विजय के हाथ में एक लोहे कई रॉड थी और वह अम्लराज के हौज के ऊपर लटक रहा था । वह फुर्ती के साथ अभी तक हवा में लटके विकास की ओर बढ़ रहा था ।
विकास निरंतर 'अंकल अंकल' चीख रहा था । -
अभी विकास को ऊपर से छोड़ा नहीं गया था ।
अब विजय विकास के काफी निकट पहुंच गया था । उसने दोनों हाथों से छत की रॉडें पकड़ रखी थीं-विकास रस्सी में बंधा उलटा लटक रहा था जो इस समय उसके पेट तक आ रहा था ।
सहसा !
ऊपर से उस व्यक्ति ने - जिसने विकास वाली रस्सी थाम रखी थीं-छोड़ दी ।
विकास के कंठ से एक चीख निकली... वह एक झटके के साथ नीचे की ओर गिरा ।
किंतु विजय का एक आश्चर्यचकित कर देने वाला कारनामा.. .छलावे से भी अधिक फुर्ती- मौत को भी धोखा । जैसे ही विकास की रस्सी छोड़ी गई.. चीखता हुआ वह नीचे की ओर गिरा- किंतु विजय ने अपने दोनों पैरों को फैलाकर फुर्ती के साथ - सिकोड़ा और कैंची की शक्ल दे दी । विकास विजय की कैंची की शक्ल में बनी टांगों के बीच फंस गया ।
कितना गंभीर क्षण...कितना भयानक कारनामा ! कितनी
खौफनाक ट्रेजेडी...!
विजय की उंगलियां शक्ति के साथ ऊपर लोहे की रॉड पर जमी हुई थी.. . उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उंगलियों की दृष्टियां टूट जाएंगी।
इधर विकास अब चीख नहीं रहा था बल्कि साहस का परिचय दे रहा था- एक साथ दोनों की खतरनाक मौत ! और वास्तव में विजय की पकड़ रॉडों पर हर क्षण कमजोर पड़ती जा रही थी । उसे लग रहा था - न जाने कौन-से पल राड छूट जाए । वह पसीने से नहा गया था ।
अब विकास विजय की पैंट को पकड़े लटक रहा था । सहसा मौत फिर झपटी - ।
विजय की पैंट का बटन टूट गया ।
तभी विकास उछला और उसने विजय की दाई कलाई पकड़ ली.. . एक झटका लगा... दाएं हाथ की उंगलियां राड से कुछ हटीं- किंतु भयानक परिणाम के जहन में घूमते ही विजय ने पकड़ अत्यंत सख्त कर दी ।
"जल्दी से रॉड पकड़ लो साले दिलजले ।" विजय बोझ संभाल नहीं पा रहा था ।
तभी विकास उछला, उसने भी वह लोहे की रॉड पकड़ ली। विजय को राहत मिली ।
"आगे चलो साले विकास मियां ।" विजय बोला ।
''मैं मर्डरलैंड को तबाह कर दूंगा अंकल ।" विकास आगे
बढ़ता हुआ बोला ।
"पहले आगे चलो !" विजय बोला ।
छत के किनारे पर आकर विजय ने एक कलाबाजी खाई और अगले ही क्षण छत के ऊपर !
अभी वह लोहे की छत पर पहुंचा ही था कि उसने अपने ऊपर सनसनाती हुई एक लोहे की रॉड देखी। विजय भयानक फुर्ती के साथ करवट ले गया। रॉड उस स्थान पर लगी-जहां कुछ देर पूर्व स्वयं विजय था... । विजय फुर्ती के साथ उठा और उस विंगेट पर जप लगाई - जिसने राड चलाई थी।
विजय ने एक तीव्र झटके के साथ रीड विंगेट के हाथ से छीन ली और उसकी कमर में रसीद कर दी। विंगेट चीखता हुआ छत से नीचे गिरा ।
तब तक विकास भी ऊपर आ गया ।
अब विजय को विकास की चिंता न थी । उसकी नजर दूर जाती हुई प्रिंसेज पर पड़ी-उसने तुरंत रॉड संभाली और छत से नीचे जंप लगाई ।
और विकास देखता ही रह गया अपने झकझकिए अंकल को-जो वास्तव में मौत से भी अधिक खतरनाक थे। विजय रीड संभाले जैक्सन की ओर दौड़ रहा था ।
मैदान में कोलाहल मचा हुआ था ।
विकास के दिमाग में न जाने क्या आया कि वह एक रॉड पकड़े सीढ़ियों से होता हुआ मैदान में उतर आया. । उसने कोलाहल में भाग लेने की कोई चेष्टा नहीं की, बल्कि इस कोलाहल से दूर एक ओर भागा । उसकी गति आश्चर्यजनक रूप से तीव्र थी ।
वह निरंतर कोलाहल से दूर होता जा रहा था ।
लगभग दौड़ता हुआ वह लाल चट्टानों में पहुंच गया और फिर चट्टानों के ऊपर बढ़-चढ़कर वह कुछ खोजने का प्रयास करने लगा ।
अंत में!
