कहानियों और किस्सों में क्या अंतर होता है ?मैं यह कभी समझ नहीं पाया कई बार कहानियां इतनी वास्तविक होती है कि वे किस्से लगने लगते हैं और कई बार किस्से इतने रोमांचक कि वह कहानियां बन जाती है। पर कई बार मुझे  यह भी लगता है कि जो हमारे लिए किस्से कहानियां है वो किसी के लिए वास्तविकता भी हो सकती है और ज्यादातर हम वास्तविकता को ही कहानियों में बदल देते हैं। तो यह कहानी है या वास्तविकता ,ये पता लगाना अब आपका काम है।

अब हमारा परिचय भी करा दिया जाए ,हम स्वयं शहर हैं-कानपुर। अब हम आपसे बात काहे कर रहें है? इसका कारण है कि हम ही आपको यह कहानी सुनाने वाले हैं। अब हमारी खासियत बताए तो- हम यहां के खाने के लिए मशहूर है ,बेस्ट क्वालिटी के चमड़े के लिए भी मशहूर है , लाल रंग की सड़कों और दीवारों के लिए मशहूर है ( जिनमें योगदान हमारे गुटका खाने वाले भाइयों का हैं।) Nso के एक सर्वे ने कानपुर को भारत का सबसे शांत शहर बताया है, अब भला हो भी क्यों ना यहां हर किसी के मुंह में गुटका जो रहता हैं अब आप ही बताइए भैया उ दो मिनट की बात के लिए 5 रुपए का गूटका थोड़ी थूका जाता है, इसलिए यहां की ज्यादातर बाते तो इशारों में ही हो जाती है। इन सबके अलावा एक और चीज है जिसके लिए हम सबसे ज्यादा मशहूर है और वह है यहां की - राजनीति।

यहां आपको हर घर में राजनीति से जुड़ी हुई कई कहानियां मिल जाएंगी। पर हमारी कहानी की शुरुआत जिस घर से हो रही है वह किसी और का नहीं बल्कि अपने नंदकिशोर जी का है। नंदकिशोर जी PWD डिपार्टमेंट में पिछले 35 साल से नौकरी कर रहे हैं और 2 साल में रिटायर भी हो जाएंगे। उनका मानना है कि  नौकरी करो तो सरकारी करो , बाकी सब तो गुलामी करना है ।खैर उनको जाने दीजिए हमारी कहानी के नायक नंदकिशोर जी नहीं उनके सुपुत्र है -संजय। 'संजय भैया 'हमारी कहानी के पहले अहम किरदार संजय भैया का बचपन से एक ही सपना है एक दिन बहुत बड़ा नेता बनने का, और उसी के लिए वो आजकल दिन रात एक भी कर रहे हैं, वैसे तो हमारे संजय भैया किसी से नहीं डरते ,पर एक मात्र इंसान जिनसे ये डरते हैं वो है इनके पिताजी, इसलिए रोज भगवान से यही दुआ करते हैं कि उनके कारनामे उनके पिताजी तक न पहुंचे। अब आगे क्या होता है ई आप खुद ही देख लीजिए।

'ई संजय अभी तक सो रहा है ' संजय के पिताजी ने नाश्ते की टेबल से पूछा।

'क्या करें उ रात को लेट आया था ,बेचारा रात को 3:00 बजे तो सोया था' संजय की मां ने चाय बनाते हुए रसोई से कहा।

'अरे!तो कौन सा हम उसको काम पर भेजे थे,रातभर ऐसे ही आवारगी तो करता रहता है , देखो ना कॉलेज जाने का टाइम हो गया और अभी तक पड़ा है'संजय के पिताजी ने अखबार पढ़ते हुए कहा।

' अरे थोड़ी देर सोने दीजिए ना उसको आपको क्या प्रॉब्लम है कोई काम है तो लाइए हम कर देते हैं'संजय की मां चाय लेकर आई।

'अरे हमको क्या काम होगा ?और वैसे भी कोई काम ढंग से किया है आज तक जो इसको कहे' संजय के पिता ने अखबार मोड़के टेबल पर रखा और चाय का कप लेते हुए कहा।

अचानक एक बाइक ने संजय के दरवाजे पर दस्तक दी ।राहुल ने बाइक संजय के घर के आगे बाइक खड़ी करके उसके शीशे में अपने बाल सेट करने लगा। अब यह हमारी कहानी के दूसरे अहम किरदार हैं ' राहुल भैया ' अब इनकी तारीफ में हम क्या कहे ,हमारे पास तो शब्द नहीं है,नहीं सच में शब्द नहीं है क्योंकि इन्होंने तारीफ वाला आज तक कोई काम ही नहीं किया। इनका जीवन चक्र बस एक ही चीज के आगे पीछे घूमता है' लड़की '।

