शालू लेडीज टायलेट की तरफ बढ़ रही थी कि नागेश फिर उसके सामने आ खड़ा हुआ ।


"तुम !" - वो चिढ़कर बोली- “फिर आ गए ?”


नागेश बड़े धूर्त भाव से मुस्कुराया ।


“अब क्या है ?"


"मुझे याद आ गया है कि मैंने पहले तुम्हें कहां देखा है । "


"बधाई । अब रास्ता छोडो ।”


"मिरामर क्लब | तुम वहां कैब्रे करती हो । मैंने तुम्हें वहां कई बार देखा है।"


"कई बार देखा फिर भी याद न आया कि कहां देखा !"


"उसकी वजह है ।”


" मैंने नहीं सुननी | बाजू हटो ।"


" मैंने तुम्हें कपड़ों में कभी नहीं देखा था। यहां तुम कपड़े पहने हो इसीलिए याददाश्त दगा दे गई। यहां भी तुम अपने कैब्रे वाले कास्ट्यूम में होती तो मैं फौरन... '


"ओह, शट अप । मैं वो कैब्रे डांसर नहीं हूं।"


"तुम बिल्कुल वही हो । अब मेरी आंखे धोखा नहीं खा सकती । अब तो मुझे तुम्हारा नाम भी याद आ रहा है । शालू । नो ?"


"वो मेरी जुड़वां बहन है ।”


"जुड़वां बहन ?"


"लाइक सीता और गीता । "


"तुम कौन हो ?"


"मैं... मैं नीलू हूं।"


"नहीं, तुम मुझे उल्लू बना रही हो ।”


"अरे, बने बनाए को मैं क्या बनाउंगी ! अब जाओ जाके विस्की में डूब मरो।"


" तुम्ही शालू हो । न सिर्फ शालू हो बल्कि बड़ी चालू हो ।" 


"क्या !"


"बेबी, आई नो युअर गेम ।"


"गेम !"


"तुम यहां किसी मोटे बकरे की फिराक में हो । "


"मोटा बकरा !"


"जो कि मैं हो सकता हूं। स्वीटहार्ट, मैं तुम्हारे हाथों जिबह होने को तैयार हूं । "


"क्या बक रहे हो ?"


"अब ऐसी नादान बनकर न दिखाओ । हामी भरो और अपनी कीमत बोलो । "


"दफा हो कमीने!" - शालू दांत पीसती हुई बोली । फिर उसने जोर से उसे एक तरफ धक्का दिया और फर्श रौंदती हुई आगे बढ़ चली ।


नागेश लड़खड़ाया, सम्भला और फिर उसके पीछे लपका । लेकिन उसे लेडीज टायलेट की ओर बढ़ता पाकर वो ठिठक गया ।


अब पहचान गया हूं तो देख भी लूंगा साली को वो होठों में बुदबुदाया- जाएगी कहां ! बड़ी हद भाव ही तो बढ़ा लेगी अड़ी करके, नखरा करके, साली चालू शालू ।


***

ऐंजो ने घड़ी पर निगाह डाली और फिर कौल का कन्धा दबाया ।


कौल ने सिर उठाया ।


“योर हाइनैस।" - ऐंजो बड़े अदब से बोला - “दवा खाने का वक्त हो गया है ।”


कौल ने बड़े नर्वस भाव से सहमति में सिर हिलाया ।


रॉलेट की उस भीड़ भरी मेज पर हिज हाइनैस मुस्तफा अहमद बिन मुहम्मद एल खलीली को पूरी इज्जत हासिल हो रही थी । उसके रुतबे और व्हील चेयर से लोग उसके साथ अदब से पेश आ रहे थे ।


ऐंजो ने एक वेटर को इशारा किया और उससे एक गिलास पानी मंगवाया । उसने पानी का गिलास कौल के सामने मेज पर रख दिया और फिर जेब से कैप्सूल निकाला ।


कौल ने कैप्सूल की तरफ हाथ न बढ़ाया।


"क्या है ?" - ऐंजो दांत भींचकर बोला । 


"मैं मर गया तो ?" - कौल व्याकुल भाव से फुसफुसाया । 


"ये अब सोचने की बात है ?" 