तब-जब वह चट्टान के टीले पर था । उसने देखा कि निकट वाली दूसरी चट्टान के शीर्ष का कुछ भाग अपने स्थान से हटा हुआ है ।
वह फुर्ती के साथ उस चट्टान से उतरकर दौड़ता हुआ दूसरी चट्टान पर पहुंच गया । जब वह उस स्थान पर पहुंचा, जहां से चट्टान थोड़ी हटी हुई थी, तो उसने झांककर नीचे- देखा !
यह वही स्थान था जिसकी विकास को खोज थी । यह प्रयोगशाला के ऊपर वाली चट्टानें थी और इस समय वह उस स्थान पर खड़ा था-जहां पर वह खतरनाक मुशीन थी, जिससे शहर जलाए जाते थे ।
यही वह स्थान था जहां से सूर्य की किरणें 'डैथ - मिरर' पर पड़ती थीं ।
इस समय 'डैथ-मिरर' जबड़ों से बाहर आ चुका था । स्क्रीन पर भारत का चित्र था । प्रोफेसर ऐल्फा पेंच घुमाकर शायद शीशे का फोकस ठीक कर रहे थे ।
उन्होंने अभी तक विकास को नहीं देखा था ।
सहसा विकास ने फुर्ती दिखाई!
उसने अपनी शक्ति के अनुसार एक काफी बड़ा लाल पत्थर उठाया और पलक झपकते ही उस विशाल 'डैथ - मिरर' पर दे मारा ।
'झनाक!' एक जोरदार ध्वनि के साथ 'डैथ - मिरर' खील-खील हो गया ।
अब प्रोफेसर ऐल्फा चौंका । उसने ऊपर देखा क्षण मात्र में उसकी आंखें क्रोध से लाल हो गई -- भयानक स्वर में वह चीखा- 'कमीने लड़के, मेरी दस वर्ष की मेहनत एक क्षण में नष्ट कर दी ।"
बूढ़े प्रोफेसर! " विकास चीख उठा-' 'मैं तुम्हें भी जिंदा नहीं छोडूंगा, वरना तुम्हारा ये खतरनाक दिमाग फिर कोई ऊट-पटांग अविष्कार कर लेगा ।" कहने के साथ ही विकास ने ऊपर से ही प्रोफेसर पर जम्प लगा दी।
प्रोफेसर को इस लड़के से ऐसी खतरनाक उम्मीद न थी । अत: विकास उसके ऊपर आ गिरा और बूढ़े प्रोफेसर को लेकर फर्श पर गिरा ।
विकास फुर्ती के साथ उठा और फिर अपने ढंग से प्रोफेसर पर पिल गया । प्रोफेसर वैज्ञानिक भले ही था- किंतु इस प्रकार लड़ाई के तरीकों से कभी उसका वास्ता न पड़ा था । अत: विकास ने शीघ्र ही उस पर विजय पा ली।
जब प्रोफेसर फर्श पर गिर गया और लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगा तो विकास ने वहीं पर पड़ी एक लोहे की रॉड उठा ली और एक तीव्र वार स्क्रीन पर किया ।
एक जोरदार ध्वनि के साथ स्क्रीन खील-खील हो गई। फिर वह रॉड मशीनों पर बजाने लगा । ऐसा लगता था, जैसे वह पागल हो गया हो ।
इधर रेंगता हुआ प्रोफेसर एक बड़े बेलजार के निकट पहुंच गया और फिर उसने बेलजार फोड़ दिया ।
कानों के पदों को हिला देने वाला जोरदार विस्फोट ! एकाएक सारी प्रयोगशाला आग की लपटों में घिर गई! स्वयं बूढा प्रोफेसर आग की लपटों में घिर गया था । विकास रॉड संभालकर फुर्ती के साथ प्रयोगशाला से बाहर की ओर भागा ।
और तब !
