मनोहर लाल के आगमन तक विकास शेव करके नया सूट पहन चुका था और सिर पर शबनम का लाया हैट जमा चुका था ।
मनोहर लाल ने भी उस तब्दीली की वजह पूछी तो विकास ने उसे वही वजह बता दी जो उसने शबनम को बताई थी । फिर उसने मनोहर पिछली रात के हंगामों के बारे में बारे में बताया ।
“तौबा !” - मनोहर लाल के मुंह से निकला ।
“अब खलीफा, बात यह है" - विकास बोला- "कि मैं महाजन के घर में घुसना चाहता हूं। मुझे मालूम हुआ है कि उसके घर में एक पैतालीस कैलीबर की रिवाल्वर है जिससे कि महाजन का कत्ल हुआ हो सकता है। अगर वह रिवाल्वर मुझे वहां मिल गई तो मैं उसमें से एक टैस्ट बुलेट चलाकर देखना चाहता हूं ताकि उसका मिलान महाजन के जिस्म से निकली गोली से करके यह जाना जा सके कि हत्या उस रिवाल्वर से हुई है या नहीं ।"
" टैस्ट बुलेट तुम इमारत के भीतर चलाओगे ?" - मनोहर हड़बड़ा गया ।
“वह जैसा माहौल होगा, मैं देख लूंगा।"
"तुम वहां से रिवाल्वर ही क्यों नहीं ले आते हो ?"
"नहीं, खलीफा । अगर वही रिवाल्वर मर्डर वैपन हुई तो उसका मेरे अधिकार में पाया जाना मेरी बिल्कुल ही ऐसी तैसी फेर देगा ।"
"हूं। लेकिन तुम रिवाल्वर तक पहुंच कैसे पाओगे ? घर में लोगबाग भी तो होंगे ।"
“दोपहर के आसपास, मैंने मालूम किया है, घर में महाजन की बीवी सुनयना के अलावा कोई नहीं होता । और सुनयना को घर से निकालना तुम्हारा काम है ।"
"मैं कैसे करूंगा यह ?" - वह हड़बड़ाया ।
"मुझे नहीं पता कैसे करोगे तुम ? यह तुम खुद सोचो । आखिर खलीफा किस बात के हो ।”
मनोहर सोचने लगा ।
"तुम तो 'मनोहर कहानियां' के प्रतिनिधि हो, क्या भूल गये ?"
“उससे क्या होता है ?"
“अरे, सुनयना का इन्टरव्यू हासिल करने की खातिर उसे कहीं लंच के लिए इनवाइट कर लो।"
"वह आ जायेगी ?"
"जैसी औरत तुम उसे बताते हो, अगर वह वाकई वैसी है तो जरूर आ जायेगी। ऊपर से तुम भी तो अपना कोई उस्तादी भरा जादू मन्तर मारोगे ही ।”
“यार, वह ताजी- ताजी विधवा हुई है। अभी तो उसके पति की चिता की राख ठण्डी नहीं हुई । "
"कोई फर्क नहीं पड़ता । अगर उसने ऐसी बातों का ख्याल कर लिया तो फिर वह सुनयना क्या हुई और अगर तुमने उसे ऐसी बातों का ख्याल कर लेने दिया तो तुम खलीफा क्या हुए ?"
"ठीक है। ठीक है। मैं देखता हूं क्या किया जा सकता है।"
"जरूर देखो । लेकिन एक बात गांठ बांध लो, खलीफा । चाहे वह तुम्हारे साथ लंच के लिए राजी से कहीं जाये, चाहे तुम्हें उसे भगा कर ले जाना पड़े, एक बजे के आसपास वह अपने घर पर नहीं होनी चाहिये । "
"ठीक है, बच्चा, ऐसा ही होगा ।"
"थैंक्यू । हो सके तो मुझे यहां फोन कर देना कि बात बन गई है लेकिन अगर तुम्हारा फोन न भी आया तो भी मैं एक बजे महाजन के घर पहुंच जाऊंगा ।"
“अच्छा !"
