धड़ाम !


कानों के पर्दों को हिला देने वाला एक ऐसा भयानक विस्फोट हुआ, जिसने वहां उपस्थित अनेकों प्राणियों को न सिर्फ चौका दिया, बल्कि बुरी तरह भयभीत भी कर दिया।


मेहमान भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे।


इस विस्फोट के सबसे निकट विकास था--- परन्तु वह खतरनाक लड़का भला इतना शरीफ कहां था कि उसकी चपेट में आता !


विस्फोट होते ही उसने भयानक जिन्न की भांति रिक्त वायुमंडल में ठीक किसी नट की भांति दो-तीन कला दिखाई और अगले ही पल वह उस विस्फोट वाले स्थान से सबसे अधिक दूर था।


जब विस्फोट हुआ तो विकास के दाएं-बाएं रैना और रघुनाथ खड़े थे, उन दोनों में से कोई भी कुछ न समझ सका कि यह यकायक क्या हुआ, अत: वे लोग विस्फोट वाले स्थान से दूर भी कुछ न हो सके, परंतु विस्फोट उनके अत्यधिक निकट होने के पश्चात भी उन्हें किसी प्रकार की लेशमात्र भी हानि न पहुंची।


चौंका विजय भी था, किंतु न तो कोई ऐसा कार्य था जो वह करता और न ही वह कुछ समझ सका।


यह विस्फोट अचानक हुआ था। विजय भी सतर्क हो गया था, परंतु इस जोरदार धमाके के उपरांत अन्य किसी नवीन अथवा खतरनाक घटना ने जन्म नहीं लिया।


आज विकास का तेरहवां जन्म दिवस था और इस खतरनाक लड़के के जन्म दिवस पर इस प्रकार की खौफनाक घटना का होना कोई आश्चर्य की बात न थी, क्योंकि उसके प्रत्येक जन्म दिवस पर अपराधी जगत के हीरे यानी एक-से-एक खूंखार अपराधी उसे आशीर्वाद देने आया करते थे और सबसे बड़ी विशेषता ये थी कि उस दिन कोई भी अपराधी इस प्रकार का कोई भी अपराध नहीं करता था, जिससे साधारण जनता को किसी प्रकार की हानि हो, लेकिन आज... यानी इस तेरहवें जन्म दिवस पर वे सभी अपराधी आ चुके थे, जो अक्सर आया करते थे। जिनमें विशेष सिंगही, जैक्सन और अलफांसे इत्यादि हैं। 


ऐसे सभी भयानक अपराधी अपने विचित्र ढंग से विकास को आशीर्वाद देकर चले जाते थे। परंतु अब... यानी सबके पश्चात अब तक समस्त मेहमान निश्चिंत हो चुके थे कि अब कोई नहीं आएगा और इसी भयानक विस्फोट ने न सिर्फ सबको चौंका दिया, बल्कि भयानक आतंक भी फैला दिया था।


हमेशा की भांति समारोह में विजय के साथ उसके दोस्तों के रूप में अशरफ, ब्लैक ब्वॉय और आशा इत्यादि सभी सीक्रेट सर्विस के जांबाज, विजय के पिता ठाकुर साहब और उनकी पत्नी विजय की माताजी इत्यादि सभी उपस्थित थे।


सभी कार्य विकास के पूर्व जन्म-दिवसों की भांति सुचारु रूप से चल रहा था। अबकी बार विजय और विकास की नोंकझोंक हो चुकी थी। विजय ने दो-चार झकझकियां सुनाई तो उत्तर में विकास ने दस-बीस दिलजलियां सुनाकर विजय की बुद्धि का दिवाला निकाल दिया था। 


वैसे विजय जान चुका था कि विकास अपने ढंग का एक अनोखा ही बालक है।


'दहकते शहर' और 'आग के बेटे' नामक इन दो अभियानों में ही विकास ने कुछ इस प्रकार के खतरनाक कारनामे किए थे कि विजय स्वयं उसकी विलक्षण बुद्धि पर दांतों तले उंगली दबाकर रह गया था।


'विकास के बारे में वैसे तो आप परिचित होंगे ही, लेकिन अगर आप मेरा यह उपन्यास पहली बार पढ़ रहे हैं तो आप 'विकास' के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के लिए 'दहकते शहर' और 'आग के बेटे' अवश्य पढ़ें। दोनों ही उपन्यास राजा पॉकेट बुक्स में प्रकाशित हो चुके हैं।


