भट्टाचार्य और राजदान का वफादार चीफ एकाउंटेंट समरपाल भी यही चाहता है।' तब, अखिलेश ने उसे पूरी स्कीम समझाई । ववलृ को हवालात से फरार करने की स्कीम | उसके मां-बाप को उठाने की स्कीम और फिर... फर्जी लेटर के साथ खुद भी आ धमका। यहां मैं स्पष्ट कर देना चाहूंगा --- अखिलेश के असली इरादे की भनक भट्टाचार्य, वकीलचंद और समरपाल को भी नहीं थी । वे बेचारे तो यही सोच रहे थे--- वे अपने यार के हत्यारे से बदला लेने के मिशन पर काम कर रहे हैं। वे तो सोच भी नहीं सकते थे --- बदले के मिशन की आड़ में दिव्या से अपनी पुरानी खुंदक निकाल रहा है।  


“वकीलचंद और भट्टाचार्य को राजदान और अखिलेश के झगड़े के बारे में नहीं पता था ?” 


“राजदान साहब ने कभी बताया नहीं और अखिलेश को बताने की जरूरत क्या पड़ी थी ?”


“मगर, देवांश से क्या दुश्मनी थी उसकी ?”


“एक औरत को बदनाम करने के लिए, उसकी चारित्रिक हत्या करने के लिए कम से कम एक मर्द तो चाहिए ही था, सर ।” ठकरियाल पर जवाब तैयार था --- “और ये मर्द भला देवांश से बेहतर उसे कहां मिल सकता था ? एक ही छत के नीचे रहते हैं। देवर भाभी का रिश्ता है। इस रिश्ते के ऐसे सम्बन्धों पर लोग यकीन भी कुछ जल्दी ही कर लेते हैं। राजदान साहब की कार में जब बम रखा गया था तब मैंने भी शक किया था । छानबीन की थी इस ऐंगिल पर । पाया --- उनके बीच मां-बेटा जैसा रिश्ता था।"


“कहानी क्या बनाना चाहता था अखिलेश ?”


"दिव्या और देवांश को राजदान का मर्डर उस पर अपना भेद खुल जाने के कारण करना पड़ा। खुद को बचाने के लिए बबलू को परवान चढ़ता तो headlinone दिया। जब अखिलेश का यह प्लान सबको पता लगता। भट्टाचार्य, वकीलचंद और समरपाल को भी । तब वे भी यही सोचते एक बेगुनाह के खून से हाथ रंगते वे बाल-बाल बचे हैं। दुआएं देते अखिलेश को ।”


“लेकिन असली कातिल अर्थात् बबलू क्या सोचता?”


" हैरान तो जरूर होता । मन ही मन सोचता भी यह क्या गड़बड़ - झाला हो गया मगर, चुप रहता । क्यों बोलेगा ऐसे हालात में कोई? बोलकर क्यों कानून के फंदे में फंसना चाहेगा?”


“उसने तो खुद थाने में सब कुछ कुबूल किया था । "


“ वह तब की बात थी जब उसे बचाव का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था ।"


“अपनी कहानी के फेवर में सुबूत क्या पेश करने वाला था अखिलेश ?”


“उसके पास से दिव्या और देवांश के कुछ फोटो बरामद हुए हैं जिनमें वे आपत्तिजनक मुद्रा में नजर आ रहे हैं। मैं उन्हें एक्सपर्ट को दिखा चुका हूं। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक फोटो ट्रिक फोटोग्राफी से तैयार किये गये हैं।”


“ अपनी तरफ से काफी सॉलिड प्लान बनाया था उसने ।”


“जासूस है सर । वह भी सुलझा हुआ । जिसकी दिल्ली में बड़ी धाक है।” अखिलेश की तरफ जहरीली मुस्कान के साथ देखता वह कहता चला गया--- "उसका अंतिम पैंतरा सुनेंगे तो मजा ही आ जायेगा आपको।”


"वह क्या ?"


