पूर्वाभास
अपनी गर्भवती पत्नी नीलम के साथ विमल के दिल्ली में चार महीने ही गुजरे होते हैं कि एक रोज गोल मार्केट पर स्थित उनके फ्लैट के ऐन ऊपर आठवीं मंजिल के फ्लैट में कुछ गुण्डे स्वर्णलता नामक विधवा औरत के फ्लैट में घुसकर उसके साथ और उसकी सत्रह वर्षीय बेटी राधा के साथ मुंह काला करते हैं और फिर दोनों को मार डालते हैं । राधा की बड़ी बहन सुमन पर उस हादसे का ऐसा गहरा असर पड़ता है कि उसे तत्काल विलिंगडन हस्पताल ले जाया जाना पड़ता है जहां कि नीलम के अनुरोध पर विमल सुमन से मिलता है और उसकी शोचनीय दशा से पिघलकर विमल उन बलात्कारियों को उनकी करतूत की सजा देने का संकल्प करता है । बलात्कारियों की बाबत विमल को मालूम होता है कि वो पांच थे जिनमें से एक कोई लम्बा-पतला स्मैकिया था, एक के दोनों हाथों में छ:-छ: उंगलियां थीं और उनमें से किसी एक गले में ‘अल्लाह’ गुदी चांदी की ताबीज पहनता था ।
फिर विमल तनवीर अहमद नाम के एक गैरकानूनी हथियार बेचने वाले से एफ-14 मॉडल की एक जर्मन रिवाल्वर और उसको छुपाने में काम आने वाला एक लाल रंग का चमड़ा मढा ब्रीफकेस खरीदता है ।
कई रातों की खाक छानने के बाद विमल को मजनू का टीला के एक तिब्बती ढाबे में टूटी ताबीज का मालिक हनीफ नाम का जेबकतरा गोविन्द नाम के अपने दूसरे जेबकतरे दोस्त की संगत में मिलता है । वो दोनों को शूट कर देता है ।
तीसरा बलात्कारी मनसुखलाल उर्फ छंगू होता है जो अपने कालू और जाफर नामक दो साथियों के साथ लोधी गार्डन में सोनिया शर्मा नाम की एक युवती से बलात्कार पर आमादा होता है तो विमल उनके सिर पर पहुंच जाता है और गोलियों से एक सोनिया शर्मा के पांव में लग जाती है जिसकी वजह उसे फौरन हस्पताल पहुंचाया जाता है ।
विमल लोधी गार्डन से निकल रहा होता है तो उसका सामना सब-इंस्पेक्टर अजीत लूथरा से हो जाता है जो कि तफ्तीश के लिये तभी वहां पहुंचा होता है । सन्देह की बिना पर वो विमल की जामा-तलाशी लेता है लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगता ।
अगले रोज सोनिया शर्मा की तसवीर के साथ अखबारों में उसका बयान छपता है जिसमें उसने उस शख्स का हुलिया बयान किया होता है जिसने कि पिछली रात लोधी गार्डन में उसकी इज्जत बचाई थी । विमल के छक्के छूट जाते हैं । वो फौरन हस्पताल पहुंचता है जहां वो सोनिया को सुमन वाले ही वार्डनुमा कमरे में भर्ती पाता है । सोनिया विमल के कहने पर उसकी बाबत अपना बयान बदलने के लिये तैयार हो जाती है । आश्वस्त विमल वहां से लौटा रहा होता है तो तभी पिछली रात वाला सब-इंस्पेक्टर लूथरा वहां पहुंच जाता है ।
फिर लूथरा कनाट प्लेस स्थित गैलेक्सी ट्रेडिंग कारपोरेशन के आफिस में पहुंचता है जहां कि विमल कश्मीरी विस्थापित अरविन्द कौल के नाम से एकाउन्ट आफिसर की नौकरी कर रहा होता है । लूथरा उस पर साफ-साफ इलजाम लगाता है कि बलात्कारियों को शूट करने की दोनों वारदातों के लिये वो जिम्मेदार था और उसी ने सोनिया शर्मा को अपना बयान बदलने के लिये मनाया था । भीतर से बुरी तरह से आशंकित विमल प्रत्यक्षत: उसे डांटकर भगा देता है ।
लूथरा रावत नामक अपने भरोसे के पुलसिये को विमल के फ्लैट की निगरानी पर लगा देता है । लेकिन विमल को उसकी तत्काल ही खबर लग जाती है ।
मुबारक अली के प्रयत्नों से सुन्दरलाल स्मैकिये के नाम से मशहूर चौथे बलात्कारी का पता लगता है जिसका अड्डा पहाडगंज में स्थित एक पीजा पार्लर बताया जाता है जिसे कि चार्ली नामक एक आदमी चलाता होता है ।
अगले रोज के अखबार में दो चेन स्नैचरों को ओवरकोटधारी व्यक्ति द्वारा शूट कर दिये जाने की खबर छपती है । वारदात में क्योंकि एफ-14 माडल की जर्मन रिवाल्वर इस्तेमाल हुई होती है इसलिये लूथरा उस नयी वारदात के लिये भी विमल पर शक करता है लेकिन रावत खुद इस बात की तसदीक करता है कि विमल उस वक्त मौकायेवारदात से मीलों दूर उसकी निगाहों के सामने था । लूथरा मायूस तो होता है लेकिन विमल को फांसने की अपनी जिद नहीं छोड़ता । वो चण्डीगढ से विमल और नीलम की बाबत रिपोर्ट मगंवाता है लेकिन वो भी विमल के बयान की तसदीक ही करती है । फिर लूथरा चण्डीगढ पुलिस में अपने एक दोस्त सब-इंस्पेक्टर प्यारासिंह को और बारीकी से विमल की पड़ताल करने को कहता है ।
पांचवां बलात्कारी शफीक खबरी होता है जो अपने साथियों के कत्ल की खबरों से आन्दोलित सुन्दरलाल स्मैकिये के पास पहुंचता है और उसे उसके मामा गुरबख्शलाल की शरण में जाने की राय देता है जो कि दिल्ली अन्डरवर्ल्ड का सुपर बॉस है ।