"तभी से सोच रहा हूं, जब से कैप्सूल का जिक्र सुना है ।" 


"मूर्खों जैसी बातें नक्को । कैप्सूल पकड़ो ।” कौल ने कांपते हाथों से कैप्सूल थामा ।


"खाओ।"


उसने मुंह की तरफ हाथ न बढ़ाया ।


"लोग देखने लगेंगे, ईडियट | "


उस घड़ी रॉलेट की बाल व्हील में गोल घूम रही थी और ये देखने के लिए सबकी निगाहें बाल पर थी कि वो कौन से खाने में जाकर गतिशून्य होती थी ।


कौल ने कैप्सूल मुंह में रखा ।


“पानी पी ।” - ऐंजो उसके कान में फुंफकारा - "निगल ।” 


"मैं मर जाऊंगा ।" 


"कमीने, क्यों अक्खा गेम चौपट करने पर तुला है ?"


वो बेचैनी से पहलू बदलने लगा ।


ऐंजो ने मेज पर से गिलास उठाकर जबरन उसके हाथ में थमाया । कौल के जिस्म में फिर भी हरकत न हुई तो उसने खुद ही जबरन उसे कौल के मुंह से लगाया ।


कौल ने कांखते-कराहते एक घूंट पानी हलक से नीचे उतारा ।


शुक्र है ।


ऐंजो ने गिलास वापिस मेज पर रख दिया ।


कौल एक बार फिर खांसा । उस क्रिया में उसने अपना हाथ अपने मुंह के सामने किया । जब उसने हाथ मुंह पर से हटाया तो ऐंजो ने देखा कि कैप्सूल उसके हाथ में था ।


सान्ता मारिया ! सान्ता मारिया !


तभी व्हील में बाल रुकी ।


कौल का नम्बर लग गया था ।


क्रूपियर ने काफी सारे टोकन हिज हाइनैस की तरफ सरकाए ।


थोड़ी देर के लिए कौल की तवज्जो जीत के टोकनों की तरफ हो गई । उसने सारे टोकन एक नए नम्बर पर लगा दिए ।


बाल फिर रॉलेट व्हील में घूमने लगी ।


सबकी निगाहें फिर बाल पर टिक गई ।


कौल की भी ।


ऐंजो ने चुपचाप जेब से एक छोटी-सी इंजेक्शन की सिरिंज निकाली जिसमें कि एक तरल पदार्थ भरा हुआ था । सीरिंज इतनी छोटी थी कि वो उसकी हथेली में बखूबी छुपी हुई थी । उसने एक सतर्क निगाह अपने दाएं-बाएं डाली और फिर सीरिंज की सुई कौल की गर्दन की एक नस में चुभोकर पिस्टन दबा दिया ।


कौल जोर से तड़पा लेकिन ऐंजो ने कुर्सी के पीछे से उसके कन्धे दबोच लिए ।


कौल और जोर से तड़पा ।


उसके मुंह से एक घुटी हुई चीख निकली।


रॉलेट की टेबल पर मौजूद कुछ लोगों की तवज्जो उसकी तरफ गई । वो विस्फारित नेत्रों से कभी हिज हाइनैस को तो कभी उनके ए डी सी को देखने लगे ।


“हिज हाइनैस की तबीयत एकाएक खराब हो गई मालूम होती है ।" - ऐंजो आश्वासनपूर्ण स्वर में बोला - "लेकिन ये अभी ठीक हो जाएंगे।"


तभी कौल की हथेली में से कैप्सूल लुढका और मेज पर आकर गिरा ।


"वक्त पर दवा नहीं खा पाए ।" - ऐंजो बोला- "इसीलिए ऐसा हुआ । एकाएक "


कई सिर सहानुभूति में हिले ।


कौल को सम्भालने की कोशिश में, उसे व्हील चेयर पर दबोचे रखने की कोशिश में सिरिंज ऐंजो के हाथ से निकल कर कार्पेट बिछे फर्श पर जा गिरी थी । उस घड़ी उसे वापिस उठाने का हाल नहीं था इसलिए ऐंजो ने पांव की ठोकर से उसे मेज के और नीचे सरका दिया। अब झुककर मेज के नीचे झांके बिना वो किसी को वहां पड़ी दिखाई देने वाली नहीं थी ।


तभी कौल का जिस्म एक बार फिर जोर से तड़पा और फिर शिथिल पड़ने लगा ।


ऐंजो ने कुछ क्षण प्रतीक्षा की और फिर हौले-हौले उसके कन्धों पर से अपना दबाव घटाने लगा । कौल के शरीर में


कोई प्रतिक्रिया होती न पाकर उसने अपने हाथ हटा लिए।


"अरे !" - एकाएक कोई आशंकित भाव से बोला - "इनकी तो आंखें उलट गई हैं । "


