बाहर गहरा अंधेरा फैल चुका था।

क्लब में बने रेस्तरां के डायनिंग हाल में गहरी खामोशी थी। मेज-कुर्सियों को करीने से सजा दिया गया था। उन पर फूल सजे हुए थे। एक कोने में आर्केस्ट्रा पड़ा हुआ था। थोड़ी देर बाद लोगों के आने का सिलसिला शुरू होने वाला था। सारे हॉल में हल्की रोशनी फैली हुई थी।
क्लब के मालिक रिको ने अपने दफ्तरनुमा कमरे का दरवाजा खोलकर बाहर झांका। वहां गहरी खामोशी थी। उसने कान लगाकर सुना, मगर वहां किसी का स्वर नहीं था। वह वापस घूमा और उसने दरवाजा बंद कर लिया।
कमरे में पड़ी कुर्सी पर एक आदमी बैठा था। उसने कहा, ‘रिको, मैं यहां सिर्फ आधा घंटा और हूं, मगर तुम परेशान क्यों हो?’
प्रश्न करने वाले का नाम बेयर्ड था। उसका कद लम्बा, चेहरा कठोर, कपड़े मैले और आंखें हल्की नीली थीं। उसने जो हैट पहन रखी थी, उस पर तेल के धब्बे थे। वह सूरत से एक भयानक आदमी लग रहा था।
बेयर्ड की मौजूदगी रिको को बेहद परेशान कर रही थी। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था। जब-तब वह बेर्यड के साथ होता, उसका दिमाग परेशान हो उठता था। बेयर्ड कुछ भी कर सकता था। वह जानता था कि बेयर्ड एक खतरनाक आदमी है, लेकिन फिर भी वह उसे पसन्द करता था- बिल्कुल ऐसे ही जैसे कुछ लोग जहरीले सांप को पसंद करते है। रिको विचारों में खोया था, तभी बेयर्ड ने एक मैला-कुचैला रूमाल जेब से निकाला। उसमें उसने कुछ लपेटा हुआ था। बेयर्ड ने उसे मेज पर उछाल दिया।
मेज पर गिरते ही रुमाल खुल गया और उसमें से एक बाजूबंद (हाथ पर बांधने वाली चैन) निकलकर चमकने लगी। चेन पर हीरे-जवाहरात जड़े हुए थे। बिजली की रोशनी में वे चमक उठे।
रिको ने गौर से उन्हें देखा।। उसकी आंखें लालच से चमक उठीं। उसने हीरे-जवाहरात से जड़ी ऐसी सुन्दर चेन पहले कभी नहीं देखी थी। उसका मन मचलने लगा, लेकिन सहसा वह कांप उठा। मन में जो लालच जगा था, उसकी जगह डर और सतर्कता ने ले ली थी।
रिको चोरी की चीजें खरीदता था, मगर वह बाजूबंद इतना कीमती था कि उसे खरीदकर ठिकाने लगाना उसके वश की बात नहीं थी। छोटी-मोटी चीजें को इधर-उधर कर देना तो मामूली बात थी, लेकिन ऐसी कीमत वस्तु का आगे बेचना मौत को दावत देना था।
पुलिस की उस पर पहले ही कड़ी नजर थी। रिको ने बेयर्ड के चेहरे को घूरकर देखा और कहा, ‘मैं तुमसे पहले भी कई बार कह चुका हूं कि ऐसी-ऐसी चीजें को ज्यूं-की-त्यूं बेचना खतरे से खाली नहीं है। मैं इसे नहीं खरीद सकता।’
‘इसे तोड़ डालो। इसके टुकड़े करके बेच देना।’
‘टुकड़े करने पर इसकी कीमत क्या रहेगी-खाक?’
‘बको मत। मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश मत करों।’
‘मैं तुम्हें खूब समझता हूं।’ बेयर्ड ने भिंची हुई आवाज में कहा- ‘इसको टुकडों में बेचो तो भी हजारों का माल है।’
रिको ने इंकार में सिर हिलाया। जब वह पहली बार बेयर्ड से मिला था तो उसने अपने बारे में काफी महत्वपूर्ण होने का विश्वास दिलाया था। बेयर्ड को भी भरोसा था कि रिको बड़े-से-बड़े कीमती माल को खरीदकर आगे आसानी से बेच सकता है। रिको अपने इस भम्र को तोड़ना नहीं चाहता था। इसलिए उसने सख्ती से कहा- ‘मुझे यह माल नहीं चाहिए। इसमें बहुत खतरा है। तुम कहीं और चले जाओ।’
बेयर्ड ने रिको को तीखी नजर से देखा और बोला, ‘कुछ भी हो, इसे तो तुम्हें लेना ही होगा। मैं बड़ी मुसीबत में हूं। जिसकी यह चेन मैंने छीनी है, हो सकता है कि सिर पर लगी चोट से वह मर जाए।’
रिको का चेहरा सख्त हो गया। उसकी सांस जोर-जोर से चलने लगी। ‘क्या कहा तुमने? वह मर रही है।’
बेयर्ड ने रिको की टेबल पर पड़े सिगरेटकेस में से एक सिगरेट निकालकर सुलगाया। वह व्यंग्य से रिको पर हंसा। रिको के चेहरे पर अचानक उभरे डर के चिन्ह उसको खुश कर गए थे।
‘तुमने ठीक सुना। वह मर रही है। जब मैंने चेन छीनी तो उसने शोर मचाने की कोशिश की। थोड़ी ही दूरी पर पुलिस की गश्ती जीप खड़ी थी। मजबूर होकर मुझे उसके सिर पर वार करना पड़ा।’
सुनकर रिको को लगा मानो वह बेहोश हो जाएगा। उसने टेबल के कोने को पकड़ा, ताकि नीचे गिरने से बच सके। उसका चेहरा डर के मारे सफेद होने लगा था। रिको ने अपने पर काबू पाकर कहा, ‘तुम बिल्कुल गधे हो। खैर, अब तुम यहां से भाग जाओ। पुलिस को उस घटना का पता चलेगा तो वह सीधे यहां ही आएगी। उन्हें मालूम है कि तुम अक्सर यहां आते-जाते हो। अब तुम यहां से दफा हो जाओ और फिर अपनी शक्ल मत दिखाना।’
बेयर्ड ने अपने भरे-भरे बाजुओं को सहलाया। उसे शुरू से ही मालूम था कि रिको एक डरपोक आदमी है। वक्त पड़ने पर वह रिको को दबा सकता है। इसी गुण के कारण उसने रिको को ऐसी चीजें बेचने के लिए चुना था। संकट की ऐसी स्थिति में वह रिको को आसानी से दबा सकता था। उधर रिको भी उसको किसी हद तक पसन्द करता था, क्योंकि वह ऊंचा, तगड़ा, क्रूर व्यक्ति था और समय आने पर चुटकियों में किसी को भी ठिकाने लगा सकता था।
बेयर्ड ने दूसरा सिगरेट जलाया और बोला, ‘मुझे कुछ रुपये चाहिए?’
‘रुपये! कितने?’
‘पांच हजार।’
रिको ने मन-ही-मन ‘नहीं’ कहा। जिसकी चेन थी, वह मर रही थी। यह खून का मामला बनने वाला था। वह चोरी के माल को तो इधर-उधर कर सकता था, मगर खून के मामले में भागीदारी नहीं बनना चाहता था।
उसने चेन को वापस मेज पर बेयर्ड की तरफ फेंकते हुए कहा, ‘मैं तुम्हें एक भी पैसा नहीं दे सकता। तुम इसे उठाओ और यहां से दफा हो जाओ। इस मामले में क्या मैं भी तुम्हारे साथ मरु? तुम पागल हो सकते हो, मगर मैं नहीं।’
बेयर्ड ने गुस्से से अपना ओवरकोट उतारा। उसके कंधे पर पिस्तौल लटक रहा था। उसने ऐसा इसलिए किया था, ताकि रिको इसे अच्छी तरह देख सके। उसने सख्ती के साथ कहा, ‘पांच हजार रुपये।’ उसकी आंखों में धमकी थी।
‘नहीं।’ रिको ने भी सख्ती से जवाब दिया, मगर उसका चेहरा पसीने से भीग गया था। तुम मेरे से ऐसी धमकी वाली बात मत करो। जो चीज मैं नहीं चाहता, उसके लिए जोर जबरदस्ती क्यों करते हो? भूलो मत, हम और तुम पुराने दोस्त है।’
‘पांच हजार।’ बेयर्ड ने उसकी बात को अनसुना करते हुए कहा, फिर बोला, ‘और जल्दी करो। इससे पहले कि पुलिस यहां आ धमके, मैं यह शहर छोड़ देना चाहता हूं।’
रिको ने उसकी तरफ गुस्से और बेबसी से देखा। वह क्या करे और क्या न करे? उसका सारा शरीर कांप रहा था और चेहरे से पसीना चूने लगा था, मगर फिर भी उसने हिम्मत करके कहा- ‘तुम यहां से चले जाओ। मैं इस चेन को खरीदना तो क्या छूना भी नहीं चाहता,
बेयर्ड ने रिको को कलर से पकड़ लिया। उसने रिको की गर्दन पकड़कर कुर्सी से उठा लिया। मेज पर पड़ी बहुत सी चीजों को उसने जमीन पर दे पटका। बेयर्ड का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था। उसने कहा, ‘तुम पांच हजार देते हो या नहीं?’
यह कहते हुए बेयर्ड ने जोरदार घूंसा रिको के मुंह पर दे मारा। रिको थर-थर कांपने लगा मगर बेयर्ड ने इसकी परवाह न की। उसने दो-तीन घूंसे और दे मारे। रिको लड़खड़ाकर जमीन पर गिर पड़ा। बेयर्ड ने फिर पूछा, देते हो या एक दो और दूं?’
रिको हांफता हुआ उठ खड़ा हुआ और अपनी कुर्सी पर जा बैठा। उसने अपने दाएं हाथ से चेहरे को सहलाया। बेयर्ड की मार ने उसकी हिम्मत को तोड़ डाला था। रिको ने दराज खोली और कांपते हाथों से पांच हजार का एक बंडल बेयर्ड के सामने फेंक दिया।
बेयर्ड ने झपटकर नोट उठा लिये, उसने चेन को उठाकर रिको की गोद में फेंक दिया। और नोटों के बंडल को जेब में रखते हुए कहा, ‘तुम सीधी तरह से क्यों नहीं मान जाते? मैं जो चाहता हूं, उसे हासिल करके रहता हूं। यह बात तो तुम्हें अब तक मालूम हो जानी चाहिए थी।’
रिको ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने चेन को उठाकर अपनी जेब में डाला और चेहरे में उठते दर्द को हाथ से सहलाकर कम करने लगा।
बेयर्ड अबकी बार यों सहज भाव से बोला मानो कुछ हुआ ही न हो। मैं जहां जाऊंगा, तुम्हें बता दूंगा। अगर वह न मरी तो मैं एक हफ्ते में वापस आ जाऊंगा। मुझे कुछ और छोटे-मोटे काम भी करने हैं। अगर मेरे बाद तुम्हें किसी खास बात का पता चले तो उसे अपने तक ही रखना। समझे?’
