ब्रिटिश सीक्रेट सर्विस के गुप्त ऑफिस में बैठा जेम्स बॉण्ड सीक्रेट सर्विस के चीफ मिस्टर एम से अत्यधिक उत्साहित स्वर में कह रहा था—"मैंने कोहिनूर में दिलचस्पी लेने वालों का पता लगा लिया हैं, सर!"

"वैरी गुड!" एम का चेहरा चमक उठा—"कौन हैं वे लोग?"
"वे उसी देश के जासूस हैं, सर जिस देश से हमारे बुजुर्ग कोहिनूर को यहां ले आए थे।"
"य...यानि भारतीय?" मिस्टर एम उछल पड़े।
"जी हां।" बॉण्ड ने गर्वीली मुस्कान के साथ कहा—"वे भारतीय जासूस ही हैं—विजय, विकास, अशरफ, विक्रम और आशा—ये सब मेकअप में, नाम बदलकर लंदन में सक्रिय हैं—ब्यूटी नामक जिस लड़की हवाला आपने मुझे दिया था, वह ब्यूटी नहीं बल्कि भारतीय सीक्रेट सर्विस की जासूस आशा हैं।"
"ओह गॉड!"
"इस वक्त आशा मेरी कैद में है और बाकी चारों को भी आप मेरी गिरफ्त में ही समझें।"
"क्या मतलब?"
"मैं आपके पास यह गुजारिश लेकर आया हूं कि इसी वक्त आदेश जारी करके स्मिथ स्ट्रीट पर स्थित पीटर हाउस नामक इमारत को
सशस्त्र सैनिकों से घिरवाकर उन्हें गिरफ्तार करा लीजिए।"
"क्या वे चारों इसी इमारत में हैं?"
"यस सर, उनके साथ ब्यूटी बनी हमारी एक जासूस भी है।"
"हम समझ नहीं पा रहे हैं बॉण्ड कि आखिर तुम कह क्या रहे हो, सबसे पहले संक्षेप में तुम हमें अपनी पूरी रिपोर्ट दो, हमारी कौन-सी जासूस ब्यूटी बनकर उनके बीच कैसे पहुंच गई?"
जेम्स बॉण्ड ने एक क्षण भी गंवाना उचित नहीं समझा और शुरू हो गया। मिस्टर एम उसके मुंह से निकलने वाले एक—एक शब्द बहुत ध्यान से सुनते रहे।
¶¶
अलफांसे के शब्दों में दुनिया एक जंगल हैं, इंसानी जानवरों से खचाखच भरा जंगल है और इस जंगल के बादशाह यानि शेर का नाम है, अलफांसे—जानने वाले यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि इस अन्तर्राष्ट्रीय मुजरिम के पैरो में चक्कर है, यानि एक मुल्क से दूसरे मुल्क घूमते रहना इसकी हॉबी है और अपनी उसी हॉबी के मुताबिक इस बार अलफांसे लंदन पहुंच गया।
संयोग से उन दिनों लंदन में बोगान नामक गुंडे का डंका बज रहा था, इस हद तक कि लंदन की पुलिस बोगान पर तो दूर, उसके किसी चमचे तक पर हाथ डालने से कतराती थी।
परन्तु किसी ने सच कहा है कि झूठ की हांड़ी रोज नहीं चढ़ती—बोगान के लिए वह दिन दुर्दिन ही कहा जाएगा, जब उसके तीन गुर्गे उसकी खिदमत के लिए इर्विन नाम की एक युवा और सौंदर्य का प्रतिबिंब-सी नजर आने वाली लड़की को किड़नैप करके ले जा रहे थे—बोगान के भाग्य को शायद राहु-केतु ने टेढ़ी आंख से देखा था, तभी तो वे गुर्गे बेचारे अलफांसे से टकरा गए।
अलफांसे ने न केवल इर्विन को उनके चंगुल से मुक्त किया, बल्कि बोगान के गुर्गों की काया का भूगोल भी बदल ड़ाला—इस घटना की बोगान पर क्या प्रतिक्रिया हुई, यह तो हम बाद में लिखेंगे, यहां यह बताना परम आवश्यक है कि इर्विन नाम की यह लड़की अलफांसे की खूबसूरती और बहादुरी पर आसक्त हो गई—कम-से-कम अलफांसे के लिए यह कोई विशेष बात नहीं थीं, इर्विन से पहले भी उस पर बहुत-सी लड़कियां आसक्त हो चुकी थीं, परन्तु उस पर कभी कोई असर नहीं होता था, क्योंकि सर्वविख्यात है कि अलफांसे लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं रखता—मानवता के नाते ही वह इर्विन को अपनी कार में बिठाकर उसने निवास—स्थान पर छोड़ने आया था, परन्तु उस वक्त अलफांसे की आंखें हीरों की तरह चमकने लगीं, जब उसे पता लगा कि इर्विन गार्डनर की इकलौती पुत्री है—गार्ड़नर का परिचय केवल इतना ही था कि वे सिक्योरिटी विभाग के कोई बहुत बड़े अफसर हैं—जाने क्या बात थी कि उसी क्षण ऐसा महसूस होने लगा कि अलफांसे भी इर्विन से मुहब्बत करने लगा हैं—प्यार की पींगें बढ़ने लगीं, अलफांसे और इर्विन के बीच मुलाकातों का सिलसिला लंबा होता चला गया और इन मुलाकातों में यह मुहब्बत परवान चढ़ने लगीं—इसी बीच अलफांसे का टकराव बोगान से भी हुआ।
नतीजे का अनुमान तो आप लगा ही सकते हैं—यानि लंदन से बोगान का आतंक खत्म।
उपरोक्त घटनाओं के तीन महीने बाद सिंगही, वतन, विकास आदि को कार्ड़ मिले—इन कार्ड़स के मुताबिक अलफांसे इर्विन से शादी कर रहा था, शादी के कार्ड़स के साथ अलफांसे ने पत्र से सम्बन्धित व्यक्ति को सूचित किया था कि अपने अपराधी जीवन से अब वह ऊब चुका था और इर्विन के साथ घर बसाकर शेष जीवन शांति से गुजारना चाहता है, यह अनुरोध भी किया था कि शादी के समारोह में कार्यक्रमानुसार उपस्थिति होने की कृपा करें।
राजनगर में अलफांसे ने सभी को कार्ड़ भेजे थे, परन्तु विजय क नाम का कोई कार्ड़ नहीं था और अलफांसे की यह हरकत जहां विकास, रैना, रघुनाथ, मोण्टो, ब्लैक ब्वॉय, अशरफ, विक्रम, नाहर और परवेज आदि को अपमानजनक लगी, वहीं विजय यह सोचने पर बाध्य हो गया कि आखिर अलफांसे ने उसी को कार्ड़ क्यों नहीं भेजा है?
वैसे तो यह सूचना ही उसे चौंका देने के लिए काफी थी कि अलफांसे शादी कर रहा था। ऊपर से उसके नाम का कार्ड़ न होने ने भी उसे चौंका दिया और उस शादी के प्रति विजय संदिग्ध हो उठा—अलफांसे की नस-नस से वाकिफ विजय को लगा कि वह शादी नहीं कोई षड़्यन्त्र था और वह षड़्यन्त्र क्या था, यही जानने के लिए विजय तुरंत जेम्स ऐलिन बनकर लंदन पहुंच गया।
अब शुरू हुई अलफांसे की शादी के पीछे छुपे रहस्य तक पहुंचने के लिए विजय की इनवेस्टिगेशन—अलफांसे एलिजाबेथ होटल के रूम सेवण्टी वन में ठहरा हुआ था। जेम्स ऐलिन बना विजय भी इसी होटल में जा ठहरा—सबसे पहले उसने एक वेटर से अलफांसे की पिछले दिनों की गतिविधियों की जानकारी एकत्रित की—अलफांसे के बोगान से टकराव, इर्विन से हुई मुहब्बत का विवरण जानने के अलावा उसने यह भी जान लिया कि अलफांसे ने ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त कर ली थी।
अब वह एक गुण्डे के रूप में पहले बोगान के गुर्गों और फिर उनके माध्यम से बोगान तक पहुंचा, परन्तु अपने असली मकसद में कामयाब न हो सका—बसंत स्वामी बनकर टोह लेने के लिए वह जेम्स बॉण्ड से भी मिला, किन्तु परिणाम वही रहा, यानि ढाक के तीन पात।
अतः शादी को होने से वह न रोक सका।
शादी निश्चित तारीख में ही हुई और यदि सच कहा जाए तो यह शादी नहीं अच्छा-खासा हुल्लड़ था, क्योंकि सारी दुनिया के मशहूर अपराधी और जासूस इसमें शामिल हुए थे—सिंगही, जैक्सन, टुम्बकटू, जैकी, माइक, हैरी, जूलिया, बागारोफ, नुसरत-तुगलक, रहमान, वतन, अपोलो, ठाकुर साहब, रघुनाथ, रैना, विकास, धनुषटंकार, विजय, ब्लैक ब्वॉय, अशरफ, विक्रम, नाहर, परवेज और आशा आदि।
इन सबने मिलकर लंदन में ऐसा हंगामा मचाया कि जिसे लंदनवासी हमेशा याद रखेंगे—सिंगही, जैक्सन और टुम्बकटू अपने नायब तारीकों के साथ शादी में शरीक हुए थे—सिंगही के आगमन से पूर्व उस वक्त सभी लाइटें गुल हो गई थीं। जब विजय ने किन्हीं दो व्यक्तियों की बातचीत सुनी और उस बातचीत में कोहिनूर हीरे का नाम आया।
शीघ्र ही विजय ने यह पता लगा लिया कि वह वार्ता ग्राड़वे नामक एक व्यक्ति और इर्विन के पिता गार्डनर के मध्य हुई थी—उसके बाद सनसनी रात के तीन बजे फैली, तब जबकि फेरे खत्म ही हुए थे—गार्ड़नर की कोठी के एक अंधेरे लॉन में ग्राड़वे की लाश पड़ी मिली—सभी चौंक पड़े, काफी कोशिश के बाद भी कोई यह नहीं जान सका कि ग्राड़वे का कत्ल किसने, किस मकसद से किया था?
शादी के बाद सभी मेहमान लौट गए।
भारत में आकर विजय ने विकास और ब्लैक ब्वॉय को बताया कि ग्राड़वे का कत्ल दरअसल उसी ने किया था।
एक साथ दोनों ने चौंककर पूछा—"क्यों?"