ऐंजो ने देखा कि कौल का शरीर कुर्सी पर ढेर-सा हो गया था और उसका सिर उसकी छाती पर लटक गया था ।


“हिज हाइनैस को दिल का दौरा पड़ गया मालूम होता है।" - ऐंजो फरियादभरे स्वर में बोला- "जल्दी किसी जिम्मेदार आदमी को बुलाइए ।” -


लेकिन हॉल में घूमता जिम्मेदार आदमी उधर की हलचल से प्रभावित हुआ पहले ही उधर चला आ रहा था ।


"क्या हुआ ?" - मार्सेलो करीब पहुंचकर बोला ।


“हिज हाइनैस को एकाएक दिल का दौरा पड़ गया है।" - ऐंजो व्याकुल भाव से बोला ।


"हिज हाइनैस !"


"मुस्तफा अहमद बिन मुहम्मद एल खलीली । बसरा के अमीर ।"


हिज हाइनैस ! - मार्सेलो सकपकाया वो महत्वपूर्ण मेहमान जिसकी आमद की ट्रेवल एजेन्ट ने खबर भिजवाई थी ! -


"क्या ऐसा पहले भी कभी हुआ है ?" - प्रत्यक्षतः मार्सेलो बोला ।


"नहीं।" - ऐंजो बोला- “आप कौन हैं ?"


"मैं कैसिनो का मालिक हूं । मार्सेलो।"


"फिर तो आप जल्दी कुछ कीजिए, मिस्टर मार्सेलो ।” 


"क... क्या ? क्या..?"


"पहले तो इन्हें कहीं लिटाने का ही इन्तजाम कीजिए ।" 


"ओह हां । हां । आप इन्हें मेरे ऑफिस में ले चलिए । " 


"ऑफिस कहां है ?" 


" इसी फ्लोर पर है। मेरे पीछे आइए ।"


मार्सेलो लम्बे डग भरता आगे बढ़ा तो ऐंजो व्हील चेयर घुमाकर उसे उसके पीछे धकेलने लगा ।


कैसिनो के वातावरण में एकाएक बड़ी बोझिल स्तब्धता छा गई थी । वहां वो लोग भी एकाएक खामोश हो गए थे जिन्हें अभी खबर भी नहीं लगी थी कि असल में क्या हो गया था ।


वो मार्सेलो के लिए चिन्ता का विषय था । वहां का माहौल बिगड़ना वो गवारा नहीं कर सकता था । उस बखेड़े को जल्द- अज- जल्द निपटाया जाना जरुरी था ।


"क्या हुआ, मिस्टर मार्सेलो।" - मार्सेलो के एक परिचित मेहमान ने सवाल किया ।


"कुछ नहीं हुआ।" - मार्सेलो जानबूझकर इतने उच्च स्वर में बोला कि वो सबको सुनाई दे जाए- "एक साहब की तबीयत जरा खराब हो गई है। वो अभी ठीक हो जाएंगे और फिर आप लोगों के बीच में होंगे । सो कैरी आन लेडीज एंड जेंटलमैन ।”


तत्काल वातावरण की स्तब्धता भंग होने लगी ।


व्हील चेयर अभी ऑफिस के दरवाजे पर ही पहुंची थी कि पीछे हॉल में सब कुछ पूर्ववत सामान्य हो चुका था ।


***

लेडीज टायलेट हॉल के पिछवाड़े में एक कोने में एक ड्योढ़ी-सी में था जिसके सामने एक शनील का मोटा पर्दा पड़ा हुआ था । पर्दे के पीछे बाई तरफ लेडीज टायलेट का दरवाजा था, दाई तरफ एक और बन्द दरवाजा था जिसके पीछे पता नहीं क्या था और उन दोनों के बीच पिछली दीवार में एक विशाल खिड़की थी जिसका एक पल्ला खोलकर जीतसिंह ने बाहर एक फुट के प्रोजैक्शन पर कदम रखा ।


शालू ने उसके पीछे खिड़की बन्द कर देनी थी और करीब आधे घंटे बाद दोबारा खोल देनी थी ।


उसने जीतसिंह को नागेश नाम के उस लसूड़े की बाबत चेतावनी दी थी जो नाहक उसके पीछे पड़ा हुआ था । लिहाजा जीतसिंह ने इस बात का खास ख्याल रखा था कि कोई उसे पर्दे के पीछे जाते न देखे ।


