पूर्वाभास
मशहूर इश्तिहारी मुजरिम सरदार सुरेंद्रसिंह सोहल उर्फ विमलकुमार खन्ना उर्फ गिरीश माथुर उर्फ बनवारीलाल तांगेवाला उर्फ रमेश कुमार शर्मा उर्फ कैलाश मल्होत्रा उर्फ बसंत कुमार मोटर मकैनिक उर्फ नितिन मेहता उर्फ कालीचरण उर्फ आत्माराम को अपनी फेमस बदकिस्मती की ताजातरीन मार ये लगती है कि नया चेहरा हासिल होने का उसका वाहिद मकसद पूरा होते ही नया चेहरा उसने छिन जाता है । उसको नया चेहरा प्रदान करने वाले डॉक्टर स्लेटर का कत्ल हो जाता है और उसकी हाउसकीपर हेल्गा विमल को उस कत्ल के लिए जिम्मेदार मानकर बतौर उसकी सजा उसके नए चेहरे से संबंधित अत्यंत गोपनीय कार्ड की फाइल दस लाख रुपये की एवज में बंबई में मौजूदा अंडरवर्ल्ड किंग इकबालसिंह को भेज देती है जोकि ‘कंपनी’ के सिपहसालार श्याल डोंगरे के माध्यम से इकबालसिंह को प्राप्त होती है ।
दोनों विमल के नए चेहरे की तस्वीर का मुआयना करते हैं । उन दोनों को ही वो सूरत पहचानी-पहचानी लगती है ।
उस तस्वीर के माध्यम से विमल को बंबई में खोज निकालने के लिए इकबालसिंह उस तस्वीर की पांच सौ प्रतियां बनवाने का और श्याम डोंगरे को सोहल की फिराक में सोनपुर डॉक्टर स्लेटर के क्लीनिक पर जाने का हुक्म देता है ।
इब्राहिम कालिया नाम का दुर्दांत हत्यारा और नारकाटिक्स स्मगलर वो शख्स होता है जो कि पुलिस के खौफ से दुबई में बस गया बताया जाता है लेकिन जो दुबई से भी बंबई के अंडरवर्ल्ड में अपना ऐसा दबदबा बनाए होता है कि वो इकबालसिंह के अस्तित्व के लिए चैलेंज बन गया होता है । राजबहादुर बखिया की मौत के बाद से इकबालसिंह की सदारत में कदरन कमजोर पड़ गई ‘कंपनी’ पर हावी होने का ख्वाब इब्राहीम कालिया हमेशा देखता था और गाहे-बगाहे बड़ी खामोशी से, बड़ी खामोशी से, बड़ी चतुराई से ‘कंपनी’ के ठिकानों को या उसके आदमियों को हिट करता रहता था ।
जैकपॉट नामक कैब्रे जायंट कंपनी का ऐसा ही एक ठिकाना होता है जिसे उल्हास सितोले नाम का एक आदमी चलाता होता है और जिसकी स्टार अट्रैक्शन होती है वहां की हसीन-तरीन कैब्रे डांसर चांदनी । इब्राहीम कालिया का अरविंद नायक का नाम का एक कूरियर चांदनी पर दिलोजान न्योछावर कर बैठा होता है । चांदनी अरविंद नायक से इब्राहीम कालिया और उसके लैगमैन शमशेर भट्टी के कार्यकलापों की जानकारी सूंघती रहती है और उसे ‘कंपनी’ के सिपहसालार श्याम डोंगरे तक पहुंचाती रहती है । उसे अरविंद नायक से मालूम होता है कि रात दो बजे वरसोवा बीच पर हेरोइन का कनसाइनमेंट आने वाला था और उसके साथ खुद इब्राहीम कालिया के होने की पूरी संभावना थी ।
अरविंद नायक जैसा ही एक दूसरा शख्स सतीश गावली था जो कि कहने को विदेशी कारों की खरीद-फरोख्त का धंधा करता था लेकिन वास्तव में नारकाटिक्स स्मगलर था और इब्राहिम कालिया के गैंग का आदमी था ।
श्याम डोंगरे के इंदौरी और भौमिक नाम के दो लेफ्टीनेंट सतीश गावली को सरेराह शूट कर देते हैं ।