विमल चार्ली के पीजा पार्लर में चार्ली तक पहुंचता है तो पाता है कि वो और कोई नहीं राजनगर का वही पुराना डोप पैडलर था जिसने जग्गी और पीटर नाम के अपने दो साथियों के साथ नूरपुर समुद्र तट पर विमल पर हमला किया था जिसकी वजह से विमल मरता-मरता बचा था । विमल चार्ली को धमकाता है तो वो कबूल करता है कि उसका वो पार्लर स्मैक का ठीया था जो कि गुरबख्शलाल की प्रोटेक्शन में चलता था और सुन्दरलाल स्मैकिया गुरबख्शलाल का सगा भांजा था । विमल उसे धमकाता है कि अगर शाम तक उसने उसे सुन्दरलाल स्मैकिये का पता न बताया तो खुद उसकी खैर नहीं थी ।
विमल आफिस पहुंचता है तो वहां सब-इंस्पेक्टर लूथरा को पहले से मौजूद पाता है । लूथरा बड़ी चालाकी से अपनी क्रैश हेल्मेट पर विमल की उंगलियों के निशान लेने में कामयाब हो जाता है । वो निशान वो तिवारी नाम के पुलिस के फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट को शिनाख्त के लिये सौंप देता है ।
शाम को विमल चार्ली के पास पहुंचता है तो बड़ी मुश्किल से चार्ली उसे सुन्दरलाल स्मैकिये का पता बताने को तैयार होता है ।
उस रोज आधी रात को राजौरी गार्डन के इलाके में एक वरदात होती है जिसमें एक ओवरकोटधारी एक चलती बस में ऐसे चार आदमियों को शूट कर देता है जो कि बस में सवार एक नई ब्याही दुल्हन की इज्जत लूटने पर आमादा थे । लूथरा उस बारदात का शक भी विमल पर करता है लेकिन जब वो दौड़ा हुआ गोल मार्केट पहुंचता है तो वो विमल को अपने फ्लैट में मौजूद पाता है ।
अगली रात को विमल एक सिख नौजवान का बहुरूप धारण करता है, अपनी बाल्कनी से पाइप के सहारे आठवीं मंजिल पर सुमन के फ्लैट की बाल्कनी में पहुंचता है और यूं रावत की निगाहों में आये बिना आठवीं मंजिल से सीधा ग्राउंड फ्लोर पर जाता है । वो चार्ली के पीजा पार्लर में पहुंचता है जहां सुन्दरलाल स्मैकिया और शफीक खबरी मौजूद होतेहैं और जहां वो तभी चार्ली से पचास-पचास ग्राम की दो पुड़िया हासिल करके हटे होते हैं । विमल उन्हें नोटों की झलक दिखाकर एक अन्धेरी गली में ले आता है जहां कि इससे पहले कि वो दोनों उसे लूट पाते वो उन दोनों को शूट कर देता है । नतीजतन सुन्दरलाल तो वहां मर जाता है लेकिन शफीक खबरी सिर्फ घायल होता है और वहां भाग निकलने में कामयाब हो जाता है ।
वहीं मोहन वाफना नाम का एक फ्रीलांस फोटोग्राफर अपने घर की बाल्कनी से वो तमाम नजारा करता है और एक स्पेशल कैमरे से ऐन वारदात के वक्त की तस्वीरें खींच लेता है ।
लूथरा को कन्ट्रोल रूम से उस वारदात की खबर लगती तो वो जिद का मारा फिर गोल मार्केट विमल की टोह में पहुंच जाता है । अपना बहुरूप सुमन की बाल्कनी में ही फेंककर बड़ी कठिनाई से विमल अपने फ्लैट में पहुंचता है और फ्लैट की निरंतर बजती घंटी के जवाब में उसका मुख्य द्वार खोलता है । विमल को फ्लैट में मौजूद पाकर लूथरा बुरी तरह खिसियाता है लेकिन उसकी पैनी निगाहें कुछ ऐसी बातें भी नोट करती है जो उसका सन्देह को बल देती हैं ।
उधर विमल पाइप के सहारे फिर सुमन के फ्लैट की बाल्कनी में पहुंचता है तो यह देखकर सन्न रह जाता है कि अपने बहुरूप का जो साजो-सामान उसने वहां छोड़ा था, वो सबका सब वहां से गायब था ।
उसी रात ग्यारह बजे ओवरकोटधारी की कार्यप्रणाली की छाप लिये एक वारदात इन्डिया गेट पर भी होती है जिसमें दो पुलसिये ही बलात्कार की कोशिश कर रहे होते हैं जबकि उन्हें शूट कर दिया जाता है ।
गुरबख्शलाल को अपने भांजे के कत्ल की खबर अपने लेफ्टीनेंट कुशवाहा से तब लगती है जब वो अपने मिन्टो रोड वाले फ्लैट में अपनी लोटस क्लब की हसीनतरीन बारमेड मोनिका को अपने पहलू में दबोचे सोया पड़ा होता है । वो ए एस आई सहजपाल को उसके घर पर फोन करके कहता है कि जो कोई भी केस की तफ्तीश कर रहा था, वो उसे उसके नाम की खबर करे और अगर कोई आदमी शक के घेरे में हो या कोई गिरफ्तारी हो तो वो उसकी भी खबर उसे करे ।
अगले रोज के अखबार में मोहन वाफना के बयान से साथ विमल के सिख बहुरूप वाली तसवीर छपती है और साथ में ये सम्भावना भी छपती है कि जरूर वो पुलिस से नाउम्मीद हो चुके भुक्तभोगियों की कोई पूरी जमात थी जो वो वारदातें कर रही थी और उनकी पहचान लम्बे ओवरकोट और एफ-14 मार्का दस फायर करने वाली जर्मन रिवाल्वर थी ।
वो बात पढकर विमल को तेलीवाड़े वाले तनवीर अहमद की याद आती है जिसके पास वैसी रिवाल्वरों का जोड़ा था लेकिन जिसमें से विमल ने एक ही खरीदी थी । विमल तनवीर अहमद से मिलता है तो वो वह उसे बताता है कि उसने दूसरी रिकाल्वर पिपलोनिया नाम के किसी आदमी को बेची थी । वो विमल की मोटे तौर पर पिपलोनिया का हुलिया भी बताता है ।