“वह पट्ठा मुझे ही लपेटने के चक्कर में है।”


“तुम्हें?”


“जी।"


“क्यों?”


“इस वक्त जो मैं ये सारी कलई खोल रहा हूं तो भला मुझसे बड़ा दुश्मन कौन है उसका ?”


“तुम्हारा वह क्या बिगाड़ सकता है ?”


“मुझे मालूम है कुछ नहीं बिगाड़ सकता मगर कोशिश तो कर ही रहा है।"


“क्या कोशिश कर रहा है?"


“ जैसे ही मैंने उसका कच्चा चिट्ठा खोला तो भड़ककर कहने लगा --- 'मुझसे उलझकर तुम अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल कर रहे हो इंस्पेक्टर। मैं ये साबित कर दूंगा--- तुम भी दिव्या और देवांश से मिले हुए हो ।”


“क्यों?”


“मोटी रकम जो दे रहे हैं वे मुझे । ”


“तुम्हें?”


“ अब कौन समझाये सर --- - मुंबई पुलिस के सिपाहियों से लेकर कमिश्नर साहब तक जानते हैं, सूरज पश्चिम से उदय हो सकता है, ठकरियाल रिश्वत नहीं ले सकता।”


“बकौल उसके... रिश्वत लेकर तुमने क्या किया ?” 


“बबलू को फंसाने में मदद की उनकी पूरी कहानी गढ़ ली है पट्ठे ने। खुद बबलू के मुंह से सुनवायेगा--- रात के वक्त पाइप के जरिए देवांश उसके कमरे की खिड़की पर पहुंचा। पेपरवेट अंदर फैंका । रबरबैण्ड की मदद से उस पर एक कागज लिपटा हुआ था । राजदान का लेटर था वह । उसके मुताबिक बबलू बाथरूम के रास्ते से राजदान के बैडरूम में पहुंचा। पूरा बतायेगा किस तरह मैंने उसे खुद को राजदान का भ्रम कराकर गहने दिये, रिवाल्वर पर अंगुलियों के निशान लिये आदि। मैंने पूछा---'राजदान का लेटर कहां से लाओगे? कहने लगा---' उसी से तैयार करा लूंगा जिससे वह तैयार कराया था जिसने तुम्हारी और एसएस.पी. खोपड़ियां घुमा दी थीं। कोर्ट में उसके फर्जी साबित होने से से मेरी ही बात को बल मिलेगा । साबित हो जायेगा --- तुमने फर्जी लेटर के जरिए बबलू को बुलाया। मैंने हंसकर कहा --- 'यानी अभी तुम्हारे पास लेटर नहीं है। बाद में तैयार कराओगे? बोला---एक दिन में तो खत्म हो नहीं जायेगा में मुकदमा। जमानत पर छूटते ही ऐसे बहुत से काम कर लूंगा मैं जिनके जवाब देने तुम्हें भारी पड़ जायेंगे । बबलू को कोर्ट में मेरा पढ़ाया कहना ही पड़ेगा क्योंकि इसी में उसकी भलाई है। ऐसे ही तो बेकसूर साबित होगा वह ।' मैंने कहा---'अब तुम खिसियानी बिल्ली की तरह खम्बा नोंच रहे हो । मगर इस तरह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकोगे। कोर्ट कहानियों पर नहीं सुबूतों पर ध्यान देती है। जो तुम्हारे पास हैं नहीं।' कहने लगा ---- 'सुबूत कैसे पैदा किये जाते हैं यह मैं तुम्हें मुकदमे के दरम्यान बताऊंगा इंस्पेक्टर ।' फिलहाल मेरे पास उसकी चुनौती स्वीकार करने के अलावा रास्ता ही क्या है सर । धमकियों से डरकर छोड़ तो सकता नहीं उसे ।”


“ अखिलेश का सारा प्लान खुलने के बाद भट्टाचार्य, वकीलचंद और समरपाल का क्या रुख है ?”


