विकास की मौत का उसे जो दुख था, उसे मेरी लेखनी प्रस्तुत करने में असमर्थ है।
धरती पर पहुंचते-पहुंचते विजय खुद पर काफी हद तक काबू पा चुका था। जिस समय वह जंगल में उतरा, उस समय वहां धुंधला-सा प्रकाश फैला हुआ था। इस जंगल में चारों ओर विशाल-विशाल वृक्ष थे जहां विजय उतरा था। उसके पास ही उसने एक कुआं देखा।
उसके चारों ओर के जंगल में वायु की सायं-सायं के अतिरिक्त कोई आवाज न थी। कुएं को देखकर न जाने विजय के कदम स्वयमेव ही उसकी ओर क्यों बढ़ गए? परंतु इतना अवश्य है कि वह पैराशूट वहीं फेंककर बोझिल से कदमों से कुएं की ओर बढ़ गया।
कुएं के करीब पहुंचकर उसने एक पैर उसके चारों ओर बने चबूतरे पर रखकर उसके अंदर झांका... परंतु तभी!
वह एक बार फिर बुरी तरह चौंका!
एक तीव्र और जहरीली फुंकार के साथ एक अजगर का फन उसके सामने आया। उसी पल अजगर ने तेज फुंकार के साथ सांस बाहर निकाला। सांस की फुंकार के साथ विजय का जिस्म ठीक किसी तिनके की भांति विपरीत दिशा में उड़ता चला गया।
उड़ते-उड़ते विजय के मस्तिष्क में आ गया था कि वह भयानक खतरे में घिर गया है। उसने एक ही झलक में देख लिया था कि अजगर इलेपिड़ी परिवार (इस जाति के अजगर सबसे खतरनाक होते हैं) का खौफनाक भारतीय कोबरा जाति का है। उसकी सांस के साथ वह दूर जाकर गिरा। अभी वह संभल भी नहीं पाया था कि तभी भयानक अजगर ने सांस भीतर को खींची और जिस तरह विजय तिनके की भांति उड़कर यहां तक आया था-----ठीक उसी प्रकार सांस के साथ वह अजगर के भयानक जबड़े में समाता चला गया। महान जासूस कुछ भी न कर सका! खौफनाक अजगर ने विजय को निगल लिया था!
खौफनाक शैतान विकास विजय के विमान में किस प्रकार पहुंचा? क्या उसे विजय का रहस्य मालूम हो गया था? वही रहस्य, जिसे छुपाने के लिए विजय सैकड़ों खून कर सकता था?
जलते हुए हुए विमान से समुद्र के भीतर व्हेल के मुंह में समा गया विकास! यह देखकर विजय जैसे भावनाशून्य व्यक्ति की आंखों में भी आसू आ गए। क्या संसार के सर्वाधिक शैतान लड़के विकास का यहीं अंत होना था ? या फिर ?
विकास के गायब होने पर ममता की प्रतिमूर्ति रैना मां नें अपने मासूम लाल को ढूंढ़ने के लिए क्या किया?
विकास के लापता हो जाने पर रघुनाथ, ठाकुर साहब व ब्लैक ब्वॉय क्या चुप बैठे रहे?
अपनी आंखों से अपने प्यारे विकास का अंत देखकर विजय जैसे व्यक्ति का प्रतिशोध कैसा खौफनाक रहा होगा?
क्या विजय जैक्सन, सिंगही और चांद के अपराधी टुम्बकटू पर विजय प्राप्त कर सका?
विश्व के भयानकतम अपराधी सिंगही, जैक्सन और टुम्बकटू का मुकाबला कैसा रहा होगा और जीत किसकी हुई? क्या जैक्सन और सिंगही अपनी-अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर सके?
चांद के अपराधी टुम्बकटू के विश्व को दिए चैलेंज की भारत के अलावा अन्य देशों पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
सिंगही, जैक्सन और टुम्बकटू के बीच फंसे महाशातिर अंतर्राष्ट्रीय अपराधी अलफांसे ने क्या चाल चली ?