तब विजय ने बताया कि ग्राड़वे को मारने से पहले उसने टॉर्चर किया था कि इस टॉर्चर के कारण ही ग्राड़वे ने बताया था कि कोहिनूर क्योंकि दुनिया का सबसे ज्यादा मूल्यवान, नायाब और गौरवमयी हीरा है, इसीलिए ब्रिटेन सरकार ने उसकी सुरक्षा के कड़े प्रबन्ध किए हैं, ये सारे प्रबन्ध के○एस○एस○ नामक संस्था की देखरेख में हैं और के.एस.एस. का डायरेक्टर खुद इर्विन का पिता गार्डनर हैं। ग्राड़वे स्वयं भी के○एस○एस○ का सदस्य था और इसी वजह से वह विजय को बता सका था कि—पृथ्वी के चारों तरफ घूमता हुआ एक उपग्रह कोहिनूर पर नजर रखता है। उस उपग्रह का सम्बन्ध एक कंट्रोल रूप में हैं, यानि यदि कोहिनूर को कोई खतरा हुआ तो उपग्रह तुरंत ही कंट्रोल रूम को सूचना भेज देगा और यह कंट्रोल रूम अन्य कही नहीं, गार्ड़नर की कोठी के तहखाने में था।
इतना सब कुछ पता लग जाने के बाद विजय के लिए यह समझ जाना सामान्य-सी बात थी कि इर्विन से शादी का ढ़ोंग रचाकर अलफांसे कोहिनूर तक पहुंचने की स्कीम पर काम कर रहा था। यह संभावना विकास और ब्लैक ब्वॉय को भी जंची।
अब ये लोग अलफांसे की योजना को नाकाम करने तथा कोहिनूर को हासिल करने की योजना सोचने लगे—प्लान यह बना कि अलफांसे जैसे ही कोहिनूर को प्राप्त करेगा, ये उसे दबोच लेंगे—मगर ऐसा करने के लिए, कोहिनूर तक पहुंचने की अलफांसे की संपूर्ण योजना जानना जरूरी था और योजना जानने के लिए लंदन जाना।
अपनी असली सूरत और नाम से वे लंदन जा नहीं सकते थे—अलफांसे, बॉण्ड या लंदन की पुलिस की नजरों में वे कभी भी आ सकते थे, अतः विजय, विकास, अशरफ, विक्रम, और आशा क्रमशः बशीर, मार्गरेट, डिसूजा, चक्रम और ब्यूटी नामों से लंदन पहुंचे—विजय ने खुद सभी के चेहरों पर ऐसा मेकअप किया था, जो किसी भी रसायन से छूटना नहीं था।
लंदन में इस पांचों जासूसो की स्थिति मुजरिमों जैसी थी और सचमुच इन्होंने मुजरमों के एक संगठित गिरोह की तरह ही बड़ी तेजी से काम शुरू किया।
सबसे पहले ब्यूटी बनी आशा कोहिनूर देखने उस म्यूजियम में गई, जहां वह रखा था और यहां उससे कुछ ऐसी भूलें हो गई कि म्यूजियम की सिक्योरिटी के जासूस उसके पीछे लग गए, इधर विजय, विकास, अशरफ, और विक्रम की कारगुजारियों से लंदन की पुलिस के साथ ही सीक्रेट सर्विस विभाग भी चौंक पड़ा—मिस्टर एम ने जेम्स बॉण्ड को अपने ऑफिस में बुलाकर यह भेद बताया कि मिस्टर गार्डनर के.एस.एस. के चीफ हैं और कुछ लोग कोहिनूर में दिलचस्पी लेते दिखाई दे रहे हैं। इस प्रकार इस केस में बॉण्ड सक्रिय हो उठा।
उधर अलफांसे इर्विन के साथ गार्ड़नर की कोठी में ही रहने लगा था।
विजय, विकास, अशरफ और विक्रम ने जब यह महसूस किया कि आशा को ब्रिटिश जासूस वाच कर रहे थे तो उन्होंने आशा से सारे संपर्क तोड़ दिए।
अपनी आपराधिक गतिविधियां बिना किसी बाधा के चलाए रखने के लिए उन्हें किसी स्थान की तलाश थी।
विजय आदि ने पीटर हाउस को चुना—इमारत की बैक साइड़ में, दूसरे माले पर एक खिड़की थी, जिसे उन्होंने मुख्य गेट बनाया—वे रात अंधेरे में आकर पीटर हाउस का इस्तेमाल करते और सूरज निकलने से पहले ही निकल जाते।
इनवेस्टिगेशन करते हुए विजय आदि ने चैम्बूर नामक एक ऐसे व्यक्ति का पता लगा लिया, जो के.एस.एस. का सदस्य ही नहीं, बल्कि गार्ड़नर का दायां हाथ था—चैम्बूर का व्यक्तित्व रहस्यमय था, क्योंकि विकास ने उसे अकेले में अलफांसे से मिलते देखा था—विजय ने अनुमान लगाया कि चैम्बूर अलफांसे से मिला हुआ हो सकता था।
कोहिनूर के चारों तरफ की गई मुकम्मल सुरक्षा व्यवस्था और अलफांसे की पूरी योजना जानने के लिए चैम्बूर पर हाथ डालने का निश्चय हुआ।
उधर, जेम्स बॉण्ड यह तो नहीं जान पाया था कि जो लोग कोहिनूर में दिलचस्पी ले रहे थे वे भारतीय जासूस थे, मगर यह भांप गया था कि वे जो भी थे, चैम्बूर पर जरूर हाथ ड़ालेंगे, अतः बॉण्ड स्वयं चैम्बूर की निगरानी कर रहा था।
जब विजय आदि ने चैंम्बूर पर हाथ ड़ाला तो उनका टकराव बॉण्ड से हो गया। चैम्बूर को किड़नैप कर लाने में वे सफल तो हो गए, परन्तु इस टकराव के बाद बॉण्ड यह जान गया कि वे विजय आदि थे। अतः उसने उसी रात होटल के कमरे से आशा को गिरफ्तार कर लिया।
इधर, चैम्बूर को लेकर वे पीटर हाउस पहुंचे—रहस्य उगलवाने के लिए उसे टॉर्चर किया—चैम्बूर टूट गया, उसने कोहिनूर के चारों तरफ की गई सम्पूर्ण व्यवस्था उन्हें बता दी। चैम्बूर के बताने पर ही उन्हें पता लगा कि म्यूजियम में जो कोहिनूर रखा नजर आता है, वह कोहिनूर नहीं, कोहिनूर का प्रतिबिंब मात्र है—असल कोहिनूर कहां और किन सुरक्षाओं के बीच रखा है, यह सुनकर तो विजय जैसे व्यक्ति को भी मानना पड़ा कि कोहिनूर को चुराना असंभव की सीमा तक कठिन है।
उन्होंने चैम्बूर से कोहिनूर तक पहुंचने की अलफांसे की योजना पूछी—योजना चैम्बूर ने बताई भी किन्तु विजय के ख्याल से योजना सशक्त नहीं थी, सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए उसमें कई खामियां थीं।
सब कुछ उगलवाने के बाद इन्होनें चैम्बूर को मार डाला।
उधर, बॉण्ड आशा से यह उगलवाने के लिए कि वह आशा थी, उसे बुरी तरह टॉर्चर कर रहा था—वह सब कुछ सहती रही, मगर एक बार भी उसने आशा होना स्वीकार नहीं किया। अतः बॉण्ड ने अपनी एक जासूस को ब्यूटी बनाकर होटल के उस कमरे में रख छोड़ा जहां से वह ब्यूटी के रूप में रह रही आशा को गिरफ्तार करके लाया था।
पीटर हाउस में मौजूद विजय आदि से अचानक ही किसी रहस्यमय आदमी ने फोन पर सम्बन्ध स्थापित किया और कहा कि वह उनके एक-एक रहस्य से वाकिफ था। अपनी बातों से उसने साबित कर दिया कि वह सच बोल रहा था, वह उनके असली नाम भी जानता था और यह भी उन्होंने चैम्बूर को मार डाला था—अपना परिचय गुप्त रखते हुए उसने कोहिनूर की लूट में से हिस्से की मांग की।
सोचने के लिए समय देकर उनसे सम्बन्ध विच्छेद भी कर दिया।
विजय आदि की हालत—आखिर हो कौन सकता था। चैम्बूर की लाश को आने वाली रात के अंधेरे में ठिकाने लगाने के निश्चय करके वे सावधानी के साथ खिड़की रूपी अपने मुख्य गेट से निकल गए।
रात के वक्त इर्विन के पास बेड़ पर सोया अलफांसे उठा, चोरों की तरह कमरे से बाहर निकला—उसका ख्याल था कि ऐसा करते इर्विन ने नहीं देखा था, किन्तु उसका ऐसा सोचना बिल्कुल गलत था, दरअसल इर्विन ने उसकी प्रत्येक हरकत नोट की थी।
प्रत्येक रात की तरह इस रात भी विजय आदि पीटर हाउस में इक्ट्ठे हुए—योजना के मुताबिक अब वे आशा को भी यहां ले आए थे, मगर बेचारे यह नहीं जानते थे कि अब ब्यूटी के मेकअप में वह आशा नहीं, बल्कि बॉण्ड की जासूसी थी।
उस वक्त वे हक्के-बक्के रह गए जब उन्होंने चैम्बूर की लाश को पीटर हाउस के उस कमरे से गायब पाया, जहां उन्होने रखी थी—तभी, रहस्यमय व्यक्ति ने फोन पर कहा कि लाश उसने पीटर हाउस में ही कहीं ऐसे स्थान स्थान पर छुपा रखी थी, जहां से उन्हें लाख
तलाश करने के बाद भी वह नहीं मिलेगी, लाश का पता वह तभी बताएगा जब वे उसे हिस्सा देना कबूल करेंगे—विजय ने कहा कि वह सामने आकर सौदा करे।
उसने अगली रात को पीटर हाउस में आने का वादा कर लिया।
अभी ये लोग उसी रहस्यमय व्यक्ति के बारे में बातें कर रहे थे कि अलफांसे पहुंच गया, अलफांसे को यहां देखकर उन सबका चौंक पड़ना स्वाभाविक ही था—उनसे विजय से फिर कहा कि वह कोहिनूर के चक्कर में नहीं था, बल्कि सचमुच इर्विन के साथ घर बसाकर अपना शेष जीवन शांत से गुजारना चाहता था। यहीं उसने यह भी कहा कि इर्विन उसके बच्चे की मां बनने वाली था—अलफांसे ने उनसे प्रार्थना की कि वे लोग लंदन से चले जाएं, वरना इर्विन भी उसके बारे में वही सोचने लगेगी, जो वे सोच रहे था—विजय आदि के न मानने पर वह यह धमकी देकर चला गया कि यदि उनकी वजह से उसकी फैमिली लाइफ बिगड़ी तो वह एक-एक से गिन-गिनकर बदले लेगा।
रात के उस वक्त भी बॉण्ड आशा को टॉर्चर कर रहा था, जब ब्यूटी बनी उसकी जासूस ने ट्रांसमीटर पर सूचना दी कि विजय, विकास, अशरफ और विक्रम इस वक्त पीटर हाउस में मौजूद थे—पीटर हाउस को इसी वक्त घेरकर इन्हें गिरफ्तार कर लेना उचित था—बॉण्ड ने ओ○के○ कहकर ट्रांसमीटर ऑफ किया और तेज कदमों के साथ टॉर्चर रूम से बाहर निकल गया।
बस, अलफांसे की शादी में आपने इसी दृश्य तक का कथानक पढ़ा था, इससे आगे का कथानक लेकर आया हैं—'कफन तेरे बेटे का'!
