'  ये संजय कहा है?, अभी तो यही था ' माला पहनते हुए अंकुश ने रोहित से जाकर पूछा।

' अरे भैया, भैया ये रहे ना ' रोहित ने इशारा किया जहां पर कोई नहीं था ' अरे ! यही पर तो थे अभी '।

' हा वो ही तो में कह रहा हूं ...अभी तक यही था, पर अब कहा है? ' अंकुश ने चारो तरफ नजर दौड़ते हुए कहा। ' साला मेरे दोस्त ही सब गजब है एक मिलता है तो दूसरा गायब हो जाता है। ‘

' क्या हुआ संजय कहा है ? .. उ लड़किया इंतज़ार कर रही हैं उसको माला पहनाने के लिए ' राहुल  ने पीछे से आकर पूछा।

' भाई तुम ही पहन लो उनसे माला ...संजय का तो पता नहीं कहां चला गया है ? ' अंकुश ने चिंतित भाव से कहा। फिर सभी ने थोड़ी देर तक संजय को आसपास ढूंढा। फिर अचानक अंकुश के दिमाग में आया

' हमको पता है , उ कहा है ... कमिना और जाएगा भी कहा ? ' अंकुश ने कहा और हंसने लगा, अब राहुल और रोहित भी समझ गए कि संजय कहा है,और सभी हंसने लगे।

संजय दुर्गादास की टंकी के ऊपर रेलिंग से बाहर पैर लटकाए बैठा हुआ था उसके पास में ही मालाओ का ढेर रखा था।

' तुम साले बार-बार गायब होकर यहां चले आते हो, बताकर जाया करो भई हमको चिंता होने लगता है।' राहुल ने पीछे से आवाज दी और संजय ने मुड़कर देखा, अब अंकुश भी हांफते हांफते सीढ़ियां चढ़ चुका था। वो दोनों उसके पास आए और उसकी तरह रेलिंग से बाहर पैर लटका कर बैठ गए । माहौल में थोड़ी देर तक शांति बनी रही।

' तुमको  है उस दिन जब उ नेता हमको बेइज्जत करके वहां से निकाला था ना तो हम यहां बैठकर यही सोच रहे थे कि  हमारा पूरा जिंदगी ही बेकार है। हम जिंदगी में आज तक खुद के दम पर कुछ नहीं उखाड़े हैं । हम बस खुद पर बोझ है, एकदम अकेले हैं।पर जब उस दिन तुम दोनों हमारे साथ थे ना तो पता नहीं क्यों हमे ऐसा लगा कि हम भी कुछ है, हम भी कुछ कर सकते हैं। उस वक़्त तुम दोनों थे ना तभी हम आज यहां तक जी पाए हैं । अगर तुम दोनों नहीं होते ना ....' संजय ने बोलते बोलते आंखों में आंसू भर लाया। तभी अंकुश ने उसे साइड से गले लगा लिया और राहुल भी दूसरी तरफ से गले लगा। और थोड़ी देर तक तीनों वैसे ही रहे।

' है भगवान तुम लोग फिर से शुरू हो गए, हां माना कि सरकार ने यह सब काम लीगल कर दिया है, पर ये सब काम चारदीवारी के भीतर करना होता है भई, आप लोग तो सरे आम अश्लीलता फैला रहे हो' रोहित ने पीछे से चढ़ते हुए कहा उसके गले में अभी भी दो मलाई लटक रही थी और हाथ में उसके चार बीयर की बोतले थी।

' आओ बे तुम भी आओ, साला तुम भी तो हमेशा हमारे हर सुख - दुख में साथ ही थे' संजय ने रोहित को बुलाया और उसे भी गले लगा लिया। रोहित भी आके पीछे से गले लग गया।

' छोड़ो बे ये सब और बोतले खोलो , बियर गर्म हो रही है...' अंकुश ने जरूरी बात बताते हुए कहा। रोहित ने बीयर की बोतले खोली और सबको एक-एक पकड़ा दी, और सबने चीयर्स किया।

' तो गुरु आगे का क्या प्लान है?' अंकुश ने बीयर का घूंट लेते हुए संजय से पूछा ।

' आगे का कुछ नहीं बस, लग रहा हैं मेघना के साथ धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा ....और अगर दो, तीन साल तक बात बनी रही तो उसके पापा से माफी मांगकर उसका हाथ मांग लूंगा ,और क्या ' संजय ने कहा और शर्म भारी हंसी हंसने  लगा।

' साले तुम उस आदमी के लड़का को पीटे, उसके भाई को जेल पहुंचाये और  उसे धमकाया भी, फिर भी उम्मीद करते हो कि  वो तुम्हे माफ करे और अपनी लड़की तुम्हारे साथ ब्याहवे' राहुल ने भी बियर का घूंट भरते हुए पूछा। ' तुम चूतिये खुद हो , या फिर उनको समझ रहे हो ? '

' हां… यार बात तो सही है। थोड़ा मुश्किल तो होगा उनको मानना पर  ई अंकुश है ना यही बनाएगा कुछ प्लान, फिर  इसके लिए भी तो कोई ढूंढनी पड़ेगी ...क्यों बे तुम्हे भी तो अकेलापन सता रहा है... है ना...' संजय ने अंगुली से अंकुश को गुदगुदी करते हुए छेडा।

' ना भाई हाथ जोड़ते हैं , तुम्हारे आगे ... अपनी लव स्टोरी खुद संभालो ...और अपनी सेटिंग हम खुद कर लेंगे.. वैसे हम भी किसी से ... …नहीं ..कुछ नहीं कुछ नहीं' अंकुश ने भवावेश में ज्यादा बता दिया।

' कौन है बे! हमारी क्लास की है क्या? ...हम कैसे पता नहीं चला ' राहुल ने भी गुदगुदी करते हुए पूछा।

' कोई नहीं है भाई ...हम ऐसे ही कह दिए थे ..' अंकुश ने हंसते हुए बचाव किया।

' ऐसे ही कुछ नहीं कहते हो तुम ... अब तो बताना पड़ेगा ...बताओ बे  कौन है..बताओ ..' संजय और रोहित ने भी गुदगुदी जारी रखी।

' ऐसा मत करो बे , साले गुदगुदी होता है, बीमार आदमी को छेड़ते हो बे ,शर्म नहीं आती लोगो को , छोड़ो बे हमे' अंकुश ने कहा और हंसी के मारे लोट गया,पर कोई रुका नहीं।

' अबे हटो यार, हंसा हंसा कर मारोगे क्या ?, वैसे भी मुश्किल से ज़िंदा हुआ हूं। ' अंकुश ने हंसते हुए खुदको छुड़ाने की कोशिश की,

राहुल उसके उपर बैठ गया संजय और रोहित ने साइड से कमान संभाली। इस तरह उन चारो की हंसी ने  उस ठंडी गहरी शांत रात को हंसी की रोशनी से जगमगा दिया।

अब बस यही था इस कहानी का अंत। अब आप कहेंगे कि भला ये क्या बात हुई? राहुल,संजय,अंकुश के साथ आगे क्या हुआ ये तो बताया ही नहीं, तो उन किरदारों को मैंने आपके हवाले छोड़ दिया है,उम्मीद है आप उनको उनके अंजाम तक पहुंचा पाएगे।

अब  मेरा मन तो कर रहा है कि आपको इस शहर की ऐसी एक दो ऐसी कहानियां और सुनाऊं पर अभी रात बहुत हो चुकी है, और हम भी थोड़ा थक गए हैं,इसलिए मैंआपसे विदा लेता हूं ,उम्मीद है आपसे फिर मुलाकात होगी।

फिर मिलेंगे.....।