पूर्वाभास

अपनी गर्भवती पत्नी नीलम के साथ विमल के दिल्ली में चार महीने ही गुजरे होते हैं कि एक रोज गोल मार्केट पर स्थित उनके फ्लैट के ऐन ऊपर आठवीं मंजिल के फ्लैट में कुछ गुण्डे स्वर्णलता नामक विधवा औरत के फ्लैट में घुसकर उसके साथ और उसकी सत्रह वर्षीय बेटी राधा के साथ मुंह काला करते हैं और फिर दोनों को मार डालते हैं । राधा की बड़ी बहन सुमन पर उस हादसे का ऐसा गहरा असर पड़ता है कि उसे तत्काल विलिंगडन हस्पताल ले जाया जाना पड़ता है जहां कि नीलम के अनुरोध पर विमल सुमन से मिलता है और उसकी शोचनीय दशा से पिघलकर विमल उन बलात्कारियों को उनकी करतूत की सजा देने का संकल्प करता है । बलात्कारियों की बाबत विमल को मालूम होता है कि वो पांच थे जिनमें से एक कोई लम्बा-पतला स्मैकिया था, एक के दोनों हाथों में छ:-छ: उंगलियां थीं और उनमें से किसी एक गले में ‘अल्लाह’ गुदी चांदी की ताबीज पहनता था ।
फिर विमल तनवीर अहमद नाम के एक गैरकानूनी हथियार बेचने वाले से एफ-14 मॉडल की एक जर्मन रिवाल्वर और उसको छुपाने में काम आने वाला एक लाल रंग का चमड़ा मढा ब्रीफकेस खरीदता है ।
कई रातों की खाक छानने के बाद विमल को मजनू का टीला के एक तिब्बती ढाबे में टूटी ताबीज का मालिक हनीफ नाम का जेबकतरा गोविन्द नाम के अपने दूसरे जेबकतरे दोस्त की संगत में मिलता है । वो दोनों को शूट कर देता है ।
तीसरा बलात्कारी मनसुखलाल उर्फ छंगू होता है जो अपने कालू और जाफर नामक दो साथियों के साथ लोधी गार्डन में सोनिया शर्मा नाम की एक युवती से बलात्कार पर आमादा होता है तो विमल उनके सिर पर पहुंच जाता है और गोलियों से एक सोनिया शर्मा के पांव में लग जाती है जिसकी वजह उसे फौरन हस्पताल पहुंचाया जाता है ।
विमल लोधी गार्डन से निकल रहा होता है तो उसका सामना सब-इंस्पेक्टर अजीत लूथरा से हो जाता है जो कि तफ्तीश के लिये तभी वहां पहुंचा होता है । सन्देह की बिना पर वो विमल की जामा-तलाशी लेता है लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगता ।
अगले रोज सोनिया शर्मा की तसवीर के साथ अखबारों में उसका बयान छपता है जिसमें उसने उस शख्स का हुलिया बयान किया होता है जिसने कि पिछली रात लोधी गार्डन में उसकी इज्जत बचाई थी । विमल के छक्के छूट जाते हैं । वो फौरन हस्पताल पहुंचता है जहां वो सोनिया को सुमन वाले ही वार्डनुमा कमरे में भर्ती पाता है । सोनिया विमल के कहने पर उसकी बाबत अपना बयान बदलने के लिये तैयार हो जाती है । आश्वस्त विमल वहां से लौटा रहा होता है तो तभी पिछली रात वाला सब-इंस्पेक्टर लूथरा वहां पहुंच जाता है ।
फिर लूथरा कनाट प्लेस स्थित गैलेक्सी ट्रेडिंग कारपोरेशन के आफिस में पहुंचता है जहां कि विमल कश्मीरी विस्थापित अरविन्द कौल के नाम से एकाउन्ट आफिसर की नौकरी कर रहा होता है । लूथरा उस पर साफ-साफ इलजाम लगाता है कि बलात्कारियों को शूट करने की दोनों वारदातों के लिये वो जिम्मेदार था और उसी ने सोनिया शर्मा को अपना बयान बदलने के लिये मनाया था । भीतर से बुरी तरह  से आशंकित विमल प्रत्यक्षत: उसे डांटकर भगा देता है ।
