देवराज चौहान और जगमोहन को शंकर भाई के बंगले पर किसी ने नहीं रोका। जाहिर था कि उनका हुलिया बताकर, वहां मौजूद गनमैनों को उनके आने की खबर दे दी गई थी। एक नौकर दोनों को पहली मंजिल पर स्थित शंकर भाई के ड्राईंग रूम में छोड़ गया। वहां शंकर भाई और द्वारका मौजूद थे। ।
देवराज चौहान और शंकर भाई की नजरें मिलीं"बहुत गलत किया तूने देवराज चौहान। बैठ-बैठ जगमोहन तू भी बैठ | "
दोनों बैठे।
शंकर भाई उनके सामने सोफा चेयर पर था।
चंद कदम दूर कुर्सी पर सतर्क अंदाज में द्वारका बैठा था।
"वैसे बहुत हिम्मत है तेरी कि इतना बड़ा गुल खिलाकर भी फिर यहां आ गया।" शंकर भाई की आवाज में तीखापन था-"जिंदा नहीं जाएगा तू यहां से। जगमोहन को साथ लाकर तूने उसे भी.. मुसीबत में डाला।"
देवराज चौहान ने शांत भाव में सिगरेट सुलगाई ।
"तेरा कहना है कि मैं यहां आया। आदमियों के साथ आया और तेरे गनमैनों को मारकर, तिजोरी ले गया।
"मेरा नहीं कहना। मैं कह रहा हूं। ये सच है। तूने ऐसा किया देवराज चौहान।
"और इस बात का तेरे पास सबूत भी है। " देवराज चौहान का स्वर शांत था ।
“तभी तो ठोक बजाकर बोल रहा हूं। "
"सबूत दिखा।"
शंकर भाई के चेहरे पर मुस्कान उभरी।
"सबूत देखकर यह जानना चाहता है कि कहां पर गलती हो गई तेरे से—।"
देवराज चौहान भी मुस्कराया।
"नहीं। मैं यह देखना चाहता हूं कि ऐसी क्या चीज है, जिसकी बिनाह पर, शंकर भाई जैसा इंसान धोखे में आकर मेरी तरफ उंगली उठा रहा है। जाहिर है, सबूत के तौर पर कोई खास चीज ही होगी। "
"शंकर भाई।" द्वारका सख्त स्वर में बोला—"ये तो आपको लपेट रहा है।"
"मेरे को लपेटना आसान होता तो जाने कब का लिपट गया होता। " शंकर भाई ने कड़वे स्वर में कहा— "जा, इसके कारनामों का टोकरा लेकर आ दिखा इसे सीधे सीधे मानने वाला नहीं।" द्वारका उठा और बगल में ही, बेडरूम में चला गया।
“मैं तेरे को छोड़ने वाला नहीं। लाश जाएगी यहां से बाहर तेरी—। " शंकर भाई ने कहर भरे स्वर में कहा।
देवराज चौहान मुस्कराया।
“शंकर भाई।" जगमोहन के होंठ भींच गए "तू बार-बार धमकी दे रहा है। तेरे मुंह से ये बात ठीक नहीं लगती और हमें ऐसी बातें सुनने की आदत भी नहीं है। "
"तो फिर क्या करूं?" शंकर भाई ने उसे घूरा। "रिवॉल्चर निकाल और हम दोनों को गोली मार दे।" जगमोहन ने उसकी आंखों में झांका।
"ये ही होगा। ये ही होने वाला है अब। तभी द्वारका भीतर आया। उसने हाथ में तस्वीरें थाम रखी थीं। जो कि उसने देवराज चौहान को थमाई। देवराज चौहान और जगमोहन ने तस्वीरें देखीं।
देवराज चौहान के होंठ सिकुड़ गए।
“ये... ये तस्वीरें तो तब की हैं, जब तिजोरी खोली गई थी। " जगमोहन अजीब से स्वर में बोला।
"हां। तभी की हैं। " शंकर भाई खतरनाक स्वर में कह उठा— "आ गए ना लाइन पर क्या अब भी कहते हो कि तिजोरी तुम लोग नहीं ले गए। अब भी...।"
देवराज चौहान ने तस्वीरें टेबल पर रखते हुए कहा।
"तिजोरी में कैमरा लगा रखा था?"