रावत लूथरा को बताता है कि विमल को साफ-साफ खबर लग चुकी थी कि उसकी निगरानी की जा रही थी । नतीजतन लूथरा विमल की निगरानी बन्द करवा देता है । फिर वो फोटोग्राफर मोहन वाफना के पास पहुंचता है और उससे सिख के क्लोजअप के दस गुणा बारह के चार प्रिंट हासिल करता है । उन तसवीरों को लेकर वो योगकुमार नाम के एक आर्टिस्ट के पास पहुंचता है और उससे कहता है कि वो सिख की तस्वीर को यूं रिटच करे कि तसवीर पर से दाढी, चश्मा, पगड़ी हट जाये और आंखों की पुतलियां नीली से काली हो जायें ।
लूथरा वापिस थाने पहुंचता है तो थानाध्यक्ष रतनसिंह उसे बताता है कि उसे शहर में हो रही ओवरकोटधारियों की वारदातों के लिये स्पेशल इनवैस्टिगेटिव आफिसर नियुक्त किया जा रहा था और उसके पास लेखराज मूंदड़ा नामक नोन स्मगलर का जो केस था, वो उससे वापस लेकर सहजपाल को दिया जा रहा था । सहजपाल जो कि चोरी-छिपे वो वार्तालाप सुन रहा होता है, तत्काल लूथरा की नयी नियुक्ति की बाबत गुरबख्शलाल को खबर कर देता है । गुरबख्शलाल बिना अपना नाम बताये फोन पर लूथरा को सुन्दरलाल के कातिल का नाम-पता बताने के बदले में बीस हजार रूपये इनाम की पेशकश करता है ।
लूथरा हस्पताल में शफीक खबरी से मिलता है जिससे उसे मालूम होता है कि उसके पास से बरामद स्मैक उसे चार्ली ने दी थी । नतीजतन वो चार्ली के पीजा पार्लर पर रेड का इन्तजामा करता है ।
चार्ली गुरबख्शलाल के हुजूर में पेश होता है तो बात से साफ मुकर जाता है कि सुन्दरलाल और शफीक को उसने दी थी । वो कातिल सिख की बाबत किसी जानकारी से भी अनभिज्ञता प्रकट करता है । फिर वो गुरबख्शलाल को अपना फैसला सुनाता है कि वो ड्रग्स के धन्धे से हाथ खींच रहा था इसलिये अब उसे गुरबख्शलाल की प्रोटेक्शन की जरूरत नहीं थी ।
गुरबख्शलाल मां-बहन की गालियां देकर उसे वहां से निकालता है ।
विमल विलिंगडन पहुंचता है तो उसे मालूम होता है कि सुमन वर्मा की हस्पताल से छुट्टी हो चुकी थी ।
चार्ली गुरबख्शलाल से मिलकर वापिस लौटता है तो पाता है कि उसके पीजा पार्लर पर रेड पड़ी हुई थी । वो रेड के पीछे गुरबख्शलाल का हाथ समझकर फोन पर उससे गिला करता है तो उसे और गालियां पड़ती हैं और उसे फिर धमकी मिलती है कि अगर उसने अपना सुर न बदला तो उसी रात को इसका अंजाम उसके सामने आ जाने वाला था । अब चार्ली को विमल में ही पनाह दिखाई देती है ।
लूथरा आर्टिस्ट योग कुमार से मिलता है तेा रिटच करके तैयार हुई ‘सिख’ की तसवीर देखकर बहुत मायूस होता है क्योंकि यूं बनी क्लीनशेव्ड सूरत कौल से मिलती कतई नहीं मालूम होती थी । तब आर्टिस्ट उसे सुझाता है कि जिस शख्स पर उसे तसवीर वाला सिख होने का शक था, अगर वो उसे उस शख्स की तसवीर मुहैया करा पाता तो उस पर दाढी, पगड़ी, चश्मा वगैरह बनाने पर अगर वो अखबार में छपी सिख की तसवीर जैसी लगने लगती थी तो यूं भी लूथरा का काम बन सकता था ।
विमल चार्ली के पीजा पार्लर पर पहुंचता है तो चार्ली विमल को गुरबख्शलाल की धमकी की बाबत बताता है और विमल से फरियाद करता है कि वो उसे गुरबख्शलाल के कहर से बचाये । बदले में विमल उससे गुरबख्शलाल के ड्रग्स के और ठीयों की जानकारी मांगता है जो कि चार्ली मरता क्या न करता के अन्दाज से उसे देता है ।
विमल घर पहुंचता है तो वो लूथरा को ड्राइंगरूम में बैठी नीलम के साथ बतियाते पाता है । वो नीलम को ये पट्टी पढा भी चुका होता है कि उसका पति ओवरकोट ब्रिगेड का सक्रिय सदस्य था । अपनी बात को बल देने के लिये वो कई सबूत पेश करता है जिनमें से एक सबूत यह भी होता है कि विमल के ओवरकोट पर खून की बारीक फुहार पड़ी हो सकती है । विमल ओवरकोट दिखाने से इनकार करता है तो भड़की हुई नीलम लूथरा को खुद ओवरकोट दिखाने की पेशकश करती है । लेकिन ओवरकोट फ्लैट से बरामद नहीं होता ।
ऐन उसी घड़ी ओवरकोट के साथ सुमन वहां पहुंचती है और दावा करती है कि पिछली राल विमल उसके बैडरूम में उसके साथ था और वो ओवरकोट भूल से वहां छोड़ आया था ।
लूथरा यह सुनकर भौचक्का रह जाता है कि एक कुंआरी लड़की एक शादीशुदा मर्द से अपना अफेयर कबूल कर रही थी ।
वो सुमन को उसके बयान से हिलाने की हरचन्द कोशिश करता है लेकिन सुमन टस से मस होकर नहीं देती । लूथरा को पिटा-सा मुह लेकर वहां से लौट जाना पड़ता है ।
बाद में विमल नीलम को बहुत मुश्किल से समझा पाता है कि सुमन ने उसे गिरफ्तारी से बचाने के लिए ये सफेद झूठ बोला था कि उसका विमल से अफयर था । नीलम उसकी बात पर यकीन कर लेती है लेकिन यूं फिर ये भी स्थापित हो जाता है कि विमल के रातों के कारनामों की बाबत लूथरा जो कुछ भी कहकर गया था, ऐन सच कहकर गया था । तब विमल को ये कबूल करना पड़ता है कि उसने सुमन की मां-बहन के बलात्कारियों को खोज-खोजकर मारा था । विमल बड़ी कठिनाई से उसे हालात को जैसे-का-तैसे कबूल कर लेने के लिये राजी करता है ।
