होटल सिद्धार्थ पहुंची पुलिस पार्टी का इंचार्ज इंसपैक्टर राजेन्द्र शुक्ला था ।

कोर्टयार्ड में पहुंचते ही उसकी निगाह भीड़ से तनिक हटकर खड़े अजय पर पड़ी और वह फौरन उसे पहचान गया ।

–'तुम ? यहां भी ?'

–'जी हां ।' अजय बड़ी मासूमियत से बोला–'यहाँ भी मैं ही हूँ ।'

शुक्ला लाश की ओर बढ़ गया ।

अजय द्वारा फोन किए जाने से पहले ही किसी ने फ्लाइंग स्क्वाड को फोन कर दिया था । फलस्वरूप मिनटों में ही वे लोग आ पहुंचे थे । लाश की शिनाख्त करने के अलावा अजय से सरसरी तौर पर पूछताछ भी कर चुके थे ।

शुक्ला ने लाश के ऊपर पड़ी खून से सनी होटल की चादर उठाकर उसका निरीक्षण किया । दसवीं मंजिल से नीचे गिरने की वजह से उसका सर तरबूज की भांति फटा पड़ा था । चेहरा एक हद तक मांस का लोथड़ा सा नजर आ रहा था । कंधे तथा जांघ में गोलियां लगी थी । उसकी बेजान उंगलियों में रिवाल्वर अभी भी फंसी हुई थी ।

लाश को पुन: ढकने के बाद शुक्ला वहाँ पहले से ही मौजूद सब इंसपैक्टर के पास पहुंचा ।

–'मृतक की शिनाख्त हो गई ?' उसने पूछा ।

–'यस, सर ।' एस० आई० ने जवाब दिया–'इसकी जेब में पाए गए ड्राइविंग लाइसेंस के मुताबिक इसका नाम रोशन लाल खुराना था । उसने अजय की ओर संकेत किया यह जनाब 'थंडर' के रिपोर्टर अजय कुमार हैं ।'

–'जानता हूं ।' शुक्ला ने कहा–'आगे बोलो ।'

–'मृतक ने टॉप फ्लोर पर फायर एस्केप से मिस्टर अजय कुमार पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं । लेकिन उसका निशाना चूक गया । जवाब में, अजय कुमार ने भी गोलियां चलाई । इनका निशाना नहीं चूका । मृतक को दो गोलियां लगीं और वह रेलिंग पर से उलटकर सीधा नीचे आ गिरा ।'

–'ठीक है, आप लोग जा सकते हैं । शुक्ला ने कहा फिर अपने साथ आए फोटोग्राफर, फिगरप्रिंट्स वालों वगैरा को आवश्यक निर्देश देने के बाद वह अजय के पास पहुंचा ।

अजय सिगरेट सुलगा रहा था ।

–'क्या यह सच है कि मृतक ने तुम पर गोलियां चलाई थी ?' शुक्ला ने असहिष्णुतापूर्ण स्वर में पूछा ।

–'सौ फीसदी सच है ।' अजय बोला ।

–'तुम मृतक को जानते थे ?'

–'जी नहीं ।' अजय ने साफ झूठ बोला ।

–''अब से पहले कभी इसका नाम सुना था ?'

–'जी हाँ ।' वह पुनः झूठ का सहारा लेकर बोला–'यह वही आदमी था, जिसके बारे में मंजुला सक्सेना मुझसे बात करना चाहती थी ।'

शुक्ला ने कड़ी निगाहों से उसे घूरा ।

–'लेकिन तुमने तो बताया था मंजुला सक्सेना ने तुम्हें नहीं बताया कि वह किसलिए तुमसे मिलना चाहती थी ।'

–'मैं अभी भी यही कह रहा हूँ । यह उसने नहीं बताया था ।' अजय गोली देता हुआ बोला–'बस उसने फोन पर इस आदमी का नाम लेते हुए मुझसे पूछा था क्या मैं इसे जानता हूँ ।' मैंने कह दिया कि इस नाम के किसी आदमी को मैं नहीं जानता ।'

–'अगर तुम इसे नहीं जानते थे तो इसने तुम पर गोलियां क्यों चलाई ?'

–'इसका सही जवाब तो यह ही दे सकता था । वैसे जहां तक मेरा ख्याल है, यह इस गलतफहमी का शिकार हो गया लगता था कि मंजुला ने इसके बारे में मुझे काफी कुछ बताया था ।'

शुक्ला की आँखें सिकुड़ गई ।

–'ओह, आईसी । यानी तुम कहना चाहते हो मंजुला सक्सेना की हत्या इसी आदमी ने की थी ?'

–'जी हाँ ।'

–'इसके ऐसा करने की कोई माकूल वजह बता सकते हो ?'