"हां। तुम जैसे आस्तीन के सांपों के चेहरे देखने के।"
“शंकर भाई।" जगमोहन दांत भींचकर कह उठा –"तमीज वाले शब्दों का इस्तेमाल कर। हम तेरी रोटी नहीं खाते जो, तू हमें आस्तीन का सांप बोलता है। कल को जरूरत पड़ी तो तू द्वारका को आस्तीन का सांप बोल सकता है। हमें नहीं। ऐसे शब्द सुनने की हमें आदत नहीं।"
शंकर भाई का चेहरा गुस्से से सुर्ख हो उठा।
"तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे से इस तरह बात करने...
“शंकर भाई अभी तूने मेरी हिम्मत देखी ही कहां है। " जगमोहन का चेहरा गुस्से से सुर्ख पड़ गया – "अगर इसी तरह बदतमीजी से बोलता रहा तो हिम्मत भी देख लेगा तू सोचता है, तू दूसरों के सिर पर डंडा मारे और डंडा खाने वाला अपनी पीठ भी आगे कर दे। तेरी।"
तभी द्वारका के हाथ में रिवॉल्वर नजर आने लगी ।
"देखा।" जगमोहन ने खा जाने वाली निगाहों से द्वारका को देखा—"घर में तो कुत्ता भी शेर होता है। बाहर मिला होता तीर की तरह सीधा खड़ा रहता रिवॉल्वर न निकालता और तू रिवॉल्चर निकालकर क्या साबित करना चाहता है। शंकर भाई से पूछकर गोली मारेगा या बिना पूछे हम पर गोली चलाने की औकात है तेरी। रिवॉल्चर मेरे पास भी है। दिखाऊं क्या, गोली चलाने के लिए मेरे को किसी से पूछना नहीं पड़ता। "
द्वारका ने दांत भींचे शंकर भाई की इजाजत लेने वाले अंदाज में देखा।
गुस्से में डूबे शंकर भाई कि निगाह देवराज चौहान पर जा टिकी। जो शांत भाव से शंकर भाई को देख रहा था। उसके चेहरे पर किसी तरह का नहीं था।
“शंकर भोई—। " देवराज चौहान बोला- "हम खुद तुम्हारे पास आए हैं। तुमने हमें बुलावा नहीं भेजा और जिस बात के लिए आए हैं। हमें वह बात तो कर लेने दो। अगर तुम इसी तरह, जो मन में आया, बोलते रहे तो ये बात यहीं रह जाएगी और कोई नया मामला ही उठ खड़ा होगा।"
शंकर भाई दांत भींचे देवराज चौहान को देखता रहा।
"द्वारका को बोल, रिवॉल्वर जेब में डाल ले। "देवराज चौहान ने का।
शंकर भाई ने हाथ से इशारा किया तो द्वारका ने रिवॉल्वर जेब में डाल ली।
कुछ पल खामोशी में ही बीत गए।
देवराज चौहान ने पुनः बात शुरू की।
“तिजोरी में कैमरा लगा था। "
"हां। " होंठ भींचे शंकर भाई बोला" और भी कुछ पूछना है क्या ?”
“मतलब कि वो तिजोरी तेरे को मिली। उसमें मौजूद कैमरे की फिल्म से ये तस्वीरें बनाई। "
"हां। " शंकर भाई देवराज चौहान को घूरे जा रहा था। "ये तस्वीरें तब की हैं, जब सोहनलाल ने तिजोरी को खोला और वहां मौजूद सबने तिजोरी में झांककर देखा की भीतर क्या है। " देवराज चौहान ने कहा।
"ठीक बोला तू। क्या अब भी तू कहता है कि तिजोरी तूने नहीं उठाई यहां से?"
