दो हमले
मेंजर जब इण्टरनेशनल म्यूजियम पहुंचा तो इन्स्पेक्टर धर्मवीर उसे देखकर चकित रह गया ।
"आप आ भी गए ! उसके मुंह से निकला, "क्या आप बम्बई को हाथ लगाने गए थे ?"
“नहीं। पत्नी उदास हो गई थी, उससे मिलने गया था। नई पत्नी को दो दिन के लिए भी छोड़ना मुश्किल हुआ करता है । " मेजर ने भी मजाक किया । आज वह बहुत अच्छे मूड में था ।
इन्स्पेक्टर उसका मुंह ताकने लगा, क्योंकि वह मेजर को कुंआरा समझ रहा था ।
मेजर ने तुरन्त बात पलट दी और कहा, "आप यह बताइए कि आप कहां तक पहुंचे हैं ? कल आपने क्या कुछ किया ? ”
“कल हम उस खंजर की चमड़े की म्यान तलाश करते रहे जिससे डाक्टर बनर्जी पर हमला किया गया था ।"
"वह शायद मिलेगी भी नहीं ।” मेजर ने कहा, "आपने कल का दिन केवल चमड़े की म्यान ढूंढ़ने में नष्ट कर दिया।"
" ऐसी बात नहीं है | कल एक आश्चर्यजनक रहस्य भी खुला है । "
"वह क्या ?"
“जिस रात खंजर से डाक्टर पर हमला किया गया था डिक्सन साढ़े ग्यारह बजे यहां आए थे। काफी शराब पी रखी थी। वह पिछले दरवाजे से अजायबघर में घुसना चाहते थे, लेकिन ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल ने उन्हें अजायबघर में दाखिल नहीं होने दिया था।"
"कांस्टेबल के रोकने पर क्या मिस्टर डिक्सन वापस चले गए थे?"
"मेरा ख्याल है कि वे वापस नहीं गए थे। इस बिल्डिंग के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे और कांस्टेबल की नजर बचाकर पिछले दरवाजे से अजायबघर में घुसे थे।
डाक्टर बनर्जी की जबानी मालूम हुआ कि मिस्टर डिक्सन के पास हमेशा अजायबघर के पिछले दरवाजे की चाबी रहती है। इस बात की पुष्टि राजेश ने भी कर दी है। एक बात और भी है। "
"वह क्या ?"
“अजायबघर में एक कमरा मिस्र देश की पुरानी चीजों का भी है। वहां फिर पुराने जमाने के बुत हैं। उस कमरे में सिगरेट का एक अधजला टुकड़ा मिला है। वह सगरेट के उस ब्रांड का है जो मिस्टर डिक्सन हमेशा पीते हैं। इससे सिद्ध होता है कि मिस्टर डिक्सन सचमुच अजायबघर में गए थे और काफी समय तक वहां रहे थे। आधी रात को मिस्टर डिक्सन की अजायबघर में उपस्थिति बड़ी रहस्यमय मालूम होती है और फिर वे कल सारा दिन अपने मकान से गायब रहे जो कैलाश कालोनी में है। वे रात को ग्यारह बजे घर पहुंचे। मैंने एक आदमी की ड्यूटी लगा दी थी कि जब मिस्टर डिक्सन वापस आएं तो वह मुझे तुरन्त इसकी सूचना दे दे। मैं कल रात के ग्यारह बजे मिस्टर डिक्सन से मिलने गया, लेकिन वे नशे में धुत थे और मेरे सवालो का जवाब देने की बजाय ऊटपटांग बातें करने लगते थे। मैं समझता हूं कि वे मेरे सवालों को टालने के लिए एक्टिंग कर रहे थे। मैं इस ख्याल से कि सुबह उनको होश आ जाएगा, वापस चला आया था। आज सवेरे मैं फिर मिस्टर डिक्सन को मिलने गया तो उनके नौकर ने मुझे बताया कि साहब सो रहे हैं। उनका हुक्म है कि वे चाहे जितनी देर तक सोते रहें, उन्हें जगाया न जाए। जो कांस्टेबल उनके मकान पर ड्यूटी दे रहा है, उसका अभी-अभी फोन आया कि मिस्टर डिक्सन अभी तक नहीं उठे । उनको यह बात मुझे तो संदिग्ध नजर आ रही है।"
"हूं ! " मेज़र ने कुछ सोचते हुए कहा, “वाकई बड़ी अजीब बात है लेकिन मिस्र देश के पुराने बुतों वाले कमरे में मिस्टर डिक्सन के ब्रांड की सिगरेट का टुकड़ा यह सिद्ध तो नहीं कर सकता कि उस रात वह सचमुच अजायबघर में दाखिल हुए थे?"
