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मैकिनटॉश का ऑफिस शहर के मुख्य बाजार में था। मेरे लिये यह एक बहुत ही अप्रत्याशित-सी बात थी। मुझे उसका दफ्तर खोजने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा था। क्योंकि उसका ऑफिस ‘हालबोर्न स्ट्रीट’ और फ्लीट स्ट्रीट की भूलभूलैयां में बोसीदा-सी इमारत के चौथे खंड पर स्थित था।
जोहन्सबर्ग जैसे छोटे शहर में रहने वाले मेरे लिये लन्दन की यह भूलभुलैयां ऐसी थीं मानो खरगोशों का बाड़ा।
इमारत के मुख्य दरवाजे पर मैकिनटॉश के ऑफिस का नाम पट्ट लगा हुआ था‒“ऐंग्लो-स्कौटिश होल्डिंग लिमिटेड।”
इमारत में कोई लिफ्ट नहीं थी अतः मैं सीढ़ियां तय करता हुआ चौथी मंजिल पर पहुंच गया। ऐंग्लोस्कोटिया होल्डिंग लिमिटेड का दफ्तर गलियारे के एक नुक्कड़ पर था। दफ्तर के बाहर दरवाजे पर एक साधारण-सा पर्दा लटक रहा था। मैंने पर्दा सरकाया और दफ्तर के अन्दर प्रविष्ट हो गया। मेरी दृष्टि डेस्क के पीछे बैठी एक खूबसूरत स्त्री पर पड़ी जो चाय की चुस्कियां भर रही थी।
मैं डेस्क के नजदीक पहुंचा‒“मेरा नाम रिमर्डन है”‒मैंने अपना परिचय देते हुए कहा‒“मैं मि. मैकिनटॉश से मिलने आया हूं।”
“वह आप ही के इन्तजार में बैठे हैं मि. रियर्डन‒तशरीफ रखिये।” यह कहकर वह अपनी कुर्सी से उठी, धीरे से भीतरी कमरे का दरवाजा खोला, बन्द किया और मेरी आंखों से ओझल हो गई। मुझे उसकी टांगें बहुत अच्छी लगी थीं‒वह लम्बी गुडाकार की थीं। मैं कल्पना करने लगा‒यदि टांगें ही इतनी शानदार हैं तो इसकी रातें तो ईश्वर ही जाने कैसी होंगी। मैंने सिर झटककर अपना ध्यान इस ओर से हटाया और कमरे की समीक्षा करने लगा। कमरे का रंगरोगन उतरा हुआ था किन्तु कमरा साफ सुथरा था। दीवारों पर नाना प्रकार के चित्र टंगे हुए थे।
तभी भीतरी कमरे का दरवाजा खुला, और वह स्त्री बाहरी कमरे में वापिस आ गई।
“अन्दर तशरीफ ले जाइये मि. रियर्डन।” वह कोमल स्वर में बोली।
मैं अपनी कुर्सी से उठा और उस स्त्री की ओर एक उचटती सी निगाह डालता हुआ भीतरी कमरे में प्रवेश कर गया।
“तो तुम पहुंच ही गये”‒मैंकिनटॉश ने मेरा स्वागत करते हुए पूछा‒“फ्लाइट कैसी रही?”
“ठीक ही थी।”
“बैठो” मैकिनटॉश ने सामने कुर्सी की ओर इशारा करते हुए कहा‒“चाय चलेगी?”
“जरूर।”
मैकिनटॉश अपनी जगह से उठा और उसने दरवाजे के पास पहुंचकर उसे थोड़ा-सा खोल दिया‒
“मिसेज स्मिथ‒जरा चाय का प्रबंध कर दो।” कहकर मैकिनटॉश ने धीरे से दरवाजा पुनः बंद कर दिया और वापिस अपनी सीट पर आकर बैठ गया।
मैंने संदेह भरी दृष्टि से दरवाजे की ओर देखा और मैकिनटॉश से पूछा‒“क्या इसे मालूम है सब कुछ?”
“हां” मैकिनटॉश बोला‒“यह एक कुशल सैक्रेटरी है और सच बात यह है कि इसके बिना मेरी गाड़ी चल ही नहीं सकती।”
“यह स्मिथ तो बड़ा सामान्य-सा पारिवारिक गोत्र है। यह इसका वाकई कुछ गोत्र है अथवा यूं ही....।”
“नहीं‒यूं ही नहीं‒यह वास्तव में ही उसका पारिवारिक गोत्र है।” मैकिनटॉश ने मेरे सूट की ओर देखते हुए कहा‒यह यहां की सर्दी के लिये बहुत हल्का है। कहीं ऐसा न हो कि इस हल्के सूट में तुम सर्दी खा जाओ और तुम्हें निमोनिया हो जाये।”
“तो फिर नया सिलवा दो।”
“वह तो करना ही पड़ेगा‒मैं तुम्हें एक टेलर का नाम व पता दिये देता हूं‒तुम उसके पास चले जाना वह कुछ मंहगा तो अवश्य है परन्तु...।” मैकिनटॉश ने अपनी बात अधूरी ही छोड़ दी और मेज की दराज खोलकर उसमें से पांच-पांच के नोटों की एक गड्डी निकाली, दो सौ पाउंड गिनकर मेरे हाथ में थमाते हुए बोला‒“इतने में तुम्हारा एक बढ़िया-सा टूट सिल जायेगा।”
“क्या बात है‒आज तो तुम बहुत ही उदार लग रहे हो।” मैंने मुस्कराकर नोटों को थामते हुए पूछा।
“नहीं‒ऐसी तो कोई बात नहीं है। यह सब तो खर्चे में चला जायेगा‒और अब तो तुम्हारी मुट्ठियां गर्म होने जा रही हैं। खैर छोड़ो‒अब तुम जोहन्सबर्ग के बारे में बताओ‒वहां का क्या हाल है?”
