर ख़ालिद के बयान के मुताबिक़ उस चीनी की शख़्सियत सन्देहास्पद थी जिससे यह काग़ज़ात कर्नल ज़रग़ाम को मिले थे। उसके बारे में भरोसे से नहीं कहा जा सकता कि वह ख़ुद ही वह गुप्तचर था जिसने यह रिपोर्ट लिखी थी या फिर वह ली यूका का कोई आदमी था जिसने यह काग़ज़ात उस गुप्तचर से हासिल करके ली यूका तक पहुँचाने चाहे थे।

इन्स्पेक्टर ख़ालिद की रिपोर्ट में किसी जगह भी इमरान का ज़िक्र नहीं था। लेकिन रिपोर्ट ख़ुद इमरान ही ने तैयार की थी।

ली यूका उर्फ़ बारतोश ने होश में आने के बाद न सिर्फ़ इक़बाले-जुर्म कर लिया, बल्कि यह बात भी साफ़ कर दी कि अब उसके बाद इस सिलसिले का कोई दूसरा ली यूका नहीं होगा।

उसके सिर की चोट जानलेवा साबित हुई और वह अपने बारे में कुछ और बताने से पहले ही मर गया।

समाप्त