नये वर्ष के स्वागत के उपलक्ष में इकत्तीस दिसम्बर की रात को यूथ क्लब का मेन हाल दुल्हन की तरह सजा हुआ था । आर्केस्ट्रा से फूटती विलायती संगीत लहरी की ताल पर नौजवान जोड़े एक दूसरे की बांहों में बांहें फंसाये थिरक रहे थे ।
राग रंग की उस महफिल में सुनील भी शामिल था । उसकी बांहों में एक जवान लड़की थी जिसने अपनी आधुनिकता का परिचय देने के लिये दो पैग व्हिस्की पी ली थी । वह सुनील के कंधे पर सिर टिकाए उसके साथ चिपकी हुई संगीत की लय पर थिरक रही थी ।
रात के पौने बारह बज चुके थे ।
“डार्लिंग ।” - लड़की मादक स्वर से बोली ।
“यस, स्वीट हार्ट ।” - सुनील बोला ।
“अभी थोड़ी देर में नया साल आरम्भ हो जाएगा ।”
“तुम ठीक कह रही हो । अगर तुम नये साल के आरम्भ को रोकने की कोशिश भी करोगी तो वह नहीं रुकेगा ।”
“मेरा जन्म भी इकत्तीस दिसम्बर की रात को हुआ था ।”
“अच्छा !
“और अभी थोड़ी देर बाद मैं उन्नीस साल की हो जाऊंगी ।”
“डियरेस्ट, इकत्तीस दिसम्बर सन् उन्नीस सौ चौंसठ को भी अर्थात आज से पांच साल पहले भी तुमने यही कहा था ।”
“क्या ?”
“कि थोड़ी देर बाद तुम उन्नीस साल की हो जाओगी ।”
“ओह, डार्लिंग !” - लड़की होंठ सिकोड़ कर बोली ।
“नैवर माइन्ड स्वीटी ! दरअसल यह उम्र ही ऐसी है । किसी पुरुष के लिये माउन्ट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचना और किसी लड़की के लिये उन्नीस साल की उमर से आगे बढना दोनों ही बहुत कठिन काम है । दोनों ही कामों में दस बारह साल की मेहनत तो लग ही जाती है ।”
“ओह डार्लिंग, बोर मत करो ।”
“आलराइट । लेकिन एक वादा करो ।”
“क्या ?”
“कि अगले साल भी आज के दिन तुम मेरी ही बांहों में रहोगी ?”
“ओके ।” - लड़की बड़े रोमांटिक अन्दाज से बोली - “रहूंगी ।”
“और मुझे अपनी उमर उन्नीस साल ही बताओगी ।”
लड़की ने बुरा सा मुंह बनाया और ऐसा एक्शन किया जैसे वह सुनील की बांहों में से निकलने का उपक्रम कर रही हो । सुनील ने मजबूती से अपनी बांहों का घेरा कम कर लिया । लड़की एकदम उसके सीने से आ सटी ।
“मेरी समझ में नहीं आता” - सुनील बोला - “कि उमर के मामले में लड़कियां इतनी सैन्सिटिव क्यों होती हैं ?”
“मर्द नहीं होते क्या ?”
“बिल्कुल नहीं होते । अब मुझे ही देख लो मेरी उमर सैंतालीस साल है । क्या मैंने कभी यह दावा करने की कोशिश की है कि मैं अभी तीस साल का भी नहीं हुआ हूं ?”
“झूठ ।”
“क्या झूठ ?”
“तुम सैंतालीस साल के नहीं हो । तुम सैंतालीस साल के नहीं हो सकते ।”
“तो फिर कितने साल का हो सकता हूं ?”
लड़की ने सिर उठाकर उसके चेहरे की ओर देखा और फिर बोली - “सत्ताईस या अट्ठाईस साल ।”
सुनील यूं खिलखिलाकर हंसा जैसे उसने भारी मजाक की बात सुन ली हो ।
“बाई गाड, दैट्स ग्रेट” - सुनील हंसता हुआ बोला - “मैं और सत्ताइस साल का । मैडम सत्ताईस साल का तो मैं तब था जब डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति बने थे ।”
“लेकिन यह असम्भव है । तुम सैंतालीस साल के हरगिज भी नहीं लगते हो ।”
“सैंतालीस साल का मैं इसलिये नहीं लगता क्योंकि मैंने शादी नहीं की ।”
“उमर का शादी से क्या वास्ता है ?”
“बड़ा गहरा वास्ता है । मैडम, औरत को मर्द की सहचरी माना जाता है हर बात में अपने मर्द की सहायता करना औरत का परम कर्त्तव्य होता हैं । अपने उस कर्त्तव्य का पालन करने की खातिर ही औरतें अपने मर्द को बुढापे तक जल्दी से जल्दी पहुंचाने में उसकी पूरी सहायता करती हैं और अपने इस मिशन में वे कई बार तो इस हद तक सफल हो जाती हैं कि आदमी तीस साल की उमर में शादी करता है और पैंतीस साल की उमर में पचास का लगने लगता है ।”
“बड़ी भयानक बातें करते हो तुम ।”
सुनील हंसा । कुछ क्षण वह भीड़ भरे डांस फ्लोर पर उसके साथ नृत्य करता रहा और फिर बोला - “हनी, अगर मैं शादीशुदा होता तो मैं आज सैंतालीस साल की उमर में मेरे में इतनी शान्ति और उमंग न होती कि मैं तुम्हारे जैसी जवान और स्थायी रूप से उन्नीस साल पर पड़ाव डालकर बैठी हुई लड़की को अपनी बांहों में भर कर नृत्य कर पाता और अगर मैं तुमसे नृत्य के लिये प्रार्थना भी करता तो तुम कहती कि ग्रैंड फादर, क्लब के किसी कोने में बैठकर विस्की पियो । यही आखरी सहारा है । मेरे साथ नृत्य करने के ख्याल से भी तुम्हारा ब्लडप्रेशर बढ जायेगा । और फिर मैं तुम्हें कितना ही विश्वास दिलाता कि मैं उतना बूढा नहीं हूं जितना कि तुम मुझे समझ रही हो लेकिन तुम हरगिज मेरी बात नहीं सुनती । और मैं - मैं बेचारा यह सोचता हुआ क्लब के किसी तन्हा कोने में मन मारकर बैठ जाता कि काश, मैंने शादी न की होती ।”
“तुम वाकई सैंतालीस साल के हो ?”
“तुम्हें सन्देह है ?”
“हां !”
“कभी मेरे फ्लैट पर आना । मैं तुम्हें अपना हायर सैकेन्डरी का सर्टिफिकेट दिखाऊंगा जिस पर मेरी सरकार से मन्जूरशुदा उम्र दर्ज है ।”
“मैं आज ही तुम्हारे साथ चलूंगी ।”
“मेरा हायर सैकेन्डरी का सार्टिफिकेट देखने ?”
“हां ! उससे मुझे तुम्हारी उम्र का विश्वास तो पता नहीं होगा या नहीं लेकिन यह विश्वास तो हो ही जायेगा कि तुम कम से कम हायर सैकेन्डरी तक तो पढे हो ।”
“यानी कि” - सुनील नेत्र फैलाकर बोला - “यानी कि तुम्हें मेरी शिक्षा पर भी सन्देह है ?”
“क्या करूं ? कभी कभी तुम बातें ही ऐसी निपट गवांरों जैसी करते हो ।”
“हे भगवान !” - सुनील गहरी सांस लेकर बोला - “अब जीना बेकार है ।”
“अगर तुम सैंतालीस साल के हो तो तुम ने मुझे यही बात कभी पहले क्यों नहीं बताई ?”
“तुम ने कभी पूछा ही नहीं ।”
“फिर भी जिक्र तो आ ही जाता है । पूछा तो मैंने आज भी नहीं था ।”
“दरअसल अब तुम मेरी पक्की सहेली बन चुकी हो । पहली मुलाकात के वक्त ही मैं तुम्हें यह बात देता कि मेरी उम्र सैंतालीस साल है तो तुम मुझे घास भी नहीं डालती ।”
“घास तो, खैर, मैं डाल देती लेकिन शायद तुम्हारी पक्की सहेली न बन पाती ।”
“वैसे तुम्हें राजानगर की छाती पर मूंग दलते हुए कितना अरसा हो गया है ?”
“क्या मतलब ?”
“मेरा मतलब है तुम्हारी उम्र क्या है ?”
“अभी बताया तो था । मैं बस अब कुछ ही क्षणों में उन्नीस साल की हो जाऊंगी ।”
“एण्ड वैन आर यू गोइंग टू मेक समबाडीज लाइफ मिजरेबिल, हनी ?”
“क्या ?”
“मेरा मतलब है शादी कब कर रही हो ?”
“ओह शादी ! शादी के मासले में तो सोनू डार्लिंग मैंने कसम खाई हुई है कि जब तक मैं इक्कीस साल की नहीं हो जाऊंगी, शादी नहीं करूंगी ।”
“शायद तुम यह कहना चाहती हो कि जब तक तुम्हारी शादी नहीं हो जायेगी, तुम इक्कीस साल की नहीं होवोगी ?”
“हां शायद !” - लड़की झोंक में बोली और एकाएक तीव्र विरोधपूर्ण स्वर से बोली - “ओह नो, नाट दैट ! प्लीज डोंट ट्रार्ई टु बी फनी ।”
“वैसे हनी एक बात है ।”
“क्या ?”
“तुमने केवल दो पैग विस्की पी है । अगर तुमने विस्की की एक पूरी बोतल पी होती तो क्या होता ?”
“तो मेरा बुरा हाल हो जाता । फिर तो पूरा सप्ताह मुझे होश नहीं आता ।”
“करैक्ट ! उस हालत में अगर तुमसे भारत के प्रधान मन्त्री का नाम पूछा जाता तो शायद तुम इन्दिरा गांधी की जगह वहीदा रहमान का ही नाम लेती और खुद अपने आपको भी शायद सोफिया लारेन ही समझती । मैं शायद तुम्हें शहजादा गुलफाम लगता और यूथ क्लब को तुम शायद सोलोमन की रंगशाला का कोई कोना समझतीं लेकिन उस हालत में भी अगर तुम्हारी उम्र पूछी जाती तो तुम यही जवाब देती कि कुछ ही मिनटों में तुम उन्नीस की होने वाली हो या कुछ ही मिनट पहले तुम उन्नीस साल की हो चुकी हो ।”
सुनील लड़की के चेहरे पर अपने कथन की प्रतिक्रिया नहीं देख पाया क्योंकि उसी क्षण हाल की सारी बत्तियां गुल हो गई और फिर हाल में जैसे कोहराम मच गया । यूथ क्लब ‘नया साल मुबारक’ की कई आवाजों से गूंज उठा । सुनील ने लड़की को मजबूती से अपनी बांहों में भींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखता हुआ बोला - “नया साल मुबारक स्वीट नाइनटीन ।”
“तुम्हें भी डार्लिंग ।” - लड़की अपने शरीर का सारा भार उस पर डालती हुई बोली ।
“नये साल से भगवान तुम्हें इतनी शक्ति और आत्मविश्वास दे कि तुम ज्यादा से ज्यादा सालों तक अपनी जिन्दगी के उन्नीसवें साल पर खूंटा गाड़कर बैठी रहो ।”
“ओह डार्लिंग, पता नहीं क्या ऊटपटांग बके जा रहे हो । कोई अक्ल की बात क्यों नहीं करते हो ?”
“कोई अकल की बात तुम ही सुझा दो ।”
“चलो, इस अन्धेरे में बाहर लान की तनहाई में निकल चलें ।”
“ओके ।” - सुनील बोला ।
उसी क्षण सारी बत्तियां एक साथ जल उठीं लेकिन तत्काल ही तमाम बत्तियां फिर बुझ गई । हाल में मुश्किल से पन्द्रह सैकिन्ड के लिये प्रकाश फैला था लेकिन उतने समय में सुनील को डांस फ्लोर के किनारे पर खड़े एक ऐसे आदमी के चेहरे की झलक मिली जिसकी वह उस समय उस स्थान पर कतई अपेक्षा नहीं कर रहा था ।
डांस फ्लोर के पास भीड़ से अलग कर्नल मुखर्जी खड़े थे ।
कर्नल मुखर्जी सी आई बी की ब्रॉच स्पैशल इन्टेलीजेंस के डायरेक्टर थे और यह बात सुनील के बेहद नजदीकी मित्रों को भी नहीं मालूम थी कि वह स्पैशल इन्टेलीजेंस का एजेन्ट था । रमाकांत, पुलिस सुपरिन्टेन्डेन्ट रामसिंह और ‘ब्लास्ट’ के सम्पादक प्रकाशक मालिक साहब तक को भी इस तथ्य की जानकारी नहीं थी ।
एक क्षण के लिये सुनील की निगाहें कर्नल मुखर्जी से मिलीं और फिर दुबारा अन्धकार होने से पहले सुनील ने कर्नल मुखर्जी को मुंह में पाइप दबाये लम्बे डग भरते हुए क्लब से बाहर की ओर जाते हुए देखा ।
“स्वीट हार्ट” - सुनील अन्धकार में लड़की के कान में फुसफुसाया - “तुम बाहर लान में मुझसे पहले पहुंचो । मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आता हूं ।”
“साथ ही चलते हैं ।” - लड़की बोली ।
“नहीं ! वक्त बरबाद मत करो, हनी ! अगर रमाकांत हमें यूं महफिल से निकल कर बाहर जाता देख लेगा तो मजाक करेगा ।”
“लेकिन...”