"हां। इन सब बातों से ये कैसे जाहिर होता है कि तिजोरी मैंने बंगले से उठाई है। " देवराज चौहान बोला।
“मतलब कि तूने नहीं उठाई। "
"नहीं।”
“‘‘तो फिर तेरे को तिजोरी कहां से मिली।" शंकर भाई के दांत भींच गए।'
"थापर को जानता है?"
“थापर, कौन, वो ड्रग्स माफिया किंग जो आजकल मिलें लगाकर शरीफों की जमात में आ रहा है। "
“वही थापर, उसके दो आदमी बांकेलाल राठौर और रुस्तम राव तिजोरी को मेरे पास लेकर आए थे, सोहनलाल से तिजोरी खुलवाने ।"
सोहनलाल ने तिजोरी खोली, जिसके नतीजे में ये तस्वीरे तेरे सामने हैं। " कहने के साथ ही देवराज चौहान ने कश लिया।
शंकर भाई की आंखें सिकुड़ीं।
"सच बोलता है तू?"
"ये बात झूठ कहां से लगती है तेरे को। "
शंकर भाई ने द्वारका पर निगाह मारी फिर देवराज चौहान को देखकर बोला।
"तो थापर के आदमियों ने बंगले से तिजोरी। "
"नहीं। उन्होंने बंगले के भीतर कदम भी नहीं रखा।" शंकर भाई के दांत भींच गए।
"देवराज चौहान में ये जानना चाहता हूं कि मेरे गनमैनों को शूट करके, बंगले से तिजोरी कौन ले गया।" शंकर भाई की आवाज में दरिंदगी उभर आई थी।
"ये सवाल तेरे को सबसे पहले पूछना चाहिए था।"
"नहीं पूछा?"
"नहीं। तू तो मेरी तरफ उंगली उठाता रहा। सीधी तरह से बात तो तूने की ही नहीं। "
शंकर भाई देवराज चौहान को घूरता रहा।
"तेरे को पहले से ही मालूम था कि तिजोरी पर कोई हाथ मार सकता है। " देवराज चौहान बोला..
"इस बात का अंदाजा कैसे लगाया ?"
"फाइल की वजह से तिजोरी उठाई गई। लेकिन वो फाइल खाली मिली।" देवराज चौहान ने कहा।
"तो तेरे को मालूम है बंगले से तिजोरी कौन ले गया ?"
"हां। "
"कौन?"
"मोना चौधरी "
"मोना चौधरी?" शंकर भाई के माथे पर बल पड़े।
"दिल्ली अंडरवर्ल्ड की खतरनाक शह कहा जाता है उसे।" देवराज चौहान के होंठों पर मुस्कान उभरी।
शंकर भाई के चेहरे पर अजीब से भाव उभरे।
"तुम्हारा मतलब कि मोना चौधरी मुंबई में है।"
"झूठ बोल रहे हो। " शंकर भाई ने देवराज चौहान की आंखों में झांका ।
देवराज चौहान के चेहरे पर कठोरता उभर आई।
“शंकर भाई। " देवराज चौहान के चेहरे पर दरिंदगी उभरी- "दोबारा कभी मुझे मत बोलना कि मैं झूठ बोल रहा हूं। जो मैंने कहा है, सिर्फ उसी पर ध्यान दो। "
शंकर भाई कई पलों तक देवराज चौहान को देखता रहा।
"ठीक है। माना कि वो दिल्ली वाली मोना चौधरी मुंबई में है। वो ही मेरे बंगले पर आई, उसने ही मेरे गनमैनों को शूट किया।" शंकर भाई गंभीर स्वर में कह रहा था— "ये तुम कह रहे हो। मैं नहीं कह रहा। इस बात का तुम्हें विश्वास दिलाना होगा कि मोना चौधरी मुंबई में है। बताओ वो कहां है। बाकी बातें मैं उससे मिलकर कर लूंगा।"
"मैं क्यों विश्वास दिलाऊं तुम्हें मोना चौधरी मुंबई में है और कहां है?"
