16 सितम्बर, रविवार
कुछ देर झपकी लेने के बाद रणवीर तैयार होकर पुलिस लाइन पहुँचा । आज रविवार होने के कारण ऑफिस पूरी तरह से खुला हुआ नहीं था । अपनी ज्वॉइनिंग रिपोर्ट ऑफिस में क्लर्क को देकर वह कुछ देर वहाँ के लोगों से मिलने के बाद वापिस घर आ गया ।
सौम्या ने तब तक नाश्ता तैयार कर लिया था । बहुत दिनों के बाद कोई ऐसा दिन आया था जब रणवीर को कहीं जाने की कोई जल्दी नहीं थी । टीवी देखते हुए वह आराम से नाश्ता कर रहा था । लोकल चैनल पर उसने एमएलए के रेस्ट हाउस में आज लगी आग की कोई न्यूज़ ढूँढ़ने की कोशिश की लेकिन कहीं कोई कवरेज नहीं थी । नाश्ता लेकर वह हटा ही था कि वेदपाल का फोन आ गया ।
“क्या हुआ रणवीर ? मुझे अब पूरी बात बता । उस वक्त मैं ढंग से तेरी बात समझ नहीं सका ।”
“बात ये है कि अब मैं लाइन हाजिर हूँ । कल शाम पाँच बजे से मेरा तबादला तुरंत प्रभाव से कर दिया गया है और मैं सस्पैंड कर दिया गया हूँ । जबकि कमाल यह है कि आज सुबह तक मैं मोहित को गिरफ्तार के लिए मारा-मारा फिर रहा था । एसपी से मुझे तुरंत मौका-ए-वारदात से हटने का हुकुम मिला, जो इस बात का साफ इशारा है कि मेरी कार्यवाही से किसी के पेंदे में इतना दर्द हो गया था कि उन लोगों के लिए मुझे वहाँ से हटाना जरूरी समझा गया ।”
“तो अपना लाल बत्ती वाला हाकिम, हुजूर के दरबार में जी हुज़ूरी कर रहा था ।”
“जाहिर है, अगर मैं वहाँ उस घर में तफतीश पूरी होने तक रहता तो उस ऊँची कुर्सी वाले तक आंच पहुँचनी ही थी, तो उससे पहले ही उन लोगों ने हवा का रुख बदल दिया ।”
“तो फिर, अब क्या ? ये केस गया ठंडे बस्ते में ?”
“हाँ, लगता तो यही है । अब ये सब तो अगले इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर की नीयत पर निर्भर करता है । गौरव कालिया के परिवार वाले इस मामले को जिंदा रखना चाहें तो कोर्ट में केस की सुनवाई के लिए जा सकते हैं । अब इस कांड के सारे हिस्सेदार मारे जा चुके हैं तो इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर इसे क्लोज़ कर फ़ाइल भी कर सकता है; लेकिन मैं इस केस की सच्चाई जानना चाहता हूँ, ताकि ये अधूरा केस पूरा हो सके और आगे कभी रात में मेरी नींद खराब न हो । मैं अनाधिकारिक तौर पर तुम्हें कुछ तकलीफ आगे भी दे सकता हूँ ।”
“कह तो ऐसे रहा है जैसे पहली बार ऐसा करेगा । एक बात बताऊँ, हो सकता है तेरे काम की साबित हो ?”
फिर वेदपाल, रणवीर को अपनी रिपोर्ट से संबन्धित कुछ बातें बताने लगा और भविष्य में कोई भी सहयोग के लिए वादा कर उसने फोन रख दिया ।
फोन पर हुए वार्तालाप के बाद रणवीर ने वो सारे कागजात निकाल लिए जो वह अपने ऑफिस से साथ लेकर आया था । उनमें काफी देर तक उलझा रहने के बाद उसने वरुण से मिलने का निश्चय किया । उसे फोन करने पर पता चला कि वह अपने घर पर ही मौजूद था । वह छड़ा आदमी था इसलिए परिवार के साथ आयद होने वाली बन्दिशों से आजाद था । रणवीर ने उसे घर पर ही रुकने के लिए कहा । रणवीर एक लिफाफा लेकर वरुण के घर पहुँचा ।
“राम-राम, बड़े दारोगा जी ! आज तो मेरा हवामहल पवित्र हो गया, जो आपके चरण यहाँ पड़े ।”
“बस, आज मस्का रहने दे । तू आज सुबह से कहीं गया नहीं अपना कैमरा लेकर । कोई फड़फड़ाती, सनसनीखेज न्यूज़ नहीं मिली कवरेज के लिए ।”
“कौन-सी न्यूज़ की बात कर रहे हो, बड़े दारोगा जी ?”