लूथरा रावत नामक अपने भरोसे के पुलसिये को विमल के फ्लैट की निगरानी पर लगा देता है । लेकिन विमल को उसकी तत्काल ही खबर लग जाती है ।
मुबारक अली के प्रयत्नों से सुन्दरलाल स्मैकिये के नाम से मशहूर चौथे बलात्कारी का पता लगता है जिसका अड्डा पहाडगंज में स्थित एक पीजा पार्लर बताया जाता है जिसे कि चार्ली नामक एक आदमी चलाता होता है ।
अगले रोज के अखबार में दो चेन स्नैचरों को ओवरकोटधारी व्यक्ति द्वारा शूट कर दिये जाने की खबर छपती है । वारदात में क्योंकि एफ-14 माडल की जर्मन रिवाल्वर इस्तेमाल हुई होती है इसलिये लूथरा उस नयी वारदात के लिये भी विमल पर शक करता है  लेकिन रावत खुद इस बात की तसदीक करता है कि विमल उस वक्त मौकायेवारदात से मीलों दूर उसकी निगाहों के सामने था । लूथरा मायूस तो होता है लेकिन विमल को फांसने की अपनी जिद नहीं छोड़ता । वो चण्डीगढ से विमल और नीलम की बाबत रिपोर्ट मगंवाता है लेकिन वो भी विमल के बयान की तसदीक ही करती है । फिर लूथरा चण्डीगढ पुलिस में अपने एक दोस्त सब-इंस्पेक्टर प्यारासिंह को और बारीकी से विमल की पड़ताल करने को कहता है ।
पांचवां बलात्कारी शफीक खबरी होता है जो अपने साथियों के कत्ल की खबरों से आन्दोलित सुन्दरलाल स्मैकिये के पास पहुंचता है और उसे उसके मामा गुरबख्शलाल की शरण में जाने की राय देता है जो कि दिल्ली अन्डरवर्ल्ड का सुपर बॉस है ।
विमल चार्ली के पीजा पार्लर में चार्ली तक पहुंचता है तो पाता है कि वो और कोई नहीं राजनगर का वही पुराना डोप पैडलर था जिसने जग्गी और पीटर नाम के अपने दो साथियों के साथ नूरपुर समुद्र तट पर विमल पर हमला किया था जिसकी वजह से विमल मरता-मरता बचा था । विमल चार्ली को धमकाता है तो वो कबूल करता है कि उसका वो पार्लर स्मैक का ठीया था जो कि गुरबख्शलाल की प्रोटेक्शन में चलता था और सुन्दरलाल स्मैकिया गुरबख्शलाल का सगा भांजा था । विमल उसे धमकाता है कि अगर शाम तक उसने उसे सुन्दरलाल स्मैकिये का पता न बताया तो खुद उसकी खैर नहीं थी ।
विमल आफिस पहुंचता है तो वहां सब-इंस्पेक्टर लूथरा को पहले से मौजूद पाता है । लूथरा बड़ी चालाकी से अपनी क्रैश हेल्मेट पर विमल की उंगलियों के निशान लेने में कामयाब हो जाता है । वो निशान वो तिवारी नाम के पुलिस के फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट को शिनाख्त के लिये सौंप देता है ।
शाम को विमल चार्ली के पास पहुंचता है तो बड़ी मुश्किल से चार्ली उसे सुन्दरलाल स्मैकिये का पता बताने को तैयार होता है ।
उस रोज आधी रात को राजौरी गार्डन के इलाके में एक वरदात होती है जिसमें एक ओवरकोटधारी एक चलती बस में ऐसे चार आदमियों को शूट कर देता है जो कि बस में सवार एक नई ब्याही दुल्हन की इज्जत लूटने पर आमादा थे । लूथरा उस बारदात का शक भी विमल पर करता है लेकिन जब वो दौड़ा हुआ गोल मार्केट पहुंचता है तो वो विमल को अपने फ्लैट में मौजूद पाता है ।
