कराची

यासिर ख़ान अपने चचेरे भाई जुबेर ख़ान के साथ जावेद अब्बासी के पीछे लगा हुआ था। दोनों उस वक्त पाकिस्तानी मिलिट्री की ड्रेस में थे। यासिर ख़ान अब तक जुबेर ख़ान की मार्फत यकीनी तौर पर पता कर चुका था कि नीलेश नाम का एक हिंदुस्तानी जावेद अब्बासी के कब्ज़े में था। उसे इस वक्त कराची के एक सेफ हाउस में रखा गया था।

नीलेश को सेफ हाउस में रखना यासिर के लिए कुछ राहत की बात थी। अगर उसे किसी मिलिट्री कैंप में रखा गया होता तो उसके लिए वहाँ के आसपास फटकना भी मुश्किल था।

किसी फिल्म के हीरो की तरह मिलिट्री कैंप में घुसना उसके लिए बहुत ही मुश्किल था। लेकिन सेफ हाउस में वह नीलेश को जावेद अब्बासी के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश कर सकता था। ऐसी कोशिश जिसमें उसके लिए नाकामयाबी की कोई गुंजाइश नहीं थी।

नीलेश का सेफ हाउस में रखा जाना इस बात की गवाही देता था कि इस ऑपरेशन में पाक मिलिट्री के आला हुक्मरानों की सीधी भूमिका नहीं थी। शायद आईएसआई के इस ऑपरेशन को सबसे छुपा कर रखा गया था।

उसने अपने फोन से फिर एक मैसेज किया।

‘मुझे छुट्टी मिल गयी है। वालिद साहब को घर भेज रहा हूँ।’

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दिल्ली

अभिजीत देवल के फोन की घंटी बजी। राजीव जयराम का फोन था। राजीव जयराम ने अभिजीत को अपहरणकर्ताओं की शाहिद रिज़्वी से हुई बातचीत के बारे में बताया।

“हम्म। वे लोग अब की बार कुछ ज्यादा ही चालाक बनने की कोशिश कर रहे हैं। वे लोग इस गलतफहमी में हैं कि कोई सुराग नहीं छोड़ेंगे। लेकिन हम उनके मास्टर माइंड तक पहुँच ही जाएँगे। तुम तबरेज आलम को हरी झंडी दिखाओ कि हम लोग कादिर मुस्तफा और फिरौती की रकम को उनके हवाले करने जा रहें है।” सारी बात सुनने के बाद अभिजीत देवल के मुँह से निकला।

“तबरेज आलम यहीं मुंबई में ही है। इस काम के लिए हमें बारह घंटे का समय मिलेगा। उन लोगों की माँग के मुताबिक सारी रकम का इंतजाम यहीं मुंबई में ही होना चाहिए। यहीं से वे लोग अरब सागर के रास्ते से सारा पैसा मॉरीशस ले जाना चाहते हैं।” जयराम ने जल्दी से कहा।

“तो क्या बारह घंटे का समय हमारे लिए काफी रहेगा!” अभिजीत ने जयराम से पूछा।

“हाँ। बारह घंटे का समय बहुत है।” राजीव जयराम निश्चिंत स्वर में बोला।

“एक बात और। अभी-अभी हमारे सीमा पार वाले दोस्त का मैसेज आया है कि छुट्टी मंजूर हो गयी है। वे अपने वालिद को घर भेज रहें है।”

“ओह! उससे कहना कि सब काम खैरियत से हो। वालिद साहब को कोई खरोंच तक न पहुँचे।”

“हमारी कोशिश तो पूरी रहेगी। बाकी सब ऊपर वाले की मर्जी।”

इसके बाद लाइन कट गयी।

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कराची

जावेद अब्बासी आईएसआई के चीफ़ के ऑफिस में बैठा हुआ था। चीफ़ की बाज जैसी आँखें उस वक़्त जावेद अब्बासी के ऊपर टिकी हुई थी।