“शुरू में तो यह पता लगने पर वे भौंचक्के रह गये कि उन्हें राजदान के हत्यारे से बदला लेने के जुनून में फंसाकर वह किस तरह अपना उल्लू सीधा कर रहा था मगर अब... जब उसने यह समझाया--- यदि तुमने मेरा साथ न दिया तो लम्बे लद जाओगे | वे भी उसके सुर से सुर मिलाकर कोर्ट को वे से वही कहानी सुनाने वाले हैं जो उसने गढ़ी है ।”


“वह कहानी क्या है ?"


“यही कि ---राजदान को अपने कत्ल के बारे में पहले ही पता लग गया था। उसने न केवल अखिलेश को नियुक्त किया बल्कि वकीलचंद को बबलू को हवालात से फरार करने का काम सौंपा। समरपाल को फोन करके अपने ऑफिस बुलाया। वहां उसे राजदान का लेटर, कैमरा, रुपये और वह सामान मिला जिसके जरिए राजदान का क्लोन बन सकता था।”


“भला राजदान को मरने के बाद अपना क्लोन बनाने से क्या फायदा था ।”


“जवाब हर सवाल का तैयार कर रखा है पट्ठे ने । भट्टाचार्य, वकीलचंद, समरपाल और बबलू को ही नहीं, उसके मां-बाप और स्वीटी को भी अच्छी तरह पढ़ा दिया है। किसे क्या कहना है । आपके उपरोक्त सवाल के जवाब में समरपाल कहेगा  ‘राजदान के लेटर में बबलू को सेफ करने, उसके मां-बाप और स्वीटी को आश्वस्त करने तथा दिव्या और देवांश को डराने के लिए लिखा था ।' जाहिर है, उन सभी का फायदा इसी स्टोरी को सच्ची साबित करने में है अतः सब एक ही सुर में बोलेंगे। मैंने समरपाल से कहा --- 'कोर्ट तुमसे राजदान का लेटर मांगेगी।' अखिलेश ने तपाक से कहा --- 'हम कहेंगे, हमारी स्टोरी को सच्ची साबित करने वाले सारे सुबूत तुमने नष्ट कर दिये हैं।”


“वह कहेगा और... कोर्ट मान लेगी ?”


“जरा कोई पूछे उससे । मगर...


“मगर?”


“सर! बात में कोई सच्चाई हो तो सुबूत भी हों। सुबूत जब हैं ही नहीं तो मुल्जिम लोग कोर्ट में इसके अलावा और कह भी क्या सकते हैं कि जो सबूत थे उन्हें पुलिस ने नष्ट कर दिया है।"


“बस यही सोचकर फिक्रमंद हूं सर, जासूस का बच्चा जाने कब कौन सा पैंतरा चल जाये ! काफी चालाक है वह| "


"तुम फिक्र मत करो,राणा ने कहा --- “आवश्यक पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश करते हैं उन्हें । उनकी लम्बी-लम्बी कहानियां पहले दिन तो कोर्ट सुनने से रही । मुकदमे के दरम्यान उठेंगी ये बातें । तब की तब देखी जायेगी।”


“जैसा हुक्म सर ।” ठकरियाल ने मुस्तैदी से कहने के साथ रिसीवर क्रेडिल पर रख दिया ।


ये सारी बातें उसने अपनी ऑफिस टेबल के एक कोने पर बैठे-बैठे की थीं ।


रिसीवर रखने के साथ सीधा खड़ा हो गया । नजरें सलाखों के उस पार मौजूद अखिलेश, भट्टाचार्य, वकीलचंद और समरपाल पर केन्द्रित थीं । भद्दे होठों पर कुटिल मुस्कान । चहलकदमी सी करता उनके नजदीक पहुंचा। फोन पर उसने जो कुछ कहा था, उसे सुनकर वकीलचंद, भट्टाचार्य और समरपाल के चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थीं । वे स्वप्न तक में नहीं सोच सकते थे कि इस सारे मामले को ऐसा मोड़ भी दिया जा सकता है।


हां, अखिलेश का चेहरा मारे गुस्से के जरूर भभक रहा था।


उसी से नजरें मिलाकर पूछा ठकरियाल ने--- "कैसी रही?”