जबकि वह प्रयोगशाला से सुरक्षित बाहर आ गया, उसने देखा कि समस्त प्रयोगशाला आग की लपटों में घिरती जा रही है ।
मर्डरलैंड की यह भयानक प्रयागेशाला समाप्त हो गई थी । विकास फिर तेजी के साथ मैदान की ओर दौड़ा ।
जैक्सन एकदम लड़खड़ा गई ।
विजय की रॉड बीच में ही एक विंगेट से टकराते समय हाथ से निकल गई थी अत: उसे जैक्सन पर जम्य लगानी पड़ीकिंतु जैसे ही वह जैक्सन के जिस्म से टकराया-उसे एक तीव्र इलेक्ट्रिक शॉट लगा और वह उछलकर दूर जा गिरा । जैक्सन फिर आगे बड़ी-किंतु न जाने कहां से उस पर आशा ने जम्प लगाई -उसे करेंट का एक तीव्र झटका लगा किंतु उसने जैक्सन की बगल से तार खींच लिए - जो उसके जिस्म में करेंट पूरा करते थे । वह दूर जा गिरी - किंतु अपना काम कर गई ।
आशा को झटका इतना तीव्र लगा था कि वह बेहोश हो चुकी थी ।
इधर विजय के हाथ में एक लोहे की रॉड आ गई । उसे संभालकर वह फुर्ती के साथ उठा और जैक्सन के सामने चट्टान बनकर खड़ा हो गया ।
'तुम:?'' जैक्सन के मुंह से निकला ।
- - "यस मम्मी, हम-यानी विजय दी ग्रेट ।' विजय अपने हाथों में रॉड को तौलता हुआ बोला ।
''मैं तुमसे बहुत खुश हूं.. और सबसे अधिक प्रभावित हूं - तुम्हारे दोस्त अशरफ से- जिसने घायल होते हुए भी साहस और बुद्धि का परिचय दिया।"
- "अब इससे भी प्रभावित होना पड़ेगा मम्मी ।" विजय ने कहा और फिर लोहे की रॉड का तीव्र वार जैक्सन पर किया ।
जैक्सन ने फौरन एक लात विजय को रसीद की ।
विजय लड़खड़ाकर गिरा, तभी दो विंगेट उस पर झपटे । वह उन्हीं में उलझकर रह गया ।
समस्त मैदान में जोरदार कोलाहल का साम्राज्य था । मर्डरलैंड के निवासियों और विंगेटों के बीच युद्ध छिड़ गया था।
इधर अलफांसे पर मानो खून सवार था ।
वह विंगेटों को खिलौने की भांति उठाता और अम्लराज के हौज में फेंक देता । अब तक' न जाने कितने विंगेटों को वह हौज का ग्रास बना चुका था ।
विंगेट अन्य कुछ नहीं थे- सिर्फ इंसानों ने लोहे के कवच पहन रखे थे ।
और फिर तब !
जबकि अलफांसे के हाथ में एक टामीगन आ गई ।
उसमें से गोलियां बरसने लगीं कई बार उसने कई विंगेटों को छत से लटके विजय का निशाना लेते देखा किंतु उनके ट्रिगर दबाने से पूर्व ही अलफांसे की टीमगिन उन्हें मौत के मुंह में पहुंचा देती ।
अलफांसे। भयानक शातिर, भयानक रूप से निरंतर विंगेटों का सफाया कर रहा था ।
- तब जबकि उसकी टॉमीगन खाली हो गई- उसने उसे लाठी के रूप में ही प्रयोग करना प्रारम्भ कर दिया । वास्तव में वह खूनी नजर आ रहा था ।
काफी धूम-धड़ाका करने के बाद!
उसने देखा कि जैक्सन ने विजय के पेट में टक्कर मारी और विंगेट विजय पर झपटे ।
टामीगन संभालकर वह जैक्सन के सामने आ गया । आगे बढ़ती हुई जैक्सन ठिठक गई ।
उसने अपने हाथ में पक्की टामीगन बड़े अंदाज के साथ तौली और मुस्कराकर बोला- ' 'अब तू कहां चली कुतिया ?
एक औरत ने अपने पति की इच्छा पूरे करने के धरती पर अयोध्या का निर्माण किया लेकिन वो अयोध्या जुर्म की बुनियाद पर खड़ी थी | फिर, उस ने उसके एक-एक जुर्म को उधेड़ना शुरू किया और उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ गये क्योंकि यही चाहती थी वह !