¶¶
"अब तुम्हारा क्या इरादा है?" सारी रिपोर्ट लेने के बाद मिस्टर एम ने पूछा।
"एक क्षण भी गंवाए बिना हमें उन्हें घेर लेना चाहिए।"
कुछ सोचते हुए मिस्टर एम ने कहा—"हमारे ख्याल से ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होगा।"
"क्या मतलब?"
"बहुत मुश्किल से हमारे साथ ऐसा मौका लगा है, जब संयुक्त राष्ट्र संघ में हम भारत को नीचा दिखा सकते हैं, यह साबित करके कि वे भारतीय जासूस हैं और लंदन में कोहिनूर को चुराने के लिए ही सक्रिय थे—किन्तु फिलहाल न तो हमारे पास उन्हें भारतीय जासूस ही साबित करने के का कोई हथकंड़ा है और न ही यह साबित करने के लिए कोई सबूत कि वे कोहिनूर के चक्कर में हैं। ऐसे हालात में उन्हें गिरफ्तार करना निर्रथक ही होगा।"
"कह तो आप ठीक रहे हैं, लेकिन......।"
"लेकिन क्या?"
"इसके लिए हम कर क्या सकते हैं?"
"इस वक्त वे तुम्हारी नजरों में तो ही, एजेंट डबल जीरो थ्री भी उनके साथ है और वे उसे आशा ही समझ रहे हैं, यानि जाहिर है कि उसके जरिए तुम्हें उनकी हर योजना, हर एक्टिविटी की पूर्ण जानकारी रहेगी, घेरकर उन्हें किसी भी क्षण—कहीं भी गिरफ्तार किया जा सकता है। तो भारतीय जासूस साबित किया जा सके, बल्कि यह भी साबित किया जा सके के वे कोहिनूर के चक्कर में हैं।"
"राय तो आपकी ठीक है, मगर इसमें खतरा भी बहुत है।"
"किस किस्म का खतरा?"
"वे चारों एक-से-एक बढ़कर काइयां हैं, वे फिलहाल तो नहीं जानते कि ब्यूटी आशा नहीं है, परन्तु डबल जीरो थ्री की हल्की-सी चूक पर जान सकते हैं और यदि ऐसा हो गया तो वे न केवल ड़बल जीरो थ्री की बुरी गत बनाएंगे, बल्कि सतर्क भी हो जाएंगे—उस अवस्था में न केवल उनकी योजनाएं और एक्टिविटी जानना ही असंभव होगा, बल्कि उन्हें पकड़ना भी।"
एम ने बड़े अजीब-स्वर में कहा—"इस किस्म के खतरे उठाने से हमारा बॉण्ड कब से कतराने लगा है?"
"मैं कतरा नहीं रहा हूं सर, केवल हालात पर गौर कर रहा हूं—सोच रहा हूं कि इस वक्त हालात हमारी गिरफ्त में है, कल स्थिति बदल भी सकती है।"
"तुम्हारे ख्याल से स्थिति बदलने पर क्या हो सकता है?"
"यह भी मुमकिन है कि वे कोहिनूर को चुराने की कामयाब हो जाएं।"
मिस्टर एम के होंठो पर ऐसी मुस्कान उभर आई जैसे बॉण्ड ने कोई बचकानी बात कह दी हो, बोले—"इस तरफ से तुम बिल्कुल निश्चित रहो बॉण्ड, हम शर्त लगाकर कह सकते हैं कि वे तो वे, स्वयं गॉड भी कोहिनूर को चुराने में कामयाब नहीं हो सकता।"
"ऐसा दावा आप किस आधार पर कर रहे हैं?"
"कोहिनूर के चारों तरफ फैली सुरक्षा व्यवस्थाओं के आधार पर।"
"वे बहुत शैतान हैं सर, दिमागी स्तर पर इस सारी दुनिया में विजय से बड़ा शैतान नहीं हैं और फिजीकली दुनिया का सबसे बड़ा शैतान विकास—जब वे काम करने पर आमादा होंगे तो कोहिनूर के चारों तरफ की गई व्यवस्थाएं टूट-टूटकर बिखर जाएंगी।"
"ऐसा तुम केवल इसलिए कह रहे हो—क्योंकि तुम उन व्यवस्थाओं के बारे में कुछ नहीं जानते हो।"
"क्या आप मुझे बता सकते हैं?"
"तुम्हारी तसल्ली के लिए बतानी हो होगी।" कहने के बाद मिस्टर एम टेप-रिकॉर्ड़र की तरह शुरू हो गए। बॉण्ड ध्यान से सुनता रहा—बीच-बीच में उसने प्रश्न भी किए, जिनका उत्तर देते हुए एम ने उसे पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था के बारे में बता दिया।
सुनकर बॉण्ड को आश्चर्य हुआ और यह विश्वास भी कि कोहिनूर तक पहुंचना विजय-विकास के लिए लगभग असंभव ही है—बॉण्ड काफी आश्वस्त नजर आने लगा।
(सुरक्षा व्यवस्था को जानने के लिए प्रेरक पाठकों को 'अलफांसे की शादी' पढ़नी चाहिए, तभी वे इस उपन्यास के आगे के कथानक का वास्तविक आनन्द उठा सकेंगे।)
एम ने पूछा—"अब कहो बॉण्ड, क्या ख्याल है?"
"वाकई, सुरक्षा के बहुत कड़े प्रबन्ध किए गए हैं।"
"अब तुम अपनी आगे की स्कीम बातओ?"
"आप ठीक कह रहे हैं, इस वक्त उन्हें गिरफ्तार कर लेना आसान जरूरी है, लेकिन लाभप्रद नहीं। उन्हें तभी गिरफ्तार किया जाना उचित होगा जब हम उन्हें भारतीय जासूस होने के साथ-साथ यह साबित कर सकें कि वे कोहिनूर के चक्कर में हैं, परन्तु...।"
"परन्तु क्या?"
"मैं ट्रांसमीटर पर डबल जीरो थ्री से कह चुका हूं कि उन्हें गिरफ्तार करने के लिए तत्काल पीटर हाउस को घेरा जा रहा है और अब यदि ऐसा नहीं किया गया तो वह उलझन में पड़ जाएगी।"
"ट्रांसमीटर पर उसे नई योजना से अवगत कराया जा सकता है।"
"यही करना होगा और उन्हें भारतीय जासूस साबित करने के लिए कई प्रबन्ध भी करने होंगे—शतरंज के इस खेल में हमें मात भी हो सकती हैं सर, इसलिए हमें अपने बादशाह के चारों तरफ एक सुदृढ़ किला बना लेना चाहिए।"
"क्या मतलब?"
"मेरी कोठी के टॉर्चर रूम में।"
"उसे फौरन यहां यानि सीक्रेट सर्विस के कैदखाने में डाल दो। सात जन्म तक कोशिश करने के बाद भी उनमें से कोई यहां नहीं पहुंच सकेगा।"
"यही ठीक रहेगा, मैं अभी डबल जीरो थ्री को नई योजना से अवगत कराता हूं।" कहने के तुरंत बाद बॉण्ड अंगूठी रूपी ट्रांसमीटर पर डबल जीरो थ्री से सम्बन्ध स्थापित करने की चेष्टा करने लगा।
¶¶
इर्विन इतनी तेजी से उठी कि जैसे वह हाड-मांस की नहीं, बिजली से हरकत में आने वाली, प्लास्टिक से बनी लचीली गुड़िया हो—उसकी झील-सी गहरी, चमकदार और खूबसूरत नीली आंखों में अजीब चमक थी।
हैंड़िल पकड़कर उसने दरवाजे को अपनी तरफ खींचना चाहा।
दरवाजा बाहर से बोल्ट था, अतः नहीं खुला।
अब वह पिंजरे में फंसी खूबसूरत हिरनी की तरह सारे कमरे को देखने लगी—बेड़रूम में अब भी नाइट बल्ब का मध्दिम प्रकाश बिखरा हुआ था—इर्विन के सुड़ौल और गदराए जिस्म पर उस वक्त झीना नाइट गाउन था—पुष्ट वक्षों को कैद किए ब्रेजरी स्पष्ट चमक रही थी, किन्तु उसका ध्यान अपनी शारीरिक अवस्था की तरफ लेशमात्र भी नहीं था—इस वक्त वर सिर्फ और सिर्फ इस कमरे से बाहर निकलने के लिए बेचैन नजर आ रही थी।
उस कमरे से, जिसमें कुछ ही देर पहले अलफांसे एक प्रकार से उसे कैद कर गया था—कदाचित् वह यह जानना चाहती थी कि रात के उस वक्त उसे सोती समझकर चोरों की तरह अलफांसे आखिर गया कहां था और जाते वक्त कमरे का दरवाजा बाहर से बंद क्यों कर गया था?
