हॉल में लगी हुई घड़ी ने नौ बजाए । उसकी घंटी की तेज आवाज मानो पूरे कमरे में भर सी गई ।
मैं फर्श पर बिखरे हुए टूटे काँच के गिलास और बिखरी हुई व्हिस्की को देखता हुआ अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ ।
“मैं इसे साफ कर देता हूँ ।” मैंने कहा और दरवाजे की तरफ बढ़ा ।
“हैरी...”
“मैं अभी वापस आता हूँ ।”
मुझे संभलने के लिये समय चाहिए था । मैं जानता था कि मैं बिल्कुल सफेद पड़ गया था । मेरा दिमाग डर के मारे सांय-सांय कर रहा था । मैंने बचने के लिये कोई सजता सा झूठ सोचने की पूरी कोशिश की लेकिन मुझे कुछ भी नहीं सूझ सका ।
मैंने रसोई से एक झाड़ू उठा ली और वापस घर के हॉल की तरफ बढ़ना शुरू किया । मैंने देखा कि नीना सामने के दरवाजे को खोलने की पूरी कोशिश कर रही थी । जब हम अन्दर आए थे तो मैंने दरवाजे की चिटकनियाँ बन्द कर दी थीं । ऊपर वाली चिटकनी ज्यादा सख्त थी और नीना इसे नीचे करने का प्रयास कर रही थी ।
“तुम कहाँ जा रही हो ?” मैं झाड़ू को एक तरफ फेंकता हुआ उस पर चिल्लाया ।
उसने अपनी गर्दन को थोड़ा सा घुमाकर मुझे देखा । उसका चेहरा डर के मारे सफेद पड़ा हुआ था और उसकी आँखें अप्रत्याशित रूप से फैली हुई थीं ।
“गैरेज में ।”
वह चिटकनी खोलने में कामयाब हो गई, तभी मैं उसकी तरफ कूदा और उसे पकड़ लिया ।
“तुम वहाँ नहीं जा रही हो! ये चाबियाँ मुझे दो ।”
“जाने दो मुझे!”
वह मेरी पकड़ से आजाद हो गई और मुझसे छिटककर अलग हो गई । उसके हाथ उसकी कमर के पीछे थे और वह दीवार के साथ लगी हुई थी । उसका सीना उसकी तेज साँसो के साथ उसकी सफेद कमीज में तेजी से ऊपर और नीचे हो रहा था ।
“वो चाबियाँ मुझे दो ।”
“मेरे पास मत आना । क्या किया है तुमने ?”
“मुझे दो वो चाबियाँ ।”
“नहीं ।”
मुझे उन्हें अपने कब्जे में लेना ही था । मैंने उसे पकड़ लिया लेकिन वह मेरी पकड़ से निकलकर दूर हो गई और लाऊंज में भाग गई । मैं उसके पीछे भागा और उसकी कलाई को पकड़कर उसे अपनी तरफ घुमाया ।
“हैरी! तुम मुझे चोट पहुँचा रहे हो ।”
मैंने उसकी उँगलियाँ जबरदस्ती खोल ली और चाबियाँ ले लीं । जब हम उलझे हुए थे तो नीना फिसल गई और अपने घुटनों के बल जा गिरी ।
मैंने उसे छोड़ दिया और जोर-जोर से साँस लेता हुआ उससे दूर जाकर खड़ा हो गया । वह अपने घुटनों के बल बैठी रही, अपने हाथों में अपना चेहरा छुपाए हुए और फिर उसने रोना शुरू कर दिया ।
मैंने कार की चाबियाँ अपनी जेब में डाल लीं ।
“मुझे बहुत दुख है, नीना ।” मेरी जुबान से बड़ी मुश्किल से शब्द निकले । “मेरा तुम्हें चोट पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था । भगवान के लिए, अब रोना बंद करो ।”
मैं उसे उठाना चाहता था लेकिन मैं इतना शर्मिन्दा था कि उसे छू भी नहीं पाया ।
वह दो मिनट तक अपने घुटनों के बल बैठी रही और मैं उसे देखते हुए खड़ा रहा । फिर धीरे-धीरे वह अपनी कलाई को पकड़े हुए खड़ी हो गई ।
हमने एक दूसरे को देखा ।
“अच्छा होगा कि तुम मुझे सच्चाई बता दो ।” उसने कहा । “तुमने क्या किया है ?”