"बहादुरों के मुख से अपशब्द बुरे लगते हैं।"
"अब तो तुम्हें इस हौज की भेंट चढ़ा दूंगा डार्लिंग | " 'हा...हा...हा!" एक कहकहा लगाया जैक्सन ने और सिर्फ एक शब्द कहा- "नादान बहादुर !" . ।
किंतु तभी अलफांसे ने टामीगन का बार उस पर किया । लाख बचाने के बाद भी सनसनाती हुई टामगिन उसकी कमर पर पड़ी और वह मुंह के बल फर्श पर गिरी - किंतु गिरते ही जैक्सन ने न जाने अपने वक्षस्थल से क्या निकाला । इससे पूर्व कि अलफांसे कुछ समझ पाए, उसने वह चीज आंखों पर चढ़ा ली और तेजी से अम्लराज के हौज की तरफ दौड़ी ।
अलफांसे को उससे ऐसी आशा कदापि न थी ।
किंतु जब आशा के विपरीत उसने जैक्सन को हौज ओर भागते देखा तो वह भी उसके पीछे लपका, किंतु निरर्थक | इससे पूर्व कि वह जैक्सन तक पहुंच सके-जैक्सन हवा में लहराई और सीधी अम्लराज के फौंलादी हौज में जा गिरी। उबलता हुआ अम्लराज ध्वनि के साथ उछला ।
प्रिंसेज जैक्सन अम्लराज में विलुप्त हो गई।
कुछ देर तक वह हौज के किनारे खड़ा हुआ महान जैक्सन का अंत देखता रहा ।
उस महान हस्ती का नाश कितनी सरलता से हो गया था । तभी अलफांसे की पीठ पर किसी ने हाथ रखा और आवाज आई - ' 'कहो प्यारे लूमड़ - क्या सोच रहे हो ?
- "जैक्सन इसमें कूदकर मर गई ।"
- "यह समय सोचने का नहीं है बेटे अभी हमें प्रयोगशाला भी नष्ट करनी है । "
"प्रयोगशाला में मैंने आग लगा दी अंकल ।" विकास तेजी के साथ भागता हुआ आया ।
वैरी गुड पारे दिलजले ।' '
"मैंने वह शीशा भी फोड़ दिया और बूढ़े प्रोफेसर को मार दिया ।"
अरे वाह प्यारे विकास!" अलफांसे उछलकर बोला-"क्यों बेटे जासूस- मैं कहता था ना कि मैंने विकास को मर्डरलैंड का दुश्मन बना दिया है ।"
"बेटे लूमड़ तेजी के साथ मर्डरलैंड से बाहर निकलो, वरना ये मर्डरलैंड हमारी समाधि बन जाएगा।"
"क्यों... अब तो मर्डरलैंड पर हमारा राज्य है, यहां के समस्त कर्ता-धर्ता मर गए हैं ।'
"वो तो ठीक है प्यारे, किंतु जरा वायुमंडल को ध्यान से देखो ।"
और फिर उसने ध्यान से वायुमंडल को देखा तो वह चीख उठा- ' विजय - ये क्या है ? "
वातावरण में आग की नीली चिंगारियां उड़ रही थीं, मानो वायु जल रही हो ।
- "साले लूमड़ मियां-जानते हो वैज्ञानिकों का कहना है कि
अगर वायुमंडल में नाइट्रोजन न होती तो संपूर्ण वस्तुएं जलकर राख हो जातीं ।"
"इसका क्या मतलब? "
"मतलब ये है प्यारे कि नाइट्रोजन की मात्रा वायुमंडल में से कम होती जा रही है और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती जा रही है और भतीजे मियां ने अभी-अभी बताया कि प्रयोगशाला में आग लग गई है ।'
"ऑक्सीजन तो जलती आग को तीव्र करती है?" तभी तो कह रहा हूं बेटे कि कुछ ही देर में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत बढ़ जाएगी और नाइट्रोजन की मात्रा बहुत कम हो जाएगी, अत: समस्त मर्डरलैंड आग की लपटों में होगा।' "
"यह तो भयानक खतरा है ।"
- "तुम अशरफ मियां को अपने कंधे पर लादो और मैं गोगियापाशा उर्फ आशा को और तेजी से उस स्थान की तरफ भागो-जहां हमारा वह बेकार सार्फेस्टा और जैक्सन का वह
" विचित्र-सा यान खड़ा है जिसमें बांधकर वह हमें यहां लाई थी
और फिर वे अशरफ और आशा को संभाल सुरक्षित जैक्सन वाले यान में पहुंच गए। यान में ऑक्सीजन सिलेंडर रखे हुए थे-सबने मास्क चढ़ा लिए ।
उसके बाद !