सुनील ने जबरदस्ती उसे अपनी बांहों से अलग किया और फिर बोला - “गो अहेड डार्लिंग ।”
“ओके ।” - लड़की बोली और भीड़ में से रास्ता बनाती हुई बाहर की ओर बढी ।
सुनील भी भीड़ से निकला और क्लब के छोटे दरवाजे में से निकल कर बाहर आ गया । वह तेजी से चलता हुआ क्लब के फ्रन्ट में पहुंचा ।
कर्नल मुखर्जी की शानदार शेवरलेट गाड़ी उसे कम्पाउन्ड से बाहर जाती दिखाई दी ।
सुनील ने पार्किंग में से अपनी मोटरसाईकिल निकाली और उस पर सवार होकर शेवरलेट के पीछे चल दिया ।
उसकी मोटरसाईकिल के कम्पाउन्ड से बाहर निकलते ही भीतर क्लब की सारी बत्तियां जल उठीं ।
सुनील बड़ी सावधानी से शेवरलेट के पीछे मोटरसाईकिल चलाता रहा ।
कर्नल मुखर्जी की स्पेशल इन्टैलीजेंस के सभी सदस्य सुनील जैसे ही थे । अर्थात ऐसे लोग जो पहले से ही काम धन्धों में लगे हुये थे और जिनके जासूस होने के विषय में कोई स्वप्न में भी नहीं सोच सकता था । कर्नल मुखर्जी के कथनानुसार ऐसे ही लोगों की नियुक्ति से स्पेशल इन्टैलीजैंस का मिशन सफल हो सकता था । देश में विदेशी एजेन्टों की भरमार के कारण सी आई बी के एजेन्ट छिपे नहीं रह पाते थे इसीलिए स्पेशल इन्टैलीजैंस में केवल ऐसे ही लोग रखे गए थे जिनके एजेन्ट होने की सम्भावना के विषय में कोई सोच नहीं सकता हो जैसे होटल के वेटर, टैक्सी ड्राईवर, मिस्त्री, सेनाओं के अवकाश प्राप्त अफसर, टेलीफोन आपरेटर, उद्योगपति, कालेज के विद्यार्थी इत्यादि । स्पेशल इन्टैलीजैन्स के सदस्यों का वास्तविक धन्धा कोई भी हो लेकिन उनकी कार्य क्षमता असाधारण थी और वे भारत और भारतीयता पर मरने वाले लोग थे । अपना स्टाफ चुनने में कर्नल मुखर्जी ने इन्हीं विशेषताओं को मापदण्ड माना था ।
सुनील ने सुना था कि स्पेशल इन्टैलीजेंस के सदस्य अनगिनत हैं लेकिन फिर भी अभी तक वह केवल दो सदस्यों से ही परिचित हो पाया था । एक एयरफोर्स का रिटायर्ड विंग कमांडर रामू था और दूसरा स्थानीय नीलकमल होटल के रेस्टोरेन्ट का वेटर गोपाल था । इसके अतिरिक्त कर्नल मुखर्जी ने कभी किसी तीसरे व्यक्ति का जिक्र नहीं किया गया था और इसकी वजह यह थी कि कर्नल मुखर्जी की आदत थी कि वह अपने एजेन्टों को उतनी ही जानकारी देते थे जितनी से कम में उनका गुजारा न हो सके । इसलिए कई बार तो उनके एजेन्ट केवल कुछ विशिष्ट कार्य करते रहते थे । जबकि उन्हें यह भी मालूम नहीं हो पाता था कि जो कुछ वे कर रहे हैं उसका सम्बन्ध किस केस से है ।
उसी क्षण शेवरलेट की रफ्तार कम होने लगी । फिर गाड़ी फुटपाथ के साथ लग कर रुक गई ।
सुनील ने देखा वह एक सुनसान जगह थी ।
कर्नल मुखर्जी ने उसे संकेत किया ।
सुनील ने मोटर साईकिल को फुटपाथ पर चढा दिया । फिर वह मोटर साईकिल से उतरा और फिर जाकर कर्नल मुखर्जी की शेवरलेट में उनकी बगल की सीट पर बैठ गया ।
मुखर्जी ने अपने बुझ चुके पाइप को दोबारा सुलगाया, उसके तीन चार लम्बे लम्बे कश लगाये और फिर कार आगे बढायी ।
कर्नल मुखर्जी की निगाहों में सीक्रेट बात करने के लिये चलती कार से ज्यादा सुरक्षित कोई स्थान नहीं था ।
“मुझे पूरी आशा थी कि नये साल की रात को तुम यूथ क्लब में जरूर मिलोगे ।”
सुनील चुप रहा ।
“मैंने तुम्हारे फ्लैट पर टेलीफोन किया था जिसका नतीजा कुछ नहीं निकला था ।”
“मैं आठ बजे से ही यूथ क्लब में था ।”
“और रेडियो ब्राडकास्ट का समय यही था ।”
सुनील चुप रहा ।
“खैर ।” - कर्नल मुखर्जी बोले । उन्होंने स्टियरिंग से एक हाथ हटाया और अपने कोट की जेब से एक कैमरा फोटोग्राफ निकालकर सुनील की ओर बढा दिया ।
“इस तस्वीर को गौर से देखो ।” - वे बोले ।
सुनील ने आदेश का पालन किया । वह लगभग चालीस साल के एक अंग्रेज की रंगीन तस्वीर थी । उसकी आंखें हरी थीं और बाल भूरे थे । उसने आंखों पर सींग के फ्रेम का चश्मा लगाया हुआ था । नाक जरूरत से ज्यादा लम्बी थी और होंठ पतले थे । और होठों के ऊपर मोटी मोटी क्लार्क गेबल के स्टाइल की मूंछे थीं । उस सूरत को अच्छी तरह अपने दिमाग में बिठा लेने के बाद उसने तस्वीर से निगाह हटाई और कर्नल मुखर्जी की ओर देखा ।
“नाम मार्क हैरिसन” - कर्नल मुखर्जी बोले - “ब्रिटिश नैशनल पिछले बारह साल से पीकिंग में स्थायी रूप से रह रहा है । एक चीनी युवती से विवाहित है । अंग्रेजी सिखाता है । रुपये पैसे के मामले में बहुत लालची है । इसीलिये चार साल पहले हमारे मामूली से ही प्रयत्नों ने उसे हमारा आदमी बना लिया था । स्पष्ट शब्दों में इस बात को इस प्रकार कहा जा सकता है कि हमने मार्क हैरिसन नाम के अंग्रेज लैंग्वेज टीचर को खरीद लिया है । हम इसे धन देते हैं जिसके बदले में यह हमें चायनीज इन्टैलीजेंस से सम्बन्धित बड़ी महत्वपूर्ण सूचनायें भेजता रहता है ।”
“आप इसे धन कैसे देते हैं ?”
“धन समय समय पर इसके नाम बैंक आफ इंगलैंड में जमा करा दिया जाता है । हमें भेजी गुप्त सूचनाओं की कीमत के रूप में इंगलैंड में इसके नाम डेढ लाख पाउन्ड की राशि जमा हो चुकी है ।”
“इंगलैंड में क्यों ?”
“क्योंकि वह हमेशा तो चीन में नहीं रहना चाहता न । एस्पियानेज ने इसे अच्छा खासा रईस आदमी बना दिया है । जल्दी ही वह इंगलैंड वापिस लौट जायेगा और फिर बैंक में अपने नाम जमा दौलत से गुलछर्रे उड़ायेगा । मार्क हैरिसन बेहद लालची आदमी है इसलिये वह अभी भी चीन में टिका हुआ है । वर्ना उस जैसे आदमी के लिये डेढ लाख पाउण्ड किसी भी लिहाज से छोटी रकम नहीं है । मुझे पूरी आशा है कि अपने आप तो और अधिक धन बटोरने के लालच में वह कम से कम एक साल और चीन से नहीं हिलेगा ।”
कर्नल मुखर्जी ने कार को बड़ी सफाई से एक अन्य सड़क पर मोड़ा और फिर गम्भीर स्वर से बोले - “एकाएक मार्क हैरिसन हमारे लिये बहुत बड़ी समस्या बन गया है ।”
सुनील ने प्रश्न सूचक नेत्रों से कर्नल मुखर्जी की ओर देखा ।
“मुझे विश्वस्त सूत्रों से पता लगा है कि चायनीच इन्टैलीजेंस मार्क हैरिसन पर सन्देह करने लगी है । महत्वपूर्ण खबरें सूंघने के चक्कर में वह जरूरत से ज्यादा होशियार बनने की कोशिश करने लगा होगा और कोई ऐसी गलती कर बैठा होगा जिसने उसे चीनियों के सन्देह का पात्र बना दिया होगा । ऐसी स्थिति का आदमी हमारे लिये हमेशा ही खतरनाक साबित हो सकता है ।”
“कैसे ?”
“सुनो । पार्क हैरिसन ने अगर कोई महत्वपूर्ण सूचना हम तक पहुंचानी होती थी तो वह पीकिंग की लोटस क्लब नाम की एक क्लब में अजरा गमाल नाम की एक अरब बैली डान्सर से सम्पर्क स्थापित करता था । अजरा गमाल हमारी एजेन्ट है । अजरा गमाल वह सूचना ग्रिफिथ नाम के एक वैस्ट इन्डियन कमर्शियल पायलेट को ट्रान्सफर कर देती है । ग्रिफिथ पीकिंग और हांगकांग के बीच अक्सर प्लाइट लेता रहता है । अजरा गमाल से हासिल हुई सूचना को ग्रिफिथ हांगकांग में रंगा नाम के एक भारतीय युवक को सौंप देता है जो हांगकांग के कार्ईताक एयरपोर्ट पर ही काम करता है । मार्क हैरिसन के पास से चली रिपोर्ट हम तक रंगा ही पहुंचाता है ।”
“बड़ा पेचीदा तरीका है ।”
“लेकिन बड़ा सुरक्षित और कारआमद तरीका है ।”
“मार्क हैरिसन को वे कथित महत्वपूर्ण सूचनायें हासिल कैसे हो जाती हैं ?”
“चीनी राजनैतिक नेताओं और चीनी इन्टैलीजेंस के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से । मार्क हैरिसन निरन्तर उनके सम्पर्क में रहता है । कहने की जरूरत नहीं की उसे चीनी भाषा का भी अंग्रेजी जितना ही ज्ञान है इसीलिये लैंग्वेज टीचर के रूप में वह चीनियों के लिये महत्वपूर्ण है । कभी कभार अनजाने में ही उन लोगों का कोई वार्तालाप मार्क हैरिसन के कानों में पड़ जाता है और वह छोटा सा वार्तालाप भी हमें चीनियों की गतिविधि की अच्छी जानकारी दे जाता है ।”
सुनील चुप रहा ।
“चार पांच दिन पहले हम ने मार्क हैरिसन को यह संकेत दिया था कि अब उसे पीकिंग से खिसक जाना चाहिए । लेकिन या तो दौलत का लालच उसे चीन से हिलने नहीं देता और फिर चायनीज इन्टैलीजेंस द्वारा इस बुरी तरह उसकी निगरानी होने लगी है कि अब पीकिंग से चुपचाप खिसक जाना उसके लिये असम्भव हो गया और खुले आम चीनी उसे वहां से निकलने नहीं देंगे ।”
“मार्क हैरिसन के चीनियों की निगाह में आ जाने से हमें क्या फर्क पड़ता है ?”
“हमें बहुत फर्क पड़ता है । मार्क हैरिसन कोई हौसलामन्द आदमी नहीं है । चीनी चुटकियों में उसकी जुबान खुलवा लेंगे । मार्क हैरिसन की जुबान खुलने की देर है कि अजरा गमाल चीनियों के पंजे में होगी । फिर ग्रिफिथ और रंगा का भी काम हो जायेगा । चीन के विभिन्न क्षेत्रों में हमारे और भी कई एजेन्ट हैं जो अजरा गमाल को रिपोर्ट करते हैं । एक मार्क हैरिसन के पकड़े जाने से सब चीनियों के कब्जे में आ जायेंगे और चीन में स्थित हमारा वर्षों की मेहनत से स्थापित किया हुआ स्पाई चक्र बिगड़ जायेगा ।”
मुखर्जी एक क्षण पाइप का कश लगाने के लिये रुके और फिर बोले - “वैसे इस समस्या से निपटने का एक तरीका यह भी हो सकता है कि मैं मार्क हैरिसन को उसकी तकदीर पर छोड़ दूं और अजरा गमाल को पीकिंग से खिसक जाने के लिये कह दूं लेकिन इसमें हमारी इन्टैलीजेंस को बड़ा नुकसान है । अजरा गमाल जैसा दूसरा शतप्रतिशत विश्वसनीय एजेन्ट पीकिंग में घुसाने में हमें एक साल लग जायेगा ।”
“और ऐसा आप चाहते नहीं ।”
“करैक्ट ।”
“फिर ?”
“मैं यह चाहता हूं कि इससे पहले की चीनियों का हाथ मार्क हैरिसन पर पड़े वह उनकी पकड़ से बहु...त दूर निकल जाये ।”
“आपने अभी कहा था कि पीकिंग में आपके और भी एजेन्ट हैं जो अजरा गमाल को रिपोर्ट करते हैं ?”