मैंने उसे जोहन्सबर्ग के बारे में बताया कि गत महीनों में वहां क्या-क्या घटनायें घटी थीं।
तभी मिसेज स्मिथ चाय की ट्रे उठाये कमरे में दाखिल हुई। उसने बड़े करीने से चाय मेज पर सजा दी।
“मिसेज स्मिथ”‒मैकिनटॉश ने कहा‒“जहां तुमने इतना कष्ट किया है थोड़ा और भी कर दो। कृपया चाय सर्व और कर दो।”
मिसेज स्मिथ चाय बनाने में व्यस्त हो गई और मैं उसे देखने में। किन्तु मिसेज स्मिथ ने इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया। एक बार उसने मेरी ओर देखा तो मैंने उसे आंख मार दी। परन्तु मिसेज स्मिथ ने तत्क्षण अपनी निगाहें दूसरी ओर कर लीं। वह चाय का एक प्याला मेरी ओर बढ़ाते हुए बोली‒“चीनी अपनी आवश्यकता अनुसार डाल लीजिये।”
मैकिनटॉश ने चाय की चुस्कियां भरते हुए मुझसे पूछा‒“तुम्हें पता है कि लन्दन विश्व का सबसे बड़ा हीरों का व्यापारिक केन्द्र है।”
“मेरे विचार से तो‒एम्सटरडम हीरों का सबसे बड़ा व्यापारिक केन्द्र है।” मैंने चाय की चुस्की भरते हुए उसकी बात का जवाब दिया।
“कुछ हद तक तुम्हारा कहना ठीक है‒परन्तु वहां पर हीरों को काटकर उन्हें तराशकर उनको आकार दिया जाता है। बाकी समस्त व्यापार यानी तराशे हुए हीरों की खरीद फरोख्त से लेकर हीरे जटित जेवरों का व्यापार सब लन्दन में ही होता है। पिछले सप्ताह मैं एक ऐसी जगह पर गया था जहां पर हीरों के छोटे-छोटे पैकेट्स यूं बिकते हैं‒जैसे एक मार्निंग स्टोर में मक्खन की टिक्कियां।”
“तो वहां पर सुरक्षा के उपाय तो बहुत कड़े होते होंगे।”
“कड़े‒वहां पर तिजोरियों के दरवाजे ऐसे-ऐसे संवदेन-शील इलैक्ट्रोनिकी यंत्रों से सज्जित हैं कि आंख झपकने में जरा-सा भी अन्तर पड़ तो फौरन पुलिस को पता चल जाता है।”
मैंने चाय की अन्तिम चुस्की भरी और प्याला मेज पर रखते हुए कहा‒“मुझे तिजोरियां तोड़ने का कोई अनुभव नहीं है। ऐसा काम तो कोई तिजोरी तोड़ ही कर सकता है। इसके अतिरिक्त ऐसा काम अकेले आदमी के बस का नहीं है।”
“तुम घबरा क्यों रहे हो‒धीरज रक्खो।” मैकिनटॉश ने मुझसे कहा‒“मुझे हीरों का विचार यूं आया था क्योंकि मैं दक्षिण अफ्रीका में रह चुका हूं। और तुम जानते हो कि वहां किसी समुद्र तट पर कहीं भी रेत में हाथ डाला‒हीरा तुम्हारे हाथ लगेगा। हीरा एक सर्वगुण सम्पन्न वस्तु है‒आकार के लिहाजे से बहुत छोटे होते हैं और इन्हें बड़ी आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। और इनमें सबसे बड़ी विशेषता ये है कि ये हाथों हाथ बिक जाते हैं। तुमने “अन्तर्राष्ट्रीय डायमंड गैंग” का नाम तो सुना ही होगा।”
“मैं इस बारे में कुछ भी नहीं जानता‒यह मेरी लाइन ही नहीं है।”
“यह तो और भी अच्छा है। इसीलिये तो मैंने अपनी योजना को कार्यान्वित करने के लिये तुम्हारा चयन किया है। तुम हमेशा बवंडरों से दूर रहे हो। तुम ही बताओ तुम्हें कितनी बार जेल हुई है?”
“सिर्फ एक बार‒अठारह महीने के लिये। और इस बात को भी अब काफी समय गुजर चुका है।”
“और तुमने कितने हाथ मारे हैं?”
“मैंने कभी गिनती नहीं की।”
“तुम एक बहुत ही चतुर चोर हो रियर्डन, कि हमेशा पुलिस के जाल से बचे रहते हो। इसका कारण जानते हो?”
“मैंने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया।”
“मैं बताता हूं इसका कारण तुमको‒पुलिस के जाल से तुम्हारे बच निकलने का मुख्य कारण ये है कि तुम हमेशा अपनी कार्यप्रणाली बदलते रहते हो। तुम्हारे ऐसा करने से कोई ऐसा संकेत नहीं छूटता कि जिसको कम्प्यूटर में भरकर डकैतों के साथ तुम्हारा सम्बन्ध जोड़ा जा सके। तुम्हारी इसी विशेषता के कारण ही मैंने तुम्हारा चयन किया है। और इस बारे में मिसेज स्मिथ मुझसे शत-प्रतिशत सहमत हैं।”
“तुम पूरी बात बताओ।” मैंने चौकस होते हुए कहा।
“ब्रिटिश जी. पी. ओ. एक अद्भुत संस्था है। बहुतों के विचार में तो हमारी डाक प्रणाली संसार में सर्वोत्तम है। जब कि कुछ लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं, अलबत्ता जहां तक बीमा कंपनियों का सम्बन्ध है वे हमारे जी. पी. ओ. को एक आदरणीय दृष्टि से देखते हैं। तुम शायद यह सोचो कि हमारी योजना में ये जी. पी. ओ. कहां से टपक पड़ा। इसका तुम्हें अभी पता चल जायेगा। फिलहाल तुम मुझे ये बात बताओ कि एक हीरे की विशेषता क्या होती है।”
“उसकी चमक।”
“एक परिष्कृत हीरा कभी भी नहीं चमकता। वह तो ऐसा मालूम होता है जैसे एक कांच का टुकड़ा हो। जरा ध्यान से सोचो।”
“वह बहुत सख्त होता है।”
“तुम ध्यान से नहीं सोच रहे हो।” मैकिनटॉश ने अधीरता से कहा‒फिर उसने मिसेज स्मिथ की ओर देखकर कहा‒“अब तुम्हीं इसे समझाओ।”
“हीरे की प्रमुख विशेषता उसका आकार होती है।” मिसेज स्मिथ ने शान्त स्वर में मुझे समझाते हुए कहा।
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मैकिनटॉश अपने हाथ को मुट्ठी में बांधकर मेरे नाक के पास लाते हुये बोला, “तुम एक मुट्ठी में दौलत समेट सकते हो‒और किसी को भनक तक न मिलेगी। अब तुम मुझे यह बताओ कि यदि एक दियासलाई की डिबिया में एक लाख पाउंड मूल्य के हीरे डालकर डिबिया तुम्हें दे दी जाये, तो तुम्हारे पास क्या होगा?”
“मेरे पास एक लाख पाउंड के हीरे होंगे और क्या होना है।”
“तुम अक्ल से काम क्यों नहीं लेते, रिअरर्डन।” मैकिनटॉश ने झल्लाते हुये कहा।
“तो तुम ही बता दो कि मेरे पास क्या होगा।”
“तुम्हारे पास एक पार्सल होगा, रिअर्डन‒एक छोटा-सा पैकट जिस पर खाकी कागज लपेटकर, पता लिखकर, टिकट लगाकर, लैटरबक्स में डाला जा सकता है।”
मैं अचरज से मैकिनटॉश की ओर देखने लगा‒“तुम्हारे कहने का आशय है कि हीरे डाक द्वारा भेजे जाते हैं!”