रिको कुछ नहीं बोला। उसने अपने सूखे होंठों पर जुबान फेरी, और अपने गाल को दबाते हुए सिर्फ इतना कहा, ‘तुम बेफिक्र रहो।’
बेयर्ड ने उठते हुए कहा, ‘जरा बाहर जाकर एक नजर तो डालो, कोई है तो नहीं। ऐसा न हो कि मैं बाहर निकलूं और किसी मुसीबत में जा फसूं।’
रिको ने कमरे से बाहर निकलकर यहां-वहां देखा। चारों तरफ खामोशी थी। उसने वापस आकर कहा, ‘सब ठीक है, तुम जा सकते हो, मगर ....।
‘मगर क्या?’
‘सामने वाले दरवाजे से मत निकलना।’
‘फिर ?’
‘पिछले दरवाजे से निकल जाओ, किचन से होकर।’
‘ठीक है।’ बेयर्ड ने जवाब दिया और चला गया।
उसके जाते ही रिको ने अपना चेहरा शीशे में देखा। वह लाल हो रहा था। उसने बोतल में से शराब निकाली और एक गिलास भरकर गटागट पी गया। इसके बाद उसकी हालत कुछ ठीक हुई। अब दर्द भी कुछ कम हो गया था। उसने जेब से चेन को निकाला और रोशनी में देखा। उसने इस तरह की हीरे-जवाहरात से जड़ी चेन पहले कभी नहीं देखी थी। उसकी आंखें चमक उठीं। उसने मन-ही-मन सोचा- यह चालीस-पचास हजार से कम क्या होगी। वह चेन सुन्दर भी थी और खतरनाक भी।
कुछ सोचते हुए रिको अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ। उसने दीवार में लगी एक गुप्त सेफ को खोला और चेन को उसमें रख दिया। उसने सोचना शुरू किया कि अगर लड़की नहीं मरती तो यह खून का मामला नहीं बनेगा। पुलिस भी ज्यादा दौड़-धूप नहीं करेगी। कुछ दिनों में बात दब जाएगी और फिर इसे बेचना मुश्किल नहीं होगा। यही ख्याल करते हुए उसने शराब का एक और गिलास उठाया और अपने कमरे से जुड़े बाथरूम में चला गया।
उसने खूब मन लगाकर स्नान किया और ठंडे पानी के छींटे बार-बार आंखों पर मारे। अगरचे बेयर्ड जा चुका था मगर उसके शब्द ‘मैं जो चाहता हूं, हासिल करके रहता हूं’ रिको के कानों में गूंज रहे थे। कोई शक नहीं कि बेयर्ड ने उसकी मरम्मत की थी, मगर रिको के मन में उसके खतरनाक होने का दबदबा पुख्ता हो गया था।
रिको ने नये कपड़े बदले और अपने दफ्तरनुमा कमरे में आ गया। एकाएक कमरे में दाखिल होते ही उसका दिल धक्क-धक्क करने लगा। एक कुर्सी पर पुलिस इंस्पेक्टर चॉर्ज ओलिन बैठा था। उसका कद लम्बा, चेहरा गंभीर और आंखें तेज थीं। उसने भूरे रंग का सूट पहन रखा था। उसके होंठों में एक बुझा हुआ सिगार था और पर व्यंग्य भरी हंसी थीं।
‘हैलो, रिकी।’
‘हैलो, इंस्पेक्टर जॉर्ज।’
‘यहां थोड़ी देर पहले कौन आया था?’
जॉर्ज का प्रश्न सुनकर रिको का गला खुश्क हो गया, मगर उसने बात बदलकर पूछा, ‘आज यहां कैसे आना हुआ? बड़े दिनों से देखा नहीं आपको?’
जॉर्ज ने बुझा हुआ सिगरेट होंठों से निकालकर इधर-उधर देखा और बोला, मैंने सोचा था कि आज तुम रंगे हाथों पकड़े जाओगे?’
रिको ने मुस्कराने की कोशिश की। वह बोला, ‘मैं जो कुछ करता हूं, सोच-समझकर करता हूं। जो कदम उठाता हूं, देखकर। मगर आप किस बात के बारे में सोच रहे हैं?’
‘क्या तुम बताओगे कि आधा घंटा पहले यहां कौन आया था?’
रिको ने अपने लिए शराब का एक गिलास भरा। उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था। वह सोचने लगा कि जॉर्ज एकाएक कैसे पहुंच गया? क्या बेयर्ड को यहां आते किसी ने देख लिया था? क्या मेरे क्लब की पुलिस निगरानी कर रही है? कहीं वह झूठ बोलते हुए मुफ्त में ही धर न लिया जाए, पर वह सच भी तो नहीं बोल सकता था, इसलिए उसने झूठ का सहारा लेना मुनासिब समझा।
रिको ने कहा, ‘आधा घंटा पहले? कोई भी नहीं। क्लब तो आठ बजे खुलता है। अभी यहां कौन आता है?’
उसने दीवार पर लगी घड़ी को देखा। वहां सात बजकर बीस मिनट हुए थे।
रिको बोला, मैंने किसी को यहां आते देखा नहीं, मगर बाहर रेस्तरां में कोई भी आ सकता है। आप भी तो चुपके से आ गए हैं।
जॉर्ज ने दांत किटकिटाए। वह रिको को अच्छी तरह जानता था। वह जानता था कि रिको रातों-रात अमीर बनने के सपने देख रहा था। वह पिछले कई महीने से रिको की निगरानी में लगा था। वह एक मौके की ताक में था कि कब रिको को गिरफ्त में ले।
जॉर्ज ने व्यंग्य से कहा, ‘तुम ऐसे समझने वाले नहीं हो क्यों जेल की हवा खाना चाहते हो?’
रिको मन-ही-मन कांप उठा। फिर भी उसने अपने को संभालकर कहा, ‘क्या बात है इंस्पेक्टर जॉर्ज! आज आप कुछ नाराज नजर आते हैं। कुछ लाऊं, पीओगे?’
जॉर्ज ने कुर्सी पर पहलू बदला तथा बोला, ‘मैं ड्यूटी पर नहीं पीता।’ फिर उसने रिको के चेहरे की तरफ देखकर कहा, ‘तुम्हें किसने मारा? तुम्हारे चेहरे की क्या हालत हो रही है। क्या बेयर्ड ने मारा है?’
रिको इस तरह के सवाल की उम्मीद कर रहा था। उसने अपने कंधे को झटका देकर कहा, ‘मेरी यह हालत एक लड़की ने बनाई है।’
‘लड़की ने?’
‘हां, मेरा ख्याल था कि वह सीधे ढंग से मान जाएगी, पर वह तो बड़ी शैतान निकली। उसने अपने ‘हेयर ब्रुश’ से मेरे चेहरे का यह हाल कर दिया।’
‘बहुत खूब। कहां है वो? मुझे मिलाओ ताकि मैं उसे तुम्हारे खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट लिखावाने के बारे में कहूं।’
रिको खिलखिलाकर हंस पड़ा।
‘अब तो वह घर चली गई है। यह कोई नई बात नहीं, पर आप बेयर्ड का क्या चक्कर ले बैठे। मेरा उससे क्या रिश्ता है?’ रिको ने कहा।
‘क्या वह थोड़ी देर पहले यहां नहीं आया था?’
‘मैंने किसी को नहीं देखा।’
‘झूठ।’
‘नहीं सच।’
‘अपनी गर्लफ्रैंड को भी नहीं?’
रिको चुप रहा। जॉर्ज ओलिन ने एक पल के लिए उसकी तरफ देखा और दांतों तले सिगरेट दबाकर बोला, कुछ घंटे पहले जीन ब्रुस नाम की एक्ट्रेस अपने घर से बाहर निकली। वह कार में थोड़ी दूर ही गई थी कि उसको रोक लिया गया। उसके बाद उस पर हमला किया गया और उसे लूट लिया गया। उसने एक कीमती चेन पहन रखी थी। जिसकी कीमत पचास हजार डॉलर बताई जाती है। जिस वक्त उसे लूटा गया, थोड़े ही फासले पर पुलिस की एक जीप भी खड़ी थी, मगर किसी ने कुछ नहीं सुना। दिन-दहाड़े लूटमार की ऐसी घटना बेयर्ड के अलावा कौन कर सकता है? वह कई महीनों से तुम्हारे क्लब आता रहा है, इसलिए मैं यहां पर आ गया था कि शायद तुम दोनों लूट का माल आपस में बांटने में लगे होंगे।’
रिको ने शराब का एक घूंट पिया, रूमाल से अपने होंठों को पोंछा और जॉर्ज की तरफ भयभीत नजरों से देखा। उसने मन-ही-मन अपने को कोसा कि उसने बेयर्ड से ऐसा सौदा क्यों किया। उधर जॉर्ज ने उस पर एक गहरी दृष्टि डाली।
जॉर्ज बोला, ‘तुम्हें मालूम है कि जीन ब्रूस मर गई है।’
‘क्या?’ रिको की आवाज डर से भरी हुई थी। उसने कहा, ‘आप किस तरह कह सकते हैं कि यह काम बेयर्ड का है? आपके पास क्या प्रमाण है?’
‘वह जन्मजात खूनी है। मैं यह जानता हूं कि यह काम बेयर्ड के अलावा और कोई नहीं कर सकता। तुम्हारा वास्ता अभी तक छोटे-मोटे चोरों से ही पड़ा है। तुम नहीं जानते कि बेयर्ड एक खतरनाक खूनी है। मेरी बात मानो, अपने को उससे दूर रखो। चुराई हुई चेन जिसके पास भी मिल गई, उसे फांसी की सजा से कोई नहीं बचा सकता।’
डर की एक तीखी लहर रिको के शरीर में दौड़ गई। उसने जल्दी से शराब का गिलास खाली किया और बोला, ‘मैं कभी ऐसे-वैसे चक्कर में नहीं पड़ता, आप इसको जानते हैं। भला मेरा उस जैसे खूनी से क्या वास्ता?’
‘गुड! रिको तुम एक समझदार आदमी हो। तुम्हारा क्लब अच्छा चल रहा है। तुम खूब पैसे कमा रहे हो। तुम किसी गलत चक्कर में मत पड़ना। अगर मैं चाहता तो अपने सिपाहियों को भेेजकर तुम्हें थाने बुलवा लेता। वे तुम्हें वहां घसीटते हुए ले आते, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया बल्कि मैं खुद आ गया हूं, ताकि अगर तुम उस चेन के बारे में कुछ जानते हो तो मुझे बता दो। मैं तुमसे वायदा करता हूं कि तुम पर कोई आंच नहीं आयेगी। मुझे तुमसे नहीं, बल्कि बेयर्ड से हिसाब चुकाना है।’
रिको को लगा मानो उसकी पीठ पसीने से भीग गई हो। उसे मालूम था कि वह जॉर्ज पर विश्वास कर सकता है। लेकिन कहीं बेयर्ड को पता चल गया तो वह उसे जिन्दा न छोड़ेगा।
उसके चेहरे के भावों को जॉर्ज ने बड़े गौर से देखा। उसके मन में जो हलचल मची थी, वह उससे परिचित था। जॉर्ज धीरे से बोला, ‘अब तो तुम बताओ कि यह बेयर्ड का काम नहीं है?’
