सुज़ैना के सात पति

स्थानीय लोगों में वह मकबरा ‘सात बार विवाहित की कब्र’ के नाम से प्रसिद्ध था। अक्सर लोग उसे नीली दाढ़ी वाले की कब्र समझ लेते थे, जिसने अपनी कई बीवियों की हत्या कर दी थी, जब उसकी बीवियों ने उसके ताले लगे कमरे का राज़ जानने की कोशिश की थी। पर यह मकबरा सुज़ैना एना-मारिया यीट्स का था और इस कब्र का शिलालेख (जो कि लैटिन भाषा में था) उन सभी लोगों का शोक व्यक्त करता था, जिन्हें उसकी उदारता से लाभ हुआ था, उस सूची में कई स्कूल, अनाथालय और सड़क के दूसरी तरफ़ वाला गिरिजाघर भी शामिल था। आस-पास किसी और कब्र के कोई चिन्ह नहीं थे और यह मुमकिन है कि उसके सभी पति दिल्ली टीले के नीचे स्थित पुराने राजपुर श्मशान में दफ़नाये गये होंगे।

मैं तब अपनी किशोरावस्था में ही था, जब मैंने पहली बार उस खंडहर को देखा था, जो किसी ज़माने में एक विशाल और शानदार हवेली रही होगी। उजाड़ और शान्त, उसके सभी रास्ते घास-फूस से ढँके हुए थे और फूलों की क्यारियाँ, घने जंगल के बीच खो गयी थीं। ग्रैंड ट्रंक रोड के किनारे स्थित था वह दो मंज़िला मकान। अब वहाँ कोई नहीं रहता था, और वह रहस्य से घिरा भयावह मकान दुष्ट आत्माओं का निवास माना जाता था।

दरवाज़े के बाहर, ग्रैंड ट्रंक रोड के ऊपर, हज़ारों गाड़ियाँ तेज़ी से गुज़र जाती थीं—कार, ट्रक, बस, ट्रैक्टर, बैलगाड़ी—पर कुछ ही का ध्यान उस पुरानी हवेली या उसके मकबरे पर जाता था, क्योंकि वे मुख्य सड़क से काफ़ी अन्दर नीम, आम और पीपल के वृक्षों से ढँके थे। एक बहुत ही विशाल और पुरातन, पीपल का पेड़ मकान के अवशेष के बीच खड़ा था, ठीक उसी तरह उस मकान का गला घोंटता हुआ जैसे उस मकान की मालकिन ने अपने किसी प्रेमी का घोंटा था।

कहा जाता था कि सुज़ैना ने कई शादियाँ की थीं और जब भी वह अपने पतियों से ऊब जाती थी तो उन्हें मार देती थी और उसकी दुष्ट आत्मा आज भी उस सुनसान बगीचे में रहती है। मैंने मकबरे का निरीक्षण किया था, खंडहर भी देखा था, झाड़ियों और जंगली गुलाबों के पेड़ों के बीच से गुज़रा था लेकिन इस रहस्यमयी युवती की आत्मा से कभी मेरा सामना नहीं हुआ था। शायद उस समय मैं इतना निश्छल और मासूम था कि दुष्ट आत्माओं ने मुझे परेशान नहीं किया। दुष्ट तो वह रही होगी, अगर उसके बारे में प्रचलित कहानियाँ सच थीं तो।

उस उजाड़ हवेली के तहखानों में खजाना छुपे होने की अफ़वाह थी—सुज़ैना की बेशुमार दौलत। पर किसी में भी नीचे जाने की हिम्मत नहीं थी, क्योंकि कहा जाता था कि तहखाने में नागों का एक परिवार रहता था और उस दबे हुए खजाने की पहरेदारी करता था। क्या वह सच में एक बहुत अमीर औरत थी और क्या वह खजाना अभी भी वहाँ दबा हुआ था? मैं यह सवाल नौशाद से पूछता था—जो एक बढ़ई था और पूरी उम्र हवेली के पास ही रहा था, उसके पिता ने इस हवेली और पुरानी दिल्ली के कई और बड़े घरों के लिए फर्नीचर और फिटिंग का काम किया था।