"क्यों नहीं सिद्ध करता ! मैंने लक्ष्मी से पूछा था उसने मुझे बताया कि उसने सिगरेट का टुकड़ा कल सुबह ही देखा था।"
"मिस्र के पुराने बुतों वाले कमरे में ऐसी कौन-सी बात है जिसे जानने या छिपाने के लिए मिस्टर डिक्सन को आधी रात के समय कैलाश कॉलोनी से यहां आना पड़ा ? " मेजर ने कहा ।
मेजर और इन्स्पेक्टर अजायबघर के उस कमरे में पहुंचे। मेजूर ने उस कमरे में घूम-फिरकर देखा लेकिन उसे वहां कोई विचित्र बात दिखाई नहीं दी ।
बाहर आकर इन्स्पेक्टर फोन करने के लिए डाक्टर बनर्जी के पढ़ने के कमरे में चला गया | कुछ क्षण बाद मेजर भी वहां जा पहुंचा। उस समय डाक्टर बनर्जी पलंग पर लेटे छत की ओर देख रहे थे। मेजर के भीतर पहुंचने पर वे चोंके ।
मेजर टहलता हुआ उस अलमारी के पास चला गया जिसके ऊपर पुराना धनुष और पुराने तीर पड़े हुए थे। वह तीरों को उठाकर उनको अपने हाथों में घुमाता रहा । इसके बाद मेजर उस काले बोर्ड की ओर चला गया, जिस पर गड्ढे पड़े हुए थे । मेजर, उन गड्ढों को गिनने लगा। इसके बाद उसने डाक्टर की ओर मुंह फेरकर पूछा, "क्या आपने इस बोर्ड पर आज या कल कोई नया गड्ढा बनाया था ?"
"हां, आज सुबह बनाया था ।" डाक्टर ने उत्तर दिया।
"मैं इसलिए पूछ रहा हूं कि मेरे बम्बई जाने से पहले इस बोर्ड पर सिर्फ छः गड्ढे थे।"
"हां-और सातवां आज सुबह बनाया गया है।"
"बिल्कुल ठीक है।" मेंजर ने कहा, "मेरे बम्बई जाने से पहले अलमारी पर एक जैसे दो तीर पड़े थे - मेरा मतलब है कि उन दोनों तीरों की नोक काली थीं। आज एक तीर की नोक काली नहीं बल्कि कांसे के रंग जैसी है।" मेजर ने डाक्टर को कांसे के रंग की नोक-वाला तीर दिखाते हुए कहा, "क्या यहां बदल-बदलकर तीर रखे जाते हैं ?"
"नहीं — दो ही तीर थे । कल मैं यूँ ही एक तीर की नोक फर्श पर घिसता रहा। जिससे उसका काला रंग उड़ गया और नीचे की धातु निकल आई।"
मेजर ने डाक्टर की बात का कोई उत्तर नहीं दिया। वह नीचे उतरा तो उसे सोनिया आती हुई दिखाई दी। सोनिया ने भीतर-आकर मेजर को बताया कि वह फोटो प्रिण्ट ले आई है। मेजर ने उससे ग्रिण्ट लेकर अपनी जेब में डाल लिए।
"तुम लक्ष्मी से आज फिर मिलो । उससे पूछो कि कामिनी जब यहां से बम्बई गई थी तो कितने बजे घर से निकली थी ? क्या कोई उसे स्टेशन पर भी छोड़ने गया था ?"
सोनिया लक्ष्मी के कमरे की ओर चल पड़ी ।
मेजर राजेश से मिलना चाहता था। वह उसके कमरे की ओर जा रहा था कि उसे गेट पर मिस्टर डिक्सन नजर आए । मेजर ने राजेश से मिलने का विचार छोड़ दिया और वह मिस्टर डिक्सन के अभिवादन के लिए बढ़ा | हाथ मिलाने के बाद मेजर ने कहा, "आप पर यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि परसों रात आपने पुराने मिस्री खंजर से डाक्टर साहब पर हमला किया।"
"डाक्टर साहब पर हमला ! क्या मैं पूछ सकता हूं कि मुझ पर ऐसा संदेह करने की कृपा क्यों की जा रही है ?"