“हम समझते थे कि तुम्हारी हिमाकतों में कुछ दिमाग भी शामिल होता होगा। अब तुम्हारी इस ताज़ातरीन हरकत का क्या मतलब है? हिंदुस्तान के एक सियासतदान का बेटा हमारी सरजमीं पर कैसे मौजूद है ? अगर यह बात कहीं बाहर मीडिया में शाया हो गयी या किसी को पता चल गया तो जानते हो क्या होगा? पहले ही वो लोग हमें एक टेररिस्ट कंट्री डिक्लेयर करवाने पर तुले हुए हैं। उस पर से तुम्हारी यह हिमाकत?” अपने मुँह में दबा सिगार दाँतों से चबाते हुए और उसका धुआँ अब्बासी के मुँह पर छोड़ता हुआ बोला।

“जनाब, यह हमारा एक सोचा समझा जुआ है। योगराज पासी का बेटा हमारे कब्जे में होना इस बात को पुख्ता करता है कि जो हम चाहेंगे योगराज उसको मानने से इंकार नहीं कर सकता। अगर उसका लड़का हिंदुस्तान में ही कहीं होता तो उसे उसके सही सलामत आने की उम्मीद होती। लेकिन अब योगराज को हम जो कहेंगे, वही उसे करना होगा।” जावेद अब्बासी ने अपना पक्ष रखा।

“तुम उन बदबख़्त हिंदुस्तानियों को मूर्ख समझते हो कि उन्हें इस बात का पता नहीं लगेगा कि योगराज का पिल्ला हमारे पास पहुँच गया है। कहीं ये तुम्हारी खामखयाली और खुशफहमी ही तुम्हारी सबसे बड़ी बेवकूफी साबित न हो जाये।” चीफ़ ने शंका जाहिर की।

“आप आराम से कादिर मुस्तफा के आने का इंतजार कीजिये। अब की बार हिंदुस्तानियों को मुँह की खानी ही पड़ेगी। इसके साथ ही बारह घंटे में डेढ़ हजार करोड़ भी हमारे कब्जे में होंगे। घाटी में जो हमारी हलचल सुस्त हो गयी थी, इससे उसमें जान आएगी। हम अपने मंसूबों के और नजदीक पहुँचेगे। इस हिंदुस्तानी सरकार के इरादे कश्मीर में हमें ठीक नहीं लगते। ये लोग वहाँ पर जो कदम उठा रहें है, उससे हमारी इतने सालों की मेहनत मिट्टी में मिल गयी है। रही बात दुनिया को पता चलने की, इस बात के हक में तो वो हिंदुस्तानी भी नहीं होंगे कि इस बात का पता दुनिया को चले। वे भी नहीं चाहेंगे कि सारी दुनिया उन पर हँसे कि उनकी नाक के नीचे से उनके इतने बड़े नेता का बेटा इस तरह से गायब हो गया। बेचारे, अब तक तो उन्हें यह भी नहीं पता कि नीलेश कब का सरहद के इस पार आ चुका है।”

दोनों का मिलाजुला ठहाका उस कमरे में गूँजा।

“कादिर मुस्तफा कब तक हमारे पास होगा?” चीफ ने बेसब्री से पूछा।

“जल्दी ही। वो लोग उसको छोड़ने की तैयारियाँ कर रहें हैं। अब की बार हम दुनिया को पता नहीं चलने देंगे कि वह है कहाँ। उसके बाद फिर घाटी में वो जलजला आएगा कि वे हिंदुस्तानी तौबा कर उठेंगे।” जावेद अब्बासी का चेहरा हिंसक हो उठा।

“अब्बासी, लेकिन अब की बार हमें अँधेरे में रख कर कोई कार्यवाही न हो, समझे?” चीफ़ ने चेतावनी दी

“मुझ पर एतबार रखिए और इत्मीनान से टीवी देखिये, जनाब। हिंदुस्तान की राजनीति में जलजला आने वाला है।”