“लेडी सुज़ैना के नाम से वह जानी जाती थी और अपनी दौलत के लिए उसके पास कई रिश्ते आते थे।” नौशाद याद करते हुए कहता। “वह बिलकुल कंजूस नहीं थी। दिल खोल कर खर्च करती थी, शान से अपने महलनुमा घर में रहती थी, कई घोड़े और गाड़ियाँ थीं उसके पास। हर शाम जब वह रोशनआरा बगीचों में घोड़े पर सवार होकर गुज़रती, तो सबकी निगाहें बस उसी पर टिकी होती थीं, क्योंकि वह जितनी दौलतमंद थी उतनी ही खूबसूरत भी थी। सभी युवक उसे चाहते थे और वह उनमें से सबसे अच्छे युवक को चुन सकती थी। कई दौलत के लालच से आते थे। वह उन्हें हतोत्साहित नहीं करती थी। कुछ थोड़े समय के लिए उसका ध्यान आकृष्ट करते पर बहुत जल्दी ही वह उनसे ऊब जाती। उसका कोई भी शौहर ज़्यादा समय तक उसकी दौलत का आनन्द नहीं उठा पाया।

“आज कोई भी उस खंडहर में जाने को तैयार नहीं, जहाँ एक समय में हँसी और कहकहे गूँजा करते थे। वह ज़मींदारनी थी, काफ़ी ज़मीन की मालकिन, और मुस्तैदी से अपनी सम्पत्ति की देखभाल करती थी। वह दयावान थी अगर समय पर सब अपना किराया दे दें, पर अगर कोई समय पर किराया न दे पाये तब वह क्रूर बन जाती थी।

“उसे दफ़न हुए पचास वर्षों से अधिक हो गये, पर आज भी लोग उसके बारे में भय से बात करते हैं। उसकी आत्मा अतृप्त है, और ऐसा कहा जाता है कि वह अक्सर अपने पूर्व वैभव के स्थान पर आती है। उसे इस दरवाज़े से गुज़रते हुए या बगीचे में घुड़सवारी करते हुए या अपनी गाड़ी राजपुर रोड पर चलाते हुए अक्सर देखा गया है।”

“और उन सब पतियों का क्या हुआ,” मैंने पूछा।

“ज़्यादातर रहस्यमय ढंग से मारे गये। डॉक्टर भी कुछ नहीं समझ पाये। टॉमकिन्स साहब बहुत पीते थे। वह उनसे जल्दी ही ऊब गयी। उसे कहते हुए सुना गया था कि एक शराबी पति बोझ होता है। वह एक दिन शराब सेवन से मर ही जाता, पर वह अधीर थी और उससे पीछा छुड़ाना चाहती थी। आपने धतूरे की झाड़ियाँ देखी हैं? हमेशा से ही इस मैदान में वे उगती आयी हैं।”

“बेल्लाडोन्ना?” मैंने पूछा।

“जी हुज़ूर वही। बस शराब में थोड़ी-सी मिलाने से वह हमेशा के लिए सो गया।”

“तब तो वह बहुत संवेदनशील थी।”

“ओह, बिलकुल साहब। एक साहब, जिनका मुझे नाम नहीं पता, घर के पीछे वाले हौज़—जिसमें नीलकमल उगते थे, डूब गये। पर उसने अर्धमृत होने पर ही उन्हें गिराया। उसके हाथ बड़े और ताकतवर थे, लोग कहते हैं।”

“फिर वह उनसे शादी ही क्यों करती थी? क्या वह सिर्फ़ पुरुष मित्र नहीं रख सकती थी?”