–'नहीं । मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं इस आदमी को डर था कि इसके बारे में काफी कुछ ऐसा जानता हूँ जिसके इसका पुलंदा बंध सकता था । इसीलिए यह मेरी जान लेने चला आया । अगर ऐसा नहीं होता तो इसने मुझ अजनबी की छाती पर नहीं आ चढ़ना था ।'

शुक्ला कई पल खामोश खड़ा सोचता रहा । फिर वह रोशन की लाश के पास पहुंचा ।

फोटोग्राफर विभिन्न कोणों से लाश की फोटो लेकर अपना काम खत्म कर चुका था ।

शुक्ला ने जेब से रुमाल निकालकर उसकी सहायता से नाल से पकड़कर रिवाल्वर को रोशन, की बेजान उंगलियों से खींच लिया ।'

रिवाल्वर को सावधानी पूर्वक लपेटकर उसने अपने एक मातहत एस० आई० को सौंप दिया ।

–'इसे लेकर फौरन बैलास्टिक एक्सपर्ट के पास चले जाओ ।' वह बोला–'मैं जानना चाहता हूँ, मंजुला सक्सेना के सर से जो गोली निकाली गई थी क्या उसे इसी रिवाल्वर से चलाया गया था । समझ गए ?'

–'यस सर ।'

एस० आई० चला गया ।

शुक्ला पुनः अजय के पास पहुंचा ।

–'इस आदमी ने मंजुला सक्सेना को शूट किया था या नहीं ।' वह बोला–'इसका सही जवाब बैलास्टिक एक्सपर्ट द्वारा इसके रिवाल्वर की जांच करने से पता चल जाएगा । अगर मंजुला के सर से निकाली गई गोली इस रिवाल्वर से फायर की गई दूसरी गोली से मिल जाती है तो साबित हो जाएगा उसकी हत्या इसी ने की थी ।

–'और अगर इसने उसकी हत्या करने के लिए कोई दूसरा रिवाल्वर इस्तेमाल किया होगा ?'

–'दूसरा ऐसा कोई रिवाल्वर अगर था तो उसका पता भी हम लगा लेंगे ।' शुक्ला ने कहा–'फिलहाल तो यह जानना चाहता हूं इस सारे सिलसिले के बारे में जितना तुमने बताया है । उसके अलावा तुम क्या जानते हो ?'

अजय ने जानबूझकर यूं मुंह बनाया मानों शुक्ला ने उसे कोई गाली दे दी थी ।

–'आप भी कमाल करते है, इंसपैक्टर ।' वह बोला–'अगर मैं और कुछ जानता होता तो क्या मैंने इसलिए आराम से बिस्तर में पड़े रहना था कि कोई बदमाश आए और मुझ पर गोलियां बरसा दे ।' उसने पास ही खड़े सिक्योरिटी इंचार्ज की ओर देखा–'तुम लोगों ने कम से कम इतना मुझे बताया दिया होता कि जिस कमरे में ठहरा हूँ उसे बतौर शूटिंग रेंज भी इस्तेमाल किया जा सकता है । उसके लहजे में शिकायत का पुट था–'तो न मैं उस कमरे में ठहरता, न ही यह सब हुआ होता और न ही अब मुझे इंसपैक्टर की शक्की निगाहों का सामना करते हुए जवाबदेही करनी पड़ती ।'

–'मृतक ने इन साहब पर पूरी छह गोलियां चलाई थी, इंसपैक्टर ।' सिक्योरिटी इंचार्ज बोला–'पलंग के सिरहाने की पुश्त और दीवार में जिस ढंग से वे गोलियाँ घुसी हुई है । उसे देखते हुए इनका बच जाना चमत्कार ही लगता है । लेकिन इस काण्ड का हमारे कस्टमर्स पर गलत असर पड़ेगा । पलंग और दीवार की तो रिपेयर हो जाएगी मगर होटल को बदनाम होने से हम नहीं बचा पाएंगे ।'

–'तुम इसके लिए मुझे जिम्मेदार ठहराना चाहते हो ?'

सिक्योरिटी इंचार्ज ने जवाब नहीं दिया ।

–'सिक्योरिटी इंचार्ज होने के नाते यह तुम्हारी जिम्मेदारी है मिस्टर !' अजय शुष्क स्वर में बोला–'कि कोई बाहरी आदमी गलत ढंग से यहां आकर कस्टमर्स के जान माल को नुकसान न पहुंचा सके ।'

सिक्योरिटी इंचार्ज सर झुकाए खामोश खड़ा रहा ।

एम्बूलेंस आ पहुंची थी ।

शुक्ला ने लाश उठवाने का आदेश देकर अपने एक अन्य मातहत को अजय के कमरे में गोलियां निकालने की हिदायत भी दे दी ।

–'मेरे साथ पुलिस हैडक्वार्टर्स चलना पड़ेगा, अजय ।' अंत में वह बोला ।

–'किस लिए ?'

–'मुझे तुम्हारा दस्तखत शुदा बयान चाहिए ।'

–'ठीक है । चलिए ।'