इतना कहकर अब्बासी ऑफिस से बाहर हो गया।

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मुंबई

उधर राजीव जयराम अंधेरी पुलिस स्टेशन पहुँचा। वहाँ पर श्रीकांत, मिलिंद राणे और नैना दलवी उसका इंतजार कर रहे थे। श्रीकांत को देखते ही वो दोनों अपनी जगह पर खड़े हुए। अपने पद की परवाह किए बिना राजीव जयराम श्रीकांत से बगलगीर हो कर मिला। मिलिंद ने सेल्यूट किया तो गरमजोशी से उसका कंधा थपथपाया और नैना से गरम जोशी से हाथ मिलाया।

“वेल डन माय बॉयज़ एंड यू डिड नाइस जॉब नैना। तुम लोगों की वजह से होटल पर्ल रेसिडेंसी का हादसा हम लोग काफी हद तक टालने में कामयाब रहे। नहीं तो उन कमबख्तों ने वहाँ पर कोहराम मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। वे दोनो इंस्पेक्टर कहाँ हैं, सुधाकर और नागेश।” राजीव जोश से भरे अंदाज में बोला।

“थैंक्स सर। ये बस इत्तेफाक था। सुधाकर और नागेश को मामूली चोटें लगी हैं। वो लोग कुछ ट्रीटमेंट लेकर आते ही होंगे। एसीपी आलोक देसाई अभी पर्ल रेसिडेंसी में लोगों के रेस्क्यू और फॉलोअप के लिए वहीं पर मौजूद हैं।” श्रीकांत ने जवाब दिया।

“ओके। अब वो बात जिसके लिए मैं यहाँ पर आया हूँ। हम उन अपहरणकर्ताओं के हैंडलर से बात कर रहें हैं। उनकी डेढ़ हजार करोड़ की डिमांड को हम आज पूरा करने जा रहें हैं। हमारे पास अब सिर्फ़ बारह घंटे की मोहलत है। इन बारह घंटों में अगर हम इस मामले को सुलझा सके तो हम आगे की जिंदगी चैन से जी सकेंगे और अगर नहीं सुलझा सके तो ये नाकामयाबी हमारे लिए हमेशा नासूर की तरह दर्द देती रहेगी।” राजीव जयराम ने बताया।

“सर, हमारे पास एक इन्फॉर्मेशन है। हमें इस बात के अब पुख्ता सबूत मिल चुके है कि नीलेश अब यहाँ हिंदुस्तान में नहीं है। उसे अब्दील राज़िक नाम के एक बीमार आदमी की जगह हवाई मार्ग से बाहर भेज दिया गया है।” श्रीकांत ने उस बात की ही तस्दीक़ करते हुए कहा जिसका पता राजीव जयराम को पहले से था।

“हमने एयरपोर्ट की सभी रिकोर्डिंग्स पूरी तरह से खंगाल ली है। जिस दिन नीलेश गायब हुआ था, उस दिन सिक्योरिटी चेक अप के दौरान नीलेश को अब्दील राज़िक की जगह हिंदुस्तान के बाहर पहुँचा दिया गया। हमने उस आदमी को गिरफ्तार कर लिया है जो उस दिन सिक्योरिटी चेकअप की ड्यूटी पर था। इस मामले में उसकी भूमिका की हम जाँच कर रहे हैं। उसके और साथी भी जल्द ही हमारी कस्टडी में होंगे।” नैना ने श्रीकांत की बात को पूरा किया।

“गुड। हम लोग इस लीड पर पहले से ही काम कर रहें हैं। लेकिन अफसोस है कि हम इस बारे में खुल कर बात नहीं कर सकते हैं। तुम्हें भी यह बात अभी अपने तक सीमित रखनी होगी। नहीं तो हम लोग नीलेश को कभी जिंदा वापस नहीं ला पाएँगे। अगर हमारे पड़ोसी मुल्क के एजेंट हमारे घर से किसी को ले जा सकते है तो हमें भी पता है कि उनके आशियाने कहाँ पर मौजूद हैं। खैर, हमें सबसे पहले बाकी के गायब हुए कर्मचारियों को छुड़ाना होगा। क्या हमें इस बारे में कोई सुराग हाथ लगा है।” राजीव जयराम ने नैना की तरफ एक उम्मीद भरी निगाह डालते हुए कहा।