“क्यों नहीं? हमारी डाक प्रणाली बहुत ही कुशल है‒बहुत कम ही ऐसा होता है कि कोई पार्सल गुम हो जाए। अतः कोई भी बीमा कंपनी किसी भी पार्सल का तुरन्त बीमा करने को राजी हो जाती है क्योंकि उनका जोखिम न होने के बराबर है। तुम आंकड़े देख सकते हो। एक बार पार्सल लैटर-बाक्स में पड़ जाये, तो यदि ऊपर वाला भी उसका पता लगाना चाहे, तो नहीं लगा सकता। क्योंकि लैटरबाक्स में पड़ने के पश्चात् वह पार्सल लाखों करोड़ों पार्सलों के समुद्र में गुम हो जायेगा। फिर उसका पता तब चलेगा, जब वह अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जायेगा।”
“तुम्हारी बात तो तर्कसंगत प्रतीत होती है।” मैंने मैकिनटॉश से कहा।
“प्रतीत होती है‒सर्वथा तर्कसंगत है। मिसेज स्मिथ ने इस विषय पर अनुसंधान किया है। यह बहुत ही समझदार स्त्री है। आगे तुम्हें यह खुद ही बतायेगी।”
मिसेज स्मिथ शांत स्वर में मुझे ब्यौरा बताने लगी।
“मिस्टर रिअडन, पार्सल नाना प्रकार के पैकटों में भेजे जाते हैं‒दियासलाई की डिबियों से लेकर चाय के डिब्बों तक में हीरों की तिजारत करने वालों के हर एक के अपने अपने अड्डे हैं। जहां पर वे डाक द्वारा पार्सल भेजते हैं। उनके पार्सल प्राप्त कर लिये जाते हैं, किन्तु पाने वाला उनको अमानत समझता है। और न ही उसे ज्ञात होता है कि पार्सल में क्या है। जिसके लिये वह पार्सल होता है वह अपने आप उस पते पर पहुंच कर अपना पार्सल ले लेता है।”
“हीरों के पार्सल भेजने में सबसे महत्वपूर्ण चीज गंतव्य स्थान की गुमनामी होती है। पार्सलों को ऐसे लोगों के पतों पर भेजा जाता है जिनका हीरा उद्योग से कोई संबंध नहीं होता। तथा पार्सल भेजने वाले इस चीज में बहुत एहतियात बरतते हैं कि एक ही पते पर दोबारा पार्सल न भेजा जाये।”
“यह है तो बहुत ही दिलचस्प।” मैंने कहा, “पर पार्सल पर हाथ कैसे डाला जा सकता है?”
मैकिनटॉश मुझे समझाता हुआ बोला, “एक राह चलता डाकिया हर रोज देखने में आता है। उसके पास दरजनों ऐसे पार्सल होते हैं जिनमें लाखों का माल होता है। और मजे की बात यह है कि वह इस वास्तविकता से सर्वथा अनभिज्ञ होता है। तथा न ही देखने वाला यह अनुमान लगा सकता है कि इन पार्सलों में क्या है। उधर पार्सल पाने वाला उत्कंठा से डाकिये की बाट जोह रहा होता है कि न जाने डाकिया कब पहुंच जाये। इस दौरान हाथ डाला जा सकता है।”
“यह तो समझ में आ गई।” मैंने मैकिनटॉश से कहा, “पर यह कैसे पता चलेगा कि कौन से पार्सल में हीरे हैं?”
“मैं तुम्हें समझाता हूं।” मैकिनटॉश ने उत्तर देते हुये मुझसे पूछा, “तुमने फोटोग्राफी की है?”
“हां।”
“ब्लैक एण्ड ह्वाईट या कलर?”
“दोनों।”
“जब तुम कोई कलर फिल्म के चित्र उभारने के लिये फोटो लैब में देते हो, तो वापसी में तुम्हें क्या मिलता है?”
“फिल्म से उभरे हुये चित्र मिलते हैं।”
“और क्या मिलता है?”
“कुछ भी नहीं।”
रिअडन ने एक दीर्घ श्वास छोड़ते हुये कहा, “एक डिबिया भी मिलती है। फोटो लैब वाले वे चित्र एक डिबिया में डालकर देते हैं, और वह हमेशा पीले रंग की ‘कोडक फिल्म’ की डिबिया होती है। अगर किसी के हाथ में वह डिबिया हो, तो तुम देखते ही यह कहोगे कि इस डिबिया में किसी कलर फिल्म के चित्र हैं।”
मैं एकाग्रचित्त होकर मैकिनटॉश की बातें सुनने लगा।
“अब मैं तुम्हें पूरी बात बताता हूं‒मुझे पता चला है कि कोडक की पीली डिबिया में हीरों का पार्सल भेजा जाने वाला है। उस डिबिया में डेढ़ लाख पाऊंड के हीरे हैं। जिस एड्रेस पर यह पार्सल पहुंचना है, वह भी मुझे मालूम है। तुम्हें उस पते पर पहुंचकर डाकिये की प्रतीक्षा करनी होगी। ज्यों ही डाकिया वह डिबिया लेकर उस पते पर पहुंचे, तुम्हें वह डिबिया अपने अधिकार में करनी होगी।”
“तुम्हें यह सब कहां से मालूम हुआ?” मैंने जिज्ञासा से मैकिनटॉश से पूछा।
“यह सब काम मिसेज स्मिथ ने किया है। इस योजना का सूत्रपात मिसेज स्मिथ के मस्तिष्क में हुआ था। तत्पश्चात इसने इस पर अनुसंधान किया था कि इस योजना को किस भांति कार्यन्वित किया जा सकता है। मिसेज स्मिथ ने किस तरह से अनुसंधान किया, उससे तुम्हारा कोई संबंध नहीं।”
मैं जिज्ञासा से मिसेज स्मिथ के चेहरे की ओर देखने लगा। उसकी आंखों में एक अजीब सी दृश्य थी; और होंठों पर ऐसी उपहासजनक मुस्कान थी, माना यह संदेश दे रही हो‒तुम बेचारे मर्द लोग।
“देखिये मिस्टर रिरडन, बल प्रयोग जितना ही कम हो उतना ही अच्छा।”
“मिसेज स्मिथ बिलकुल ठीक कहती है।” मैं तो खुद ही बल प्रयोग या हिंसा में विश्वास नहीं रखता‒व्यर्थ में खंडर खड़े हो जाते हैं‒और बिजनेस पर बहुत बुरा असर पड़ता है।” मेकिनटॉश ने मिसेज स्मिथ की हां में हां मिलाते हुये कहा।
“वह तो तुम्हारा कहना ठीक है‒किन्तु डाकिया अपने आपसे तो वह पार्सल मुझे देने से रहा। मुझे वह पार्सल उससे छीनना पड़ेगा, और छीनने में बल का प्रयोग तो करना ही पड़ेगा।”
मैक्रिनटॉश ने मुस्कराते हुये कहा, “यदि तुम पकड़े गये, तो हिंसा और डकैती करने के आरोप में कम से कम दस साल के लिये अन्दर कर दिये जाओगे।”
