“लेकिन हम यह कहकर कि उसने रमा की कार चुराई है, उसे धमका नहीं सकेंगे ।"


"कोशिश तो करेंगे।"


"एक कार की चोरी का इलजाम उसके लिए क्या अर्थ रखता है। उसने इतने जुर्म किए हैं कि भारतीय दन्ड विधान की सारी धारायें उस पर लागू होती हैं। "


"हम उस पर जयनारायण की हत्या का इलजाम लगायेंगे, देखें वह क्या कहता है ?"


"मैं आ तो जाता हूं लेकिन राजप्रकाश को छेड़ना बारूद को छेड़ने के बराबर है ।"


"देखा जायेगा, तुम आओ तो सही ।"


"अच्छा ओ के ।"


"ओ के !"


***


रमाकान्त ने मैरीना बीच पर स्थित मैरीना स्वीमिंग क्लब के सामने कार पार्क की और सुनील के साथ बीच के उस सिरे की ओर चल दिया जिधर राजप्रकाश अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बैठा सूचित किया गया था । उन लोगों से बीस-पच्चीस गज दूर जौहरी खड़ा था। उसके हाथ में कैमरा था और वह अपने आपको फोटोग्राफर प्रकट कर रहा था । वह कभी-कभी समुद्र की एक-आध फोटो ले भी लेता था । रमाकान्त ने राजप्रकाश की जीप के पास खड़े दिनकर को संकेत किया। दिनकर उनके पास आ गया ।


"क्या पोजीशन है ?" - रमाकान्त ने पूछा ।


"जौहरी उनके आस-पास घूम रहा है, अब ये लोग यहां से जाने ही वाले हैं। "


"सुनील ।" - रमाकान्त जल्दी से बोला- "राजप्रकाश को हमारी मौजूदगी का आभास हो गया मालूम होता है ।"


सुनील ने देखा राजप्रकाश उठकर खड़ा हो गया था और सशंक दृष्टि से कभी इन तीनों की ओर कभी स्वयं को फोटोग्राफर प्रदर्शित करते हुए जौहरी को देख रहा था । लड़की भी घबराई हुई लग रही थी। सुनील तेजी से उनकी ओर बढ़ा ।


राजप्रकाश ने उन्हें अपनी ओर आते देखा तो उसका एक हाथ तेजी से अपने अन्डरवियर की छोटी-सी जेब में गया और फिर वही हाथ लड़की की पीठ के पीछे घूम गया । लड़की क्षण भर के लिये उसके साथ सट गई। सुनील, रमाकान्त और दिनकर के सामने पहुंचते ही वह लड़की से अलग हो गया। लड़की बहुत घबरा गई थी और उसका हाथ बारम्बार अपने स्विमिंग सूट की पीठ पर चला जाता था ।


"हलो।" - सुनील, राजप्रकाश को सम्बोधित करता हुआ बोला "हम तुम्हें राजप्रकाश कहें या बांकेबिहारी ?" -


"तुमसे मतलब ?" - राजप्रकाश तीब्रता से बोला ।


"कला ।" फिर वह लड़की को सम्बोधित करके बोला- "तुम क्लब में जाकर कपड़े पहनो और मेरा जीप में

इन्तजार करो, मैं अभी आता हूं।"


"कितनी देर में ?" - कला ने पूछा ।


"तुम्हारे कपड़े पहनने तक पहुंच जाऊंगा, ये लोग सरकारी आदमी नहीं हैं, मुझे रोक नहीं सकते।”


"तुम हमारे बारे में काफी कुछ जानते मालूम होते हो


"केवल तुम्हें ।" - राजप्रकाश ने सुनील की ओर उंगली उठाते हुए कहा - "तुम सुनील कुमार चक्रवर्ती हो, ब्लास्ट के रिपोर्टर |"


"वैसे तुम्हें रमाकान्त को पहले पहचानना चाहिए था, तुमने कल यूथ क्लब में एक चपरासी द्वारा मेरे लिये एक पत्र भेजा था ।"


"बकवास ।"


"बकवास नहीं बांकेबिहारी ! तुमने वाकई ऐसा किया था।" 


"राजप्रकाश ।" - राजप्रकाश ने मुंह बिगाड़कर कहा ।


"एक ही बात है, अगर तुम्हें खुशी होती है तो राजप्रकाश ही सही।"


"तुम जाओ कला ।" - राजप्रकाश लड़की से बोला. "मैं इनसे निपटकर अभी आ रहा हूं।" 


“जो कहना है जल्दी कहो।" - वह सुनील की ओर मुड़ा- "मुझे काम है।"


"तुम हमें बहुत-सी बातें बताओगे ?"


"तुम मुझे किसी बात के लिए मजबूर नहीं कर सकते


"तुम्हारा क्रिमिनल रिकार्ड तुम्हें मजबूर कर सकता है।"


"नहीं कर सकता, पुलिस को मेरी किसी भी केस में तलाश नहीं है । "


“रमा की कार चुराने के अपराध में पुलिस को तुम्हारी तलाश है ।"


"लेकिन वह साबित नहीं कर सकते।"


"कर सकते हैं । ओरियन्ट कम्पनी का मैनेजर तुम्हारे विरुद्ध गवाही देगा। तुमने उसे बहुत दुखी किया है।"


राजप्रकाश कुछ क्षण सोचता रहा और फिर धीरे से बोला “तुम चाहते क्या हो ?"


