अगले दिन सुनील आफिस में जाकर अपने केबिन में घुसा ही था कि मलिक साहब ने उसे बुलवा लिया । जब सुनील उनके कमरे में पहुंचा तो वह हाथ पीठ पीछे बांधे बेखबरी से टहल रहे थे। उन्होंने सुनील को बैठने के लिए कहा और एक अखबार उसकी ओर उछाल दिया और बोले "जो समाचार सबसे मोटे टाइटल के साथ छपा है, उसे पढ़ो ।"
सुनील ने अखबार ले लिया। वह ब्लास्ट नहीं था, उनका विरोधी पत्र क्रानिकल था । क्रानिकल ने जयनारायण की हत्या का समाचार बड़ा नमक-मिर्च लगाकर छापा था और उसमें अदालत में सुनील की गवाही के माध्यम से सुनील को इस प्रकार पिरोया गया था कि उसकी अच्छी-खासी नाक रगड़ी जाती। हर पांचवी-छठी लाइन के बाद उसके नाम के साथ नगर के मुख्य समाचार पत्र का प्रसिद्ध रिपोर्टर जितना लम्बा विशेषण लगाया गया था। उसने नैशनल बैंक की चोरी का जयनारायण की हत्या से सम्बन्ध बताया था और इस बात का भी जिक्र किया गया था कि रमा से सुनील को जो रुपए मिले हैं वह हो सकता है बैंक के रुपयों में से हों। नम्बर ऊपर भेज दिए गए हैं, क्योंकि चोरी गए नोटों के नम्बरों की लिस्ट भारतीय सीक्रेट सर्विस के सबसे अधिक गुप्त रहस्यों में से है । इन्स्पेक्टर प्रभूदयाल ने और यहां तक कि पुलिस सुपरिन्टेन्डेन्ट रामसिंह ने भी लिस्ट प्राप्त करने की चेष्टा की थी, लेकिन वे सफल नहीं हो सके थे। सीक्रेट सर्विस के चीफ आफ दी स्टाफ द्वारा ही जाना जा सकेगा कि सुनील द्वारा अधिकृत नोट चोरी गए नोटों में से हैं या नहीं। पत्र में रमा खोसला की निर्दोषिता की सम्भावनायें विशेष रूप से प्रकट की गई थीं ।
सुनील ने समाचारपत्र का पढ़ना बन्द करके प्रश्नसूचक दृष्टि से मलिक साहब की ओर देखा जो बड़ी बेसब्री से उसका पढ़ना समाप्त कर लेने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
"अब इसके पांचवें पृष्ठ के आठवें कालम में नीचे देखो ।" उन्होंने ब्लास्ट का ताजा अंक उसकी ओर फेंकते हुए कहा।
सुनील ने मलिक साहब के कथित स्थान पर देखा । उसके अपने अखबार में केवल आधे कालम का समाचार छपा था जबकि क्रानिकल के प्रथम पृष्ठ का दो-तिहाई भाग इसी घटना से और इससे सम्बन्धित स्पीचों से भरा पड़ा था ।
सुनील ने ब्लास्ट भी पढ़कर भेज पर रख दिया।
"ये सब क्या है ?" - मलिक साहब ने सख्त स्वर में पूछा ।
"आप देख ही रहे हैं।" - सुनील सिर झुकाए हुए बोला ।
"इस केस के विषय में क्रानिकल के रिपोर्टर तुमसे अधिक जानते हैं ?"
सुनील चुप रहा ।
"कल के बाद देखना" - मलिक साहब बेसब्री से बोले "उनके अखबार की सेल दुगनी न हो जाए तो मुझे कहना और हमारे अखबार को कोई हाथ नहीं लगाएगा ।"
सुनील चुप रहा।
"मैं पूछता हूं, ऐसा क्यों हुआ। आखिर तुमने रिपोर्ट क्यों नहीं भेजी ?"
"ये मेरी जिम्मेदारी नहीं है। आपने इस काम पर साहनी को तैनात किया था, आप उसी से एक्सप्लेनेशन मांगिए।" - सुनील ने शान्त स्वर में कहा।
"साहनी को जितना मालूम था उसने उसे छपने के लिए भेज दिया था।"
"उसे और जानने की कोशिश करनी चाहिए थी। जो सोर्स क्रानिकल के थे वही सोर्स ब्लास्ट के थे।"
"लेकिन तुम्हीं तो सोर्स थे और सबसे अधिक जानते थे, तुमने रिपोर्ट नहीं भेजी ।"
"मेरी ड्यूटी नहीं थी ।”
"आफिशियल न सही, तुम्हारी मारल ड्यूटी तो थी ।"
"ये मेरे सोचने की बात है कि मेरा मारल मुझे किस चीज के लिए प्रेरित करता है और किस चीज के लिये नहीं।"
मलिक साहब निरुत्तर हो गए। वह कुछ देर बेसब्री से टहलते रहे और फिर बोले- "मैं साहनी की जगह तुम्हें नियुक्त करता हूं।"
"लेकिन मैं आज की छुट्टी चाहता हूं।"
"छुट्टी नहीं मिलेगी ।" - वह चिल्ला कर बोले- "तुम कल भी नहीं आए थे। ऐसे क्राइसिस के मौके पर तुम्हें छुट्टी सूझती है ?"
"लेकिन मुझ छुट्टी जरूरी चाहिए।"
“छुट्टी नहीं मिलेगी ।"
"तो फिर मेरा त्यागपत्र आपको मिल जाएगा।"
"तुम नोटिस के बिना नहीं जा सकते।"
"मैं एक महीने का वेतन जमा करके जा सकता हूं। क्रानिकल में सिन्हा साहब मुझे हाथों-हाथ लेंगे।"
"तुम धमकी दे रहे हो ?"