नीलम को समझा-बुझा चुकने के बाद विमल ऊपर सुमन के पास पहुंचता है तो उसे मालूम होता है कि सुमन को शूरू से मालूम था कि उसको हासिल हुई हमलावर बांह और कोई मालूम था कि उसको हासिल हुई हमलावर बांह और कोई नहीं खुद विमल था क्योंकि हस्पताल में उसने विमल का सोनिया से हुआ वार्तालाप साफ-साफ सुना था । तब विमल भी उसे बताता है कि वो नीलम को हकीकत बता चुका था और अब नीलम के मन में सुमन के लिये कोई मैल नहीं था ।
लूथरा शाम को थाने पहुंचता है तो सहजपाल उसे कौल की फाइल का मुआयना करते हुए देखता है जिसे कि वो सहजपाल की आंखों के सामने अपनी मेज की दराज में रखकर और दराज को ताला लगाकर वहां से रुखसत होता है । सहजपाल उसकी गैरहाजिरी में दराज का ताला अपनी चाबी से खोलकर फाइल निकाल लेता है और यूं फाइल पढकर उसे अरविन्द कौल नाम के सफेदपोश बाबू की खबर लगती है जिस पर कि लूथरा को गुरबख्शलाल के स्मैकिये भांजे के कत्ल का शक होता है । सहजपाल फाइल वापिस रख ही रहा होता है कि रावत वहां पहुंच जाता है लेकिन उसकी करतूत रावत की निगाह में आने से बच जाती है, अलबत्ता लूथरा की सीट पर पहुंचा होने के लिए रावत उसे फिर भी टोकता है ।
अपनी नयी जानकारी के साथ सहजपाल खुद लोटस क्लब पहुंचता है जहां कुशवाहा उसे गुरबख्शलाल के हुजूर में तब पेश करता है जबकि उसके पास ढक्कन, लट्टू और जैदी नामक तीन दादा पहले से बैठे होते हैं । सहजपाल गुरबख्शलाल को अरविन्द कौल की बाबत पूरी जानकारी देता है और तब कौल के सिर पर गुरबख्शलाल पचास हजार रुपये के इनाम की घोषणा करता है और ढक्कन, वो काम अपने हाथ में लेता है ।
उसी रात को चर्ली का पीजा पार्लर तबाह करने की नीयत से गुरबख्शलाल के गुण्डे भीमा नाम के एक मवाली की रहनुमाई में वहां पहुंचते हैं लेकिन वहां पहले से मैजूद मुबारक अली और उसके आदमियों के हाथों बुरी तरह से पिटकर वापिस लौटते हैं । गुरबख्शलाल तक वो खबर पहुंचती है तो वो भौचक्का रह जाता है । तब ये फैसला होता है कि पहले पता किया जाये कि वो नये दादा लोग, जो अपने आपको धोबी कहते थे, कौन थे उनकी ताकत कितनी थी और उन्हें किसकी शै हासिल थी ।
लूथरा राशनिंग आफिस के रिकार्ड से विमल की तसवीर निकलवाता है, मोहन वाफना से उसके चार बड़े बड़े एनलार्जमेंट बनवाता है और उन्हें ले जाकर आटिस्ट योगकुमार को सौंप देता है जिसने कि स्टैपवाइज ट्रांसफर्मेशन से उस तसवीर को ‘सिख’ की तसवीर बनाना होता है ।
चार्ली अपने पीजा पार्लर जैसे स्मैक के तीन अड्डे मुबारक अली को बताता है । मुबारक अली अपने आदमियों के साथ तीनों जगह पहुंचता है और उन्हें वो अड्डे चलाये रखने से होने बाले बुरे अंजाम की चेतावनी देता है लेकिन कहीं भी उसकी चतावनी को गम्भीरता से नहीं लिया जाता ।
लूथरा थाने पहुंचता है तो उसे अपने दराज का ताला खुला मिलता है, भीतर कौल वाली फाइल उलटी पड़ी मिलती है और रावत से उसे मालूम होता है कि पिछली रात उसकी गैरहाजिरी में सहजपाल उसकी सीट पर मंडरा रहा था । लूथरा फिगरप्रिट एक्सपर्ट तिवारी के जरिये इस बात की तसदीक करता है कि फाइल पर सहजपाल की उंगलियों के निशान थे ।
ढक्कन अरविन्द कौल की जांच-पड़ताल करता है तो पाता है कि वो ऐन वही था जो कि वो दिखाई देता था ।
शरीफ शहरी ! सफेदपोश बाबू !
ढक्कन को पचास हजार रुपये कमाने का अपना सपना टूटता लगता है लेकिन मोनिका जिस पर कि वो दिलोजान से फिदा होता है, उसे ऐसी पट्टी पढ़ती है कि वो कौल का कत्ल करने का फैसला कर लेता है - भले ही वो सुदंरलाल का कातिल हो ।
अगले रोज गुरबख्शलाल को अपने तीन ठीयों पर धोबियों द्वारा छोड़ी गयी चेतावनी की खबर लगती है । कुशवाहा उसे बताता है कि उनमें दिल्ली का कोई दादा नहीं था ।
फिर ये फैसला होता है कि अगर धोबियों की कोई मुकम्मल जानकारी रखता हो सकता था तो वो चार्ली था । गुरबख्शलाल चार्ली को पकड़ मंगवाने का आदेश जारी करता है । दूसरा आदेश वो उन तीनो ठीयों की प्रोटेक्शन का देता है जिन पर कि धोबियों की धमकी की तलवार लटक रही थी ।
उसी शाम को विमल अपने बॉस शुक्ला के घर क्रिसमिस ईव की पार्टी मनाने पहुंचता है । वहां शुक्ला उसका परिचय अपने दो मित्रों से कराता है जिनमें से एक उसका बचपन का शिवनारायण था और दूसरा पत्रकार जगतनारायण का । वहां सहसा ही ओवरकोट पहनने वाले खबरदार शहरियों को चर्चा शुरू हो जाती है जिसमें शिवनारायण खबरदार शहरियों के कारनामों की बड़ी जोरदार हिमायत करता है । और यूं वहां इस बाबत जोरों से बहस होने लगती है ।
फिर उस लम्बे बहस-मुसाहबे को मेजबान शुक्ला आकर बन्द कराता है और फिर पार्टी आगे चलती है ।
रात दस बजे ‘बीवी बीमार है’ का बहाना लगाकर विमल शुक्ला के घर से रुखसत होता है । वो नीमअन्धेरे में अपने खाली हाथ अपने ओवरकोट की जेबों में धंसाये किसी वाहन की तलाश में तनहा रास्ते पर चला जा रहा होता है जबकि...