रिको कुछ नहीं बोला। पिछले कुछ सालों से वह चोरी की चीजों का धंधा करता आ रहा था। इससे उसने कुछ माल भी बनाया था। बेयर्ड के मिलने से उसको न सिर्फ ज्यादा आमदनी होने लगी थी, बल्कि दूसरी तरफ खतरा भी बढ़ गया था। अब अगर वह बेयर्ड को पकड़वा भी देता तो सभी दूसरे ठग और बदमाश उसको जिन्दा ही चबा जाते। वे सब बेयर्ड को बहुत मानते थे।
रिको ने धीमे से मुस्कराकर कहा, ‘मिस्टर इंस्पेक्टर, मैं बेयर्ड के बारे में कुछ नहीं जानता। मुझे मिल ब्रूस या उसकी चेन के बारे में भी कोई खबर नहीं है।’
जॉर्ज ने एक पल को उसे घूरा। उसका चेहरा गुस्से से तमतमा उठा। बोला-
‘क्या तुम सच कहते हो?’
‘मैं जिस बात के बारे में कुछ जानता ही नहीं, उसके बारे में मैं आपको क्या बताऊं? यूं भी मैंने कई दिन से बेयर्ड को नहीं देखा है।’
जॉर्ज उठ खड़ा हुआ।
वह बोला, ‘मैं बेयर्ड को ढूंढकर रहूंगा। जब वह मिल गया तो साफ-साफ सारी बात बता दूंगा कि चेन किसके पास है। उस वक्त तुम फांसी की कोठरी में बैठे होंगे, सोच लो। मैं तुम्हें एक और मौका देता हूं। बताओ क्या चेन तुम्हारे पास है?’
‘मैं आपको बात चुका हूं कि मुझे इसके बारे में कुछ पता नहीं।’ रिको ने अपने दांत भींचकर कहा।
जॉर्ज ने हाथ बढ़ाकर रिको को गले से पकड़ लिया और उसको जोर से झिंझोड़ा। रिको के सारे जिस्म में डर की लहर दौड़ गई, मगर वह कच्ची गोलियां नहीं खेला था। वह पत्थर के बुत की तरह चुपचाप रहा। जॉर्ज ने उसको एक ठोकर मारी वह, जमीन पर लुढ़क गया। जॉर्ज ने बाहर जाते हुए कहा-
‘अब तो मैं जा रहा हूं, लेकिन जल्दी ही वापस आकर तुम्हारी खबर लूंगा।’
जॉर्ज कमरे से बाहर जा चुका था। रिको का सारा जिस्म पसीने में डूब गया था। उसने खाली-खाली निगाहों से बाहर की ओर देखा।
* * *
लम्बा-चौड़ा एड डैलेस टेलीफोन बूथ में दाखिल हो गया। वह टेलीफोन एक होटल के अंदर लगा हुआ था। उसने बूथ के अंदर से बाहर के दृश्य को निहारा। उसकी दृष्टि एक के बाद दूसरी सुन्दर स्त्रियों के चेहरों से फिसलती हुई वापस आ गई। उसने कान से रिसीवर लगा रखा था। दूसरी तरफ से एक औरत की आवाज आई- ‘नमस्कार! मैं इंटरनेशनल डिटेक्टिव एजेंसी से बोल रही हूं।’
‘मैं एड डैलेस बोल रहा हूं। जिम्मी से बात करना चाहता हूं।’
दूसरी तरफ बैठी टेलीफोन ऑपरेटर और डैलेस एक दूसरे को जानते थे। उसने मुस्कराकर कहा, ‘ठहरो, अभी मिलातीे हूं।’
दूसरे ही पल फोन पर एजेंसी के बॉस हरमन की आवाज उभरी- ‘डैलेस, क्या बात है, ?’
‘मैं होटल से बोल रहा हूं।’
‘जहां एक हिन्दू महाराजा ठहरा हुआ है?’
‘यस।’
‘बात क्या है?’
‘अभी-अभी एक लड़की और एक पुरुष उस राजा से मिलने आये हैं। दाल में कुछ काला नजर आता है। क्या मैं उनका पीछा करूं ?’
‘हां, और पता लगाओ कि वे कौन हैं। इस बार हमें धोखा नहीं खाना है। क्या ये दोनों महाराज से मिलने वाले पहले आदमी हैं?’
‘यस।’
‘जरूर उनका पीछा करो।’ हरमन ने कहा।
‘ठीक है।’
डैलेस ने जवाब दिया- ‘मैं दोबारा आपको फोन करूंगा।’
कहकर उसने रिसीवर रख दिया और बूथ से बाहर निकल आया। वह होटल की लॉबी को पार करता हुआ वहां पहुंचा, जहां पर उसका साथी एक कुर्सी पर बैठा अखबार पढ़ने का बहाना कर रहा था, मगर उसकी आंखें रिसेप्शन पर लगी थीं। वह आने-जाने वालों को गौर से देख रहा था।
डैलेस ने उसके पास आकर कहा, ‘बॉस चाहता है कि हम मालूम करें कि जो दो लोग हिन्दू महाराजा से मिलने आए हैं, वे कौन हैं?’
डैलेस के साथी का नाम जैक बर्नज था। वह बोला, ‘मैं तो इस होटल की लॉबी में बैठा-बैठा उकता गया था। अब तुमने बताया है तो उस खूबसूरत औरत का पीछा करने में कुछ तो मजा आएगा।’
‘शीशे में अपनी शक्ल देखी है?’
‘उसे क्या हुआ है?’
वह तो सोने की चिड़िया है। तुम जैसे कंगाल से उसे क्या मिलेगा?’
‘दिल तो सोने का है।’
जैक के जवाब पर दोनों हंस पड़े।
डैलेस ने कहा, ‘बॉस ने कहा है कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है। खुली आंख से काम करना।’
‘खूबसूरत चेहरे के सामने किसकी आंखें बंद रह सकती हैं?’ जैक ने चुटकी ली।
डैलेस वहां से हट गया। वह लॉबी को पार करता हुआ मेनगेट के पास पड़ी एक कुर्सी पर आकर बैठ गया। अब वह ऐसी जगह बैठा था, जहां से हर आने-जाने वाले को आसानी से देख सकता था।
उसे काफी देर तक इंतजार करना पड़ा।
जो लोग महाराजा से मिलने गए थे, वे सामने से आते दिखाई दिए। लड़की पहले निकली। उसने खूबसूरत और कीमती लिबास पहना हुआ था। वह बड़ी शान से चल रही थी। उसके नितम्ब भारी थे और हर एक को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे।
लड़की के साथ जो आदमी था, उसका कद लम्बा और रंग भूरा था। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास की झलक थी। उसके चलने के अंदाज में गर्वीलापन था।
वे दोनों डैलेस को बिना देखे उसके पास से गुजर गए। वह भी अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ और उनके पीछे चल दिया।
दोनों होटल से बाहर आए। एक कार का दरवाजा खुला। दोनों अंदर आ बैठे। ड्राइवर ने दरवाजा बंद कर दिया और कार चल दी।
उसने कार का नम्बर नोट किया। उसके बाद पास से गुजरती एक टैक्सी को हाथ का इशारा करके रोका और अंदर बैठते हुए बोला, ‘पुलिस हैडक्वार्टर चलो।’ और फिर टैक्सी ड्राइवर से बोला, समझो कि कहीं आग लगी है और तुम्हें वहां पहुंचना है। बहुत तेज चलो।’
‘ओ० के० सर।’
ड्राइवर ने टैक्सी चला दी। दूसरे ही पल वह हवा से बातें करने लगी।
तीन मिनट के बाद टैक्सी पुलिस हैडक्वाटर्स की ऊंची इमारत के सामने जाकर रुकी। टैक्सी का बिल चुकाकर डैलेस जैसे ही आगे बढ़ा, तो उसने देखा कि जॉर्ज ओलिन एक पुलिस जीप से नीचे उतरकर इमारत की सीढ़ियां चढ़ रहा है।
डैलेस उसके पीछे भागा।
‘हे जॉर्ज! लगता है बहुत व्यस्त हो?’
‘हां, बोलो क्या बात है?’
‘मेरा एक काम करोगे?’
‘जल्दी बताओ? मैं बेहद उलझा हुआ हूं। तुम्हें मालूम है कि जीन ब्रूस की हत्या कर दी गई है? वह केस मेरे पास है। खैर, तुम अन्दर चलो।’
डैलेस ने चकित होकर पूछा- ‘क्या उसकी हत्या कर दी गई?’
‘हां। मजे की बात यह है कि कुछ ही फासले पर पुलिस की जीप भी खड़ी थी, मगर खूनी फिर भी बचकर निकल गया। जॉर्ज ने चलते-चलते कहा। फिर ‘बोला एक कीमती चेन जिस पर हीरे-जवाहरात जड़े थे, जिसकी कीमत पचास हजार के लगभग थी, खूनी ले उड़ा। खूनी ने लड़की के दाएं जबड़े को तोड़ डाला और गर्दन को मरोड़ दिया।’
डैलेस ने आश्चर्य से सीटी बजाकर पूछा, ‘कुछ अनुमान है कि किसका काम है?’
अब दोनों जॉर्ज के दफ्तर में पहुंच चुके थे-
‘अभी नहीं।’ जॉर्ज ने जवाब दिया, ‘खैर, तुम बताओ क्या काम है?’
‘एक कार जिसका नम्बर ए.ओ. 68 है, उसके बारे में मालूम करना है कि उसका मालिक कौन है?’
डैलेस ने सिगरेटकेस जॉर्ज की तरफ बढ़ाया। उसने एक सिगरेट जलाकर कहा- ‘किस केस पर काम कर रहे हो?’
‘पन्द्रह साल पुरानी एक चोरी पर। बड़ी दिलचस्प घटना थी। उसकी कहानी सुनना पसन्द करोगे?’
जॉर्ज ने इंकार में सिर हिलाया।
वह बोला, ‘पन्द्रह साल पुरानी बातों में किसे दिलचस्पी हो सकती है?’
‘यह एक बीमा कम्पनी का केस है। मामला तीन करोड़ से ऊपर का है।’
‘तीन करोड़।’ जॉर्ज की आंखें चमक उठीं।
‘हूं। बीमा कम्पनी को तीन करोड़ से ज्यादा का भुगतान करना पड़ा था, मगर बीमा कम्पनी आज तक चोरी हुए हीरों का पता लगाने में व्यस्त है।’
जॉर्ज ने सिगरेट की राख को उंगली से झाड़ा। वह बोला, ‘हां, कुछ याद आया। वह शायद किसी हिन्दुस्तानी महाराज के हीरो को मामला था?’