"इसलिए कि आप परसों आधी रात को यहां आए थे। पुलिस कांस्टेबल ने आपको अजायबघर में दाखिल नहीं होने दिया था । आप उस समय वापस चले गए थे, लेकिन कहीं आसपास मौजूद रहे थे और पुलिस कांस्टेबल की नजर बचाकर अजायबघर में घुस गए थे | आपकी सिगरेट का अधजला टुकड़ा उस कमरे में मिला है| आप बताइए कि क्या ये बातें सच नहीं हैं ?"
मिस्टर डिक्सन कुछ देर तक तक सोचते रहे। फिर बोले, "ये सारी बातें बिल्कुल सच्ची हैं | "
"आप कल सारा दिन अपने मकान से गायब रहे। जब वापस घर पहुंचे तो आपने बहुत ज्याद शराब पी रखी थी। क्या यह झूठ है ? "
"मैं शराब का आदी नहीं हूं | कल मुझे मजबूरन शराब पीनी पड़ी। मैं इतनी ज्यादा पी गया कि मुझे आज सुबह तक यह याद नहीं आया कि मैं कल रात कैसे घर पहुंचा, कौन मुझसे मिलने आया, मैंने उससे क्या बातें की।”
"खैर, परसों रात अजायबघर में क्या करने गए थे ?"
"मैं मिस्त्री पुरातत्त्व का माहिर माना जाता हूं, विशेष रूप से उन पुरातत्त्वों का जो फिरऔन काल से सम्बन्ध रखते हैं। मैंने हाल ही में महारानी नफरीती का एक बुत तैयार किया है जिसे अभी बाहर नहीं भेजा गया। मैंने हर प्रकार से इस बात की कोशिश की है कि महारानी नफरीती को उसी रूप में पेश करूं जैसा कि पुस्तकों में उसका उल्लेख मिलता है। मैं परसों रात एक प्राचीन और दुर्लभ पांडुलिपि पढ़ रहा था । उसमें महारानी नफरीती का जो वर्णन है, उसे देखते हुए मैंने जो बुत तैयार किया था, वह बिल्कुल गलत था । मैं अपने उस बुत को देखने के लिए बेचैन हो गया। कुछ दिन हुए उस बुत को फ्रांस के एक धनी व्यक्ति ने खरीद लिया था जो भारत के दौरे पर आया हुआ है । उस फ्रांसीसी ने हिदायत की थी कि महारानी नफरीती का बुत पानी के जहाज द्वारा उसके घर के पते पर फ्रांस भेज दिया जाए। कल उस बुत की पैकिंग शुरू होने वाली थी। मैं सहन न कर सका कि गलत बुत निर्यात किया जाए। इस तरह मेरी ख्याति को हानि पहुंच सकती थी। अतएव मैंने अजायबघर जाकर अपने बनाए हुए बुत को एक नजर देखने का फैसला कर लिया। कांस्टेवल ने मुझे रोका तो मैं बहुत परेशान हुआ, लेकिन मै निश्चय कर चुका था कि बुत को देखकर रहूंगा | इसलिए मैंने कांस्टेबल को चकमा दिया और अजायबघर में दाखिल हो गया। मैं उस बुत वाले कमरे में एक घण्टे तक रहा और महारानी के बुत की नख-शिख नकल करता रहा ताकि प्राचीन पांडुलिपि के अनुसार दूसरे दिन उसे ठीक कर सकूं । "
"आपकी दलील ठीक मालूम होती है लेकिन आप यह वताइए कि जब आप महारानी नफरीती का बुत देख रहे थे तो आपने ऊपर की मंजिल पर रात के सवा बारह बजे किसी के कदमों की आहट तो नहीं सुनी थी ?"
“नहीं, अजायबघर के अन्दर आवाज सुनना कठिन है।"
"क्या मैं पूछ सकता हूं कि आपने कल इतनी शराब क्यों पी और आप सारा दिन घर से क्यों गायब रहे ?