अचानक ही उस हिरनी की बड़ी-बड़ी आंखें एक खिड़की पर ठिठक गईं, बंदूक से निकली गोली की तरह वह तेजी से उस तरफ बढ़ी—अगले ही पल उसने न सिर्फ चटकनी खोल दी, बल्कि दबे पांव बिना कोई आहट उत्पन्न किए चोरों की तरह खिड़की पार करके कमरे के बाहर से गुजरने वाली गैलरी में पहुंच गईं।
गैलरी में मध्दिम प्रकाश था।
इर्विन पूरी सावधानी के साथ गैलरी पार करने लगी—मोड़ घूमने के बाद वह एक कमरे के बंद दरवाजे के समीप ठिठक गई।
यह कमरा इर्विन के पिता गार्ड़नर का था।
यानि वही कमरा जहां से इस कोठी के तहखाने में छुपे कंट्रोल रूम तक जाने का गुप्त रास्ता शुरू होता था—इर्विन ने किसी चालाक बिल्ली की तरह दाएं-बाएं देखा।
दोनों तरफ की गैलरी सन्नाटे में डूबी पड़ी थी।
दबे पांव वह बंद दरवाजे के अत्यन्त समीप पहुंची और फिर उसने अपनी सांस तक रोक ली और आंख की-होल से सटा दी।
कमरे में लाल रंग के नाइट बल्ब का प्रकाश बिखरा पड़ा था।
सामने ही  डबल बेड़ था और उस पर गहरी निद्रा में लीन मिस्टर गार्ड़नर स्पष्ट नजर आ रहे थे। उनके सिरहने स्टील की एक
मजबूत सेफ कमरे के फर्श में गड़ी थी।
बस, कमरे का इतनी ही दृश्य इर्विन को चमका।
कुछ देर वह सांस रोके की—होल से आंख सटाए रही, परन्तु अलफांसे नजर नहीं आया और न ही ऐसा कोई आभास मिला जो कमरे में
अलफांसे की मौजूदगी का प्रतीक हो।
अब सांस रोके रहना इर्विन के लिए कठिन हो गया।
अतः वह शीघ्रता से दरवाजे के समीप से हटी, दबे पांव दो—तीन कदम दूर हटकर उसने रुकी हुई सांस छोड़ी।
इस वक्त उसके चेहरे पर तरद्दुद के अजीब-से भाव थे।
बाएं हाथ को उसके घूंसे की शक्ल दी और बहुत जोर से अपनी दाईँ हथेली पर मारकर बड़बड़ाई—"आखिर कहां चला गया वह?"
परन्तु काफी देर तक भी उसे अपने इस सवाल का जवाब नहीं मिला।
आखिर निराश इर्विन अपने कमरे की तरफ लौट गई—खिड़की के जरिए कमरे के अन्दर पहुंची और खिड़की को पूर्व की तरह अन्दर से बोल्ट कर लिया।
थकी और चकित-सी वह बेड़ पर लेट गई।
तकिए पर सिर रखे कमरे की छत को न जाने कितनी देर तक घूरती हुई वह जाने क्या सोचती रही—आंखों में दूर-दूर तक नींद का नामोनिशान न था।
उस वक्त अचानक ही इर्विन की तंद्रा भंग हुई जब उसने गैलरी में से उभरते वाली हल्की-सी पदचाप सुनी, कोई दबे पांव गैलरी में चल रहा था।
फिर, पदचाप उसके कमरे के दरवाजे के समीप रुक गई।
किसी ने बहुत ही धीमे से दरवाजे के दूसरी तरफ लगा बोल्ट सरकाया और उस क्षण इर्विन को जाने क्या सूझा कि उसने एकदम आंखें बंद कर लीं। ऐसा पोज बना लिया जैसे सदियों से सो रही हो।
उसका दिल असामान्य गति से धड़क रहा था और पलकों की झिर्री से वह निरन्तर दरवाजे की तरफ देख रही थी—दरवाजा बहुत ही आहिस्ता से खुला।
इर्विन ने देखा कि दरवाजा खोलने वाला अलफांसे था।
चौखट पर खड़ा वह सांस रोके एकदम बेड़ पर सोई हुई-सी नजर आने वाली इर्विन को करीब एक मिनट तक देखता रहा।
लेशमात्र भी आहट उत्पन्न किए बिना अलफांसे ने दरवाजा अन्दर से बंद किया और जाते वक्त किया और जाते वक्त जिस सावधानी के साथ कपड़े पहने थे, उसी सावधानी से उतारे—टांगे और दबे पांव आकर आहिस्ता से बेड़ पर लेट गया।
उसके मस्तक पर पसीने की नन्ही-नन्ही बुंदें उभर आई थीं।
सचमुच सोने के लिए उसने आंखें बंद कर लीं, परन्तु यह नहीं जानता था कि पलकों की झिर्री से उसे अब तक देख रही इर्विन की आंखों में दूर-दूर तक नींद नहीं थी।
इर्विन ने यह जाहिर नहीं किया कि उसने अलफांसे की एक-एक हरकत देखी थी।
¶¶
बहुत ही कम शब्दों में अपनी पूरी योजना समझाने के बाद जेम्स बॉण्ड ने पूछा—"क्या तुम इतने लंबे समय तक सफलतापूर्वक आशा का अभिनय कर सकती हो?"
"मैं पूरी कोशिश करूंगी।"
"वैरी गुड।" बॉण्ड ने कहा—"अब हमें अपने मकसद में कामयाब होने के लिए चंद प्रबन्ध करने हैं।"
"जैसे?"
"सबसे पहले हमें यह साबित करने के लिए प्रमाण जुटाने हैं कि बशीर, मार्गेट, डिसूजा और चक्रम कोई और नहीं बल्कि भारतीय सीक्रेट एजेंट विजय, विकास, अशरफ और विक्रम हैं।"
"इसके लिए प्रमाण बहुत आसानी से जुटाए जा सकते हैं।"
"कैसे?"
"ये लोग जब आपस में बात करते हैं तो न केवल एक-दूसरे का असली नाम लेते हैं, बल्कि बोलते भी अपनी असली आवाज में ही हैं अतः यदि इनके बीच होने वाली वार्ता टेप कर ली जाए तो...।"
"गुड, मगर आवाज टेप कैसे हो?"
"वह भी आसान है, ये केवल रात के समय ही पीटर हाउस में रहते हैं—सूरज निकलने से पहले ही यहां से निकल जाते हैं—दिन में किसी भी समय आप यहां टेपरिकॉर्ड़र फिट कर सकते हैं। अगली रात को यहां आने पर ये जो भी बातें करेंगे वे सब टेप हो जाएंगी।"
"वैरी गुड!" जेम्स बॉण्ड की आंखें चमक उठीं—"इस तरीके से हमारा दूसरा उद्देश्य भी पूरा हो जाएगा, यानि इनके बीच होने वाली बातों का विषय निश्चय ही कोहिनूर होगा।"
"जी हां।"
"इसका मतलब है, हमें ज्यादा दिन इंतजार नहीं करना पड़ेगा। जो हम आज करने जा रहे थे वह कल करेंगे, इन सबकी आवाज टेप होने के बाद—लेकिन इसके लिए तुम्हें एक काम करना होगा।"
"हुक्म कीजिए।" दूसरी तरफ से कहा गया।
"कल दिन में तुम ट्रांसमीटर पर मुझसे सम्बन्ध स्थापित करके उस समय की जानकारी दोगी जब उनमें से कोई भी पीटर हाउस में मौजूद न हो, ताकि मैं पूरी निश्चिंतता के साथ वहां टेप फिट कर आऊं।"
"मैं इन्फॉर्म कर दूंगी।"
सफलता की पूर्ण आशा से जेम्स बॉण्ड का चेहरा चमकने लगा था, बोला—"उनकी आगे की योजना क्या है, यानि इस वक्त बैठे वे आपस में क्या बात कर रहे हैं?"
"इस वक्त उनकी बातों का विषय अलफांसे हैं।"
बॉण्ड चौंक पड़ा—"अलफांसे!"
"जी हां, जब मैंने ट्रांसमीटर पर आपको इनके यहां होने की सूचना दी थी, उससे कुछ ही देर पहले अलफांसे पीटर हाउस में इनसे मिलकर गया था।"
बॉण्ड के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, वह चकित स्वर में बोला—"अलफांसे उनसे मिलने पीटर हाउस में पहुंचा था?"
"जी हां।"
"मगर कैसे, क्यों—म...मेरा मतलब क्या तुम बता सकती हो कि उसे कैसे पता लगा कि ये सब पीटर हाउस में है और उसने इनसे क्या बातें की?"
"मैंने इनके और अलफांसे के बीच होने वाली पूरी बातें सुनी थीं।"
"मैं विस्तारपूर्वक जानना चाहता हूं।"
और, दूसरी तरफ से ट्रांसमीटर पर ही ब्यूटी बनी बॉण्ड की जासूस ने विजय ग्रुप और अलफांसे के बीच होने वाली बातें बता दीं—यह भी कि विजय ग्रुप ने सारी जानकारी लेने के बाद चैम्बूर की लाश को गायब करने के बाद उस ग्रुप से कोहिनूर की चोरी में से हिस्सा चाहता है।
सम्बन्ध विच्छेद करते समय बॉण्ड का चेहरा पूरी तरह गंभीर था।
¶¶
मिस्टर एम काफी देर तक अपने सामने विचारमग्न-से बैठे जेम्स बॉण्ड को देखते रहे। उन्हें बॉण्ड के बोलने की प्रतीक्षा थी, जबकि ट्रांसमीटर पर बात करने के बाद बॉण्ड मानो किसी दूसरी ही दुनिया में गुम हो गया था—जब मिस्टर एम से रहा न गया और बोले—"क्या सोचने लगे, बॉण्ड?"
"आं—हां, स...सॉरी सर।" चौंकता हुआ बॉण्ड जाने किस दुनिया से निकलकर सीक्रेट सर्विस के ऑफिस में आया, बोला—"मुझे मामला उतना सीधा नहीं लग रहा है, जितना हम समझ रहे थे।"
"क्या मतलब?"
"ट्रांसमीटर पर जो कुछ डबल जीरो थ्री ने बताया हैं, वह आपने भी सुना है और यह सारी रिपोर्ट मुझे सारे मामले पर पुर्नविचार करने के लिए बाध्य कर रही है।"
"हम समझे नहीं?"
"कोहिनूर के चक्कर में अकेला विजय का ग्रुप ही नहीं है, दूसरे लोग भी हैं—जैसे चैम्बूर की लाश के आधार पर विजय आदि से हिस्सा
मांगने वाला ब्लैकमेलर।"
"और?"
"शायद अलफांसे।"
"अ...अलफांसे!" मिस्टर एम उछल-से पड़े।
"हां।" बहुत ही शांत और गंभीर स्वर में बॉण्ड ने कहा—"इस बारे में फिलहाल मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि अलफांसे के बारे में विजय जो सोच रहा है वह सच हो सकता हैं।"
"चलो मान लिया कि इर्विन से शादी उसने इसी मकसद से की है, फिर...?"
"हां—अब तो यही मानकर मुझे अपनी आगे की रणनीति निर्धारित करनी होगी—अभी तक मेरा ध्यान सिर्फ विजय की टीम तक ही था, अब अलफांसे और उस रहस्यमय ब्लैकमेलर को भी दिमाग में रखना होगा—मामला काफी चमकदार-सा नजर आ रहा है।"
"तुम कोई भी रणनीति तैयार करने के लिए स्वतंत्र हो।"
"वह ब्लैकमेलर कल रात विजय आदि से मिलने पीटर हाउस पहुंच रहा है—डबल जीरो थ्री की तरफ से लाइन क्लियर होने की सूचना मिलते ही मैं कल दिन में पीटर हाउस में टेप फिक्स कर आऊंगा—उनके और ब्लैकमेलर के बीच होने वाली सारी वार्ता टेप हो जाएगी—वह टेप उन्हें भारतीय जासूस तथा कोहिनूर के चक्कर में सक्रिय होना साबित करने के लिए काफी होगा—बस, उनके बीच की वार्ता खत्म होते ही हम इन्हें कल रात को ही पीटर हाउस में गिरफ्तार कर लेंगे।"
"यह ठीक रहेगा।"
"कल आप पीटर हाउस को घेरने के लिए पूरी फोर्स का इंतजाम रखिए।"
"वह तो रहेगा ही, लेकिन...।"
"लेकिन क्या?"