‘तुम ठीक कहते हो। वह चित्तौड़ के महाराजा का मामला था। हीरे उन्हीं के थे। उन्होंने कुछ समय के लिए अपने पुश्तैनी कीमती हीरे पुरब्राइंट संग्रहालय को उधार दिये थे। यह पन्द्रह साल पहले की बात है कि संग्रहालय ने दुनिया भर के कीमती हीरों की प्रदर्शनी का एक आयोजन किया था। महाराजा के हीरे ‘न्यूयॉर्क’ के लिए रवाना किए गए लेकिन वे न कभी वहां पहुंचे न किसी ने उनकी शक्ल देखी। ठीक एक साल बाद हेटर नाम के एक आदमी ने हालैंड में चोरी का माल खरीदने वाले एक आदमी से संबंध जोड़ा। क्या तुम हेटर के बारे में कुछ नहीं जानते? वह अपने जमाने का माना हुआ हीरों का चोर था। हीरों की कीमत को लेकर हेटर की व्यापारी से बातचीत टूट गई थी। कुछ समय के बाद हेटर पकड़ा गया, मगर वह हीरों के बारे में कुछ बताने को तैयार न था। उसे बीस वर्ष की सजा हुई। वह अब भी जेल में है, कुछ सालों के बाद छूटने वाला है। बीमा कम्पनी का हरमन अब भी चाहता है कि हीरों का कुछ पता चले। हम उसी की तलाश में लगे है। हमारी अब आखिरी उम्मीद हेटर ही है। वह बाहर निकलते ही उस जगह पहुंचेगा जहां उसने हीरे छिपा रखे हैं। तब हम उसको रंगे हाथों पकड़ लेंगे। अगर हम हीरे बरामद कर लें, तो चार-पांच लाख रुपये हमें भी मिल जाएंगे।’
जॉर्ज ने सिगरेट का धुआं हवा में उड़ाते हुए पूछा, ‘क्या हेटर ने हीरे अकेले ही चुराये थे?’
डैलेस ने कंधे हिलाकर कहा, ‘इस बात को कोई नहीं जानता। जिस जहाज में हीरे लाये जा रहे थे, उसके कर्मचारी और पायलट का भी कुछ पता नहीं चला। जहाज भी कहां चला गया, कुछ पता न चल सका। हमारा ख्याल है कि वे सब लोग हेटर के इशारे पर काम कर रहे थे। हीरों को कभी भी, कहीं बिकते हुए नहीं देखा गया। इससे जाहिर है कि हीरे अभी भी कहीं-न-कहीं छिपाकर रखे गये हैं। वे कहां हैं? इसे तो केवल हेटर ही जानता है।’
जॉर्ज ने अपनी ठोढ़ी पर हाथ फेरकर कहा, ‘अगर मैं होता तो अपने आदमियों से ऐसी मरम्मत करवाता कि हेटर का बाप भी सब कुछ बता देता।’
‘तुम बच्चों जैसी बातें करते हो। मार-मारकर हमने उसे अधमरा कर दिया, मगर उसकी जुबान न खुल सकी। हमारी सारी कोशिशें नाकाम हो गई है।’
‘अरे लानत भेजो इस मामले पर।’ जॉर्ज ने चौंकते हुए कहा- ‘मैं तो खून के केस में उलझा हूं। खैर, तुम कार के मालिक का नाम जानना चाहते हो न, मगर किसलिए?’
‘कुछ साल पहले हीरों के मालिक महाराजा की मौत हो गई। कुछ समय बाद उसका लड़का अमरीका आया और यहां रहने लगा। वह अपने बाप की दौलत पानी की तरह बहाने लगा, फिर वह चला गया। अब वह अचानक फिर आ गया है। बीमा कंपनी वालों का ख्याल है कि वह हेटर से संबंध जोड़ने आया है, ताकि उन हीरों के बारे में कोई सौदा कर सके।’ डैलेस ने अपनी बात कही।
जॉर्ज ने उसे घूरकर देखा।
‘कैसा सौदा?’
‘ख्याल है कि हेटर बहुत कम कीमत पर उन हीरों को महाराजा को बेचने के लिए तैयार हो जाएगा। हेटर से हीरे खरीदने के बाद महाराजा इनको आसानी से कहीं पर भी बेच सकता है। बीमा कम्पनी ने हमें नियुक्त किया है, ताकि हम महाराज से मिलने वाले हर आदमी पर नजर रख सकें। अभी तक एक लड़का और एक आदमी ही महाराजा से मिले हैं। वे दोनों होटल से निकलकर कार में गये थे। मैं उसी कार के मालिक का नाम जानना चाहता हूं।’
‘हां-हां, क्यों नहीं, मैं हरमन को अच्छी तरह से जानता हूं। उसने मेरी कई बार सहायता की है। क्या हाल है उसका?’
‘वही, जैसा पहले था, मगर है बड़ा कंजूस।’
‘कंजूस होगा तुम्हारे लिए। मुझे तो उसने पिछली क्रिसमस पर एक पूरा सिगार का बॉक्स दिया था।’
‘तुम ऐसे मामलों में काफी खुशकिस्मत हो। खैर, तुम मुझे कार के मालिक का नाम बताओ।’ डैलेस न कहा।
जॉर्ज ने रिसीवर उठाकर फोन पर किसी से बातचीत की और थोड़ी देर बाद बोला, ‘उस कार के मालिक का नाम प्रिस्टन काईल है। वह रुजवेल्ट कॉलोनी में रहता है। क्या इतनी जानकारी काफी है?’
‘नहीं, क्या काईल के बारे में कुछ और भी पता चल सकता है?’
जॉर्ज ने दोबारा किसी विभाग में फोन मिलाया और बात करने लगा। इसी बीच डैलेस उठकर खड़ा हो गया। उसने सड़क पर आते-जाते लोगों को देखा, तभी उसकी नजर शाम का अखबार बेचने वाले एक लड़के पर पड़ी।
डैलेस ने वापस मुड़कर कहा, ‘लगता है जीन ब्रूस की हत्या की खबर छप गई।’
जॉर्ज ने डैलेस की ओर से देखते हुए कहा, ‘काईल के बारे में कुछ और जानकारी नहीं मिल सकती।’
‘खैर, मुझे ही भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। मैं तो अब चला, तुम अपने खून के मामले की गुत्थी को सुलझाओ।’
यह कहते हुए डैलेस कमरे से बाहर निकल गया। उसने नीचे आकर एक टैक्सी पकड़ी और हैराल्ड अखबार के ऑफिस में जा पहुंचा।
डैलेस वहां पर एक पत्रकार हंटले फेवल को जानता था। फेवल शहर के सभी बड़े और अमीर आदमियों को जानता था। डैलेस दनदनाता हुआ फेवल के कमरे में आ घुसा। फेवल ने उसे सिर उठाकर देखा और बनावटी गुस्से से कहा- ‘बिना बताये कैसे अंदर घुसे आ रहे हो?’
‘भविष्य में गोली चलाकर अंदर आऊंगा।’
दोनों हंस पड़े। जेब से रूमाल निकालकर फेवल ने माथे को पोंछा। उसके रूमाल पर लिपस्टिक के निशान थे। डैैलेस ने आंख मारी।
‘डोंट बी सिली। टाइपिस्ट की आंख में कुछ पड़ गया था। इसे रूमाल से निकालने लगा तो एक किनारा उसके होंठों से छू गया। यह उसी का निशान है।’
‘घबराओ नहीं। मैं भी वक्त आने पर ऐसी ही बातें करता हूं।’
फेवल ने डेलेस को सिगरेट पेश किया। सिगरेट जलाकर उसने कहा- ‘क्या तुम काईल नाम के किसी आदमी को जानते हो?’
फेवल उसकी बात सुनकर चकित रह गया, ‘क्यों, क्या बात है? क्या वह किसी मुश्किल में फंस गया है?’
‘नहीं, पर मैंने उसे एक खूबसूरत लड़की के साथ देखा था। मेरी लड़की में ही दिलचस्पी है।’
‘वह तो मुश्किल से ही बाहर निकलता है। खैर, मुझे अपना कॉलम लिखना है। मेरे पास तुम्हारे साथ बातें करने का फिजूल वक्त नहीं है।’
डैलेस ने जेब में से पर्स निकाला और सौ का एक नोट निकालकर उसकी तरफ बढ़ाया। फेवल ने खुश होकर नोट झपट लिया और जेब में रखकर कहा- ‘अब बात बनी न?’
इसके बाद उसने कहा,
‘अब काईल के बारे में सुनो। वह सैन फ्रांसिसको का रहने वाला है। वहीं से यहां आता है। कुछ महीने पहले वह यहां आया था। उसने रुजवेल्ट कॉलोनी में एक बंगला खरीदा है जिसकी रकम अभी तक अदा नहीं की है। शायद वह कभी करेगा भी नहीं। तीन साल पहले वह एक सफल सट्टे का व्यापारी था। लगता है कि अब उसने यह काम छोड़ दिया है। वह अपना ज्यादातर समय रेस के मैदान में गुजारता है। जाहिर है कि वह वहां जीतता होगा, क्योंकि उसकी आमदनी का जरिया तो कोई है नहीं, मगर परेशानी क्या है तुम्हें? बिना जवाब का इंताजार किए फेवल ने उसे दूसरा सिगरेट पेश किया और डैलेस से बोला- ‘धोखेबाजी और जालसाजी काईल के जीवन का हिस्सा है। लगता है यह आदमी कभी नहीं समझेगा। इसके जीवन का मकसद औरत और शराब है। यह विवाहित औरत को फरेब देने में माहिर है। कई उत्तेजित पतियों ने तो इसकी जान लेने की भी कोशिश की थी, मगर यह बच गया। एक आदमी ने तो उसे जख्मी तक भी कर दिया था, मगर वह मामला रफा-दफा हो गया। वह बहुत ज्यादा शराब पीता है और शीघ्र ही गुस्से में आ जाता है। मेरा ख्याल है कि वह जिन्दगी में कभी समझेगा नहीं।’
डैलेस ने गंभीरता से पूछा- ‘वह खूबसूरत लड़की कौन है, जो उसके साथ घूमती है?’
‘उसका नाम ईव गिलिस है। बड़ी तेज लड़की है। वह एक महीने से काईल के साथ है। उसने ईव गिलिस को रोम्सबर्ग एवेन्यू मे एक फ्लैट लेकर दिया है। मेरा ख्याल है कि यह मामला ज्यादा देर तक चल नहीं सकेगा, मगर लड़की भी काफी होशियार है। वह जितना हो सकेगा, अपना उल्लू सीधा कर लगी, इस समय मे।’
‘एक घंटा पहले वे दोनों चित्तौड़ के महाराजा से मिलने होटल गये थे। तुम्हारी बातों से तो लगता है कि इतने बड़े महाराजा की उनसे क्या दोस्ती हो सकती है?
फेवल ने उसे देखा।
‘क्या मैं गलत कहता हूं?
‘क्या तुमने वाकई उन दोनों को महाराजा के कमरे में जाते देखा था?’
‘अपनी आंखों से।’
हूं, तो तुम अभी तक हीरों की चोरी की तहकीकात कर रहे हो?’
