विशाल अपार्टमेंट्स ।

विशालगढ़ के शानदार अपार्टमेंट हाउसेज में से एक था । वहाँ केवल मोटी आमदनी वाले लोग ही रहना अफोर्ड कर सकते थे।

उस रात दो आदमी विशाल अपार्टमेंट की बहुमंजिला इमारत में दाखिल हुए ।

सुनसान लॉबी से दबे पाँव तेजी से गुजर कर स्वचालित लिफ्ट द्वारा वे सबसे ऊपर की मंजिल पर पहुंचे । वहां सिर्फ एक ही अपार्टमेंट था । शेष स्थान पर करीब तीन फुट ऊँची मुंडेर से घिरी खुली छत थी ।

अपार्टमेंट के संमुख पहुंच कर उनमें से एक ने दस्तक दी ।

चंद सैकेंड पश्चात दरवाजा खुला । कीमती ड्रेसिंग गाउन पहने एक आदमी प्रगट हुआ । औसत, कद–बुत वाले करीब पच्चास वर्षीय उस आदमी के चेहरे पर बुद्धिमानी और अनुभव के मिलेजुले भाव स्थायी रूप से विद्यमान थे । उसका नाम मनमोहन सहगल था ।

उसने सवालिया निगाहों से आगंतुकों को घूरा, फिर खीज भरे लहजे में उनमें से एक से पूछा–'क्या बात है, रोशन ?

–'तुम्हारे लिए बिगबॉस का मैसेज है ।' रोशन ने जवाब देकर अपने साथी की ओर इशारा किया–'करतार सीधा विराटनगर से आ रहा है ।'

मनमोहन अनिच्छापूर्वक दरवाजे से अलग हट गया ।

आगंतुक अन्दर आ गए ।

मनमोहन की खीज बढ़ती जा रही थी ।

–'रात में बेवक्त आना जरूरी था ।' उसने अपनी रिस्ट वाच पर दृष्टिपात करते हुए पूछा–'मैसेज सुबह तक इंतजार नहीं कर सकता था ?'

–'नहीं ।' करतार ने सर हिलाते हुए कहा, फिर ड्राइंगरूम में निगाहें दौड़ाकर बोला–'बड़े ठाठ से रहते हो ।'

मनमोहन ने दरवाजा पुनः बंद कर दिया ।

–'तुम मेरा रहन–सहन देखने आए हो या मैसेज देने ?' करतार ने उसके सवाल को नजरअंदाज करते हुए पूछा–'तुम्हारे अलावा यहाँ कोई और भी है ?'

मनमोहन के माथे पर बल पड़ गए ।

–'बॉस मेरी पर्सनल लाइफ चैक कराना चाहता है ? आखिर बात क्या है ?'

–'बड़ी कांफिडेंशियल बात है ।' कहकर करतार ने रोशन को संकेत कर दिया ।

रोशन अंदर जाकर चैक करने लगा ।

मनमोहन को गुस्सा आ रहा या । गाउन की जेबों में ठुँसे उसके हाथ मुठ्ठियों की शक्ल में भिंच गए । लेकिन वह चुपचाप खड़ा रहा ।

रोशन ने वापस लौटकर आश्वस्त भाव से सर हिला दिया ।

–'तुम्हारी तसल्ली हो गई ।' मनमोहन गुर्राता सा बोला–'अब मैसेज दो और यहाँ से चलते बनो ।'

–'ओके ।' करतार बोला–'बिग बॉस अमरकुमार के साथ हुए अपने कांट्रेक्ट को खत्म कर रहा है । अमर अब से जो भी करेगा उसे अपने ही दम पर करना होगा । हम लोगों ने उससे कोई ताल्लुक नहीं रखना है । यानी अब तुम्हारी सेवाओं की भी जरूरत नहीं रह गई है ।'

