फिल्म स्टार अमरकुमार की व्याकुलता अपनी चरम सीमा पर थी । सोफा चेयर में धंसा नाखून चबाता हुआ वह शमशेर सिंह को कोस रहा था उसे काल बुक कराए तीन घंटे से भी ज्यादा हो गए थे । लेकिन लाइटनिंग होते हुए भी काल मेच्योर नहीं हुई । टेलीफोन आप्रेटर पूछताछ के जवाब में हर बार वही घिसी–पिटी बात दोहराती रही–यूअर पार्टी इजन्ट एवेलेबल, सर । वी आर ट्राइंग...। और अमरकुमार झल्लाकर रिसीवर वापस क्रेडिल पर पटकता रहा ।
उसने देखा मेज पर रखा गिलास फिर खाली हो चुका था । उसने गिलास को पुनः भरने के लिए हाथ आगे बढ़ाया फिर फौरन ही अपना इरादा बदल दिया । वह जानता व्हिस्की ने जरा भी राहत उसे नहीं पहुंचानी थी । जिस खौफ ने उसे जकड़ रखा था उससे व्हिस्की के दर्जनों गिलास भी उसे निजात नहीं दिला सकते ।
उसे सिगरेट की जोरदार तलब लग रही थी । मेज पर पड़ा पैकेट उठाया तो पता चला वो खाली था ।
उसने एक मोटी गाली दी फिर उठकर सभी संभावित स्थान छान मारे मगर कहीं भी सिगरेट का दूसरा पैकेट नजर नहीं आया ।
वह वापस कुर्सी पर आ बैठा । एशट्रे में लगे सिगरेट के टोटों के ढ़ेर में से सबसे बड़ा टोटा निकालकर सुलगा लिया ।
लाखों दर्शकों का चहेता हिन्दी फिल्मों का सुपरस्टार सिगरेट जैसी मामूली चीज का मोहताज था । अपनी इस लाचारी पर उसे खून का घूंट सा पीकर रह जाना पड़ा ।
सहसा, टेलीफोन की घंटी बजने लगी ।
उसने फौरन रिसीवर उठा लिया ।
–'हलो ?' वह आतुरता पूर्वक बोला–'काल मिल गयी आप्रेटर ?'
–'वो काल कभी नहीं मिलेगी ।' दूसरी ओर से कहा गया ।
अमरकुमार तुरन्त पहचान गया, वो शमशेर सिंह को आवाज थी । उसे समझते देर नहीं लगी कि एस. टी. डी. सर्विस के जरिए शमशेर सिंह उसे फोन कर रहा था । साथ ही उसे अपनी गलती का अहसास हो गया । शमशेर सिंह की कड़ी ताकीद थी कि फोन पर उससे बातचीत के लिए ट्रंक काल का सहारान लिया जाए ।
–'तो तुम्हें पता चल गया कि मैं तुमसे बातें करना चाहता हूँ ।' वह अपने गुस्से को जब्त करता हुआ बोला ।
–'हां, वैसे मैंने तो सोचा था तुम शमशेर सिंह के बगैर भी अपना काम चला सकते हो ! फिर फोन करने की जरूरत क्यों आ पड़ी ?'
–'रोशनलाल खुराना मर गया ।' अमरकुमार बोला–'उसे प्रेस रिपोर्टर अजय ने शूट कर दिया ।'
लाइन पर पल भर खामोशी रही, फिर कहा गया–'अजय, ने ? उसने ऐसा क्यों किया ?'
अमरकुमार ने अपने होठों पर जबान फिराई ।
–'रोशन मेरे पास आ गया था । वह यहाँ की रिपोर्टर से वो स्टेटमेंट हासिल करने गया था । स्टेटमेंट तो उसे मिल गया लेकिन उसे हासिल करने के लिए रोशन को उस औरत की हत्या करनी पड़ी...।
–'रोशन से उस औरत की जान लेने के लिए किसने कहा था ? तुम लोग एकदम घामड़ हो । तुम्हें कितनी बार समझाना पड़ेगा मर्डर का मतलब है–पुलिस को अपने पीछे लगाना ?'
