जीतसिंह ने कांपते हाथों से वाल्ट का पहिया घुमाया और फिर उसे अपनी ओर खींचा ।


दरवाजा उसे स्पष्ट अपने स्थान से हिलता महसूस हुआ ।


उसका दिल ख़ुशी से झूम उठा । पहले से भी कम समय में उसने वो वाल्ट खोल लिया था ।


हौले-हौले उसने वाल्ट का दरवाजा पूरा खोला और बड़े आशापूर्ण भाव से भीतर झांका ।


भीतर निगाह पड़ते ही उसके चेहरे पर मुर्दनी छा गई ।


नकद रकम के नाम पर भीतर एक रुपया भी नहीं था ।


न कोई कीमती जेवरात ।


न कोई जवाहरात ।


वाल्ट में कुछ था तो वो आठ मूर्तियां जो किन्नरियों के नाम से जानी जाती थीं ।


हालांकि वो ऐसे किसी - या इससे भी बुरे, क्योंकि वाल्ट कतई खाली भी हो सकता था नजारे के लिए तैयार था लेकिन फिर भी उसका मन निराशा से भर उठा ।


भारी मन से वो एक-एक मूर्ति निकालकर वाल्ट के फर्श पर रखने लगा ।


***

फ्रांको इतना व्यस्त था कि नागेश बड़ी कठिनाई से अपने मन की बात उसके कान में फूंकने के लिए उसे घेर पाया ।


"ठीक है।" - फ्रांको बोला ।


"तो मैं ऊपरली मंजिल के उसी बैडरूम में जा सकता हूं ?" 


"हां । "


“चाबी ?”


"दरवाजे में ही लगी मिलेगी ।"


"शुक्रिया ।"


"लेकिन वो अकेली लड़की यहां पहुंची क्यों कर ? डोरमैन को तो इस बाबत पूरी हिदायत है कि..."


"किसी ग्रुप में मिलकर आ गई होगी ।"


फ्रांको के चेहरे पर अनिश्चय के भाव आए ।


"बहरहाल अब तो तुम्हारा उससे पीछा छूट रहा है।" - नागेश हंसता हुआ बोला- "अब तो वो पहले ऊपर मेरे साथ बैडरूम में जाएंगी और फिर वहां से बाहर । ओके ?"


फ्रांको ने हिचकिचाते हुए सहमति में सिर हिलाया ।


नागेश बार पर वापिस लौटा ।


शालू वहां नहीं थी ।


उसने पूरे फ्लोर का चक्कर लगाया ।


शालू कहीं नहीं थी ।


वो नीचे पहुंचा ।


उसने डोरमैन को एक दस का नोट थमाया और बोला - "अभी कोई अकेली लड़की यहां से बाहर गई थी ?" 11


"नो, सर ।" - डोरमैन बोला ।


"पिछले आधे घंटे में कैसी भी कोई लड़की यहां से बाहर गई थी ?"


"नो, सर । कोई लड़की क्या कोई भी गैस्ट पिछले आधे घंटे में यहां से बाहर नहीं गया ।"


"पक्की बात ?"


"यस, सर ।"


लिफ्ट पर सवार होकर वो वापिस दूसरी मंजिल पर पहुंचा।


वो फिर बार पर लौटा ।


"अभी थोड़ी देर पहले" - वो बारमैन से बोला - "यहां एक स्किन फिट काला गाउन पहने एक नौजवान लड़की बैठी थी, तुमने उसे जिन और टॉनिक सर्व किया था । याद आया ?”


"यस, सर ।" - बारमैन बोला ।


"वो कहां गई ?”


"पता नहीं । लेकिन वो लौटकर आएगी ।"


"कैसे मालूम ?"


"उसका ड्रिंक" - उसने बार काउन्टर पर रखे एक गिलास की ओर संकेत किया - "वैसे ही पड़ा है।"


"ओह !" - वो चैन की सांस लेता हुआ बोला ।


उसने बारमैन से अपने लिए एक लार्ज विस्की हासिल की, एक सिगरेट सुलगाया और दोनों चीजों का आनन्द लेता प्रतीक्षा करने लगा ।


शालू न लौटी।


न ही वो हॉल में कहीं दिखाई दी।


कहां मर गई साली ।


"शायद टायलेट में हो।" - बारमैन यूं बोला जैसे उसने उसके मन के भाव पढ़ लिए हो ।


टायलेट !