खैर यह भयानक, कानों के पर्दों को कंपकंपा देने वाला विस्फोट उस समय हुआ, जब प्रसन्नता में डूबे समस्त मेहमानों ने विकास को ले जाकर केक के पास खड़ा कर दिया और उसे काटने का अनुरोध किया।


उस समय रघुनाथ और रैना उसके दाएं-बाएं खड़े थे। विजय विकास के ठीक सामने उस लंबी मेज के पास खड़ा था, जिस पर वह केक रखा था।


विस्फोट ठीक उस समय हुआ, जब विकास ने छुरी उठाकर उस केक से स्पर्श की!


बस.. उसी क्षण !


जैसे ही छुरी केक से स्पर्श हुई, अचानक एक भयानक विस्फोट के कारण वह केक चीथड़े चीथड़े हो गया। आग की भी कोई चिंगारी नहीं लपकी ।


इस भयानक विस्फोट के होते ही विकास तो हवा में कला खाता हुआ दूर चला ही गया, परंतु वहां खड़े रह गए मेहमानों में से भी किसी को कोई विशेष हानि न हुई। सिर्फ इसके कि उन सभी की स्थिति हास्यास्पद थी।


हास्यास्पद इसलिए कि विस्फोट के कारण केक के टुकड़े चीथड़ों के रूप में इधर-उधर छिटके और कुछ पास खड़े मेहमानों के चेहरे की शोभा बने हुए थे तो कुछों ने उनके नए कपड़ों के सौंदर्य में चार चांद लगा दिए । -


केक का कोई चीथड़ा किसी की आंख पर जाकर लटक गया तो किसी ने उसके होंठों को बंद कर दिया।


अचानक ठाकुर साहब बोले ।


"अरे! वह क्या?"


विजय के साथ सभी की निगाहें उस ओर स्थिर हो गई, जिधर ठाकुर साहब ने अपने शब्दों के साथ संकेत किया था।


सबकी दृष्टियां एक कागज पर जमी हुई थीं, जो उस मेज के एक कोने पर पड़ा था। कागज ऐसा था, जिस पर साधारण द्रव्य कोई प्रभाव न डाल सके। वह तह किया हुआ था।


विजय ने हाथ बढ़ाकर उसे उठा लिया और खोलकर पढ़ा तो वह इंग्लिश में लिखा था। जिसका हिंदी में अनुवाद कुछ इस प्रकार था ।


'प्यारे कानून के ठेकेदारो!


सर्वप्रथम आप सब लोगों को मेरी तरफ से पुंगी-पुंगी। अब शायद आप लोग सोच रहे हैं कि ये पुंगी-पुंगी क्या बला है ? तो साहबानो... ये कोई बला नहीं बल्कि मेरी भाषा में आप लोगों को प्रणाम है। खैर छोड़िए इस पुंगी-पुंगी की पूंछ को। अब आओ, कुछ काम की बात करें।


हां, तो मैं स्वयं को सिर्फ टुम्बकटू कहता हूं परंतु यार लोगों ने इस टुम्बकटू के आगे कुछ अन्य शब्द लगा दिए हैं। यार लोग इस टुम्बकदू को 'छलावा अपराधी टुम्बकटू? कहते हैं। अब आप सोच रहे हैं कि मैं यहां क्या मटर गुना रहा हूं। तो जनाब, इस प्रश्न का उत्तर सिर्फ ये है कि मैंने ये सुना था कि विकास के जन्म दिन पर विश्व के बड़े-बड़े अपराधी आकर उसे आशीर्वाद देते हैं। और मैं यानी टुम्बकटू यहां इसलिए आया था कि उन महान विभूतियों के दर्शन कर लूं, क्योंकि मैं इस पत्र के माध्यम से धरती के समस्त देशों की सरकार के साथ-साथ अपराधी जगत के भयानक-से- भयानक अपराधी को चैलेंज दे रहा हूं। चैलेंज ये है कि जिसमें भी शक्ति हो, वह मेरा यानी टुम्बकटू का खून कर दे!


शायद आप मेरे विचित्र चैलेंज को सुनकर फिर चौक पड़े ! चौंकिए नहीं जनाब, घबराइए भी नहीं! मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि संसार का कोई भी प्राणी टुम्बकटू का खून नहीं कर सकता। मेरा खून करने में किसी प्रकार की बंदिश भी नहीं है, खून एक व्यक्ति भी कर सकता है और अनेक भी। धोखे से भी कर सकते हो! पूरी फौज भी कर सकती है और पूरा देश भी। बस न चले तो समूचा विश्व भी मेरा खून करने का प्रयास करे...