' संजय ....ओए संजय! क्या कर रहे हो बे कॉलेज के लिए लेट हो रहे हैं जल्दी आओ 'राहुल ने बाइक पर बैठे बैठे कहा।

'लो इसके दोस्त भी तैयार होकर आ गए और इ अभी तक सो रहा है ,अजी जगाइए इसको 'संजय के पिता ने मां से कहा।

'संजय.. ओ संजय खड़ा हो जा, देख  राहुल भी आ गया, कॉलेज नहीं जाना क्या ?'संजय की मां ने उसे जगाते हुए कहा।

' अरे मां.... थोड़ी देर तो सोने दो हमको, उसको कहो की 5 मिनट वेट करे  हम आ रहे हैं। 'संजय ने ऊंघते हुए कहा।

' अब अपने आप खड़े हो जाओ वरना तुम्हारे पापा बाहर ही बैठे हैं अगली बार वही आएंगे उठाने को ' मां ने धमकी दी।

'पापा गए नहीं अभी तक 'संजय की नींद अचानक खुल गई।

'थोड़ी देर में निकलेंगे तुम भी खड़े हो जाओ और नाश्ता कर लो 'मां कमरे से बाहर चली गई।

'जय ..... भोलेनाथ!' संजय ने जोर से अंगड़ाई ली और कमरे से बाहर आया।

'उठ गए जनाब, कहां थे रात भर' पिताजी ने पहला सवाल दागा।

'अरे पापा उ चुनाव आ रहे हैं ना तो नेताजी के साथ थे। कल रात ही पूरे 150 वोट जोड़े हैं' संजय ने सफाई दी।

'तुम अभी भी उस नेता के साथ हो, हमने मना किया था ना इन सब चक्करों में पड़ने से,बेटा राजनीति हमारे बस की चीज नहीं है 'पिताजी ने प्रश्न पूछकर,साथ में अपनी राजनीतिक राय भी दे दी।

' अरे ना पापा आप टेंशन मत लो, हमको कौन सा उ विधायक का चुनाव लड़ना है ,हमको तो बस उ अपना कॉलेज प्रेसिडेंट का छोटा सा चुनाव लड़ना है,अब नेताजी की थोड़ी मदद करेंगे तो उ भी तो करेंगे हमारी' संजय ने तैयार होते हुए कहा।

' देखो बेटा राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। मेरा तो यही कहना है की स्टूडेंट्स को इन सब चीजों से दूर रहना चाहिए, यह तो तुम्हारी पढ़ाई लिखाई की उम्र है इन चीजों में मत पढ़ो और कोई सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू कर दो। देखो उ नारायण का लड़का आबकारी विभाग में लग गया, तुम भी कोशिश करो थोड़ा।' पिताजी ने अपना ध्यान वापस अखबार में लगा लिया ।

' लग गया तो कोनसा अच्छा काम कर लिया...उ पहले खरीद के पिता था अब पकड़कर पिता है ...काम तो पहले वाले ही कर रहा है ना' संजय ने मुंह धोते हुए कहा।

' नारायण का लोंडा दारू पिता है ....हमको तो पता ही नहीं था.... ये तो लेटेस्ट न्यूज है' पिताजी ने मोबाइल निकाला और अपने दोस्तो के वॉट्सएप ग्रुप पर सभी को अपडेट कर दिया।

इतने में मां नाश्ता लेकर आई, पर संजय निकल चुका था। ' अरे! नाश्ता तो करके जा 'मां ने पीछे से कहा।

'हम कॉलेज के लिए लेट हो रहै है वही कैंटीन में कुछ खा लेंगे आप  खा लो' संजय ने गेट खोला और  बाहर निकल गया।

' बताइए जी हम उके लिए 5 बजे उठकर मूंगदाल का हलवा बनाए थे और उ बिना खाए ही चला गया ' मा ने उदास मन से पिताजी से कहा। पिताजी अभी भी व्हाटसएप पर बिजी थे, उन्होंने कहा ' हम्म....गलत बात है दारू नहीं पीना चाहिए....आज कल के लोंडे भी ना... '। मां बाप बेटे दोनों से हताश होकर वापस रसोई में चली गई।