“वह तो है ही।”
“पर ऐसी नौबत ही नहीं आयेगी। हम अपना कार्यवाई इस तरीके से करेंगे‒मैं तुम्हारे पीछे-पीछे होऊंगा। तुम्हारा काम पूरा होने के तीन घंटे के अन्दर-अन्दर वे हीरे इंग्लैंड से बाहर पहुंच चुके होंगे। तुम्हारा हिस्सा तुम्हें कैसे मिलेगा, इस बारे में मिसेज स्मिथ तुम्हें समझा देती हैं।”
मिसेज स्मिथ ने अपने फोल्डर से एक फार्म निकाला और उसे मेरे सामने रखकर मुझे समझाने लगी।
“यह ज्यूरिच में एक बैंक का ‘नंबर अकाऊंट ’ है। तुम्हारा नंबर बहुत ही जटिल है। तुम इसे ध्यान से याद कर लो, या कहीं नोट कर लो। चैक में हस्ताक्षर करने की जगह पर तुम यह नंबर लिख देना। बैंक पचास हजार पाऊंड तक की राशि तुम्हारे खाते में जमा कर देगा या तुम्हें नगद दे देगा।”
“पचास हजार पाऊंड‒यानी डेढ़ लाख के माल में एक तिहाई मुझे मिलेगा, और दो तिहाई तुम लोगे। यह तो अन्याय है।”
“अन्याय कैसा?” मिसेज स्मिथ ठंडे स्वर में बोली, “योजना मैंने बनाई थी‒तुमने नहीं। हम तीन हैं और डेढ़ लाख का तीसरा भाग पचास हजार होता है।”
“तुम दोनों यदि दो तिहाई से रहे हो, तो चलो फिर मुझे बढ़िया सा लंच खिलाओ।”
“बिलकुल नहीं।” मेकिनटॉश ने कहा, “हम तीनों का इकट्ठे देखा जाना हमारे लिये उचित नहीं होगा। जब यह काम संपन्न हो जायेगा, तो फिर हम तीनों इकट्ठे बढ़िया से होटल में डिनर करेंगे।” यह कहकर मेकिनटॉश कागज पर कुछ लिखने लगा।
“यह रहा वह एड्रेस‒जहां से तुम्हें वह डिबिया उड़ानी है। और यह रहा उस दर्जी का नाम व पता, जहां पर तुम्हें अपना सूट सिलवाना है।”
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मेकिनटॉश के दफ्तर से नीचे आकर सबसे पहले मैंने वही फ्लीट स्ट्रीट पर एक रेस्तरां में लंच किया। तत्पश्चात मैं वह एड्रेस ढूंढ़ने चल पड़ा, जो मुझे मेकिनटॉश ने दिया था। फ्लीट स्ट्रीट ऐसी भूल भुलैया है कि जहां से चलो, आदमी घूम फिर कर फिर वहीं का वहीं पहुंच जाता है। कोई एक घंटे की दौड़ धूप के पश्चात मैं लैदर लेर में पहुंच गया जहां का पता मेकिनटॉश ने मुझे दिया था। यह एक इमारत की दूसरी मंजिल पर स्थित था। मैं लिफ्ट द्वारा तीसरी मंजिल पर पहुंचा और सीढ़ियां उतर कर दूसरी मंजिल पहुंचा। यहां पर उस एड्रेस का बोर्ड लगा था‒‘बेटसी लो ड्रैस मैन्यूफैकचरिंग कंपनी।’ मैं अन्दर दाखिल नहीं हुआ, और वहीं बाहर दूसरी मंजिल के प्रवेश मार्ग का अध्ययन करने लगा। प्रवेश मार्ग एक हद तक मेरे मतलब के थे। मैं मन ही मन में सोचने लगा कि अपनी कार्यवाई निश्चित करने से पहले मुझे डाकिये की क्रिया को देखना चाहिये कि वह कैसे ऊपर आता है, कहां रुकता है, किस प्रकार से डाक एवं पार्सल बांटता है, और कैसे वापस लौटता है। यह अवलोकन करना मेरे लिये बहुत जरूरी थी। सो मैं कुछ देर तक वहीं रुका रहा और उस जगह का अध्ययन करता रहा। तत्पश्चात मैं नीचे आया, और एक टेलीफोन बूथ में बन्द होकर मेकिनटॉश का नंबर डायल किया। आधी घंटी भी नहीं बज पाई थी कि दूसरी ओर रिसीवर उठा लिया गया।
“मैं रियरडन बोल रहा हूं।”
“मैं आपको मिस्टर मैकिनटॉश से मिलाये देती हूं।”
“जरा रुको।” मैंने कहा, “पहले तुम मुझे यह बताओ कि तुम किस प्रकार की स्मिथ हो?”
“तुम्हारा मतलब?”
“मेरा मतलब है कि स्मिथ तो तुम्हारे पति का कुलगोत्र है‒आखिर तुम्हारा भी कोई नाम तो होगा, या तुम गुमनाम हो?”
तनिक संकोच के पश्चात मिसेज स्मिथ ने कहा, “तुम मुझे ल्यूसी के नाम से पुकार सकते हो।”
“मुझे तो यकीन नहीं होता कि तुम्हारा वाकई ल्यूसी है।”
“बेहतर यही है कि यकीन कर लो।”
“क्या ये मिस्टर स्मिथ अस्तित्व भी रखते हैं, या...?”
“तुम्हारा इससे कोई संबंध नहीं। मैं मिस्टर मेकिनटॉश को फोन दे रही हूं।”
तभी फोन पर एक क्लिक सी हुई, और दूसरी ओर से मेकिनटॉश की आवाज सुनाई दी‒
“हां बोलो।”
“मैं इस बारे में और विचार विमर्श करना चाहता हूं।”
“तुमने सब देख भाल लिया है न?”
“हां।”
“तो आज ही के समय कल यहां आ जाना।”
“ऑलराईट।” कहकर मैं फोन बन्द करना ही चाहता था कि मेकिनटॉश की आवाज सुनाई दी, “जरा यह बताओ कि तुम उस दर्जी के पास भी गए हो या नहीं?”
“अभी तक तो नहीं गया।”
“तुम देर मत करो। वह तुम्हारा नाप लेगा, तीन ट्राई देगा, तब कहीं जाकर तुम्हारा सूट तैयार होगा। तुम तुरन्त उसके पास जाओ।”
“अच्छा।” कहकर मैंने फोन बन्द कर दिया।
तत्पश्चात मैं दर्जी की दुकान की ओर रवाना हो गया। रास्ते में मुझे रेडीमेड गारमेन्टस की एक बढ़िया सी दुकान दिखाई दी। मैं दुकान के अन्दर प्रविष्ट हो गया। वहां से मैंने एक पलटावी ओवरकोट एवं पी केप खरीदे और वापस चला आया। मैं दर्जी की दुकान पर गया ही नहीं।
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“तुम्हारे विचार में यह कार्य पूरा हो सकता है अथवा नहीं?” मेकिनटॉश ने मुझसे पूछा।
“वह तो हो जायेगा। किन्तु मैं इस काम के बारे में और जानना चाहता हूं।”
“क्या जानना चाहते हो?”