दीवार के साथ चिपका-चिपका वो प्रोजैक्शन पर बाई तरफ सरकने लगा जिधर की वाल्ट वाले कमरे की खिड़की थी ।


पांचवी खिड़की ।


जैसा कि अपेक्षित था, वातावरण में उस घड़ी धुंध छाई हुई थी जिसकी वजह से जीतसिंह को मुश्किल से चार-पांच फुट आगे तक ही कुछ दिखाई दे रहा था ।


बड़े सब्र के साथ धीरे-धीरे सरकता वो पांचवी खिड़की तक पहुंचा ।


उसने खिड़की के चारों पल्लों की बारी-बारी ट्राई करना शुरू किया तो दूसरा पल्ला उसका हाथ लगते ही भीतर को झूल गया ।


जीतसिंह ने चैन की सांस ली ।


धनेकर ने अपने हिस्से का काम कर दिखाया था ।


उसने पल्ले को पूरा खोला और फिर चौखट पर चढ़कर भीतर की तरफ उतर गया ।


अब वो वाल्ट वाले कमरे में था ।


***

शालू बार पर पहुंची। वो एक खाली स्टूल पर बैठ गई। बारमैन तत्काल उसके करीब पहुंचा ।


"गिव मी ए जिन एंड टॉनिक ।" - वो बोली ।


“यस, मैडम । "


एक मिनट में जिन एंड टॉनिक का जाम शालू के सामने था ।


उसने गिलास उठाकर अपने होठों से लगाया ।


"चियर्स !"


शालू ने चिहुंककर आवाज की दिशा में देखा तो अपने पहलू में पूरी तरह बेशर्मी से हंसता नागेश उसे दिखाई दिया । उसके हाथ में एक विस्की का गिलास था । उसने गिलास को उंचा किया और फिर बोला - "चियर्स!"


शालू ने असहाय भाव से गर्दन हिलाई और अपना गिलास वापिस मेज पर रख दिया ।


"अब क्या है ?" - वो बोली ।


"वही जो पहले था ।”


"क्या मतलब ?"


"पाखण्ड करने का कोई फायदा है ?"


"पाखण्ड !"


"जो तुम कर रही हो । तुम्हें मेरे साथ ऐसे पेश नहीं आना चाहिए।"


"तुम मुझे गलत समझ रहे हो ।”


"स्वीटहार्ट, मैंने आज तक किसी औरत को गलत नहीं समझा । मुझे औरत और उसकी नीयत की बहुत पहचान है ।"


"मैं वैसी लड़की नहीं हूं।"


"तुम शालू हो । और शालू कैसी लड़की है, ये मुझे मालूम है ।”


"कैसी लड़की है शालू ?"


"चालू ।” शालू ने दांत किटकिटाए ।


“अब बोलो क्या चाहती हो ? ताकि फिर मैं तुम्हें बता सकूं कि मैं क्या चाहता हूं ?"


"तुम क्या चाहते हो ?"


"ये भी कोई पूछने की बात है ?"


"तुम आदमी नहीं हो, शैतान की औलाद हो । नाजायज।” वो हंसा ।


" मैंने तुम्हारी बात का बुरा नहीं माना ।" - वो बोला "हसीनों की गालियां भी मुझे फूल जैसी लगती है । "


“अब टल तो सही, फूल ! बल्कि डैम फूल ।”


नागेश एक क्षण खामोश रहा और फिर शालू के कान के करीब मुंह ले जाकर बड़ी संजीदगी से बोला- "सुनो । यहां के तौर-तरीकों की बाबत एक बात मैं तुम्हें बताना चाहता हूं जो मुझे लगता है कि तुम्हें मालूम नहीं है । "


"क्या ?"


"यहां अकेली लड़की का आना मना है । तुम मेरे साथ यूं ही बेरुखी से पेश आती रहोगी तो मैं फ्लोर मैनेजर को बुलाकर तुम्हारी पोल खोल दूंगा । नतीजा ये होगा तुम्हें फौरन यहां से बाहर कर दिया जाएगा।"


शालू घबरा गई ।


"मैं अकेली नहीं हूं।" - वो बोली । "मुझे तो जब से दिखाई दे रही हो, अकेली ही दिखाई दे रही हो ।"


" मैं अकेली नहीं हूं । मेरे साथ मेरा... ब्वाय फ्रेंड है । "


"स्वीटहार्ट, ये घिस्सा मेरे साथ नहीं चलने वाला ।"


" मैं सच कह रही हूं।"


"कहां है वो ?" "यहीं कहीं होगा। आ जाएगा।" “कोई होगा तो आएगा न !”


"अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं ?”


"तुम मत समझाओ । मैं ही समझाता हूं । जाकर फ्लोर मैनेजर को । फ्रांको नाम है उसका । बाई चांस मेरा वाकिफ है । सी यू डार्लिंग | "


"अरे, सुनो सुनो । सुनो।"


वो ठिठका ।


"अगर मैं तुम्हारी बात मान लूं तो तुम क्या करोगे ?"


"ये भी कोई पूछने की बात है ?" - वो कोहनी से उसका वक्ष टटोलता हुआ बड़े अश्लील भाव से बोला ।


" हर काम का कोई वक्त होता है, दस्तूर होता है । "


"सब ठीक हो जाएगा । तुम्हारे हामी भरने की देर है कि सब ठीक हो जाएगा ।"


" कहां ?"


“यहीं । ऊपरली मंजिल पर । बस मुझे जरा फ्रांको को तलाश करके उससे बात करनी होगी ।"


"कितनी देर लगाओगे ?"


" बड़ी हद आधा घंटा ।"


आधा घंटा ! - उसने वाल- क्लाक पर निगाह डाली बद्री को गए दस मिनट से ऊपर हो चुके थे ।


"ठीक है ।" - वो बोली - "लगा लो ।”


“वो बोलो ।” - नागेश एक उंगली और अंगूठे से सिक्का उछालने का अभिनय करता हुआ बोला ।


"वो भी देख लेंगे । जब तुम तुले ही हुए हो मोटा बकरा बनने पर तो मुंह सिर मूंड के ही भेजूंगी तुम्हें ।"


“ये हुई न बात !” - वो हंसता हुआ बोला- “अब आई न अपने असली रंग में" - वो एक क्षण ठिठका और फिर बोला "चालू शालू ।”


"अब जा भी चुक, हरामी आसामी ।"


वो फिर हंसा और बोला- "मैं फ्रांको से बात करने जाता हूं और सब सैट करके लौटता हूं। तुम मुझे यहीं मिलना । "


"ठीक है ।"


अपने पीछे एक बेहद चिन्तित शालू को छोड़कर नागेश वहां से रुख्सत हुआ ।


व्हील चेयर पर अचेत पड़ा कौल ऑफिस में लाया गया ।


फ्रांको पहले से वहां मौजूद था जिसने कि मार्सेलो के आदेश पर दरवाजा भीतर से बन्द कर दिया ।


"क्या हुआ ?" - फ्रांको बोला ।


"हिज हाइनैस को एकाएक कोई दौरा पड़ गया है।" - मार्सेलो बोला ।


"ये इमरजेंसी है।" - ऐंजो व्याकुल भाव से बोला - "आप लोग बरायमेहरबानी किसी डॉक्टर को बुलाइए।"


“बुलाते हैं ।” - मार्सेलो बोला- "लेकिन उसके आने में टाइम लगेगा।"


"क्यों ? क्यों टाइम लगेगा ?"


"क्योंकि उसने दूर से आना होगा ।"


"ओह | "


"क्यों न इन्हें" - फ्रांको बोला- "एम्बूलेंस पर हस्पताल भिजवाने का इन्तजाम किया जाए । "


"एम्बूलेंस आने में भी तो टाइम लगेगा।" - माकूल जवाब मार्सेलो ने ही दे दिया ।


"इनको फौरन डॉक्टरी इमदाद की जरुरत है।" - ऐंजो बोला - "बाहर इतने लोग मौजूद हैं, क्या पता उनमे कोई डॉक्टर हो |"


मार्सेलो को वो बात जंची। उसने फ्रांको को इशारा किया ।


फ्रांको सहमति में सिर हिलाता बाहर को लपका।


"इज देयर ए डॉक्टर इन दि हाउस ?" - वो बाहर जाकर उच्च स्वर में बोला ।


एडुआर्डो उस घड़ी दरवाजे के इर्द-गिर्द ही मंडरा रहा था । उसे तभी सूझा था कि इतने लोगों में कोई असली डॉक्टर भी हो सकता था जोकि उससे पहले भीतर ले जाया जा सकता था।


"आई एम ।" - वो आगे बढ़कर बोला- "आई एम डॉक्टर एडुआर्डो एम डी ।”


उसी क्षण करीब आ खड़ा हुआ कार्लो भौचक्का सा एडुआर्डो का मुंह देखने लगा ।


डैडीयो ! और डॉक्टर ! वो भी एम डी !