“मैंने कुछ नहीं किया है ।” मैंने कहा । “इसे भूल जाओ । मुझे दुख है कि मैंने तुम्हें धोखा दिया ।”
“क्या तुम मेहरबानी करके मेरी कार की चाबियाँ मुझे दोगे ? मैं कार की डिक्की खोलना चाहती हूँ ।”
“ओह, भगवान के लिए, नीना । क्या तुम इस बात का पीछा छोड़ोगी ? मैंने तुम्हें कहा है कि इसे भूल जाओ । क्या तुम समझ नहीं रही ? तुम्हें इसे भूलना होगा ।”
उसने अपना हाथ आगे किया ।
“मुझे मेरी चाबियाँ दो ।”
“तुम बेवकूफ हो!” मैंने बेचैनी से कहा । “तुम इस मामले से दूर रहो! मैं तुम्हें चाबियाँ नहीं दूँगा ।”
वह अचानक मुझे घूरते हुए नीचे बैठ गई ।
“हैरी, उस डिक्की में ऐसा क्या है जो तुम इतना डरे हुए हो ? मैं देखना चाहूँगी, जो वे दो सैनिक भी न देख पाए । अब मुझे यह मत कहना कि वह लड़की उस डिक्की में है ।”
अब मेरे चेहरे पर पसीना चमकने लगा था और मैं काँप रहा था ।
“मेरी बात सुनो ।” मैंने कहा । “तुम्हें एक बड़ा बैग लेना होगा और किसी होटल में जाना होगा । आज की रात यहाँ पर मुझे अकेला होना चाहिए । भगवान के लिए, जो मैं कह रहा हूँ, वह करो और मुझसे सवाल मत करो । क्या तुम ऐसा करोगी ?”
“ओह, हैरी!” वह अब मेरी तरफ भयभीत होकर देख रही थी । “कह दो कि यह सच नहीं है, मैं इस पर यकीन नहीं कर सकती! हैरी! वह लड़की वहाँ पर नहीं है, क्या यह सच है!”
“सवाल करना बंद करो ।” मैं अपने हाथों की मुट्ठियां भींचते हुए बोला । “जाओ और अपना बैग पैक करो! यहाँ से चली जाओ । क्या तुम नहीं देख सकती कि तुम्हारी चिन्ता के बिना भी मेरे दिमाग पर कितना बोझ है ?”
“क्या वह मर चुकी है ? वह अवश्य ही मर चुकी है! क्या तुमने ही उसे मारा है ?”
मैं उसके पास गया, उसे बाजुओं से पकड़कर खड़ा किया और जोर से हिलाया ।
“अब सवाल पूछना बंद करो! तुम कुछ नहीं जानती हो । क्या तुम यह बात समझ रही हो...कुछ भी नहीं! अब यहाँ से चली जाओ और कल तक इस जगह से दूर रहो ।”
वह मुझे झटक कर आजाद हो गई और मुझसे दूर छिटक गई और उसके हाथ उसके चेहरे पर थे । फिर अचानक वह संयमित दिखने लगी और उसने अपने हाथ नीचे कर लिए ।
“मैं कहीं नहीं जा रही हूँ ।” उसने अपनी शांत और स्थिर आवाज में कहा । “तुम चिल्लाना बंद करो हैरी और बैठ जाओ । हम इस बात को आपस में साझा करने जा रहे हैं । प्लीज, मुझे बताओ कि क्या हुआ है ?”
“क्या तुम मुझसे पिटना चाहती हो ?” मैं उस पर गुस्से से चिल्लाया । “क्या तुम्हारे दिमाग में यह बात नहीं आ रही कि तुम सालों तक के लिए जेल में जा सकती हो, अगर तुम्हें इसके बारे में कुछ भी पता हुआ ? क्या तुम समझ नहीं रही हो ? मैं तुम्हें बचाने की कोशिश कर रहा हूँ । तुम्हें यहाँ से जाना होगा और अभी ।”
उसने दृढ़ता से मेरी तरफ देखा और अपना सिर इनकार में हिलाया ।
“पिछली बार जब तुम मुसीबत में थे, तुमने मुझे उस मामले से बाहर रखा और मुझे बेगाना बना दिया । तुम दोबारा मेरे साथ ऐसा नहीं करोगे । मैं तुम्हारी सहायता करूंगी, चाहे जैसे भी मैं कर सकती हूँ ।”
“मुझे तुम्हारी सहायता नहीं चाहिए ।” मैं आपे से बाहर होता हुआ चिल्लाया । “अब चली जाओ यहाँ से ।”
“मैं कहीं नहीं जा रही हूँ, हैरी ।”
मैंने अपना हाथ उसके चेहरे की तरफ निशाना साधकर लहराया लेकिन मैं उसे मार नहीं सका । मेरा हाथ अपने आप नीचे गिर गया । मैंने उसकी तरफ असहाय भाव से देखा। मैं उससे पूरी तरह से हार गया था ।
“क्या तुमने उसे मारा है, हैरी ?”
“नहीं ।”
“लेकिन क्या वह डिक्की में है ?”
“हाँ ।”
“मरी हुई ?”