“पिछले दिनों की जो इवेंट्स हुईं हैं, उसके हिसाब से मेरा एक एनालिसिस है जो टारगेट को हिट भी कर सकता है और मिस भी।” नैना ने हिचकिचाते हुए कहा।

“हमें अब सब ऑपशंस को अपने सामने रखना होगा। वी हैव टू हिट द टारगेट। अब हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है।” राजीव जयराम के मुँह से निकला।

“नीलेश का बाकी लोगों से अलग होने की बात उस वीडियो से भी साबित होती है जिसे आपने अभी शेयर किया है। उस वीडियो में नीलेश का वीडियो सेक्शन बाकी सारे वीडियो से अलग लगता है, हालाँकि उसका बैकग्राउंड सेम है लेकिन उसे एडिट करने के बाद जोड़ा गया है। इसका पता इस बात से चलता है कि बाकी सारे वीडियो में हल्का सा धुंधलापन है जबकि नीलेश का वीडियो सेक्शन साफ है। एक बात और है जो खटकती है... ”

“वो क्या... ?” श्रीकांत के मुँह से सहसा निकला।

“वो यह कि जिस एंगल से नीलेश का वीडियो शूट किया गया है वह बाकी वीडियो से अलग है।” नैना ने जवाब दिया।

“हम्म, यह बात अब हमें पता है कि नीलेश कहाँ पर है लेकिन बाकी लोग! विस्टा के बाकी लोग कहाँ पर हैं ?” राजीव के ये शब्द अभी मुँह से निकले ही थे कि तभी बाहर पुलिस की बोलेरो आकर रुकी। उसमें से इंस्पेक्टर सुधाकर शिंदे ने बाहर कदम रखा। उसके बाजू पर पट्टी बँधी हुई थी और माथे पर कुछ खरोंच के निशान थे। दृढ़ कदमों से चलता हुआ वह अपने ऑफिस में पहुँचा तो उसने अपने-सामने राजीव जयराम और पूरी टीम को पाया। राजीव ने खुद आगे बढ़कर उसके कंधे थपथपा कर उसका स्वागत किया।

“हैलो इंस्पेक्टर सुधाकर शिंदे! वेल डन माइ बॉय। कैसे हो अब तुम? ज्यादा चोटें तो नहीं आयी। नागेश कदम कैसा है ?” श्रीकांत ने सुधाकर को बैठने का इशारा करते हुए कहा।

“ये चोटें तो हमारे शरीर का गहना है, सर। जितनी बढ़ेंगी उतना मजा आएगा।” सुधाकर की बुलंद आवाज कमरे में गूँजी।

“गुड। तुम जैसे बहादुरों की वजह से ही तो यह देश सुरक्षित है। अगर तुम लोगों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर पर्ल रेसिडेंसी में अपनी ड्यूटी नहीं निभाई होती तो न जाने कितनी लाशें हमें आज मुंबई में उठानी पड़ रही होती।

हमारे देश को इसकी मिट्टी से जुड़े योद्धा ही दुश्मनों से बचाएँगे। आप लोग ही हमारे सुपर हीरो हैं। खैर, तो तुम क्या कह रही थी, नैना।” राजीव ने नैना की तरफ देखते हुए कहा।