फिर मनोहर लाल वहां से विदा हो गया ।
विकास ने जनक वाली रिवाल्वर अपने सूट की जेब में रखी लेकिन जेब लटक आई । उसने उसे अपनी पतलून की बैल्ट में खोंसकर ऊपर से बटन बन्द किये लेकिन तब भी बात नहीं बनी । वह चलता था तो कोट के नीचे से रिवाल्वर की भारी मूठ का आकार नुमायां हो जाता था ।
"यह रिवाल्वर तुम्हीं यहां छुपा कर रख लो" - अन्त में वह उसे वापिस पलंग पर फेंकता हुआ बोला- "वैसे भी शायद ही यह मेरे किसी काम आये। किसी को गोली मार देने के लिये जो हौसला दरकार होता है वह मुझ में नहीं है । "
शबनम ने सहमति में सिर हिलाया ।
आधे घन्टे बाद मनोहर लाल का फोन आया ।
"काम हद से ज्यादा आसानी से बन गया है, बच्चा" मनोहर बोला - "मनोहर कहानियां वाली पुड़िया चल गई है । वह औरत तो किसी इज्जतदार पर्चे के माध्यम से अपने आपको बेगुनाह साबित करने के लिए मरी जा रही है । उसने फौरन मेरे साथ लंच कर का मेरा निमन्त्रण स्वीकार कर लिया, अलबत्ता उसने इतना जरूर कहा था कि मैं लंच के लिए कोई दूर दराज और तनहा जगह तजवीज करू । मैं उसे झील के पास के गार्डन कैफे में ले जा रहा हूं । एक से ढाई बजे तक वह घर नहीं होगी ।" -
"शुक्रिया ।" "
उसने रिसीवर रख दिया ।
“अब एक काम तुम करो।" - वह शबनम की तरफ घूमता हुआ बोला ।
"क्या ?" - शबनम बोली ।
"होटल की बगल में एक कार रैन्टल एजेन्सी है। वहां से अपने नाम किराये की एक कार हासिल करो और उसे होटल और एजेन्सी से परे कहीं खड़ी करके यहां वापिस आ जाओ।"
"ओ के ।”
वह चली गई ।
आधे घन्टे में वह वापिस लौटी ।
"गाड़ी सलेटी रंग की एम्बैसेडर है" - वह उसे कार की चाबियां सौंपती हुई बोली- "वह होटल के दायें पहलू में जो गली है, उसमें खड़ी है । "
"थैंक्यू । तुम्हारे इन अहसानों का बदल मैं उम्र भर नहीं भूलूंगा, शबनम | "
" अब जाने भी दो न । क्यों खामखाह डायलाग मार रहे हो ।"
"मैं चला ।"
"फिर कब आओगे ?" - वह व्यग्र - भाव से बोली । -
"जब तकदीर ले आयेगी ।"
वह खामोश रही ।
विकास कमरे से बाहर निकला ।
लम्बे डग भरता हुआ वह उस विंग की ओर बढा जिधर योगिता का कमरा था ।
वह उसको खबर करके जाना चाहता था कि वह फिलहाल वहां से जा रहा था ।
वह कमरे में पहुंचा ।
योगिता वहां पहले से मौजूद थी ।
उसने सख्त हैरानी और प्रशंसा मिश्रित निगाहों से विकास के नये परिधान और ठाठ-बाट को देखा ।
“कहां गये थे ?”
" हुलिया तब्दील करने ।" - वह बोला ।
"यह सब साजो-सामान कहां से मिल गया तुम्हें ?"
"होटल में से ही । यहां पहले से ठहरे अपने एक दोस्त की मेहरबानी से ।”
"दोस्त या सहेली ?"
उसने उत्तर नहीं दिया ।
“मैं अभी यहां आई हूं” - वह बोली- "सोचा तुम्हारे लंच का इन्तजाम कर आऊं ।"
“जरूरत नहीं । लंच मैं कहीं और कर लूंगा। इस वक्त मैं कहीं जा रहा हूं । "
"कहां ?"
"तुम्हारे पापा के घर । मैंने रिवाल्वर की खबर गुमनाम टेलीफोन काल द्वारा पुलिस को देने के स्थान पर उसे खुद वहां जाकर चैक करने का फैसला किया है । "
“सुनयना तुम्हें वहां घुसने देगी ?"
"जब मैं वहां पहुंचूगा, वह वहां नहीं होगी ।"
"तुम्हें कैसे मालूम ?"
"क्योंकि मैंने ही यह इन्तजाम किया है कि वह वहां न हो। मेरा एक दोस्त उसे लंच के लिए कोठी से कहीं दूर ले जा रहा है । "
“वह चली जायेगी ?"
“हां ।”
“कमाल है ।" - वह एक क्षण ठिठकी और फिर बोली "तुम भीतर कैसे घुसोगे ?"
“ताला तोड़कर ।"- वह तनिक हिचकिचाता हुआ बोला
" यानी कि तुम्हारे ठगी के धन्धे में ताले तोड़ने की ट्रेनिंग भी शामिल है ?"
वह खामोश रहा ।
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