“हाँ ।”
नीना बुरी तरह से काँपी और लम्बे समय तक उस घर की खामोशी से जो आवाज आती रही थी, वह हॉल में लगी घड़ी की टिक-टिक की आवाज थी ।
“अब तुम क्या करोगे ?” उसने आखिर में पूछा ।
“मुझे एक कार किराये पर लेनी होगी और उसे ‘पैट्री सिल्वर माइन्स’ तक ले जाना होगा ।”
“हमारे पास किराये पर कार लेने के लिये पैसे नहीं है ।”
मैं पस्त होकर कुर्सी पर ढेर हो गया ।
“मेरे पास फिरौती की रकम है ।”
नीना खड़ी हुई और दो ड्रिंक बना कर लाई । उसने एक मुझे दिया और दूसरा स्वयं पी गई । फिर वह कुर्सी की बाजू पर बैठ गई और अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया ।
“प्लीज, मुझे शुरू से बताओ कि यह सब कैसे हुआ ?”
“अगर पुलिस ने मुझे पकड़ लिया,” मैंने कहा, “और उन्हें पता चला कि तुम इस मामले के बारे में जानती हो, तुम दस साल के लिए जेल जाओगी, शायद उससे भी ज्यादा ।”
“अब इसके बारे में मत सोचो ।” उसकी उँगलियों के मेरे हाथ को स्पर्श करने से मुझे बड़ी राहत महसूस हुई । “प्लीज, शुरू से बताना शुरू करो । मैं जानना चाहती हूँ कि क्या हुआ था और मुझे सब कुछ बताओ ।”
मैंने उसे बताया । मैंने उससे कुछ भी नहीं छिपाया । मैंने यहाँ तक बता दिया कि ओडेट और मेरे बीच में जिस्मानी संबंध भी बने थे ।
“मैं उसकी लाश को कैबिन में नहीं छोड़ सकता था ।” मैं आखिर में बोला ।
“मैं उसे खदानों में छिपाने जा रहा था, तभी यह कमबख्त कार खराब हो गई ।”
नीना का हाथ मेरे हाथ के करीब आ गया और उसे कसकर पकड़ लिया ।
“ओह, हैरी! तुम्हारा यह वक्त सचमुच बड़ा खराब बीता । मुझे आभास तो हो रहा था कि कुछ गलत हुआ है लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह इतना भयंकर हो सकता था ।”
कुछ भी हो, यह सारी बात उसे बताकर के मुझे बहुत राहत मिली । अब मैं इतना डर नहीं महसूस कर रहा था । मेरा दिमाग, जो अब तक भय के मारे सहमा हुआ था, अब आने वाले हालातों का सामना करने में ज्यादा तैयार था ।
“खैर, अब तुम सब जानती हो ।” मैंने कहा । “मेरे पास इस सबके लिए कोई बहाना नहीं है । मैंने यह सब पैसों के लिए किया, पर अब इस बात के अफसोस का कोई फायदा नहीं है । अगर मैंने सब्र से काम लिया होता, यह नौकरी मुझे मिल ही जानी थी और हम खुशी-खुशी रह सकते थे । मैंने इस बात का इंतजार नहीं किया और अपने आप को इस मुसीबत में फंसा लिया । तुम्हें मुझे छोड़कर चले जाना चाहिये, नीना । मैं सही कह रहा हूँ । मैं इससे खुद निपट सकता हूँ । मैं तुम्हें इस मामले में उलझाना नहीं चाहता, अगर कुछ गड़बड़ हुई तो मैं पकड़ा जाऊँगा । मैं तुम्हारा भी इस मामले में पकड़ा जाना सहन नहीं कर सकता । वह सहन करना मेरे लिये बहुत मुश्किल होगा । क्या तुम यह सब नहीं समझती ? तुम्हें इससे दूर रहना चाहिये ।”
उसने मेरा हाथ थपथपाया और फिर मेरी कुर्सी की बाजू से उठकर वह खिड़की के पास चली गई । वह कई क्षणों तक मेरी तरफ पीठ किए हुए बाहर अंधेरी गली में देखती रही और फिर वह मेरी तरफ मुड़ी ।
“हम इन हालातों का सामना मिलकर करेंगे । इस बारे में बहस करके समय जाया न करो, हैरी । तुम क्या सोचते हो, उसे यहाँ से हटाना कब सुरक्षित रहेगा ?”
“अगर मैं यह काम दो से तीन बजे के आसपास करता हूँ तो यह कम जोखिम वाला रहेगा, लेकिन तुम्हारा इससे कोई लेना-देना नहीं है ।”
“मैं तुम्हारी सहायता कर रही हूँ । अगर हमारी परिस्थिति बदल जाए तो क्या तुम मेरी मदद नहीं करोगे । क्या मैं यह महसूस नहीं करूँगी कि तुम मुझसे हकीकत में प्यार नहीं करते, अगर तुम मुझे ऐसी स्थिति का सामने अकेले करने दोगे तो ?”