वरसोवा बीच से अरविंद नायक को हेरोइन की कनसाइनमेंट तो मिलती है लेकिन इब्राहीम कालिया से मुलाकात की उसकी ख्वाहिश वहां पूरी नहीं होती । बहरहाल उसने प्योर अनकट हेरोइन का एक किलो का पैकेट एक करोड़ के बदले दिल्ली से आए मुख्तियारसिंह और मंजूर खान नामक नॉर्कोटिक्स डीलर्स को सौंपना होता है ।
‘कंपनी’ के इंदौरी, भौमिक, फ्रेडो, शेलके और जीवाने नामक आदमियों द्वारा टैगोर नगर में विकरोली रेलवे स्टेशन के करीब की एक बहुमंजिली इमारत के बेसमेंट में बने कार पार्क में अरविंद नायक, मुख्तियारसिंह और मंजूर खान को बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया जाता है और हेरोइन और रुपया दोनों ‘कंपनी’ के अधिकार में पहुंच जाते हैं ।
इकबालसिंह और ‘कंपनी’ के निजाम में दूसरे नंबर का दर्जा रखने ओहदेदार व्यास शंकर गजरे दोनों ही उस हिट से बहुत खुश होते हैं । विमल के नए चेहरे की सारी बंबई के अंडरवर्ल्ड में बांटने के लिए बनकर पांच सौ तस्वीरें वहां पहुंचती हैं तो इकबालसिंह का डेविड नाम का एक बॉडीगार्ड तस्वीर पहचान लेता है और कहता है कि वो तो तुकाराम के कथित भांजे आत्माराम की तस्वीर थी ।
तत्काल इकबालसिंह अपने लावलश्कर के साथ चैम्बूर में स्थित तुकाराम आवास पर चढ दौड़ता है जहां कि तुकाराम अपने लेफ्टीनेंट वागले के अपनी टूटी टांग जुड़ने के बाद संपूर्ण स्वस्थ होने की प्रतीक्षा में पड़ा होता है ।
इकबालसिंह तुकाराम से उसके भांजे आत्माराम की बाबत पूछता है । गोलमाल जवाब मिलने पर उसे बताता है कि वो जान चुका था कि उसका कथित भांजा आत्माराम ही मशहूर इश्तिहारी मुजरिम सुरेंद्रसिंह सोहल था । इकबालसिंह तुकाराम और वागले को उन्हीं के घर में नजरबंदी का हुक्म देता है और अपने सिपहसालार के विश्वासपात्र लेफ्टीनेंट बाबू कामले दर्जनों प्यादों को विमल के वहां आगमन के इंतजार में छोड़ जाता है ।
उधर सोनपुर में श्याम डोंगरे के हाथ कुछ नहीं लगता । विमल उसके यहां पहुंचने से पहले ही वहां से होकर जा भी चुका होता है ।
विमल अपनी चिर-परिचित ‘पाप की नगरी’ बंबई पहुंचता है । चैम्बूर में कदम रखते ही वह भांप जाता है तुकाराम अपने घर में नजरबंद था और इलाके के चप्पे-चप्पे को प्यादों ने घेरा हुआ था ।
श्याम डोंगरे बंबई लौटता है, अपनी नाकामी की दास्तान इकबालसिंह को सुनाता है, उससे झाड़ खाता है और फिर इब्राहिम कालिया के एक बड़े अड्डे को हिट करने की योजना अपने आका को सुनाकर उसे खुश करने की कोशिश करता है ।
विमल लोकल में सवार होकर चैम्बूर से कोलीवाड़े जा रहा होता है तो उसे काशीबाई नाम की एक लड़की मिलती है जिसके चलती ट्रेन से कूदकर आत्महत्या करने के प्रयत्न को विमल विफल करता है । काशीबाई उसे बताती है कि उसका बाप केशवराव भौंसले पुलिस में हवलदार था, बड़ी मुश्किल से उसने मधुकर झेंडे नामक युवक से काशीबाई की शादी की थी लेकिन दहेज के लालची उसके ससुराल वाले अब उससे पचास हजार रुपया मांग रहे थे और अपने पिता पर आने वाली इसी विपत्ति ने उसे आत्महत्या करने के लिए प्रेरित किया था । विमल उसकी मदद करने का वादा करके काशीबाई को घर भेज देता है और स्वयं कोलीवाड़े में स्थित मराठा होटल पहुंचता है