“आप मेरे साथ तशरीफ लाइए ।" - फ्रांको बोला- "एक इमरजेंसी है। प्लीज, जल्दी कीजिए ।"


एडुआर्डो आगे बढ़ा । फ्रांको ने उसके लिए दरवाजा खोल दिया । एडुआर्डो भीतर दाखिल हो गया । फ्रांको उसके पीछे दाखिल होने लगा तो....


"फ्रांको ।"


.... किसी ने पीछे आवाज लगाई ।


उसने घूमकर देखा ।


नागेश लपककर उसके करीब पहुंचा ।


"हल्लो !" - वो बोला । "हल्लो !" - फ्रांको उतावला सा बोला- "क्या है ?" "मुझे तुम्हारे से एक जरूरी काम है..." 'अभी नहीं । अभी मैं एक इमरजेंसी में बिजी हूं । मैं थोड़ी देर में मिलता हूं । सॉरी । डोंट माइंड ।”


फ्रांको कमरे में दाखिल हो गया । उसने नागेश के मुंह पर दरवाजा बन्द कर दिया ।


उसने पाया कि डॉक्टर पहले ही हिज हाइनैस का मुआयना कर रहा था ।


एडुआर्डो ने कौल की नब्ज टटोली, दिल की धड़कन टटोली, आंखे खोलकर बारी-बारी दोनों पुतलियों का मुआयना किया और बोला- "हूं । हूं।"


"वाट डू यू से, डॉक्टर ।" - मार्सेलो बोला ।


"हालत गंभीर है।" - एडुआर्डो बोला ।


"ओह !" 


"लेकिन मैं सम्भाल लूंगा ।"


" दैट्स वैरी गुड | "


"इनका व्हील चेयर पर पड़े रहना ठीक नहीं । सबसे पहले इन्हें लिटाया जाना चाहिए । पीठ के बल । कम्फर्टेबल पोजीशन में।" - उसने दाएं-बाएं निगाह दौड़ाई - "ये सोफा ठीक रहेगा ।"


तत्काल चारो जनों ने मिलकर कौल को सोफे पर पीठ के बल लिटा दिया ।


"अब जरा नीचे से मेरा विजिट बैग मंगा दीजिए।" एडुआर्डो बोला ।


"नीचे से कहां से ?" - मार्सेलो बोला ।


"मेरी कार में से । फिएट है । ग्रे कलर की । चाबी डोरमैन के पास है ।"


मार्सेलो ने फ्रांको की तरफ देखा ।


फ्रांको सहमति में सिर हिलाता बाहर को लपका ।


"मैं एक मिनट में आता हूं।" - मार्सेलो बोला - "हॉल में मेहमान अचरज कर रहे होंगे कि क्या हुआ ! मैं जरा उन्हें एट ईज करके आता हूं।"


"ओह !" "मैं बस गया और आया ।"


एडुआर्डो ने सहमति में सिर हिलाया । उसके वहां से रुख्सत होते ही वो ऐंजो की तरफ घूमा और व्यग्र भाव से बोला - "ये तो बहुत बुरी हालत में है। मुझे नहीं पता था कि कैप्सूल इसकी इतनी दुर्गत कर देगा ।"


"कैप्सूल तो इसने खाया ही नहीं।" - ऐंजो धीरे से बोला । 


"क्या ! तो फिर ये इस हाल में कैसे पहुंचा ?"


ऐंजो ने बताया ।


एडुआर्डो भौचक्का-सा उसका मुंह देखने लगा ।


“सान्ता मारिया ! क्या बला था वो इंजैक्शन ?"


"पता नहीं। जिससे मैंने वो इंजैक्शन ठीक किया था, वो बोलता था कि उससे जान का खतरा नहीं था । "


"वो बोलता था ! और तू मानता था ! ऐंजो, अगर ये आदमी मर गया तो इसका खून तेरे सिर होगा ।"


"बरोबर बोला ।" - ऐंजो व्यंगपूर्ण स्वर में बोला- "ये कैप्सूल से मरता तो इसका खून किसके सिर होता । तुम्हारे ?"


"कैप्सूल से ये नहीं मरता ।"


"कैसे मालूम ? कैप्सूल ये खाया नहीं । खाया होता तो शायद ज्यास्ती खराब कंडीशन में होता ।"


"लेकिन..."