बेशक, वह सही कह रही थी । मैंने असहाय भाव से कंधे हिलाए ।
“हाँ, सही बात है, नीना । आई एम सॉरी । मैं बेवकूफ था जो मैंने यह सब काम किया । मैं अब और बहस नहीं करूँगा । मैं तुम्हारी मदद के लिये शुक्रगुजार रहूँगा ।”
वह मेरे पास आई और हमने एक दूसरे को अपनी बांहों में जकड़ लिया । हम उस स्थिति में कुछ देर तक खड़े रहे, फिर उसने मुझसे दूर हटते हुए कहा, “क्या उस पैसे को कार के लिये प्रयोग करना सुरक्षित रहेगा ?”
“यह पैसा छोटे नोटों में है । मारलौक्स के पास नंबर नोट करने का समय नहीं था । हाँ, उसे इस्तेमाल करना सेफ रहेगा ।”
“फिर तो यह अच्छा होगा कि तुम अभी कार का प्रबंध करो ? तुम उसे सड़क के मोड़ पर खड़ी कर सकते हो । जब तुम उसे हटाने के लिये तैयार हो जाओ तो तुम उसे गैरेज तक ला सकते हो ।”
“यही ठीक रहेगा ।”
मैं अपनी जगह से नहीं हिला । मैं कालीन की तरफ देखते हुए वहीं पर बैठा रहा । मुझे ब्रीफकेस निकालने के लिये कार की डिक्की को खोलना पड़ना था । ओडेट की लाश को देखने के ख्याल से ही मेरे होश फाख्ता हो गए ।
“बेहतर होगा कि तुम एक ड्रिंक और ले लो ।” नीना बोली । मेरे दिमाग में क्या चल रहा था, शायद यह उसने जल्दी से भांप लिया ।
“नहीं ।” मैं खड़ा हो गया । “मैं ठीक हूँ । फ्लैश लाइट कहाँ पर है ?”
वह एक दराज के पास गई और एक टॉर्च निकाली ।
“मैं तुम्हारे साथ चलूँगी ।”
“नहीं । यह ऐसा काम है जो खुद मुझे ही करना चाहिए ।”
मैंने टॉर्च उठाई, फिर उसकी तरफ देखे बिना, मैं सामने के दरवाजे की तरफ गया, उसे खोला और बाहर अंधेरे में कदम रखा ।
गली बिल्कुल सुनसान थी । सड़क के पार एक घर की खिड़कियों से रोशनी आ रही थी । मेरे साथ वाले पड़ोसी के घर में पूरी तरह से अंधेरा था । वहाँ पर कोई दिखाई नहीं दे रहा था । मेरा दिल जोर से धड़क रहा था और मुँह का स्वाद अजीब सा हो रहा था ।
मैं गैरेज के दरवाजे तक गया । मुझे ताले में चाबी लगाने में थोड़ी परेशानी हुई । जैसे ही मैंने एक दरवाजा खोला, मौत की धीमी-धीमी गंध मुझ तक पहुंची और मैं अपने डर और तनाव पर काबू पाने के लिये रुका ।
मैंने दरवाजा बंद कर दिया और अपनी टॉर्च को रोशन कर लिया । मुझे डिक्की तक पहुँचने के लिये हिम्मत जुटाने में कुछ पल लगे । उसके ताले में चाबी लगाने में ही मुझे एक मिनट का समय लग गया ।
जब मैं डिक्की का दरवाजा खोलने के लिये हिम्मत जुटाने के लिये वहाँ पर खड़ा था, तब मेरा चेहरा पसीने से तरबतर, साँसें तेज और दिल तेजी से धड़क रहा था ।
मैंने ढक्कन को ऊपर उठा दिया ।
मेरे हाथों में थमी टॉर्च की अस्थिर रोशनी में नीली-सफेद ड्रेस चमक उठी, लंबी और सुंदर टाँगे और बैलेट शूज़ में जकड़े छोटे-छोटे पाँव टायर के ऊपर टिके हुए थे ।
ब्रीफकेस लाश के बराबर में पड़ा था । मैंने उसे झपट कर उठा लिया और डिक्की का दरवाजा जोर से बंद कर दिया । मेरे मुँह में खट्टा पानी इकट्ठा हो रहा था और मैंने बड़ी मुश्किल से आती हुई उल्टी को रोका । उस वक्त मेरा पूरा शरीर डर के शिकंजे में जकड़ा हुआ था ।
मैंने अपने आप पर नियंत्रण किया, बड़ी मशक्कत से डिक्की का ताला लगाया और फिर गैरेज का दरवाजा बंद किया और जल्दी से घर की तरफ वापस चल पड़ा ।
नीना मेरा इंतजार कर रही थी । उसके चेहरे से तनाव साफ झलक रहा था । वह मुझे अचानक उम्रदराज, दुबली और चिंतित दिखाई देने लगी ।
“मैं वो वाला ड्रिंक अब लूंगा ।” मैंने भर्राई हुई आवाज़ में कहा । उसने ड्रिंक तैयार कर रखा था । व्हिस्की ने मुझे कुछ हद तक संभाला । मैंने अपना रूमाल बाहर निकाला और अपना चेहरा साफ किया ।