“सबसे पहले तो यह कि यह काम कब से आरंभ करना होगा?”
“परसों से।”
“हे ईश्वर! यह तो बहुत कम समय है।”
मेकिनटॉश ने मुंह बन्द करके हंसते हुये कहा, “तुम्हारे इंग्लैंड आने के एक सप्ताह के अन्दर-अन्दर यह पूरा काम संपन्न होना है।” तब वह मिसेज स्मिथ को आंख मारते हुये बोला, “हर कोई एक सप्ताह में पचास हजार पाऊंड नहीं बना सकता। इस काम में मुश्किल ही क्या है?”
“मुझे तो पचास हजार पाऊंड बनाने के लिये मेहनत करनी पड़ेगी। तुम दोनों को तो बैठे बिठाये अपना हिस्सा मिलेगा। तुम्हें तो उंगली भी नहीं हिलानी पड़ेगी। तुम्हें क्यों मुश्किल लगने लगा।”
“मेरा काम है योजना बनाना‒अगर मैं योजना ही न बनाऊं, तो तुम्हारी मेहनत क्या करेगी।”
“खैर, जो भी है,” मैंने कहा,“यदि यह काम परसों करना है, तो इसका आशय है कि आज का शेष दिन और कल का सारा दिन मुझे डाकिये की नकली हरकत का अध्ययन करना पड़ेगा कि वह कैसे ऊपर आता है, कैसे डाक एवं पार्सल वितरित करता है आदि-आदि। तुम मुझे यह बताओ कि यहां पर डाक कितनी बार तकसीम होती है?”
“दिन में दो बार।”
“मेरी बात यह कि तुम्हारे पास कोई ऐसा व्यक्ति है जो मेरी बजाये उस जगह का अध्ययन करके मुझे बता सके। मैं वहां लैदर लैग में ज्यादा समय व्यतीत नहीं करना चाहता‒कहीं ऐसा न हो कि आवारगी के आरोप में धर लिया जाऊं‒इससे सारा मामला खटाई में पड़ जायेगा।”
“तुम्हें उस जगह का अध्ययन करने की कोई आवश्यकता नहीं।” मिोज स्मिथ ने मुझे संबोधित करते हुये कहा, “मेरे पास वहां का पूरा ब्यौरा मौजूद है।” कहकर मिसेज स्मिथ ने यहां का पूरा नक्शा मेरे सामने मेज पर फैला दिया।
“तुम्हारे सौभाग्य की बात यह है कि इस बिल्डिंग में कोई भी लैटर बक्स नहीं है। डाकिये को दर-दर जाकर डाक या पार्सल बांटने पड़ते हैं।” मेकिनटॉश ने अपनी तर्जनी उंगली जोर से मेज पर ठोंकते हुए कहा, उस समय जब डाकिया बेटसी लो ड्रेस मैन्यूफैकचरिंग कंपनी की डाक बांटने वाला होगा, तुम्हें यह देखना होगा कि उसके पास पीले रंग की कोडक फिल्म वाली डिबिया है या नहीं। यदि उसके पास न हो, तो तुम उसके सामने ही मत आना और अगली डाक की प्रतीक्षा करना।”
“इस प्रतीक्षा से ही तो मुझे भय हो रहा है। अगर तनिक सी भी चूक हो गई, तो लेने के देने पड़ जायेंगे।”
“वह क्यों?” मेकिनटॉश ने सपाट लहजे में कहा, “तुम्हें बाहर खड़े होकर इंतिजार करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। मैंने बेटसी लो ड्रेस मैन्यूफैकचरिंग कंपनी से दो दरवाजे छोड़कर एक ऑफिस किराये पर ले रखा है। वहां पर हर सुविधा उपलब्ध है चाय, कॉफी, स्नैक्स‒यहां तक व्हिस्की का भी प्रबंध है। जब तक काम संपन्न न हो तुम वहीं पर डाकिये की प्रतीक्षा करना।” यह कहने के साथ उसने वहां की चाबी मेरे सामने फेंक दी।
“उस ऑफिस का नाम क्या है?”
“किडिडकर टॉइज!” मेकिनटॉश की बजाए मिसेज स्मिथ उत्तर देते हुए बोली‒“वह बिलकुल असली कंपनी है।”
बाकी का समूचा दिन हम अपनी इस योजना की नोंक पलक संवारते रहे। मिसेज स्मिथ बराबर बात चीत में भाग लेती रही थी। इस दौरान मैंने यह अनुभव किया कि वह बहुत ही बुद्धिमान है किन्तु इसके बावजूद उसमें जरा भी अकड़ नहीं। जब हम अपना काम समाप्त कर चुके तो मैंने एक बार फिर कोशिश सी करते हुये मिसेज स्मिथ से कहा, “अब तो अपना असली नाम बता दो।”
“तुम्हारा इससे कोई मतलब नहीं। मैंने जितना बताना था, उतना बता दिया।”
तभी मेकिनटॉश ने मुझसे कहा, “अब तुम यहां से चलते बनो।”
मैं यहां से फिर्डिडकर टॉइज के दफ्तर चला आया। जैसा कि मेकिनटॉश ने मुझे बताया था किडिडकर टॉइज का ऑफिस वेटसी लो ड्रेस मैन्यूफकचरिंग कंपनी से ऐन दो दरवाजे आगे था। वहां से गली का पूरा दृश्य दिखाई देता था। एक नजर डालते ही मुझे मालूम हो गया कि डाकिया किस रास्ते से ऊपर आयेगा। हालांकि मैकिनटॉश ने मुझे बताया था कि वह उस समय कहीं आसपास में होगा, तथा ज्यों ही डाकिया लैदर लैन पहुंचेगा, त्यों ही वह फोन पर मुझे उसके आगमन की सूचना दे देगा‒किन्तु मैंने आसपास का नक्शा देखते ही यह अंदाजा लगा लिया कि लैदर लेन पहुंचने के पश्चात डाकिये को इस बिल्डिंग में पहुंचने में कोई पंद्रह मिनट लग जायेंगे।
तत्पश्चात मैं अपनी कार्यवाई निश्चित करने लगा कि ढाकिये के बिल्डिंग में प्रविष्ट होने के पश्चात मैं कब और कैसे उस पर आक्रमण करूंगा। इसके पश्चात मैं बिल्डिंग से नीचे उतर आया और लैदर लेन से भाग निकलने के रास्तों का अध्ययन करता रहा।
ये सब करने के पश्चात मैंने मैकिनटॉश को फोन किया।
“मैं बिल्कुल तैयार हूं।”
“वैरी गुड। देखो रियरडर कल जब वह माल मैं तुमसे हासिल कर लूंगा, तो उसके बाद मेरी और तुम्हारी भेंट नहीं हो सकेगी। सो काम करने के पश्चात हर कदम सोच समझकर उठाना।”
“तुमसे भेंट करने में तो मुझे कोई विशेष दिलचस्पी नहीं‒हां अगर ल्यूसी से भेंट हो जाये, तो जरा....।”
“वह तब तक स्विटजरलैंड पहुंच चुकी होगी।” कहकर मैकिनटॉश ने फोन बन्द कर दिया।
मैं किडिडकर टाइज के ऑफिस में वापस चला आया। संध्या हो चुकी थी, तथा अगले दिन मुझे काफी काम करना था। अतः मैं बिस्तरे में लेट कर सोने की कोशिश करने लगा।