ऐसे अनेकों प्रश्न यहां अधूरे रह गए हैं। उपरोक्त सभी प्रश्नों का उत्तर विस्तारपूर्व जानने के लिए 'राजा पॉकेट बुक्स' द्वारा प्रकाशित वेप्रकाश शर्मा का महान उपन्यास 'छलावा और शैतान' पढ़ना न भूलें ।
यूं तो चौड़ाई भी इस हॉल की किसी प्रकार कम न थी, परंतु लंबाई इतनी अधिक थी कि बेचारी चौड़ाई का सवा-सत्यानाश होकर रह गया था। हॉल ट्यूब लाइटों से जगमगा रहा था। हॉल के लगभग बीच में एक लंबी मेज पड़ी थी और उस लंबी मेज पर अड़ा था खौफनाक छलावा?. . यानी सात फीट लंबे गन्ने जैसा पतला जिस्म, चांद से आया अजीबो-गरीब अपराधी टुम्बकटू ।
ऐसा लगता था, जैसे यह खौफनाक छलावा इस समय अचेत हो, वैसे टुम्बकटू की स्थिति तो यही बता रही थी कि वह अचेत है, परंतु कौन जाने कि वास्तव में यह छलावा अचेत है अथवा बड़े खूबसूरत ढंग से धरती की महान शक्ति सिंगही को छल रहा है।
जी हां, सिंगही । इस हॉल में अपराधी जगत का वह सरताज भी उपस्थित था। सिंगही एक चमचमाते सिंहासन पर किसी सम्राट की भांति बैठा था और उस लंबी मेज की ओर देख रहा था, जिस पर वह अजीब इंसान टुम्बकटू लेटा हुआ था। मेज के चारों ओर कुछ डॉक्टर खड़े अपना कार्य कर रहे थे। वे शायद सिंगही के आदेशानुसार टुम्बकटू की जांघ में से वह फिल्म निकालना चाहते थे। टुम्बकटू शायद अचेत ही था, तभी वह शांत, मेज पर आराम फरमा रहा था।
हॉल में सिंगही, टुम्बकटू और चार डॉक्टरों के अतिरिक्त अन्य कोई न था। अभी डॉक्टरों ने अपना कार्य प्रारंभ करने के इरादे से पहला औजार उठाया ही था कि!
'खटाक!'
सनसनाता हुआ एक चमकदार चाकू मेज पर आ गड़ा।
"टुम्बकटू ब्लैक डायमंड का शिकार है।" एक भर्राया हुआ खौफनाक स्वर हॉल में गूंजा।
एक झटके के साथ, सिंगही सहित सबकी निगाहें आवाज की ओर उठ गई। आवाज हॉल के एक दरवाजे से आई थी। सबने देखा !
हॉल के दरवाजे पर एक काला नकाबपोश खड़ा था, जिसके स्याह कपडों पर स्थान-स्थान पर सुनहरे डायमंड बने हुए थे, जिनमें से किरणें निकल रही थीं। स्याह लिबास पर बने सुनहरे डायमंड बड़े ही सुंदर लग रहे थे। ब्लैक डायमंड नामक वह रहस्यमय व्यक्ति टांगें चौडाए, लापरवाही के साथ दोनों कूल्हों पर हाथ रखे अपनी चमकीली आखों से हॉल में उपस्थित प्रत्येक इंसान को घूर रहा था, विशेष रूप से सिंगही को।
कुछ देर तक तो हॉल में मौत जैसा सन्नाटा रहा, फिर सिंगही उसे भंग करता हुआ बोला-----"मैं तुम्हें पहचान...।
और सिंगही के बाकी शब्द मुंह में ही रह गए। ऐसा लगने लगा, जैसे सबके कानों में मीठा-मीठा शहद उड़ेला जा रहा हो। हॉल में अत्यधिक मधुर संगीत गूंज रहा था। सभी ने कुछ पल के लिए तो ऐसा महसूस किया कि वे लोग संगीत की इन मधुर तरंगों में खोते जा रहे हैं।
"कुछ ही पलों में यहां जैक्सन आने वाली है, बेटे सिंगही!" अचानक ब्लैक डायमंड का लहजा बदल गया। उसने झटके के साथ अपनी नकाब उतारकर फेंक दी । नकाब के पीछे, ब्लैक डायमंड का चेहरा अंतर्राष्ट्रीय अपराधी अलफसे, का था। वह शीघ्रता से आगे बढ़ता हुआ बोला-"जैक्सन से तुम तभी जीत सख्ते हो, जब अलफांसे तुम्हारे साथ हो और अगर मेरा साथ चाहते हो तो उसकी कीमत टुम्बकटू होगी।"
तभी अलफांसे के सिर पर एक जोरदार तमाचा पड़ा और उस समय अलफांसे की आंखें हैरत से फैल गई ----- जब उसने टुम्बकटू को अपने सामने न सिर्फ खड़ा पाया, बल्कि वह बड़े आराम से कह रहा था----- "शर्म नहीं आती तुम्हे... अबे, मैं कोई लुगाई हूं, जो मेरी कीमत लगाते हो?"
अलफांसे चकराकर रह गया। टुम्बकटू अपने रंग पर था। संगीत की मधुर तरंगें गूंज रही थीं और सिंहासन पर बैठे सम्राट सिंगही के छोटे-छोटे किंतु चमकदार नेत्रों में खूनी चमक थी। यह चमक उबलते हुए लहू में बदलती जा रही थी ।
इससे आगे की कहानी विस्तारपूर्वक जानने के लिए पढ़े, इसी उपन्यास का दूसरा व अंतिम भाग 'छलावा और शैतान'।
समाप्त...
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