“मैं यह कह रही थी कि अगर नीलेश अपने बाकी साथियों से अलग है तो मेरे अनुमान के हिसाब से उन लोगों को जहाँ पर रखा गया है, वह कोई बहुत ही तंग जगह है जहाँ पर आदमी सीधा भी खड़ा नहीं हो सकता। हमें उनके एक साथी की बांद्रा रेलवे स्टेशन से लाश मिली थी। वह ट्रेन पटना से मुंबई के बांद्रा तक थी। वह ट्रेन बांद्रा से पहले बोरीवली, वापी और वलसाड जैसे स्टेशनों पर रुकती है...” अपनी बात का असर परखने के लिए नैना कुछ देर के लिए रुकी।

“इसी बात को जानने के लिए मैंने इन स्टेशनों से वीडियो फुटेज मँगवाई थी। लेकिन हम इस फुटेज के ऊपर पूरी तरह से डिपेंड नहीं कर सकते। स्टेशन पर गाड़ी के रुकने के बाद कोई प्लेटफॉर्म में ऐसी जगह से भी आ सकता है, जहाँ पर कैमरे न लगे हो।” श्रीकांत ने कहा।

“बिल्कुल, वीडियो रिकॉर्डिंग की फुटेज से हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि उसमे हंड्रेड परसेंट लोग नज़र आ ही जाएँगे। इसलिए मैंने ट्रेन के टाइम टेबल और उन स्टेशंस तक जाने वाले हाइवे पर लगे कैमरों की फुटेज भी ट्रैफिक डिपार्टमेंट से मँगवाई है जिसे चेक करने पर एक बात सामने आयी है।” नैना कुछ क्षण के लिए रूकी।

“क्या? जल्दी बोलो नैना! अब पहेलियाँ न बुझाओ।” राजीव जयराम व्यग्रता से बोला।

“ये सिर्फ़ एक थियोरी है। इट में बी रोंग...” नैना के मुँह से निकला।

“ओह, फॉर गॉड सेक, नैना! दिस इज अवर टीम वर्क एंड इट इज अवर कलेक्टिव रेस्पॉन्सिबिलिटी। कम ऑन।” श्रीकांत के मुँह से बेसाख्ता निकला।

“मेरे ख्याल से हमारा टारगेट किसी एक जगह पर टिका हुआ नहीं है। इट इज मूविंग।” नैना ने कहा।

“तुम्हारे कहने का मतलब है कि वे लोग लगातार अपने ठिकाने बदल रहें हैं।” राजीव के मुँह से निकला। “पर ये तो जाहिर सी बात है। वे लोग ऐसा करेंगे ही करेंगे।”

“उन लोगों का ठिकाना एक ही है और वह ठिकाना ही अपनी जगह बदल रहा है।” नैना ने रहस्यौद्घाटन करते हुए कहा।

सभी नैना की तरफ असमंजस में देखने लगे।

“शायद नैना मैडम का इशारा किसी बड़े व्हीकल की तरफ है जो लगातार चल रहा है और विस्टा के लोग उसमें बंद हैं।” सुधाकर ने अपना मुँह खोला जो इतनी देर से चुप था।

“यस! देट इज द पॉइंट। वे लोग एक बड़े से कंटेनर या ट्राले में हो सकते हैं।” नैना ने कहा।

“ऐसा होना मुश्किल है। मुंबई में जगह-जगह पर नाके लगे हुए हैं और वो लोग इतना जोखिम क्यों उठाएँगे।” जयराम ने अविश्वास से कहा।

“नैना की बात में दम हो सकता है। पूरे मुंबई में हम लोग ऐसी संदिग्ध जगहों को छान चुके हैं और शायद इसी वजह से हम लोग कामयाब नहीं हो सके। नैना, इस लीड पर काम करने की कोई वजह?” श्रीकांत ने पूछा।

“मुंबई ट्रैफिक पुलिस से जो रिकॉर्डिंग्स मैंने मँगवाई हैं, उनमें एक खास बात मैंने नोट की है। जिस वक्त नीलेश और उसके साथियों को अगवा किया गया उस घटना के बाद बांद्रा और वासी पुल के एरिया से पाँच इस तरह के ट्राले पटना एक्सप्रेस ट्रेन के रास्ते में पड़ने वाले स्टेशंस को टच करते हुए जा रहें हैं। उसमें से दो अभी उसी ट्रैक पर ही आगे बढ़ रहें है। मुझे विश्वास है कि हमारा टारगेट उनमें मिल सकता है।” नैना ने कहा।