टायलेट का ख्याल उसे क्यों न आया !


उसने सहमति में सिर हिलाया । उसकी निगाह स्वयमेव ही लेडीज टायलेट की दिशा में उठ गई ।


लेकिन टायलेट में इतनी देर !


औरतों का क्या है ? - अपने सवाल का उसने खुद ही जवाब दिया मुंह धोकर नए सिरे से मेकअप करने में लग गई होगी !


ड्रिंक और सिगरेट के खत्म होने तक उसने प्रतीक्षा की, फिर वो फिर से उतावला हो उठा।


वो वहां थी तो उसे इस बात की तसदीक होनी चाहिए थी। उसने फिर फ्रांको को तलाश किया ।


"अब क्या है ?" - फ्रांको साफ-साफ अप्रसन्न भाव से बोला ।


"माई डियर फ्रेंड" - नागेश अनुनयपूर्ण स्वर में बोला - "एक आखिरी तकलीफ और ।"


"वो भी बोलो ।"


"वो लड़की, जिसका मैंने जिक्र किया था, पता नहीं कहां गायब हो गई है । डोरमैन कहता है वो यहां से गई नहीं, हॉल में भी नहीं है... "


"टायलेट में होगी ।"


"मेरा भी यही ख्याल है । "


"तो फिर क्या बात है ?"


"किसी औरत को बोलो कि वो टायलेट में जाकर वहां देखकर आए कि वो वहां है या नहीं।"


"तुम पागल हो । "


"पागल ही सही लेकिन... प्लीज । "


"अच्छा।"


एक चिट क्लर्क एक युवती थी जिसे कि फ्रांको ने अपने करीब बुलाया ।


"इसे लड़की का हुलिया बताओ।" - फिर वो बोला ।


नागेश ने बताया ।


फ्रांको ने युवती को बताया कि उसने क्या करना था । फिर तीनों टायलेट की ओर बढे ।


टायलेट की ड्योढ़ी के सामने पड़े पर्दे के करीब फ्रांको और नागेश ठिठक गए । फ्रांको ने युवती को इशारा किया । युवती ने सहमति में सिर हिलाते हुए अभी पर्दे की ओर एक कदम ही बढ़ाया था कि पर्दा एक तरफ सरका और उसके पीछे से शालू ने बाहर कदम रखा ।


फ्रांको ने नागेश की तरफ देखा तो उसके चेहरे के बदले भावों ने ही इस बात की चुगली कर दी कि वो वही लड़की थी जिसकी कि उसे तलाश थी ।


फ्रांको के चेहरे पर सख्त शिकायत के भाव आए ।


"सॉरी!" - नागेश होठों में बुदबुदाया ।


फ्रांको ने साथ आई युवती को अपनी सीट पर वापिस चले जाने का इशारा किया और आंख भरकर शालू की और देखा ।


वो निश्चय ही बहुत खूबसूरत थी ।


लेकिन अकेली ।


"कहां चली गई थी ।" - नागेश गिला सा करता हुआ बोला "मैंने सब जगह तलाश किया ।" -


" दिखाई नहीं देता कहां चली गई थी !" - शालू सख्ती से बोली ।


"वो तो ठीक है" - नागेश सकपकाया - "लेकिन..."


" और तुम कौन होते हो मेरे से ये सवाल पूछने वाले ?"


"मैं कौन होता हूं ! अभी मैं बता के नहीं हटा मैं कौन होता हूं ? अभी हम में फैसला नहीं हो के हटा ? "


"कैसा फैसला ?”


"फैसला नहीं तो सौदा सही ! साली ! फीस एडवांस में नहीं मिली तो तेवर दिखाने लगी ।"


"यू रास्कल !" - शालू शेरनी की तरह बिफरकर बोली"शट युअर फिल्दी माउथ !"


नागेश ने शालू के वो तेवर देखे तो वो घबराकर एक कदम पीछे हट गया ।


"और" - वो फ्रांको की तरफ घूमी "आप कौन हैं, जनाब ?"