मनमोहन के चेहरे पर खीज मिश्रित गहन विचार पूर्णभाव उत्पन्न हो गए ।

–'यह कोई समझदारी वाला काम नहीं है ।' वह बोला–'यह ठीक है कि जाती तौर पर मैं भी उस हरामजादे को पसंद नहीं करता । लेकिन आज वह चलता सिक्का है । उसकी पिछली दोनों फिल्में सुपरहिट हुई हैं । और हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म उनसे भी ज्यादा तहलका मचा रही है । फिल्म इंडस्ट्री की स्टार रेस में उसने नंबर वन की कुर्सी हथिया ली है । लाजवाब एक्टर के साथ–साथ लाजवाब सिंगर के रूप में भी वह खुद को स्थापित कर चुका है । उसके गानों के रिकार्ड और कैसेट्स ने बिक्री के पिछले तमाम रिकार्ड तोड़ दिए है । बड़े-बड़े निर्माता निर्देशक आज उसे अपनी फिल्मों में लेने के लिए मरे जा रहे हैं.........। अचानक उसने खामोश होकर बारी–बारी से उन दोनों को देखा फिर उसकी निगाहें पुनः करतार पर जम गई–'बॉस ने तुम्हें सिर्फ यह बताने के लिए यहाँ भेजा है कि अब मेरी जरूरत नहीं रह गई है । उसने पूछा–'यह तो वह फोन पर भी बता सकता था । फिर उसने ऐसा क्यों नहीं किया ?'

–'मुझे नहीं मालूम ।' करतार ने कहा और कोने में रखे स्टिरियो की ओर देखते हुए पूछा–'अमर का कोई नया कैसेट है तुम्हारे पास ?'

–'हाँ ।'

–'तो सुनवाओ न ।' करतार ने कहा और स्टिरियो की तारीफ करता हुआ कोने में पहुंच गया । जहाँ वो रखा हुआ था–'अमर के गाने सुनने का मुझे तो कोई खास शौक नहीं है । लेकिन मेरी पसन्द की एक छोकरी उसकी दीवानी है ।

–'इस मामले में सभी औरतें एक जैसी हैं ।' रोशन सहमति देता हुआ बोला–'गाने सुनकर तो वे उसकी दीवानी हो जाती हैं । लेकिन अगर कभी इत्तिफाक से उससे मुलाकात हो जाती है तो उसका बर्ताव देखकर उनका सारा जोश ठंडा पड़ जाता है । यही बात है न, सहगल ?'

–'उस कमीने को जानने वाला हर व्यक्ति उससे नफरत के अलावा कुछ और कर ही नहीं सकता ।' मनमोहन ने कहा और स्टिरियो में कैसेट लगाकर 'प्ले' वाला बटन दबाने के बाद बोला–'यह उसका लेटेस्ट कैसेट है ।

स्टिरियों से अमरकुमार की मधुर आवाज उभरने लगी ।

करतार ने चंदेक पल सुना फिर यूं सर हिलाया मानों न चाहते हुए भी गाने की तारीफ करने पर विवश था ।

–'गाता बढ़िया है । वह बोला–'अपने मौजूदा मुकाम तक पहुंचने के लिए उसे काफी संघर्ष करना पड़ा है । मैं उस रात बॉस के साथ ही था जब एक घटिया क्लब में पहली बार उसका गाना सुना था । बॉस को तो वह उसी वक्त पूरी तरह जंच गया । लेकिन मुझे जरा भी पसन्द नहीं आया और आज सोचता हूँ कि उसके बारे में मेरा अंदाजा कितना गलत था ।'

जिसकी पीठ पर बिगबॉस शमशेर सिंह का हाथ हो ।' रोशन बोला–'कामयाबी खुद-ब-खुद उसके कदमों में आ गिरती है ।'