जिसका मालिक सलाउद्दीन वागले का जिगरी यार होता है और जिसके जावेद, आमिर, नासिर और आरिफ नामक चारों बेटे अपने अब्बाजानी समेत तुकाराम की मदद करने के लिए सदा तत्पर रहते हैं । विमल सलाउद्दीन को बताता है कि तुकाराम और वागले अपने घर में नजरबंद थे । विमल वहां से हर मुमकिन मदद का आश्वासन पाता है और साथ में हासिल करता है एक कार, एक रिवॉल्वर, एक मोटी रकम और जाली पासपोर्ट बनाने वाले दरबारीलाल नामक एक आदमी का नागपाड़ा का पता । वह सलाउद्दीन से यह अनुरोध भी करता है कि वह उसके लिए तुकाराम के इरफान अली नाम के एक विश्वासपात्र व्यक्ति को तलाश करके रखे ।
विमल चर्चगेट के करीब स्थित एक यतीमखाने में पहुंचता है जिसे नौशेरवानजी और फिरोजा नामक एक पारसी पति-पत्नी चलाते थे । वहां विमल अपनी आइंदा परोपकारी जिंदगी का पहला कदम उठाता है । वह यतीमखाने को ढंग से चलाने के लिए दो लाख रुपया सालाना देने का वादा करता है और चिराग तले अंधेरा वाली कहावत को सार्थक करने के लिए फिरोजा को अपनी बीवी और यतीमखाने के दो बच्चों को अपने बच्चे बनाकर बड़ोदा से आया पी एन घड़ीवाला एंड फैमिली बनकर ऐन इकबालसिंह की नाक के नीचे होटल सी व्यू में जाकर रहने का प्रोग्राम बनाता है ।
डोंगरे चांदनी से दादर मेन रोड पर स्थित उसके फ्लैट पर मिलता है और अरविंद नायक को खलास कराने में मदद करने की एवज में उसे नोटों से भरा एक मोटा लिफाफा देता है । चांदनी उस पर अपना अंदेशा जाहिर करती है कि कोई उसकी निगाहबीनी करता उसके पीछे लगा हुआ था लेकिन डोंगरे बात को हंसी में उड़ा देता है ।
विमल की इरफान अली से मुलाकात होती है तो उसे मालूम होता है कि उसके पीछे बंबई में क्या-क्या हुआ था । विशिष्ट समाचार ये था कि मुबारक अली पुलिस की गिरफ्त में आ जाने के बावजूद वागले और इरफान अली की मदद से पुलिस हैडक्वार्टर से ऐन पुलिस कमिश्नर की नाक के नीचे से फरार हो गया था । विमल मुबारक अली को तलाश करने का काम इरफान को सौंपता है ।
कोलीवाड़े की एक चाल में विमल काशीबाई के बाप हवलदार केशवराव भौंसले से मिलता है । उसे पहले ही काशीबाई बता चुकी होती है कि उसका बाप पुलिस हैडक्वार्टर के फिंगर-प्रिंट्स डिपार्टमेंट में रिकार्डकीपर की नौकरी करता था । विमल उसे बिना शर्त पचास हजार रुपया देता है और दरख्वास्त के तौर पर कहता है कि वह पुलिस के रिकार्ड में मौजूद उसके फिंगर-प्रिंट्स बदल दे । भौंसले हामी भरता है ।
आधी रात को धारावी के ट्रांजिट कैंप के इलाके में स्थित अजमेर सिंह के ढाबे पर विमल की इरफान से मुलाकात होती है जो कि उसे खबर देता है कि मुबारक अली की कोई खोज-खबर उसे नहीं लग रही थी । उन दोनों की मौजूदगी में ढाबे पर ‘कंपनी’ के सिपहसालार श्याम डोंगरे और उसके बेशुमार प्यादों का हमला होता है जो कि आनन-फानन वहां मौजूद इब्राहिम कालिया के गैंग के कोई डेढ दर्जन आदमियों की लाशें बिछा देते हैं, केवल थिल्लू नाम के एक आदमी को इसलिए जिंदा छोड़ दिया जाता है, ताकि इब्राहिम कालिया को वहां यूं बरपे ‘कंपनी’ के कहर की खबर लग सके और उस तक ‘कंपनी’ के खतरनाक इरादों की वार्निंग पहुंच सके ।