"मेरा नाम फ्रांको है ।" - फ्रांको तनिक हड़बड़ाया-सा बोला - "मैं यहां फ्लोर मैनेजर हूं।"


"अच्छे फ्लोर मैनेजर हैं आप ! एक वाहियात, बददिमाग, बदमिजाज आदमी नशे में धुत्त होकर मेरे साथ बदसलूकी कर रहा है और आप देख रहे हैं ! खामोश खड़े नजारा कर रहे हैं !"


“आई एम सॉरी, मैडम । आई बैग युअर पार्डन लेकिन... आप अकेली हैं ।"


"और क्या आपको मेरे साथ फौज दिखाई दे रही है ?" शालू झल्लाकर बोली ।


वो जानबूझकर उंचा बोल रही थी ताकि किसी भी क्षण खिड़की से भीतर दाखिल हो जाने वाला बद्रीनाथ सुन लेता कि वो वहां अकेली नहीं थी। उन लोगों के वहां पहुंचने से थोड़ी देर पहले उसने खिड़की खोलकर बाहर झांका था तो उसने प्रोजैक्शन पर बद्री का काला साया अपने से सिर्फ पांच फुट दूर पाया था। इस बात की तसदीक करने के लिए कि आगे रास्ता साफ था उसने पर्दे के पीछे से बाहर कदम रखा था तो आगे का नजारा करने को मिला था ।


"मेरा मतलब है" - फ्रांको नम्र स्वर में बोला- "क्या आप यहां अकेली आई हैं ?"


"नहीं । मेरा ब्वाय फ्रेंड मेरे साथ है ।"


"झूठ ।" - नागेश बोला - "बिल्कुल झूठ ! ये तो..."


"ठहर जा, कमीने ।" - शालू दांत पीसती हुई उसकी ओर बढ़ी ।


"मैडम, प्लीज।" - फ्रांको उसे रास्ते में ही रोकता हुआ बोला “प्लीज । आई बैग ऑफ यू ।"


शालू ठिठक गयी ।


"तो" - फ्रांको बोला- "आप अपने बॉयफ्रेंड के साथ यहां आई हैं ?"


"हां।" - शालू भुनभुनाती - सी बोली ।


"वो कहां है । "


“होगा यहीं कहीं ।”


“आप उसे तलाश कीजिये । "


"क्यों ?"


"ताकि ये स्थापित हो सके की आप अकेली नहीं हैं ।" 


"मैं अकेली भी हूं तो क्या है ?"


" तो हैं । तो मुझे यकीन करना पड़ेगा कि ये साहब जो कुछ भी आपकी बाबत कह रहे हैं, सच कह रहे हैं । "


“ओह, नो ।”


"ओह, यस । अब बताइये आपका बॉय फ्रेंड कहां है वर्ना..." 


"मैं यहां हूं।"


फ्रांको ने घूमकर पीछे देखा ।


पीछे मुस्कराता हुआ जीतसिंह खड़ा था जो कि परदे का परली तरफ का कोना हटाकर उनकी पीठ पीछे बाहर निकल आया था । उसने एक सरसरी निगाह अपने सामने खड़े दोनों मर्दों पर डाली और फिर दृढ कदमों से आगे बढ़ा । दोनों के पहलू से निकलकर वो शालू के पास पहुंचा और बड़े अधिकारपूर्ण ढंग से उसे अपनी एक बांह के घेरे में लेता हुआ बोला - "क्या बात है डार्लिंग ।” 


"ये आदमी" - खंजर की तरह एक उंगली नागेश की तरफ भोंकती हुई वो रुआंसे स्वर मे बोली- "खामखाह मुझे हलकान कर रहा है, भद्दी से भद्दी बात मेरी बाबत कह रहा है और ये साहब, जो अपने आप को यहां का फ्लोर मेनेजर बताते है, इसे शै दे रहे हैं । "


"नेवर ।" - फ्रांको ने तत्काल प्रतिवाद किया - "मैं तो... मैं तो "


“क्या मैं तो ? ये आ गए हैं तो आप अब पैंतरे बदल रहे हैं । बहुत ख्वाहिशमंद थे आप मेरे बॉय फ्रेंड से मिलने के लिए । अब मिलिए । आगे बढिए और गले लग कर मिलिए । "


