अगला दिन!


कयामत का सूचक... कहर का दिन !


अशरफ की पीठ पर मोहर लगाकर उसे मर्डरलैंड का नागरिक बना दिया गया था। यह भी वह जान चुका था कि मर्डरलैंड के साधारण नागरिक के सामने हथियार प्रयेग करने वाले को भयानक ढंग से मौत की सजा दी जाती है अत: उसे प्रत्येक खतरे का सामना निहत्थे ही करना था जबकि अभी तो यह भी पता न था कि खतरा है किस रूप में !


मैदान में काफी संख्या में विंगेट खड़े हुए थे। उनके हाथों में टामगिनें थीं और उनकी दृष्टि इन्हीं चारों शातिरों पर थी । अचानक जानी-पहचानी संगीत की लहरें और फिर सिंहासन पर बैठी प्रिंसेज जैक्सन का आगमन ! मर्डरलैंड के समस्त निवासियों का उठकर श्रद्धा से झुक जाना और जैक्सन का आशीर्वाद देना ! सभी कुछ दोहराया गया ।


प्रिंसेज जैक्सन का सिंहासन स्टेज से ऊपर हवा में लहर रहा था।


-"हां तो मिस्टर अशरफ और मर्डरलैंड के निवासियो, अब आप लोगों के समुख मौत आ रही है जिससे मिस्टर अशरफ, आपको टकराना है। "


और फिर !


सभी चौंके! भयानक और आश्चर्यपूर्ण सिसकारियां मैदान में गूंज गई ।


वास्तव में अगले ही पल जो वस्तु स्टेज पर प्रकट हुई थी, वह साक्षात मौत ही थी ।


मेढक इंसान!


तभी अशरफ चौंका... उसे लगा जैसे उसके पीछे भी कोई भैंसा सांस ले रहा हो । वह फुर्ती के साथ घूमा...पीछे देखकर उसकी आंखें विस्मय से फैल गई। पीछे भी एक 'मेढक इंसान' मौजूद था- जो निरंतर अपनी मोटी-मोटी आंखों से उसे ही घूर रहा था ।


बड़े ही घिनौने जीव थे ये दोनों.. . ऐसी तीव्र दुर्गंध फैल गई जैसे सड़ी हुई लाश से आती है ।


विकास तो रोमांचित हो गया था इन मेढक इंसानों को देखकर.. उस लड़के की आंखों में खून उतर आया था ।


ऐसा लगता था जैसे अंदर ही अंदर उसका खून खौल रहा हो ।


जैक्सन के प्रति तीव्र घृणा ।


धीरे-धीरे अशरफ की आंखों में दृढ़ता उभर आई.. आंखें लहू से लाल हो गई.. जबड़े शक्ति के साथ भिंच गए और उसने इन मेढक इंसानों से टकराने का दृढ निश्चय कर लिया ।


अब अशरफ कुछ ऐसे कोण पर आ गया जहां से वह दोनों मेढक इंसानों पर नजर रख सकता था। वे दोनों ही अपलक उसे घूर रहे थे ।


सहसा, एक जीव झपटा... इस बार अशरफ ने भी एक साहसी कार्य किया. इस बार वह उठा नहीं बल्कि अपने हाथ का कोट उसने फुर्ती के साथ उस जीव के मुंह पर लपेट दिया-किंतु तभी उसके कंठ से एक भयानक चीख निकली, उसे अपनी भूल का अहसास हुआ ।


हुआ यह कि अशरफ ने जैसे ही कोट उस मेढ़क मानव के मुंह पर लपेटा, अभी वह संभल भी न पाया था कि दूसरा जीव उस पर झपटा - उस जीव के पंजे अशरफ की पीठ से टकराए-तभी उस जीव ने जिसे उसने कोट में लपेट रखा था- एक तीव्र झटका दिया। इतना तीव्र झटका कि वह स्टेज के एक कोने में जाकर गिरा ।


अशरफ के कंठ से एक हृदयविदारक चीख निकल गई क्योंकि उसकी पीठ का काफी मांस उस मेढक इंसान के पंजों में दब गया था जिसने उसके पीछे से जम्प ली थी ।


मेढक इंसान के मुंह से एक विचित्र - सी हर्षपूर्ण किलकारी निकली और वह तेजी के साथ मांस खाने लगा-मांस में से गाढ़े लहू की बूंदें टपक रही थी । अशरफ भयानक पीड़ा के कारण चीख रहा था ।


दूसरे जीव ने एक झटके के साथ कोट दूर फेंक दिया और फिर अशरफ पर जम्प लगाई । अशरफ ने लाख प्रयास किया कि वह फुर्ती से बच जाए- किंतु पीड़ा के कारण वह सफल न हो सका ।


परिणामस्वरूप दूसरा जीव भी उसके ऊपर आकर गिरा । अगले ही पल !