अब आप लोग सोच रहे होंगे कि मेरा खून करने से आप

लोगों को क्या लाभ होगा? तो जनाब! मेरा खून करने पर लाभ इतना होगा कि समूचे विश्व के लिए मैं अपने पीछे एक ऐसी वस्तु छोड़ जाऊंगा, जो विश्व के लिए न सिर्फ अत्यधिक उपयोगी बल्कि ऐसी वस्तु होगी, जिसे प्राप्त करके धरती का मानव शायद ईश्वर बन जाए। वास्तव में मेरे पास एक नहीं बल्कि अनेक ऐसी वस्तुओं का खजाना है, जिसे प्राप्त करने के पश्चात मानव ईश्वर को भी परास्त कर सकता है। उस एक विशेष वस्तु के साथ-साथ उस खजाने में इतना धन भी है कि... सच मानना, उस धन से समस्त विश्व को खरीदा जा सकता है। इतना धन है कि समूची धरती का धन भी एकत्रित कर लिया जाए तो उसका दसवां भाग भी न बैठे। यह धन हीरो और पन्नों के रूप में है। आप लोग अभी तक सिर्फ कोहिनूर हीरे को ही सर्वश्रेष्ठ हीरा मानते हैं परंतु जब उस खजाने में पड़े अरबों हीरों को देखोगे, जो एक-से-एक बढ़कर हैं, तो कोहिनूर का हीरा महज कांच का टुकड़ा प्रतीत होगा। उस खजाने में इतनी धनराशि है कि आप लोग कल्पना भी नहीं कर सकते। साथ ही एक ऐसी वस्तु भी है जिसे प्राप्त करने के पश्चात निश्चित रूप से, आप सच मानिए, मानव ईश्वर से भी कहीं अधिक महान बन जाएगा, इंसान भगवान पर विजय प्राप्त कर लेगा। इस बात को सच मानिए कि वास्तव में मैं एक ऐसे खजाने का पता जानता हूं। लेकिन सावधान!


ये मत समझो कि यह खजाना तुम्हें इस सरलता से प्राप्त हो जाएगा। इस खजाने तक पहुंचने हेतु नक्शा अथवा मार्ग के विषय में समूची जानकारी मेरे पास है, जो सिर्फ मेरी हत्या करने के पश्चात ही प्राप्त हो सकता है। क्योंकि उस नक्शे की माइक्रोफिल्म को मैंने ऑपरेशन करके अपनी दाई जांघ में छुपा लिया है। यूं तो आज यहां मैंने सिंगही, प्रिंसेज ऑफ मर्डरलैंड यानी जैक्सन और अलफांसे जैसे अपराधी जगत के अनेक हीरों को देखा और वास्तविकता ये है कि मुझे उनमें से किसी में भी ऐसी विशेषता नजर नहीं आई, जिसके कारण मैं यह मान सकूं कि वे वास्तव में अपराधी हैं। वैसे उसे मैं अपने दिल से बहादुर मानूंगा, जो मेरे जीवित रहते हुए ही मेरी जांघ में रखी उस माइक्रोफिल्म तक पहुंच जाएगा। मैं ये भी वादा करता हूं कि जो मेरे जीवित रहते हुए मेरी जांघ से फिल्म निकाल लेगा, मैं दिल से उसे अपना गुरु मानकर हमेशा उसके गुलाम की भांति रहूंगा।


एक अन्य बात और भी कहना चाहता हूं। वह यह कि मैं खुलेआम सड़कों पर घूमूंगा, किसी में भी अगर प्रतिभा है तो अपनी इच्छानुसार किसी भी प्रकार वह माइक्रोफिल्म प्राप्त कर ले। में एक बार फिर समूचे विश्व को चैलेंज करता हूं कि अगर समूचा विश्व भी संगठित होकर इस नक्शे को प्राप्त कर सके, तो करे। अच्छा प्यारे विश्व - निवासियो, अब फिलहाल पत्र बंद कर रहा हूं। सुट्टम-सुट्टा... अंतिम शब्द का अर्थ मेरी भाषा में विदाई है।


विश्व का दुश्मन, छलावा अपराधी --- टुम्बकटू।'