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मैकिनटॉश एवं मिसेज स्मिथ ने मुझे यह बता दिया था कि पहली डाक कार्य-समय से पहले बंट जाती है। सो मैं सुबह सवेरे उठा, और नहा धोकर अपने लिये चाय बनाने लगा। मैंने चाय अभी खत्म ही की थी कि फोन की घंटी बजने लगी। यह मैकिनटॉश का फोन था।
“डाकिया फ्लीट स्ट्रीट पहुंच गया है, और तुम्हारी बिल्डिंग की ओर आ रहा है।” मैकिनटॉश ने और कोई बात नहीं की।
मैं खिड़की के पास चला आया और नीचे सड़क की ओर देखने लगा। थोड़ी देर पश्चात डाकिया दोनों हाथों में डाक के फुलंदे एवं पार्सल संभाले बिल्डिंग में प्रविष्ट हुआ, और लिफ्ट द्वारा सबसे ऊपरी मंजिल पहुंच गया। मैं समझ गया कि वह ऊपरी मंजिल से डाक बांटनी आरंभ करता है। मैं खिड़की के पास से हट आया और दरवाजे के साथ कान लगाकर खड़ा हो गया। तनिक देर पश्चात मुझे उसके सीढ़ियों से उतरने की आवाज सुनाई दी। चूंकि अभी कोई दफ्तर नहीं खुला था, तथा आस-पास में कोई आदमी नहीं था, मैंने दरवाजा खोल दिया और बाहर निकल कर दरवाजे पर ताला लगा दिया।
थोड़ी देर पश्चात जब वह डाकिया दूसरी मंजिल पहुंचा, और बेटसी लो ड्रेस मैन्यूफैकचरिंग कंपनी की ओर आगे बढ़ने लगा, तो मैं अपनी जेब से चाबी निकालकर अपना ऑफिस खोलने का अभिनय करने लगा। ज्यों ही डाकिया मेरे पास से गुजरा, तो मैं उसकी ओर यों देखने लगा, मानो उससे यह पूछ रहा होऊं कि मेरी भी कोई डाक है। किन्तु जो मैंने देखना था, वह देख लिया। उसके पास कोई पीली डिबिया नहीं थी। मैंने अपने ऑफिस का दरवाजा खोला, और कमरे के अन्दर प्रविष्ट हो गया। सिगरेट सुलगाई और अगली डाक की प्रतीक्षा करने लगा। कोई दो घंटे पश्चात फिर फोन की घंटी बजने लगी।
“डाकिया दूसरी डाक तकसीम करने आ रहा है।” कहकर मैकिनटॉश ने फोन बन्द कर दिया।
मैं अपनी जगह से उठा और खिड़की के पास आकर नीचे देखने लगा। सामने सब्जी की दुकान के पास मैकिनटॉश खड़ा था। तभी मुझे डाकिया आता हुआ दिखाई दिया। मैं कमरे से बाहर चला आया, और डाकिये की प्रतीक्षा करने लगा। तनिक देर पश्चात जब डाकिया दूसरी मंजिल पर पहुंचा, तो मेरी दृष्टि सीधे उसके दांयें हाथ पर पड़ी। उसके एक हाथ में चिट्ठियां थीं, तथा दूसरे हाथ में पार्सल। पार्सलों में सबसे ऊपर पीले रंग की डिबिया थी। ज्योंकि डाकिया मेरे पास पहुंचा मैंने उंगली से अपने ऑफिस की ओर लक्ष्य करते हुये उससे पूछा, “क्या हमारा भी कोई पत्र है?”
ज्योंही डाकिये ने अपनी निगाह मेरी उंगली की ओर केन्द्रित की, मैंने फौरन उसके कान के पीछे एक जोर का घूंसा जड़ दिया। वह लड़खड़ा कर जमीन पर गिरना ही चाहता था कि मैंने उसे कॉलर से पकड़ कर ऑफिस के कमरे में धकेल दिया और कमरा अन्दर से बंद कर दिया। वह अर्ध बेहोश-सा हो गया था। उसकी चिट्ठियां, पत्र एवं पार्सल जमीन पर बिखर गये थे। मैंने वह पीली डिबिया उठाई, और ऑफिस को बाहर से ताला लगाकर नीचे उतर आया। सड़क के उस पार मैकिनटॉश खड़ा था।
मैंने लंबे-लंबे डग भरते हुये सड़क पार की और जान-बूझकर मैकिनटॉश से टकरा गया। “क्षमा कीजिये” कहने के साथ मैंने पलक झपकने की देर में वह डिबिया मैकिनटॉश के हवाले कर दी, और टहलता हुआ हालबौर्न स्ट्रीट पर आगे बढ़ने लगा। मुझे निश्चय था कि डाकिये को होश में आने में कम से कम चार पांच मिनट जरूर लगेंगे‒इसलिये मैं भीड़ में तेज गति से चलकर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित नहीं करना चाहता था।
मैं कुछ ही दूर पहुंचा होऊंगा कि मुझे एक शीशा टूटने और किसी के जोर-जोर से शोर मचाने की आवाज सुनाई दी। वह उसी डाकिये की आवाज थी। वह होश में आ गया था, और शीशा तोड़कर, जोर-जोर से चिल्लाकर राह चलतों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। किन्तु इस दौरान मैं उस बिल्डिंग से काफी दूर पहुंच चुका था‒ मैंने इधर-उधर देखा‒मैकिनटॉश गायब हो चुका था। लोग उस बिल्डिंग की ओर भागे जा रहे थे। मैंने मन-ही-मन सोचा कि यदि मैंने उस बिल्डिंग की ओर कोई ध्यान नहीं दिया, और विपरीत दिशा में आगे चलता रहा, तो हो सकता है किसी को मुझ पर शक हो जाये। अतः मैं पास ही एक शौचघर में घुस गया। वहां पर मैंने अपना पलटावी कोट पलटकर पहना, सिर पर पी कैप डाली, और शौचघर से बाहर निकल आया। अब मैं बिलकुल पहचाना नहीं जा सकता था। पहले मेरे मन में विचार आया कि टैक्सी लूं और होटल वापस चला जाऊं। तभी मुझे ख्याल आया कि जब पुलिस को यह पता चलेगा कि एक डाकिये से पार्सल छीना गया है, तो इस क्षेत्र के सब टैक्सी वालों से पूछताछ की जायेगी कि इस घटना के समय वह किसको किधर लेकर गये थे। अतः मैंने टैक्सी का विचार त्याग दिया और पैदल अपने होटल की ओर चल पड़ा। बारह बजा चाहते थे‒मुझे थकान-सी अनुभव होने लगी थी‒साथ ही मस्तिष्क पर तनाव बना हुआ था। होटल पहुंच कर मैंने कपड़े बदले और सो गया।
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उसी शाम मैं बाहर जाने के लिये तैयार हो रहा था कि मुझे अपने कमरे के दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी। मैंने दरवाजा खोल दिया। बाहर वर्दी में सज्जित दो आदमी खड़े थे।
उनमें से एक ने पूछा, “आपका नाम जोजफ ऐलॉयसियस रिअरडन है?”