“संभालो अपने आप को ।” नीना ने प्यार से कहा ।
“मैं ठीक हूँ ।”
फिर मैंने एक सिगरेट जलाई और उसका जलता हुआ धुआँ अपने फेफड़ों में गर्क किया ।
“मैं इसे खोलती हूँ ।” नीना ने कहा और ब्रीफकेस की तरफ लपकी ।
“नहीं! इसे छुओ मत । तुम्हारे फिंगर प्रिंट इसके ऊपर बरामद नहीं होने चाहिए ।”
मैंने ब्रीफकेस उठाया । उसके ऊपर मामूली सा क्लिप लॉक लगा हुआ था । उसे खोलना आसान था । मैंने उसका बटन नीचे किया और उसका ढक्कन खोल दिया । मैंने ब्रीफकेस उलट दिया और उसके सामान को मेज पर खाली कर दिया ।
मुझे पैसों की बरसात की उम्मीद थी । मैं दर्जनों और दर्जनों की तादाद में रंगीन नोटों के बंडल देखने की उम्मीद कर रहा था । लेकिन उसकी बजाय पुराने अखबार मेज पर बिखर गए! पुराने, उसमें कुछ धूल से सने हुए, सिर्फ पुराने अखबार!
वहाँ पर कोई पैसा नहीं था!
सिर्फ पुराने, रद्दी और मिट्टी से सने हुए अखबार थे!
(II)
मुझे नीना की साँस रुकती हुई सुनाई दी ।
मैं इतना हैरान हुआ कि अपनी सुध-बुध भूल गया । मैं सिर्फ उन पुराने अखबारों को देखता रह गया और जो मैं देख रहा था, उस पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था । फिर सामने पड़ी हकीकत किसी भयंकर हथौड़े की तरह मेरी चेतना पर पड़ी ।
वहाँ पर कोई पैसा नहीं था और अब मैं कार भी किराये पर नहीं ले सकता था ।
“हम तबाह हो गए ।” मैंने बेचारगी के साथ नीना को देखते हुए कहा । “हम सच में बर्बाद हो गए ।”
नीना ने उन अखबारों को छान मारा जैसे उसे उम्मीद हो कि उसे कुछ नोट उनकी तह में मिले जाएँगे, फिर उसने मेरी तरफ अविश्वास भरी नजरों से देखा ।
“लेकिन यह सब कैसे हुआ ? क्या किसी ने इसे चुरा लिया है ?”
“नहीं, ब्रीफकेस मेरी आँखों से एक पल भी ओझल नहीं हुआ था, जब तक मैंने इसे डिक्की में बंद नहीं कर दिया ।”
“लेकिन पैसों को क्या हुआ ? क्या तुम सोचते हो कि मारलौक्स की पैसा देने की कभी नीयत थी ही नहीं ?”
“मुझे पूरा यकीन है कि वह पैसा देने वाला था । उसके लिये पैसों की कोई अहमियत नहीं है । उसे पता था कि यदि उसने कोई चाल चलने की कोशिश की तो वह अपनी बेटी की जान को खतरे में डाल देगा ।”
तभी अचानक मुझे दूसरे ब्रीफकेस की याद आई । बिल्कुल उसी तरह का ब्रीफकेस, जिसे रेनिक ने मुझे फोटो खिंचवाने के लिये दिया था ।
“ऐसे दो ब्रीफकेस थे, बिल्कुल एक जैसे! उसमें से एक में फिरौती की रकम थी और दूसरे में रद्दी अखबार । जब घर से मारलौक्स निकल रहा होगा तो किसी ने उन्हें बदल दिया हो सकता था ?”
“कौन उन्हें बदल सकता था ?”
“रिया! बेशक! यह तो बिल्कुल सीधी सी बात है । मुझे यह बात अजीब सी लगी थी कि उसे सारा पैसा लाने के लिये मुझ पर निर्भर रहना पड़ेगा । मैं भी कितना अनाड़ी था, जो यह सोच रहा था कि उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था, निश्चित तौर पर उसके पास दूसरा रास्ता था । उसने दूसरा ब्रीफकेस तैयार किया और अपने मौके का इंतजार किया और मौका मिलते ही उसने ब्रीफकेस बदल दिए । उसकी मुझे या ओडेट को पैसा देने की नीयत कभी थी ही नहीं, इसी लिये वह उस दिन कैबिन में नहीं आई । उसे आने की कोई जरूरत ही नहीं थी । मारलौक्स के घर से निकलने से पहले ही सारा पैसा उसके कब्जे में था । मैंने एक रद्दी से भरे ब्रीफकेस के लिये अपनी गर्दन फंसा ली । मैं शर्तिया कह सकता हूँ कि उसकी मुझे पचास हजार डॉलर देने की कभी कोई मंशा नहीं थी, जिसका उसने मुझसे वादा किया था ।
उसने मुझे मूर्ख बनाकर सारा खेल खेला और खुद सारा पैसा लेकर चलती बनी ।”
नीना ने बड़े धैर्य से कहा, “अब तुम क्या करोगे, हैरी ?”