“उन दिनों में नहीं हुज़ूर। सम्मानजनक समाज यह बर्दाश्त नहीं करता था। न ही भारत में और न पश्चिम में इसकी अनुमति होती थी।”

“वह गलत समय में पैदा हुई थी,” मैंने कहा।

“सच कह रहे हैं, साहब। और यह मत भूलिये कि उनमें से ज़्यादातर उसकी दौलत के लालच में उससे शादी करना चाहते थे। इसलिए हमें उन पर ज़्यादा दया नहीं करनी चाहिए।”

“उसे तो बिलकुल दया नहीं आई उन पर।”

“उसमें दया नहीं थी। खास कर तब जब उसे पता चला कि वे उससे क्या चाहते थे। साँपों के ज़िन्दा रहने की ज़्यादा उम्मीद थी।”

“उसके बाकी पति कैसे विदा हुए इस दुनिया से?”

“कर्नल साहब ने अपनी राइफल साफ़ करते हुए गलती से खुद को गोली मार ली। एक दुर्घटना मात्र, हुज़ूर। हालाँकि कुछ लोग कहते थे कि बिना उन्हें बताये उसने उनकी बन्दूक में गोलियाँ भर दी थीं। उसकी छवि ही ऐसी बन गयी थी कि जब वह निर्दोष भी होती तब भी लोग उस पर शक करते थे। पर वह हमेशा पैसे देकर मुसीबत से बच जाती थी। अगर आप के पास दौलत हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं।”

“और चौथा पति?”

“ओह, उसकी प्राकृतिक मौत हुई थी। उस साल हैजा फैला था और उसी से उसकी मौत हो गयी। हालाँकि तब भी कुछ लोग कहते थे कि आर्सेनिक की भारी मात्रा की एक खुराक से भी वैसे ही लक्षण उत्पन्न होते हैं। खैर मृत्यु प्रमाण-पत्र पर हैजा लिखा था। और जिस डॉक्टर ने वह प्रमाण-पत्र बनाया था, उसका अगला पति वही था।”

“वह डॉक्टर था तो वह अपने खाने-पीने का तो ध्यान रखता ही होगा?”

“वह एक साल टिका।”

“क्या हुआ?”

“एक नाग ने उसे काट लिया।”

“पर वह तो उसकी ख़राब किस्मत थी, है न? अब इसके लिए सुज़ैना को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।”

“नहीं हुज़ूर, लेकिन वह नाग उनके शयन कक्ष में था। उनके बिस्तर के पाये से लिपटा। और जब रात को उसने कपड़े बदले तो उसने उसे काट लिया। वह मर चुका था, जब एक घंटे बाद सुज़ैना कमरे में आयी। साँप उसकी बात सुनते थे। न वह उन्हें क्षति पहुँचाती थी न ही वे उसे काटते थे।”

“और उन दिनों कोई विषहर औषधि नहीं होती थी। डॉक्टर भी मर गया। छठा पति कौन था?”

“एक बहुत रूपवान पुरुष। नील के बगीचों का मालिक। वह कंगाल हो गया था जब नील का व्यापार बन्द हुआ। सुज़ैना की मदद से वह खोयी हुई सम्पत्ति पाना चाहता था। पर हमारी सुज़ैना मैडम—वह अपनी दौलत बाँटने में यकीन नहीं करती थी।”

“और इस नील के बगीचों के मालिक को उसने कैसे मारा?”

“कहते हैं कि उसे तेज़ नशे वाली शराब पिलाई, और जब वह बेहोश पड़ा था, तो उसने उसके कानों में खौलता हुआ सीसा डालकर, उसे उस रास्ते पर भेज दिया जहाँ एक दिन हम सब जायेंगे।”

मैंने कहा, “ऐसी मौत में दर्द नहीं होता।”

“पर हुज़ूर एक बहुत भयानक कीमत, सिर्फ़ इसलिए कि अब आपकी ज़रूरत नहीं…”

हम धूल भरे हाईवे पर टहल रहे थे, शाम की हवा का आनन्द लेते हुए और कुछ समय बाद हम रोशनआरा बगीचों में पहुँच गये, उन दिनों में दिल्ली का बहुत ही प्रचलित और लोकप्रिय मिलने का स्थान।

“तुमने अब तक मुझे छह पतियों के मरने की कहानी बतायी नौशाद। पर उसके तो सात पति थे न?”

