“इसमें रहस्य जैसी तो कोई बात ही नहीं है - यह मडरलैंड है- यानी यहां सभी को खून पसंद है। खून का रंग लाल होता है - इसीलिए इस बार मर्डरलैंड की प्रत्येक वस्तु को लाल बनाया गया है ।"
"और यह हवा का क्या रहस्य है? यह कहा जाता है कि मर्डरलैंड स्पेस में है और सभी जानते हैं कि स्पेस एक रिक्त स्थान होता है । यहां हवा नाम की कोई वस्तु नहीं होती, तो फिर मर्डरलैंड में पर्याप्त ऑक्सीजन कहां से आती हैं?" प्रश्न आशा ने किया ।
-'मिस आशा!'' प्रोफेसर ऐल्फा बोला- 'यह ठीक है कि मर्डरलैंड में प्राकृतिक हवा नहीं है किंतु हमने इतनी शक्ति प्राप्त कर ली है कि हम कृत्रिम हवा तैयार कर लेते है और यह हवा चौबीस घंटे निरंतर मर्डरलैंड में वितरित करते रहते हैं जिसमें प्रत्येक गैस उसी अनुपात में उपस्थित होती है जो आमतौर पर प्राकृतिक वायु में पाई जाती है ।'' -
"वायु में गैस का क्या अनुपात होता है?'
"पहले ये जान लो कि वायु में कौन-कौन-सी गैसें हैं!
"तो वही बताओ!"
-"यूं आमतौर से तो वायु में तीन गैसें मानी जाती हैं, ( 1 ) नाइट्रोजन (N2), (2) ऑक्सीजन (O2) और कार्बन डाई-आक्साइड (CO2 ) । वैज्ञानिक दृष्टि से अन्य बहुत-सी गैसें है, जो वायु में उपस्थित रहती है और इन गैसों के अभाव में वायुमंडल अपूर्ण माना जाता है । वायु में उपस्थित अन्य गैसें इस प्रकार हैं- जलवाष्प (H2O), अमोनिया (NH3), आर्गन (A), हाइड्रोजन (H2), हीलियम (He), जीनॉन (Xe), ऐथेन (CH4) और विरल गैसे इत्यादि । "
"इन अतिरिक्त ? "
- "इनके गैसों के अतिरिक्त भी वायु में कुछ गैसें सूक्ष्म मात्रा में पाई जाती है ।''
- ''इनके संगठन को वायु कहते हैं?'' अलफांसे बोला । विकास बड़े ध्यान से सब कुछ सुन रहा था ।
-"यस !" ऐल्फा बोला- ये गैसें एक निश्चित अनुपात में होती है, वह अनुपात प्रतिशत के हिसाब से कुछ इस प्रकार है-नाइट्रोजन (न2) 78.084, आसजन (ओ2) 20.968, कार्बन डाई-आक्साइड 0.0331 वायु में क्योंकि ये तीन गैसों ही प्रमुख होती हैं। अत: मात्रा भी इन्हीं खई अधिक होती है । इनके अतिरिक्त जलवाष्प, निऑन, क्रिप्टॉन, जीनॉन, ऑर्गन, हीलियम, ऐथेन और विरल गैसें इत्यादि सभी की मात्रा 0.934 होती है ।'' एल्फो ने वायुमंडल में उपस्थित सभी गैसों की प्रतिशत में मात्रा बताई ।
- ''तो आपने ठीक इन्हीं अनुपातों में वायुमंडल तैयार कर लिया है?'' अशरफ बोला ।
- "जी हां - मैंने पहले ध्यान से वायु में उपस्थित इन गैसों का अध्ययन किया-तत्पश्चात कृत्रिम वायु बनाने के परीक्षण किए और सफलता प्राप्त की ।"
-"लेकिन यह किया कैसे जाता है ? "
-"वैज्ञानिक ढंग से तो मैं तुम्हें बता न सकूंगा- किंतु साधारण व्यक्ति की भांति मैं तुम्हें समझा सकता हूं।" ऐल्फा ने कहा ।
-" वही बता दो ।"
- "हां तो सर्वप्रथम मैंने मर्डरलैंड का क्षेत्रफल ज्ञात किया, क्षेत्रफल ज्ञात करने के बाद हिसाब लगाया कि समस्त मर्डरलैंड में प्रत्येक क्षण कितनी वायु उपस्थित रहनी आवश्यक है । जब मैंने यह ज्ञात कर लिया तो प्राकृतिक वायु में उपस्थित गैसों के अनुपात में उस ज्ञात वायु को बांट किया और फिर मैंने अपनी प्रयोगशाला में स्थान-स्थान पर ऐसे उपकरण संयोजित किए, जिनमें अलग-अलग गैसें बनती हैं । नाइट्रोजन अलग उपकरण में, ऑक्सीजन अलग उपकरण में । इसी प्रकार प्रत्येक भिन्न गैस अलग उपकरणों से बनाई जाती है- फिर ये सब गैसें व्यवस्थित रूप में बन-बनकर मोटे कांच की नलियों में प्रवाहित होती है । इस मोटी नली' में आगे जाकर इस प्रकार के यंत्र लगे हुए हैं- जो प्रत्येक गैस को वायुमंडलीय अनुपात में अलग-अलग नलियों में भेज देते हैं । इस अलग-अलग भेजने वाले यंत्र के ऊपर एक विराम घड़ी और एक मीटर स्केल होती है जो गैस की सही उपस्थिति का ज्ञान कराती है। यहां से समस्त गैसें भिन्न-भिन्न नलियों में चली जाती हैं और आगे जाकर फिर एक मोटी नली में मिलती हैं । यह मिश्रेण वायु कहलाती है क्योंकि अब प्रत्येक गैस उसी अनुपात में उपस्थित है जो वायु में पाई जाती है । " -
-"लेकिन मर्डरलैंड के निवासी सांस द्वारा जो कार्बन डाईऑक्साइड गैस बाहर निकालते हैं, वह कहां जाती है?