"नक्की करो, बॉस । मैंने तुम्हारा गेम सेव किया । ये आदमी कैप्सूल खाने वाला नहीं था । ऐन वक्त पर इसकी हिम्मत दगा दे गई थी । मेरे को इससे ऐसा ही अन्देशा था। तभी मैं इंजेक्शन लाया । न लाया होता तो..."


"श...श...।"


ऐंजो खामोश हो गया ।


दरवाजा खुला और मार्सेलो और डॉक्टर के विजिट बैग के साथ फ्रांको ने एक साथ भीतर कदम रखा ।


फ्रांको ने आगे बढ़कर बैग एडुआर्डो को सौंप दिया ।


एडुआर्डो ने बैग को खोलकर पहले उसमें से स्टेथोस्कोप निकाला और उसके जरिए कुछ क्षण कौल के दिल को टटोला, फिर उसने एक इंजैक्शन तैयार किया जो उसने दर्शकों की तरफ पीठ करके मरीज को देने का अभिनय किया । उसने सीरिंज को जल्दी से बैग के हवाले किया और बोला - “अब इन्हें कम-से-कम एक घंटा मुकम्मल आराम की बड़ी सख्त जरुरत है । एक घंटा इनको बिलकुल डिस्टर्ब न किया जाए। इनको हिलाना भी इनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है ।"


"एक घंटे बाद " - मार्सेलो बोला- "ये ठीक हो जाएंगे ?"


"ठीक नहीं हो जाएंगे। ऐसा करिश्मा एक घंटे में नहीं हो सकता । अलबत्ता इस काबिल जरुर हो जाएंगे कि इन्हें एम्बूलेंस पर किसी अच्छे नर्सिंग होम में ट्रांसफर किया जा सके ।"


"आई सी ।"


"अब ये देखना आपका काम है कि ये आराम कर सकें ।" एक घंटा मुकम्मल


"ये यहीं पड़े रहें । हमें कोई प्रॉब्लम नहीं । "


"मैं यहां" - ऐंजो बोला- "इनके साथ..."


"कोई जरुरत नहीं । कतई कोई जरुरत नहीं । तुम इनके लिए कुछ कर सकोगे तो एक घंटे बाद जबकि नर्सिंग होम में ट्रांसफर करने का वक्त आएगा ।"


"लेकिन मैं इनका ए डी सी हूं ।”


" और इस घड़ी मैं इनका डॉक्टर हूं।"


"ये ठीक कह रहे हैं ।" - मार्सेलो बोला- "आइए सब लोग बाहर चलें । "


"मेरा बैग यहीं रहेगा । एक घंटे बाद मैं इन्हें फिर एग्जामिन करूंगा।"


"सो काइंड ऑफ यू, डॉक्टर । "


“यहां की फालतू बत्तियां भी बन्द कर दी जानी चाहिए । यूं मरीज को ज्यादा आराम मिलेगा ।"


"नो प्रॉब्लम । फ्रांको । "


“यस, सर । राईट अवे, सर ।"


एक टेबल लैम्प को छोड़कर वहां की तमाम बत्तियां बन्द कर दी गई । कमरे में नीम अंधेरा छा गया ।


तब सब बाहर निकले ।


"मेरे ख्याल से तो आप" - एडुआर्डो बोला- "एक घंटे के लिए दरवाजे को बाहर से ताला ही लगा दीजिए | "


"क्या हर्ज है ?" - मार्सेलो बोला ।


फ्रांको ने हिचकिचाते हुए सहमति में सिर हिलाया ।


***

जीतसिंह बीच के दरवाजे पर पहुंचा और की होल के साथ कान लगाकर आहट लेने लगा ।


कहीं कोई आवाज न थी ।


कान हटाकर उसने की होल से आंख लगाई तो उसे अन्धेरे के सिवाए कुछ दिखाई न दिया ।


उसने दरवाजे को हौले से धक्का दिया तो वो निःशब्द खुल गया । झिझकते हुए उसने बाहरले कमरे में कदम रखा ।


