गणपत की कहानी

भिखारी पूरी तरह से एक प्रगतिशील समुदाय का हिस्सा हैं और यह किसी के लिए भी आश्चर्यजनक नहीं था जब नगर निगम ने भीख माँगने पर टैक्स लगाने की घोषणा की।

मैं जानता हूँ कि कुछ भिखारी औसतन एक चपरासी या बाबू से ज़्यादा कमा लेते हैं। मैं यह भी जानता था कि वह लँगड़ा आदमी जो मेरे पीपलनगर आने से कई साल पहले से ही शहर में अपनी बैसाखी के सहारे घूमता था, हर महीने अपने घर मनी ऑर्डर भिजवाता था। भीख माँगना धंधा बन गया था और शायद यही कारण था कि नगर निगम को इस पर टैक्स लगाना उचित लगा, और वैसे भी नगर निगम की तिजोरियों को फिर भरे जाने की ज़रूरत थी।

बूढ़ा गणपत, जो अपने कूबड़ के कारण सीधा नहीं खड़ा हो पाता था, उसे यह बिलकुल रास नहीं आया और उसने मेरे सामने अपनी असहमति जताई। “अगर मुझे पहले पता होता यह होने वाला है तो मैं कोई और व्यवसाय चुनता।”

गणपत राम भिखारियों का नवाब था। मैंने कहीं सुना था कि पहले वह एक अमीर आदमी था, जिसके कई घर और एक यूरोपियन पत्नी थी। जब उसकी बीवी उसके सारे पैसे लेकर, अपना सामान बाँध वापस यूरोप चली गयी तो उसका मानसिक सन्तुलन बिगड़ गया और फिर वह कभी उस सदमे से नहीं उबर पाया। उसका स्वास्थ्य बिगड़ता ही चला गया और अन्ततः बैसाखी के सहारे चलने की नौबत आ गयी। वह कभी सीधे पैसे नहीं माँगता था। पहले वह अभिवादन करता था, फिर मौसम या बढ़ती महँगाई पर टिप्पणी और उसके बाद तब तक आस लगाये बगल में खड़ा रहता था जब तक उसे पैसे न मिल जायें।

उसकी कहानी मुझे काफ़ी हद तक सच लगती थी, क्योंकि जब भी वह किसी पढ़े-लिखे व्यक्ति को देखता तो उससे फर्राटेदार अंग्रेज़ी में बात करता था। सफ़ेद दाढ़ी और चमकती आँखों वाला गणपत, उन भिखारियों में से नहीं था जो आने-जाने वाले लोगों को भगवान की दुहाई देते हैं। गणपत एक चुटकुला सुनाकर लोगों को हँसाने में ज़्यादा यकीन रखता था। कुछ लोगों का यह भी कहना था कि यह सब केवल एक नाटक है और असल में वह एक जासूस या पुलिसवाला है, पर वह अपने काम के लिए इतना समर्पित है कि अगले पाँच साल तक भिखारी बना रहेगा।

“देखो गणपत,” एक दिन मैंने उससे कहा, “मैंने तुम्हारे बारे में कई कहानियाँ सुनी हैं और मैं नहीं जानता उनमें से कौन-सी सच है। यह कूबड़ तुम्हें कैसे मिला?”

“यह एक बहुत लम्बी कहानी है।” मेरी उत्सुकता देखकर वह खुश होते हुए बोला, “और पता नहीं आप यकीन करेंगे भी या नहीं। हर किसी से मैं निःसंकोच बात नहीं करता।”

उसने मेरी उत्सुकता बढ़ा अपना काम कर दिया था। मैंने कहा “मैं तुम्हें चार आना दूँगा अगर तुम अपनी कहानी सुनाओगे। यह कैसा रहेगा?”

अपनी दाढ़ी सहलाते हुए उसने मेरे प्रस्ताव के बारे में सोचा। “ठीक है,” उसने धूप में ज़मीन पर बैठते हुए कहा। मैं पास ही एक कम ऊँची दीवार पर बैठ गया। “पर यह लगभग बीस साल पहले की घटना है और मेरी यादें कुछ धुँधली हो गयी हैं।”

उन दिनों (गणपत ने कहा) मैं एक नवविवाहित नौजवान था। मेरे पास कई एकड़ ज़मीन थी, हम बहुत अमीर तो नहीं थे पर बहुत गरीब भी नहीं थे। बाज़ार में अपनी फसल बेचने मुझे पाँच मील दूर अपने बैलों के साथ गाँव की धूल भरी सड़क से जाना पड़ता था। लौटते हुए रात हो जाती थी।