- "वह मर्डरलैंड की ऊंचाइयों पर लगे रोशनदान सोख लेते हे ।"
-"आपकी वह प्रयोगशाला है कहां...जहां यह वायु बनती है? " विकास बोला ।
- "देखो मिस्टर विजय ! " जैक्सन बोली- ' कितना चतुर हो गया है तुम्हारा भतीजा-इतनी देर से एक प्रश्न किया और वह भी कितने काम का "
सभी मुस्कराए- किंतु विकास के मुख पर मासूमियत थे।।
- "इस प्रयोगशाला में क्योंकि बहुत अधिक काम होता है, अत: यह अलग बनवाई गई है ।"
"अच्छा तो मम्मी-अब यह बताओ कि जब तुम
इंगलिश में बोलती थीं, तो भिन्न देशों में आवाज उसी देश की राष्ट्रभाषा में क्यों गूंजती थी ?'' प्रश्न विजय ने किया ।
- '' मैंने एक ऐसा यंत्र बना लिया. जिसमें अगर इंगलिश में बोला जाए, तो वह स्वयं ही भिन्न भाषाओं में अनुवाद कर देता है ।" जवाब ऐल्फा ने दिया ।
'असम्भव!'' अशरफ के मुंह से निकला ।
- भूल रहे हो कि विज्ञान में असम्भव नाम का कोई शब्द नहीं है।"
"खैर मम्मी-अब सब-कुछ हो गया है-यह और बताओ कि ये गर्मी फैलाने का क्या चक्कर है ? "
- "मिस्टर विजय- यह मेरी दस वर्ष कई अथाह मेहनत का परिणाम है ।" प्रोफेसर बोले ।
-"दस वर्ष !"
. - "यस मिस्टर विजय !" जैक्सन बोली- "जिस दिन विकास - का जन्म हुआ उसी दिन से मैं स्पेस में मर्डरलैंड बसाने में लग गई-प्रोफेसर मेरे साथ थे ।"
“ किंतु यह सब कैसे हो सकता है- ब्यूमिरान जैसे ठंडे इलाके में!'' -''मैं तुम्हें वह प्रयोग दिखाता हूं।" प्रोफेसर ने कार्य आरंभ किया ।
सब ध्यान से देखने लगे ।
प्रोफेसर ऐल्फा ने एक बटन दबाया !