“हां लेकिन वे सब मार्क हैरिसन की श्रेणी के हैं । दरअसल मुझे उनको एजेन्ट नहीं, इनफार्मर कहना चाहिए था । उनमें से किसी को मार्क हैरिसन की हत्या के लिये तैयार करना बहुत कठिन काम है और फिर यह मत भूलो कि मार्क हैरिसन की निगरानी भी हो रही है । वे लोग इतने होशियार नहीं हैं कि वे ऐसी विकट स्थिति में कोई उचित परिणाम निकाल सकें । सुनील, यह काम तुम्हें करना पड़ेगा ।”
“ओके ।” - सुनील शान्ति से बोला ।
“तुम एक पाकिस्तानी पासपोर्ट पर पाकिस्तानी नागरिक के रूप में सफर करोगे । पासपोर्ट जाली है लेकिन उसको जाली सिद्ध करने के लिये बहुत ऊंची काबलियत की आवश्यकता होगी । तुम्हारा नाम कमाल है । तुम स्थायी रूप से हांगकांग में रहते हो और एक शिपिंग कम्पनी में पार्टनर हो । कम्पनी के ही काम से तुम पीकिंग जा रहे हो । तुम्हें मुनासिब काम बता दिया जायेगा और शिपिंग कम्पनी की और तुम्हारे धन्धे की आवश्यक जानकारी तुम्हें दे दी जायेगी । तुम्हारी बैकग्राउन्ड सिद्ध करने के लिये सारे आवश्यक कागजात तैयार हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी मौजूदगी में कोई तुम पर सन्देह नहीं करेगा ।”
“वैरी गुड ।”
“पीकिंग की जिस इमारत में मार्क हैरिसन रहता है वह एक बहुत बड़ी इमारत है और उसमें कई फ्लैट हैं । सौभाग्यवश उस इमारत में तीन चार पाकिस्तानी परिवार भी रहते हैं । तुम्हारा इस इमारत में प्रविष्ट होना यही जाहिर करेगा कि तुम उस पाकिस्तानी परिवारों में से ही किसी से सम्बन्धित हो । कोई मार्क हैरिसन से तुम्हारा सम्बन्ध नहीं जोड़ेगा । अभी तक मार्क हैरिसन की केवल इस दृष्टिकोण से निगरानी हो रही है कि वह कहीं खिसक न जाये । इसलिये तुम इमारत में प्रविष्ट होने के बाद सीधे उसके फ्लैट पर जाओगे । एक साइलेंसर लगी रिवाल्वर से उसे शूट कर दोगे, रिवाल्वर वहीं फेंक दोगे और चुपचाप बाहर निकल जाओगे । तुम्हारे पास एक जाली केबल होगा जो यह प्रकट करेगा कि किसी एमरजेन्सी में तुम्हें फौरन हांगकांग वापिस बुला लिया गया है । उस केबल की तुम्हें जरूरत तो नहीं पड़ेगी लेकिन सावधानीवश उसे अपने पास रखना जरूरी है । शायद कोई यह पूछ ले कि पीकिंग से तुम इतनी जल्दी क्यों वापिस लौटे जा रहे हो ?”
सुनील चुप रहा ।
“मार्क हैरिसन तक पहुंचने में तुम्हें किसी प्रकार का खतरा दिखाई दे या वह तुम्हारे पहुंचने से पहले ही चायनीज इन्टैलीजेंस की पकड़ में आ चुका हो तो तुम फौरन आपरेशन ड्राप करके वहां से कूच कर जाओगे । हमारे लिये तुम मार्क हैरिसन से ज्यादा महत्वपूर्ण हो । तुम लोटस क्लब में अजरा गमाल से सम्पर्क स्थापित करोगे और उसे भी स्थिति की सूचना दोगे । वैसे उसे पहले ही आदेश दिया जा चुका है कि खतरे की स्थिति में वह एक क्षण के लिये भी पीकिंग में न ठहरे ।”
“फिर तो अजरा गमाल की पीकिंग से कूच कर जाने की स्थिति आ जाने की सूचना देना मेरे लिये एकदम आवश्यक नहीं है ?”
“करैक्ट ।” - कर्नल मुखर्जी बोले । पाइप की ओर से ध्यान हट जाने की वजह से उनका पाइप बुझ चुका था लेकिन वह कभी कभार आदतन बुझे हुए पाइप के ही कश लगा लेते थे ।
“कब जाना है ?” - सुनील ने पूछा ।
“फौरन । सुबह चार बजे रवाना होने वाले बी ओ ए सी के एक प्लेन में तुम्हारी हांगकांग के लिये सीट बुक करवाई जा चुकी है । हांगकांग से पीकिंग तक तुम एयरोफ्लोट के एक प्लेन द्वारा जाओगे । रंगा ने उस प्लेन पर तुम्हारे लिये कमाल के नाम से पहले ही सीट बुक करवा दी है । तुम्हारे कागजात तैयार हैं । तुम साढे तीन बजे तक एयरपोर्ट पहुंच जाना । वहां धर्म सिंह तुम्हारे कागजात के साथ तुम्हारा इन्तजार कर रहा होगा ।”
धर्म सिंह कर्नल मुखर्जी का निजी नौकर था ।
“शिपिंग कम्पनी के पार्टनर के रूप में तुम्हें धन्धे से सम्बन्धित जिन बुनियादी बातों की जानकारी होनी चाहिये, उन्हें तुम्हें रास्ते में ही याद करना है । धर्म सिंह द्वारा तुम्हें सौंपे जाने वाले ब्रीफकेस में उस तमाम जानकारी के टाइप किये हुए कागजात हैं । बातें बहुत ज्यादा हैं । समय बहुत कम है लेकिन मुझे तुम्हारी काबलियत और अच्छी स्मरण शक्ति पर पूरा भरोसा है । उन बातों को याद कर चुकने के बाद कागजात नष्ट कर देना । ओके ?”
“ओके ।”
“तुम एक शत्रु देश में जा रहे हो इसलिये कहने की जरूरत नहीं कि हर क्षण जरूरत से ज्यादा होशियार रहना ।”
“श्योर किंग ।”
कर्नल मुखर्जी ने एक स्थान पर कार रोक दी ।
“यहां उतर जाओ” - कर्नल मुखर्जी बोले - “सामने की पतली गली पार करने के बाद मोड़ घूमोगे तो उसी सड़क पर पहुंच जाओगे, जहां तुम अपनी मोटर साईकिल छोड़ कर आये थे ।”
सुनील ने सहमति सूचक ढंग से सिर हिलाया और कार का अपनी ओर का दरवाजा खोलकर फुटपाथ पर आ खड़ा हुआ ।
“एण्ड विश यू गुड लक ।” - कर्नल मुखर्जी बोले ।
“थैंक्यू सर ।” - सुनील बोला ।
“और सुनो ।”
“यस सर ।”
“ऐसे जब एकाएक राजनगर से गायब हो जाते हो तो अपने दफ्तर में क्या सफाई पेश करते हो ?”
“मेरे अखबार के मालिक मलिक साहब बहुत भले आदमी हैं और वे मेरे काम से बहुत सन्तुष्ट भी हैं । ऐसे मौकों पर वे मुझे एक तगड़ी लताड़ पिलाकर और फौरन शादी कर लेने की राय देकर क्षमा कर देते हैं ।”
“शादी की राय क्यों ?”
“वे समझते हैं कि मैं किसी लड़की के इश्क में गिरफ्तार हूं और लड़की किसी दूसरे शहर में रहती है । जब भी मुझे कभी आनन फानन इश्क का बुखार चढता है या मेरी कथित प्रेमिका मुझे बुला भेजती है तो मैं सिर पर पांव रखे और दिल हथेली पर रखे उसके पास पहुंच जाता है । उनकी निगाहों में इश्क के उस इन्कलाबी दौरे के दौरान में कतई भूल जाता हूं कि ‘ब्लास्ट’ के प्रति भी मेरा कोई दायित्व है । वैसे मेरी इन हरकतों की वजह से वे मुझे नौकरी से निकाल देने की धमकियां कई बार दे चुके हैं ।”
कर्नल मुखर्जी के होंठों के कोरों पर एक हल्की सी मुस्कराहट उभरी जो तत्काल लुप्त हो गई ।
“सो लांग ब्वाय ।” - वे बोले - “ठीक साढे तीन बजे एयरपोर्ट पर पहुंच जाना ।”
“राइट सर ।”
“एण्ड हप्पी न्यू इअर टू यू । सारी आई फारगॉट ।”
“टु यू आलसो सर ।”
कर्नल मुखर्जी ने एक आश्वासनपूर्ण निगाह सुनील पर डाली और फिर कार को गियर में डाल दिया ।
सुनील फुटपाथ पर खड़ा तब तक कार को आगे बढती देखता रहा जब तक वह मोड़ घूमकर दृष्टि से ओझल नहीं हो गई ।
***
मार्क हैरिसन ने इमारत की दूसरी मंजिल पर स्थित अपने फ्लैट की सड़की की ओर वाली खिड़की का पर्दा थोड़ा सा अपने स्थान से हटाया और फिर बड़ी सावधानी से नीचे सड़क पर झांका ।
सड़क के दूसरी ओर टेलीफोन के खम्बे के सहारे एक ओवरकोट धारी चीनी खड़ा था । वह बड़ी लापरवाही से सिगरेट के कश लगा रहा था और कभी-कभार नजर उठाकर इमारत के मुख्य द्वार की ओर देख लेता था ।
ओवरकोट वाला वह चीनी पिछले चार घन्टों से वहां मौजूद था । एक क्षण के लिये भी उसकी निगाह उस इमारत के द्वार से नहीं हटी थी और उस मुख्य द्वार के अतिरिक्त उस इमारत से बाहर निकलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं था ।
मार्क हैरिसन खिड़की के पास से हट गया । कुछ क्षण वह चिन्तित मुद्रा बनाये गहरी-गहरी सांसें लेता रहा । फिर उसने अपनी कलाई पर बंधी घड़ी पर दृष्टिपात किया ।
दस बजने में पांच मिनट बाकी थे ।
ठीक दस बजे उसके पास क्वांग चू मिंग नाम का एक चीनी सीक्रेट पुलिस का अफसर आने वाला था । क्वांग चू मिंग उससे इंगलिश सीखने आता था । हर रोज ठीक दस बजे वह मार्क हैरिसन के फ्लैट पर होता था । आज तक वह कभी एक मिनट भी लेट नहीं आया था । मार्क हैरिसन जानता था कि क्वांग चू मिंग के उसके फ्लैट में कदम रखते ही इमारत की निगरानी के लिये बाहर सड़क पर खड़ा ओवरकोट वाला चीनी कहीं गायब हो जायेगा और क्वांग चू किंग के फ्लैट से विदा होते ही वापिस अपने स्थान पर आ डटेगा । पिछले पांच दिनों में उसने यह बात विशेष रूप से नोट की थी । शायद क्वांग चू किंग की मौजूदगी में ओवरकोट वाला चीनी मार्क हैरिसन के कहीं खिसक जाने की अपेक्षा नहीं करता था इसलिये वह उतने समय में कहीं चाय वगैरह पीने चला जाता था ।
मार्क हैरिसन ने लगभग आठ दिन पहले पहली बार महसूस किया था कि उस इमारत की निगरानी हो रही है । तीन आदमी शिफ्टों में उस इमारत की हर समय निगरानी करते थे । तीन-चार दिन तो मार्क हैरिसन को सूझा ही नहीं था कि निगरानी उस इमारत की नहीं उसकी अपनी हो रही है । पहली बार उसके दिमाग में यह ख्याल बिजली की तरह तब कौंधा था जब उसने महसूस किया था कि जिस समय चायनीज इन्टैलीजेंस का कोई अधिकारी उसके फ्लैट में मौजूद होता है उस समय बाहर सड़क पर निगरानी करने वाला आदमी दिखाई नहीं देता ।
वह बेहद भयभीत हो उठा था ।
जिस दिन उसे पहली बार इस बात का अहसास हुआ था उसी दिन उसने वहां और फिर हमेशा के लिये चीन से कूच कर जाने का फैसला कर लिया था । लेकिन अपने इरादे को कार्य रूप में परिणित करने का कोई मामूली सा भी मौका उसके हाथ में नहीं लग रहा था । वह जहां भी जाता था कोई न कोई आदमी साये की तरह उसे अपने पीछे लगा दिखाई दिया था ।
पिछले चार दिनों में उसने वहां से निकल भागने की स्कीम बनाई थी और आज उसके अनुसार काम करने का अवसर आ गया था ।
जो कुछ वह करने वाला, उसके विचार मात्र से उसे पसीने छूटने लगे थे । वह डरपोक आदमी था और मामूली सी मुश्किल आ जाने पर भी वह एकदम बहुत घबरा जाता था । लेकिन यह जानता था कि अगर वर्तमान स्थिति में उसने हिम्मत से काम नहीं लिया तो वह चीनियों के हाथ में पड़ जाएगा । और फिर उसकी बहुत दुर्गति होगी । शायद एस्पियानेज के इल्जाम में उसे गोली से ही उड़ा दिया जाए ।
अपने उस भंयकर अंजाम के विचार मात्र से ही उसके शरीर में झुरझुरी दौड़ गई ।
उसने अपने सिर को जोरदार झटका दिया और उस मेज की ओर बढा जिसके ऊपर एक सूटकेस रखा था । उसने सूटकेस को बन्द किया और उसे उठाकर पलंग के नीचे सरका दिया । मेज के दराज में से उसने एक छोटा सा किन्तु वजनी लोहे का डण्डा निकाला और उसे अपने कोट की भीतरी जेब में रख लिया ।
एक बार फिर उसके चेहरे पर पसीने की बूंदें चुहचुहा आईं । उसने अपना जेब से एक मैला सा रूमाल निकालकर अपना चेहरा पोंछा । आज वह बड़ी मुश्किल से अपनी चीनी पत्नी तान को किसी बहाने से घर से बाहर भजने के लिये तैयार कर सका था । उसे तान के दो घन्टे से पहले लौटने की आशा नहीं थी ।
उसी क्षण बाहर लकड़ी की सीढियों पर किसी के भारी कदम पड़ने की आवाज आई ।
वह दुबारा खिड़की के पास पहुंचा । उसने थोडा सा पर्दा हटाकर सावधानी से खिड़की से बाहर झांका । टेलीफोन के खम्बे के समीप उसे ओवरकोट वाला चीनी नहीं दिखाई दिया । ओवरकोट वाला चीनी सड़क पर कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा था ।
भारी कदमों की आवाज उसके फ्लैट के द्वार के सामने आकर शान्त हो गई थी । फिर उसके फ्लैट की घन्टी बज उठी ।
उसने अपने बालों में उंगलियां फिराई, नाक से चश्मा हटाकर अपने सारे चेहरे पर दुबारा रूमाल फेरा, यह चैक किया कि कहीं लोहे का छोटा सा वजनी डण्डा कहीं उसके कोट की भीतरी जेब में से बाहर दिखाई तो नहीं दे रहा था । फिर वह अपनी टाई की गांठ को बड़े नर्वस ढंग से अपनी उंगलियों द्वारा टटोलता हुआ आगे बढा । उसने फ्लैट का द्वार खोला ।
द्वार पर लम्बे चौड़े शरीर वाला क्वांग चू किंग खड़ा था ।
वह मार्क हैरिसन को देखकर मुस्कराया उत्तर में मार्क हैरिसन भी मुस्कराया और दरवाजे से एक ओर हट गया ।
क्वांग चू किंग भीतर प्रविष्ट हुआ और कमरे के बीच में पड़ी मेज के समीप एक कुर्सी खींचकर बैठ गया । मार्क हैरिसन ने द्वार भीतर से बन्द किया और क्वांग चू किंग के सामने एक अन्य कुर्सी पर बैठ गया ।
“गुड मार्निंग मिस्टर हैरिसन ।” - क्वांग चू किंग मशीन की तरह एकरसतापूर्ण स्वर से अंग्रेजी में बोला - “आज दिन वाकई बहुत अच्छा है ।”
क्वांग चू किंग ने वाक्य बिल्कुल ठीक बोला था लेकिन उसका अंग्रेजी का उच्चारण बहुत विचित्र था ।
“और क्या हाल-चाल है ।” - मार्क हैरिसन ने पूछा । उसकी अपने सामने बैठे मोटे चीनी के हाल-चाल में कतई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन इस प्रकार का वार्तालाप वह उसे केवल भाषा का अभ्यास कराने के लिये करता था ।
“सब ठीक है । आप सुनाइये मिस्टर हैरिसन ।”
“मैं भी ठीक हूं ।”
“आपकी पत्नी कैसी हैं ?”