"तुमने ये विश्वास नहीं दिलाया तो मैं यही सोचूंगा कि तुमने झूठ बोला। बेशक मैं तुम्हें इसके अलावा और कुछ न कहूं। लेकिन मेरे दिमाग में ये बात तो रहेगी कि देवराज चौहान झूठा है।"
देवराज चौहान के दांत भींच गए।
जगमोहन तीखे स्वर में कह उठा।
"मोना चौधरी के साथ दो खास साथी पारसनाथ और नीलू महाजन भी हैं। "
"इन दोनों के हुलिए बताना।" द्वारका फौरन बोला। जगमोहन ने पारसनाथ और महाजन के हुलिए बताए ।
द्वारका ने फौरन शंकर भाई को देखा।
"इनमें से एक आदमी का हुलिया वही है जो डॉक्टर ने बताया था कि वो आदमी घायल को लेकर आया था। जगमोहन इसका नाम पारसनाथ बताता है। "
शंकर भाई की निगाह देवराज चौहान पर ही रही।
"देवराज चौहान, हम ये बात यहीं खत्म करते हैं। अगर तुम सच हो तो, मुझे इस बात का विश्वास दिला देना कि मोना चौधरी मुंबई में है नहीं तो मैं यहीं समझंगा कि, तुम मुझे झूठ बोले।"
"ये तो जबर्दस्ती की बात हम पर लाद रहा है।" जगमोहन ने उखड़े स्वर में देवराज चौहान से कहा।
"अंडरवर्ल्ड का दादा है। " देवराज चौहान उठते हुए बोला। "उसी ढंग से बात करेगा। "
जगमोहन भी उठ खड़ा हुआ।
"देवराज चौहान। " शंकर भाई गंभीर स्वर में कह उठा-"मैं जानता हूं तू मेरे से तो क्या, बड़े डॉन जोगी बिंदा से भी नहीं डरता तेरी इस खास बात पर मैं हमेशा फिदा रहा हूं। कोई बंदिश नहीं है मेरी तरफ से कि तू मोना चौधरी के बारे में मुझे बताए। लेकिन कायदा तो यही कहता है कि तिजोरी खुलने पर तुम लोग ही सामने आए। तुम लोगों की तस्वीरें ही कैमरे ने कैद कीं। इसलिए मेरी निगाहों में, जैसे भी हो, खुद को बेगुनाह साबित करो मैं गलत नहीं हूं। आराम से सोच लेना।"
"मैं तेरी बात से इत्तफाक नहीं रखता शंकर भाई।" जगमोहन बोला "सच बात तेरे को बता दी। मोना चौधरी कम से कम इस वक्त तो मुंबई में ही है। सच जानना है तो उसे ढूंढ ले। "
शंकर भाई कुछ कहने लगा लेकिन देवराज चौहान बाहर जाने वाले दरवाजे की तरफ बढ़ता चला गया। शंकर भाई ने उसे नहीं रोका। जगमोहन ने शंकर भाई के चेहरे पर निगाह मारी वो भी बाहर निकल गया।
द्वारका फौरन बोला।
"शंकर भाई देवराज चौहान गया।
"हां" शंकर भाई गंभीर था।
"लेकिन बात तो किसी किनारे नहीं लगी।" द्वारका कह उठा "देवराज चौहान बंगले पर नहीं आया था तिजोरी लेने।" शंकर भाई ने विश्वास भरे स्वर में कहा।
"ये आप कैसे कह सकते हैं। "
"एक तेरी बात डॉक्टर वाली कि उनके पास मोना चौधरी का साथी घायल को लाया था जिसका नाम पारसनाथ बोला तूने और देवराज चौहान का हाथ बंगले में आने के मामले में होता तो वो झूठ नहीं बोलता । हो ही कहता और कभी भी इस तरह जगमोहन के साथ यहां न आता, यहां जान का खतरा था अगर कहीं जरा भी ऊंच-नीच हो जाती। जो भी हो, इस मामले में देवराज चौहान सच्चा है।"
"तो फिर अब क्या होगा। मोना चौधरी के बारे में आप क्या करेंगे?" द्वारका ने कहा।
"कुछ तो होगा। " शंकर भाई भिंचे होंठों से बोला "मोना चौधरी का कोई तो इंतजाम करना ही होगा।"
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