–'मुझसे यह सब कहने से अब कोई फायदा नहीं होने वाला । अगर इस बात के लिए फटकारना ही चाहते हो तो यहां आकर मोर्ग में पड़ी रोशन की लाश को फटकारो ।' अमरकुमार तल्ख़ लहजे में बोला–'उस रिपोर्टर औरत ने अजय को स्टेटमेंट के बारे में बता दिया था । अजय हमारे पास आया, हमसे हाथापाई की और धमकी देकर चला गया कि हमें उस औरत का हत्यारा साबित करके ही रहेगा । लेकिन रोशन ने उसे ठिकाने लगाकर रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया…।'
–'बको मत ! रोशन जैसे मामूली बदमाश को अजय का मुकाबला करने से पहले अपनी औकात देख लेनी चाहिए थी । उस बेवकूफ का सही अंजाम हुआ । वह इसी काबिल था...।'
अमरकुमार और ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर सका ।
–'मुझे रोशन की नहीं अपनी फिक्र है ।' वह लगभग चिल्लाकर बोला–'अजय मेरी जान भी ले लेगा । तुम्हें उसको रोकना पड़ेगा–हमेशा के लिए ।'
–'हरामजादे !' शमशेर सिंह द्वारा सर्द लहजे में कहा गया । 'तुम मुझे बता रहे हो मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए ?'
–'मैं तुम्हें सिर्फ इतना याद दिलाना चाहता हूँ अगर मुझे कुछ हो गया तो जो खत मैंने लिख रखा है उसकी कॉपियां सी. आई. डी., पुलिस और इनकम टैक्स वालों के पास पहुंच जाएंगी । उस खत में नाम, तारीखें, स्थान वगैरा सबकी डिटेल्स मौजूद हैं । मनमोहन ने जितना पैसा इनवेस्ट किया । वो कब, कहाँ से, कैसे और कितना आया था । सबका ब्यौरा उसमें दिया हुआ है । वो खत तुम सबकी एक साथ कब्रें खोद देगा ।'
–'ओह, तो तुम शमशेर सिंह को धमकी दे रहे हो ?
गुस्से में अमरकुमार का चेहरा तमतमा रहा था । सांसें अव्यवस्थित हो गई थी ।
–'हां ! हां ! मैं धमकी दे रहा हूँ, शमशेर सिंह । अगर तुमने मुझे अजय से नहीं बचाया तो तुम भी चैन से नहीं रह पाओगे । तुम्हारी बाकी जिन्दगी जेल की चार दीवारी में ही गुजरेगी ।'
–'फ़िक्र मत करो, सुपर स्टार । शमशेर सिंह तुम्हें ज़रूर बचाएगा । थोड़ा वक्त दो फिर तुम्हारा सही और पुख्ता इन्तजाम कर दिया जाएगा ।'
–'इस अजय के बच्चे को फौरन मेरे पीछे से हटा दो । कान खोल कर सुन लो, वह मेरे साथ गड़बड़ जरूर करेगा । और उस हालत में सारा खामियाजा तुम्हें भुगतना पड़ेगा ।'
–'औरतों की तरह रोना–पीटना बन्द करो, चूहे की औलाद तगड़ा ड्रिंक लो और सो जाओ । शमशेर सिंह सब संभाल लेगा ।'
इससे पहले कि अमरकुमार कुछ और कहता दूसरी ओर से सम्बन्ध विच्छेद कर दिया गया ।