“वह भी ठीक है । थैंक्यू ।”
“आज वह कमरे में नहीं है ?”
“वह बाजार गई है ।” - मार्क हैरिसन बोला - “कामरेड आप को कमरे की जगह घर शब्द का प्रयोग करना चाहिये था ।”
“सॉरी ।” - क्वांग चू किंग भावहीन स्वर से बोला - “आज आपकी पत्नि घर में नहीं हैं ?”
“करैक्ट ।”
क्वांग चू किंग चुप रहा ।
“पुस्तक खोल लीजिये” - मार्क हैरिसन बड़े सरल और स्पष्ट शब्दों से बोला - “और उसे उस स्थान से पढना आरम्भ कीजिये जहां आपने उसे कल छोड़ा था ।”
क्वांग चू किंग ने मेज पर से पुस्तक उठाई और उसे खोलकर एक स्थान से पढना आरम्भ कर दिया । मार्क हैरिसन बड़ी सावधानी से एक-एक शब्द चुनता रहा । कभी कभार वह उसके किसी विशेष शब्द के उच्चारण में संशोधन कर देता था और उससे यह पूछ लेता था कि जो कुछ वह पढ रहा है उसका अर्थ उसकी समझ में आ रहा है या नहीं ।
क्वांग चू किंग सहमतिसूचक ढंग से सिर हिला देता था और फिर आगे पढने लगता था ।
मार्क हैरिसन अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ । उसने अपने हाथ अपनी पीठ पर बांध लिये और वह गम्भीरता का प्रति मूर्ति बना कमरे में टहलने लगा ।
क्वांग चू किंग बड़ी तन्मयता से पुस्तक पढ रहा था ।
मार्क हैरिसन टहलता हुआ क्वांग चू किंग के सामने से हटकर उसकी कुर्सी के पीछे आ गया ।
“यह वाक्य फिर से पढिये कामरेड क्वांग चू किंग ।” - मार्क हैरिसन उसके कंधे के पीछे से सामने की ओर झुक कर किताब को एक स्थान पर छूता हुआ बोला ।
क्वांग चू किंग वह वाक्य दुबारा पढने लगा ।
मार्क हैरिसन सीधा खड़ा हो गया । उसने धीरे से अपने कोट की भीतरी जेब में हाथ डाला । उसकी पसीने से भीगी उंगलियां लोहे के डण्डे से लिपट गई थी । उसका दिल जोरों से धड़कने लगा था और सांस अव्यवस्थित होने लगी थी । उसे भय था कि कहीं क्वांग चू किंग को उसकी दिल की धड़कन या उखड़ती सांसों की आवाज सुनाई न दे जाये ।
उसने धीरे से डण्डा कोट की जेब से बाहर खींच लिया ।
क्वांग यू किंग का सिर किताब पर झुका हुआ था ।
मार्क हैरिसन ने अपने दांत भींच लिये और पूरी शक्ति से लोहे के डण्डे का प्रहार उसकी खोपड़ी के पृष्ठ भाग में किया ।
क्वांग चू किंग के गले से एक हल्की सी घरघराहट निकली । उसका सर ढप से जाकर सामने पड़ी मेज से टकराया ।
उसका भारी भरकम शरीर एक बार कांपा और फिर निश्चेष्ट हो गया । खोपड़ी में से निकलता हुआ गाढा-गाढा खून उसकी गरदन पर बहने लगा था ।
खून की सूरत देखते ही मार्क हैरिसन का दिल खराब होने लगा । उसके होंठ सूखने लगे । उसने डन्डा जमीन पर फेंक दिया और जल्दी से अपनी निगाहें उस ओर से हटा लीं । अपने तेजी से धड़कते दिल और उखड़ती सांसों को व्यवस्थित करने का प्रयत्न करता हुआ वह खिड़की के पास पहुंचा और परदा हटाकर फिर नीचे झांका ।
नीचे उसे कोई सन्दिग्ध व्यक्ति दिखाई नहीं दिया ।
उसने खूंटी पर से अपनै हैट उठाकर अपने सिर पर जमाया पलंग के नीचे से अपना सूटकेस निकाला और बिना क्वांग चू किंग के अचेत शरीर की ओर दृष्टिपात किये द्वार की ओर बढा ।
उसी क्षण फ्लैट के शान्त वातावरण में नगाड़े पर पड़ने वाली सैकड़ों चोटों की तरह कालबैल की आवाज गूंज उठी ।
मार्क हैरिसन के हाथ में सूटकेस छूटकर धम्म से फर्श पर गिरा । भय और आतंक के अतिरेक से उसका मुंह सूख गया । वह मुंह बाये यू मुख्य द्वार को देखने लगा जैसे वहां उसकी मौत खड़ी हो ।
फ्लैट की घन्टी फिर बजी ।
“ओ माई गाड ! ओ माई गुड गाड !” - मार्क हैरिसन बड़बड़ाया । उसी क्षण उसकी निगाह क्वांग चू किंग के शरीर पर पड़ी । उसकी कोट सामने से थोड़ा सा खुल गया था और उसे उसके दायें कन्धे के नीचे लटके शोल्डर होल्स्टर में रखी रिवाल्वर की मूठ दिखाई दी । मार्क हैरिसन लपककर आगे बढा उसके कांपती उंगलियों से रिवाल्वर शोल्डर होल्स्टर में से निकाल ली । वह रिवाल्वर को मजबूती से थामे द्वार की ओर बढा ।
फ्लैट की घन्टी फिर बजी और साथ ही उसे अपनी चीनी पत्नी तान की आवाज सुनाई दी - “मार्क !”
मार्क हैरिसन के मुंह से गहरी सांस निकल गई । हे भगवान यह तो तान थी जो किसी वजह से दो घन्टे से पहले ही लौट आई थी । उसने रिवाल्वर को बिस्तरे पर फेंक दिया । और फर्श पर से दुबारा लोहे का डण्डा उठा लिया । डण्डे के एक भाग में लगा लाल खून चमक रहा था । मार्क हैरिसन ने डण्डे को अपनी पीठ पीछे छुपा लिया और आगे बढकर दरवाजा खोल दिया ।
बाहर तान खड़ी थी ।
“अच्छा हुआ तुम आ गई” - मार्क हैरिसन जल्दी से चीनी में बोला - “क्वांग चू किंग बेहोश हो गया है ।”
“कैसे ?” - तान के मुंह से निकला और वह तेजी से फ्लैट के भीतर प्रविष्ट हुई ।
मार्क हैरिसन ने पांव की ठोकर मारकर दरवाजा बन्द कर दिया । उसका लोहे के डण्डे वाला हाथ हवा में घूमा । इससे पहले कि तान के मुंह से एक शब्द भी निकल पाता लोहे का भारी डण्डा उसकी कनपटी पर कान के ऊपर टकराया । तान का नाजुक शरीर एक बार लहराया और फिर कटे वृक्ष की तरफ फर्श पर आ गिरा ।
मार्क हैरिसन ने उस पर दुबारा दृष्टिपात करने में भी समय नष्ट नहीं किया । उसने डण्डा फर्श पर फेंका, लपककर अपना सूटकेस उठाया और तेजी से फ्लैट से बाहर निकल गया ।
सीढियां तक करके नीचे पहुंचने तक वह बुरी तरह हांफने लगा था । सूटकेस हाथ में उठाये वह तेजी से सड़क पर एक ओर चलने लगा ।
कोई उसका पीछा नहीं कर रहा था ।
सड़क के मोड़ से उसे बस मिल गई । बस में बेहद भीड़ थी । किसी को मार्क हैरिसन की हालत पर गौर करने की फुर्सत नहीं थी ।
वांग स्ट्रीट पर वह बस से उतर गया ।
सूटकेस सम्भाले वह आगे बढा । सूटकेस भारी नहीं था लेकिन मानसिक और शारीरिक रूप से बुरी तरह उत्तेजित होने के कारण सूटकेस उससे सम्भल नहीं पा रहा था । सूटकेस का निचला भाग रह रहकर घुटने के समीप उसकी टांग से टकरा जाता था ।
वांग स्ट्रीट के सिरे पर वह एक इमारत के सामने रुका । वह मुख्य द्वार के भीतर प्रविष्ट हुआ और फिर लकड़ी की सीढियां चढने लगा । ऊपर की मंजिल के एक दरवाजे के सामने जाकर वह रुक गया । उसने कालबैल के पुश पर उंगली रख दी ।
कुछ क्षणों बाद दरवाजा खुला । दरवाजा एक लगभग पच्चीस साल की खूबसूरत लड़की ने खोला । वह एक गले से लेकर पांव तक लम्बा हाउस कोट पहने हुए थी । वह अजरा गमाल थी । उसने विचित्र नेत्रों से मार्क हैरिसन को देखा । उसके हाथ में थमे सूटकेस को देखकर उसके नेत्र सिकुड़े और फिर वह अंग्रेजी में बोली - “हल्लो ! कैसे आये ?”