विमल थिल्लू के पीछे लग के पहले कालिया के दाएं हाथ शमशेर भट्टी और फिर कालिया तक पहुंचता है । ग्रांट रोड की बहुमंजिला इमारत के एक फ्लैट में विमल की इब्राहिम कालिया से मुलाकात होती है । विमल उसे अपना परिचय बड़ोदा के घड़ियों के स्मगलर पेस्टनजी नौशेरवानजी घड़ीवाला के रूप में देता है और इकबालसिंह को इसलिए अपना दुश्मन बताता है क्योंकि उसने उसका धंधा चौपट कर दिया था; उसके दो लड़कों को मरवा दिया था, उसकी तेरह साल की लड़की उठवा ली थी और बीवी ‘कंपनी’ के आदमियों की हवस का शिकार होकर मर गई थी । वह कालिया को कहता है कि वह इंतकाम की आग में जल रहा था और इकबालसिंह की लाश गिराने में उसकी मदद चाहता था । कालिया उसे समझाता है कि यूं इकबालसिंह को हिट करना मुमकिन नहीं था लेकिन उसके धंधे को हिट करके भी उसे बखूबी हिट किया जा सकता था । वह विमल को ‘कंपनी’ के एक आलीशान कैसीनो की बाबत बताता है जो कि बंबई के समुद्र से आठ मील दूर स्वैन नैक प्वाइंट नाम के एक टापू पर चलता था जो कि था तो बादशाह अब्दुल मजीद दलवई नामक एक आर्म्स स्मगलर के अधिकार में, लेकिन जो वास्तव में पाकिस्तान की प्रापर्टी था । वह कहता है कि उस टापू की तबाही इकबालसिंह की रीढ की हड्डी तोड़ सकती थी । विमल उस काम के लिए हामी भरता है और अपनी जरूरतें और अपनी फीस कालिया को बताता है ।
अगले रोज विमल भट्टी के साथ टापू का मुआयना करके आता है और फिर भट्टी को बताता है कि उसे टापू और उसके स्टाफ की बाबत क्या-क्या जानकारी चाहिए थी । भट्टी तामाम जानकारी मुहैया कराने का वादा करता है ।
वापसी में विमल जब अपोलो बंदर पायर पर उतरता है तो दो आदमी चुपचाप वो रेलिंग उखाड़ के ले जाते हैं जिसे विमल ने अपने दोनों हाथों से पकड़ा होता है ।
विमल नागपाड़ा में जाली पासपोर्ट बनाने वाले दरबारीलाल के पास पहुंचता है और दो हजार रुपए की एवज में उससे बड़ोदा से जारी हुआ पी एन बड़ीवाला के नाम का अपनी नई सूरत वाला एक ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने का इंतजाम करता है ।
चांदनी टेलीफोन पर फिर डोंगरे पर अपना खौफ जाहिर करती है कि कोई उसके पीछे लगा था और उसे अपनी जान का खतरा था । डोंगरे उसे उसका अगले रोज कोई पुख्ता, सुरक्षित इंतजाम करने का वादा करके उससे पीछा छुड़ाता है ।
विमल भट्टी के साथ टापू पर आक्रमण की योजना डिसकस करता है और कैसीनो का एक चक्कर लगाने की जरूरत जाहिर करता है । वह भट्टी को साथ के लिए एक ऐसी लड़की का इंतजाम करने के लिए कहता है जो खूबसूरत हो, नौवजवान हो और जो गोपनीय तरीके से कैमरे से तस्वीरें खींचने में सक्षम हो ।
उस रात उल्हास सितोले दहशत खाई हुई चांदनी को उसके घर छोड़ने आता है और इमारत के चौकीदार डाकी को हिदायत करके आता है कि वह चांदनी का खास ख्याल रखे । लेकिन डाकी को भट्टी ने फोड़ा हुआ होता है और डाकी की ही मदद से उसी रात वह चांदनी का कत्ल करवाने में कामयाब हो जाता है ।