‘हरमन के आदेश पर।’
‘हूं।’ फेवल ने कहा- ‘मैंने सुना है कि फाइल का जालसाजों के एक गिरोह से संबंध है, मगर मेरे पास इसका कोई प्रमाण नहीं है। एक फरु-फरु नाम का क्लब है जिसको रिको नाम का एक आदमी चलाता है। वह भी चोरी का माल खरीदता है। रिको को चोरी का माल खरीदने की प्रेरणा, लगता है कि काईल ही देता है।’
‘मगर पुलिस के रिकॉर्ड में तो काईल के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं है।’
‘मुझे मालूम है। मैंने तुम्हें बताया न कि कभी वह सट्टे का एक सफल व्यापारी था, इसलिए उस पर शक की ज्यादा गुंजाइश नहीं हो सकती थी। अगरचे उसे कारोबार बंद किए दो माह हो चुके हैं, मगर उसके रहने-सहने का ढंग पहले जैसा ही है। वह अब भी काफी अमीर नजर आता है और ढंग से पैसा खर्च करता है। तुम उस पर और रिको पर नजर रखो। हो सकता है कि दोनों जालसाजी की किसी योजना में लगे हों।’
‘ओ० के०! मैं ऐसा ही करूंगा। अगर इस बारे में तुम्हें कोई और जानकारी मिले तो मुझे टेलीफोन पर जरूर सूचित करना।’
‘मगर काईल के बारे में प्रमाण कम और अफवाहें ज्यादा हैं।’
‘मैं समझता हूं, फिर भी हमारा काम ऐसा है कि हमें अपनी आंखें खुली रखनी पड़ती हैं।’
कहकर डैलेस उठ खड़ा हुआ। उसने सिर पर फैल्ट हैट रखा, फेवल से हाथ मिलाया और उसकी सुन्दर टाइपिस्ट को घूरता हुआ केबिन से बाहर निकल गया।
* * *
‘आह! तो वह मर गई।’
बेयर्ड ने उस अखबार को अपने हाथों में मसल डाला जिसमें जीन ब्रूस की मौत की खबर छपी थी। रेस्तरां लोगों से भरा था। चारों तरफ सिगरेट का धुआं फैला था। लोगों का शोर था। उसने अखबार को मेज के नीचे फेंककर ठोकर दे मारी। वह एक कोने में बैठा था। कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा था।
उसने जीन पर मन-ही-मन लानत भेजी। उसने तो एक ही वार उसके सिर पर और गर्दन पर किया था। उसे गुमान भी नहीं था कि जीन ब्रूस दम तोड़ देगी।
रेस्तरां में ज्यूक बॉक्स का संगीत गूंज रहा था। उसने जल्दी-से-जल्दी शहर छोड़ देने का फैसला कर लिया था। उसे अफसोस हुआ कि क्यों उसने एक घंटा रेस्तरां में बरबाद कर दिया। अब तक तो उसे यहां से चले जाना चाहिए था। रिको से मिलते ही उसे रफू-चक्कर हो जाना चाहिए था। अब पुलिस का हरेक सिपाही उसकी खोज में लगा होगा।
नीगो वेटर को बुलाकर उसने एक बीयर का ऑर्डर दिया। वह चला गया। बेयर्ड ने सिगरेट सुलगाया। उसका मकसद जीन को मारना नहीं था। यह पहला खून नहीं था, जो उसने किया था, पर जीन की मौत ने उसको उलझा दिया था। अब वह शहर के रेस्तरांओं में आजादी से नहीं घूम सकता था।
किसी का भी खून करना बेयर्ड के लिए मामूली बात थी जो भी उसकी राह में आता, उसे हटा देना उसके बायें हाथ का खेल था। वह जानता था कि किसी-न-किसी दिन पुलिस उसकी गर्दन दबोच लेगी और उसे मौत की सजा होगी। उसे न अपनी जिन्दगी से प्यार था और न ही किसी दूसरे का जीवन प्यारा था। अपनी जिन्दगी को बचाने के लिए वह किसी को भी मौत के घाट उतार सकता था। उसे यह भी अब खतरा था कि कहीं बाहर निकलते ही पकड़ न लिया जाये।
वेटर बीयर रख गया था और वह पी रहा था। उसका दिमाग बड़ी तेजी से काम कर रहा था।
सहसा नीग्रो वेटर उसके कान में कुछ फुसफुसा रहा था। उसने कोट के अंदर हाथ डालकर इत्मीनान किया कि पिस्तौल वहां पर मौजूद थी। शाम के अखबार ने जीन ब्रूस की जो हत्या की खबर छापी थी, वह रेस्तरां में फैल गई थी। उस खबर ने नीग्रो वेटर को भी चकित कर दिया था।
लगता था कि नीग्रो वेटर बेयर्ड को जानता है। उसने बेयर्ड के सामने पड़ी टेबल पर बोतल रखने का बहाना करते हुए धीमे स्वर में कहा, ‘नीचे गली में कुछ कॅान्स्टेबल आ रहे हैं। वे हर एक रेस्तरां की तलाशी ले रहे हैं।
उसकी बात सुनते ही बेयर्ड ने एक ही घूंट में पूरा गिलास खाली कर दिया और धीमे स्वर में पूछा ‘क्या पीछे निकलने का कोई रास्ता है?’
उसने स्वीकृति में सिर हिलाया।
वेटर कुछ उत्तेजित और चौंका-सा लग रहा था। उसने धीमे स्वर में कहा- ‘हे! आखिरी दरवाजे के पास से बाहर को एक रास्ता जाता है।’
बेयर्ड ने दस का एक नोट उसके सामने फेंका। उसकी आंखें चमक उठीं।
बेयर्ड उठ खड़ा हुआ। उसने जैसे ही नीग्रो वेटर के बताए रास्ते से जाना चाहा कि किसी की आवाज आई, ‘भई, क्या करते हो।’ इस रास्ते से नहीं। यह प्राइवेट रास्ता है।’
बेयर्ड का सारा शरीर गुस्से से भर उठा। उसका मन किया कि वापस मुड़े और कहने वाले को मुक्का मारकर नाक तोड़ दे, मगर उसने अपने पर काबू पाया और आगे ही बढ़ता गया।
दरवाजे के समीप पहुंचकर उसने देखा कि हल्का अंधेरा है। उसने तभी देखा कि एक मोटा-सा आदमी उसकी तरफ बढ़ रहा है। उसका आधा जिस्म नंगा था। उसने अपने हाथों में लोहे का एक छोटा सरिया उठा रखा था। उसकी आंखें गोल चपाती की तरह फैली हुई थीं।
वह बोला, ‘इधर तुम कैसे आ गये?’
‘बाहर जा रहा हूं।’
‘यह प्राइवेट रास्ता है।’
‘क्या?’
‘तुम दूसरी तरफ से जाओ।’
उस आदमी ने हवा में हाथ उठाकर बताया।
बेयर्ड ने उस आदमी को घूरकर देखा तो हैरत से उसका मुंह खुला-का-खुला रह गया व उसका हाथ हवा में ही रुक गया। और वह फटी-फटी नजरों से बेयर्ड को देखने लगा। उसमें जब इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह आगे बढ़ सके।
दरवाजा खोलकर बेयर्ड ने बाहर झांका। गली सीलन भरी थी और उसमें हल्का अंधेरा था। गली एक तरफ से बंद थी और जो रास्ता बाहर को जाता था, वह रोशनी से भरी सड़क पर खुलता था। बेयर्ड को यह अच्छा नहीं लगा। जिधर से गली बंद थी, उधर आठ फुट ऊंची पक्की दीवार बनी थी और उसके पास एक इमारत नजर आ रही थी, जो अंधेरे में डूबी थी।
उसने चमड़े के खोल में पड़े अपने पिस्तौल को एक बार पुनः छुआ और छलांग मारकर गली में आ गया। एक पल को वह वहीं खड़ा मेन रोड पर आती-जाती गाड़ियों के शोर को सुनता रहा, फिर वह वापस मुड़ा। दीवार के पास पहुंचा और कूदकर उसने दीवार के ऊपरी हिस्से को पकड़ लिया।
एक पल तक वह दीवार से लटका रहा, फिर वह एक कीड़े की तरह रेंगता हुआ दीवार पर चढ़ा और पलक झपकते ही दीवार की दूसरी तरफ कूद गया। दूसरी तरफ इमारत में गहरी खामोशी और अंधेरा फैला था।
सामने ही घने पेड़ थे। वह एक पेड़ पर चढ़ गया। दूसरे ही पल वह इमारत की छत पर था। एक के बाद दूसरी छत पर से फलांगता हुआ वह इमारत में बने एक मोटर गैरेज की छत पर जा पहुंचा। उसके साथ ही दूर तक एक अंधेरी गली चली गई थी। वह जल्दी ही उसमें पहुंच गया। चारों तरफ अंधेरा था। उसकी हरकतों को कोई नहीं देख रहा था। गली मेन रोड के समानांतर चल रही थी। बचता-छिपता वह गली के आखिरी किनारे पर पहुंच गया।
जो सड़क सामने थी, उस पर ज्यादा भीड़ नहीं थी। वह गोली की तरह उसे पार करता हुआ सामने बनी एक इमारत के गेट पर जा पहुंचा। इस इमारत में भी उसका एक कमरा था जिसमें उसकी कुछ निजी चीजें थीं। एक फोटो एलबम, कपड़ों का एक सूटकेस और मशीनगन कमरे में थी। यहां आना खतरे से खाली नहीं थी, मगर फिर भी वह अपने आपको यहां आने से रोक नहीं सका था। फोटो एलबम बहुत कीमती था। वह किसी के हाथ पड़ जाता तो उसका बचना नामुमकिन था। उस एलबम में बचपन से लेकर आज तक के उसके फोटो मौजूद थे। यही नहीं, बल्कि उसके मां, भाई और बहन तथा कुत्ते को फोटो भी उसमें था जिससे वह अक्सर खेला करता था।
उस एलबम में उसका अतीत बंद था। इसी एलबम के जरिए उसके गुजरे जीवन से एक रिश्ता जुड़ा था, वरना तो अब तब सब कुछ खत्म हो चुका था।
उसकी मां गोली लगने से तब मर गई थी, जब उसके बाप की एक पुलिस इंस्पेक्टर से टक्कर हो गई थी। वह इंस्पेक्टर की गोली का शिकार हो गई थी। उसकी बहन शिकागो में एक कॅालगर्ल बनकर रह गई थी। उसके भाई को पुलिस ने एक डकैती के आरोप में पकड़ लिया था और उसे बीस साल की कड़ी सजा हुई थी। उसका कुत्ता घर से भाग गया था।
बेयर्ड जब-तब उनको याद करता तो उसका मन भर आता था। वह उनको याद नहीं करना चाहता था, पर अतीत को भुलाना भी तो इतना आसान नहीं होता है। वह अक्सर उन सुखी पलों में खो जाता था, जब उसके बाप का अपना फार्म था और उसकी मां सारा दिन हंसती रहती थी और काम करती रहती थी।
अचानक वह अतीत से निकलकर वर्तमान में आ गया। उसने सोचा कहीं जॉर्ज ओलिन के आदमी इमारत की छिपकर निगरानी न कर रहे हों। हो सकता है दूसरी जगहो की तरह यहां भी जॉर्ज ने अपना जाल फैला रखा हो, पर कुछ भी हो, उसे चाहे अपनी जान पर खेलना पड़े, वह फैमिली एलबम को जरूर वहां से लेकर जाएगा।
वह कुछ पलों तक अंधेरे में खड़ा कुछ सोचता रहा। जब उसे यकीन हो गया कि इमारत की निगरानी नहीं हो रही है तो उसने कमरे की दोनों खिड़कियों को देखा, जो अंधेरे में डूबी थीं। चारों तरफ से निश्चिंत होकर वह आगे बढ़ा, मगर तभी उसे दूर अंधेरे में कोई साया चलता नजर आया। वह कांपकर रह गया। पुलिस का एक सिपाही अपने को अंधेरे में छिपाए खड़ा था।
उसने सोचा‒तो उसका शक ठीक निकला। जॉर्ज ने यहां पर भी अपना जाल फैला रखा है। वह मरते मरते बचा था। निश्चित रूप से इमारत में और भी पुलिस के लोग छिपे होंगे। पांच मिनट तक वह सांस रोके खड़ा रहा।
उसके बाद उसने पिस्तौल पर हाथ रखा और गोली की तेजी के साथ ही दोबारा सड़क को पार करके अंधेरी गली में आ गया। कुछ पल तक वह उसमें चलता रहा। उसके बाद गली के खात्मे पर उसे एक ड्रग-स्टोर (दवाइयां की दुकान) मिली। यह काफी बड़ा था। वह उसमें दाखिल हो गया। उसमें एक पब्लिक टेलीफोन बूथ भी बना था। ड्रग स्टोर में कोई नहीं था। सिर्फ एक सेल्सगर्ल काउंटर पर बैठी अखबार पढ़ रही थी। उसने बेयर्ड पर एक नजर डाली और दोबारा अखबार पढ़ने लगी।
बेयर्ड बूथ में दाखिल हो गया। उसने रिको का नम्बर मिलाया।
‘हैलो!’