"मैं यह जानना चाहता हूं कि जो पत्र तुमने मेरे नाम यूथ क्लब में भिजवाया था वह तुम्हें किसने दिया था ?"


"मैं किसी पत्र के विषय में नहीं जानता, तुम मुझे घिस नहीं सकते।"


"तुमने माडर्न थियेट्रीकल इक्वीपमेन्ट सप्लाइंग कम्पनी से चपरासी की वर्दी किराये पर ली थी ?"


"ली थी, फिर ?”


"फिर यह कि तुमने किसी लड़की को, शायद कला को ही, उस वर्दी में यूथ क्लब भेजा ।”


"अच्छा भेजा था, फिर ?"


"तुम्हें वह पत्र कहां से मिला था ?"


"मुझे रमा ने दिया था।"


"तुम झूठ बोल रहे हो ?"


"मैंने स्वयं वह पत्र तुम्हें भेजा था ।"


"तुम फिर झूठ बोल रहे हो।"


"तो साबित करके दिखाओ।" - राजप्रकाश विचित्र स्वर में बोला ।


"तुमने मेकअप की कई चीजें थियेट्रीकल कम्पनी से उधार ली थीं।" - सुनील ने बात बदलकर कहा - "तुम मेकअप करके जयनारायण की कोठी पर गये और वहां उसका कत्ल कर आये।" - सुनील ने झूठ का सहारा लिया - "क्या यह सत्य है ?" 


"क्या बक रहे हो ?"


"तुमने जयनारायण की हत्या की है। "


राजप्रकाश अब वास्तव में ही चिढ़ गया। वह झल्लाकर बोला "अच्छा मैंने कत्ल किया है, बताओ क्या करते हो ? तुम्हारा बाप भी मुझ पर कत्ल का इलजाम सिद्ध नही कर सकता ।”


सुनील पहले तो कोई सख्त कदम उठाने के विषय मे सोचता रहा, लेकिन फिर रमाकान्त को सम्बोधित करके बोला- "रमाकान्त, जरा इधर आओ।"


सुनील रमाकान्त को राजप्रकाश से कुछ कदम परे ले गया। 


"मैं जा रहा हूं।" - राजप्रकाश ने जाने का उपक्रम किया । 


"तुम यहां से हिल भी नहीं सकते।"


"कौन रोकेगा मुझे ?”


"मैं रोकूंगा" - जौहरी ने कहा- "मैं मिडल वेट का बाक्सर हूं, लेकिन मैं हैवी वेट को नाक आउट कर सकता हूं । अगर तुम अपनी नाक-वाक तुड़वाना चाहते हो तो जाकर देखो। मैंने भी अरसे से हाथ गर्म नहीं किए है, कहो तो एक नमूना पेश करू । "


राजप्रकाश कसमसाकर चुप हो गया ।


“रमाकान्त ।" - सुनील थोड़ी दूर जाकर बोला- "यह घिसा हुआ आदमी है, हमारी छिछली चालों में नहीं फंसेगा ! मैंने यहां आने से पहले राजप्रकाश को कला के स्विमिंग सूट में कुछ सरकाते देखा था। इसीलिए उसने कला को पहले भेज दिया है। मैं टेलीफोन का बहाना करके यहां से हट जाऊंगा, तुम राजप्रकाश को उलझाये रखना ।"


"अच्छा ।"


"जौहरी को फोटोग्राफी की जानकारी है या यूं ही कैमरा लटकाए फिर रहा है ?"


"जौहरी कुछ नहीं जानता । दिनकर एक्सपर्ट फोटोग्राफर है। अगर जरूरत हो तो तुम जौहरी से कैमरा ले जाओ, जीप के पास तुम्हें दिनकर मिल जाएगा।"


"राजप्रकाश ।" - सुनील दूर से ही बोला- "मैं पुलिस को फोन करने जा रहा हूं। तुम यहां से भागने की कोशिश मत करना, नहीं तो जौहरी तुम्हारा भुर्ता बनाकर रख देगा ।"


सुनील कैमरा लेकर चला गया ।


जीप के पास पहुंचकर उसने कैमरा दिनकर को सौंपा और कला की प्रतीक्षा करने लगा। कुछ ही देर बाद कला वहां आ गई। अब उसने एक बहुमूल्य साड़ी पहनी हुई थी और उसके हाथ में एक पर्स झूल रहा था। सुनील को जीप के पास खड़ा देखकर वह ठिठक गई ।


"मिस कला ।" - सुनील शिष्ट स्वर से बोला- "मैं आपकी ही प्रतीक्षा कर रहा था । "


"फरमाइये।" - वह उलझन भरे स्वर में बोली ।


"राजप्रकाश ने जो चीज आपके स्विमिंग सूट में डाली थी वह आप मुझे दे दीजिए।"