' कहां थे बे इतनी देर ,हमको लेट हो रहा है रास्ते में अंकुश को भी लेना है भाई 'राहुल ने सीट पर पीछे सरकते हुए कहा और हैंडल संजय ने थाम लिया।

'तो तुमको कौन सा उ मुरली सर का लेक्चर लेना है, तुम्हें तो बाहर बैठकर सारे दिन लड़कियों को ही ताड़ना है 'संजय ने किक मारी और बाइक स्टार्ट हो गई।

' तो तुम्हें क्या लगता है कि लड़कियों को ताड़ना कोई आसान काम है क्या ? ,अरे भाई जिगरा चाहिए इसके लिए पता है,  कितनी मुसीबतें झेलनी पड़ती है। सारे दिन उनका पीछा करना ,जूनियर से उनका नाम पता निकलवाना, दूसरी लड़कियों से जुगाड़ करके उनके नंबर निकलवाना फिर  साला  पता चलता है कि उनका तो पहले से ही बॉयफ्रेंड है ,भाई बहुत रिस्क है इस काम में' राहुल ने चलती बाइक की पिछली सीट से कहा।

' हां रिस्क तो है गुरु , कितनी बार तो मरहम पट्टी हम ही किए हैं तुम्हारी ' संजय ने हंसते हुए जवाब दिया।

' तो भाई भगवान का काम करने में थोड़ा बहुत शरीर चोटिल हो जाए तो सह लेना चाहिए' राहुल ने मस्ती में कहा।

' लड़की ताड़ना भगवान का काम कैसा हुआ बे ?' संजय ने पूछा।

' अच्छा बताओ गुरु भगवान ने खूबसूरत चीजें क्यों बनाई ?इसीलिए ना  की हम उनकी खूबसूरती की तारीफ करें और अगर हम उनकी खूबसूरती की तारीफ नहीं करते हैं तो हम भगवान की बनाई हुई चीजों का अपमान कर रहे हैं । इसीलिए हम उसी खूबसूरती  को निहारकर ,उनकी तारीफ कर भगवान का ही काम कर रहे हैं।' राहुल ने शरारती हंसी हंसते हुए कहा।

' हां भाई , मान गए हम गुरु, बहुत ही धार्मिक आदमी हो तुम, साला देश का धर्म कर्म  तुम्हारी वजह से ही तो चल रहा है 'संजय ने हंसकर जवाब दिया।

' अरे हां, एक बात तो बताओ कल तुम उ भगत की चौकी के पास काहे लड़ रहे थे बे?'संजय ने अचानक सवाल पूछा।

'अच्छा उ, अरे रहने दो उ तो हम ऐसे ही' राहुल ने बात पलटते हुए कहा।

'ऐसे तो कुछ नहीं होता गुरु ,बात बताओ हमको पूरी अब तो 'संजय ने जोर दिया।

'अच्छा सुनो तो कल हमको जाना था ,इंटरव्यू देने नोएडा। हम नहा धोके, फर्स्ट क्लास तैयार होकर निकल गए ।हाईवे के लिए जैसे ही हम मुड़ने वाले थे पीछे से एक लड़की स्कूटी लिए हमारे आगे से निकली ,भाई साहब क्या लग रही थी उ । उसके काले काले बाल ,वो आंखे ,पर साला  मुंह पर दुपट्टा लगा रखा था ,तो हमारी गहन इच्छा हो गई कि उसका चेहरा तो देख ही लिया जाए, क्या पता इंटरव्यू अच्छा जाए। तो हमको मुड़ना था बाई तरफ और हम मुड़े दाई तरफ उसके पीछे,  4 km चलने के बाद जब रेड लाइट आई तो उ रुकी, तो हमने सोचा कि जरा पास जाकर चेहरा  देख ले। तो जैसे ही उसने दुपट्टा हटाया तो पता है हमने क्या देखा....' राहुल बोला।

' क्या देखा बे! ' संजय ने उत्सुकता से पीछे मुड़कर पूछा।

' देखा क्या बे साला बाहर से नोरा फतेही ..और..अंदर से राम रहीम'  राहुल ने मायुसता से कहा।

' मतलब?'