फोन रिको ने ही उठाया था।
‘हैलो! मैं हूं! पहचाना?’
‘पहचान गया।’
‘क्या वे मुझे तलाश कर रहे हैं? क्या जॉर्ज तुम्हारे पास आया था?’
एकाएक रिको की आवाज भारी हो गई- ‘यस! मगर तुम पहले दर्जे के मूर्ख हो। फोन बंद कर दो। हो सकता है वे तुम्हारी आवाज सुन रहे हो। जॉर्ज का कहना है कि जीन की हत्या तुम्हीं ने की है। वे मेरे और तुम्हारे दोनों के पीछे लगे हैं।’
‘क्या?’
‘हां-हां! तुम मेरे पास मत आना।’
बेयर्ड की कल्पना में रिको का भयभीत चेहरा उभरा।
बेयर्ड ने कहा- ‘कायर मत बनो। उनके पास क्या प्रमाण है कि यह काम मैंने किया है? हैलो....।’
मगर रिको ने फोन बंद कर दिया था।
बेयर्ड ने रिसीवर को क्रेडिल पर पटक दिया, तभी उसने ड्रग स्टोर के मेन गेट पर कुछ साये देखे। वह बूथ से निकल गया और उसके पीछे जा छिपा।
दरवाजा खुला।
सामने पुलिस के आदमी खड़े थे।
एक ने पूछा- ‘मिस! क्या चंद मिनट पहले तुमने किसी आदमी को अंदर घुसते देखा था?
लड़की ने जवाब दिया- ‘दो-तीन मिनट पहले एक लम्बा-तगड़ा आदमी यहां था, पर अब तो वह जा चुका है।’
‘क्या उसने भूरे रंग का सूट पहना हुआ था?’ इंस्पेक्टर ने पूछा,
‘हां, वही। उसने किसी को फोन किया था।’
‘आप बता सकती हैं कि वह किधर को गया?’
‘मैंने उसे ठीक से जाते नहीं देखा था।’
इसके बाद वहां चुप्पी छा गई। सबकी निगाहें टेलीफोन बूथ की तरफ उठ गईं। बेयर्ड अब उनकी लपेट में था। बेयर्ड ने सोचा और पिस्तौल निकाल ली। उसने बूथ के पीछे से देखा, दो पुलिस वाले थे।
वे दोनों बूथ की तरफ आगे बढ़ना ही चाहते हैं, तभी बेयर्ड ने ताककर निशाना मारा।
गोली पुलिस इंस्पेक्टर के मुंह को छेदती हुई निकल गई। वह चीख मारकर काउंटर पर गिर पड़ा। उसके साथ के सिपाही ने जमीन पर लेटकर गोली चलाई, मगर उसका निशाना खाली गया। इसी बीच लड़की ने उसको देख लिया था। वह नहीं चाहता था कि उसके भाग जाने पर वह लड़की पुलिस को हुलिया बताये।
वह थरथर कांप रही थी।
बेयर्ड ने दूसरी गोली ताककर उस पर मारी। वह चीख मारकर जमीन पर लुढ़क गई। उस लड़की का चेहरा उसकी बहन से मिलता-जुलता था, पर यह समय जान बचाने का था, ममता दर्शाने का नहीं। वह खुद मौत के घेरे में आ फंसा था।
गोलियों की आवाजों से सारा ड्रग स्टोर गूंज उठा, तभी बाहर पुलिस जीप में लगे खतरे के सायरन की आवाज फिजा में गूंज उठी।
सामने ही मेन स्विच था।
बेयर्ड ने गोली मारी।
सारी इमारत में अंधेरा फैल गया।
बेयर्ड ने अपनी पिस्तौल की नली को फूंक मारकर साफ किया, बाहर शायद पुलिस की जीप खड़ी थी। उनकी सीटियों की आवाजें चारों तरफ गूंज रही थीं।
मेन स्विच उड़ाने से पहले बेयर्ड ने देख लिया था कि काउंटर के पीछे एक दरवाजा है। उसके पास ऊपर जाने वाली सीढ़ियां हैं। वह उधर को ही बढ़ा।
बाहर शोर मचा था।
‘पकड़ो।’
‘जाने न पाये।’
‘वह हरामी इसी बिल्डिंग में है।’
‘उसने मेन स्विच उड़ा दिया है।’
‘इमरजेंसी लाइट लाओ।’
‘होशियार।’
बेयर्ड इन तमाम आवाजों की परवाह किये बिना दरवाजे की तरफ बढ़ा और ऊपर को जाती सीढ़ियों पर तेजी से चढ़ने लगा। उसकी सबसे बड़ी कोशिश यही थी कि कोई उसे भागते हुए देख न सके। ऐसी स्थिति में जो खून-खराबा हुआ था, उसकी जिम्मेदारी या आरोप जॉर्ज ओलिन उस पर नहीं लगा सकता था। वह जल्दी से जल्दी वहां से निकल जाना चाहता था।
सबसे ऊपर पहुंचकर उसे शीशे का दरवाजा दिखाई दिया। उसने उसे खोला तो सामने खुली छत थी।
बेयर्ड छत पर आ गया।
मुंडेर पर पहुंचकर उसने नीचे देखा‒पुलिस की जीपें, लोग, भाग-दौड़, सायरन और सर्च लाइट आदि का नीचे जमघट था।
बेयर्ड ने पिस्तौल निकालकर सर्चलाइट पर गोली चलाई। एक धमाके से शीशा टूट गया और सर्चलाइट बुझ गई।
दोबारा अंधेरा फैल गया।
तभी किसी ने नीचे से गोलियां चलानी शुरू कीं, मगर तब तक बेयर्ड वहां से हट चुका था। वह छत के बीचो-बीच आ गया।
उसके बाद उसने साथ जुड़ी छत पर छलांग लगा दी। इतना कुछ होने पर भी वह घबराया नहीं था। छत पर कूदकर उसने देखा कि लोहे की सीढ़ियां नीचे की तरफ जा रही हैं। वहीं पर मुंडेर की ओट में खड़े होकर उसने नीचे को झांका। वहां पर जॉर्ज खड़ा था।
सहसा उसका दिल चाहा कि वह गोली चलाकर जॉर्ज का काम तमाम कर दे, मगर इसमें एक खतरा यह था कि पुलिस को उसके दूसरी छत पर होने का पता चल जाता। वह इस बारे में पुलिस को धोखे में रखना चाहता था, इसलिए चाहकर भी वह जॉर्ज पर गोली न चला सका।
वह अंधेरे में डूबी लोहे की सीढ़ियां उतरने लगा, तभी उसने सामने वाली छत पर एक पुलिसमैन को चढ़ते देखा। वह बेयर्ड को नहीं देख सका था।
बेयर्ड वहीं पर सांस रोककर खड़ा हो गया। एक पल दो पल, उसने सांस रोक ली।
सहसा सामने की छत से एक गोली चली और कमर के दाएं हिस्से को चीरती हुई निकल गई। नीचे छत थी। बेयर्ड वहीं से कूद पड़ा। एक और गोली चली। अगर वह न कूदता तो गोली उसके सिर के टुकड़े-टुकड़े कर देती।
वह पागलों की तरह छत पर भागकर मुंडेर की ओट में हो गया।
नीचे से आवाज आई।
‘वो रहा।’
‘जाने न पाए।’
‘पकड़ो-भागो।’
‘वह उस छत पर कूद गया है।’
‘मैंने उसको गोली मार दी है।’
‘मगर वह अभी तक मरा नहीं है।’
‘संभलकर, जरूर कहीं छिपा होगा।’
इन तमाम आवाजों को बेयर्ड सुन रहा था। जहां से गोली चीरती हुई निकली थी, वहां बेहद दर्द हो रहा था। उसने दाईं ओर को देखा, वहां नीचे एक छत थी। वह अंधेरे में डूबी थी। उसने घिसटकर दीवार के सहारे अपने को उसके साथ लगाया और छत पर बिना आवाज किए कूद गया। बेयर्ड ने पहली बार अपनी ताकत को कम होते महसूस किया। उस पर थकान और बेहोशी हावी होने लगी थी। खून भी काफी निकल चुका था।
वह घिसटकर आगे बढ़ता तो खून की लकीर पीछे बन जानी थी। उसे लगा मानो उसके जीवन का खात्मा नजदीक है। वह चारों तरफ से घिर गया था। अगर वह इमारत में कहीं छिप भी जाता तो पुलिस वाले उसको ढूंढ निकालते। वह समझ गया कि उन्होंने उसके पंख तो काट डाले हैं और जैसे ही उनकी नजर उस पर पड़ी, वे उसको पागल कुत्ते की तरह मार डालेंगे।
मगर वह यों बेबसी की मौत नहीं मरेगा- उसने फैसला किया, वह आखिरी दम तक मुकाबला करेगा।
मगर खून शरीर से इस तेजी से बह रहा था कि उसका शरीर उसके आत्मविश्वास के सामने कमजोर पड़ने लगा था। वह मुकाबला करके मरना चाहता था। काश! किसी तरह उसका खून बहना बंद हो जाए तो दो-चार को ठिकाने लगा दे और तब दम तोड़े। ऐसे मौके के लिए उसने अपनी पीठ से एक छोटी सी बंदूक भी बांध रखी थी जिसको उसने आखिरी मुकाबले में इस्तेमाल करना था, मगर अब तो उसको वजन भी भारी लगने लगा था।
वह छत से घिसटकर नीचे को झुका। सामने एक बालकनी थी जो अंधेरे में डूबी थी। एक कमरा था जिसका दरवाजा बंद था। उसने पहले अपनी टांगें लटकाईं, फिर शरीर का बाकी हिस्सा और तब उसने हाथ छोड़ दिए। वह ‘धम्म’ की आवाज करता हुआ नीचे बॉल्कनी में जा गिरा।
उसको किसी ने नहीं देखा।
बेयर्ड का दम फूल चुक था। वह घिसटकर आगे बढ़ा। उसने दरवाजे पर हाथ रखा- वह खुल गया। कमरा काफी बड़ा था। उसके एक कोने में दीवान पड़ा था। बीच में आराम कुर्सी थी। एक तरफ टेबल और सोफा रखा था। दीवारों का प्लास्टिक उखड़ा नहीं था, पर जो रंग दीवारों पर किया गया था, वह मटमैला हो गया था।
कमरा खाली था।
सामने एक दरवाजा और था। वह बंद था। वह समझ नहीं सका कि वह दूसरे कमरे का दरवाजा था या बाथरूम का। उसके सिर में चक्कर आ रहे थे।
उसे लगा बहुत से सिपाही ऊपर आ गए हैं। उन्होंने उसको घेर लिया। वह बेबस हो चुका है। उसके हाथों में हथकड़ी पहना दी गई है और नीचे भीड़ उसके मुंह पर थूक रही है।