अगली रात को विमल एक सिख नौजवान का बहुरूप धारण करता है, अपनी बाल्कनी से पाइप के सहारे आठवीं मंजिल पर सुमन के फ्लैट की बाल्कनी में पहुंचता है और यूं रावत की निगाहों में आये बिना आठवीं मंजिल से सीधा ग्राउंड फ्लोर पर जाता है । वो चार्ली के पीजा पार्लर में पहुंचता है जहां सुन्दरलाल स्मैकिया और शफीक खबरी मौजूद होतेहैं और जहां वो तभी चार्ली से पचास-पचास ग्राम की दो पुड़िया हासिल करके हटे होते हैं । विमल उन्हें नोटों की झलक दिखाकर एक अन्धेरी गली में ले आता है जहां कि इससे पहले कि वो दोनों उसे लूट पाते वो उन दोनों को शूट कर देता है । नतीजतन सुन्दरलाल तो वहां मर जाता है लेकिन शफीक खबरी सिर्फ घायल होता है और वहां भाग निकलने में कामयाब हो जाता है ।
वहीं मोहन वाफना नाम का एक फ्रीलांस फोटोग्राफर अपने घर की बाल्कनी से वो तमाम नजारा करता है और एक स्पेशल कैमरे से ऐन वारदात के वक्त की तस्वीरें खींच लेता है ।
लूथरा को कन्ट्रोल रूम से उस वारदात की खबर लगती तो वो जिद का मारा फिर गोल मार्केट विमल की टोह में पहुंच जाता है । अपना बहुरूप सुमन की बाल्कनी में ही फेंककर बड़ी कठिनाई से विमल अपने फ्लैट में पहुंचता है और फ्लैट की निरंतर बजती घंटी के जवाब में उसका मुख्य द्वार खोलता है । विमल को फ्लैट में मौजूद पाकर लूथरा बुरी तरह खिसियाता है लेकिन उसकी पैनी निगाह कुछ ऐसी बातें भी नोट करती है जो उसके सन्देह को बल देती हैं ।
उधर विमल पाइप के सहारे फिर सुमन के फ्लैट की बाल्कनी में पहुंचता है तो यह देखकर सन्न रह जाता है कि अपने बहुरूप का जो साजो-सामान उसने वहां छोड़ा था, वो सबका सब वहां से गायब था ।
उसी रात ग्यारह बजे ओवरकोटधारी की कार्यप्रणाली की छाप लिये एक वारदात इन्डिया गेट पर भी होती है जिसमें दो पुलसिये ही बलात्कार की कोशिश कर रहे होते हैं जबकि उन्हें शूट कर दिया जाता है ।
गुरबख्शलाल को अपने भांजे के कत्ल की खबर अपने लेफ्टीनेंट कुशवाहा से तब लगती है जब वो अपने मिन्टो रोड वाले फ्लैट में अपनी लोटस क्लब की हसीनतरीन बारमेड मोनिका को अपने पहलू में दबोचे सोया पड़ा होता है । वो ए एस आई सहजपाल को उसके घर पर फोन करके कहता है कि जो कोई भी केस की तफ्तीश कर रहा था, वो उसे उसके नाम की खबर करे और अगर कोई आदमी शक के घेरे में हो या कोई गिरफ्तारी हो तो वो उसकी भी खबर उसे करे ।
अगले रोज के अखबार में मोहन वाफना के बयान से साथ विमल के सिख बहुरूप वाली तसवीर छपती है और साथ में ये सम्भावना भी छपती है कि जरूर वो पुलिस से नाउम्मीद हो चुके भुक्तभोगियों की कोई पूरी जमात थी जो वो वारदातें कर रही थी और उनकी पहचान लम्बे ओवरकोट और एफ-14 मार्का दस फायर करने वाली जर्मन रिवाल्वर थी ।
वो बात पढकर विमल को तेलीवाड़े वाले तनवीर अहमद की याद आती है जिसके पास वैसी रिवाल्वरों का जोड़ा था लेकिन जिसमें से विमल ने एक ही खरीदी थी । विमल तनवीर अहमद से मिलता है तो वो वह उसे बताता है कि उसने दूसरी रिकाल्वर पिपलोनिया नाम के किसी आदमी को बेची थी । वो विमल की मोटे तौर पर पिपलोनिया का हुलिया भी बताता है ।
रावत लूथरा को बताता है कि विमल को साफ-साफ खबर लग चुकी थी कि उसकी निगरानी की जा रही थी । नतीजतन लूथरा विमल की निगरानी बन्द करवा देता है । फिर वो फोटोग्राफर मोहन वाफना के पास पहुंचता है और उससे सिख के क्लोजअप के दस गुणा बारह के चार प्रिंट हासिल करता है । उन तसवीरों को लेकर वो योगकुमार नाम के एक आर्टिस्ट के पास पहुंचता है और उससे कहता है कि वो सिख की तस्वीर को यूं रिटच करे कि तसवीर पर से दाढी, चश्मा, पगड़ी हट जाये और आंखों की पुतलियां नीली से काली हो जायें ।