“प्लीज ।” - मार्क हैरिसन बोला - “लैट मी इन ।”
“यस वाई नाट ।” - अजरा गमाल बोली और एक ओर हट गई ।
मार्क हैरिसन भीतर प्रविष्ट हुआ । उसने अपना सूटकेस फर्श पर रख दिया और पलंग पर बैठ गया । उसने अपना हैट उतारकर अपने समीप रख लिया और लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगा ।
अजरा गमाल न दरवाजा बन्द कर दिया और उसके सामने आ खड़ी हुई ।
“कैसे आये ?” - उसने पूछा ।
मार्क हैरिसन ने उत्तर नहीं दिया । उसके मानस पटल पर अपने फ्लैट का दृष्य घूम रहा था, जहां उसके अप्रत्याशित आक्रमण के शिकार क्वांग चू मिंग और तान पड़े थे । क्वांग चू मिंग तन्दरुस्त आदमी था । मार्क हैरिसन को पूरा विश्वास था कि खोपड़ी पर पड़े लोहे के डण्डे के प्रहार से वह मरेगा नहीं लेकिन तान ? तान तो बड़ी छोटी सी नाजुक सी लड़की थी । वह जरूर दूसरी दुनिया में पहुंच गई होगी ।
उसका दिल डूबने लगा ।
फिर उसे डेढ लाख पौंड की उस रकम का ख्याल आया जो बैंक ऑफ इंगलैंड में उसके नाम जमा थी और उसकी प्रतीक्षा कर रही थी । उसके मन को थोड़ी राहत मिली ।
“कहीं जा रहे हो ?” - उसके कानों में अजरा गमाल की आवाज पड़ी ।
मार्क हैरिसन ने सिर उठाकर उसकी ओर देखा और फिर बोला - हां । अजरा, बैठो । मैं तुमसे बात करना चाहता हूं ।”
“क्या बात है ? तुम तो बहुत भयभीत दिखाई दे रहे हो ।”
वह चुप रहा ।
अजरा गमाल उसके सामने एक कुर्सी पर बैठ गई ।
“मैं कुछ दिन यहां रहना चाहता हूं ।” - मार्क हैरिसन बोला ।
“यहां, कहां ?” - अजरा गमाल सशंक स्वर से बोली ।
“तुम्हारे फ्लैट में ।”
“मेरे फ्लैट में । पागल हुए हो क्या ?”
“अजरा प्लीज । यह बहुत जरूरी है । मुझे चीन से निकल भागने का इन्तजाम करने में कुछ दिन लगेंगे । उतना समय मेरा किसी सुरक्षित स्थान पर रहना जरूरी है ।”
“और सुरक्षित स्थान के रूप में तुमने मेरा फ्लैट चुना है ?”
“हां ।”
“लेकिन यह असम्भव है । यहां जगह नहीं है ।”
“जगह बन जायेगी । अजरा प्लीज । प्लीज अजरा । मेरा तुम्हारे साथ रहना बहुत जरूरी है क्योंकि मुझे तुम्हारी सहायता की जरूरत है । तुम्हारी सहायता के बिना मैं पीकिंग से बाहर नहीं निकल सकता ।”
“लेकिन बाबा यहां जगह नहीं है । मेरे पास एक ही कमरा है । एक ही बिस्तर है ।”
“मैं फर्श पर सो जाऊंगा । मैं तुमको बिना कोई तकलीफ दिये अपना कोई इन्तजाम कर लूंगा लेकिन अजरा, भगवान के लिये मेरी मदद करो । मुझे कुछ दिन यहां ठहर जाने दो । मैं तुम्हारा अहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूंगा ।”
मार्क हैरिसन बुरी तरह गिड़गिड़ा रहा था । अजरा को लगा अगर उसने फौरन हां नहीं की तो वह जरूर रो पड़ेगा और शायद उसके पांव ही पकड़ लेगा ।
“सीक्रेट पुलिस बाकायदा तुम्हारे पीछे पड़ी हुई है ?” - उसने तनिक नम्र स्वर में पूछा ।
“हां ।” - मार्क हैरिसन धीरे से बोला ।
“तुम्हारी इस फ्लैट में मौजूदगी मेरे लिये खतरनाक साबित हो सकती है ।”
“ऐसा नहीं होगा । मुझे यहां आते किसी ने नहीं देखा है और मैं यह से विदा होने के समय से पहले इस कमरे से बाहर कदम भी नहीं रखूंगा । वैसे भी तुम्हारी ओर किसी का ध्यान नहीं जा सकता ।”
“लेकिन तुम पीकिंग से निकलकर जाओगे कैसे ?”
“इसकी एक स्कीम मेरे दिमाग में है ।”
“ओके ।” - अजरा गमाल अनिच्छापूर्ण स्वर से बोली ।
“थैंक्यू वैरी मच ।” - मार्क हैरिसन बोला और उसको अजरा का हाथ अपने दोनों हाथों में थामकर जोर-जोर से हिलाना आरम्भ कर दिया ।
“अब क्या मेरी बांह उखाड़ोगे ?”
“सॉरी ।” - मार्क हैरिसन लज्जित स्वर से बोला । उसने फौरन अजरा गमाल का हाथ छोड़ दिया ।
***
एयरोफ्लोट के जिस प्लेन में सुनील ने हांगकांग से पीकिंग तक सफर किया, उसमें आधे से अधिक अमेरेकन टूरिस्ट थे । सारे रास्ते सुनील उन्हीं से घिरा अपनी हवाई जहाज की सीट पर बैठ रहा था । टूरिस्ट अपने आप में इतने मग्न थे कि किसी ने सुनील की ओर ध्यान नहीं दिया था, किसी ने सुनील से कोई प्रश्न नहीं किया था ।
एयरोफ्लोट का प्लेन पीकिंग एयरपोर्ट पर उतरा ।
अमेरिकन टूरिस्टों के झुण्ड के साथ ही सुनील भी एयरपोर्ट की इमारत की ओर चल पड़ा ।
कस्टम पर उसका सामान और पासपोर्ट चैक किया गया । पासपोर्ट चैक करने वाले अधिकारी ने उससे कुछ सीधे-सीधे सवाल पूछे जिनसे खोजबीन कम और उत्सुकता अधिक झलकती थी । जैसे -
“मिस्टर कमाल ?”
“यस ।”
“बिजनेस ?”
“यस । शिपिंग ।”
“पीकिंग में कब तक ठहरियेगा ?”
“कम से कम चार दिन । शायद जल्दी भी चला जाऊं ।”
“पीकिंग के अतिरिक्त आप कहीं और जायेंगे ?”
“नहीं ।”
“नगर में आप कहां ठहरेंगे ?”
“होटल द् फ्रांस एत् शाइन में । मैं हमेशा वहीं ठहरता हूं ।” - सुनील बोला । उस होटल को उसे रंगा ने बताया था । रंगा को उसका वहां ठहरना इसलिये ज्यादा उचित लगा था क्योंकि उस होटल से मार्क हैरिसन के निवास स्थान का फासला बहुत कम था और वहां तक बड़ी सहूलियत से पैदल चलकर जाया जा सकता था ।
“आप पीकिंग में पहले भी आये हैं ?”
“हां । कई बार ।”
“नगर कैसा लगा आपको ?”
“जितना मैंने देखा है, उतना अच्छा ही लगा है । लेकिन क्योंकि मैं यहां बिजनेस के लिये आता हूं और अपने काम में ही मेरा बहुत वक्त लग जाता है इसलिये मैं घूमने फिरने के लिये समय नहीं निकाल पाता हूं ।”
“आई सी ।” - अधिकारी उसका पासपोर्ट उसे लौटाता हुआ बोला - “ओके । विश यू ए हैपी टाइम इन चायनीज पीपुल्स रिपब्लिक ।”
“थैंक्यू ।” - सुनील बोला ।
उसने अपना पासपोर्ट जेब में रख लिया और काउन्टर से हट गया । कस्टम से क्लियरेंस मिल चुकने के बाद उसने अपना सूटकेस सम्भाला और एयरपोर्ट की इमारत से बाहर निकल आया । बाहर आकर उसने एक टैक्सी ली और होटल द् फ्रांस एत् शाइन में पहुंच गया । रिसैप्शन पर उसने स्वंय को रजिस्टर करवाया और रजिस्टर पर हस्ताक्षर किये । एक बैल ब्वाय ने उसका सूटकेस सम्भाला । सुनील उसके पीछे-पीछे हो लिया । बैल ब्वाय उसे दसवीं मंजिल के एक कमरे में छोड़ गया ।
लगभग पन्द्रह मिनट बाद उसके आर्डर पर एक वेटर चाय लेकर आया । वेटर के साथ ही एक योरोपियन परिधानधारी सूरत से बड़ा आधुनिक और पढा लिखा चीनी भी आया ।
“गुड डे ।” - वह मधुर स्वर से बोला - “मैं होटल का मैनेजर हूं ।”
“यस ।”
“यूअर पासपोर्ट प्लीज ।”
“लेकिन पासपोर्ट में काउन्टर पर दिखा चुका हूं ।”
“फिर दिखा दीजिये ।”
“लेकिन...”
“आई एम सारी, सारी लेकिन यह पीकिंग के हर होटल का नियम है । काउन्टर पर आपका पासपोर्ट केवल रजिस्ट्रेशन के लिये देखना जरूरी था और उस समय पासपोर्ट देखने वाला केवल एक मामूली क्लर्क था लेकिन अब...”
“अब क्या ?” - सुनील ने प्रश्न किया । मन ही मन वह चिन्तित हो उठा था । कहीं किसी को उस पर सन्देह तो नहीं हो गया था ।
“हमें सारे विदेशियों के पासपोर्ट चैकिंग के लिये चायनीज सिक्योरिटी पुलिस के दफ्तर में भेजने पड़ते हैं । यह एक मामूली सी रुटीन है, मिस्टर कमाल । इसमें कोई परेशान होने वाली बात नहीं है ।”
“ओके ।” - सुनील बोला और उसने पासपोर्ट निकालकर मैनेजर के हाथ में दे दिया ।
“थैंक्यू ।” - मैनेजर बोला - “पासपोर्ट लगभग दो घन्टे में आपके पास पहुंच जायेगा ।”
मैनेजर चला गया ।
अगले दो घन्टे तक सुनील को हर क्षण यही चिन्ता सताती रही कि क्या चायनीज सिक्योरिटी पुलिस की निगाहों से यह बात छपी रह सकेगी कि उसका पासपोर्ट जाली है ।
ठीक दो घन्टे बाद एक वेटर उसका पासपोर्ट उसे लौटा गया ।
सुनील की जान में जान आई ।
उसने पासपोर्ट को जेब में रखा और सूटकेस उठाकर मेज पर रख लिया । उसने सूटकेस को खाली किया और फिर एक पतले से चाकू से उसकी लाइनिंग उधेड़ने लगा । सूटकेस के नीचे एक फाल्स बाटम था जिसमें से एक खिलौना सी रिवाल्वर और एक साइलेंसर निकल आया । सुनील ने रिवाल्वर पर साइलैंसर फिट किया और फिर रिवाल्वर को अपनी पतलून की बैल्ट में खोंस कर ऊपर से बटन बन्द कर लिये । उसने सूटकेस का सामान वापिस सूटकेस में भर कर ताला लगा दिया ।
वह कमरे से बाहर निकल आया । उसने कमरे का ताला लगाया और लिफ्ट के द्वारा ग्राउन्ड फ्लोर पर आ गया । उसने एक सिगरेट सुलगी ली और लापरवाही से टहलता हुआ उस दिशा में बढ चला जहां मार्क हैरिसन का निवास स्थान था ।
पांच मिनट में वह उस इमारत के सामने पहुंच गया जिसमें मार्क हैरिसन का मकान था । इमारत के सामने एक बड़ी सी कार खड़ी थी जिसके पास तीन-चार लम्बे ओवरकोट पहने चीनी खड़े थे ।
सुनील इमारत के भीतर की ओर बढा ।
उन्होंने विचित्र नेत्रों से सुनील की ओर देखा लेकिन कोई मुंह से कुछ नहीं बोला ।
मुख्य द्वार के समीप कुछ लैटरबक्स लगे थे जिनमें से एक पर लिखा था -
मुहम्मद यासीन
एम्बैसी आफ पाकिस्तान, चौथी मंजिल ।
सुनील सीढियां चढने लगा । मार्क हैरिसन का फ्लैट दूसरी मंजिल पर था, यह उसे पहले ही मालूम था ।
मार्क हैरिसन के फ्लैट के सामने पहुंचकर उसने कालबैल बजाई ।
दरवाजा खुला ।
लेकिन दरवाजा खोलने वाला आदमी मार्क हैरिसन नहीं था ।
दरवाजा एक बड़े क्रूर चेहरे वाले चीनी ने खोला था जो चीनी पुलिस के सार्जेन्ट की यूनीफार्म पहने हुए था । कमरे के भीतर कई आदमी मौजूद थे जिनमें से दो तीन पुलिस के भी थे ।
सार्जेन्ट ने चीनी में कुछ कहा ।
“मुहम्मद यासीन साहब हैं ?” - सुनील इंगलिश में बोला ।
उत्तर में सार्जेन्ट फिर चीनी में कुछ बोला ।
उसी क्षण एक अन्य सूटधारी चीनी सार्जेन्ट की बगल में आ खड़ा हुआ दोनों में चीनी में कुछ बात हुई । फिर सूटधारी व्यक्ति सुनील की ओर आकर्षित होकर अंग्रेजी में बोला - “मैं इंगलिश जानता हूं । आप क्या चाहते हैं ?”
“मैं यहां पाकिस्तानी की एम्बैसी के मुहम्मद यासीन से मिलने आया हूं ।”
उस व्यक्ति ने सन्दिग्ध नेत्रों से उसकी ओर देखा और फिर बोला - “मुहम्मद यासीन यहां नहीं रहता ।”
“और फिर कहां रहता है ?” - सुनील ने मूर्खतापूर्ण प्रश्न किया ।
“यह बहुत बड़ी इमारत है । वह किसी और फ्लैट में रहता होगा ?”
“ओके । थैंक्यू । मैं तलाश कर लूंगा ।” - और सुनील वापिस घूमा ।
“सुनिये ।” - चीनी ने पीछे से आवाज दी ।
सुनील ठिठक गया । वह वापिस चीनी की ओर घूमा और प्रश्नसूचक नेत्रों से उसे देखने लगा ।
“आप भी पाकिस्तान की एम्बैसी से सम्बद्ध हैं ?”