वह खुले दरवाजे के सामने निढाल पड़ा था। वह खिसककर भी आगे नहीं जा सकता था। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था। इससे पहले कि वह बेहोश होकर वहां पर गिर पड़े, एक हाथ कमरे से निकला और बेयर्ड को उसने अंदर घसीट लिया, मगर तब तक वह बेहोश हो चुका था। इसी के साथ दरवाजा बंद हो गया।
* * *
गिलास में व्हिस्की डालते हुए जरा-सा हाथ प्रिस्टन काईल का टेढ़ा हुआ और कांपा। उसने मन-ही-मन अपने को ताड़ा-उसे इस ढंग से गिलास में शराब नहीं डालनी चाहिए, थी। वह आजकल बहुत पीने लगा था। शायद इसीलिए उसके हाथों में कंपकंपी आ गई थी, मगर वह इसके अतिरिक्त कर भी क्या सकता था।
उसने सोचा, वह शराब न पिये तो अपने को व्यस्त कैसे रखे? इन दिनों उसकी नींद भी उड़ गई थी। उसके दिमाग में उलझाव सा रहने लगा था। वह अक्सर दिमागी थकावट और कभी-कभी उन्माद की स्थिति में अपने को पाता था।
उसे अक्सर लगता था मानो पिछले कुछ समय से उन्माद की यह स्थिति काफी बढ़ने लगी है। कभी-कभी वह डर भी जाता जैसे वह मौत की तरफ बढ़ रहा हो। एक जमाना था कि वह कोई भी फैसला ठीक समय पर और जल्दी कर लेता था। वह जिन्दगी के खतरों से डरता नहीं था, तब वह निडर, चालक, तीखी बुद्धि वाला इंसान माना जाता था। इसी का परिणाम था कि वह बैंक के एक मामूली क्लर्क से सट्टा मार्किट का एक जबरदस्त बॉस बन गया था।
लेकिन यह दो साल पहले की बात थी, मगर अब तो वह काफी असफलताओं का शिकार हो चुका था। अब वह पहले जैसा नहीं रहा था। उसका आत्मविश्वास भी लुट चुका था। अब उसमें लड़ने की ताकत भी नहीं रही थी। अब वह कोई जोखिम उठाते हुए डरता था। अब उसके फैसले अक्सर गलत हो जाते थे।
अब! महाराजा के मामले ने उसे और भी परेशान कर दिया था। यह बड़ा खतरनाक मामला था।
उसने शराब का गिलास खाली किया। दूसरा भरा और शीशे के सामने जाकर खड़ा हो गया।
उसने शीशे में अपने को निहारा।
वह अब भी खूबसूरत, प्रभावशाली और चेहरे से आत्मविश्वासी नजर आता था, बिल्कुल ऐसे ही जैसे दस वर्ष पहले था। बस इतना परिवर्तन आया था कि कनपटियों पर से बाल थोड़े सफेद हो गए थे और कमर कुछ मोटी हो गई थी। कुल मिलाकर उसका शारीरिक आकर्षण शेष था।
मगर वह उम्र के बारे में क्यों सोचे? अभी वह कोई साठ साल का बूढ़ा थोड़े हुआ था, मगर वह नौजवान भी नहीं था। कभी-कभी उसकी छाती के दाएं ओर हल्का- सा दर्द उठता था। क्या वह दिल का मरीज हो गया है? वह डॉक्टर से परीक्षण करवाता हुआ डरता था। अगर उसने कोई ऐसी वैसी बात कह दी तो उसका आत्मविश्वास टूट जाएगा। हो सकता है, वह गैस की बीमारी हो। वह अपने को समझाता।
काईल ने एक नया सिगार सुलगाया।
ईव गिलिस बाथरूम में थी। उसका इंतजार काईल को खलने लगा था।
ईव के कपड़े कमरे में बिखरे पड़े थे। वह उन्हें फेंककर बाथरूम में घुस गई थी कि उसे कुछ सोचना है। वह खूबसूरत औरतों को सोचने की आजादी देने के पक्ष में नहीं था। ईव भी एक खूबसूरत लड़की थी। उसे सोचने का कोई अधिकार नहीं था।
वह ईव को पिछले दो सालों से जानता था। ईव ने उसके जीवन में सुख के कई पल उपजाये थे। उससे मिलने से पहले एक काली सी कोरा हनेसी उसके साथ सोती-जागती थी।
जब उसने कोरा हनेसी से पीछा छुड़ाया तो पांच दिन के बाद ही ईव उसके फ्लैट में आकर रहने लगी थी। ईव काफी जवान थी और यौन की दृष्टि से काफी उबलती रहती थी। वह हर रात उससे चिपटकर आंखों में गुजार देना चाहती थी। उसको पूर्ण तृप्ति देना काईल के वश के बाहर हो गया था।
ईव से पीछा छुड़ाना इतना आसान भी नहीं थी। एक दिन वह गई तो उसकी कई कीमती चीजें साथ ले गई जिनमें सोने और हीरे के कफ-लिंक्स (कमीज पर लगाने वाले) स्टैंड थे, कीमती सिगार कटर था और एक कीमती तस्वीर थी। वह एक लड़के की थी। उसमें वह बिल्कुल नंगा खड़ा था। यह चित्र उसने सौन फ्रांसिसको के एक वेश्यालय से खरीदा था।
वह चाहता तो इस चोरी की रिपोर्ट पुलिस में कर देता और ईव को सब चीजें वापस करनी पड़ती, मगर वह अब पुलिस के चक्करों से कुछ डरने लगा था।
जब पहली बार वह ईव से मिला था तो काईल ने उसे सिर्फ एक सीधी-सादी खूबसूरत लड़की समझा था, मगर यह उसकी भूल थी। वह बहुत तेज-तर्रार और चालाक थी। उसने धीरे-धीरे उसके अतीत के बारे सब कुछ जान लिया था। उसकी आर्थिक स्थिति के बारे में भी वह सब कुछ मालूम कर चुकी थी।
काईल का बैंक में कितना पैसा और कितनी सम्पत्ति है, इसका भी उसको ज्ञान था। एक-एक करके वह उसके बारे में सभी जरूरी जानकारी हासिल कर चुकी थी। इस तरह उसने ईव को जितनी भोली समझा था, वह उतनी नहीं थी।
उसकी आंखें मानो एक्सरे की एक मशीन थी। जिसके सामने काईल का अंजर-पिंजर साफ नजर आने लगता था।
वह गहरी सोच में डूबा था।
एक रात तो ईव ने उसे चौंका देने की हद तक यह कहकर डरा दिया था- ‘काईल, तुम्हारे साथ परेशानी क्या है? तुम इस तरह खोये-खोये क्यों रहते हो? तुम चाहो तो मेरे साथ यों समय बरबाद करने के बजाय ढेरों रुपये बना सकते हो। तुम तो शुरू से महत्त्वाकांक्षी रहे हो। तुम्हें हो क्या गया है?’
उसने चकित होकर उसकी तरफ देखा था और सहज भाव से टालते हुए कहा था। मुझे अब काम करने की कोई जरूरत नहीं है।
‘क्यों?’
‘मैं जितनी दौलत चाहता था, वह मेरे पास है।’
‘और बिजनेस?’
‘उससे मैं रिटायर्ड हो चुका हूं।’
‘इतनी जल्दी ?’
‘तुम इतनी दिलचस्पी क्यों ले रही हो? तुम्हें तुम्हारी कीमत मिल जाती है।’
‘हूं।’
‘तुम्हें इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए कि मैं क्या करता हूं और क्या नहीं।’
मगर वह उसके तर्कों से प्रभावित हुए बिना बोली - ‘तुम झूठ क्यों बोलते हो ?’
‘...... ।’
ईव ने अपनी नीली आंखें घुमाकर कहा-
‘मेरे साथ तुम्हें बहानेबाजी करने की जरूरत नहीं।’
‘क्या बकती हो?’
‘मैं ठीक कहती हूं।’
‘मतलब ?’
‘मैं तुम्हारी सहायता करना चाहती हूं।’
‘तुम कहना क्या चाहती हो ?’
‘....’
‘मुझे किसी की सहायता की जरूरत नहीं है।’
ईव ने शांत भाव से कहा- ‘लोगों का कहना है कि पैसे की दृष्टि से तुम कंगाल हो चुके हो।’
काईल ने उसे हैरत से देखा।
वह बोली-
‘लोग कहते हैं, तुम पर हजारों का कर्ज चढ़ चुका है। जो रुपया-पैसा तुम्हारे पास था, वह सब खर्च हो चुका है।
‘....’
‘तुम कुछ करते क्यों नहीं ?’
काईल को उसकी बातें सुनकर धक्का लगा। वह कुछ पल तक खामोश रहा, मगर उसका सारा शरीर गुस्से से कांप उठा। वह फट पड़ना चाहता था। उधर ईव की आंखें में दृढ़ निश्चय था।
काईल ने अपने को संभाला।
उसने सोचा, वह अपने को इतना क्यों गिराये। आखिर वह कौन होती है, जो उसकी निजी बातों में यों दखल दे रही है? एक पल को उसका मन चाहा कि वह उसे कहे कि वह अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर वहां से दफा हो जाए, मगर यह सोचकर चुप रहा कि इससे स्थिति बदलेगी तो नहीं।
यह ठीक था, जो ईव ने कहा था। आर्थिक दृष्टि से वह काफी टूट चुका था। कोई करिश्मा ही उसे बचा सकता था। वह कर्ज में गहरा फंस गया था। एक स्थिति ऐसी आ सकती थी कि मजबूर होकर उसे आत्महत्या करनी पड़ती।
ईव की आयु पच्चीस के लगभग थी। वह सुन्दर और दृढ़ निश्चय वाली लड़की थी। उसके स्वर में गंभीरता थी। क्या वह उस पर विश्वास कर सकता था?
उसने सिर्फ इतना कहा कि उसकी तबियत ठीक नहीं है।
उसने धीमे से कहा-
‘तुम जानती हो कि मैं युवक नहीं हूं। मैंने जीवन में बहुत मेहनत की है। अब मैं काफी थक चुका हूं। मैं अब कुछ उदास और जीवन से निराश हो गया हूं। खैर, मैं इस वक्त थका हुआ हूं। मैं इस समय आराम करना चाहता हूं।’
ईव ने उसकी बातें का विश्वास नहीं किया। उसने काईल की तरफ हमदर्दी से देखा।
मेरा ख्याल है कि मैं इस मुश्किल में तुम्हारी सहायता कर सकती हूं। मैंने सुना है कि....।’
‘किया सुना हे ?’