यान ने सुरक्षित मर्डरलैंड की धरती छोड़ दी ।
और तब-जबकि वे स्पेस में ही थें उन्होंने देखा ! स्पेस में एक तरफ आग की लपटें लपलपा रही थीं । वे जानते थे कि यह मर्डरलैंड जल रहा है ।
जब अशरफ की होश में लाया गया तो उसने सिर्फ इतना बताया कि उसे घायल समझकर अकेला छोड़ दिया गया, किंतु वह साहस करके सावधानी के साथ मैदान में सबकी नजरों से छुपकर जैक्सन के सिहासन के पीछे पहुंच गया था ।
उन्होंने धरती से संबंध स्थापित करके सूचना दे दी थी कि वे लोग मर्डरलैंड को तबाह करके धरती पर आ रहे हैं ।
इस समय विकास रैना की गोद में बैठा था । विजय सामने बैठा उसके कारनामे सुना रहा था और रघुनाथ रैना के बराबर में बैठा उसके कारनामे सुन रहा था ।
अलफांसे का उस समय से कोई पता न था - जबसे यान सागर में उतरा था ।
सागर में स्टीमर वगैरह लेकर भारतीय नेवी के जवान तैयार थे । उन्होंने विजय, अशरफ, आशा और विकास इत्यादि को तो चढ़ा चढ़ा लिया - किंतु अलफांसे का खोजने पर भी कोई पता नहीं चला । वह गधे के सींग की भांति नदारद हो गया था ।
अशरफ को सीक्रेट सर्विस के विशेष हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया गया था ।
इस अभियान का श्रेय यूं तो सभी को मिलना चाहिए था -किंतु विजय ने समस्त श्रेय विकास को दिलाया ।
दुनिया भर के अखबारों में विकास का फोटो छपा क और लिखा था- 'मर्डरलैंड की तबाही का देवता ।'
समस्त दुनिया विकास को जान गई ।
सर्वत्र विकास की धूम थी ।
अचानक एक नौकर कमरे में आया और एक कागज विजय के हाथ में थमाकर बोला-"साब...ये आपके लिए एक मेम साहब दे गई हैं ।' I
"मेम साहब- हमारे लिए? " विजय ने कहा और पत्र खोलकर पड़ा, पत्र कुछ इस प्रकार था ।
मिस्टर विजय,
मैं मान गई कि तुम मेरे एक शक्तिशाली दोस्त हो। मैं आशा करती हूं कि तुम भविष्य में भी हमेशा इसी तरह दोस्ती निभाकर मेरी कमजोरियों को मेरे सामने रखते रहोगे । यह भी मानना पड़ता है कि वास्तव में अलफांसे ने विकास को इस अल्पायु में ही मर्डरलैंड का दुश्मन बना दिया है । वास्तव में विकास ही मर्डरलैंड की तबाही का देवता है, तुमने मुझे अम्लराज के हौज में कूदते देखा और समझे कि जैक्सन मर गई है। किंतु नहीं.. .प्रिंसेज ऑफ मर्डरलैंड को मारना तुम लोगों बस का रोग नहीं है। मैं अम्लराज के हौज से कैसे बच गई, यह मुलाकात होने पर ही बताऊंगी। अच्छा, अब पत्र बंद करती हूं-विकास को मेरा प्यार कहना !
प्रिंसेज ऑफ मर्डरलैंड।
-जैक्सन' विजय पत्र को कई बार पढ़ गया - किंतु उसे विश्वास न हुआ कि जैक्सन जीवित बच गई होगी । वह होंठों-ही-होंठों में बुदबुदाया-मालूम नहीं साली ये मम्मी भी किस मिट्टी की बनी है !"
तभी वह नौकर फिर लौट आया- इस बार उसके हाथ में एक अन्य पत्र था - उसने वह पत्र रैना को थमा दिया और बोला-''ये पत्र आपके लिए अभी-अभी एक साहब दे गए है ।" रैना ने पत्र पढ़ा, लिखा था ।
'आदरणीय भाभीजी,
चरण स्पर्श,
आपका विकास आपके पास सुरक्षित पहुंच गया है, किंतु बहुत अधिक विकास करके । मैं दावे से कह सकता हूं कि विकास एक दिन भारत का गौरव होगा। वैसे मैं अब भी लिखता हूं कि अगर मुझे विकास की जरूरत पड़ी तो मैं उसे ले जाऊंगा।
आपका क्राइमर भैया
-अलफांसे'
पत्र पढ़कर रैना का दिल फिर-धड़का |
विजय और रघुनाथ उसे अभी सांत्वना देने का प्रयास कर ही रहे थे कि विकास बोला ।
अंकल!" "
"यस बेटे!
"एक नई-नई दिलजली सुनिए । "
दिलजली का नाम सुनते ही विजय ने बुरा-सा मुंह बनाया । विजय की हालत देखकर रघुनाथ और रैना का एक मिश्रित-कहकहा कमरे में गूंज उठा।
--- समाप्त ‒‒‒
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