उसकी इस बात से मुझे जोर का झटका लगा ।
“हम क्या कर सकते हैं ? बिना कार के हम फँस गए हैं ।”
“इस गली में दर्जनों कारें हैं और पैसिफिक गार्डन में सारी रात कारें बाहर खड़ी रहती हैं । हमें उनमें से कोई एक ले लेनी चाहिए ।”
मैंने उसकी तरफ हैरानी से देखा ।
“तुम्हारा मतलब है कि हम उसे चुरा लें!”
“हम उसे सिर्फ कुछ देर के लिये लेंगे ।” नीना ने दृढ़ता से कहा । “हम उसे लाएंगे, उस लाश को उसमें डालेंगे, उसे ड्राइव करके यहाँ से ले जाएंगे और उसे कहीं पर छोड़ देंगे । कार के चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज होगी, पुलिस उस कार को ढूंढ निकालेगी और साथ में उस लड़की को भी ।” उसने मेरा हाथ पकड़ लिया । “मैं उसे अपनी कार में छोड़ने का सोच भी नहीं सकती । उसे अब मिल ही जाना चाहिए और जल्दी मिल जाना चाहिए ।”
मैं हिचकिचाया, लेकिन मैंने महसूस किया कि उसकी बात में दम था ।
“इसमें खतरा है लेकिन तुम ठीक कहती हो । हमारे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं है ।”
मैंने अपनी घड़ी की तरफ देखा । ग्यारह से कुछ ही ऊपर का समय हुआ था ।
“मैं बाहर जाता हूँ और देखता हूँ कि शायद मुझे कोई कार मिल जाए जो लॉक्ड नहीं हो ।”
“मैं तुम्हारे साथ आऊंगी ।”
“ठीक है ।”
मैंने वो रद्दी अखबार वापस ब्रीफकेस में डाले और उसे अलमारी में रख दिया और फिर हम दोनों घर से बाहर निकले ।
हम हाथों में हाथ डाले, उस गली में इस ढंग से घूमने लगे जैसे कोई जोड़ा सोने से पहले टहलने निकलता है । हम पैसिफिक बालेवार्ड में पहुँचे जो हमारी सड़क के साथ समानांतर पड़ता था । वहाँ पर दोनों तरफ फुटपाथ पर बहुत सारी गाड़ियाँ खड़ी थीं । आखिरकार हम एक पुरानी मरकरी कार के पास पहुँचे और हम दोनों रुके ।
“इसकी बात बन जाएगी ।” मैंने कहा ।
नीना ने सहमति में सिर हिलाया । हमने गली में इधर-उधर देखा, फिर उसने अपना बैग खोल लिया और एक जोड़ी दस्ताने बाहर निकाले ।
“मुझे यह काम करने दो,” उसने कहा और कार के साथ सटकर खड़ी हो गई । जैसे ही उसने दस्ताने पहने तो वह बोली, “अपनी बाँहें मेरे चारों तरफ डाल लो, हैरी । किसी देखने वाले को ऐसा लगे जैसे हम दोनों आपस में प्यार कर रहे हैं । मैं दरवाजा खोलने की कोशिश करती हूँ ।”
मैंने उसे बाँहों में भर लिया ।
अगर कोई व्यक्ति गली में खुल रही उन बहुत सारी खिड़कियों में से बाहर देख रहा हो तो उसे यही दिखाई देता कि एक औरत और आदमी एक दूसरे को पकड़े हुए थे और औरत कार का सहारा लिये हुए थी । यह ऐसा दृश्य था जो आप किसी भी गली में देख सकते थे ।
नीना ने कहा, “दरवाजा लॉक्ड नहीं है ।”
मैं नीना से दूर हटा और उस घर की तरफ देखा जिसके सामने कार खड़ी थी । ऊपर की मंजिल पर रोशनी थी लेकिन नीचे के कमरों में अंधेरा था ।
नीना ने दरवाजा खोला और स्टीयरिंग के पीछे बैठ गई । मैंने एक सिगरेट सुलगा ली और गली में इधर-उधर निगाहें घुमाने लगा ।
वह तुरंत कार से बाहर निकल आई ।
“यह सही है ।” उसने मेरी बाजू पकड़कर कार से दूर चलते हुए कहा । “कार का इग्नीशन भी लॉक्ड नहीं है ।”
“हम एक बजे से पहले कुछ नहीं कर सकते ।” मैंने कहा ।
“अच्छा होगा कि हम वापस चलें ।”
“चलो, कुछ देर घूमते हैं । मैं घर में बैठ कर इंतजार नहीं करना चाहती ।” मैं उसकी बात समझता था इसलिए हम सागर की तरफ धीरे-धीरे चलने लगे ।
सागर के किनारे उस बीच का वह हिस्सा इस वक्त सुनसान पड़ा था । हम एक चारदीवारी पर बैठकर दूर से दिखाई दे रही पाम सिटी की रोशनी को निहारने लगे ।”
“हैरी ।” नीना ने कुछ देर कहा । “क्या तुम्हें पक्का यकीन है कि उस लड़की का कत्ल हुआ है ? क्या वह आत्महत्या नहीं कर सकती ?”