“आह, सातवाँ एक बहादुर नौजवान न्यायाधीश था, जो ठीक यहीं मरा था हुज़ूर। एक रात वे इन्हीं बगीचों से अपनी गाड़ी में गुज़र रहे थे जब मेमसाब की गाड़ी पर कुछ डाकुओं ने हमला कर दिया। उसकी रक्षा करते हुए, उस नौजवान को तलवार द्वारा घातक घाव लगा।”

“यह तो उसकी गलती नहीं थी, नौशाद।”

“नहीं हुज़ूर, पर याद रखिए कि वह एक न्यायाधीश था और हमलावर—जिनमें से एक के रिश्तेदार को उसने सज़ा सुनाई थी, बदला लेना चाहते थे। हैरानी की बात यह है कि कुछ दिन बाद ही उनमें से दो को मेमसाब ने नौकरी दी। अब आप खुद अपना निर्णय ले सकते हैं।”

“और भी थे क्या?”

“पति नहीं। पर एक जांबाज, एक किस्मत का सिपाही आया था। लोग कहते हैं, ‘उसने उसका खजाना ढूँढ लिया।’ और वह उसी खजाने के साथ दबा हुआ है, इस उजाड़ घर के तहखाने में। उसकी हड्डियाँ बिखरी हुई हैं सोने-चाँदी और बेशकीमती जवाहरातों के बीच। आज भी नाग उनकी रक्षा करते हैं। वह कैसे मरा यह आज तक एक रहस्य है।”

“और सुज़ैना? उसका क्या हुआ?”

“उसने एक लम्बी ज़िन्दगी जी। कम-से-कम इस ज़िन्दगी में तो उसे अपने गुनाहों की सज़ा नहीं मिली। उसके अपने बच्चे नहीं थे, पर उसने एक अनाथालय खोला और उदारता से गरीबों, स्कूलों और कई संस्थानों, जिनमें से एक विधवाओं के लिए था, को दान दिया। एक रात नींद में उसकी मौत हो गयी।”

“एक ज़िन्दादिल विधवा” मैंने कहा, “जैसे ‘ब्लैक विडो स्पाइडर’ एक प्रकार की मकड़ी जिसका डंक ज़हरीला होता है और जो अपने साथी को खा जाती है।”

सुज़ैना का मकबरा ढूँढने मत जाना, कुछ समय पहले वह गायब हो गया, उसकी हवेली के खंडहर के साथ। एक शानदार नयी इमारत उसी जगह पर बन गयी पर उससे पहले कई मज़दूर और ठेकेदार साँप के काटने से मर गये। कभी-कभी वहाँ रहने वाले लोग कहते हैं कि एक दुष्ट आत्मा वहाँ रहती है जो अक्सर गाड़ियों को रुकवाती है, खास कर वह जिसमें केवल एक पुरुष हो। एक या दो लोग रहस्यमय तरीके से गायब भी हुए हैं।

और सूरज ढलने के बाद, एक पुरानी घोड़ा-गाड़ी रोशनआरा बगीचों से गुज़रती हुई कभी-कभी दिख जाती है। अगर आपको दिखे, तो उस पर ध्यान मत देना। रुककर उस सुन्दर युवती के किसी सवाल का कोई जवाब तो बिलकुल मत देना जो परदों के पीछे से मुस्कुरा रही होगी। वह अब तक अपने आखिरी शिकार की तलाश में है।