"आई एम सॉरी, मैडम । आई एम रियली सॉरी, सर । एक गलतफहमी के तहत ये सब हुआ, इसका मुझे अफसोस है ।”


"आपको है । इसे नहीं जिसकी वजह से आपके अफसोस जताने की नौबत आई ।"


"ये अब आपको और डिस्टर्ब नहीं कर पाएंगे क्योंकि ये यहां से जा रहे हैं । "


"क्या !" - नागेश के मुंह से निकला ।


"इनकी तरफ से मैं आपसे माफी मांगता हूं। आप से भी, सर । वो क्या है कि हम कितनी भी सावधानी क्यों न बरत ले, कोई न कोई गलत आदमी यहां घुस ही आता है ।"


"मैं ! गलत आदमी !" - नागेश भड़का - "और ये ... ये सा...."


जीतसिंह ने झपटकर उसको गिरहबान से थाम लिया और गिरहबान को इतनी जोर से उमेठा कि उसकी आंखें उबल पड़ीं । जीतसिंह ने अपने खाली हाथ का घूंसा बनाकर उसकी नाक के सामने किया और बड़े हिंसक भाव से बोला. "क्या ये ?"


“क - कुछ नहीं ।” - नागेश बड़ी कठनाई से कह पाया । 


"कैसे कुछ नहीं ?  कुछ तो कहने ही वाले थे ?" 


"जाने दीजिए, जनाब ।" - फ्रांको बोला- "आई बैग ऑफ यू । यकीन मानिए, ये इसी घड़ी यहां से जा रहे है और फिर कभी यहां नहीं दिखाई देंगे।"


जीतसिंह ने उसका गिरहबान छोड़ दिया ।


बार-बार माफियां मांगता, पिटा सा मुंह लिए नागेश के साथ फ्रांको वंहा से विदा हुआ ।


जीतसिंह को इस बात की ख़ुशी थी कि फ्रांको ने उसे नहीं पहचाना था । क्लीन शेव्ड सूरत और उम्दा पोशाक से उसके व्यक्तित्व में आई तब्दीली कारआमद साबित हुई थी ।


"क्या हुआ ?" - उनके दृष्टि से ओझल होते ही शालू व्यग्र भाव से बोली ।


"वही जो होना था ।" - जीतसिंह बोला ।


"सब ठीक हो गया ?"


"अभी तक ।"


"माल ?"


"सिर्फ मूर्तियां ।”


'ओह ! ठिकाने पर पहुंच गई ?"


"हां"


“चीयर अप ।” - तब उसका मूड भांपती हुई शालू बोली "कुछ न होने से कुछ होना हमेशा अच्छा होता है । " 


"वो तो है ।" -


"मुझे तुम्हारे सुरक्षित लौट आने की बहुत खुशी हुई । " 


"शुक्रिया | "


"आओ बार पर चलकर एक-एक ड्रिंक लें और तुम्हारी सुरक्षित वापसी के नाम पर चियर्स बोलें ।"


"जरूर।"


जीतसिंह उसके साथ बार की तरफ बढ़ गया ।


ऐंजो ने घड़ी पर निगाह डाली और फिर एडुआर्डो के करीब सरक आया ।


"टाइम हो गया ।" - वो धीरे से बोला ।


एडुआर्डो ने सहमति में सिर हिलाया और फिर बोला "मार्सेलो कहां है ? कहीं दिखाई दे रहा है ?"


"हां। कैशियरों के पिंजरे के पास खड़ा है। "


एडुआर्डो अपने स्थान से उठा और उस ओर बढ़ा |


ऐंजो उसके पीछे पीछे हो लिया ।


एडुआर्डो मार्सेलो के करीब पहुंचा ।


"ओह, डॉक्टर।" - उसे देखते ही मार्सेलो बोला- "शैल वुई सी दि पेशेंट नाओ ?"