“कोई चांस नहीं है । उसका गला घोंटा गया है, उसका कत्ल हुआ था, ठीक ।”
“कौन ऐसा कर सकता है ।”
“यह सवाल मैं खुद से बार-बार कर रहा हूँ । अगर कोई ऐसा वहशी नहीं मिलता है जिसने उसे कैबिन में जाते हुए देख लिया हो और उस पर हमला कर दिया हो, तब मेरा दावा है कि रिया इसकी जिम्मेदार है । उसके पास इसका मोटिव भी है ।”
टिम काऊले ने जो मुझे फ्रांस के उत्तराधिकार के कानूनों के बारे में बताया था, वह मैंने नीना को बताया ।
“अगर ओडेट जिन्दा रहती तो उसे मारलौक्स की अथाह सम्पत्ति में से कानूनन आधा हिस्सा मिलता । रिया के लिये यह स्थिति बहुत फायदेमंद है कि ओडेट की इस तरह से मौत हो जाए । लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता कि उसने खुद उस लड़की को मारा होगा । मैं शर्त लगाने को तैयार हूँ कि उसके बीमार होने और सिडेटिव्स के प्रभाव में होने की गवाही कहीं पर भी टिक पाएगी । वह किसी झूठी गवाही में नहीं फँसेगी क्योंकि वह बहुत चालाक है । देर-सवेर रेनिक को इस बात का पता चल ही जाएगा कि ओडेट आधी संपत्ति की मालकिन थी । अगर उसे शक हो गया कि यह सारा अपहरण एक झूठा नाटक था तो यह मोटिव उसे रिया तक पहुँचा देगा और वह औरत इतनी तो चालाक है ही कि यह बात पहले से जानती हो ।”
नीना ने कहा, “उस औरत का कोई न कोई प्रेमी जरूर होना चाहिये, हैरी । अब मुझे यह मत समझाना कि उस जैसी औरत एक बीमार और बूढ़े आदमी के साथ रहने को तैयार थी । मैंने उसके फोटोग्राफ देखे हैं । मुझे पूरा यकीन है कि उसका कोई प्रेमी है ।”
वह सही कह रही थी । मैं हैरान हुआ कि मुझे अब से पहले उसके किसी प्रेमी की संभावनाओं का ख्याल क्यों नहीं आया ।
“मुझे एक पल सोचने दो । तुमने मुझे एक अच्छा आइडिया दिया है ।”
मैंने एक सिगरेट सुलगाई, मेरा दिमाग अब इस दिशा में दौड़ रहा था । कुछ देर के बाद मैं बोला, “माना कि उसका एक प्रेमी है । रिया उसे बताती है कि जब मारलौक्स मर जाएगा तो सारी संपत्ति का आधा हिस्सा ओडेट को मिलेगा । अब वह आदमी सोचता है कि अगर वे दोनों पूरी सम्पत्ति को हड़प लें तो यह उनके लिए ज्यादा अच्छा होगा । उन दोनों में से कोई भी ओडेट को मारने का खतरा नहीं उठाना चाहता इसलिए वे अपने चारों तरफ एक ऐसे आदमी की तलाश करते है जो उनके जाल में फँस जाये, और फिर वे मुझे चुनते है । अपहरण की कहानी तो बस एक छलावा थी । मैं इसमें फँस गया । ओडेट भी इसमें आ फंसी । वह इस जाल में क्यों फंसी, यह मेरी समझ से बाहर है लेकिन फिर भी वह इसमें शामिल हो गई । अब रिया और उसका प्रेमी आराम से बैठे हैं । अगर कहीं कोई गलती होती है तो मैं वो बलि का बकरा हूँ जो सारे परिणाम भुगतेगा । मैं जितना इस बारे में सोच रहा हूँ, उतना ही मुझे पक्का यकीन होता जा रहा है । तुम ठीक कहती हो । इस सबके पीछे एक ही आदमी है, उसका लवरबॉय और वही आदमी वो शख्स होना चाहिए जिसने ओडेट का खून किया है ।”
अगले एक घंटे तक हम बात करते रहे, अपने अनुमान लगाते रहे और योजना बनाते रहे लेकिन हम किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचे । पूरे समय हम यह सोचते रहे कि हर बीतता हुआ पल हमें उस समय के नजदीक ला रहा था जब हमने एक कार चुरानी थी और ओडेट की लाश को घर से हटाना था । यह वह विचार था जिसने हम दोनों को डरा दिया था ।