"अलफांसे के बारे में तुमने क्या सोचा?"
"उसे वाच करने के लिए मैं गार्ड़नर की कोठी में एक नौकर के रूप में प्रविष्ट होना चाहता हूं, सारा इंतजाम आपको करना है—इर्विन और स्वयं गार्ड़नर को भी मालूम नहीं होना चाहिए कि उनका नया नौकर, नौकर नहीं—जेम्स बॉण्ड हैं।"
¶¶
डबल जीरो थ्री ने नन्हा-सा ट्रांसमीटर ऑफ किया, अंगूठी अपने बाएं हाथ की तर्जनी में ड़ाली और बाथरूम का दरवाजा खोल डाला—बाथरूम से बाहर अभी उसने पहला ही कदम रखा था कि कण्ठ से अनायास ही एक जबरदस्त चीख उबल पड़ी।
सारा शरीर सूखे पत्ते की तरह कांप उठा था उसका—चेहरा सफेद पड़ गया, होंठों का रंग नीला और आंखों में खौफ उभर आया था।
अपने स्थान पर जड़वत्-सी खड़ी वह विकास को देखती रह गई।
बाथरूम के किवाड़ के इस तरफ खड़ा विकास उसे खूंखार नजर से घूर रहा था। इस वक्त लड़के का चेहरा पत्थर की तरह सख्त नजर आ रहा था और आंखों में नाच रही थी शैतानियत।
एक क्षण के लिए डबल जीरो थ्री हक्की-बक्की-सी खड़ी रह गई, परन्तु अगले ही पल उसने वापिस बाथरूम के अन्दर जम्प लगाकर दरवाजा बंद कर लेना चाहा, लेकिन लड़के ने उससे कहीं ज्यादा फुर्ती का प्रदर्शन करते हुए एक जोरदार घूंसा उसके जबड़े पर रसीद किया।
डबल जीरो थ्री के कण्ठ से दूसरी ह्रदयविदारक चीख निकली।
हवा में उछलकर वह दूर जा गिरी थी।
तभी गैलरी के मोड़ से भागते कदमों की आवाज उभरी और अगले ही पल विजय, अशरफ और विक्रम हड़बड़ाए-से वहां पहुंचे—विजय ने पूछा—"क्या हुआ प्यारे, अपनी गोगियापाशा के साथ फाइटिंग की रिहर्सल क्यों कर रहे हो?"
मगर, लड़के ने मानो सुना ही नहीं।
वह झपटने के-से अंदाज में आगे बढ़ा, फर्श पर पड़ी कराह रही डबल जीरो थ्री के कण्ठ से खून बहने लगा था—हाथ बढ़ाकर विकास ने पूरी बेरहमी के साथ उसके बाल पकड़े और उसे उठाता हुआ किसी खतरनाक भेड़िए की तरह गुर्राया—"बोल, आशा आंटी कहां हैं?"
विक्रम बोल उठा—"प...पागल हो गए हो क्या विकास, यह आशा ही तो...।"
उसका वाक्य पूरा नहीं हो सका, क्योंकि विजय ने बीच ही में उसके मुंह पर हाथ रख दिया था—इधर विक्रम विजय को प्रश्नवाचक नजर से देख रहा था और उधर विकास ने अपने सिर की भरपूर टक्कर डबल जीरो थ्री के चेहरे पर मारी।
एक चीख के साथ ड़बल जीरो थ्री का सारा चेहरा लहूलुहान हो गया।
पलक झपकते ही विकास के हाथ में एक ताजा ब्लेड़ नजर आने लगा। ब्लेड का धारदार सिरा उसने डबल जीरो थ्री की नाक की जड़ में गढ़ाकर विकास भेड़िये की तरह गुर्राया—“तूने एक पल में आंटी का पता नहीं बता दिया तो मैं एक झटके से तेरी नाक काट डालूंगा और फिर शायद अपने से ज्यादा बदसूरत लड़की ढूंढने से भी तुझे सारे लंदन में नहीं मिलेगी।"
¶¶
मिस्टर एम से विदाई के लिए जेम्स बॉण्ड अभी कुर्सी से उठकर खड़ा हुआ ही था कि अंगूठी रूपी ट्रांसमीटर पुनः स्पार्क करने लगा, बॉण्ड ने चौंककर पहले अंगूठी की तरफ देखा, फिर एम की तरफ—जबकि एम स्वयं चकित मुद्रा में उसकी तरफ देख रहे थे।
एक क्षण उन्होंने प्रश्नवाचक मुद्रा में एक-दूसरे को देखते गंवाया—फिर बॉण्ड ने बहुत तेजी से ट्रांसमीटर ऑन किया, दूसरी तरफ से बुरी तरह घबराई, दर्द में डूबी और बौखलाई-सी आवाज सुनाई दी—"हैलो—हैलो—डबल जीरो थ्री रिपोर्टिंग—हैलो।"
"मैं बॉण्ड बोल रहा हूं, क्या बात है—तुम इतनी घबराई हुई क्यों...?"
"स...सब गड़बड़ हो गया सर—आह...।"
बॉण्ड चीख-सा पड़ा—"क्या हुआ डबल जीरो थ्री, बोलो—क्या बात हैं?"
"य...ये लोग मेरा रहस्य जान गए हैं—बाथरूम से निकलते ही विकास ने मुझे पकड़ लिया—आह, उनसे मेरी नाक काट डाली है, सर—किसी तरह इनके चंगुल से निकलकर मैं पुनः बाथरूम में घुंस गई हूं—दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया है—दूसरी तरफ से ये लोग दरवाजा तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं—म...मेरी मदद कीजिए सर, ये लोग मुझे मार डालेंगे।"
बॉण्ड ने ध्यान से सुना—"ट्रांसमीटर पर ऐसी आवाजें भी उभर रही थीं जैसे कुछ लोग किसी दरवाजे को तोड़ने की कोशिश कर रहे हों।
उसने जल्दी से पूछा—"वे तुमसे क्या जानना चाहता हैं?"
"आशा को वहां हटा लीजिए सर, ये लोग मुझसे उसका पता पूछ रहे हैं और जल्दी ही यह दरवाजा टूट जाएगा—फिर सायद मैं उस राक्षस की यातनाओं के सामने स्थिर न रह सकूं।”
“चिन्ता मत करो डबल जीरो थ्री—तुम उन्हें अपने फ्लैट का पता बताकर कह दो कि आशा वहां है, कुछ देर के लिए तो वे संतुष्ट हो जाएंगे—ज्यादा-से-ज्यादा तुम्हारे फ्लैट पर पहुंचेगे, तब तक मैं आशा को न सिर्फ अपनी कोठी से सीक्रेट सर्विस के कैदखाने में पहुंचा दूंगा, बल्कि तुम्हारे फ्लैट पर इनके स्वागत की पूरी तैयारी कर लूंगा—अब किसी किस्म की योजना बनाने का समय नहीं रहा हैं—तुम ऐसा अभफिनय करो जैसे टूट गई हो।"
"य...यस सर, दरवाजा टूटने वाला है—ओवर एण्ड ऑल।"
दूसरी तरफ से सम्बन्ध विच्छेद कर दिया गया, जबकि बॉण्ड ट्रांसमीटर ऑफ करता हुआ एम से बोला—"सारे मसूबो पर पानी फेर गया है सर, जल्दी कीजिए—कुछ ही देर में वे चारों डबल जीरो थ्री के फ्लैट पर पहुंचने वाले है—पूरा इंतजाम कर दीजिए, किसी भी स्थिति में वे वहां से बचकर नहीं निकलने चाहिएं—पीटर हाउस को भी घिरवा लीजिए—वहां शायद डबल जीरो थ्री मिले—लगता हैं बेचारी अपनी नाक गंवा बैठी है।"
"और तुम?"
"मैं अपनी कोठी जा रहा हूं—आशा को महफूज पहुंचाना पहला और सबसे महत्तवपूर्ण काम हैं—जल्दी कीजिए, सर।"
मिस्टर एम ने झपटकर रिसीवर उठा लिया और बॉण्ड ने बिना किसी किस्म का औपचारिकता का प्रदर्शन किए ऑफिस से बाहर जम्प लगा दी।
¶¶
लोहे के बंद गेट के बाहर खड़ी कार का नहीं हॉर्न दो बार बजा।
चौकीदार  ने अपनी शक्तिशाली टॉर्च ऑन की और उसके तीव्र झाग कार की विंड़स्क्रीन पर फेंके—जब उसने देखा कि टॉर्च की रोशनी से आंखें मिचमिचाने वाले उसके मालिक जेम्स बॉण्ड ही हैं, तब उसने टॉर्च ऑफ कर ली तथा दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ा।
दरवाजा खुला और कार तीव्र गति से अन्दर दाखिल हो गई—उधर चौकीदार ने दरवाजा वापिस बंद किया, उधर कार पोर्च के अंतिम सिरे पर जा रुकी। दरवाजा खुला और बॉण्ड तेजी से बाहर निकला।
उस वक्त वह आवश्यकता से अधिक फुर्ती में नजर आ रहा था—लगभग भागता हुआ वह इमारत का मुख्य गेट करके हॉल में पहुंच गया।
हॉल में मौजूद कद-काठी से मजबूत एक नौकर ने कहा—"गुड ईवनिंग, सर।"
"ईवनिंग!" कहने के बाद बॉण्ड ने पूछा—"यहां कोई आया तो नहीं था?"
"नो सर।"
"कैदी के पास कौन है?"