(यहां तक की कहानी आपने ‘जहाज का पंछी’ में पढी )
एकाएक ढक्कन और उसके चार साथी उस पर आक्रमण कर देते हैं । निहत्था विमल चार आदमियों को मार गिराता है लेकिन ढक्कन भाग निकलने में कामयाब हो जाता है । लड़ाई में टूटी बोतल से विमल का गाल कट जाता है जिसे कि करीब ही रहने वाला रतौंधी का शिकार पुजारी नाम का एक उम्रदराज व्यक्ति देख लेता है । सब-इन्स्पेक्टर लूथरा मौकायेवारदात पर पहुंच कर तफ्तीश करता है और फिर पुजारी को घायल नौजवान की पुलिस रिकार्ड में उपलब्ध तस्वीरों के जरिये शिनाख्त करने के लिए अगले रोज मन्दिर मार्ग थाने पहुंचने के लिए कहता है ।
अगले रोज सुबह विमल डाक्टर मजूमदार से अपने गाल की ड्रैसिंग कराकर लौटता है तो उसे लूथरा मिल जाता है जो कि खास ये ही देखने आया होता है कि विमल के गाल पर जख्म का निशान था या नहीं । वो विमल के गाल पर वो निशान देखता है तो उसका विमल पर शक और मजबूत हो जाता है ।
उसी रोज मुबारक अली और उसके धोबी गुरबख्शलाल के स्मैक के दो ठीये बरबाद कर देते हैं और तीसरे ठीये को इसलिए सलामत छोड़ देते हैं क्योंकि उसका मालिक ड्रग्स के धन्धे से किनारा कर लेने का वादा करता है ।
लूथरा आर्टिस्ट योगकुमार से स्टैपवाइज ट्रांसफार्मेशन के जरिये विमल की क्लीनशेव्ड से सरदार बनी तसवीरें हासिल करता है तो पाता है तब विमल की तसवीर ऐन उस सिख से मिलने लगी थी जिसने पहाड़गंज के इलाके में सुन्दरलाल स्मैकिये का खून किया था और शफीक खबरी को घायल किया था ।
लूथरा आरामबाग सहजपाल के घर पहुंचता है जहां वो उसकी बीवी विद्या की मौजूदगी में सहजपाल पर हाथ उठाता है । उसके कहने पर जब सहजपाल विद्या को पड़ोस में भेज देता है तो लूथरा उस पर इलजाम लगाता है कि सहजपाल ने उसकी गैरहाजिरी में उसके दराज का ताला खोलकर विमल वाली फाइल का मुआयना किया था । थोड़ी हील-हुज्जत के बाद सहजपाल वो बात कबूल कर लेता है और लूथरा को बताता है कि विमल उर्फ अरविन्द कौल की बाबत तमाम जानकारी वो गुरबख्शलाल को पहुंचा भी चुका था और गुरबख्शलाल उस बाबू का काम तमाम करने का काम ढक्कन को सौंप भी चुका था ।
विमल को मुबारक अली के माध्यम से पिपलोनिया का माडल टाउन का पता मालूम होता है । वो वहां पहुंचता है तो कोठी को ताला लगा पाता है । आस-पड़ोस से पूछताछ करने पर उसे मालूम होता है कि पिपलोनिया कालेज का प्रोफेसर था लेकिन तब नौकरी छोड़ चुका था क्योंकि उसकी बीवी, नौजवान बेटा और कालेज की छात्रा बेटी तीनों क्रमश: कैन्सर, ड्रग्स और बलात्कार की बलि चढ़ चुके थे ।
विमल घर लौटता है तो तभी लूथरा वहां आ धमकता है । वो विमल को आर्टिस्ट योगकुमार की कारीगरी से बनी विमल की तसवीरें दिखाता है और फिर इस बात पर जोर देता है कि तसवीर वाला सिख नौजवान विमल ही था । भीतर से आशंकित विमल प्रत्यक्षत: उसकी उस नयी खोज को भी हंसी में उड़ा देता है । फिर लूथरा विमल को बताता है कि अन्डरवर्ल्ड बॉस गुरबख्शलाल को इस बात की खबर लग चुकी थी कि उसके स्मैकिये भांजे का कातिल अरविन्द कौल था और वो अपने डक्कन नाम के एक आदमी को उसके कत्ल का हुक्म दे भी चुका था ।
रात को विमल मुबारक अली के साथ फिर माडल टाउन पहुंचता है । वहां वो पिपलोनिया की सूरत नहीं देख पाते इसलिए उसका पीछा करते हुए वो और मुबारक अली कनाट प्लेस पहुंचते हैं, जहां कि अन्डरग्राउन्ड पार्किग में किसी करिश्मासाज तरीके से पिपलोनिया गायब हो जाता है ।
चार्ली आधी रात को अपनी कोठी पर पहुंचता है तो वहां गुरबख्शलाल के चार आदमियों को अपना इन्तजार करता पाता है जो कि चार्ली को जबरन गुरबख्शलाल के पास ले जाने के लिए वहां आए हुए थे लेकिन तभी धोबी भी वहां पहुंच जाते हैं, और गुरबख्शलाल के आदमियों को मारकर भगा देते हैं ।
रात को विमल के फ्लैट में उसके कत्ल के इरादे से वीर बहादुर नाम का एक पेशेवर हत्यारा घुसता है लेकिन विमल उसे पकड़ लेता है और उसने कुबुलवा लेता है कि वो बाराटूटी के बजरंगलाल नामक आदमी के भेजे उसका कत्ल करने आया था । विमल वीर बहादुर को आठवीं मंजिल से नीचे गिर जाने देता है और स्वयं बाराटूटी बजरंगलाल के ठीये पर पहुंचता है । वहां वो बजरंगलाल को अपने काबू में करता है और उससे कुबुलवाता है कि दरअसल उसके कत्ल का सामान ढक्कन के कहने पर किया था जो कि उसका दोस्त था । विमल उससे ढक्कन के घर का पता पूछता है और फिर उसे शूट कर देता है ।
अगली सुबह लूथरा को सब-इन्स्पेक्टर प्यारासिंह की चण्डीगढ से आयी रिपोर्ट मिलती है जिसमें कि सोहल का जिक्र होता है । सोहल नाम पढते ही वो थाने के रिकार्ड में उपलब्ध मशहूर इश्तिहारी मुजरिम सोहल की फाइल निकालता है । ये देखकर उसे बड़ी मायूसी होती है कि रिकार्ड में उपलब्ध सोहल की तसवीर से कौल की सूरत में नहीं मिलती लेकिन वो फिर भी फाइल का पीछा नहीं छोड़ता और उसके अध्ययन में जुट जाता है ।
मुबारक अली चार्ली से जबरन कुबुलवाता है कि गुरबख्शलाल का ड्रग्स का सामान दिल्ली कैसे पहुंचता है । फिर वो ड्रग्स की ऐसी एक खेप पकड़कर नष्ट कर देता है और उसको ढोने में लगे तीन लोगों को मौत के घाट उतार देता है ।