अशरफ की करुणापूर्ण चीख- - बड़े ही दयनीय ढंग से चीखा था वह ।


दूसरे जीव ने एक झपट्टे में उसके पेट का ढेर सारा मांस नोंच लिया... खून की धाराएं बह गई... अशरफ निरंतर चीख रहा था.. .चिल्ला रहा था-किंतु निर्रथक । -


वह मेढक इंसान भी अशरफ के मांस को बड़े चाव से खा रहा था।


चीखता हुआ अशरफ उठा.. -उफ् ! अशरफ मृतप्राय था, विजय को लगा कि अशरफ का अंत होने जा रहा है ।


उसकी पीठ और पेट थ समस्त मांस उधड़ा हुआ था, वहां से खून की धाराएं बह रही थी । सफेद हड्डियां चमक रही थी । वह लड़खड़ाया, स्वयं को खड़ा न रख सका और धड़ाम से गिरा। बहुत ही डरावनी और हृदयविदारक चीखें निकल रही थी उसके कंठ से ।


ऐसा लगता था जैसे अशरफ अब बचेगा ही नहीं । उसमें इतनी शक्ति भी शेष न थी कि स्वयं से खड़ा भी रख सके, तो भला वह अब इन जीवों से कैसे मुकाबला करेगा?


फर्श पर पड़ा वह कराह रहा था । चीख रहा था, चिल्ला रहा था।


इस बार जीव ने एक पंजे से अशरफ का गला नोंचा, अन्य दूसरे ने अन्य स्थानों का मांस! सभी कुछ भयानक था, अत्यंत भयानक ... वास्तव में ये जीव साक्षात मौत थे ।


अशरफ निरंतर चीखकर अपने जीवन की भीख मांग रहा था ।


विजय... आज पहली बार उसे मालूम हुआ कि भावनाएं भी कुछ होती हैं-अशरफ़ उसकी आंखों के सामने दम तोड़ रहा था और वह असहाय था । आशा की आंखों में तो आंसू आ गए, अलफांसे का चेहरा पत्थर की भांति सख्त थाकितने मजबूर थे ये सब ?


विकास... उस लड़के की आंखों में खून उतर आया । जोश से उसके हाथ-पैर कांपने लगे... दस वर्ष के उस लड़के के दिमाग में ये करुणापूर्ण दृश्य जमता जा रहा था । वह विजय की गोद में बैठा हुआ था और हां - स्वयं को संभाल नहीं पा रहा था ।


इधर दूसरेवालेजीव ने हाथ का मांस समाप्त किया और अशरफ की ओर देखा ।


किंतु इससे पूर्व कि वह अशरफ पर झपटे ।


विकास का एक हौलनाक कारनामा !


दस वर्ष के उस लड़के की खौफनाक हरकत!


विजय और अलफांसे भी कांप गए । वास्तव में शैतान था वह लड़का - भयानक मौत से टकराने वह दस वर्ष का लड़का हवा में उछला था । उफ् कितना भयानक कारनामा । मौत को गले लगाने का ये साहस विकास में कहां से आ गया?

हुआ ये था कि अन्य कोई क्या, स्वयं विजय भी कुछ न समझ ये सका था कि विकास उसकी गोद से निकलकर भयानक ढंग से हवा में लहराया.. . स्वयं अलफांसे कुछ न समझ सका । यह लड़का उनकी कल्पना की सीमाओं से बाहर जा रहा था।-उसने विकास को सब-कुछ सिखाया तो था- किंतु इस प्रकार साक्षात मौत से टकराने के लिए नहीं... इस प्रकार से मौत के साथ होली खेलने के लिए नहीं ।


वह भयानक फुर्ती से हवा में लहराया इससे पूर्व कि कोई कुछ समझ सके- उसने एक तीव्र झटके के साथ पास ही खड़े विंगेट से टॉमीगन छीन ली ---- विंगेट को क्योंकि इस बात का तनिक भी अहसास न था - अत: वह विकास का विरोध न कर सका ।


अगले ही पल... पलक झपकते ही ।


... 'रेट... रेट... रेट !'


टामीगन गूंज उठी ।


समस्त गोलियां दोनों जीवों के जिस्मों में समा गई ।


उनके कंठों से भयानक डकारें निकलीं-- साथ ही उनका अंत हो गया ।


सभी विंगेटों की टामीगनें विकास की ओर तनीं- इससे पूर्व कि वे फायर करेंजैक्सन का आदेश थानहीं, कोई गोली न चलाए ।"


सबके हाथ ठिठक गए ।


किंतु इधर विकास... मानो साक्षात यमराज उसके सिर पर थे... शैतान से भी भयानक हो उठा था वह दस वर्ष का लड़का । विजय और अलफांसे उसके हैरत अंग्रेज कारनामे को देख रहे थे।


क्षणमात्र में विकास की टामीगन का मुंह जैक्सन की ओर घूम गया ।


'रेट... रेट... रेट !'