लूथरा वापिस थाने पहुंचता है तो थानाध्यक्ष रतनसिंह उसे बताता है कि उसे शहर में हो रही ओवरकोटधारियों की वारदातों के लिये स्पेशल इनवैस्ट‍िगेटिव आफिसर नियुक्त किया जा रहा था और उसके पास लेखराज मूंदड़ा नामक नोन स्मगलर का जो केस था, वो उससे वापस लेकर सहजपाल को दिया जा रहा था । सहजपाल जो कि चोरी-छिपे वो वार्तालाप सुन रहा होता है, तत्काल लूथरा की नयी नियुक्ति की बाबत गुरबख्शलाल को खबर कर देता है । गुरबख्शलाल बिना अपना नाम बताये फोन पर लूथरा को सुन्दरलाल के कातिल का नाम-पता बताने के बदले में बीस हजार रूपये इनाम की पेशकश करता है ।
लूथरा हस्पताल में शफीक खबरी से मिलता है जिससे उसे मालूम होता है कि उसके पास से बरामद स्मैक उसे चार्ली ने दी थी । नतीजतन वो चार्ली के पीजा पार्लर पर रेड का इन्तजामा करता है ।
चार्ली गुरबख्शलाल के हुजूर में पेश होता है तो बात से साफ मुकर जाता है कि सुन्दरलाल और शफीक को उसने दी थी । वो कातिल सिख की बाबत किसी जानकारी से भी अनभिज्ञता प्रकट करता है । फिर वो गुरबख्शलाल को अपना फैसला सुनाता है कि वो ड्रग्स के धन्धे से हाथ खींच रहा था इसलिये अब उसे गुरबख्शलाल की प्रोटेक्शन की जरूरत नहीं थी ।
गुरबख्शलाल मां-बहन की गालियां देकर उसे वहां से निकालता है ।
विमल विलिंगडन पहुंचता है तो उसे मालूम होता है कि सुमन वर्मा की हस्पताल से छुट्टी हो चुकी थी ।
चार्ली गुरबख्शलाल से मिलकर वापिस लौटता है तो पाता है कि उसके पीजा पार्लर पर रेड पड़ी हुई थी । वो रेड के पीछे गुरबख्शलाल का हाथ समझकर फोन पर उससे गिला करता है तो उसे और गालियां पड़ती हैं और उसे फिर धमकी मिलती है कि अगर उसने अपना सुर न बदला तो उसी रात को इसका अंजाम उसके सामने आ जाने वाला था । अब चार्ली को विमल में ही पनाह दिखाई देती है ।
लूथरा आर्टिस्ट योग कुमार से मिलता है तेा रिटच करके तैयार हुई ‘सिख’ की तसवीर देखकर बहुत मायूस होता है क्योंकि यूं बनी क्लीनशेव्ड सूरत कौल से मिलती कतई नहीं मालूम होती थी । तब आर्टिस्ट उसे सुझाता है कि जिस शख्स पर उसे तसवीर वाला सिख होने का शक था, अगर वो उसे उस शख्स की तसवीर मुहैया करा पाता तो उस पर दाढी, पगड़ी, चश्मा वगैरह बनाने पर अगर वो अखबार में छपी सिख की तसवीर जैसी लगने लगती थी तो यूं भी लूथरा का काम बन सकता था ।
विमल चार्ली के पीजा पार्लर पर पहुंचता है तो चार्ली विमल को गुरबख्शलाल की धमकी की बाबत बताता है और विमल से फरियाद करता है कि वो उसे गुरबख्शलाल के कहर से बचाये । बदले में विमल उससे गुरबख्शलाल के ड्रग्स के और ठीयों की जानकारी मांगता है जो कि चार्ली मरता क्या न करता के अन्दाज से उसे देता है ।