लूथरा फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट तिवारी के पास पहुंचता है और उससे अनुरोध करता है कि वो उसकी हैल्मेट पर से उठाये गये कौल के उंगलियों के निशानों का इश्तिहारी मुजरिम सोहल के निशानों से मिलान करे । तिवारी ऐसा करता है तो पाता है कि निशान नहीं मिलते थे ।
विमल को आफिस में सुमन का फोन आता है कि नीलम की तबीयत एकाएक बहुत खराब हो गयी थी । वो फौरन गोल मार्केट पहुंचता है और नीलम की डाक्टर मिसेज कुलकर्णी और सुमन के साथ नीलम को महाजन नर्सिंग होम पहुंचाता है जहां कि उपचार के बाद नीलम की तबीयत सुधरती है ।
लूथरा उस घड़ी गोल मार्केट पहुंचता है जब कि नीलम की एम्बुलेंस वहां से रवाना हो रही होती है । वो उस मौके का फायदा उठाता है और विमल के फ्लैट की तलाशी लेने की नीयत से फ्लैट के भीतर घुस जाता है । वहां की तलाशी में उसके हाथ पेस्टनजी नौशेरवानजी घड़ीवाला का ड्राइविंग लाइसेंस और वैसी ही कई और चीजें लगती हैं जो कि साबित करती हैं कि विमल कोई साधारण सफेदपोश बाबू नहीं हो सकता था । लूथरा वहां से निकलता है और बड़ी तिकड़म से मालूम कर लेता है कि नीलम को कौन से नर्सिंग होम में ले जाया गया था । वो रावत को नर्सिंग होम की निगरानी पर लगा देता है ।
गुरबख्शलाल को कुशवाहा से चालीस लाख की हेरोइन लुटने की और उसके मुहाफिज अपने तीन आदमियों के कत्ल की खबर लगती है । तब गुरबख्शलाल चार्ली से मुलाकात के लिए खुद चार्ली के पास पहाड़गंज जाने का फैसला करता है ।
विमल अपने फ्रेंचकट दाढी वाले मेकअप में गुरबख्शलाल के हैडक्वार्टर लोटस क्लब पहुंचता है जहां कि उसकी मुलाकात क्लब की हसीनतरीन बारमेड मोनिका से होती है जो कि विमल को देखते ही उस पर मर मिटती है । विमल भी उसे बढावा देता है और मोनिका की मदद से क्लब से बाहर अपनी कार में ढक्कन से मुलाकात करता है । वो ढक्कन को क्लब से दूर ले जाता है और गुरबख्शलाल के निजाम की बाबत उससे काफी सवाल करता है । यूं उसे ये मालूम होता है कि किसी अनजान आदमी का गुरबख्शलाल तक पहुंचना नामुकिन था लेकिन उसके दायें हाथ कुशवाहा तक पहुंचा जा सकता था वांछित जानकरी हासिल हो जाने के बाद विमल ढक्कन को शूट कर देता है ।
चार बाडीगार्डों के साथ गुरबख्शलाल को कुशवाहा चार्ली के पीजा पार्लर में ले जाता है जहां उनकी चार्ली से मुलाकात होती है । वहां गुरबख्शलाल ऐसा माहौल बनाता है कि दोनों में शराब के दौर चलने लगते हैं । नशे में चार्ली सोहल और धोबियों की बाबत सब कुछ बक देता है । गुरबख्शलाल ये जानकर सन्नाटे में आ जाता है कि वो सफेदपोश बाबू अरविन्द कौल मशहूर इश्तिहारी मुजरिम सरदार सुरेन्द्रसिंह सोहल था और वो गुरबख्शलाल के ड्रग्स के धन्धे का खातमा करने को दृढप्रतिज्ञ था । गुरबख्शलाल चार्ली से उसकी सोहल से मीटिंग कराने को कहता है जिसके लिए नशे से थर्राया जार्ली पुरजोर हामी भी देता है ।
फिर गुरबख्शलाल कुशवाहा को आदेश देता है कि वो कौल को तत्काल परलोक भेजने का इन्तजाम करे, भले ही वो उसके भांजे का कातिल न हो ।
रात को विमल फिर माडल टाउन पहुंचता है और फिर पिछली बार की तरह ही पिपलोनिया का पीछा करता कनाट प्लेस की अंडरग्राउंड पार्किंग में पहुंचता है । उस रोज उसकी समझ में आ जाता है कि पिछली बार कैसे पिपलोनिया वहां से गायब हो गया था । वो पिपलोनिया को सिर पर हैट, आंखों पर काला चश्मा और चेहरे पर नकली मूंछ लगाता देखता है और कार तब्दील करता देखता है । वो पिपलोनिया के पीछे लगा रहता है ।
मुबारक अली वली नामक अपने दो साथयों के साथ गुरबख्शलाल के अशोक विहार में स्थित रेंस्टोरेंट शहनशाह पहुंचता है और ऐसे हालात पैदा कर देता है कि लोग वहां जाने से कतराने लगते ।
चार्ली नशे से उबरता है तो गुरबक्षख्शलाल को सोहल की बाबत सब कुछ बता देने की अपनी मूर्खता पर पछताने लगता है । फिर वो किसी प्रकार धोबियों तक ये खबर पहुंचाने में कामयाब हो जाता है कि सोहल की जान को खतरा था ।
पिपलोनिया माडल टाउन अपने घर पहुंच जाता है तो विमल भी उसके पीछे-पीछे वहीं पहुंच जाता है । तब उसे मालूम होता है कि पिपलोनिया और कोई नहीं, उसके बॉस शुक्ला का बचपन का दोस्त शिवनारायण था । तब विमल उस पर इलजाम लगाता है कि वो ही खबरवार शहरी नम्बर दो था । थोड़ी हील-हुज्जत के बाद पिपलोनिया वो बात कबूल कर लेता है और ये भी कबूल कर लेता है कि उसने रात-रात विचरकर शहर के कई गुण्डे-बदमाशों और बलात्कारियों को मौत के घाट उतारा था । विमल उसे भविष्य में अपने इरादों से बाज आने को कहता है लेकिन पिपलोनिया नहीं मानता और कहता है कि जिन लोगों की वजह से उसका परिवार तबाह हुआ था उसने उन सबको मारकर मरने की ठानी हुई थी । विमल उसे गिरफ्तार करवा देने की धमकी देता है लेकिन वो उससे भी विचलित नहीं होता और विमल को अपने घर से निकल जाने का आदेश देता है ।