"जी हां।" - सुनील ने उत्तेजना रहित स्वर में कहा।
मलिक साहब कुछ क्षण बेबसी से उसकी ओर देख-देखकर मुट्ठियां भींचते रहे और फिर असहाय स्वर में बोले- "भाड़ में जाओ, जो जी में आता है करो।"
सुनील उठकर अपने केबिन में आ गया। दस मिनट बाद ही चपरासी उसे आकर कह गया कि उसकी आज की छुट्टी है मलिक साहब ने कह दिया है।
सुनील को इसी की आशा थी। मलिक साहब दिल से बुरे नहीं थे और सुनील की कार्यतत्परता का लोहा मानते थे । सुनील ने भी जान-बूझकर रिपोर्ट नहीं भेजी थी। उसे आशा नहीं थी कि दूसरे अखबार इस बात को इतना उड़ायेंगे । उसने सोचा था, साहनी नियुक्त है ही, कुछ दाल-दलिया कर ही लेगा ।
छुट्टी मिल जाने पर भी सुनील वहां से हिला नहीं। वह टाइपराइटर के सामने बैठ गया और दो घन्टे में एक शानदार रिपोर्ट तैयार करके मलिक साहब की मेज पर रख आया ।
उसने सिगरेट जलाया और कश लेता हुआ प्रमिला की मेज पर पहुंच गया, लेकिन प्रमिला बात करने के मूड में नहीं थी । वह वहां से हटा तो रिसैप्शन के केबिन में बैठी रेणु के पास जा पहुंचा।
"हलो।" - सुनील ने मधुर स्वर में कहा ।
रेणु फोन सुन रही थी। उसने हाथ के इशारे से सुनील को चुप रहने के लिये कहा।
"हलो, ब्लास्ट्स आफिस।" - वह अपने स्वर में व्यावसायिक मधुरता उत्पन्न करती हुई बोली "मिस्टर सुनील । ओ यस ही इज राइट हेयर, प्लीज होल्ड आन फार ए मूमेन्ट ।"
“रमाकान्त का फोन है।" - उसने माउथपीस पर हाथ रखकर सुनील से कहा- "कहां रिसीव करोगे ?"
"मेरे केविन में भेजो।" - सुनील ने एकदम व्यस्तता जताते हुये कहा ।
केबिन में पहुंचकर वह फोन उठाकर बोला- "यस रेणु, पुट हिम आन दी लाइन ।"
- क्षण भर बाद ही उसे रमाकान्त की आवाज सुनाई दी "सुनील, बड़ी जोरदार खबर है । "
"क्या ?"
"पुलिस ने रमा के लेक होटल वाले कमरे की तलाशी ली है। उन्हें वहां पर तकिये में छुपाये हुए लगभग पच्चीस हजार रुपये के नोट प्राप्त हुए हैं ।"
"तकिये में ?"
"हां तकिया बना ही नोटों का हुआ था, रुई के स्थान पर नोट भरे हुए थे, केवल ऊपर की परत रुई की थी, बीच में नोट थे।"
" और ?"
"तुम्हें याद है पुलिस के पास पांच हजार के सौ सौ के नोटों के नम्बर थे, उनमें से लगभग बीस नोट रमा के कमरे से प्राप्त नोटों में मौजूद थे।"
"कोई और बात ?"
"बताता हूं । जौहरी कल से राजप्रकाश के मेहता रोड वाले घर की निगरानी कर रहा था। आज राजप्रकाश वहां आया था । वह जिस जीप पर आया था उसे सड़क पर ही खड़ी छोड़ कर अपने फ्लैट में घुस गया था। जौहरी ने हौसला करके कार के स्टियरिंग व्हील पर से कुछ फिन्गर प्रिन्ट उतार लिये थे और पता लगा है कि राजप्रकाश पुलिस की ब्लैक लिस्ट में हैं, उसका मीलों लम्बा क्रिमिनल रिकार्ड है ।”
"देखो रमाकान्त, हमने रमा की कार की चोरी के सिलसिले में इस आदमी की अधिक परवाह नहीं की थी, क्योंकि कार आसानी से प्राप्त हो गई थी, लेकिन अब हमें इसकी सख्त जरूरत है। मैं यह जानना चाहता हूं कि राजनारायण की हत्या वाली रात को यह कहां था ?"
"लेकिन राजनारायण का तो इससे दूर-दूर तक सम्बन्ध दिखाई नहीं देता।"
"फिर भी मैं इसे चैक करना चाहता हूं... क्या जौहरी अब भी उसका पीछा कर रहा है ?"
"हां और अभी पांच मिनट पहले जौहरी ने मुझे फोन किया था कि राजप्रकाश इस समय मैरीना बीच पर है, उसके साथ एक सुंदर-सी लड़की है। इस समय वे दोनों स्विमिंग सूट पहने बीच की रेत पर लेटे हुए इश्क फरमा रहे हैं । वह लड़की, हो सकता है वही हो जो चपरासी के वेश में यूथ क्लब में आई थी ।"
"क्या जौहरी वहां अकेला ही है ?"
"नहीं, दिनकर भी है, जौहरी राजप्रकाश और लड़की पर नजर रखे हुए हैं और दिनकर उसकी जीप की रखवाली कर रहा है ताकि इस बार वे अनजाने में खिसक न जायें । सुनील, कल तुमने उनकी कार्यकुशलता को चैलेंज किया था, आज वह कोई स्लिप सहन करने वाले नहीं हैं । "
" रमाकान्त, तुम कार लेकर यहां आ जाओ, यहां से हम मैरीना बीच चलेंगे, मैं राजप्रकाश से कुछ बातें करना चाहता हूं।"
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