"लविंग टॉर्चर रूम में ही है, सर।"
"उसे मेरे पास भेजो।" आदेश देने के साथ ही बॉण्ड हॉल के साथ ही अटैच्ड़ बाथरूम की तरफ बढ़ गया—मजबूत कद-काठी का व्यक्ति उसके आदेश का पालने करने के लिए दाईं तरफ की गैलरी में बढ़ गया—बाथरूम के गेट तक पहुंचते-पहुंचते एकाएक ही बॉण्ड को जाने क्या सूझा कि वह ठिठका, ऊंची आवाज में बोला—"या ठहरो, मैं स्वयं ही वहां चलता हूं।"
फिर वे दोनों गैलरी में आगे बढ़ गए।
¶¶
दरवाजे के बाहर खड़ी कार का हॉर्न इस बार भी दो बजा।
चौकीदार ने जब अपनी टॉर्च ऑन करके उसके झाग विण्ड़ स्क्रीन पर फेंके तो उसकी खोपड़ी घूम गई—कारण वह दृश्य था जिसे वह आंखें फाड़े हक्का-बक्का-सा देखता रह गया।
वो भी उसके मालिक जेम्स बॉण्ड ही थे, जो विण्ड़ स्क्रीन के पार ड्राइविंग सीट पर बैठे, उसकी टॉर्च से निकलने वाले तीव्र झागों से आंखें मिचमिचाकर बचने का प्रयास कर रहे थे।
चौकीदार की बुध्दि उलट गई।
बड़ी तेजी से घूमकर उसने पोर्च के अंतिम सिरे पर खड़ी कार को देखा, वह अभी तक वहीं खड़ी थी और यह देखकर उसके होश उड़ गए थे कि वह कार उसके मालिक की नहीं थीं।
अब उसने बौखलाकर अपनी टॉर्च का प्रकाश दरवाजे के बाहर खड़ी कार के बोनट पर डाला और इस कार को पहचानने ही उसके होश उड़ गए, क्योंकि दरअसल यही कार उसके मालिक की कार थी—उधर, ड्राइविंग सीट पर बैठा बाण्ड कार की हैड़लाइट में चमकते न सिर्फ अपने चौकीदार को देख रहा था, बल्कि कोठी की सीमा में पोर्च के अंतिम सिरे पर खड़ी कार पर भी उसकी नजर पड़ चुकी थी।
बॉण्ड की छठी इंद्री ने उसे खतरे का अहसास कराया।
एक झटके से बॉण्ड ने कार का दरवाजा खोला और फिर हवा में लगाई गई एक ही जम्प में वह लोहे के बंद गेट के ऊपर से गुजरता हुआ धम्म से चौकीदार के सामने जा खड़ा हुआ।
बौखलाकर चौकीदार ने फुर्ती से अपने कंधे से बंदूक उतारकर उस पर तान दी और अपने स्वर को सख्त बनाने की भरपूर चेष्टा करता हुआ गरजा—"हैंड़स अप, कौन हो तुम?"
"क्या बकते हो हैड्रिक, मैं तुम्हारा मालिक हूं—जेम्स बॉण्ड!"
"म...मालिक—फिर वह कौन था?"
"कौन?" बॉण्ड ने झपटकर दोनों हाथों से उसका गिरेबान पकड़ लिया—"किसकी बात कर रहे हो?"
"क...कुछ देर पहले—उस कार में जो आया था।"
"क्या बकते हो, कौन था वह—कितनी देर पहले आया था और अब कहां है?"
"व...वह भी तो आप ही थे सर, पांच मिनट पहले ही तो आए थे?"
"उफ्फ—वह मैं नहीं था बेवकूफ, तेरी बातों से लगता है कि मेरे मेकअप में यहां कोई आया हैं—तू धोखा खा गया, जबकि वह कार भी मेरी नहीं है।"
"जरूरी तो नहीं है सर कि आप हमेशा अपनी ही कार में आएं?"
"अब वह कहां है, कितनी देर पहले आया था यहां?"
"प...पांच मिनट पहले—अभी वह अन्दर ही तो है, मगर सर...।"
उसका वाक्य पूरा होने से पहले ही बॉण्ड ने न केवल उसका गिरेबान छोड़ दिया, बल्कि आंधी-तूफान की तरह इमारत के अन्दर की तरफ भागा—रास्ते में ही अपनी जेब से उसने रिवॉल्वर भी निकाल लिया था। इस समय बॉण्ड हर तरफ से पूरी तरह चौकस था।
¶¶
"तुम इसे कंधे पर लाद लो, लविंग।" टॉर्चर रूम में मौजूद बॉण्ड ने जल्लाद सरीखे व्यक्ति को आदेश दिया और लविंग नामक उस जल्लाद सरीखे व्यक्ति ने बिना कुछ भी बोले एक बटन दबाया।
टॉर्चर चेयर पर बेहोश पड़ी आशा के बंधन खुल गए।
लविंग ने उसे प्लास्टिक की बनी हल्की-सी गुड़िया की तरह उठाकर कंधे पर लाद लिया, तभी मजबूत कद-काठी के व्यक्ति ने बॉण्ड से पूछा—"क्या आप इसे यहां से ले जा रहे हैं, सर?"
"हां।" बॉण्ड का उत्तर बड़ा ही संक्षिप्त था।
"क्या मैं पूछ सकता हूं सर कि क्यों?"
"यहां खतरा हैं, इसके साथी यहां पहुंच सकते हैं।"
"ओह !"
"चलो!" बॉण्ड ने आदेश दिया और वे तीनों टॉर्चर रूम से बाहर निकल आए।
सबसे आगे आशा को कंधे पर डाले लविंग था, उसके एक कदम पीछ मजबूत कद-काठी वाला व्यक्ति और उसके पीछे बॉण्ड—एक गैलरी से गुजर रहे थे वे—गैलरी के अंतिम सिरे पर सीमेंट की बनी सीढ़ियां थीं, ये सीढिंया गैलरी की छत तक चली गईं थीं।
उन्हें तय करने के बाद वे एक कमरे में पहुंचे।
अभी वे कमरे के खुले हुए दरवाजे की तरफ बढ़े ही थे कि दरवाजे पर किसी जिन्न के सामने बॉण्ड प्रकट हुआ, उसके हाथ में रिवॉल्वर था।
एक साथ तीनों मानो फर्श से चिपककर रह गए।
दरवाजे पर खड़ा बॉण्ड हाथ में रिवॉल्वर लिए सचमुच किसी जिन्न के समान ही मुस्करा रहा था—उसकी चमकदार आंखें इस बॉण्ड पर स्थिर थीं।
लविंग और उसके साथी के तो मानो होश ही उड़ गए।
खोपड़ी नाच उठी, समझ में नहीं आया कि यह चक्कर क्या था—एक बॉण्ड उनके साथ था, दुसरा रिवॉल्वर लिए सामने खड़ा था—बौखलाकर उसने अपने साथ वाले बॉण्ड की तरफ देखा जबकि उसने गुर्राकर दरवाजे पर खड़े बॉण्ड से पूछा—"कौन हो तुम?"
"बॉण्ड की आंखों को धोखा देना इतना आसान नहीं, विजय।" कुटिल मुस्कराहट के साथ दरवाजे पर खड़े बॉण्ड ने एक-एक शब्द को चबाते हुए कहा।
"क्या बकते हो?"
"अब कोई नाटक काम नहीं आएगा विजय, तुम फंस चुके हो—वैसे मुझे हैरत है कि इतनी जल्दी तुम यहां कैसे पहुंच गए और वह भी मेरे मेकअप में!"
"ओह, तुम शायद इन लोगों को धोखा देना चाहते हो।" कथित विजय ने बॉण्ड से कहा, फिर बोला—"मगर ये लोग इतने मूर्ख नहीं है  कि अपने मालिक को भी न पहचान सकें—लविंग, पकड़ लो इसे—यह आशा का कोई साथी लगता है, जो मेरे मेकअप में तुम्हें धोखा देना चाहता है।"
"बेवकूफी मत करना, लविंग।" दरवाजे पर खड़े बॉण्ड ने चेतावनी-सी दी—"याद करो, कुछ ही देर पहले डबल जीरो थ्री से ट्रांसमीटर पर बात करने के बाद यहां से जो बॉण्ड गया था उसने कौन-से कपड़े पहने रखे थे, वे जो मैंने पहन रखे हैं या वे जो इसने पहन रखे हैं?"
"कपड़ो से क्या होता...।"
मगर इस बार 'इसका' वाक्य पूरा नहीं हो सका क्योंकि मजबूत कद-काठी वाले व्यक्ति ने उसे पकड़ लिया था और उसी का अनुसरण लविंग ने भी किया, बेहोश आशा को उसने फर्श पर डाल दिया था।
विजय समझ गया कि अब कम-से-कम बॉण्ड होने का दावा करना बेकार था।
दरवाजे खड़े बॉण्ड के होंठों पर विजयी मुस्कान थी, उसने वहीं खड़े-खड़े कहा—"तुम शायद भूल गए विजय, मैंने कहा था कि यदि छुपाकर, मन में दुर्भावना लिए तुमने लंदन में फंसा रखा तो बाण्ड तुम्हें बख्शेगा नहीं।"
"कौन विजय—किसकी बात कर रहे हो, मिस्टर बॉण्ड?"
बॉण्ड के होंठो पर नाचने वाली मुस्कान गहरी हो गई, बोला—"मैं जानता हूं कि अब तुम्हारे पास यही एकमात्र हथकंड़ा रह गया है। अंत तक तुम्हारी कोशिश रहेगी कि मैं तुम्हें विजय साबित न कर सकूं, मगर तुम एक बार फिर भूल रहे हो विजय की मेरा नाम बॉण्ड है—जो बॉण्ड तुम्हें इतनी जल्दी गिरफ्त में ले सकता है, वह यह भी साबित करके दिखा देगा कि तुम विजय हो और कोहिनूर को चुराने की नीयत से अपने साथियों के साथ लंदन आए थे।"
"पता नहीं आप क्या कह रहे हैं, मिस्टर बॉण्ड, मैं ब्यूटी का साथी जरूर हूं, लेकिन मेरा नाम...।"
"मुझे जानने की जरूरत नहीं हैं।" बॉण्ड ने उसकी बात बीच में ही काट दी—"अपने हाथ ऊपर उठा लो, मैं दुश्मन को बातों में उलझाकर धोखा देने की तुम्हारी नीति से अच्छी तरह वाकिफ हूं।"
इधर विजय ने हाथ ऊपर उठाए, उधर ठीक उसी समय बॉण्ड की पीठ पर एक जोरदार ठोकर पड़ी—इतनी जोरदार कि मुंह से एक चीख
निकलता हुआ बॉण्ड हवा में उछलकर मुंह के बल कमरे के फर्श पर गिरा और दूर तक फिसलता चला गया।
इस बीच रिवॉल्वर भी उसके हाथ से निकल चुकी थी।
यह सारा काम पलक झपकते ही हो गया था—लविंग और उसका साथी अभी कुछ समझ भी नहीं पाए थे कि विजय ने बिजली की-सी फुर्ती से एक-एक घूंसा उनके सिर पर मारा।
चीखों के साथ कटे वृक्षों-से लहराए।
हालांकि बॉण्ड बहुत तेजी से उठकर खड़ा हुआ था, किन्तु विजय उससे पहले ही फर्श पर पड़े उसके रिवॉल्वर पर जम्प लगा चुका था—बॉण्ड ने अभी विजय पर जम्प लगाने का उपक्रम किया ही था कि दरवाजे से गुर्राहट उभरी—"स्टॉप, मिस्टर बॉण्ड!"