मशीन के शीर्ष पर रखी एक टेलीविजन स्कीन पर धरती का चित्र उभर आया ।
जैक्सन खामोशी से प्रोफेसर की कार्य-विधि देख रही थी। - "यह है समस्त धरती इस टेलीविजन स्कीन पर । मैं धरती का बड़े-से-बड़ा और छोटे-से-छोटा टुकड़ा देख सकता हूं।" प्रोफेसर ने बताया ।
प्रोफेसर कुछ देर तक मशीन के पुर्जों से खेलता रहा, फिर उसने एक बटन दबाया- एकाएक सबकी निगाह ऊपर उठ गई ।
मशीन के ठीक ऊपर की छत अपने स्थान से उठ गई थी । तेज चिलचिलाती धूप अंदर आई । प्रोफेसर ने अपनी बात जारी रखी- ''यहां धरती की अपेक्षा गर्मी का प्रकोप बहुत अधिक है क्योंकि यहां सूर्य की किरणें बिलकुल सीधे पड़ती हैं।"
उसने फिर एक बटन को घुमाना आरंभ किया । इसके साथ ही लोहे की मशीन के दो जबड़े फटने लगे और उनमें से एक शीशा निकलने लगा । यह एक अत्यंत विशाल नया गोल शीशा था । शीशे के चारों ओर की 'बाउंड्री' फौलाद से सुरक्षित कर ली गई थी ।
धीरे-धीरे चलता हुआ शीशा फौलाद की मशीन के शीर्ष पर जाकर स्थिर हो गया । अब स्थिति यह थी कि शीशा सूर्य के और स्कीन के बीच रखा था । -''इस शीशे का क्या मतलब है मिस्टर ऐल्फा?'' अशरफ बोला ।
- -"यह शीशा ही तो सब कुछ है... पहले मैं इस शीशे के विषय में ही तुम्हें समझाता हूं ।" प्रोफेसर ने कहा ।
" 'आप लोगों ने अपनी धरती पर एक छोटा-सा शीशा अवश्य देखा होगा जिसमें छोटे-छोटे बच्चे अक्सर धूप में एक-दूसरे का हाथ जलाया करते हैं... और यहां तक कि उस शीशे से धूप में बीड़ी-सिगरेट भी जला ली जाती है । इस शीशे की विशेषता यह है कि वह सूर्य की किरणों को एकत्रित करके एक ही स्थान पर फेंकता है । ये सूर्य की एकत्रित किरणें जहां भी पड़ जाती हैं-वहां आग लग जाती है । उसी शीशे के सिद्धांत पर मैं यह विशाल शीशा बनाया है जो सूर्य की बहुत सारी किरणों को एकत्रित करके एक ही स्थान पर फेंकने की क्षमता रखता है... दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हो कि यह शीशा बच्चों के खिलौने का विशाल रूप है... यहां क्योंकि सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं और ये शीशा बहुत सारी किरणों को एकत्रित करके एक ही स्थान पर फेंकता है तो धीरे-धीरे वहां गर्मी फैलने लगती है और फिर वह स्थान आग की लपटों में घिर जाता है ।"
"लेकिन कहीं नो व्यक्ति बिलकुल नष्ट हो जाते थे और कहीं कंकाल बनकर रह जाते थे इसका क्या रहस्य है? " प्रश्न अलफांसे ने किया ।
'मुझे जिस स्थान पर किरणें एकत्रित करके फेंकनी होती हैं-वहां कई प्रकार से फेंक सकता हूं....यह शीशा कुछ इस प्रकार बनाया गया है कि उसके तीन फोकस है। ये फोकस इस मशीन से कंट्रोल किए जाते हैं। अगर मैं पहले फोकस से समस्त किरणें उस स्थान पर फेंकता हूं तो वह स्थान शीघ्र ही आग की लपटों में घिर जाता है जैसे ब्यूमिरान में हुआ । फोकस नम्बर दो से किरणें फेंकने का प्रभाव ये होता है कि लोगों की खालें जल जाती हैं और वे कंकालों के रूप में रह जाते हैं- जैसा कि रामनगर में हुआ। तीसरे फोकस का परिणाम यह होता है कि पहले कंकाल बनते हैं और फिर कंकाल आग की लपटों में घिर जाते हैं।" प्रोफेसर ने रहस्योद्घाटन किया ।
अशरफ के दिमाग में अभी तक वही योजना चक्कर काट रही थी- जो उसने काफी पहले मुम्बई में बनाई थी । वह अभी तक उसी योजना के पहलुओं पर मन-ही-मन विचार कर रहा था ।
"अच्छा मिस आशा... आप लोग अपनी शादी के विषय में भी मत भूलना । मिस्टर विजय के साथ आपकी शादी मर्डरलैंड के समस्त आम निवासियों के समुख. कल...।"
- "ठहरिए मिस जैक्सन ।' ' इस बार हाथ उठाकर अशरफ बोला था । जैक्सन का वाक्य अधूरा रह गया, उसने प्रश्नवाचक नजरों से अशरफ को देखा ।
विकास से लेकर प्रोफेसर तक सबकी निगाहें उसी पर जमी हुई थीं ।
"मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं।" अशरफ ने अपनी योजना का पहला चरण सामने रखा ।
सभी चौंके.. .अशरफ के चेहरे को पढ़ने का प्रयास किया । उनकी समझ में नहीं आया कि अशरफ के दिमाग में क्या है? यह तो उसने एकदम अजीब-सी बात कही थी ।
"तुमने काफी अच्छा प्रस्ताव रखा है मिस्टर अशरफ!' मोहक मुस्कान के साथ मुस्कराकर बोली जैक्सन "किंतु मुझसे शादी करने के लिए तुम्हें मर्डरलैंड की समस्त शर्तो से गुजरना होगा ।''
जैक्सन ने विंगेटो की ओर संकेत किया ।
- ''अब इन लोगों को इनके निवास स्थान पर पहुंचा दो । " उसके बाद उन्हें वहीं पहुंचा दिया गया ।
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