सुनील तनिक हिचकिचाया और फिर बोला - “जी नहीं ।”
“फिर ?”
“मैं बाहर से आया हूं ।”
“कहां से ?”
“हांगकांग से ।”
“आपका नाम ?”
“कमाल । हैदर कमाल ।”
“पीकिंग कैसे आये ?”
“मेरा शिपिंग का धन्धा है । बिजनेस ट्रिप पर आया हूं ।”
“पीकिंग कब आये आप ?”
“आज ही ।” - सुनील कठिन स्वर से बोला ।
“कृपया अपना पासपोर्ट दिखाइये ?”
“आप मेरा पासपोर्ट देखने की अथारिटी रखते हैं ?”
“आपको पासपोर्ट दिखाने से एतराज है ?” - चीनी कठोर स्वर से बोला ।
“कतई एतराज नहीं है ।” - सुनील अपनी जेब से पासपोर्ट निकालकर उसकी ओर बढाता हुआ बोला - “लेकिन मुझे मालूम तो होना चाहिये कि मैं अपना पासपोर्ट किसको दिखा रहा हूं ।”
“मैं सिक्योरिटी पुलिस का चीफ तान फान सी हूं ।” - वह बोला । उसने सुनील के हाथ के पासपोर्ट ले लिया । वह पासपोर्ट को उलट पलट कर देखने लगा । सिक्योरिटी पुलिसी की क्लियरेंस की सील उस पर पहले ही लग चुकी थी । उस सील पर निगाह पड़ते ही उसने सन्तुष्टिपूर्ण ढंग से सिर हिलाया और पासपोर्ट सुनील को लौटा दिया ।
“थैंक्यू ।” - वह बोला ।
सुनील मुस्कराया और वापिस घूम पड़ा । दरवाजा उसके पीछे बन्द हो गया ।
मार्क हैरिसन के फ्लैट पर सिक्योरिटी पुलिस की मौजूदगी स्पष्ट अर्थ था कि कोई भयंकर घटना घट गई थी लेकिन क्या ? वह जानने का सुनील के पास कोई साधन नहीं था । सारी बात का उसे एक ही हल दिखाई दिया कि मार्क हैरिसन गिरफ्तार हो गया और सिक्योरिटी पुलिस शायद उसके फ्लैट में ही उससे पूछताछ कर रही है ।
वह देर से पहुंचा था ।
मार्क हैरिसन की गिरफ्तारी का मतलब ही यह था कि आपरेशन असफल रहा था ।
वह वापिस सीढियां उतरने लगा ।
उसी क्षण सीढियों के निचले मोड़ से दो चीनी घूमे और सीढियां चढने लगे ।
उनमें से एक पर निगाह पड़ते ही सुनील बुरी तरह चौंक पड़ा । उसने उन चीनियों की ओर से फौरन पीठ फेर ली और वापिस सीढियां चढने लगा । उसका दिल जोरों से धड़कने लगा था ।
जिस आदमी की सूरत देखकर सुनील यू उल्टे पांव वापिस भागा था, वह एक ठिगना सा, मोटा सा चीनी था । सुनील उसका नाम नहीं जानता था लेकिन यह अच्छी तरह जानता था कि वह चीनी एजेन्ट था । सुनील उससे हांगकांग में दो बार टकरा चुका था । पहली बार तब जब वह एरिका ओल्सन नाम की स्वीडिश लड़की की तलाश में हांगकांग गया था (देखिये उपन्यास ‘काला मोती’) और दूसरी बार तब जब वह कर्नल मुखर्जी के एजेन्ट नगेन्द्र सिंह चौधरी की तलाश में हांगकांग गया था । (देखिये उपन्यास ‘आपरेशन डबल एजेन्ट’)
सुनील तीसरी मंजिल के मोड़ के पास जाकर रुक गया और सावधानी से नीचे देखने लगा ।
मोटा चीनी अपने साथी के साथ मार्क हैरिसन के फ्लैट के सामने पहुंचा । उसने काल बैल बजाई । दरवाजा खुला । वह अपने साथी के साथ भीतर प्रविष्ट हो गया । दरवाजा फिर बन्द हो गया ।
सुनील ने शान्ति की सांस ली ।
उस मोटे चीनी का नाम च्यांग लू था । वह सुनील को अच्छी तरह पहचानता था । नगेन्द्र सिंह चौधरी के मामले में क्योंकि उसे बुरी तरह असफलता का मुंह देखना पड़ा था इसलिये उसे हांगकांग से वापिस पीकिंग बुला लिया गया था । संयोगवश ही सुनील उसकी निगाहों में आने से बच गया था । अगर उसने सुनील को वहां देख लिया होता तो सारा खेल ही खत्म हो जाता । सुनील की पोल चुटकियों में खुल जाती ।
मार्क हैरिसन के फ्लैट का दरवाजा बन्द हो जाने के बाद सुनील अपने स्थान से हिला । वह सावधानी से सीढियां उतरने लगा । अभी वह कछ ही सीढियां उतरा था कि उसे अपने पीछे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी । सुनील ने घूमकर देखा । एक योरोपियन सीढियां उतर रहा था । सुनील उससे दो कदम आगे सीढियां उतरता रहा ।
“मार्क हैरिसन के फ्लैट में क्या हो गया है ?” - मार्क हैरिसन के फ्लैट के सामने से गुजरते समय सुनील ने अपने पीछे आते योरोपियन से प्रश्न किया । उसके पूछने का ढंग बिल्कुल ऐसा था जैसे वह भी उसी इमारत के किसी अन्य फ्लैट में रहता हो और एक पड़ोसी के नाते केवल उत्सुकतावश यह प्रश्न कर रहा हो ।
“ही हैज डन ए टैरीबल थिंग ।” - योरोपियन बोला - “उसने अपनी बीवी का मर्डर कर दिया है और एक सरकारी अफसर को बुरी तरह घायल कर दिया है ।”
“पुलिस तो उसकी अच्छी खबर ले रही होगी ।”
“खबर तो पुलिस तब ले जबकि वह पकड़ा जाये । वह तो खिसक गया कहीं । पुलिस को तो घटना की जानकारी बहुत देर बाद हुई थी ।”
“ओह ।” - सुनील बोल और चुप हो गया ।
सुनील इमारत से बाहर निकल आया ।
तो मार्क हैरिसन अभी चीनियों के हत्थे चढा नहीं था । लेकिन सुनील जानता था कि वर्तमान घटना के बाद अब चीनी बाकायदा उसके पीछे पड़ जायेंगे और उसे किसी भी हालत में चीन से निकलने नहीं देंगे । उसने अपनी बगल से गुजरती एक टैक्सी को संकेत किया । टैक्सी रुक गई । वह उसमें सवार हो गया ।
“लोटस क्लब ।” - वह ड्राइवर से बोला ।
***
मार्क हैरिसन ने अपने भूरे बालों को रंगकर एक दम काला कर लिया था चश्मा उतारकर फेंक दिया था और अपनी उन मोटी-मोटी मूछों को साफ कर दिया था जो कि पिछले पच्चीस साल से उसके चेहरे की शोभा बनी हुई थी । उसने अपनी सूरत को शीशे में देखा और फिर सन्तुष्टिपूर्ण ढंग से सिर हिलाया । मूछों के बिना उसका चेहरा बेहद लम्बा और पतला लगने लगा था ।
“क्या ख्याल है ?” - वह अजरा गमाल की ओर घूमकर बोला ।
“सूरत तो तुम्हारी बेहद बदल गई है लेकिन चश्मे के बिना तुम्हारा काम कैसे चलेगा ?” - अजरा गमाल कई क्षण उसके चेहरे को गौर से देखते रहने के बाद बोली ।
“मेरी नजर इतनी ज्यादा कमजोर नहीं है । मैं चश्मे के बिना काम चला सकता हूं ।”
अजरा गमाल चुप हो गई ।
मार्क हैरिसन अपने स्थान से उठा । उसने सूटकेस में से एक कैमरा निकाला और उसे अजरा गमाल की ओर बढा दिया ।
“इसका क्या करूं मैं ?” - अजरा गमाल ने प्रश्न किया ।
“इस कैमरे में फिल्म पड़ी हुई है ।” - तुम उससे मेरी पासपोर्ट पर लगाने के काबिल तीन चार तस्वीरें खींच दो ।”
“तस्वीरों का क्या होगा ?”
“अभी बताता हूं । पहले तुम तस्वीरें तो खींचो ।”
अजरा गमाल ने तस्वीरें खींच दी । मार्क हैरिसन ने उसके हाथ से कैमरा ले लिया और फिल्म को वापिस घुमाकर रोल बाहर निकाल लिया । फिर उसने अपनी जेब से एक पासपोर्ट निकाला ।
“यह मेरा ब्रिटिश पासपोर्ट है” - वह बोला - “इस पासपोर्ट और फिल्म को तुम ची पेई नाम के चीनी के पास ले जाओ । ची पेई एक बूढा आदमी है और वह पेक्स होटल की किचन में रात की शिफ्ट में लिफ्ट चलाता है । वह थर्ड स्ट्रीट की एक गन्दी सी इमारत में रहता है । इमारत का नम्बर चौबीस है । जगह तलाश करने में तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होगी । उसे मेरा नाम बताना और कहना कि वह मेरे पासपोर्ट की पुरानी तस्वीर के स्थान पर मेरी नई तस्वीर बदल दे । ची पेई फ्रस्ट क्लास एनग्रेवर है । उसके द्वारा पासपोर्ट पर तस्वीर बदली जा चुकने के बाद कोई सोच भी नहीं सकेगा कि पासपोर्ट में कोई फोर्जरी की गई है । ची पेई बहुत हाई क्लास एनग्रेविंग करनी जानता है ।”
“लेकिन फिर भी पेक्स होटल में रात की शिफ्ट में लिफ्ट चलाता है ?”
“हां । चीन मे ऐसा ही होता है ।”
“वह इस काम में कितने दन लगाएगा ?”
“मुश्किल से दो दिन । मैं तुम्हें केवल दो दिन और तकलीफ दूंगा, अजरा । पासपोर्ट मेरे हाथ में आते ही मैं यहां से निकल जाऊंगा ।”
“और अगर उससे पहले ही कोई तुम्हें सूंघता हुआ यहां आ गया तो जानते हो, मेरा क्या होगा ?”
“ऐसा कुछ नहीं होगा, अजरा ।” - मार्क हैरिसन विश्वासपूर्ण स्वर से बोला - “किसी को मेरे यहां होने का ख्वाब भी नहीं आयेगा ।”
अजरा गमाल ने बिना एक शब्द बोले उसके हाथ उसके हाथ से पासपोर्ट और कैमरे की फिल्म ले ली ।
“और ये एक सौ युआन भी पेई को एडवांस मैं दे देना ।” - मार्क हैरिसन उसकी ओर एक सौ युआन का नोट बढाता हुआ बोला - “उसे कहना बाकी चार सौ युआन तब मिलेंगे जब वह पासपोर्ट तैयार करके देगा ।”
“अच्छा ।” - अजरा ने नोट ले लिया ।
“और ध्यान से जाना । कोई तुम्हारा पीछा न करे ।”
अजरा गमाल ने क्रोध भरे नेत्रों से मार्क हैरिसन को देखा ।
मार्क हैरिसन अपने आप में सिकुड़कर रह गया ।
अजरा फ्लैट से बाहर निकल गई । मार्क हैरिसन ने दरवाजा बन्द किया और स्प्रिंग लाक में ताला घुमाकर चाबी जेब में रख ली । वह चाबी उसे अजरा ने एमरजेन्सी के लिए दी थी ।
वह ची पेई के बारे में सोचने लगा ।
ची पेई उसे एक गुप्त एण्टी-कम्यूनिस्ट मीटिंग में मिला था । मीटिंग के बाद खुद उसी ने मार्क हैरिसन को बताया था कि हालांकि वह केवल लिफ्टमैन का काम करता है लेकिन वह बहुत ऊंचे दर्जे की ऐनग्रेविंग जानता है और यह कि अपने इस ज्ञान को वह कई बार पासपोर्ट फोर्ज करने के लिए इस्तेमाल कर चुका है । उसी ने मार्क हैरिसन को आफर दी थी कि उसे जरूरत पड़ने पर पांच सौ युआन में वह उसे बहुत शानदार जाली पासपोर्ट तैयार करके दे सकता है । उस समय उसने ची पेई की बात को मजाक में उड़ा दिया था क्योंकि उसने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि कभी उसे ची पेई की सेवाओं की आवश्यकता पड़ेगी ।
***
चायनीज सिक्योरिटी पुलिस के हैडक्वार्टर के एक कमरे में तीन आदमी बैठे थे ।
एक सिक्योरिटी पुलिस का चीफ तांग फान सी था ।
दूसरा क्वांग चू मिंग था । उसके सिर पर पट्टी बंधी हई थी और चेहरे पर मुर्दनी छाई हुई थी । वह जरूरत से ज्यादह मजबूत आदमी सिद्ध हुआ था । सिर पर इतनी भंयकर चोट लगने और ढेर सारा खून बह जाने के बावजूद भी वह हस्पताल में पड़ा होने के स्थान पर हैडक्वार्टर में मौजूद था ।
तीसरा आदमी मोटा चीनी एजेन्ट च्यांग लू था ।
तीनों के बीच में पड़ी विशाल मेज पर पीकिंग शहर का एक बहुत बड़ा नक्शा फैला हुआ था । तीनों बड़ी गौर से उसका अध्ययन कर रहे थे ।
“मार्क हैरिसन निकलकर नहीं जा सकता ।” - क्वांग चू मिंग बोला । उसने नक्शे को एक स्थान को अपनी उंगली से ठकठकाया - “वह जरूर यहीं कहीं होगा । उसे जरूर तलाश कर लिया जाएगा । केवल वक्त की बात है ।”
“और शायद तुम्हारी निगाह में वक्त का कोई महत्व ही नहीं है ।” - सिक्योरिटी पुलिस का चीफ तांग फान सी बोला - “कामरेड मार्क हैरिसन केवल तुम्हारी लापरवाही से भाग निकलने में सफल हो गया था । मैंने तुम्हें पहले ही उस आदमी के बारे में चेतावनी दी थी और अब जबकि वह हमारे हाथ से निकल जाने में सफल हो गया है तो तुम मुझे समझा रहे हो कि केवल वक्त की बात है । वह दुबारा तुम्हारे हाथ में आ जाएगा ।”
क्वांग चू मिंग चुप रहा ।
“उसको पकड़ने के लिए तम क्या कुछ कह रहे हो ?”
“हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन और सारे नेशनल हाइवेज पर पहरा बिठा दिया गया है । वह किसी भी रास्ते से पीकिंग से बाहर निकलकर नहीं जा सकता । च्यांग लू नगर के छोटे बड़े तमाम होटल और गैस्ट हाउस चैक करवाये हैं लेकिन वह कहीं भी नहीं है । मेरा ख्याल है कि वह जरूर किसी के घर में छुपा हुआ है ।”
“और ?”
“औह हम यह चैक कर रहे हैं कि मार्क हैरिसन अक्सर किन लोगों से मिला जुला करता था और अक्सर किन स्थानों पर जाया करता था ।”
“कोई नतीजा निकला ?”
“मार्क हैरिसन कभी कभार लोटस क्लब नाम की एक क्लब में जाया करता था । वह बी क्लास क्लब है । उसमें साधारणतया विदेशी नहीं जाते । इसीलिये वहां के कई वेटरों को मार्क हैरिसन की याद है । वह अंग्रेज था इसीलिए वह उस क्लब में बड़ी आसानी से सिंगल आउट हो जाया करता था । वहां अजरा गमाल नाम की एक अरेबियन बैली डान्सर नृत्य करती है । वेटरों ने कई बार क्लब में मार्क हैरिसन को उस डान्सर के साथ बातें करते देखा था ।”
क्वांग चू मिंग एक क्षण रुका और फिर बोला - “अजरा गमाल का बाप चीनी और मां अरब की थी । बाप एक एण्टी कम्यूटिस्ट रैली के साथ पकड़ा गया था और गोली से उड़ा दिया गया था । उसके एक साल बाद एक बस के नीचे आकर उसकी मां मर गई थी । अजरा गमाल तभी से चीन में रहती है । आज तक उसके बारे में कोई शिकायत नहीं सुनी गई । केवल अपने बाप की मृत्यु के बाद उसने अपना नाम अजरा ते लियांग से बदलकर अपनी मां के नाम पर अजरा गमाल रख लिया था ।”
“इस लड़की की निगरानी करवाओ ।” - चीफ ने आदेश दिया - “शायद सहायता के लिये मार्क हैरिसन उससे सम्पर्क स्थापित करे ।”
“बेहतर ।” - क्वांग चू मिंग सहमति सूचक ढंग से सिर हिलाता हुआ बोला ।
***
थर्ड स्ट्रीट की चौबीस नम्बर इमारत तलाश करने में अजरा गमाल को वाकई कोई दिक्कत नहीं हुई । वह वहां तक एक बस पर आई थी और उसे इस बात का पूरा भरोसा था कि किसी ने उसका पीछा नहीं किया था ।
वह इमारत में प्रविष्ट हुई । मार्क हैरिसन के कथनानुसार ची पेई पांचवीं मंजिल के सामने के हिस्से में रहता था । अजरा गमाल सीढियां चढने लगी । वह मन ही मन उस घड़ी को कोस रही थी जब उसने मार्क हैरिसन की हालत पर तरस खाकर उसे अपने फ्लैट में रखना स्वीकार कर लिया था । तीसरी मंजिल तक पहुंचते-पहुंचते वह थक गई और फिर उसे अपने आप पर और भी गुस्सा आने लगा । उसने मन ही मन फैसला कर लिया कि अगर मार्क हैरिसन दो दिन में वहां से न टला तो वह या तो उसे जबरदस्ती वहां से निकाल देगी और या फिर उसे वहां छोड़कर वह खुद वहां से निकल जायेगी । उसकी अक्ल में फौरन यह बात नहीं आई थी कि अगर मार्क हैरिसन उसके फ्लैट के अलावा कहीं और भी पकड़ा गया तो भी उस पर संकट आ सकता था । मार्क हैरिसन उससे अपने सम्पर्क की बात चीनी अधिकारियों के सामने उगल सकता था ।
चौथी मंजिल के मोड़ पर पहुंच कर उसने सीढियों के गुम्बद से नीचे झांका । सीढियों पर उसके अलावा किसी दूसरे आदमी ने कदम नहीं रखा था । उसने सन्तुष्टिपूर्ण ढंग से सिर हिलाया ।
कोई उसका पीछा नहीं कर रहा था ।
पांचवीं मजिल पर ची पेई के पोर्शन के सामने पहुंचकर उसने दरवाजा खटखटाया ।
थोड़ी देर बाद एक बूढे चीनी ने दरवाजा खोला । वह एक घिसी हुई सी पैंट और एक मैला बदरंग ओवरकोट पहने हुए था । उसके बाल सफेद थे और कमर झुकी हुई थी । उसके प्रश्नसूचक नेत्रों से अजरा गमाल की ओर देखा ।
“ची पेई ?” - अजरा गमाल ने पूछा ।
बूढे चीनी ने सहमति सूचक ढंग से सिर हिला दिया ।
“मैं तुम से बात करना चाहती हूं ।”
बूढा दरवाजे से एक ओर हट गया ।
अजरा गमाल भीतर प्रविष्ट हुई । कमरा बेहद गन्दा था । पांच मंजिल सीढियां तय कर चुकने के बाद अजरा गमाल बहुत थक चुकी थी लेकिन फिर भी उसने बैठने का इरादा छोड़ दिया । उसने अपनी जेब से पासपोर्ट, कैमरे की फिल्म और सौ युआन का नोट निकलकर वृद्ध की ओर बढा दिया । वद्ध ने यन्त्रचलित ढंग से अपना बायां हाथ आगे बढा दिया । तब अजरा गमाल का ध्यान उसके दायें हाथ की ओर गया ।
ची पेई के दायें हाथ पर पट्टी बन्धी हुई थी ।
“तुम्हारे हाथ को क्या हुआ ?” - अजरा गमाल ने पूछा ।
“सब्जी काटते समय चाकू लग गया ।” - ची पेई बायें हाथ से पासपोर्ट वगैरह थामता हुआ बोला - “यह सब क्या है और तुम कौन हो ?”
“तुम मार्क हैरिसन को जानते हो ?”
“लैंग्वेज टीचर ?”
“हां ।”
“जानता हूं । वह मेरा अच्छा मित्र है ।”
“मुझे मार्क हेरिसन ने भेजा है ।” - अजरा गमाल बोली और उसने कम से कम शब्दों में ची पेई को बाकी बात भी बता दी ।
“तुम्हें यह काम जल्दी से जल्दी करना है । ।” - अन्त में वह बोली ।
अजरा गमला का वाक्य समाप्त होने से भी पहले वृद्ध चेहरे पर उदासी का भाव लिये नकारात्मक ढंग से सिर हिलाने लगा ।
“क्यों ?” - अजरा गमाल ने पूछा ।
वृद्ध ने अपना घायल हाथ उसके सामने कर दिया ।
“लेकिन...”
“मुझे अफसोस है कि मेरे हाथ को तभी चोट पहुंची जबकि मिस्टर हैरिसन को मेरी सेवाओं की जरूरत है ।” - वृद्ध धीरे से बोला - “लेकिन जब तक मेरा हाथ ठीक नहीं हो जायेगा, तब तक मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा ।”
“और हाथ कब तक ठीक होगा ?”
“चौदह पन्द्रह दिन लग जायंगे । उसके फौरन बाद मैं मिस्टर हैरिसन का काम कर दूंगा ।”
“लेकिन मार्क हैरिसन इतने दिन पीकिंग में सुरक्षित नहीं रह सकता । सिक्योरिटी पुलिस पहले ही उसकी तलाश कर रही है ।”
“मुझे अफसोस है लेकिन पन्द्रह दिन से पहले मेरे लिये कुछ भी कर पाना असम्भव है ।”
“लेकिन फिर भी...”
“फिर भी का सवाल ही नहीं है । यह पासपोर्ट की फोर्जरी का मामला है । अगर काम दोषरहित नहीं होगा तो वह वैसे भी पकड़ा जायेगा । दोषरहित काम के लिये मेरा हाथ ठीक हो जाना बहुत जरूरी है । तुम मिस्टर हैरिसन से कह देना कि पन्द्रह दिन से पहले कम से कम मैं उनकी कोई सहायता नहीं कर सकता ।”
“मैं कह दूंगी ।” - अजरा गमाल बोली ।
वृद्ध चुप रहा ।
“मैं जाती हूं ।” - वह बोली और बिना दोबारा उसकी ओर दृष्टिपात किये वापिस घूम पड़ी । वृद्ध के घायल हाथ की वजह से उसे भारी निराशा का अनुभव हो रहा था । इतने अरसे तक वह मार्क हैरिसन को हरगिज-हरगिज अपने फ्लैट पर नहीं रखेगी । उसने मन ही मन निश्चय किया और तेजी से सीढियां उतरने लगी ।
***
लोटस क्लब में अजरा गमाल नहीं थी । पूछताछ करने पर सुनील को मालूम हुआ कि वह रात को नौ बजे वहां आती थी उसने लोगों से उसके घर का पता पूछना आरम्भ किया ।
बड़ी कठिनाई से सुनील को वांग स्ट्रीट की उस इमारत का पता मालूम हो पाया जिसमें अजरा गमाल रहती थी ।
वह वांग स्ट्रीट पहुंचा ।
अजरा गमाल के फ्लैट वाली इमारत के एकदम सामने एक उतनी ही ऊंची इमारत थी जिसकी ऊपर की मंजिल के एक कमरे में से चीनी अजरा गमाल के फ्लैट निगरानी कर रहे थे । वे तीन आदमी थे और उनका सरगना च्यांग लू था । यह संयोग की बात थी कि सुनील के अजरा गमाल के फ्लैट वाला इमारत में कदम रखने से पांच मिनट पहले च्यांग लू वहां से हटा था । निगरानी की उकता देने वाली रुटीन से घबराकर वह थोड़ी देर के लिए नीचे घूमने चला गया था और सुनील एक बार फिर एक ऐसे आदमी की निगाहों का शिकार बनने से बच गया था जो चीन में उसे भारतीय सीक्रेट एजेन्ट के रूप में फौरन पहचान सकता था ।
सुनील को इमारत में प्रविष्ट होता देखकर निगरानी करने वाले चीनी सतर्क हो गये । उन दोनों को मार्क हैरिसन का हुलिया अच्छी तरह बयान कर दिया गया था । यह जानने के लिये एक निगाह ही काफी थी कि इमारत में प्रविष्ट होता हुआ आमदी मार्क हैरिसन नहीं था ।
सुनील सीढियां तय करके ऊपर की मंजिल पर पहुंचा । उसने काल बैल पर उंगली रख दी । भीतर कहीं घन्टी बजने की तीव्र आवाज सुनाई दी ।
सुनील प्रतीक्षा करने लगा ।
एकाएक घन्टी बज उठने से फ्लैट के भीतर छुपे मार्क हैरिसन का कलेजा हिल गया । उसने रिवाल्वर निकालकर हाथ में ले ली और दहशत भरी निगाहों से बन्द दरवाजे की ओर देखने लगा ।
घन्टी फिर बजी ।
पता नहीं कौन घन्टी बजा रहा था - मार्क हैरिसन सांस रोके और स्थान से इंच भाग भी हिले बिना सोच रहा था ।
सुनील ने एक बार फिर घन्टी बजाई । कुछ देर प्रतीक्षा के बाद उसने द्वार का हैंडल घुमाने का प्रयत्न किया । द्वार बन्द था ।
सुनील वापिस लौट पड़ा ।
वास्तव में सुनील अजरा गमाल के फ्लैट पर उस समय पहुंचा था जब वह ची पेई के पास गई हुई थी ।
सीढियों पर लौटते कदमों की आवाज सुनकर मार्क हैरिसन की जान में जान आई । रिवाल्वर उसने वापिस अपनी जेब में रख ली ।
सुनील ने इमारत से बाहर कदम रखा ।
उसी क्षण सामने इमारत में छुपे चीनियों ने रुटीन के तौर पर टैलिस्कोपिक लैंस वाले एक कैमरे से सुनील की तस्वीर खींच ली । च्यांग लू ने उन्हें ऐसा ही आदेश दिया था कि अजरा गमाल के फ्लैट में आने वाले हर आदमी की तस्वीर खींच ली जाये ।
सुनील वांग स्ट्राट में एक ओर चल दिया ।
अजरा गमाल अपने फ्लैट में पहुंची ।
“ची पेई मेरा पासपोर्ट कब तक तैयार कर देगा ?” - मार्क हैरिसन ने व्यग्र स्वर से पूछा ।
“पन्द्रह दिनों में ।” - अजरा गमाल बर्फ जैसे ठण्डे स्वर से बोली ।
“क्यों ?” - मार्क हैरिसने चींखकर बोला ।
“तुमने सुना नहीं मैंने क्या कहा है ?” - अजरा गमला डपट कर बोली - “और अगर तुम्हारे भेजे में थोड़ी बहुत अक्ल है, तो उससे काम लो । धीरे बोलो ।”
मार्क हैरिसन ठण्डा पड़ गया ।
“पन्द्रह दिन में क्यों ?” - उसने दबे स्वर से पूछा ।
“वह चाकू से अपना हाथ काट बैठा है । उसका हाथ दो सप्ताह से पहले ठीक नहीं होगा ।”
“ओह माई गाड !” - मार्क हैरिसन ने अपना माथा थाम लिया ।
“और तुम अपना काई इन्तजाम करो । मैं इतने समय तक तुम्हें यहां नहीं रख सकती ।”
नहीं । यह नहीं हो सकता - मार्क हैरिसन ने मन ही मन सोचा - अजरा गमाल के फ्लैट के अतिरिक्त वह कहीं सुरक्षित नहीं था और किसी स्थान पर बिना सिक्योरिटी पुलिस की जानकारी में आये पन्द्रह दिन गुजार लेना तो उसके लिये असंभव काम था ।
“मार्क हैरिसन ।” - अजरा गमाल कह रही थी - “भगवान के लिये जाओ यहां से । अपना सूटकेस उठाओ और यहां से निकल जाओ । अगर तुम यहां से नहीं जाओगे तो मैं जरूर किसी मुसीबत में पड़ जाऊंगी ।”
मार्क हैरिसन नकारात्मक ढंग से सिर हिलाने लगा ।
“क्या मतलब ?”