उसी रात डोंगरे हजारासिंह नाम के डोप पैडलर की मदद से अयूब पहलवान नाम के एक डोप डीलर का उसके घर पर इसलिए कत्ल कर देता है क्योंकि उसने ‘कंपनी’ को छोड़कर इब्राहीम कालिया से माल लेना शुरू कर देने की गुस्ताखी की होती है ।
अगले रोज डोंगरे डाकी को उसकी दगाबाजी की सजा उसकी जान लेकर देता है लेकिन उसे मारने से पहले उससे यह कबुलवा लेता है कि उसने भट्टी के कहने पर ‘कंपनी’ से दगाबाजी की होती है ।
उसी रोज विमल जब केशवराव भौंसले से दोबारा मिलता है तो भौंसले विमल पर ये सनसनीखेज रहस्योद्घाटन करता है कि वह विमल को उसके फिंगर-प्रिंट्रस के जरिए पहचान चुका था लेकिन फिर भी वह न विमल को पकड़वाने की कोशिश करता है और न फिंगर-प्रिंट्स की तब्दीली के काम से इनकार करता है ।
इकबालसिंह अपनी अपेक्षानुसार विमल के चैम्बूर में तुकाराम के घर न पहुंचने पर भुनभुनाता है और फिर डोंगरे को राय देता है कि वह तुकाराम के घर में ऐसी स्थिति पैदा करे कि वागले वहां से खिसकने में कामयाब हो जाए और उस काम को अपनी होशियारी से अंजाम दिया समझे । यूं वह उम्मीद करता कि डोंगरे के प्यादे वागले के पीछे लग के विमल तक पहुंच सकते थे ।
रात को विमल वैभवी नामक एक खूबसूरत लड़की के साथ बादशाह अब्दुल मजीद दलवई के कैसीनो पर तफरीह के लिए पहुंचता है । वहां विमल चोरी-छिपे कैसीनो का और टापू का मुआयना करता है और वैभवी हैंडबैग में छुपाए हुए एक कैमरे की सहायता से हर उस जगह की तस्वीरें खींचती जाती है जिसमें कि विमल दिलचस्पी जाहिर करता है । वहीं विमल का दाढी-मूंछ वाला मेकअप पहचान लिया जाता है और उसे टापू के सिक्योरिटी चीफ अंजुम खान के सामने पेश होना पड़ता है । विमल को अपना मेकअप उसके सामने उतारना पड़ता लेकिन उसकी खुशकिस्मती से ‘कंपनी’ द्वारा सारी बंबई में बांटी जा चुकी उस नए चेहरे की तस्वीरें टापू पर नहीं पहुंची होती इसलिए अंजुम खान उसे केवल राय देकर विदा कर देता है कि भविष्य में टापू पर मेकअप में आने की जरूरत नहीं थी ।
विमल वापिस खुश्की पर पहुंचता है तो वैभवी उसे उसी रात तस्वीरें मुहैया कराने के बहाने मलाड में स्थित एक फ्लैट में ले आती है जो कि वास्तव इब्राहिम कालिया का एक ठीया होता है और जिसकी हकीकत को विमल को पहुंचते ही भांप जाता है । वैभवी वहां उसे शीशे में उतारने की कोशिश करती लेकिन कामयाब नहीं होती । विमल तस्वीरें लिए बिना ही वहां से विदा हो जाता है ।
आधी रात के बाद वागले चैम्बूर में तुकाराम के घर से निकल भागने कामयाब हो जाता है लेकिन यह महसूस किए बिना नहीं रहता है कि वह कुछ ज्यादा ही आसानी से छूट गया था । वास्तव में बड़ी चतुराई से डोंगरे ने उस मत्थे एक ऐसी रिवॉल्वर मढ दी होती है जिसके हत्थे में एक शक्तिशाली ट्रांसमीटर छुपा होता है । उस ट्रांसमीटर से प्राप्त होने वाले सिग्नल के जरिए बाबू कामले और उसके प्यादे बिना वागले की निगाह में आए उसकी निगरानी कर सकते थे । यहां वागले की खुशकिस्मती उसका ये साथ देती है कि चार मवाली उसे पुल पर दबोच लेते हैं और उससे वो ट्रांसमीटर वाली रिवॉल्वर छीन लेते हैं । उन मवालियों के जरिए रिवॉल्वर माटूंगा में डिब्बे के नाम से जाने जाने वाले फैन्स के यहां पहुंच जाती है और वहीं ‘कंपनी’ के आदमी भी पहुंच जाते हैं । ‘कंपनी’ के आदमी वागले को डिब्बे के पास पहुंचा समझकर उसके पीजा पार्लर की निगरानी करते रहते हैं जबकि वागले निर्विघ्न कोलीवाड़े में अपने दोस्त सलाउद्दीन के पास पहुंच जाता है ।