विमल घर पहुंचता है तो वो लूथरा को ड्राइंगरूम में बैठी नीलम के साथ बतियाते पाता है । वो नीलम को ये पट्टी पढा भी चुका होता है कि उसका पति ओवरकोट ब्रिगेड का सक्रिय सदस्य था । अपनी बात को  बल देने के लिये वो कई सबूत पेश करता है जिनमें से एक सबूत यह भी होता है कि विमल के ओवरकोट पर खून की बारीक फुहार पड़ी हो सकती है । विमल ओवरकोट दिखाने से इनकार करता है तो भड़की हुई नीलम लूथरा को खुद ओवरकोट दिखाने की पेशकश करती है । लेकिन ओवरकोट फ्लैट से बरामद नहीं होता ।
ऐन उसी घड़ी ओवरकोट के साथ सुमन वहां पहुंचती है और दावा करती है कि पिछली राल विमल उसके बैडरूम में उसके साथ था और वो ओवरकोट भूल से वहां छोड़ आया था ।
लूथरा यह सुनकर भौचक्का रह जाता है कि एक कुंआरी लड़की एक शादीशुदा मर्द से अपना अफेयर कबूल कर रही थी ।
वो सुमन को उसके बयान से हिलाने की हरचन्द कोशिश करता है लेकिन सुमन टस से मस होकर नहीं देती । लूथरा को पिटा-सा मुह लेकर वहां से लौट जाना पड़ता है ।
बाद में विमल नीलम को बहुत मुश्किल से समझा पाता है कि सुमन ने उसे गिरफ्तारी से बचाने के लिए ये सफेद झूठ बोला था कि उसका विमल से अफयर था । नीलम उसकी बात पर यकीन कर लेती है लेकिन यूं फिर ये भी स्थापित हो जाता है कि विमल के रातों के कारनामों की बाबत लूथरा जो कुछ भी कहकर गया था, ऐन सच कहकर गया था । तब विमल को ये कबूल करना पड़ता है कि उसने सुमन की मां-बहन के बलात्कारियों को खोज-खोजकर मारा था । विमल बड़ी कठिनाई से उसे हालात को जैसे-का-तैसे कबूल कर लेने के लिये राजी करता है ।
नीलम को समझा-बुझा चुकने के बाद विमल ऊपर सुमन के पास पहुंचता है तो उसे मालूम होता है कि सुमन को शुरु से मालूम था कि उसको हासिल हुई हमलावर बांह और कोई नहीं खुद विमल था क्योंकि हस्पताल में उसने विमल का सोनिया से हुआ वार्तालाप साफ-साफ सुना था । तब विमल भी उसे बताता है कि वो नीलम को हकीकत बता चुका था और अब नीलम के मन में सुमन के लिये कोई मैल नहीं था ।
लूथरा शाम को थाने पहुंचता है तो सहजपाल उसे कौल की फाइल का मुआयना करते हुए देखता है जिसे कि वो सहजपाल की आंखों के सामने अपनी मेज की दराज में रखकर और दराज को ताला लगाकर वहां से रुखसत होता है । सहजपाल उसकी गैरहाजिरी में दराज का ताला अपनी चाबी से खोलकर फाइल निकाल लेता है और यूं फाइल पढकर उसे अरविन्द कौल नाम के सफेदपोश बाबू की खबर लगती है जिस पर कि लूथरा को गुरबख्शलाल के स्मैकिये भांजे के कत्ल का शक होता है । सहजपाल फाइल वापिस रख ही रहा होता है कि रावत वहां पहुंच जाता है लेकिन उसकी करतूत रावत की निगाह में आने से बच जाती है, अलबत्ता लूथरा की सीट पर पहुंचा होने के लिए रावत उसे फिर भी टोकता है ।
अपनी नयी जानकारी के साथ सहजपाल खुद लोटस क्लब पहुंचता है जहां कुशवाहा उसे गुरबख्शलाल के हुजूर में तब पेश करता है जबकि उसके पास ढक्कन, लट्टू और जैदी नामक तीन दादा पहले से बैठे होते हैं । सहजपाल गुरबख्शलाल को अ‍रविन्द कौल की बाबत पूरी जानकारी देता है और तब कौल के सिर पर गुरबख्शलाल पचास हजार रुपये के इनाम की घोषणा करता है और ढक्कन, वो काम अपने हाथ में लेता है ।