"मैं ग्लासगो का रहने वाला हूं। कल सुबह मुझे एक तार मिला था जो ग्लासगो से आया था | उसमें मेरे लिए एक बहुत दुःखद समाचार था । मेरी प्रेमिका ने मेरी ओर से निराश होकर शादी कर ली थी जबकि मैं अगले महीने ग्लासगो जाकर उससे शादी करने का इरादा कर चुका था। उस तार ने मेरा दिल तोड़ दिया। डिफेंस कालोनी में एक विधवा मिसेज रिचर्डसन रहती हैं। वे हमेशा मुझे स्नेह की दृष्टि से देखती रही हैं, लेकिन मैंने उनमें कभी दिलचस्पी नहीं ली थी। कल उस तार ने मेरे बदन में आग लगा दी तो मैं उसे बुझाने मिसेज रिचर्डसन के यहां चला गया | मैंने तकल्लुफ का पर्दा उठा दिया। मिसेज रिचर्डसन जैसे बरसों से मेरे इन्तजार में थीं।"
मेजर कुछ सोचने लगा । फिर उसने चौंकते हुए कहा, "मिस्टर डिक्सन ! आपने मुझे बताया था कि सन्तनगर में बुत बनाने की वर्कशाप के आप ही इंचार्ज हैं ?"
"जी हां।"
"ये कारीगर भारत के रहने वाले हैं ?"
“सत नहीं - उनमें मिस्री, यूनानी, अफ्रीकी और जापानी भी हैं। कुछ कारीग़र वेस्ट इंडीज के भी हैं । "
मेजर ने चित्रों के वे प्रिण्ट जेब से निकाले, जिनकी फिल्म वह वम्बई से लाया था । उसने वे चित्र मिस्टर डिक्सन को दिखाए तो मिस्टर डिक्सन का मुंह खुले का खुला रह गया, "ओह मेरे भगवान ! ये तो मेरे वेस्ट इंडीज के कारीगर हैं, जो छुट्टी पर बम्बई गए थे। मैं उनमें से तीन को मुर्दा देख रहा हूं-चौथा सोवर्ज कहां है ?"
"क्या ये चार थे ? "
" हमारे यहां वेस्ट इंडीज के सात कारीगर हैं। उनमें से तीन यहीं हैं और चार, छुट्टी पर गये थे ।"
इतने में इन्स्पेक्टर धर्मवीर भी आ गया। उसने मिस्टर डिक्सन को मेजर से बातें करते हुए देखा तो हैरान रह गया। मिस्टर डिक्सन इतनी जल्दी तैयार होकर वहां कैसे पहुंच गए थे । अभी आधा घण्टा पहले ही तो उसने अपने आदमी को मेजर का सन्देश दिया था ।
इन्स्पेक्टर मिस्टर डिक्सन के कल रात के व्यवहार पर नाराज था।
"मिस्टर डिक्सन, आप जरा अजायबघर में चलकर मेरे सवालों का जवाब दीजिए | मैं देख रहा हूं कि इस समय आप नशे में नहीं हैं।"
"अभी इनसे कोई सवाल पूछने की जरूरत नहीं है।" मेजर ने मिस्टर डिक्सन की ओर से इन्स्पेक्टर को उत्तर दिया, “आप जा सकते हैं मिस्टर डिक्सन। मैं आपसे
वेस्ट इंडीज के कारीगरों के बारे में कुछ और जानकारी लेने के लिए आपके पास आऊंगा ।"
मिस्टर डिक्सन पीछे मुड़े तो मेजर ने आवाज दी, "जरा ठहरिए ।"
वे जातेजाते रुक गए ।
"क्या आपको मालूम है कि प्रोफेसर मोरावियो अफ्रीका से कौन-कौन-सी चीजें लाए थे ?