'मतलब क्या उ लड़का निकला बे, बाल बढ़ा रखे थे उसने ।साला उसके चक्कर में हमने अपना इंटरव्यू  भी मिस कर दिया। हमारा तो भाई फिर दिमाग ही घूम गया तो हमने बाइक उसकी स्कूटी से ठोक दी और इसी बहाने उसे भी ठोकने लगे ,अब साथ में एक दो लोग और आ गए और वो भी पीटने लगे, उ बेचारे को तो पता भी नहीं था कि उ पीट क्यों रहा है पर हम क्या करते भाई हमारे ऊपर  तो खून सवार था ' राहुल ने पूरी बात बताई।

'अबे हंसाओ मत बे गिर जाएंगे' संजय ने जोर से हंसते हुए बाइक का संतुलन संभाला।

' हां भाई तुम भी उड़ा लो मजाक, तुम हमारा दुख नहीं समझ सकते 'राहुल ने उदासी से कहा।

'तो यार कम से कम लड़की की शक्ल देखकर तो उसके पीछे जाते , तुम तो साले इतना ठरकी हो कि लड़की दिखते ही पगला जाते हो...जरा कंट्रोल करो यार ' संजय ने बाइक अंकुश के घर के आगे खड़ी की। राहुल चुप रहा।

' अंकुश...ओए ! अंकुश आजाओ बे लेट हो रहे हैं जाना नहीं क्या कॉलेज'संजय ने जोर से आवाज दी।

' आ रहे हैं.. आ रहे हैं ' अंदर से एक आवाज आई।

अच्छा अब बात कर लेते हैं हमारे तीसरे और आखिरी अहम किरदार की हमारे ' अंकुश भैया '। पढ़ाई में अव्वल हमारे अंकुश भैया का दिल और सपना तब टूटा जब इनका 'IIT' में सिलेक्शन नहीं हुआ , टेक्नोलॉजी ने उन्हें छोड़ दिया पर उन्होंने टेक्नोलॉजी को नहीं छोड़ा और  घर बैठे ही उन्होंने सारे कंप्यूटर कोर्स, कोडिंग ,हैकिंग, फेकिंग सब सीख ली। अपने मम्मी पापा के इकलौते होने के कारण इनको प्यार भी खूब मिला । इनके दोस्तों के अलावा इन्हें सब भोला भाला ही समझते हैं।

' अरे रुक जाओ... खाके तो जाओ, ओह! संजय बेटा तुम, तुम भी आओ तुम भी नाश्ता करने बैठ जाओ,' अंकुश की मम्मी ने दरवाजा खोलते हुए कहा।

'नहीं आंटी मैं नाश्ता करके आया हूं आप जरा अंकुश को बुला दीजिए हम लेट हो रहे हैं' संजय ने पैर छूते हुए कहा। इतने में अंकुश भी तैयार होकर आ गया और बाइक की पिछली सीट पर बैठ गया।

' ठीक है मम्मी शाम को मिलते हैं, अब चलाओ बे  लेट नहीं हो रहे हो क्या ?' अंकुश ने राहुल और संजय दोनों से कहा

' ठीक है बेटा 'अंकुश की मम्मी ने मुस्कुरा कर कहा' और हा संजय बेटा अंकुश का जरा ध्यान रखना.. ठीक है ना ' अंकुश की मां ने चिंतामग्न होकर कहा।

' हां आंटी जरूर ....आप टेंसन मत लिया करो ... मैं हूं ना इसके साथ ' संजय ने कहा और वापस बाइक स्टार्ट कर दी।

'कहां रह गए थे बे तुम दोनों ? आज तो बहुत लेट किए हो' अंकुश ने पूछा।

' ई  लेट कर दिया हम तो सुबह सुबह ही तैयार हो गए थे' राहुल ने संजय की ओर इशारा किया।

' अरे भाई रात को 3:00 बजे तो घर आया था।अब इंसान को 2- 4 घंटे नींद भी ना ले क्या? 'संजय ने बाइक चलाते हुए कहा।

' काहे ??... उ नेताजी के काम से गए थे क्या ? ' अंकुश ने पूछा

संजय ने सिर हिला कर जवाब दिया। और रेड लाइट देखते ही गाड़ी रोक दी।

' राहुल.. इसको हजार बार कहे है उ नेता से दूर रहें ...पर साला मेरी सुनता कौन है? उ तुमको एक दिन बहुत बुरा फसाएगा ..हम कह रहे हैं ' अंकुश ने राहुल से कहा।

'अरे भाई करना पड़ता है अभी नेता जी चुनाव जीत जाएंगे ना तो अपना चुनाव जितना बहुत आसान हो जाएगा सुना है जिनको वो सपोर्ट देते हैं हर बार वही जीतता हैं, और इस बार अगर हम जीत गए ना तो सच में बवाल कर देंगे, क्रांति आएगी  ..कानपुर में क्रांति...'