–'लेकिन अब अमर की स्थिति इतनी मजबूत हो चुकी है । कि उसे किसी की जरूरत नहीं हैं । न शमशेर सिंह की और न ही मेरी ।' मनमोहन बोला–'वह जिस चीज को भी हाथ लगाता है वही सोने की खान बन जाती है । इस सबके बावजूद वह निहायत घटिया आदमी है । उसे कोई पसंद नहीं करता । सिवाय उनके जो उसकी फिल्मों और गानों के दीवाने हैं । और किसी भी फिल्म स्टार के लिए शोहरत ही सबसे बड़ी दौलत होती है । इस लिहाज से सब कुछ उसके पास है । उसने करतार की ओर देखा–'इसलिए मेरी समझ में नहीं आता इस मैसेज की क्या तुक है । अमरकुमार की सेहत पर तो इससे कोई फर्क पड़ने वाला है नहीं ।

करतार धूर्ततापूर्वक मुस्कराया ।

–'इस मैसेज का सीधा सा अर्थ है–'बॉस तुम्हें बताना चाहता है तुम्हारी जरूरत अब नहीं रही । उसने कहा और नीचे झुककर स्टिरियो का वॉल्यूम बढ़ा दिया तुम्हारा मामला सही ढंग से निपट जाए और किसी किस्म की चूक इसमें न रहे । इसीलिए मुझे यहां भेजा गया है ।

उसने मनमोहन के पीछे खड़े रोशन को सर हिलाकर संकेत कर दिया ।

इससे पहले कि मनमोहन कुछ समझ पाता रोशन ने उसकी दोनों बांहें खींचकर पीठ के पीछे कस लीं ।

अचानक मनमोहन सब कुछ समझ गया । उसने चीखने के लिए मुंह खोला । तभी करतार का खुला हाथ उसके गले पर पड़ा और उसकी चीख सिसकारी के रूप में बाहर आकर स्टिरियो से उभरती अमरकुमार की ऊँची आवाज में दब कर रह गई । उसकी आँखें आंतक से फटी जा रही थीं ।

रोशन की गिरफ्त में जकड़े मनमोहन ने प्रतिरोध करना चाहा तो करतार ने अपना घुटना उसको जाँघों के जोड़ पर दे मारा । कोई हौसलामंद आदमी वह नहीं था । नतीजतन, आंतक और असहनीय पीड़ा के कारण उसकी चेतना लुप्त हो गई ।

रोशन ने उसे एक कुर्सी में धकेल दिया ।

करतार अपार्टमेंट से बाहर आ गया ।

छत पर अंधेरा था । आस–पास अन्य कोई इमारत न होने के कारण किसी के द्वारा देख लिए जाने का कोई अंदेशा उसे नहीं था ।

–'उसे बाहर ले आओ ।' वह बोला ।

रोशन बेहोश मनमोहन को कंधे पर लाद कर बाहर ले आया ।

करतार अपार्टमेंट की बगल में मुंडेर के पास खड़ा था ।

रोशन भी उसी के पास आ खड़ा हुआ । और मनमोहन को पीठ के बल नीचे डाल दिया ।

–'तुम इसका सर थामना ।' करतार बोला–'मैं पैर पकडूंगा । और मेरे कहते ही इसे नीचे छोड़ देना ।'

–'ठीक है ।'

मनमोहन पूर्ववत् बैहोश था ।

करतार ने उसके दोनों टखने मजबूती से पकड़े और रोशन ने उसकी गरदन कसकर थाम ली । उसी तरह ऊपर उठाकर उन्होंने उसे दो बार मुंडेर के ऊपर झुलाया और तीसरी दफा में मुंडेर के ऊपर से गुजारते ही एक साथ नीचे छोड़ दिया ।

दोनों में से किसी ने भी झांककर देखना जरूरी नहीं समझा कि मनमोहन का क्या हश्र हुआ । वे जानते थे नौ मंजिला इमारत की छत से नीचे गिरने पर एक ही हश्र होना था–मौत ।

वापस अपार्टमेंट में जाकर करतार ने रूमाल की सहायता से स्टिरियो का स्विच ऑफ करके उसकी वॉल्यूम नॉब को रूमाल से रगड़ा । डोर नॉब को भी उसी तरह रगड़कर वह बाहर निकला और रोशन सहित लिफ्ट की ओर बढ़ गया ।