और उसने महाराज जी बात उसको बताई। पहले तो काईल समझा कि वह उससे मजाक कर रही है, मगर फिर उसकी पतली गर्दन पर हाथ फेरकर बोला।
‘डियर ईव! मैंने कभी इस घटना के बारे में कुछ भी सुना नहीं है। यह बात तो बड़ी चौंका देने वाली लगती है। इसके अलावा मैं नहीं समझता कि इस मामले में मैं कुछ कर सकता हूं। अगर मैं कुछ कर भी सकता तो भी इस मामले में अपनी टांग न फंसाता। अलावा इसके राजा नहीं चाहेगा कि इस मामले में मैं दखल दूं।’
‘वह जरूर चाहेगा।’
‘कैसे -क्यों ?’
‘मैं उससे बात करूंगी?’
एक पल को काईल को विश्वास न आया कि वह महाराजा से बात करेगी। उसने सारी बात को अपने दिमाग से झटक दिया था।
कुछ दिनों के बाद काईल को उसने बताया कि महाराजा उससे अपने होटल में मिलना चाहता है। वह जानकर काईल को घोर आश्चर्य हुआ था।
पहले उसने होटल जाने से इंकार कर दिया, पर ईव के बहुत जोर देने पर उसने राजा से मिलना स्वीकार कर लिया और कहा- ‘तुम्हारी क्या राय है, ईव?’
‘कम-से-कम हम उससे मिल तो ले। देखें वह क्या कहता है। उसने अपने बालों को छूकर कहा- ‘हो सकता है, वह हमारी बात न माने।’
‘मतलब?’
‘हम जो मांग करें, वह न देना चाहें। अगर वह देने को राजी हो भी गया तो हम यह कहकर इंकार भी कर सकते हैं कि ऐसा करना मुमकिन नहीं हो सकेगा। आखिर मिलने में हर्ज ही क्या है?’
ईव की बात में दम था।
एक तो ईव का यह तर्क और दूसरे एक महाराज से मिलने की उत्सुकता ने काईल को ‘हां’ कहने के लिए मजबूर कर दिया था।
काईल ने जो सोचा था, वैसा नहीं हुआ। महाराजा से उसकी भेंट बड़ी मनहर और सहज रही। महाराजा से बातचीत के बाद पता चला कि ईव ने पहले ही इंटरव्यू का प्रोग्राम खूब अच्छे ढंग से तय कर लिया था।
महाराजा ने कहा कि अगर वह खोये हीरों को तलाश करके उन्हें वापस दिला दे तो उसे बड़ी खुशी होगी। वे हीरे उनके खानदानी इज्जत के प्रतीक हैं और उनका वापस राज्य में आना बेहद जरूरी है। अगर वह हीरों को उसे वापस दिला दे तो वह काईल को चालीस लाख रुपये देने को तैयार है। इस धंधे या सौदे के बारे में महाराजा की एक ही शर्त थी कि कानो-कान किसी को खबर न हो।
काईल को सहज में अहसास हो गया कि महाराज बीमा कम्पनी को सबक सिखाना चाहता है। उस सबक में सजा और धोखा दोनों शामिल थे। इसकी काईल को परवाह नहीं थी। अगर वह स्वयं महाराजा की जगह होेता तो यही करता।
‘चालीस लाख।’
काईल मुंह-ही-मुंह में बुदबुदाया। इतनी बड़ी रकम से वह एक नई जिन्दगी शुरू कर सकता है। सट्टा मार्केट में अपनी खोई साख को दोबारा हासिल कर सकता है।
ये विचार उसके दिमाग में तुरंत उभरे थे, जब महाराजा ने इतने सारे रुपये देने की बात कही थी। महाराजा बातें करता रहा था और काईल का तेज दिमाग समझ गया था कि इस बात की क्या गारंटी है कि महाराजा अपने वायदे पर कायम भी रहेगी या नहीं। रुपयों के मामले में तो बड़े-बड़ों के दिमाग घूम जाते है। उसे पहली नजर में ये सब बातें एक सपना नजर आती थीं।
उधर ईव ने महाराजा को पूरा विश्वास दिला दिया था कि दुनिया में अगर कोई आदमी उसके हीरों को वापस दिला सकता है तो काईल है। इसके लिए ईव ने कौन से तर्क दिये थे, इनका पता काईल को भी नहीं था, पर भेंट से पहले महाराजा काईल से काफी प्रभावित नजर आता था।
जब काईल जाने लगा तो महाराजा उसे दरवाजे तक छोड़ने आया और बोला- ‘मैं करिश्मों में विश्वास नहीं रखता, मगर यह जरूर समझता हूं कि आप एक मुश्किल काम अपने हाथों में ले रहे हैं, लेकिन मैं इस मामले में रिस्क लेने को तैयार हूं। अपना मकसद हासिल करने के लिए, मेरा मतलब है हीरे वापस आने तक जो खर्चा होगा, मैं देने को तैयार हूं।’
‘खर्चा?’
‘हां, पांच हजार।’
‘हूं।’
‘जाहिर है कि आपको सहायता की जरूरत होगी। जो लोग आपके लिए काम करेंगे, उनको तो पैसा देना ही पड़ेगा। यह रकम कल आपको बैंक एकाउंट में जमा कर दी जाएगी।’
काईल जानता था कि महाराजा इतना बेवकूफ नहीं कि बिना जाने-बूझे रुपया यों पानी की तरह बहाये। आखिरकार काईल को अपने कस-बल खोलने पड़े और उसने महाराजा के हीरे वापस दिलाने के लिए प्रयास करने का वायदा कर लिया।
इस काम की सफलता का श्रेय ईव को जाता था। इससे पहले कि महाराजा से ना-नुकर करने की कोई गुंजाइश काईल के पास रह भी जाती- ईव ने उस बैंक का नाम महाराजा को बता दिया जिसमें काईल का एकाउंट था।
होटल की लॅाबी में चलते हुए एक बार प्रिस्टन काईल ने एकाएक रुपये लेने का विरोध भी किया था। वह बोला था, ‘इन रुपयों की क्या जरूरत है? हमें कहां खर्च करने होंगे?’ फिर रुककर बोला था- ‘मान लो हम हीरों की खोज की कई योजना न बना सके तो क्या होगा ?’
‘हम रुपया लौटा देंगे।
‘मगर ...।’
‘इसमें नुकसान की क्या बात है?’
जब वे दोनों वापस फ्लैट पर आए तो काईल ने योजना को असंभव बताया।
वह बोला, ‘हीरे पन्द्रह साल पहले चोरी हुए थे। अब तक चोर जिस रास्ते से गया था, उसके कदमों के निशान तो क्या- वह रास्ता भी बदल चुका होगा। देश का प्रत्येक जासूस, इंस्पेक्टर और गुप्तचर विभाग का हर एक व्यक्ति इस मामले में किस्मत आजमा चुका है। समझ में नहीं आता कि हमारी सफलता की कितनी संभावना है?’
‘इसके बारे में हमें गौर करना होगा।’
‘कब ?’
‘थोड़ी देर बाद।’
‘अब तुम कहां जा रही हो?’
‘बाथ लेने।’
‘उससे क्या होगा ?’
‘गरम पानी के टब में बैठकर सोचना अच्छा होता है।’
ईव ने कहा था।
‘मजाक छोड़ो।’
‘मजाक तो तुम कर हो, जो चालीस लाख के सौदे को हिकारत से देख रहे हो।’
शक नहीं कि इनाम बहुत बड़ा था, मगर क्या वह सारा देश उसके लिए छान मारता? जो पंद्रह साल से प्रयत्न करते आये थे। वे भी कौन से सफल हुए थे। काईल शराब पीता रहा और सोचता रहा।
ईव नहाकर बाहर निकली। वह काफी सुन्दर लग रही थी। उसने मुस्कराकर पूछा- ‘यह तुम्हारा तीसरा पैग है या चौथा?’
काईल को उसका पूछना अच्छा नहीं लगा, जैसे वह उसका गुलाम हो। क्या उसे हर काम ईव से पूछकर करना चाहिए?
उसने भारी स्वर में कहा- ‘तुम चुप रहो। मैं जितनी चाहे पीऊं, तुम्हें इससे क्या सरोकार?’
‘सरोकार है।’
‘मतलब ?’
‘तुम्हें नॉर्मल रहना चाहिए।’
‘क्या मैं तुम्हें बेहोश नजर आता हूं?’
ईव ने अपने बालों में ब्रुश करते हुए कहा- ‘ज्यादा मत पियो।’
‘क्यों ?’
‘आज रात हम रिको से मिलने जा रहे है, तुम्हें नॉर्मल रहना चाहिए।
‘मैं यहां का मालिक हूं। तुम्हें यह नहीं भूलना चाहिए। यों भी मैं आज रिको से मिलने के मूड में नहीं हूं।
‘प्रिस्टन! ऐसी बातें करके तुम मेरे दिल को क्यों चोट पहुंचाते हो ?’
काईल चुप रहा।
‘तुम जिद छोड़ो। मैं तो इस मुश्किल काम में तुम्हारी मदद करना चाहती हूं। अगर तुमने यह मौका छोड़ दिया तो फिर कभी न मिल सकेगा। जरा सोचो तो सही। चालीस लाख से तुम क्या कुछ नहीं कर सकते।
‘ऐसी बातों के बारे में सोचने का क्या फायदा, जो नामुमकिन हों।’
‘नामुमकिन?’
‘यस! महाराजा भी जानता है कि हीरों का मिलना बच्चों का खेल नहीं है।’
‘और ?’
‘और अगर हीरे मिल भी गए तो इस बात का क्या विश्वास कि वह अपने वायदे से नहीं मुकरेगा?’
ईव ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह कपड़े बदलने लगी।
थोड़ी देर बाद वह उसके सामने कुर्सी पर आकर बैठ गई और बोली- ‘हमें रिको से जरूर मिलना चाहिए। हो सकता है कि वह किसी को जानता हो जो यह खतरनाक काम कर सके।’
‘खतरनाक काम। कैसा खतरनाक काम?’
ईव ने उठते हुए कहा, ‘अब तुम रिको के पास क्लब में जाने के लिए तैयार हो जाओ। मैं रास्ते में तुम्हें सब कुछ बता दूंगी। अब देर मत करो।’
काईल ने सिगरेट का धुआं हवा में उड़ाते हुए कहा- ‘तुम जैसी खूबसूरत लड़की को ऐसी बातों में नहीं उलझना चाहिए। आज रात हम कहीं बाहर नहीं जाएंगे।’
‘मैं जा सकती हूं?’
‘नहीं- तुम भी नहीं।’ कहकर काईल ने उसको अपनी मजबूत बांहों में दबोचा और उसे पकड़कर बिस्तर पर गिरा दिया। धीरे-धीरे काईल की उंगलियां उसके शरीर के प्रत्येक भाग से खेलने लगीं।
ईव ने कोई विरोध नहीं किया, मगर उसकी आंखों में सख्त नफरत उभर आई थी। उसे रह-रहकर काईल की हिमाकत और वासना से भरे मस्तिष्क पर दुःख और अफसोस हो रहा था, जो काम की बजाय अपने को काम-वासना में डुबोए दे रहा था। ईव नहीं चाहती थी कि इस मामले में देर की जाए, मगर काईल की जिद के सामने उसे झुकना पड़ा था।
* * *