" जी हां, उनकी सारी सूची मुझे याद है - आदिवासियों के हथियार, आदिवासी स्त्रियों के जेवर, आदिवासियों के सरदारों की मुहरें, खंजर, तीर-कमान, नेजें, कौड़ियां, सीपियां – लेकिन उनमें सबसे अजीब चीज ममी बनाने का मसाला है।"
"ममी बनाने का मसाला ? "
" हां - आपने मिस्र देश की प्रसिद्ध ममियों का हाल सुना होगा । वहां के लोग मुर्दे पर ऐसा मसाला मल देते थे और कुछ ऐसी सफाई से ममी तैयार करते थे कि हजारों साल के बाद भी मुर्दा यों मालूम होता था जैसे कल का मुर्दा हो। उसके बाल तक खराब नहीं होते थे । प्रोफेसर मोरावियो जो मसाला लाए थे, उन्होंने एक मुर्दे पर उसका तजुर्बा भी किया था । मुर्दा तीन से चार हफ्ते तक ताजा रहा, फिर उससे बांस आने लगी । असल में प्रोफेसर मोरावियो जो मसाला लाए थे वह असली मसाले की नकल थी । असली मसाला अब कहीं नहीं मिलता। इसका नुस्खा पीढ़ी दर पीढ़ी से चला आ रहा था । जो लोग इसका भेद जानते थे वे आने वाली पीढ़ी को उसका पूरा नुस्खा नहीं बताते थे जिसका परिणाम यह हुआ कि मसाला धीरे-धीरे कम प्रभावशाली होता चला गया ।"
“वह मसाला कहां है ? " मेजर ने पूछा ।
"डाक्टर साहब के पास है । वह भी इसे आजमाना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना इरादा बदल दिया था । " “बस, मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं पूछना चाहता कि उस मसाले का भेद किसको मालूम है।"
"राजेश और मिसेज, रजनी भी जानती हैं । शायद सिद्दीकू भी.. दोनों डाक्टर बनर्जी के सोने के कमरे में पहुंचे। उस समय डाक्टर बनर्जी एक कागज पर कुछ रेखाचित्र बनाने में व्यस्त था । उसने मेजर और इन्स्पेक्टर को अपने कमरे में देखा तो वह कागज एक ओर रख दिया और प्रश्नात्मक नज़रों से उनकी ओर देखने लगा |
" डाक्टर साहब ! चार हफ्ते पहले आप सन्तनगर की वर्कशाप में गए थे, क्या आप नियमित रूप से वहां जाते रहते हैं ?'
“मैं रोजाना तो वहां नहीं जाता लेकिन जब मेरे नमूने के अनुसार कोई बुत तैयार किया जाता है, तो मुझे निगरानी के लिए वहां जाना पड़ता है ।"
"क्या आप वेस्ट इंडीज के कारीगरों से परिचित हैं ?"
डाक्टर उत्तर देने से पहले क्षण भर के लिए सोचता रहा। फिर बोला, "हां, परिचित हूं।"
“चार हफ्ते हुए, आप उनकी छुट्टी का प्रार्थना पत्र उनके पास ले गए थे।”
“मैं स्वयं नहीं ले गया था। मैं सन्तनगर जा रहा था कि दीवान साहब मेरे पास आए और बोले कि मैं वे प्रार्थना पत्र लेता जाऊं।"
"प्रार्थना पत्र क्या दीवान साहब ही मंजूर किया करते थे ?”
"जी हां । "
"दीवान साहब ने जब वे प्रार्थना पत्र आपको उन लोगों तक पहुंचाने के लिए दिये थे तो क्या उनके नाम कोई पैगाम भी दिया था ।"
''कोई पैगाम नहीं दिया था।"
"जब वे लोग बम्बई छुट्टी गुजारने के लिए रुपए लेने आए थे तो क्या उस समय आप दीवान साहब के पास मौजूद थे ?"
"नहीं— लेकिन मुझे इतना याद है कि मैं एक काम से दीवान साहब के दफ्तर के कमरे में बिना आज्ञा पहुँच गया था तो दीवान साहब ने त्यौरी चढ़ाकर मेरी ओर देखा था और बड़े ही क्रुद्ध स्वर में कहा था कि मैं थोड़ी देर बाद आऊं | इससे पहले दीवान साहब ने कभी मुझसे ऐसा व्यवहार नहीं किया था। आश्चर्य चकित-सा मैं पीछे मुड़ा तो मैंने दीवान साहब की मेज पर करेंसी नोटों की पांच बड़ी-बड़ी गड्डियां पड़ हुई देखीं।" i
"हूं ! " मेजर के होंठ गोल होते-होते रह गये। उसने सीटी बजाने की इच्छा को दबा लिया ।
"क्या पेशगी देने का अधिकार खजांची को नहीं था ?"
"सारा हिसाब किताब दीवान साहब ही रखते थे। वे अपनी फर्म के स्वयं ही एकाउंटेंट थे ।"
"बस, एक बात और पूछनी है— दीवान साहब की बेटी कामिनी के बारे आपको क्या राय है ?"