अमरकुमार का हाथ बुरी तरह कांप रहा था । रिसीवर यथास्थान रखकर वह सोचने लगा । शमशेर सिंह क्या करेगा ? उसे अजय की मुसीबत से बचा लेगा ? उसने जो खत लिख रखा है क्या वो वाकई उतनी ही मजबूत ढ़ाल साबित होगा जितना कि वह समझ रहा था ।
काफी सोचने के बाद भी इसमें से किसी सवाल का सही जवाब तो उसे नहीं सूझ सका । लेकिन इतना वह जरूर जानता था शमशेर सिंह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा । जिससे उसका अपना ही पुलंदा बंध जाए ।
धीरे–धीरे उसे यकीन होने लगा खत की जो ढ़ाल उसने बनाई थी उससे वह पूरी तरह महफूज है ।
* * * * * *
विराटनगर ।
प्रोफेशनल स्पोर्ट्स क्लब में ।
ईशर सिंह ने पूरा सहयोग दिया । पीताम्बरदास और मोती गिडवानी को वह क्लब की लाइब्रेरी में ले गया । उसके आदेश पर चपरासी ने कोई तीन दर्जन मोटी–मोटी फाइलें निकालकर मेज पर रख दीं । उन फाइलों में देश भर के तमाम समाचार पत्रों, पत्रिकाओं की कटिंग्स थी । जिनमें बॉक्सर्स की तस्वीरों सहित उनके बारे में डिटेल्स दी हुई थी ।
ईशर सिंह चला गया ।
पीताम्बरदास ने एक–एक करके फाइलें चैक करनी प्रारम्भ कीं ।
तीसरी फाइल देख चुकने के बाद उसके चेहरे पर निराशा भरे भाव उत्पन्न हो गए ।
–'अभी तक उससे मिलती–जुलती भी कोई तस्वीर मुझे, नजर नहीं आई है ।' वह फाइल परे खिसकाकर आंखें मलता, हुआ बोला–'और अगर ये तमाम फाइलें देखनी पड़ी तो मैं जरूर अंधा हो जाऊंगा ।'
–'मैं जानता हूं, यह बड़ा बोर काम है ।' गिडवानी बोला–'लेकिन करना तो पड़ेगा ही । क्योंकि यह शमशेर सिंह का काम है । जो लोग शमशेर सिंह के साथ अच्छाई करते हैं । उनके लिए वह बहुत अच्छा आदमी साबित होता है । और जो उसके काम से इंकार कर देते हैं । उनके लिए उससे बुरा कोई और नहीं हो सकता । उसने तुम्हें यह काम सौंपा है । इसलिए इसे करने में ही तुम्हारी भलाई है ।'
पीताम्बरदास ने उसकी और देंखा, मानों कहना चाहता, था यह तुमने किस मुसीबत में मुझे फंसा दिया । लेकिन कुछ कहने की बजाय उसने गहरी सांस ली और चौथी फाइल उठाकर एक एक करके पेज पलटने लगा ।
–'इसमें भी नहीं है ।' अंत में वह बोला ।
तभी ईशर सिंह ने अन्दर प्रवेश किया । और उनके पास आकर पूछा–'क्या रहा ?'
–'कुछ पता नहीं चल रहा । गिडवानी ने जवाब दिया ।
–'उसकी उम्र कितनी है । हुलिया कैसा है ?'
–'उसके चेहरे पर चोटों के इतने निशान है कि उसकी उम्र का सही अन्दाजा लगा पाना मुश्किल है ।' पीताम्बर हुलिया बताने के बाद बोला–'फिर भी मेरे विचार से उसे चालीस–बयालीस का होना चाहिए ।'
–'इसका मतलब है ।' ईशर सिंह कई पल सोचने के बाद बोला–'दस साल पहले यानी सन् उन्यासी में वह तीस बत्तीस का रहा होगा ?'