दूर कहीं किसी घड़ियाल के घंटे की आवाज ने एक बजने का संकेत दिया । नीना ने मेरी तरफ देखा ।
“हमें अब वह काम शुरू कर देना चाहिए ।”
घर वापसी के वक्त हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला । हम हाथ थामे हुए साथ-साथ चलते रहे । हम दोनों के पास कहने के लिये कुछ नहीं था, हम दोनों को इस बात का एहसास था कि हम एक भयावह काम को अंजाम देने जा रहे थे ।
जिस गली में हम रहते थे, वह अब पूरी तरह से सुनसान थी । इस वक्त तक सभी टीवी सेट्स बंद हो चुके थे । साफ सुथरे घरों की खिड़कियां अब अंधेरे में डूबी हुई थीं । अब हम छोटे से शहरी संसार में अकेले थे । पैसिफिक अवेन्यू और पैसिफिक बोलेवार्ड के चौराहे पर हम रुके ।
“अब हमें वो कार ले लेनी चाहिए ।” मैंने कहा ।
हम पैसिफिक बोलेवार्ड की तरफ चलते रहे जब तक हम उस मरकरी कार तक नहीं पहुँच गए । हर घर और बंगला अंधेरे में डूबा हुआ था । बिना किसी झिझक के नीना कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ गई और इंजन स्टार्ट कर दिया । मैं दूसरे दरवाजे तक पहुँचा जिसे नीना ने मेरे लिये खोल दिया था और मैं उसकी बगल में बैठ गया, इस बात का पूरा ध्यान रखते हुए कि कार के किसी हिस्से मैं न छू पाऊँ । वह कार को हमारी गली में ले आई और हमारे घर के सामने रोक दिया । मैंने बाहर निकलकर पहले गेट खोला और फिर गैरेज का दरवाजा खोल दिया । नीना मरकरी को घर के अन्दर तक ले आई । मरकरी और पैकर्ड अब एक दूसरे साथ सटी हुई खड़ी थी ।
नीना कार से बाहर निकली और मेरे साथ आ गई । हम दोनों ने पैकर्ड की डिक्की की तरफ देखा ।
अब वो घड़ी आ गई थी ।
“तुम घर के अन्दर जाओ और मेरा इंतजार करो ।”
“मैं तुम्हारी मदद करूँगी, हैरी!” लरजती हुई आवाज में उसने कहा ।
मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और गले से लगा लिया । मैं जानता था कि उस वक्त यह कहने का मकसद उसके लिये क्या मायने रखता था ।
“मैं इससे खुद निपट लूंगा ।” मैंने कहा, “तुम यह सब मुझ पर छोड़ दो ।”
“मैं गेट के पास खड़ी हो जाती हूँ, अगर कोई...”
वह गेट के पास चली गई और वहाँ पर खड़ी हो गई और सड़क पर दायें और बायें देखने लगी ।
मैं गैरेज में गया और वहाँ से लीवर उठा लाया और मरकरी की डिक्की का ताला तोड़ दिया । मैंने उसका ढक्कन ऊपर उठा दिया । फिर मैंने पैकर्ड की डिक्की खोली और उसको भी खोल दिया । मैंने ओडेट की लाश को पैकर्ड की डिक्की से घसीट कर निकाला और मरकरी की डिक्की में डाला । उसको इस तरह से घसीटना मेरे लिये एक भयानक अनुभव था । ऐसा डरावना अनुभव, जिसे मैं मरते दम तक याद रखूँगा ।
जब नीना सड़क पर पहरा दे रही थी, मैं घर के अंदर गया और ब्रीफकेस उठा लाया । मैंने उसे मरी हुई लड़की के बराबर में रख दिया और डिक्की का ढक्कन बंद कर दिया ।
“ठीक है ।” मैंने नीना से कहा । “चलो, चलते हैं ।”
हम कार में बैठ गए । हम एक दूसरे के नजदीक थे । मैं महसूस कर रहा था कि वह डर के मारे काँप रही थी । वह कार को पैसिफिक बोलेगार्ड तक ड्राइव करके ले गई और वहाँ पर हमने इसे छोड़ दिया । वहाँ से हम चुपचाप वापस घर आ गए । हमें रास्ते में कोई नहीं मिला ।
जैसे ही मैंने सामने का दरवाजा बंद किया, नीना ने जोर से राहत की साँस ली और फर्श पर बेहोश होकर गिर गई ।
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