"कामिनी एक सुन्दर, नेक और दिलेर लड़की है। बड़ा आत्मविश्वास है उसे मैं उसे स्टेशन पर छोड़ने गया था। स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर भी उसने मुझसे वादा किया था कि वह अपने पिता को और दुःख नहीं पहुंचाएगी। लेकिन उसने बम्बई पहुंच कर कोई पत्र न लिखा, जिससे दीवान साहब के क्रोध की सीमा न रही। उन्होंने अपनी वसीयत में से कामिनी का नाम निकाल दिया।"
***
मेजर आधे घण्टे में अजायबघर से बाहर नहीं आया। उसे देर हो गई । पौन घण्टे बाद जब मेजर अजायबघर से बाहर निकला तो उसके होंठ गोल थे और वह सीटी बजा रहा था। इतने में सोनिया भी लक्ष्मी से मिलकर आ चुकी थी और इन्स्पेक्ट से बातें करती रही थी। उसने मेजर को इस तरह सीटी बजाते देखा तो बहुत प्रसन हुई, क्योंकि मेजर जब किसी अन्तिम परिणाम तक पहुंच जाता था तो इस तरह सी बजाया करता था ।
"मैं जब अजायबघर में था तो कोई नीचे तो नहीं आया था ? "
"रूपा आया था और पूछ रहा था कि आप कहां हैं। मैंने जब उसे बताया आप अन्दर काम कर रहे हैं तो वह वापस चला गया।"
यह सुनकर मेजर बावर्चीखाने की ओर बढ़ा । संयोग से उस समय रूपा बावर्चीखाने में अकेला था ।
"रूपलाल – तुम मुझसे मिलने आए थे ?” मेजर ने पूछा ।
रूपा ने एक कनस्तर में हाथ डाल दिया और उसमें से चमड़े की एक चीज़ निकालकर मेजर की ओर बढ़ा दी । वह खंजर की चमड़े की म्यान थी ।
"यह तुम्हें कहां मिली ?”
"आज सुबह मैं राजेश बाबू का बिस्तर झाड़ने के लिए गया तो यह उनकी दरी के नीचे पड़ी हुई थी-बिस्तर की दरी के नीचे ।"
"हूं।" मेजर ने कुछ सोचते हुए कहा, "रूपलाल, तुमने एक काम की चीज ढूंढ़ी है।"
इतने में बाहर तेज-तेज कदमों की आहट सुनाई दी।
इन्स्पेक्टर धर्मवीर ने निकट आकर घबराए हुए स्वर में कहा, "मिस्टर डिक्सन पर हमला हुआ है। उनके सिर पर हथौड़े से वार किया गया है और वे बेहोश पड़े हैं।"
मिस्टर डिक्सन के मकान के आगे लोगों का काफी हजूम था । वे तेजी से भीतर पहुंचे | मिस्टर डिक्सन को पलंग पर लिटा दिया गया था । डाक्टर उनके घाव की मरहम-पट्टी कर चुका था और ऐम्बुलेंस बुलवाने के लिए फोन कर रहा था। वह फोन कर चुका तो उसने इन्स्पेक्टर की ओर देखते हुए कहा, "घाव काफी गहरा है, लेकिन मैं समझता हूं कि घातक नहीं है। हमलावर भारी चोट लगाने के लिए आया था लेकिन ठीक उसी समय कोई रुकावट पैदा हो जाने के कारण भरपूर वार न कर सका । मेरा ख्याल है कि ये कल शाम तक बातचीत करने के योग्य हो जाएंगे।"
"इन पर हमला कहां हुआ ?” मेजर ने पूछा ।
"ये खिड़की के पास मेज के पीछे कुर्सी पर बैठे थे। हमने वहीं से इनको उठाकर पलंग पर लिटाया है।"
" हमलावर कई तरह की बातें सोचकर हमला करता है । पिस्तौल उसने इस भय से इस्तेमाल नहीं की होगी कि इस गुंजान आबादी में गोली चलने की आवाज सुनकर लोग जमा हो गए तो उसका बच निकलना कठिन हो जाएगा। खंजर या चाकू पर उसने विश्वास नहीं किया होगा क्योंकि ये ऐसे हथियार हैं जो अक्सर धोखा दे जाते हैं । मैं तो यह सोच रहा हूं कि मिस्टर डिक्सन की हत्या करने की क्यों कोशिश की गई । हमलावर कौन था— मिस्टर डिक्सन पर हमले ने सारे केस की सूरत बदल दी है ।" मेजर ने कहा।