बॉण्ड ने ठिठककर दरवाजे की तरफ देखा।
मार्गरेट बना, दरवाजे पर विकास खड़ा था—हाथ में हथियारों की दुकान से चुराई गई गन लिए—लिखने की आवश्यकता नहीं है कि गन का रुख बॉण्ड की तरफ ही था, उसने कठोर एवं स्थिर स्वर में कहा—"अगर तुम्हारे जिस्म में हल्की-सी भी हरकत हुई, मिस्टर बॉण्ड तो मेरी उंगली के इशारे पर तुम्हारा जिस्म छलनी में बदल  जाएगा।"
"त...तुम?" बेबस-सा बॉण्ड दांत पीस उठा।
"यस बेटे, मैं उस कार की डिक्की में था, जो अभी भी पोर्च के अंतिम सिरे पर खड़ी है—मेरा काम किसी खतरे में फंसे अपने साथी की मदद करना था, वही कर रहा हूं।"
"गुरु को साथी कब से कहने लगे हो?"
इससे पहले बॉण्ड कुछ कहता, विजय बोल पड़ा—"ब्रिटेन का महान जासूस थोड़ा क्रैक हो गया लगता हैं, मार्गरेट ये मुझे विजय और तुम्हें न जाने क्या समझ रहा है?"
"मैं एक ही गोली में इसकी अक्ल दुरुस्त कर सकता हूं, बशीर।"
"फिलहाल इसकी जरूरत नहीं है।" विजय ने बॉण्ड का रिवॉल्वर अपनी जेब में डाला और फर्श पर बेहोश पड़ी आशा की तरफ बढ़ता हुआ बोला—"हम सिर्फ ब्यूटी को इसकी गिरफ्त से निकालने यहां आए थे और वह काम लगभग पूरा हो गया है।"
कसमसाकर बॉण्ड गुर्राया—"मैं तुम्हें किसी भी हालत में कोहिनूर तक नहीं पहुंचने दूंगा, विजय!"
"मत पहुचंने देना।" बेहोश आशा को अपने कंधे पर लादने के बाद विजय ने बड़े आराम से कहा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया, विकास के नजदीक जाकर उसने पूछा—"चौकीदार कहां है?"
"उसे बेहोश करने में ही तो इतनी देर लग गई।"
बॉण्ड का दिल चाह रहा था कि वह इसी वक्त दोनों ही कच्चा चबा जाए किन्तु करता क्या? भाड़-सा मुंह फाड़े गन लगातार उसे घूर रही थी—कसमसाकर रह गया वह।
कमरे का दरवाजा बंद कर दिया गया।
लविंग और उसका साथी दरवाजे पर झपटे, परन्तु दरवाजा बाहर की तरफ से बोल्ट हो चुका था—बॉण्ड कमरे में एक तरफ रखे फोन पर झपटा—करेंट गायब था।
बॉण्ड बुरी तरह झुंझला उठा, तभी बाहर से एक कार स्टार्ट होने की आवाज उस कमरे तक आई।
¶¶
"पीटर हाउस से क्या बरामद हुआ, सर?"
"डबल जीरो थ्री के अलावा कुछ भी नहीं—हां, ऐसे चिह्र अवश्य मिले हैं कि कुछ लोग वहां रहते थे, परन्तु वे लोग कौन थे, यह बात किसी भी ढंग से साबित नहीं की जा सकती।"
"क्या वहां से चैम्बूर की लाश भी नहीं मिली?"
"नहीं।"
अजीब-सी झुंझलाहट में बॉण्ड ने अपने दाएं हाथ का घूंसा बाईं हथेली पर मारा और दांत भींचकर भुनभनाता-सा बोला—"म...मैंने कहा था न सर कि वे लोग बहुत काइंया हैं—हालात पर हमारी मजबूत पकड़ देखते-ही-देखते खत्म हो गई—अब हमें नहीं पता कि वे कहां हैं, आशा के रूप में हमारे पास वजीर था, वह भी नहीं रहा—हम कुछ भी न कर सके।"
"म...मगर बॉण्ड, इतनी जल्दी—यह सब कुछ हो कैसे गया—वे लोग डबल जीरो थ्री के फ्लैट पर क्यों नहीं पहुंचे—उन्हें कैसे पता चला कि आशा तुम्हारी कोठी में है?"
"इन सवालों का जवाब तो केवल डबल जीरो थ्री ही दे सकती है—बेचारी—इस सारे झमेले में फंसकर वह अपनी नाक ही गंवा बैठी—काश, हम उसकी इन्फॉर्मेशन मिलते ही उन्हें गिरफ्तार कर लेते।"
मिस्टर एम अभी कुछ कहने ही जा रहे थे कि इंटरकॉम भिनभिना उठा—उन्होंने रिसीवर उठाया, कुछ देर दूसरी तरफ से बोलने वाले की आवाज सुनते रहे और फिर—“हम आ रहे हैं।” कहकर रिसीवर रख दिया।
वे अपनी कुर्सी से उठते हुए बोले—"डबल जीरो थ्री होश में आ गई हैं बॉण्ड।"
बिना कुछ कहे बॉण्ड भी तेजी से उठ खड़ा हुआ।
पांच मिनट बाद वे ऐसे कमरे में थे, जहां एक ऊंचे बेड़ पर डबल जीरो थ्री लेटी थी—समीप ही गले में स्टैथस्कोप डाले ड़ॉक्टर खड़ा था—डबल जीरो थ्री की नाक पर पट्टी बंधी हुई थी, बॉण्ड ने उससे कहा—"रिपोर्ट दो डबल जीरो थ्री, वहां क्या हुआ था?"
"विकास मुझसे आशा का पता पूछ रहा था, उसने ब्लेड़ से मेरी नाक काट डाली, परन्तु मैंने उसे कुछ नहीं बताया—नाक कटते ही में बेहोश हो गई थी।"
"क...क्या मतलब?" बॉण्ड ने चौंक्कर पूछा—"क्या नाक कटने के बाद तुमने ट्रांसमीटर पर मुझसे बात नहीं की थी?"
"नो सर।"
डबल जीरो थ्री के इस जवाब ने दोनों को अवाक् कर दिया, कई पल तक वे हैरतअंगेज दृष्टि से एक-दूसरे को देखते रहे और फिर बॉण्ड की आंखों में अचानक ही ऐसी चमक उभर आई जैसे वह कुछ समझ गया हो।
जबकि मिस्टर एम चकित स्वर में बुदबुदाए—"यह सब क्या चक्कर हैं, बॉण्ड? डबल जीरो थ्री कहती है कि नाक कटते ही वह बेहोश हो गई थी, जबकि ट्रांसमीटर पर...।"
"अब सारा चक्कर मेरी समझ में आ रहा है, सर।"
"कैसा चक्कर?"
"जब नाक कटने के बाद भी इसने आशा का पता नहीं बताया और बेहोश हो गई तो विजय समझ गया कि डबल जीरो थ्री टॉर्चर से टूटने वाली नहीं हैं और तब ट्रांसमीटर पर इसकी आवाज में विजय ने बातें करके मुझसे मालूम कर लिया कि आशा मेरी कोठी है।"
"ओह, ड़बल जीरो थ्री की आवाज की इतनी परफेक्ट नकल!"
"उसका नाम विजय है सर, वह मेरी और आपकी आवाज की नकल भी इतने ही परफेक्ट तरीके से कर सकता है। बहरहाल अब हालात बिल्कुल बदल चुके हैं-सारी गिनतियां मुझे एक बार फिर जीरो से गिननी पड़ेंगी—आप गार्ड़नर के यहां एक नौकर की जरूरत पैदा कीजिए।"
¶¶
अगले दिन, दोपहर को प्रकाशित होने वाला अखबार पढ़ने के बाद अशरफ ने एक तरफ उछाला और बोला—"हद हो गई, पुलिस ने पूरा पीटर हाउस छान मारा परन्तु चैंम्बूर की लाश नहीं मिली!"
"मिलनी भी नहीं थी प्यारे।" विजय ने कहा।
विक्रम ने पूछा—"क्यों?"
"कोहिनूर में से एक परसेंट हिस्सा चाहने वाला हमारा साथी वफादार है।"
उसका जिक्र आते ही एकाएक जैसे सबको सांप सूंघ गया। यह रहस्यमय व्यक्ति उनके लिए आतंक का एक अजीब-सा कारण बन गया था, विकास बोला—"पता नहीं वह कौन है?"
"वक्त आने पर उसे भी भुगत लेंगे, प्यारे।" विजय ने कहा—"फिलहाल जितनी बड़ी समस्या हमारे लिए वह हैं, उतनी ही बड़ी लूमड, बॉण्ड और ब्रिटेन की पुलिस आदि बन गई हैं।"
"वह कैसे?" विक्रम ने पूछा।
"हालात बहुत बदल गए है, प्यारे विक्रमादित्य। अब उनके लिए सवाल यह नहीं रहा है कि हम कौन हैं और किस चक्कर में हैं? अब
उनकी कोशिश उसे सिर्फ साबित करना होगी जो वे जानते हैं—अतः हमें एक—एक कदम पहले से भी कहीं ज्यादा सावधानी के साथ फूंक-फूंककर रखना है—उधर बॉण्ड को हमारे और लूमड़ के बीच होने वाली बातें भी पता लग गई हैं—संभव है कि लूमड़ के प्रति भी वह सतर्क हो गया हो।"
"इससे हम पर क्या फर्क पड़ता हैं?"
"बहुत फर्क पड़ता है, प्यारे।"
"मैं समझा नहीं, गुरू!"