“अगर नहीं मिला तो?” श्रीकांत के मुँह से निकला।

“लेट्स बी पॉज़िटिव, श्रीकांत। पहले तुम ये सब ट्राले ट्रैक करने का इंतजाम करो। लेकिन कॉम्बिंग ऑपरेशन भी साथ में चलते रहने चाहिए। मैं अभी पुलिस कमिश्नर रॉय को गुजरात पुलिस से कोऑर्डिनेट करने को कहता हूँ।” जयराम ने श्रीकांत को कहा।

“और मैं इस बारे में एसीपी आलोक देसाई को अपडेट करता हूँ। सुधाकर, तुम फौरन इस लीड पर काम करना शुरू करो।” श्रीकांत ने इतना कहकर आलोक देसाई को फोन मिलाने लगा। सुधाकर यह सुनकर ऑपरेशन रूम के उस कोने की तरफ बढ़ चला जहाँ पर मुंबई ट्रैफिक पुलिस के दो आदमी अभी मॉनिटर पर उलझे हुए थे।

“नैना चंडुवाड़ी चाल की रेड में कुछ हासिल हुआ या नहीं?” जयराम ने सुधाकर के जाने के बाद पूछा।

“सर, जिस उस्मान खान की तलाश में हम दिलावर टकले के ठिकाने पर गए थे, वो वहाँ पर नहीं था। जो भी शख़्स वहाँ पर मौजूद था, वह हमारे जाने से पहले ही वहाँ से निकल चुका था।” नैना ने जवाब दिया।

“इसका मतलब उस्मान उस ठिकाने पर नहीं था?” राजीव जयराम ने हैरान होते हुए कहा।

“उस्मान खान उस जगह पर कभी था ही नहीं। वहाँ पर हमें जो फिंगरप्रिंट मिले हैं, उसे हम अपने डाटाबेस से मिला रहें हैं लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला। मुझे वहाँ से ये वीडियो गेम मिला है जिसे कोई आदमी ऑपरेट कर रहा था।” नैना ने एक बॉक्स की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“वीडियो गेम! इस को यहाँ पर रखने का मतलब ?” राजीव जयराम ने उलझन भरे स्वर में कहा।

“ये देखिये।” नैना ने अपने फोन पर एक स्क्रीन शॉट दिखाते हुए कहा, “यह शॉट मैंने चंडुवाड़ी चाल में हमारी रेड के वक्त लिया था। उस वक्त वहाँ पर एक मॉनिटर ऑन था। हमने पूरा सिस्टम फॉरेंसिक्स को जाँच के लिए भेज दिया है। लेकिन इसे मैं उठा लाई थी क्योंकि इसमें उस वक्त भी कुछ मैसेजेज थे लेकिन वो अरेबिक भाषा में थे जो मेरी समझ के बाहर हैं। यह हमारे काम का हो सकता है।” नैना ने अपना फोन राजीव जयराम को दिखाया।

“इस मामले में शाहिद रिज़्वी हमारी मदद करेगा। यह उसका पसंदीदा फील्ड है। इसे तुरंत उसके पास पहुँचा दो। क्या पता हमें कुछ नया क्लू मिल जाए।” राजीव जयराम ने श्रीकांत को कहा।

“मैं इसे खुद ही पहुँचा के आता हूँ।” इसी के साथ श्रीकांत उस बॉक्स को लेकर कमिश्नर के ऑफिस की तरफ रवाना होने के लिए निकलने लगा तभी पीछे से नैना की आवाज़ आयी।

“ठहरो श्रीकांत। मैं भी चलती हूँ।”

दोनों वहाँ से कमिश्नर के ऑफिस की तरफ रवाना हुए।