आधी रात को विमल गोल मार्केट पहुंचता है, जहां कि कुशवाहा के भेजे दर्जन-भर आदमी उसकी घात में बैठे होते हैं । ऐन मौके पर वहां मुबारक अली अपने धोबियों के साथा पहुंच जाता है और विमल मरने से बाल-बाल बचता है । दो मिनट तक दोनों तरफ से खूब गोलीबारी होती है । फिर मुबारक अली विमल को साथ लेकर वहां से भाग निकलता है । वो रात विमल नर्सिंग होम में अपनी बीवी के करीब काटता है ।
गुरबख्शलाल लूथरा को बताता है कि अरविन्द कौल वास्तव में मशहूर इश्तिहारी मुजरिम सरदार सुरेन्द्रसिंह सोहल था और उसे आफर करता है कि अगर वो उसे सोहल साबित करके सजा दिला सके तो वो उसे छ: लाख रूपया इनाम देगा जो कि इनाम की सरकारी रकम से दुगुनी रकम थी ।
उसी रात गुरबख्शलाल के पास विमल का फोन आता है जिसमें वो गुरबख्शलाल को मार डालने की धमकी देता है । तब गुरबख्शलाल महसूस करता है कि अब सोहल से निपटना उसके अकेले के बस का काम नहीं रहा था, अब सोहल को दिल्ली के मुकम्मल अन्डरवर्ल्ड की ताकत दिखाना जरूरी हो गया था । वो कुशवाहा को आदेश देता है कि वो अगले रोज दादा लोगों की पूरी बिरादरी की मीटिंग बुलवाने का इन्तजाम करें ।
अगले रोज सुबह विमल अली मोहम्मद और वली मोहम्मद के साथ न्यू राजेंद्र नगर पहुंचता है जहां कि कुशवाहा का आवास था । वहां बहुत चालाकी से कुशवाहा के आदमियों को झांसा देकर वो कुशवाहा को अपने काबू में करता है और गुरबख्शलाल तक पहुंचने के लिए उसे अपनी तरफ करने की कोशिश करता है लेकिन कुशवाहा अपनी जान की परवाह किये बिना उसकी ऐसी कोई मदद करने से साफ इन्कार कर देता है और कहता है कि वो गद्दार आदमी नहीं । विमल को बहुत मायूसी होती है । फिर वो कुशवाहा के माध्यम से फोन पर लेखूमल झामनानी से बात करता है जो कि, बकौल कुशवाहा वास्तव में तो गुरबख्शलाल से डरता था लेकिन मन-ही-मन उसके सिंहासन पर काबिज होने के ख्वाब देखता था । विमल, झामनानी को अपना असली परिचय देता है और उससे पूछता है कि अगर उसके रास्ते के कांटे गुरबख्शलाल को वो उखाड़ फेंके तो क्या वो ड्रग्स के धन्धे से हमेशा के लिये किनारा कर लेने का वादा करता था ? झामनानी वो पेशकश कबूल कर लेता है ।
विमल के रुखसत हो जाने के बाद कुशवाहा तत्काल अपने बॉस के पास पहुंचता है और उसे खबर करता है कि झामनानी ने उसके खिलाफ क्या जहर उगला था । वो गुरबख्शलाल को ये भी बताता है कि क्योंकि उसने झामनानी और सोहल का डायलोग टेप कर लिया हुआ था इसलिये झामनानी आसानी से अपने कथन से नहीं मुकर सकता था ।
गुरबख्शलाल उस बात से खुश हो जाता है ।
फिर कुशवाहा उसे सुझाता है कि कौल को, जिसे कि ढक्कन के नाम तक की खबर नहीं थी, जरूर ये बात सहजपाल के जरिये मालूम हुई थी कि ढक्कन को कौल के कत्ल के लिये नियुक्त किया गया था । तब गुरबख्शलाल सहजपाल को खत्म कर दिये जाने का आदेश देता है ।
अगले रोज लट्टू चार्ली के ऑफिस में उसका खून कर देता है और चुपचाप वहां से खिसक जाता है ।
विमल अली के साथ गोल मार्केट अपने फ्लैट में पहुंचता है वो वहां लूथरा भी पहुंच जाता है । इस बार लूथरा बड़े सब्र और बड़ी बारीकी के साथ सबूत दर सबूत पेश करता हुआ ये साबित करके दिखाता है कि वो अरविन्द कौल नहीं सरदार सुरेन्द्रसिंह सोहल था । जो सबसे बड़ा सबूत वो विमल के खिलाफ वो पेश करता है वो ये होता है कि उसकी उंगलियों के निशान सोहल की उंगलियों के निशानों से मिलते थे ।
विमल बेहद चिन्तित हो उठता है । उसे बम्बई में दोस्त बने सी बी आई के एन्टीटैरेरिस्ट स्क्वायड के उच्चाधिकारी का आश्वासन था कि दिल्ली पुलिस के रिकार्ड से सोहल की उंगलियों के निशान गायब किये जा चुके थे । लेकिन अब लग रहा था कि वास्तव में ऐसा नहीं हुआ था क्योंकि लूथरा तो उसे सोहल के पुलिस रिकार्ड का ओरीजिनल चार्ट दिखा रहा था जिस पर बने उंगलियों के निशान उसके निशानों से मिलते थे ।
आखिर में लूथरा अपनी जुबान बन्द रखने की एवज में विमल से बीस लाख रूपये की मांग करता है जिसके बदले में वो विमल की उसकी फाइल सौंप देने की पेशकश करता । इस काम के लिए लूथरा उसे अगली सुबह तक का वक्त देता है और ये भी जता देता है कि अगर विमल ने गायब हो जाने की कोशिश की तो उसकी बीमार बीवी, जो कि वो जानता था कि बहुत खस्ता हालत में महाजन नर्सिंग होम में भरती थी, की खैर नहीं थी ।
सहजपाल निशा नाम की कालगर्ल के डिफेंस कालोनी में स्थित आवास पर उसके साथ रंगरेलियां मनाकर जब वहां से बाहर निकल रहा होता है तो लट्टू एक कार में से उसे गोलियों से भून देता है । संयोगवश वो नजारा निशा का मनोज नामक भाई न केवल देख लेता है, बल्कि वो हत्यारे को भी पहचान लेता है ।
विमल योगेश पांडेय के पास पहुंचता है और उसे लूथरा से मिली धमकी की बाबत बताता है । पांडेय को यकीन नहीं आता कि सोहल की उंगलियों के निशान रिकार्ड में बदलने के मामले में उसके अत्यन्त विश्वासपात्र आदमी ने उसे धोखा दिया था । सबसे पहले वो इसी बात की तसदीक करने को कहता है कि ऐसा कोई धोखा उसके साथ हुआ था । वो विमल की उंगलियों के निशानों का नमूना उससे हासिल करता है और उसे शाम को लौट के आने को कहकर रुखसत कर देता है ।