मेजर, सोनिया और इन्स्पेक्टर धर्मवीर पुलिस कार में कैलाश कालोनी से सुन्दर नगर की ओर रवाना हुए तो अंधेरा फैल चुका था। हवा तेज चल रही थी । इसलिए कार की खिड़कियों के शीशे बन्द कर दिए गए थे। मेजर और सोनिया कार की पिछली सीट पर बैठे थे । इन्स्पेक्टर ड्राइवर के पास अगली सीट पर बैठा था। जब कार लेडी श्रीराम कालेज से आगे पुल पर से गुजर रही थी तो सरसराहट के साथ 'खट' की एक आवाज पैदा हुई ।
"क्या किसी ने पत्थर मारा है ?" इन्स्पेक्टर ने पूछा ।
मेजर टार्च निकालकर अपनी ओर की बन्द खिड़की के शीशे में से बाहर कुछ देख रहा था । उसने तुरन्त टार्च बुझा दी और बोला, "नहीं, कुछ नहीं है । शायद कोई कंकड़ उड़कर खिड़की से टकराया है।"
कार सुन्दर नगर में इण्टरनेशनल म्यूजियम के बड़े फाटक के सामने रुकी। मेजर ने कार का दरवाजा खोल दिया और फिर उस दरवाजे की खिड़की के नीचे दरवाजे के लोहपट में गड़ी हुई चीज जोर से खींचकर बाहर निकाली। वह दो फुट लम्बा एक भयानक तीर था। उसकी नोक इतनी तेज और मजबूत थी कि कार के दरवाजे के फौलाद में भी गड़ गई थी । इन्स्पेक्टर और सोनिया भी कार से बाहर निकल आए थे । वे दोनों भी आश्चर्य से उस तीर को देख रहे थे ।
"यह क्या है - आपने तो कहा था कि कार में कोई कंकड़ उड़कर लगा है । यह तो एक भयानक तीर है।" इन्स्पेक्टर ने कहा ।
"हां - किसी ने हम पर हमला किया था। मैं इस तीर को टार्च की रोशनी से देख चुका था, लेकिन चुप रहा - क्योंकि इस अंधेरे में हत्यारे का पीछा करना बेकार था और यह तीर काफी दूर से छोड़ा गया था । आप देख सकते हैं कि यह विशेष प्रकार का तीर है।"
"आपके ख्याल में यह तीर कितनी दूर से छोड़ा गया होगा !"
"कम-से-कम दो फर्लांग के फासले से।"
"फिर तो वाकई हमलावर का पीछा करना बेकार था ।"
“हां । " मेजर बोला ।
वह तीर हाथ में लिए हुए तेजी से कोठी में दाखिल हुआ और चौकड़ियां भरता हुआ सीढ़ियां चढ़ने लगा | सोनिया व इन्स्पेक्टर भी उसके पीछे लपके । मेंजर आंख झपकते ही ऊपर डाक्टर के सोने के कमरे में पहुंच गया। नीचे ड्यूटी पर तैनात सब इन्स्पेक्टर पुलिस गुरुदयाल उनकी इस तीव्र गति का मतलब नहीं समझ पाया था।
मेजर डाक्टर के सोने के कमरे में पहुंचा तो वह बिस्तर पर रजाई ओढ़े और दो तकियों पर सिर रखे पुस्तक पढ़ रहा था । मेजर को आंधी की तरह अपने कमरे में प्रवेश करते देखकर वह चौंक पड़ा। मेजर ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। वह अलमारी पर पड़े हुए तीरों को उठाकर देखने लगा और अपने हाथ में पकड़े हुए तीर का उनसे मुकाबला करने लगा। अलमारी के ऊपर वही दो तीर पड़े थे जिनको वह थोड़ी देर पहले देख चुका था। मेजर के अन्दाज से प्रकट होता था कि उसे कुछ निराशा हुई है | मेजर ने दोनों तीर अलमारी के ऊपर रख दिए और काले बोर्ड के निकट जाकर उसका निरीक्षण करने लगा। उस बोर्ड में एक और गड्ढा पड़ चुका था ।
"डाक्टर साहब, आप इस बोर्ड को शायद फिर खुरचते रहे हैं। यह आठवां गड्ढा ताजा है।"
"जी हां, मैं जिस नई मूर्ति का नमूना तैयार कर रहा हूं, वह कल तक पूर्ण हो आएगी । ये आठों गड्ढे उस मूर्ति का नमूना तैयार करने में मदद देंगे।" डाक्टर जो मेजर की हरकत को बड़े ध्यान से देखता रहा था, कुछ सोचते हुए बोला, "आपके चेहरे से ऐसा मालूम होता है कि कोई नई बात हुई है।"
“एक नहीं, दो नई बातें हुई हैं | खंजर की चमड़े की म्यान मिल गई है और मिस्टर डिक्सन पर किसी ने हथौड़े से हमला किया है । "
डाक्टर भी भौंचक्का रह गया, "खंजर की म्यान ! कहां से मिली ?"