“वक्त बतायेगा इंस्पेक्टर ।" अखिलेश गुर्राया--- "मैंने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं।”


“क्या बतायेगा वक्त ? ... तुम सब, वो साला बबलू, उसके मां-बाप और स्वीटी बार-बार वही कहोगे न जो सच है । मगर सिर्फ कहोगे। सुबूत तो सारे तुम्हारा पांचवां यार ले उड़ा । तुममें से किसी के भी पास ऐसा कोई सुबूत नहीं है जिससे साबित कर सको जो कह रहे हो वह सच है या वाकई तुमसे वह सब करने के लिए राजदान ने कहा था । बबलू जो कहेगा उसे सुबूतों के अभाव में हत्यारे का प्रलाप माना जायेगा। उसके मां-बाप और स्वीटी वह कहेंगे ही जो उनके साथ हुआ है अर्थात् राजदान का क्लोन बनकर समरपाल उन्हें भट्टाचार्य के फार्म हाऊस पर ले गया | खुद समरपाल को भी कुबूल करनी पड़ेगी यह बात। फर्क केवल ये होगा ---वह घटना का कारण कुछ और बता रहा होगा ।


मैं कुछ और। उसके पास अपनी बात प्रूव करने का सुनन नहीं होगा और मेरे पास होंगे सुबूत ही सुवृत एनवलप जैसे । सभी सुबूत अवतार के कब्जे में हैं। वो जो लेटर तुमने मुझे और एस. एस. पी. को दिखाया था, उसे फाड़ चुका हूं मैं । उसकी जगह उसी मजमून का लेटर किसी और से लिखवा लिया है। जो एक्सपर्ट के पास पहुंचने के बाद फर्जी सावित होना ही होना है। क्लाईमेक्स तो तुम तब देखोगे जब मैं कोर्ट में मास्क बनाने वाले किसी कारीगर को भी पेश कर दूंगा। मेरे डंडों से जान बचाने के लिए वह सीना ठोककर कहेगा---‘हां समरपाल ने मुझ ही से बनवाया था राजदान का फेसमास्क' ।” 


समरपाल का चेहरा पीला पड़ गया ।


“अजीब हादसा हो गया तुम लोगों के साथ ।” ठकरियाल ने चुटकी ली --- “हवन करने के फेर में हाथ जला बैठे। वैसे.. छकाया बहुत तुम्हारे मरे हुए दोस्त ने मुझे । इतना तो ठकरियाल को कोई जिन्दा आदमी भी नहीं छका सका था । साला जो चाल चलता दो कदम चलने पर पता लगता --- पट्ठा मरने से पहले ही सोच चुका था कि मैं ये करूंगा। हाथ-पांव तक हिलाने मुश्किल कर दिये थे उसने। मगर, अफसोस --- अंत में उसे शिकस्त खानी ही पड़ी । यह कल्पना नहीं कर पाया बेचारा कि एक ही झटके में उसके सारे मोहरे सींखचों के पीछे नजर आयेंगे।"


“ उस हरामजादे अवतार की वजह से हो गया ये सब । न वह बचपन की दोस्ती पर थूकता, न इस वक्त तू इतना अकड़ रहा होता । ”


“ उसे भी देखना है मुझे। एक-एक करके सभी को देखूंगा।” कहने के बाद वह हंसा और हंसता हुआ ऑफिस से बाहर निकल गया ।


सत्य प्रकाश, सुजाता, बबलू और स्वीटी हवालात नम्बर दो में बंद थे ।