साउथ एक्सटेंशन में स्थित गुरबख्शलाल के डलहौजी बार में दिल्ली के टॉप के दादाओं की मीटिंग होती है । उसमें शामिल होते हैं अपने-अपने लेफ्टिनेंटों के साथ-साथ गुरबख्शलाल लेखूमल झामनामी, सलीम खान, पवित्तर सिंह, भोगीलाल और माताप्रसाद ब्रजवासी । वहां गुरबख्शलाल बड़ी संजीदगी से सोहल की सूरत में दिल्ली के अन्डरवर्ल्ड पर मंडराते खतरे से सबको आगाह करता है और कहता है कि बाहर से आया कोई दादा उन लोगों पर, उन लोगों की बादशाहत पर हावी नहीं हो जाना चाहिए था और ऐसा आपसी इत्तफाक से ही हो सकता था, ऐसा तभी हो सकता था जब कि सोहल के खिलाफ एक सांझा मोर्चा खड़ा करके उसे दिल्ली के अन्डरवर्ल्ड की सामूहिक ताकत दिखाई जाती ।
उसी गर्मागर्मी के माहौल में गुरबख्शलाल झामनानी पर ये इलजाम लगाता है कि वो सोहल से उसके खिलाफ सांठ-गांठ कर भी चुका था और सबूत के तौर पर वो उसे और बाकी बिरादरी को कुशवाहा वाला सोहल और झामनानी में हुए वार्तालाप को टेप सुनाता है । उसी सीधे इलजाम से पहले तो झामनानी के छक्के छूट जाते हैं लेकिन फिर बड़ी कठिनाई से वो बिरादरी को ये विश्वास दिला पाता है कि उसने तो वो सब सोहल को भुलावे में डालने के लिये कहा था, उसे अपने रूबरू होने को प्रेरित करने के लिए कहा था ताकि जब ऐसा होता तो वो सोहल का सिर काटकर गुरबख्शलाल की नजर कर पाता ।
वो बात बिरादरी को हजम हो जाती है और यूं बड़ी मुश्किल के झामनानी बिरादरी के कोप का भोजन होने बच जाता है ।
आखिर में इस फैसले के साथ मीटिंग बर्खास्त होती है कि सोहल से मुकाबले के लिये एक सामूहिक फोर्स तैयार की जाये, धोबियों की शिनाख्त की जाये, उनकी मुकम्मल ताकत का जायजा लिया जाये और उनमें फूट डलवाकर उनका इत्तफाक तोड़ने की कोशिश की जाये ।
मीटिंग के बाद गुरबख्शलाल कुशवाहा को आदेश देता है कि वो झामनानी पर मुतवातर नजर रखी जाने का प्रबन्ध करे ।
लूथरा थाने पहुंचता है तो थानाध्यक्ष रतनसिंह लूथरा को बताता है कि डिफेंस कालोनी में सहजपाल का कत्ल हो गया था और उसकी बीवी विद्या ने बाकायदा शक जाहिर किया था कि वो कत्ल या तो लूथरा ने खुद किया था या करवाया था ।
लूथरा के छक्के छूट जाते हैं । वो अपने बेगुनाह होने की दुहाई देता है और रतनसिंह को सुझाता है कि वो कत्ल गुरबख्शलाल ने कराया हो सकता था जिसका कि सहजपाल पुलिस के महकमे में भेदिया बना हुआ था या नोन स्मगलर लेखराज मूंदड़ा ने कराया हो सकता था जिसके कि सहजपाल पीछे पड़ा हुआ था ।
रतनसिंह आश्वस्त नहीं होता । वो लूथरा को वार्निंग देता है कि उसकी भलाई इसी में थी कि वो जल्द-अज-जल्द सहजपाल के कातिल का पता लगाकर दिखाये क्योंकि तभी मरने वाले की बीवी के द्वारा उस पर लगाये गये इलजाम से उसे मुक्ति मिल सकती थी ।
शाम को विमल योगेश पांडेय से फिर मिलता है तो पांडेय उसे बताता है कि उंगलियों के निशानों के मामले में लूथरा ने उसे धोखा दिया था क्योंकि उसने खुद इस बात की तसदीक की थी कि रिकार्ड में सोहल की उंगलियों के जो निशान उपलब्ध थे; वो उसके नहीं थे । फिर वो विमल को आश्वासन देता है कि वो लूथरा से खुद निपटकर दिखायेगा लेकिन इस काम के लिए वक्त दरकार था और वो वक्त हासिल करने के लिये या तो वो लूथरा से और वक्त मांगे या खुद कहीं गायब हो जाये और या बीमार बीवी को नर्सिंग होम से कहीं गायब कर दे ।
विमल तीसरी राय पर अमल करने का फैसला करता है ।
नीलम की निगरानी पर लगा रावत लूथरा को फोन करके बताता है कि नीलम की नर्सिंग होम से छट्टी हो रही थी और कौल उसे वापस घर ले जा रहा था । लूथरा रावत को बदस्तूर नीलम की निगरानी करते रहने का आदेश देता है ।
लोटस क्लब में गुरबख्शलाल लट्टू को चार्ली और सहजपाल के कत्ल के लिए शाबाशी देता उसे इनाम-इकराम से नवाजता है और फिर उसे ऐसी आफर देता है जिसे सुनकर लट्टू खुशी से थर-थर कांपने लगता है ।
वो ऑफर थी - अब ढक्कन की जगह वो और अगर वो कौल का काम तमाम कर दिखाये तो उसे पांच लाख रुपये का इनाम ।
लूथरा डिफेंस कॉलोनी थाने पहुँचता है जहां का एस. एच. ओ. सहजपाल के कत्ल को प्रोफेशनल किलिंग की वारदात बताता है । उसकी इजाजत से लूथरा मौकायेवारदात का मुआयना करने पहुंचता है ।
लट्टू गोल मार्केट पहुंचता है तो चौकीदार रामसेवक से उसे मालूम होता है कि विमल घर पर नहीं था । वो रामसेवक को खुद को जयपुर कोर्ट से आया सरकारी आदमी बताता है जिसके पास कि कौल को सर्व करने के लिये समन था । वो रामसेवक को सौ का नोट देकर इस बात के लिये राजी कर लेता है कि जब ‘कौल साहब’ वहां लौटें तो वो चुपचाप इशारा करके कौल साहब को उसे पहचनवा दे ताकि वो उन्हें समन सर्व कर सके ।
मूढ़ रामसेवक खुशी-खुशी इस ‘सरकारी काम में मदद’ करने के लिये तैयार हो जाता है ।
लट्टू जाकर कार में बैठ जाता है और विमल के वहां लौटने की प्रतीक्षा करने लगता है...
(यहां तक की कहानी आपने ‘खबरदार शहरी’ में पढ़ी)
अब आगे....
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