“यस । - एडुआर्डो गम्भीरता से बोला- "इट इज अबाउट टाइम ।"


"आइये ।”


वो ऑफिस की ओर बढे तो रास्ते में फ्रांको भी उनमें शामिल हो गया ।


वे ऑफिस में पहुंचे ।


फ्रांको ने बत्तियां जलाई ।


मरीज उन्हें ऐन उसी हाल में पड़ा मिला जिसमें वो उसे छोड़कर गए थे ।


"हिज हाइनैस तो" - मार्सेलो बोला- "अभी तक नींद में हैं।”


“जगा देते हैं।" - एडुआर्डो बोला और फिर सोफे के करीब पहुंचा । वो सोफे पर कौल के पहलू में बैठ गया और उसका कन्धा पकड़कर उसे होले से झिंझोड़ता हुआ बोला - "योर हाइनैस । सर । जागिए । उठिए ।”


कौल के शरीर में कोई प्रतिक्रिया न हुई ।


एडुआर्डो के माथे पर बल पड़े। उसने कौल की कलाई थामी और उसकी नब्ज टटोली, फिर उसने घबराकर उसका दिल टटोला । उसने झपटकर बैग में से स्टेथोस्कोप निकाला और उसके जरिये उसके दिल का मुआयना किया। फिर एकाएक वो उठ खड़ा हो गया ।


"क्या हुआ ?" - मार्सेलो सशंक भाव से बोला ।


"ये तो....मर गए ।"


"क्या !" "ये जिन्दा नहीं हैं ।"


"ओह गॉड ! ये जरुर आपके इंजेक्शन की वजह से हुआ।" "हरगिज नहीं । वो तो मार्फीन का मामूली इंजेक्शन था ।" "जरुर इन्हें मर्फिन माफिक नहीं आती होगी ।"


"ऐसा नहीं होता।"


"जरूर ऐसा ही हैं । "


"ये पहले ही खस्ताहाल थे ।"


"लेकिन आपने कहा था कि आप इन्हें सम्भाल लेंगे । अच्छा सम्भाला आपने इन्हें । मार ही डाला ।"


"इनकी मौत का मेरे ट्रीटमेंट से कुछ लेना-देना नहीं ।" - एडुआर्डो घबराकर बोला- "इनकी मौत महज एक इत्तफाक है।"


"यही लिख दीजिएगा मौत की वजह डैथ सर्टिफिकेट में । इत्तफाक ।"


"डैथ सर्टिफिकेट !" - एडुआर्डो और भी घबरा गया ।


"जो कि आपको इशु करना होगा। ये बसरा से आये हैं । डैथ सर्टिफिकेट के बिना इनकी लाश इनके वतन कैसे पहुंचेगी ?"


तब एडुआर्डो के बिल्कुल ही छक्के छूट गए ।


"सर ।" - फ्रांको मार्सेलो का कन्धा छुता हुआ धीरे से बोला ।


मार्सेलो ने घूमकर उसकी तरफ देखा ।


"हम लाश का यहां से बरामद होना अफोर्ड नहीं कर सकते


मार्सेलो के माथे पर बल पड़े ।


"ये मेडिको लीगल केस बन गया है जिसकी वजह से अगर यहां पुलिस आई तो हमारे मेहमानो में पैनिक फैल जाएगी । शक में लोग तरह-तरह की बातें करेंगे कि एक अच्छा-भला आदमी क्योंकर मर गया । वो यहां तक कहेंगे कि यहां मेहमान महफूज नहीं थे। किसी इमरजेंसी को हैंडल करने का हमारे पास कोई इन्तजाम नहीं था ।"


"ओह !"


"यूं कैसीनो की साख बिगड़ेगी, सर ।”


"नहीं, ऐसा तो नहीं होना चाहिए ।” "तभी तो मैं बोला ।"


"लेकिन किया क्या जाए ?"


“लाश यहां से बरामद नहीं होनी चाहिए । हिज हाइनैस का यहां से यूं रुख्सत किया जाना चाहिए कि देखने वालो को लगे कि वो ठीक-ठाक यहां से रवाना हुए थे।"


"ऐसा हो सकता है ?"


"ये ए डी सी साहब पर" - उसने ऐंजो की तरफ इशारा किया "निर्भर करता है ।"


"मुझे कोई एतराज नहीं।" - ऐंजो जल्दी से बोला- "हिज हाइनैस अपनी जिन्दगी में कभी किसी की दुश्वारी का बायस नही बने तो मौत में भी नहीं बनेंगें । "


"वैरी नोबल ऑफ हिम।" - मार्सेलो बोला- "मे हिज सोल रेस्ट इन पीस ।"


"अब किया क्या जाए ?”