"यदि लूंमड़ के प्रति सतर्क हो गया है तो अब वह निश्चय ही किसी-न-किसी माध्यम से लूमड़ की गतिविधियों पर नजर रखेगा—लूमड़ का अभियान कोहिनूर तक पहुंचना है, उसके रास्ते में कोहिनूर के चारों तरफ की गई सुरक्षा व्यवस्था तो थी ही—इस स्थिति में बॉण्ड भी उसके लिए एक बड़ा गतिरोध बनेगा, कोहिनूर की चोरी में अलफांसे के सफल होने की संभावना क्षीण पड़ जाएगी और जब उसकी सफलता ही संदेहजनक रहेगी तो हमारे सफल होने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता!" बात सबकी समझ में आ गई और इसीलिए वहां सन्नाटा छा गया।
उस वक्त वे लंदन शहर से करीब दस किलोमीटर दूर जंगल में स्थित खंडहर में मौजूद थे—यह खंडहर कदाचित् किसी जमाने में शिकारगाह रहा होगा—अपनी आपराधिक गतिविधियों को जारी रखने के लिए उस खंड़हर और पीटर हाउस की खोज उन्होंने लंदन में आते ही कर ली थीं।
पहले उन्होंने पीटर हाउस को चुना था, किन्तु अब यानि पीटर हाउस का भेद खुलने के बाद उन्होंने अपना पड़ाव उस खंड़हर में डाला था।
आशा को साथ लिए विजय, विकास बॉण्ड की कार समेत, रात के समय ही बॉण्ड की कोठी से सीधे यहां पहुंचे थे—उधर पीटर हाउस से वहां पहुंचे थे अशरफ और विक्रम।
आशा होश में आ चुकी थी—यह जानकर उसे काफी संतोष मिला था कि अब वह अपने साथियों के बीच थी—बॉण्ड द्वारा किए गए टॉर्चर के कारण अभी तक वह निर्बल और जख्मी थी।
उस वक्त वह खंडहर के एक भीतरी कमरे में आराम कर रही थी।
वे सब एक बरांड़े में बैठे उपरोक्त बातें कर रहे थे।
सन्नाटा काफी देर तक उनके बीच कुंड़ली मारे बैठा रहा, एकाएक विकास बोला—"यदि आपकी इजाजत हो गुरु तो मैं एक राय पेश
करूं?"
"इजाजत है।" विजय ने इस तरह कहा जैसे किसी बादशाह ने अपने मुलाजिम को इजाजत दी हो।
"यह बात ठीक है कि हमारी सफलता—असफलता, क्राइमर अंकल की सफलता-असफलता पर निर्भर हैं, परन्तु फिर भी हमें इस बारे में सोचकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, मैं समझता हूं कि क्राइमर अंकल के मार्ग में भले ही चाहे जितने गतिरोध उत्पन्न हों, परन्तु अंततः वे अपने मकसद में कामयाब हो ही जाएंगे और हमारा मकसद उनके कामयाब होने पर कोहिनूर उनसे छीन लेना है, अतः हमें अपनी योजना को कार्यन्वित कर देना चाहिए, कहीं ऐसा न हो कि हम पिछड़ जाएं।"
विजय बोला—"य़ह बात तुमने एक लाख टके की कही है, प्यारे।"
¶¶
अलफांसे गार्डनर के बेड़रूम के समीप ठिठका।
बहुत ही ध्यान से उसने गैलरी का निरीक्षण किया—दोनों तरफ पूरी तरह सन्नाटा व्याप्त था। दिन का करीब एक बजा था और मिस्टर गार्ड़नर कोठी से बाहर गए हुए थे।
बेहरूम का दरवाजा लॉक्ड था।
अलफांसे ने फुर्ती के साथ अपनी जेब से एक चाबी निकली और दरवाजे के की—होल में डाल दी—चाबी के घूमते ही क्लिक की हल्की-सी
आवाज के साथ लॉक इस तरह खुल गया मानो चाबी उसी लॉक की हो।
लॉक खुलने के बाद एक क्षण भी गंवाए बिना अलफांसे की-होल से चाबी निकालकर कमरे के अन्दर समा गया और दरवाजा उसने उसी चाबी का इस्तेमाल करके अन्दर से लॉक कर लिया।
अब वह गार्ड़नर के बेडरूम में था।
अलफांसे ने एक नजर सारे कमरे में घुमाई और अंत में आंखें उस छोटी-सी, किन्तु बेहद मजबूत सेफ पर ठिठक गईं जो डबल बेड़ के दाईं तरफ, सिरहाने फर्श के साथ अटैच्ड़ थी।
कई क्षण तक अलफांसे सेफ को विशेष दृष्टि से घूरता रहा।
फिर एकाएक ही इस तरह चौंका, जैसे कुछ याद आया हो—वह दबे पांव ठीक उस दीवार की तरफ बढ़ा जो सेफ के सामने थीं—उस दीवार में एक अलमारी बनी हुई थी—अलमारी की छत पर विभिन्न किस्म के कई आकर्षक खिलौने रखे थे।
अलफांसे एक स्टूल पर चढ़ गया।
अलमारी की छत पर रखे खिलौनों में से उसने एक 'गैंड़ा' उठा लिया—रबर का बना हुआ वह एक काफी बड़ा और आकर्षक गैंड़ा था—गैंड़े के मस्तक पर बनी आंख ने उसे अजीब-सी विचित्रता प्रदान कर दी थी।
गैंड़े के पृष्ठ भाग यानि पेट वाले हिस्से में एक चेन थी।
अलफांसे ने चेन खोली और फिर गैंड़े के अन्दर से एक कैमरा निकाला—यह एक छोटा-सा, परन्तु शक्तिशाली कैमरा था। एक छोटी-सी घड़ी भी कैमरे के साथ फिक्स थी।
कैमरे के साथ फिक्स घड़ी में सात बज रहे थे।
अलफांसे ने शटर खोलकर कैमरे के अन्दर से एक फिल्म निकली, जेब से एक खाली केस निकालकर फिल्म उसके अन्दर डाली तथा एक नई फिल्म जेब से निकालकर कैमरे के अन्दर फिक्स की और फिर शटर बंद करने के बाद उसने अटैच्ड़ घड़ी में नौ बजा दिए।
इतना काम करने के बाद कैमरा गैंड़े के अन्दर रखा, चेन बंद की और अलमारी के ऊपर अन्य खिलौना के बीच उसी पोजीशन में रख दिया, जिसमें उसके छेड़ने से पहले था।
गैंड़ा अपने मस्तक पर मौजूद आंख से सेफ को घूर रहा था। संतुष्ट होने के बाद अलफांसे स्टूल से उतरा, दबे पांव कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ा और जेब से चाबी निकालकर अभी उसे की-होल में डालने की वाला था कि ठिठक गया।
कमरे के बाहर की गैलरी से किन्हीं व्यक्तियों के कदमों की आवाज उभरी थी।
दीवार से सटकर अलफांसे ने अपनी सांसें तक रोक लीं—वह उस वक्त तक इसी पोजीशन में रहा जब तक कि बंद दरवाजे के सामने से गुजरकर कदमों की आवाजें गुम न हो गईं।
अन्दर से लॉक खोलने और बाहर से लॉक बंद करने में उसने मुश्किल से तीन मिनट का समय गंवाया था—चाबी को जेब में डालकर वह मस्ती के साथ सीटी बजाता हुआ गैलरी पार करने लगा।
उस वक्त वह एक हॉल में पहुंचा था, जब एक नौकर से उसका आमना-सामना हुआ, नौकर ने उसे देखते ही सम्मानित स्वर में पूछा—"कुछ पेश करुं साहब?"
"इर्वि कहां है?"
"अपने कमरे में साहब, कहीं बाहर जाने की तैयारी कर रही हैं।"
"मैं उधर ही जा रहा हूं—एक कप कॉफी तैयार करके ले आओ।" कहने के बाद उनसे नौकर का जवाब सुनने की चेष्टा नहीं की और तेज कदमों के साथ हॉल पार करके अपने कमरे की तरफ बढ़ गया, कमरे में प्रविष्ट होते हुए अलफांसे से पूछा—"कहां जाने की तैयारी हैं, इर्वि?"
"शॉपिंग करने, तुम भी चलो न?" ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी इर्विन ने कहा।
"सॉरी इर्वि।" अलफांसे बेड़ पर लगभग गिरता हुआ बोला—"मेरी तबीयत ठीक नहीं है—थोड़ी देर आराम करुंगा।"
"क...क्यों—क्या हुआ?" ब्रश हाथ में लिए वह उसके नजदीक आ गई।
"विशेष कुछ नहीं, सिर में हल्का-सा दर्द हैं।"
"तो लेटो, मैं सिर दबा देती हूं।"
"ओह नो, इर्वि—तुम क्यों डिस्टर्ब होती हो—बहुत हल्का-सा दर्द है, मैंने कॉफी के लिए कह दिया है, पीकर कुछ देर के लिए आंखें बंद करुंगा तो ठीक हो जाएगा—तुम जाओ।"
"सच कह रहे हो न?"
"बिल्कुल सच, अच्छा यह बताओ—मेरे लिए क्या लाओगी?"
"जो तुम कहो।"
बस, कुछ देर उनके बीच इसी किस्म की बातें होती रहीं—नौकर अलफांसे को कॉफी दे गया—कुछ ही देर बाद तैयार होकर इर्विन शॉपिंग के लिए चली गई।
बिस्तर पर अधलेटी अवस्था में पड़े अलफांसे ने आराम से कॉफी खत्म की—फिर तेजी से उठा और कमरे का दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया।
न केवल दरवाजा बल्कि सभी खिड़कियां और रोशनदान भी उसने अन्दर से बंद कर लिए थे—कमरे में अंधेरा छा गया।
अलफांसे ने फुर्ती से फिल्म देखने वाला एक पर्दा स्टैंड़ पर खड़ा किया—उसके सामने फिक्स किया उस प्रोजेक्टर को, जिसके जरिए फिल्म देखी जाती थी—अपनी जेब से गैंड़े के अन्दर से निकाली गईं फिल्म निकालकर प्रोजेक्टर में फिक्स की—अब उसने बटन दबाकर प्रोजेक्टर ऑन कर दिया।
पर्दे पर एक साइलेंट रंगीन फिल्म चल रही थी।
स्टैंड़ पर फिक्स पर्दे पर बेडरूम का दृश्य बिल्कुल स्पष्ट नजर आ रहा था—विशेष रूप से डबल बेड़ और उसके सिरहाने रखी छोटी-सी
सेफ।
प्रोजेक्टर की चर्खी धीरे-धीरे घूम रही थी, साथ ही घूम रही थी उस पर चढ़ी हुई रील, किन्तु पर्दे पर मौजूद दृश्य में कोई परिवर्तन नजर नहीं आ रहा था।
थोड़ी देर बाद पर्दे पर मिस्टर गार्ड़नर नजर आए।
आंखों में जाने क्या आशा लिए अलफांसे उन्हें ध्यान से देखने लगा—पर्दे पर वे कपड़े उतारने नजर आ रहे थे, फिर स्क्रीन से बाहर निकल गए—जब पुनः स्क्रीन में आए तो उनके जिस्म पर नाइट सूट था।
देखते-ही-देखते वे बेड़ पर लेट गए।
फिर सो गए और आगे की सारी फिल्म में मिस्टर गार्ड़नर सोए हुए ही थे—रील खत्म हो गई—अलफांसे के चेहरे पर जाने क्यों निराशा के भाव उभर आए—वह बेचारा नहीं देख सका था कि पर्दे पर चलने वाली उस फिल्म को दरवाजे के की-होल से सटी एक रहस्यमय आंख ने भी देखा था।
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