हर रात, मैं एक पीपल के पेड़ के पास से गुज़रता। लोग कहते थे कि उस पर भूत रहता है। मैं कभी उस भूत से नहीं मिला था और उस पर यकीन नहीं करता था पर लोगों ने बताया था कि उस भूत का नाम बिपिन था। उधर कई वर्ष पहले डकैतों ने उसे पीपल के पेड़ से लटका कर मार डाला था। तब से उस पेड़ में उसका भूत रहता था और अगर कोई आदमी डकैत जैसा दिखता तो वह उसे खूब पीटता था। शायद मैं धूर्त दिखता था क्योंकि एक रात बिपिन ने मुझे पकड़ने का निर्णय लिया। वह पेड़ से कूदा और सड़क के बीच, मेरा रास्ता रोक कर खड़ा हो गया।

“तुम,” वह चिल्लाया, “अपनी बैलगाड़ी से नीचे उतरो। मैं तुम्हें मारने वाला हूँ।”

“मुझे झटका तो लगा पर उसकी बात मानने का कोई कारण नहीं दिखा।”

“मेरा मरने का कोई इरादा नहीं। तुम खुद बैलगाड़ी पर आओ।”

“यह हुई न मर्दों वाली बात।” बिपिन चिल्लाया और कूदकर गाड़ी पर मेरे बगल में आकर खड़ा हो गया, “पर एक वजह बताओ कि मैं तुम्हें न मारूँ।”

“मैं डकैत नहीं हूँ।” मैंने कहा।

“पर तुम डकैत जैसे दिखते हो। मेरे लिए दोनों बातें समान हैं।”

“तुम्हें बाद में बहुत पश्चाताप होगा अगर तुमने मुझे मार डाला। मैं एक गरीब आदमी हूँ और मेरी बीवी मुझ पर निर्भर है।”

“तुम्हारे पास गरीब होने का कोई कारण नहीं।” बिपिन ने गुस्से से कहा।

“तो मुझे अमीर बना सकते हो तो बना दो।”

“अच्छा तो तुम्हें नहीं लगता कि मेरे पास तुम्हें अमीर बनाने की शक्ति है? क्या तुम मुझे चुनौती दे रहे हो?”

“हाँ” मैंने कहा “मैं तुम्हें मुझे अमीर बनाने की चुनौती दे रहा हूँ।”

“तब गाड़ी आगे बढ़ाओ।” बिपिन चिल्लाया। “मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर चल रहा हूँ।” बिपिन को अपने बगल में बैठाये, मैं बैलगाड़ी गाँव में ले आया।

“तुम्हारे अलावा कोई और मुझे नहीं देख पायेगा।” बिपिन ने मुझे बताया, “एक और बात, मैं हर रात तुम्हारे साथ सोऊँगा, और किसी को भी इस बात का पता नहीं चलना चाहिए। अगर तुमने किसी को भी मेरे बारे में बताया तो मैं तुम्हें उसी समय मार डालूँगा।”

“चिन्ता मत करो।” मैंने कहा, “मैं किसी को नहीं बताऊँगा।”

“अच्छा है। मैं तुम्हारे साथ रहने के लिए उत्सुक हूँ। पीपल के पेड़ पर मैं बहुत अकेलापन महसूस कर रहा था।”

इस तरह बिपिन मेरे साथ रहने लगा। हर रात वह मेरे साथ सोता था और हमारी अच्छी बनती थी। वह अपनी बात का पक्का था। हर कल्पनीय और अकल्पनीय स्त्रोत से पैसे आने लगे और मैं उससे ज़मीन और मवेशी खरीदने लगा। किसी को भी हमारी साझेदारी के बारे में नहीं पता था, हालाँकि दोस्त और रिश्तेदार अचंभित थे कि इतना पैसा कहाँ से आ रहा है। मेरी बीवी बहुत नाराज़ थी, क्योंकि रात को मैं उसके साथ नहीं सोता था। मैं उसे भूत के साथ एक ही बिस्तर में कैसे सोने दे सकता था और बिपिन इस ज़िद्द पर अड़ा था कि वह मेरे साथ ही सोयेगा। शुरू में, मैंने अपनी बीवी से कहा कि मेरी तबियत ठीक नहीं है और मैं बाहर बरामदे में सोऊँगा। फिर मैंने उसे कहा कि कोई हमारी गायें चुराना चाहता है और रात में मुझे उन पर नज़र रखनी होगी। बिपिन और मैं गौशाला में सोने लगे।