कमरे में सिर्फ एक टेबल लैम्प जल रहा था जिसकी रोशनी उतने बड़े कमरे का अन्धेरा दूर करने के लिए अपर्याप्त थी । कालीन बिछे फर्श पर एक-एक कदम जमाकर रखता हुआ वो व्हील चेयर के करीब पहुंचा । उसने एक उड़ती निगाह सोफे पर पड़े कौल के निश्चेष्ट शरीर पर डाली और फिर व्हील चेयर की सीट का ढक्कन उठाया । उसने वहां से औजारों वाला कैनवस का बैग बरामद किया और उल्टे पांव वाल्ट वाले कमरे में लौटा। उसने बीच का दरवाजा बन्द कर दिया और छाती के बल फर्श पर लेट गया। फिर अपने बैग को अपने से आगे धकेलता वो वाल्ट की तरफ रेंगने लगा ।


उस घड़ी वो उस बिल्ली को याद कर रहा था जिसे कि धनेकर ने बीम के आर-पार आते-जाते देखा था और जो पता नहीं औंधे मुंह लेटे उस से उंची थी या नहीं ।


वो एक-एक इंच करके सिर नीचा किए आगे रेंगता रहा ।


हर क्षण उसे लगता था कि अलार्म बजा कि बजा । लेकिन अलार्म न बजा ।


वो निर्विघ्न वाल्ट तक पहुंच गया ।


तब उसकी जान में जान आई। वो सीधा हुआ, उसने अपना औजारों वाला बैग खोला और फिर बेआवाज गुनगुनाता हुआ बड़ी तल्लीनता से वाल्ट खोलने की प्रक्रिया में जुट गया ।


एडुआर्डो बाकी लोगों से अलग हुआ तो कार्लो लपककर उसके पास पहुंचा ।


"डैडीयो !" - वो हैरान-सा बोला - "ये मैं क्या देखा ? क्या सुना ?"


"क्या देखा ?" - एडुआर्डो सहज भाव से बोला- "क्या सुना ?"


“अपना डैडी डॉक्टर ! वो भी एम डी ! डॉक्टर एडुआर्डो एम डी ! खुद अपने मुंह से बोला ! क्या किस्सा है ?"


"कोई किस्सा नहीं । "


"कोई तो जरुर होगा। कहीं ये वो ही तो किस्सा नहीं जिसमे पहले मेरे को इन बोला और फिर आउट कर दिया।"


"नहीं, वो किस्सा नहीं ।"


"लेकिन..."


"अरे, बोला न, कोई किस्सा नहीं । "


"ह्रीं ह्रीं ह्रीं । ऐसा कैसे हो सकता है ? डैडीयो, तुम इतनी देर से इधर हो, शालू इतनी देर से इधर है, तुम दोनों एक बार भी एक-दूसरे के करीब नहीं फटके | ऐसा क्यों ?"


"कोई खास वजह नहीं । "


"यूं तो मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाला । ये तो मैं जान के रहूंगा कि तुम एम डी डॉक्टर कैसे बन गए ।"


"जान के रहेगा ?"


"हां"


“बाज नहीं आएगा ?”


"नहीं ।" 


"ये तेरा पक्का फैसला है ?"


"बट यस ।"


"तो सुन ।" - एडुआर्डो ने एकाएक उसकी बांह पकड़कर उसे अपने करीब घसीट लिया और दांत पीसता हुआ उसके कान में फुंफकारा - “जो बात तू जानने के लिए मरा जा रहा है, उसकी बाबत अगर तूने एक लफ्ज भी और मेरे सामने या किसी और के सामने जुबान से निकाला तो मैं अपने हाथों से तेरी गर्दन मरोड़ दूंगा..."


उस घड़ी एडुआर्डो की आवाज में ऐसा कहर था की कार्लो सिर से पांव तक पत्ते की तरह कांप गया ।


"... और ऐसा करते वक्त मैं इस बात की परवाह नहीं करूंगा कि तू शालू का कजन है । समझ गया ?"


कार्लो का चेहरा फक्क पड़ गया, बड़ी कठिनाई से वो सहमति में सिर हिला पाया ।


"अब दफा हो जा" - एडुआर्डो ने उसकी बांह छोड दी - 'और खबरदार जो यहां दुबारा मेरे पास फटका ।"


"म... मैं... मैं घर जाता हूं।"


"ये सबसे अच्छा है । अक्ल तभी काम की होती है जब वक्त रहते आ जाए।"


वो खामोश रहा ।


"बाहर तक खुद पहुंच जाएगा या मैं छोड़ के आऊं ?" “म... मैं पहुंच जाऊंगा। म... मैं जाता हूं।"


"शाबाश | गुड ब्वाय ।”


कार्लो घूमा और तेजी से वहां से रुख्सत हो गया ।


***