डोंगरे बहुत फूंक ले-लेकर इकबालसिंह को बताता है कि वागले कि निगरानी का उसने कैसा विलायती इंतजाम किया होता है । इकबालसिंह खुश होता और उम्मीद करता है कि विमल वैसे ही अब देर-सवेर माटूंगा में डिब्बे के पीजा पार्लर में पहुंच जाएगा, जैसे पहले बखिया की जिंदगी में विमल भिंडी बाजार अकरम लाटरी वाले की खोली पर पाया गया था ।
विमल को इरफान के माध्यम से पता चलता है कि वागले कोलीवाड़े सलाउद्दीन की शरण में था । विमल वागले से मिलता है और उसे इब्राहीम कालिया से ताजा-ताजा हुए अपने गठजोड़ के बारे में बताता है और फिर उसे मलाड में वैभवी के फ्लैट पर साथ लेकर जाता है जहां उसकी मुलाकात भट्टी से होती है । वहां विमल कैसीनो लूटने की अपनी योजना सविस्तार सुनाता है और भट्टी को एक तिजोरीतोड़ और एक बोटमैन का इंतजार करने को कहता है तिजोरीतोड़ के तौर पर भट्टी इस काम में माहिर डेनियल नाम के एक व्यक्ति का नाम सुझाता है जो कि तत्काल पास हो जाता है । विमल उसे ‘हिट’ में इस्तेमाल होने वाले असले का और एक मोटरबोट का इंतजाम करने का भी आदेश देता है । भट्टी सब कुछ मुहैया कराने का आश्वासन देता है । उस घड़ी भट्टी इरफान को वैभवी पर लार टपकाता देखता है तो वह उसे सुझाता है कि कैसे वह वैभवी के साथ जैकपॉट में एक हसीनतरीन शाम गुजार सकता था तफरीह के उस प्रोग्राम के पीछे भट्टी का मंतव्य उल्हास सितोले को खलास करना होता है और उस काम को इरफान बड़ी चतुराई से, बड़ी नफासत से कर दिखाता है ।
उधर बाबू कामले को आखिरकार पता लग जाता है कि डिब्बे के पीजा पार्लर की निगरानी करते वे मूर्ख बन रहे थे, पिछली रात वास्तव में वहां ट्रांसमीट वाली रिवॉल्वर ही पहुंची थी न कि वागले । वागले का तो पता ही नहीं था कि वो कहां था ।
डोंगरे जब रोती शक्ल लेकर इकबालसिंह को वागले के हाथ से निकल गया होने की खबर सुनता है तो इकबालसिंह उसे खूब खरी-खोटी सुनाता है और बहुत जलील करता है । डोंगरे को इकबालसिंह और गजरे के सामने बुरी तरह अपमानित होना पड़ता है ।
भट्टी जिस बोटमैन का विमल के लिए इंतजाम करता है, उसका नाम ढोलकिया होता है । विमल उससे मिलते ही पहचान जाता है कि वह कोई ताजा-ताजा जेल से छूटा आदमी था और उसे अपने काम के लिए अनुपयुक्त आदमी करार देकर चलता कर देता है । तब वागले बोटमैन की जगह लेने के लिए मुबारक अली का नाम सुझाता है । विमल यह जानकर बहुत खुश होता है कि जिस शख्स की वह और इरफान सारी बंबई में तलाश करते रहे थे, उसका पता वागले जानता था और वह बोटमैन बनने के लिए उसे बुलाकर ला सकता था ।