रात में कई बार वह मेरी जासूसी करती यह सोचकर कि मैं उसे धोखा दे रहा हूँ पर हर बार वह मुझे अकेला सोता हुआ पाती। जब वह मेरे इस अजीब व्यवहार को नहीं समझ पायी तो उसने अपने परिवार से बात की। वे लोग मेरे पास आये और मुझसे इसका कारण पूछने लगे।

इसी समय मेरे रिश्तेदार भी मुझसे मेरी बढ़ती पूँजी के स्त्रोत की पूछताछ करने लगे। मामा, चाचा और सभी दूर के रिश्तेदार एक दिन मेरे ऊपर टूट पड़े और मुझसे पूछने लगे कि इतना पैसा कहाँ से आ रहा है।

“क्या तुम लोग चाहते हो, मैं मर जाऊँ?” मैंने खीज कर उनसे पूछा “अगर मैं तुम्हें अपनी दौलत का राज़ बताऊँगा तो मैं ज़रूर मर जाऊँगा।”

पर इसे एक बहाना समझकर वे हँसने लगे। उन्हें लगा, मैं सारी दौलत अपने पास ही रखना चाहता हूँ। मेरी बीवी के रिश्तेदार सोच रहे थे कि मुझे कोई दूसरी औरत मिल गयी है। मैं उन सबके सवालों से इतना परेशान हो गया कि एक दिन मैंने उन्हें सच बता दिया। उन्हें भी सच पर यकीन नहीं हुआ (किसे होता है) पर उन्हें विचार करने के लिए एक मुद्दा मिल गया और उस समय वे चले गये।

पर उस रात बिपिन मेरे साथ सोने नहीं आया। मैं अकेला ही गायों के साथ सोया। अगली रात भी वह नहीं आया। मैं डर रहा था कि वह नींद में मुझे मार डालेगा पर ऐसा प्रतीत होता था कि वह मुझे अपने हाल पर छोड़ अपने रास्ते चला गया था। मुझे यकीन हो गया था कि मेरी किस्मत ने अब मेरा साथ छोड़ दिया है और मैं फिर अपनी बीवी के साथ सोने लगा।

अगली बार जब मैं बाज़ार से गाँव वापस लौट रहा था बिपिन फिर पीपल के पेड़ से कूदा।

“धोखेबाज़ दोस्त!” बैलों को रोकते हुए वह चिल्लाया, “तुम्हें जो चाहिए था मैंने दिया, फिर भी तुमने मुझे धोखा दिया।”

“मुझे माफ़ कर दो” मैंने कहा, “अगर तुम चाहो तो मेरी जान ले सकते हो”

“नहीं। मैं तुम्हें मार नहीं सकता।” उसने कहा, “हम बहुत दिनों तक दोस्त रहे हैं, पर मैं तुम्हें इसकी सज़ा ज़रूर दूँगा।”

एक लकड़ी उठाकर, उसने मुझे ज़ोर-ज़ोर से तीन बार पीठ पर मारा और मेरी पीठ झुक गयी।

“उसके बाद” गणपत अपनी कहानी खत्म करते हुए बोला, “मैं फिर कभी सीधा खड़ा नहीं हो पाया। बीस साल से मैं अपाहिज हूँ। मेरी बीवी मुझे छोड़कर अपने परिवार के पास वापस चली गयी। मैं खेत में काम करने में असमर्थ था। मैंने अपना गाँव छोड़ दिया और कई सालों तक एक शहर से दूसरे शहर भीख माँगता भटकता रहा। इस तरह मैं पीपलनगर आया और यहीं रुक गया। यहाँ के लोग बाकी शहरों से ज़्यादा उदार हैं, शायद इसलिए क्योंकि उनके पास उतनी दौलत नहीं।”

उसने मुस्कुराकर मेरी ओर देखा, अपने चार आने के इन्तज़ार में।

“तुम मुझसे अपनी कहानी पर यकीन करने की उम्मीद नहीं कर सकते।” मैंने कहा, “पर यह एक अच्छी कहानी थी। यह रहे तुम्हारे पैसे।”

“नहीं, नहीं” गणपत पीछे हटते हुए बोला, “अगर आपको मेरी कहानी पर यकीन नहीं तो पैसे आप ही रखो। मैं आपसे केवल चार आने के लिए झूठ नहीं बोलूँगा।”

उसने मुझे ज़बर्दस्ती पैसे थमाये और “गुड डे” कहकर लँगड़ाता हुआ चला गया।

मुझे पूरा यकीन था कि वह मुझसे एक झूठी कहानी कह रहा था पर आप कुछ कह नहीं सकते…शायद वह सच में बिपिन के भूत से मिला था। और उसको चार आने देने में ही समझदारी थी, क्योंकि हो सकता है वह सी.आई.डी. का ही आदमी हो।