मैं तुरन्त समझ गया कि वह पुलिस वाले हैं।
“यह तो मेरा पूरा नाम है, मेरे जानकार मुझे केवल रिअरडन के नाम से जानते पहचानते हैं। आप कैसे तशरीफ लाये हैं?” मैंने उन दोनों से कहा।
“हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। हम दोनों पुलिस अधिकारी हैं।” यह कहकर उनमें से एक ने अपना पहचान पत्र जेब से निकालकर मेरे सामने कर दिया। पहचान पत्र पर उसकी फोटो के नीचे उसका नाम लिखा था‒डिटेक्टिव इंस्पेक्टर ‘जोन स्केट’।
“मैं आपको क्या सहयोग दे सकता हूं। मैं तो यहां के लिये स्वयं एक अजनबी हूं। मुझे दक्षिण अफ्रीका से यहां लंदन आये एक सप्ताह भी नहीं हुआ।”
“वह हमें ज्ञात है, मिस्टर रिअरडन। क्या हम अन्दर कमरे में आ सकते हैं?”
“जरूर आईये।” कहकर मैं दरवाजे के सामने से हट गया, और उन्हें कमरे के भीतर आने दिया।
तब डिटेक्टिव जॉहन स्केट ने अपने साथी का परिचय देते हुये कहा, “आपका नाम डिटेक्टिव सारजन्ट जरविस है।”
मैंने उन दोनों को कुर्सियों पर बैठने को कहा, और खुद बिस्तरे पर बैठ गया, क्योंकि कमरे में दो ही कुर्सियां थीं।
“फरमाइये, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं?” मैंने अति नम्र भाव से उन दोनों से कहा।
“आज सुबह लैदर लेन में किसी ने वहां के डाकिये से एक पैकट छीना है। हम इस घटना की तहकीकात कर रहे हैं। आप इस पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं?”
“यह लैदर लेन कहां पर है?” मैंने सीधेपन का अभिनय करते हुये कहा, “मैं तो यहां के लिये बिलकुल अजनबी हूं।”
स्केट और जरविस मेरा यह उत्तर सुनकर एक-दूसरे का मुंह देखने लगे।
“देखिये मिस्टर रिअरडन,” स्केट ने मेरी आंखों में देखते हुये कहा, “आप बनने की कोशिश मत कीजिये।”
“आपका पुलिस रिकार्ड है, मिस्टर रिअरडन,” जरविस ने मुझे जतलाते हुये कहा, “आप हमें बेवकूफ बनाने की कोशिश मत कीजिये।”
“पुलिस रिकार्ड है तो क्या हुआ। सालों पहले मैंने एक जुर्म किया था‒और उसके लिये मैंने अठारह महीने का दण्ड भुगत भी लिया था‒उसके पश्चात तो मैंने कुछ भी नहीं किया।”
“वाकई।” डिटेक्टिव इंस्पेक्टर जाहन स्केट ने गिरह लगाते हुये कहा, “उनके पश्चात आपने आज सुबह तक कुछ भी नहीं किया।”
“आप लोग मुझे उलझाने की कोशिश मत कीजिये” मैंने नाराजी भरे भाव से कहा, “आपने जो पूछना है, साफ-साफ पूछिये। अगर मुझे कुछ मालूम होगा, तो मैं आपको बता दूंगा।”
“चोरी और उस पर सीना जोरी,” डिटेक्टिव सारजन्ट जरविस ने व्यंग भाव से कहा, “अगर तुम्हें आपत्ति न हो तो हम तुम्हारे कमरे की तलाशी ले लें?”
“आप लोग तमीज से बात कीजिये‒आप मुझे तुम और तुम्हारा कहकर संबोधित नहीं करेंगे। जहां तक मेरे कमरे की तलाशी का संबंध है जब तक आप मेरी तलाशी के वारंट नहीं लायेंगे, मैं हरगिज आपको अपने कमरे की तलाशी लेने की अनुमति नहीं दूंगा।”
“यह रहे तलाशी के वारंट,” स्केट ने अपनी जेब से एक कागज निकाल कर मेरे हाथ में थमाते हुये जरविस से कहा, “तुम कमरे की तलाशी लो।”
जरविस अपनी जगह से उठा और कमरे की तलाशी लेने लगा। कमरे में कुछ होता, तो उसे मिलता। उसने समूचा-कमरा खंगाल मारा। तब स्केट को संबोधित करते हुये बोला, “यहां तो कुछ भी नहीं।”
“आप मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलने का कष्ट करेंगे?” स्केट ने मुझसे कहा।
“यों तो नहीं जाऊंगा। मुझे पुलिस स्टेशन ले जाने के लिये आपको मुझे गिरफ्तार करना पड़ेगा।”
“तो यों ही सही, मिस्टर रिअरडन,” डिटेक्टिव इंस्पेक्टर ने अपनी जेब से एक फार्म निकालकर उस पर हस्ताक्षर करके मुझे देते हुये कहा, “मैं आप को आज सुबह साढ़े नौ बजे के करीब लैदर लेन में एक डाकिये पर आक्रमण करके उससे एक पार्सल छीनने के अपराध में गिरफ्तार करता हूं। अब आप इस फार्म को पढ़कर इस पर हस्ताक्षर कर दीजिये।”
मैंने वह फार्म बिना पढ़े उस पर हस्ताक्षर कर दिये।
“आपने इसे पढ़ा तो है नहीं।” डिटेक्टिव सारजन्ट जरविस ने मुझसे कहा।
“पढ़ने की जरूरत ही क्या है?”