“अगर मैं यहां से चला जाऊंगा तो तुम मुसीबत में पड़ जाओगी । अजरा मैं तुम्हारे फ्लैट के सुरक्षित वातावरण से निकला तो जरूर सिक्योरिटी पुलिस के हत्थे चढ जाऊंगा । मैं कोई बहादुर इन्सान नहीं हूं । वे लोग चुटकियों में मेरी जुबान खुलवा लेंगे । मेरा पकड़ा जाना तुम्हारे लिये बहुत अहित कर सिद्ध होगा । इसलिये अजरा, मुझे चुपचाप यहां पड़ा रहने दो । इसमें तुम्हारी भलाई है ।”
“तुम मुझे धमकी दे रहे हो ?” - अजरा गमाल क्रोधित स्वर से बोली ।
“मैं तुम्हें हकीकत समझाने की कोशिश कर रहा हूं ।”
“तुम... तुम कमीने आदमी... मेरी समझ में यह नहीं आता कि जिन लोगों को तुम चीनियों की गतिविधि की सूचनायें भेजते हो उन्होंने खतरा देखकर तुम्हें चीन से निकल भागने की चेतावनी क्यों दी ? तुम्हारा मुंह बन्द रखने के लिये उन्होंने तुम्हारा खून क्यों नहीं कर दिया ?”
“अजरा, प्लीज ।” - मार्क हैरिसन याचनापूर्ण स्वर से बोला - “गुस्सा थूक दो और एक क्षण के लिए मेरी बात सुनो ।”
“अब क्या कहना चाहते हो ।”
“देखो ची पेई का हाथ ठीक होने में पन्द्रह दिन नहीं लगेंगे ।”
“वह कहता है पन्द्रह दिन लगेंगे ।”
“मैं बतलाता हूं वह ऐसा क्यों कहता है ? अजरा, मैं ची पेई को जानता हूं । वह बेहद गरीब आदमी है । वह अपना हाथ दिखाने डाक्टर के पास नहीं जाएगा क्योंकि डाक्टर को पैसा देना पड़ता है । वह खुद ही अपने हाथ पर पट्टी लपेटता रहेगा और प्राकृतिक रूप से जख्म के ठीक होने की प्रतीक्षा करता रहेगा । ऐसी सूरत में तो पन्द्रह दिन से ज्यादा भी लग सकते हैं ।”
“लेकिन अब तो उसके पास धन है । मैं उसे सौ युआन देकर आई हूं ।”
“वह उसे खर्च नहीं करेगा । सौ युआन के उसके पास हजारों इस्तेमाल होंगे । वैसे भी जल्दी मुझे है उसे नहीं है । वह तो हाथ के मुफ्त में ठीक होने की प्रतीक्षा करेगा । चाहे इसमें एक महीना लग जाये । अजरा, मैं ची पेई की आदतों को जानता हूं । वह ऐसा ही आदमी है ।”
“तुम कहना क्या चाहते हो ?”
“मैं चाहता हूं तुम उसे पचास युआन और दे आओ । और उसे कह दो कि यह रकम उसके इलाज के लिए है । इसका उन चार सौ युआन से कोई वास्ता नहीं हैं जो उसे पासपोर्ट तैयार कर देने के बाद मिलने वाले हैं । मुझे विश्वास है कि अगर वह किसी डाक्टर के पास जाकर तरीके से हाथ का इलाज करवायेगा तो तीन या चार दिन में ही उसका हाथ इस काबिल हो जाएगा कि वह मेरा पासपोर्ट तैयार कर सके ।”
अजरा गमाल चुप रही ।
“अजरा मैं कसम खाकर कहता हूं कि पासपोर्ट हाथ में आते ही मैं फौरन यहां से दफा हो जाऊंगा ।”
“अच्छा ।”
“ओह थैंक्यू । थैंक्यू वैरी मच ।” - मार्क हैरिसन उमंग भरे स्वर में बोला ।
***
च्यांग लू वापिस लौटा ।
उसके साथियों ने उसे बताया कि उन्होंने अजरा गमाल के फ्लैट में आने वाले एक आदमी की तस्वीर खींची है ।
च्यांग लू ने कैमरे में से फिल्म निकाल ली । उसने फिल्म को प्रासेसिंग के लिए दिया ।
तस्वीर का प्रिंट जब उसके हाथ में पहुंचा तो उसकी आंखे फट पड़ी । कितनी ही देर वह तस्वीर से अपनी निगाह नहीं हटा सका ।
सुनील को वह लाखों में पहचान सकता था ।
सुनील की ही वजह से उसे नगेन्द्र सिंह वाले मामले में मुंह की खानी पड़ी थी । और फिर उसे हांगकांग से हटाकर वापिस पीकिंग भेज दिया गया था ।
तस्वीर लेकर वह सीधा सिक्योरिटी पुलिस के हैडक्वार्टर पहुंचा ।
उसने तस्वीर क्वांग चू मिंग को दिखाई और सुनील को बारे में सब कुछ सुनाया ।
क्वांग चू मिंग बेहद गम्भीर हो उठा ।
वह सिक्योरिटी पुलिस के चीफ तांग फान सी के पास पहुंचा ।
“यह आदमी भारतीय सीक्रेट सरविस का एजेन्ट है । इसका नाम सुनील है । च्यांग लू इसे पहचानता है ।” - क्वांग चू मिंग ने अपने चीफ को बताया - “अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं आदेश जारी कर दूं कि सुनील नाम के किसी भारतीय को देश से बाहर न जाने दिया जाए । साथ ही मैं नगर के तमाम होटलों में मैं इसकी तलाश शुरू करवा देता हूं ।”
“कामरेड ।” - चीफ तांग फान सी बोला - “नतीजा कुछ भी नहीं निकलेगा ।”
“क्यों ?”
“क्योंकि जिस आदमी को तुम इतनी आसानी से अपने अधिकार में कर लेने के ख्वाब देख रहे हो वह बहुत चालाक है । कामरेड, मैं इस आदमी से मिल चुका हूं ।”
“जी !” - क्वांग चू मिंग हैरानी से अपने चीफ का मुंह देखने लगा ।
“यह आदमी मार्क हैरिसन के फ्लैट पर आया था । लेकिन जब दरवाजा मार्क हैरिसन के स्थान पर पुलिस के आदमियों ने खोला था तो इसने बहाना बना दिया था कि वह पाकिस्तान की एम्बैसी के किसी आदमी को तलाश कर रहा है जो उसी इमारत में रहता है और वह गलती से मार्क हैरिसन के द्वार को घन्टी बजा बैठा है । इसने अपना नाम हैदर कमाल बताया था और इसके पास एक पाकिस्तानी पासपोर्ट था जो पहले ही सिक्योरिटी डिपार्टमैंन्ट द्वारा चैक किया जा चुका था लेकिन कामरेड, वह पासपोर्ट जरूर जाली होगा । कामरेड, तुम सुनील की नहीं हैदर कमाल नाम के आदमी की तलाश करवाओ जो हांगकांग से पीकिंग आया है ।”
“राइट सर !”
“हमें यह बात निश्चित रूप से मालूम नहीं हो पाई थी कि मार्क हैरिसन कौन से देश के लिये पीकिंग में जासूसी कर रहा है । लेकिन सुनील के आगमन से सिद्ध हो गया है कि वह भारत का ही भेदिया है । सुनील का अजरा गमला के फ्लैट पर जाना भी दिलस्पी से खाली नहीं है । इसका मतलब है ये तीनों एक दूसरे से सम्बन्धित हैं ।”
क्वांग चू मिंग ने सहमति सूचक ढंग से सिर हिलाया ।
“कामरेड, सुनील का पता मिल जाने का बाद भी उस पर हाथ मत डालो । उसकी निगरानी करवाओ । शायद वह ही मार्क हैरिसन से सम्बन्ध स्थापित करे । ऐसी सूरत में हम एक तीर से दो शिकार करने में सफल हो जायेंगे ।”
“लेकिन चीफ, वह बहुत खतरनाक आदमी है । अगर वह निगरानी करने वाले हमारे आदमियों को झांसे देकर निकल गया तो ?”
“तो अव्वल तो ऐसा होगा नहीं और अगर हो भी गया तो क्या होगा । वह हमारे आदमियों को डाज देकर चीन से तो गायब हो नहीं सकता । जब तक वह चीन के आकाश के नीचे है, तब तक हम दुबारा उसे जमीन में से भी खोदकर निकालेंगे कामरेड, सुनील की उस तस्वीर की कई कापियां बनवाकर सब जगह सर्कुलेट करवा दो और देश से बाहर ले जाने वाले सारे नाकों पर इस आदमी के बारे में चेतावनी भेज दो ।”
“बहुत अच्छा, चीफ ।”
“और ?”
“अजरा गमाल की बदस्तूर निगरानी हो रही है । आज वह थर्ड स्ट्रीट में ची पेई नाम के एक आदमी से मिलने गई थी । मैंने ची पेई को चैक करवाया है । वह संदिग्ध व्यक्ति है । वह पेक्स होटल में रात की शिफ्ट में लिफ्ट चलाता है लेकिन वह पहले एनग्रेविंग का काम किया करता था । हमें सन्देह है कि वह जाली पासपोर्ट बनाता है लेकिन हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है ।”
“कामरेड ।” - चीफ तीव्र स्वर से बोला - “तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है । तुम एक संदिग्ध व्यक्ति को इसलिये स्वतन्त्र घूमने दे रहे हो क्योंकि तुम्हारे पास प्रमाण नहीं है । उसे फौरन गिरफ्तार कर लो ।”
“बहुत अच्छा जी ।” - क्वांग चू मिंग बौखलाये स्वर से बोला ।
“और उसके घर की तलाशी लो । अगर वह जाली पासपोर्ट बनाने का काम करता है तो उसके घर में उसके इस धन्धे की ओर संकेत करने वाले कई प्रमाण मिलेंगे ।”
क्वांग चू मिंग ने सहमति सूचक ढंग से सिर हिलाया ।
“ची पेई को गिरफ्तार करने के बाद उससे यह भी पूछो कि अजरा गमाल उसके पास क्या करने आई थी ।”
“राइट सर ।”
“अजरा गमाल के फ्लैट की अच्छी तरह निगरानी करो । च्यांग लू की रिपोर्ट के अनुसार जब सुनील अजरा गमाल के फ्लैट पर आया था, उस समय वह घर पर नहीं थी । इसलिये इस बात की पूरी सम्भावना दिखाई देती है कि सुनील अजरा गमाल के फ्लैट पर दुबारा आयेगा । उस सूरत में उसको वहीं से पिक किया जा सकता है और उसकी तलाश में होने वाली तुम्हारी भागदौड़ बच सकती है ।”
“राइट सर ।”
“अजरा गमाल के फ्लैट में गुप्त रूप से एक माइक्रोफोन लगवा दो ताकि हम उसके फ्लैट में होने वाली बातचीत सुन सकें । इस प्रकार हमें कई काम की बातें मालूम हो सकेंगी।”
“राइट सर ।”
“फौरन एक्शन शुरू करो ।”
“ओके सर ।” - क्वांग चू मिंग तत्परता से अपने स्थान से उठा और लम्बे डग भरता हुआ कमरे से बाहर निकल गया ।
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