–'मेरा अन्दाजा गलत भी हो सकता है ।' पीताम्बर जल्दी से बोला ।
–'तो फिर तुम सन् अस्सी और इक्यासी की फाइलें देखो ।' ईशर सिंह ने कहा और ढेर में से दो फाइलें अलग करके उसके सामने रख दी–'मुझे याद आ रहा है कि ऐसा एक बॉक्सर कुछ अर्सा हमारे पास रहा था । उसका रिकार्ड यहाँ जरूर होना चाहिए ।'
गिडवानी ने प्रश्नात्मक निगाहों से उसे देखा ।
–'हुलिया सुनते ही आठ नौ साल पुरानी बात तुम्हें कैसे याद आ गई ?
ईशर सिंह मुस्कराया ।
–'बॉक्सर्स के कानों को आमतौर पर इस तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचता कि उनके कान स्थायी रूप से मुड़े–तुड़े नजर आने लगें । जबकि देशी कुश्ती के पहलवानों के कानों की नसें अक्सर इस बुरी तरह टूट जाती हैं कि वे मुड़े–तुडे से नजर आने लगते हैं । मुझे याद है ऐसा ही एक बॉक्सर हमारे यहाँ भी रहा था बॉक्सिंग को पेशे के तौर पर अपनाने से पहले वह पहलवान रह चुका था । और उसके कानों की वजह से सब उसे पहलवान ही कहा करते थे ।'
पीताम्बर उनकी बातों पर ध्यान न देकर बेमन से सन अस्सी की फाइल के पेज पलट रहा था ।
अचानक वह बुरी तरह चौंका । और फाइल पर और ज्यादा झुक गया । कई पल सामने खुले पेज पर छपी फोटो को अपलक ताकता रहा ।
–'मिल गया !' वह सर ऊपर उठाकर उत्तेजित स्वर में बोला–'यही है ।' भोला नाथ पांडे । हैवीवेट बॉक्सर ।
ईशर सिंह ने फौरन उसकी बगल में पहुंचकर फाइल के खुले पेज पर छपी फोटो को गौर से देखा ।
–'मुझे यह आदमी अच्छी तरह याद है ।' उसने कहा और खुली फाइल दोनों हाथों में ऊपर उठा ली–'हुलिया सुनते ही लगा था वह मेरा परिचित है ।' उसने फोटो के नीचे छपे छोटे से आर्टिकल पर निगाहें दौड़ाई यह विशालगढ़ का रहने वाला है । बहुत अच्छा बॉक्सर हुआ करता था । लेकिन उसे हार से सख्त नफरत थी । जब भी उसे लगता कि हारने वाला है तो अपने विपक्षी के चेहरे पर टक्कर दे मारता था । और उसकी टक्कर इतनी जोरदार होती थी कि अच्छे–अच्छे को धाराशायी कर देती थी । अगर वह सर चलाने की बजाय अपने हाथों से ही काम लेता तो बॉक्सिंग की दुनिया में खासा नाम कमा सकता था । मैंने इसे बहुत समझाया । लेकिन यह अपनी टक्कर मारने की आदत नहीं छोड़ सका । नतीजन इसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया ।
–'अब क्या करता है ?' गिडवानी ने पूछा ।
ईशर सिंह ने यू माथे को सहलाया मानों अपनी याददाश्त की मोटी किताब के पन्ने पलट रहा था ।
–'जहाँ तक मुझे याद पड़ता है ।' लम्बी खामोशी के बाद वह मुस्कराता हुआ बोला–'कोई साल भर पहले मैंने सुना था यह गलत किस्म के धंधों में पड़ गया है और एक बदमाश के साथ रह रहा है ।'
–'वह बदमाश कौन है ?'
–'अगर मेरी याददाश्त धोखा नहीं दे रही है ।' ईशर सिंह पुनः सोचने के बाद बोला–'तो उसका नाम बद्री प्रसाद सोनी है ।
–'कहाँ रहता है ?'
–'पता नहीं । मैंने सिर्फ इतना सुना था वह भी विशालगढ़ का ही रहने वाला है ।'
–'बहुत–बहुत धन्यवाद ।' गिडवानी ने कहा और पीताम्बर सहित उठकर बाहर निकल गया ।
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