"किया ये जाए" - फ्रांको बोला- "कि पहले एम्बुलेंस को फोन किया जाए और....


ऐंजो ने हकबकाए से खड़े एडुआर्डो को कोहनी मारी ।


“मैं अपनी एम्बुलेंस मंगवाता हूं।" - एडुआर्डो हड़बड़ाकर बोला - “वो फौरन यहां पहुंच जाएगी। फोन कहां है ?"


मार्सेलो ने परे ऑफिस टेबल की ओर संकेत कर दिया ।


“एम्बुलेंस को पिछवाड़े में पहुंचने के लिए कहिएगा । - मार्सेलो ने पीछे से आवाज लगाई - "एम्बुलेंस फ्रंट डोर पर नहीं दिखाई देनी चाहिए।"


एडुआर्डो ने सहमति में सिर हिलाया और फोन करने लगा।


वो फोन करके वापिस लौटा तो फ्रांको बोला- "हम हिज हाइनैस को सोफे से उठाकर इनकी व्हील चेयर पर रख देंगे और फिर व्हील चेयर को पिछवाड़े में खड़ी एम्बुलेंस तक पहुंचा देंगे।"


"मुर्दा जिस्म" एडुआर्डो चिन्तित भाव से बोला "व्हील चेयर पर टिका नहीं रह पाएगा। व्हील चेयर के हरकत में आने के बाद किसी भी घड़ी उस पर से लुढ़ककर नीचे आ गिरेगा ।"


"तो क्या किया जाए ?" - मार्सेलो बोला ।


" इन्हें व्हील चेयर के साथ बांधना पड़ेगा ।"


"ओह ! ए डी सी साहब को कोई एतराज तो नहीं होगा ?"


" मुझे कोई एतराज नहीं होगा।" - ऐंजो बोला ।


"फिर क्या बात हैं । हम ऐसा ही करते हैं ।"


सबने मिलकर कौल को सोफे पर से उठाया और उसे कुर्सी पर बिठा दिया ।


फ्रांको ने एक पर्दे की डोरी खींच ली और उसके जरिए कौल को व्हील चेयर के साथ बांध दिया । डोरी को छुपाने के लिए कौल की गोद में एक कम्बल डाल दिया गया ।


फिर ऐंजो ने व्हील चेयर को चलाकर देखा ।


कौल का जिस्म व्हील चेयर पर जहां था, वहीं टिका रहा । अलबत्ता उसका सिर उसकी छाती पर लटक आया लेकिन ऐसा एक बीमार अचेत आदमी से अपेक्षित ही था।


उस दौरान एडुआर्डो खामोश खड़ा एक ही बात सोच रहा था ।


क्या व्हील चेयर में माल था ?


कहीं ऐसा तो नहीं कि जीतसिंह अपने हिस्से के काम को कामयाबी से अंजाम नहीं दे पाया था ? उससे वाल्ट नहीं खुला था, या वाल्ट में से कुछ बरामद ही नहीं हुआ था ?


व्हील चेयर में माल था या कौल का मुर्दा जिस्म उसके खाली बक्से पर ही टिका हुआ था ?


कौल की अप्रत्याशित मौत ने उसे बुरी तरह से गड़बड़ा दिया था लेकिन गनीमत थी कि कुछ उन लोगों की लाश की बाबत फिक्र से और कुछ ऐंजो की जागरूकता से बात सम्भल गई थी ।


"ठीक है।" - ऐंजो बोला ।


"मैं एम्बुलेंस देखता हूं।" - एडुआर्डो बोला ।


"नहीं।" - मार्सेलो बोला- "आप यहीं ठहरिये । आपकी मरीज के साथ मौजूदगी मेहमानों को आश्वस्त करेगी। कोई इनकी बाबत सवाल करेगा तो आप बेहतर जवाव दे पायेंगे |"


"ओह !"