गोलियां जैक्सन की ओर बढ़ीं ।


किंतु परिणाम आश्चर्यपूर्ण... गोलियां जैक्सन तक नहीं पहुंची-बल्कि बीच में ही बर्फ के टुकड़ों में बदलकर स्टेज पर जा गिरीं ।


विकास की आंखें आश्चर्य से फैल गई-- किंतु विजय जानता था कि यह सब 'ठंडी गैसों' के कारण है और बस ! इससे आगे विकास कुछ न कर सका ।


जैक्सन के आदेश पर उसे विंगेटों द्वारा पकड़ लिया गया । समस्त मैदान में मौत जैसा सन्नाटा था । सभी आश्चर्यपूर्ण निगाहों से उस लड़के के रूप में एक खतरनाक शैतान को देख रहे थे ।


"मिस्टर विजय!" जैक्सन बोली- ' 'देखा तुमने अपने भतीजे के इस कारनामे को.. किंतु ध्यान होना चाहिए कि मर्डरलैंड में हथियारों का प्रयोग निषेध है और इस कानून को तोड़ने वाले को भयंकर सजा दी जाती है विकास ने यह अपराध भरे मैदान में किया है अत: कल विकास को भयानक मौत के रूप में सजा दी जाएगी।" -


विजय, आशा और अलफांसे के तो मानो होश ही उड़ गए, अशरफ चीखता-चीखता बेहोश हो गया था । विकास की भोली-भाली आंखें अभी तक खून उगल रही थीं ।


- "मर्डरलैंड के निवासियों-कल इसी समय मैदान में विकास को उसके अपराध की सजा दी जाएगी। जैसा कि आप जानते हैं इसी अपराध का एक अपराधी एबनर - जो हमारी कैद में है- पहले उसे सजा दी जाएगी और फिर विकास को ।" सब हक्के-बक्के-से प्रिंसेज जैक्सन के शब्द सुनते रहे । 'मिस्टर विजय... काश विकास तुम लोगों की भांति बुद्धिमान होता तो इस प्रकार की हरकत कभी न करता । तुम क्योंकि बड़े हो, बुद्धिमान हो, तुम्हें मालूम था कि विंगेट हम पर नजर रख रहे है जुम जानते हो कि हथियार प्रयोग करने की सजा कितनी भयानक है -इसलिए तुम सब-कछ देखते रहे किंतु विकास में अभी क्योंकि बालक बुद्धि है... उसमें अपना अच्छा-बुरा सोचने की बुद्धि नहीं है इसलिए उसने सब बातों को ध्यान से निकालकर सिर्फ अपने वे जौहर दिखाए जो मिस्टर अलफांसे ने उसे सिखाए थे।" -


वास्तव में विजय और अलफांसे को भी प्रिंसेज की बात जमी । वास्तव में इतनी छोटी उम्र में बालक को अपने जौहर दिखाने की जिज्ञासा रहती है अपना अच्छा-बुरा सोचने की बुद्धि नहीं । बालक बुद्धि के कारण ही विकास ने यह अपराध कर दिया था ।


विजय, अलफांसे, आशा और घायल - बेहोश अशरफ को वहीं लाया गया जहां वे रहते थे। कई डॉक्टर अशरफ की चिकित्सा कर रहे थे । -


विकास को उनसे अलग मालूम नहीं कहां ले जाया गया था ।


मैदान के बीचोंबीच! एक हौज था.. .विशाल वर्गाकार हौज । हौज की एक भुजा की लम्बाई बीस फीट तो रही ही होगी । इसमें पदार्थ कोई गाढा तरल पदार्थ भरा हुआ था जिसमें बुलबुले उठ रहे थे और निरंतर भाप उठ रही थी ।


उसके तीन ओर विचित्र - सी कर्सियां रखी हुई थीं- किंतु चौथी ओर का स्थान रिक्त था, कुर्सियां काफी हद तक भर गई थीं ।


आज यहां अजीब-सा रोष था...यहां एबनर और विकास को हथियार प्रयोग करने के अपराध में भयानक सजा देने का आयोजन किया गया था ।


इस हौज के ठीक ऊपर, ठीक हौज के क्षेत्रफल की एक छत थी... लाल लोहे की छत ! छत के बीचोंबीच थोड़ा-सा रिक्त स्थान था ।


अशरफ अभी स्वस्थ नहीं हुआ था अतः उसे वे लोग निवास स्थान पर ही छोड़ आए थे। उसने काफी जिद की थी किंतु वह आने की स्थिति में न था । विजय, अलफांसे और आशा सबसे अग्रिम सीटों पर बैठे थे लेकिन आपस में कुछ बोल नहीं रहे थे । आश्चर्य ये था कि हमेशा बोलने वाला विजय भी इस समय शांत था । न जाने क्या-क्या विचार उनके दिमागों में आ रहे थे ।


एक औरत के पति की मृत्यु हो गई। उसकी बुद्धि हुई तो पति को जिंदा करने के लिए दूसरों के बच्चों की बलि देने लगी । पर उसे मालूम नहीं था कि किसी की आंखें सपनों में उसकी करतूतें देख रही हैं। फिर सपने देखने वाले और उस औरत के बीच जंग शुरु हुई, मगर वो तो सिर्फ बहाना थे, असली जंग तो माता दुर्गा और डायन के बीच थी और जब मां जगदम्बा अपने रौद्र रुप में आई तो काली शक्तियों के चेहरे सफेद पड़ गए।