मेजर ने जेब में हाथ डालकर म्यान निकाली और डॉक्टर के सामने रख दी।
"हां, यह उसी खंजर की म्यान है जो प्रोफेसर मोरावियो अपने साथ लाए| मैंने उनके सामान की सूची तैयार करते हुए इसे गौर से देखा था। इसके एक कोने पर मनुष्य की दो आड़ी-तिरछी हड्डियों का छोटा-सा निशान है।" मेजर ने उस म्यान को दोबारा उठाकर देखा । डाक्टर के बयान के अनुसार उस स्थान के एक कोने पर आड़ी-तिरछी हड्डियों का हल्का-सा निशान मौजूद था।
"लेकिन यह म्यान मिली कहां से ?" डॉक्टर ने दोबारा पूछा ।
"राजेश के बिस्तर की दरी के नीचे से।" मेजर ने उत्तर दिया ।
“राजेश..।” डाक्टर के कण्ठ में शेष बात अटककर रह गई । डाक्टर ने हकलाते हुए कहा, "नहीं~~ ऐसा नहीं हो सकता। मैं राजेश को अच्छी तरह जानता हूं । वह मेरा बहुत आदर करता है ।" इसके बाद वह दो मिनट के लिए मौन रहा । फिर बोला, “यहां कोई व्यक्ति भी सुरक्षित नहीं है। मिस्टर डिक्सन जैसे भले आदमी पर हमला हो सकता है तो फिर हत्यारे के हाथों से कौन वच सकता है ! बेचारे एक महीने बाद शादी करवाने के लिए घर जाना चाहते थे, उनकी प्रेमिका तो जीते जी मर जाएगी।"
"लेकिन मिस्टर डिक्सन तो जिन्दा हैं । " मेजर ने कहा ।
"जिन्दा हैं ? क्या वे हलाक नहीं हुए ?" डाक्टर ने आश्चर्य से पूछा ।
"नहीं, बेहोश हैं । डाक्टर का ख्याल है कि उन्हें होश आ जाएगा।"
“ओह मेरे भगवान ! तू जिसको जिन्दा रखना चाहता है, कोई उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता। मैं समझता हूं कि यह मिस्टर डिक्सन की प्रेमिका की प्रार्थनाओ का असर है कि उनकी मौत आकर टल गई ।"
"अच्छा तो हम चलते हैं । डाक्टर साहब, आप आज भी चौकस रहिएगा । सोने के कमरे का दरवाजा बन्द करके सोइएगा।"
"हां, अब तो कुछ ज्यादा हो सावधान रहना होगा । " डाक्टर ने पुस्तक उठा ली और पढ़ने में व्यस्त हो गया ।
मेजर ने नीचे आकर इन्स्पेक्टर को हिदायत दी, "आज इस घर में पहरा पहले से भी कड़ा कर दीजिए । खासकर राजेश, रजनी, सिद्दीकू और डाक्टर के कमरे की कड़ी निगरानी की जाए। किसी भी पहरेदार को ऊंघने न दिया जाए।"
"ऐसा ही होगा ।" इन्स्पेक्टर ने उत्तर दिया ।
"अच्छा तो अब हम चलते हैं । कल सुबह सवेरे ही हम यहां पहुंच जायेंगे ।” मेजर ने दरवाजे तक जाकर कहा, "एक बात और कीजिए | उस अस्पताल के डाक्टर को, जहां मिस्टर डिक्सन का इलाज हो रहा है, कड़ी हिदायत कर दीजिए कि वह मिस्टर डिक्सन से किसी को मिलने या उन्हें देखने की विल्कुल इजाजत न दें ।”
सोनिया और मेजर टैक्सी में साउथ एक्सटेंशन की ओर चल दिए ।
*****
0 Comments