विमल वागले और इरफान के साथ कमाठीपुरे में एक बाई के कोठे पर पहुंचता है जहां कि काशीबाई का पति मधुकर झेंडे ससुराल से हासिल हुए हरा के पचास हजार रुपयों से ऐश उड़ा रहा होता है । तीनों झेंडे की खूब मरम्मत करते हैं और उसे इतना खौफजदा कर देते हैं कि अगले रोज उसका बाप पूरी रकम केशवराव भौंसले को लौटाकर जाता है और यूं काशीबाई की विपत्ति टलती है । जहां विमल केशवराव भौंसले की पत्नी अनुसूया से ये खबर सुनकर खुश होता है वहां ये जानकर मायूस भी होता है कि भौंसले उस रोज तक भी उसके फिंगर-प्रिंट्स तब्दील नहीं कर पाया होता । वह भौंसले को उसके ऑफिस फोन करता है तो वह वहां भी नहीं मिलता ।
विमल केशवराव भौंसले से कोई गुड न्यूज हासिल होने की प्रतीक्षा में मलाड में वैभवी के फ्लैट में अकेला डेरा जमाए बैठा था जबकि योगेश पांडेय और नरेंद्र यादव नाम के सी बी आई के एंटीटैरेरिस्ट स्कवायड के महकमे के दो उच्चाधिकारी वहां पहुंच जाते हैं जो कि विमल को, उसके पी एन घड़ीवाला के नए बहुरूप के बावजूद, पहचानते होने का दावा करते हैं । वो ये तक जानते होते हैं कि विमल स्वैन नैक प्वाइंट आईलैंड पर स्थित बादशाह अब्दुल हमीद दलवई का कैसीनो लूटने की फिराक में था । विमल उन्हें बहुत बहकाने की कोशिश करता है लेकिन वो टस-से-मस नहीं होते क्योंकि वो विमल के बंबई पुलिस के पास मौजूद उसके फिंगर-प्रिंट्स के रिकार्ड से उसकी पक्की शिनाख्त करके आए होते हैं । फिर वे विमल को ये कहकर और भी चौकाते हैं कि बतौर इश्तिहारी मुजरिम उसकी शिनाख्त के बावजूद वे उसकी नहीं, बादशाह अब्दुल मजीद दलवई की फिराक में थे जो कि उनकी निगाह में विमल के मुकाबले में कहीं ज्यादा बड़ी मछली थी और वो ये चाहते थे कि कैसीनो लूटने के बाद विमल लूट के माल के साथ-साथ बादशाह को भी कब्जा कर लाए और हिंदोस्तान की धरती पर लाकर उसे उन लोगों के हवाले करे । विमल मरता क्या न करता की तरह उस पेशकश को कबूल करने ही वाला होता है कि वहां हवलदार केशवराव भौंसले का फोन आ जाता है जो कि उसे बताता है कि उसने पुलिस रिकार्ड में मौजूद उसकी उंगलियों के निशान तब्दील कर दिए थे । वो खबर सुनकर विमल फिर दिलेर हो जाता है क्योंकि अब उसे सोहल साबित नहीं किया जा सकता है और फिर हर उस बात से मुकर जाता है जिसकी उसने पांडेय और यादव के सामने हामी भरी होती है और उलटा उन्हें धमकाने लगता है कि क्योंकि वो एक शरीफ शहरी को नाहक परेशान कर रहे थे इसलिए वो उनकी शिकायत उनके उच्चाधिकारियों से करेगा । वो दोनों उसकी दीदादिलेरी से आगबबूला होते हुए उसे गिरफ्तार करके पुलिस हैडक्वार्टर ले जाते हैं । जहां कई प्रेस वालों के और स्वयं पुलिस कमिश्नर के सामने सोहल के रिकार्ड में मौजूद फिंगर-प्रिंट्स से - जो कि अब बदले जा चुके होते हैं - विमल के फिंगर-प्रिंट्स की शिनाख्त होती है तो पाया जाता है को वे कतई नहीं मिलते थे । यूं पांडेय की बहुत किरकिरी होती है और विमल को, यानी कि पी एन घड़ीवाला को, बाइज्जत रिहा कर दिया जाता है । विमल वहां से छूटकर कालिया के खार वाले फ्लैट में पहुंचता है ।
यहां तक की कहानी आपने ‘पाप की नगरी’ में पढ़ी अब आगे......
0 Comments