"मैं देखता हूं एम्बुलेंस ।" - फ्रांको बोला और तेजी से बाहर को लपका ।


उलटे पांव लौटकर उसने खबर दी कि एम्बुलेंस पिछवाड़े में पहुंच चुकी थी ।


"चलो।" - मार्सेलो बोला ।


फ्रांको ने दरवाजा खोल दिया ।


ऐंजो ने व्हील चेयर सम्भाली और उसे बाहर को लुढकाने लगा ।


गले में स्टेथोस्कोप लटकाए और हाथ में अपना विजिट बैग थामे एडुआर्डो व्हील चेयर के पहलू में चलने लगा ।


मार्सेलो व्हील चेयर के दुसरे पहलू में था और फ्रांको आगे-आगे चल रहा था ।


व्हील चेयर हॉल में पहुंची तो हॉल में पहले सन्नाटा छा गया और फिर खुसर- फुसर होने लगी ।


"एवरीथिंग इज आल राइट।" - फ्रांको उच्च स्वर में बोला - "हिज हाइनैस अब पहले से बेहतर हैं। इन्हें सिर्फ फरदर चेकअप के लिए नर्सिंग होम ले जाया जा रहा है । आप लोग बरायमेहरबानी रास्ता छोड़ दें ।"


तत्काल लोग दांये-बांये सरककर एम्बुलेंस के लिए रास्ता बनाने लगे ।


एडुआर्डो की सतर्क निगाह चारो तरफ दौड़ रही थी लेकिन उसकी निगाह की पकड़ में न बद्रीनाथ आया और न शालू आयी । जरुर वो पहले ही वंहा से रुख्सत हो चुके थे ।


अलबत्ता पिछवाड़े के दरवाजे के करीब उसे धनेकर जरुर दिखाई दिया। उसने निगाहों से एडुआर्डो से कोई सवाल करने की कोशिश की लेकिन उस घड़ी उससे निगाह मिलाने से एडुआर्डो ने खास परहेज रखा ।


वे निर्विघ्न पिछवाड़े में पहुंच गए जहां कि लिफ्ट उनका इन्तजार कर रही थी ।


वे नीचे पहुंचे ।


उन्हें देखते ही दो आर्डरली स्ट्रेचर सम्भाले एम्बुलेंस से निकले और उनके करीब पहुंचे ।


फ्रांको ने कम्बल के नीचे हाथ डालकर चुपचाप डोरी की गांठ खोल दी और उसे कौल की कमर में से खींच लिया ।


फिर कौल को पूरी एहतियात के साथ एम्बुलेंस में लाद दिया गया ।


ऐंजो ने व्हील चेयर उठाकर एम्बुलेंस में रख दी । व्हील चेयर के भार ने ही उसे आश्वस्त कर दिया कि भीतर माल था । तब पहली बार उसकी आंखों में चमक आयी जो कि एडुआर्डो ने भी देखी ।


एडुआर्डो की जान में जान आयी ।


वो नाकाम नहीं रहे थे ।


एक आर्डरली और ऐंजो स्ट्रेचर के साथ पीछे सवार हो गये। दूसरे ने पिछला दरवाजा बंद किया और आगे जाकर ड्राइवर के साथ बैठ गया ।


एम्बुलेंस का इंजन गर्जा ।


"मेरी कार पार्किंग में हैं।" - एडुआर्डो बोला- "इसलिए मैं"


 मार्सेलो और फ्रांको पहले ही सहमति में सिर हिलाने लगे । फिर वो अभिवादन में हाथ हिलाते बला छूटी के अन्दाज में घूमकर लिफ्ट में दाखिल हो गये ।


एम्बुलेंस आगे बढ चली ।


एडुआर्डो घूमा, पार्किंग की दिशा में अभी उसने एक ही कदम बढाया था कि वो ठिठक गया ।


कम्पाउंड की चारदीवारी के पीछे से कार्लो बितर-बितर उधर ही देख रहा था । एडुआर्डो से निगाह मिलते ही उसका सिर वहां से गायब हो गया ।


वो लपककर चारदीवारी के करीब पहुंचा।


कार्लो उसे कहीं दिखाई न दिया ।


शालू सम्भाल लेगी कमीने को - उसने अपने आप को आश्वाशन दिया और फिर भारी कदमों से पार्किंग की तरफ बढ़ चला ।