उसी रात को चर्ली का पीजा पार्लर तबाह करने की नीयत से गुरबख्शलाल के गुण्डे भीमा नाम के एक मवाली की रहनुमाई में वहां पहुंचते हैं लेकिन वहां पहले से मैजूद मुबारक अली और उसके आदमियों के हाथों बुरी तरह से पिटकर वापिस लौटते हैं । गुरबख्शलाल तक वो खबर पहुंचती है तो वो भौचक्का रह जाता है । तब ये फैसला होता है कि पहले पता किया जाये कि वो नये दादा लोग, जो अपने आपको धोबी कहते थे, कौन थे उनकी ताकत कितनी थी और उन्हें किसकी शै हासिल थी ।
लूथरा राशनिंग आफिस के रिकार्ड से विमल की तसवीर निकलवाता है, मोहन वाफना से उसके चार बड़े बड़े एनलार्जमेंट बनवाता है और उन्हें ले जाकर आटिस्ट योगकुमार को सौंप देता है जिसने कि स्टैपवाइज ट्रांसफर्मेशन से उस तसवीर को ‘सिख’ की तसवीर बनाना होता है ।
चार्ली अपने पीजा पार्लर जैसे स्मैक के तीन अड्डे मुबारक अली को बताता है । मुबारक अली अपने आदमियों के साथ तीनों जगह पहुंचता है और उन्हें वो अड्डे चलाये रखने से होने बाले बुरे अंजाम की चेतावनी देता है लेकिन कहीं भी उसकी चतावनी को गम्भीरता से नहीं लिया जाता ।
लूथरा थाने पहुंचता है तो उसे अपने दराज का ताला खुला मिलता है, भीतर कौल वाली फाइल उलटी पड़ी मिलती है और रावत से उसे मालूम होता है कि पिछली रात उसकी गैरहाजिरी में सहजपाल उसकी सीट पर मंडरा रहा था । लूथरा फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट तिवारी के जरिये इस बात की तसदीक करता है कि फाइल पर सहजपाल की उंगलियों के निशान थे ।
ढक्कन अरविन्द कौल की जांच-पड़ताल करता है तो पाता है कि वो ऐन वही था जो कि वो दिखाई देता था ।
शरीफ शहरी ! सफेदपोश बाबू !
ढक्कन को पचास हजार रुपये कमाने का अपना सपना टूटता लगता है लेकिन मोनिका जिस पर कि वो दिलोजान से फिदा होता है, उसे ऐसी पट्टी पढ़ती है कि वो कौल का कत्ल करने का फैसला कर लेता है - भले ही वो सुदंरलाल का कातिल हो ।
अगले रोज गुरबख्शलाल को अपने तीन ठीयों पर धोबियों द्वारा छोड़ी गयी चेतावनी की खबर लगती है । कुशवाहा उसे बताता है कि उनमें दिल्ली का कोई दादा नहीं था ।
फिर ये फैसला होता है कि अगर धोबियों की कोई मुकम्मल जानकारी रखता हो सकता था तो वो चार्ली था । गुरबख्शलाल चार्ली को पकड़ मंगवाने का आदेश जारी करता है । दूसरा आदेश वो उन तीनो ठीयों की प्रोटेक्शन का देता है जिन पर कि धोबियों की धमकी की तलवार लटक रही थी ।
उसी शाम को विमल अपने बॉस शुक्ला के घर क्रिसमिस ईव की पार्टी मनाने पहुंचता है । वहां शुक्ला उसका परिचय अपने दो मित्रों से कराता है जिनमें से एक उसका बचपन का शिवनारायण था और दूसरा पत्रकार जगतनारायण का । वहां सहसा ही ओवरकोट पहनने वाले खबरदार शहरियों को चर्चा शुरू हो जाती है जिसमें शिवनारायण खबरदार शहरियों के कारनामों की बड़ी जोरदार हिमायत करता है । और यूं वहां इस बाबत जोरों से बहस होने लगती है ।
फिर उस लम्बे बहस-मुसाहबे को मेजबान शुक्ला आकर बन्द कराता है और फिर पार्टी आगे चलती है ।
रात दस बजे ‘बीवी बीमार है’ का बहाना लगाकर विमल शुक्ला के घर से रुख्सत होता है । वो नीमअन्धेरे में अपने खाली हाथ अपने ओवरकोट की जेबों में धंसाये किसी वाहन की तलाश में तनहा रास्ते पर चला जा रहा होता है जबकि...
(यहां तक की कहानी आपने ‘जहाज का पंछी’ में पढी ) अब आगे