“हां, आप काफी अनुभवी हैं‒आपको ऐसे फार्म तो जबानी याद होंगे।” यह कहकर ये दोनों मुझे अपने साथ ले चले।
मेरा ख्याल था कि वे मुझे स्कॉट लैंडयार्ड ले जायेंगे, पर वे मुझे एक छोटे से पुलिस स्टेशन में ले आये, तथा एक कमरे में बिठाकर आप दोनों गायब हो गये। कोई एक घंटे पश्चात जरविस मेरे सामने वाली कुर्सी पर आकर बैठ गया, और काफी समय तक मेरे चेहरे को गौर से देखता रहा, मानो कुछ अनुमान लगाने का प्रयास कर रहा हो।
“तुम पहले भी आ चुके हो मिस्टर रिअरडन?” जरविस ने आखिर अपना मौन तोड़ते हुये मुझसे पूछा।
“मैं जीवन में पहली बार लंदन आया हूं।”
“मेरा आशय लंदन से नहीं‒मेरा मतलब पुलिस स्टेशनों से है। तुम एक बार नहीं कई बार पुलिस स्टेशनों की सख्त कुर्सियों पर बैठ चुके हो। तुम एक पेशेवर हो। तुम पुलिस की रुटीन से भली भांति परिचित हो। अतः मैं तुमसे घुमा फिराकर पूछताछ करने का कोई प्रयास नहीं करूंगा। मैं तुमसे सीधे सादे प्रश्न करूंगा, और यदि तुमने मेरे प्रश्नों का सीधा-सीधा उत्तर नहीं दिया, तो मैं तुम्हारी हड्डी पसली यूं कड़कड़ाकर तोडूंगा जैसे बादाम को कड़करा करके तोड़ते हैं।”
“हड्डी पसली तोड़ना तो दूर, तुम मुझे हाथ तक नहीं लगा सकते। संभवतः तुमने अपनी नियमावली ध्यान से नहीं पढ़ी। तुम मुझसे केवल पूछताछ कर सकते हो। पुलिस को यदि मुझ पर संदेह है कि मैंने कोई अपराध किया है, तो उसको सिद्ध करने का फर्ज पुलिस पर है। यह मेरा कर्त्तव्य नहीं कि मैं अपनी बेगुनाही साबित करूं। तुम मुझे हाथ से छू तक नहीं सकते।”
जरविस ने जोर से हंसते हुये कहा, “हर अपराधी अपना अपराध अपने मुंह से स्वीकार करता है। और तुम भी कर रहे हो। यदि तुम एक पेशेवर अपराधी न होते तो मेरी एक ही धमकी में पानी हो गये होते। किन्तु तुम तो मुझे पुलिस नियमावली का भाव बता रहे हो। यदि तुम एक पेशेवर न होते, तो तुम्हें पुलिस नियमावली का ज्ञान कैसे होता। इससे साफतौर पर विदित होता है कि तुम्हें पुलिस स्टेशनों का काफी अनुभव है। और पुलिस स्टेशन का अनुभव एक अपराधी को ही होता है।”
“जब तुम अपने भाषण समाप्त कर चुको, तो मुझे बता देना ताकि मैं वापस जा सकूं।”
“तुम मेरी अनुमति के बिना यहां से हिल भी नहीं सकते।” जरविस ने कड़े स्वर में कहा।
“तुम पहले अपने बॉस से पूछ आओ कि तुम मुझे ज्यादा देर नहीं रोक सकते।”
“वह मेरा काम है,” जरविस ने मुझसे कहा, “तुम मुझ यह बताओ कि वह हीरे कहां हैं?”
“कौन से हीरे?”
“वही जो तुमने उस डाकिये से छीने थे। तुमने उसे बहुत जोर से मारा था‒उनकी हालत बहुत गंभीर है। और अगर कहीं वह बच गया, तो तुम्हें पहचान लेगा और तुम्हारा जुर्म साबित हो जायेगा। फिर डयूटी देते हुये एक तरकारी कर्मचारी पर आक्रमण करके उससे सामान छीनने के अपराध में तुम्हें इतनी लंबी अवधि का कारावास होगा, कि तुम अपनी स्मृति तक खो बैठोगे।”
जरविस की यह बात सुनकर मुझे निश्चय हो गया कि वह मुझसे सच उगलवाने की खातिर झूठ बोल रहा है क्योंकि गंभीर हालत में घायल कोई भी व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा होकर खिड़की का शीशा तोड़ने का साहस नहीं कर सकता‒जैसा कि उस डाकिये ने किया था। अतः मैंने जरविस की बात को कोई महत्त्व नहीं दिया और उसकी आंखों में झांकने लगा।
जरविस ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुये मुझसे कहा, “यदि वह हीरे नहीं मिले, तो जज तुम्हें बहुत कड़ी सजा देंगे, और अगर बरामद हो गये, तो मैं तुम्हें आश्वासन दे सकता हूं कि वह सजा देने में नर्मी बरतेंगे। अतः तुम्हारे हित में यही है कि तुम अपना अपराध स्वीकार कर लो और यह बता दो कि वह हीरे कहां हैं।”
“तुम कौन से हीरों की बात कर रहे हो‒मुझे तो अभी तक यही समझ नहीं लगी।” मैंने जरविस से कहा।
कोई आध घंटे तक मैं और जरविस यों ही बक झक करते रहे। वह घुमा फिरा कर मुझ से एक ही प्रश्न करता कि वह हीरे कहां हैं, और मेरा हर बार यही उत्तर होता कि कौन से हीरे। आखिर थक हार कर वह मुझे अकेला छोड़कर अन्दर चला गया। थोड़ी देर बाद डिटेक्टिव इन्स्पेक्टर जॉहन स्केट कागजों का एक पुलंदा उठाये कमरे में आया, और मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया।
“आपका काफी लंबा चौड़ा पुलिस रिकार्ड है, मिस्टर रिअरडन,” स्केट ने वह कागजात मेरे सामने रखते हुये कहा, “इन्टरपोल ने तो आप पर एक मोटी-सी फाईल बना रखी है।”
“मैं केवल एक ही बार दोषी ठहराया गया था। उसके पश्चात मैंने कोई अपराध नहीं किया। कहने को तो कोई कुछ भी कह सकता है। और फिर पुलिस वाले तो अपने झूठों पर पर्दा डालने और अपनी जान बचाने के लिये न जाने क्या-क्या मनगढ़ंत किस्से घड़ते हैं। और इन्टरपोल का तो कहना ही क्या‒ये केवल मिसिलें ही तैयार कर सकते हैं। आप पुलिस में हैं‒आप ही मुझे बताईये कि इन्टरपोल ने आज तक कितने अंतर्राष्ट्रीय अपराधियों को पकड़ा है?”
“वह दीगर बात है, मिस्टर रिअरडन। आप मुझे यह बताईये कि आप कल ज्यूरिच क्यों जा रहे हैं?”
“मैं एक पर्यटक हूं‒मैं कहीं भी भ्रमण करने जा सकता हूं। मैं आज तक ज्यूरिच नहीं गया‒मैं वह शहर देखना चाहता हूं।”
“आप लंदन भी पहली बार ही आये हैं।” स्केट ने मुझसे कहा।
“वह तो मैंने आपको पहले ही बता दिया है। देखिये मिस्टर स्केट, अब मैं आपके किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दूंगा। अब मैं अपने वकील द्वारा आपसे बात करूंगा। मुझे एक वकील की आवश्यकता है।”
“आप अपने वकील का नाम बतायें, हम उसे यहां से टेलीफोन किये देते हैं। अगर उसने आपके केस की पैरवी करनी होगी, तो अपने आप यहां आ जायेगा। आप मुझे वकील का नाम, पता, फोन नंबर बता दीजिये। मैं अभी फोन किये देता हूं।”