“तुम्हारे इलाके के नेता जी के घर में आग लग गई । तुम वहाँ पहुँचे नहीं, लगता है इस बात की भनक नहीं लगी ।”
“ये न्यूज़ मिली तो थी, बड़े दारोगा जी ! उसे कवर करने के लिए नवीन को भेजा भी था लेकिन रेस्ट हाउस वालों ने उसे अंदर ही नहीं जाने दिया । बस वह बाहर से ही शॉट लेकर आ गया । कोई खास बात तो वहाँ हमें नहीं लगी । वहाँ के स्टाफ ने भी कोई बाहर के लोगों से इस बारे में खास बात नहीं की ।”
“हाँ, खास बात क्यों लगेगी । कोई लगने देगा तब न !”
“क्या बात है, बड़े दारोगा जी ! बड़ी पहेलियाँ बुझा रहे हो इस गरीब के लिए । माजरा क्या है ?”
रणवीर ने माजरा तफसील से बताया तो वरुण की आँखें खुली की खुली रह गईं ।
“बड़े दरोगा जी, आपने उसी वक्त हमें क्यों नहीं बताया ? बाई गॉड, मेरी जिंदगी बन जाती !”
“क्या पता तेरी जिंदगी बन जाती या जान पर बन आती ! इस बात का तो तुम्हें पता ही है कि मैं अब यहाँ का एसएचओ नहीं हूँ । जो मैं पूछने जा रहा हूँ, अगर तू चाहे तो मना कर सकता है ।”
“क्यों शर्मिंदा कर रहे हो, बड़े दारोगा जी ! मैं जैसा भी हूँ, आपके लिए हाजिर हूँ । आप पूछिए, जो पूछना चाहते हैं ।”
“क्या तुम्हें कोई ऐसी घटना याद आती है, जिसमें इस शहर की कोई लड़की लापता हुई हो और उसका आज तक पता न चला हो ।”
“ऐसी तो कई घटनाएँ हुई हैं, सर जी, इस इलाके में ! लेकिन ये बात तो आपके महकमे को ज्यादा पता होगी ।”
“ऐसे जो भी केस थाने में दर्ज थे, उनकी तहक़ीक़ात तो मैंने कर ली है, लेकिन जो लाश हमें संत नगर से मिली है, उससे किसी भी मामले का तार नहीं जुड़ा । एक फोटो मैं तुम्हें दिखा रहा हूँ । हो सकता है, तुम्हें कुछ याद आ जाए ।” रणवीर ने लिफाफे से निकालकर वरुण को एक फोटो दिखाया ।
“ये तस्वीर आपको कहाँ से मिली ? इसमें तो वही बुजुर्ग आदमी दिखाई दे रहा है, जिसकी फोटो मैंने अपनी न्यूज़ में छपवाई थी ।”
“हाँ, यह तो वही बूढ़ा आदमी है । इसके बारे में तुमने मुझे बताया था । शायद रूप कुमार नाम बताया था तुमने इसका !”
“हाँ, ये आदमी रूप कुमार ही है । अपना मानसिक संतुलन खो चुका है और पागलों की तरह सारा दिन शहर में मारा-मारा फिरता रहता है । अब तो इसे अपनी भूख-प्यास से भी कुछ लेना-देना नहीं । पता नहीं, कितने दिन जिंदा रहेगा इस हालत में ?”
“मैं इस आदमी से मिलना चाहता हूँ । इसके घर का पता है तुम्हें ?”
“घर का तो पता है मुझे, बड़े दारोगा जी ! लेकिन इस आदमी से मिलने से कोई फायदा होगा, मुझे तो नहीं लगता !”
“चलो, कोई फायदा हो या न हो, मेरे दिमाग में जो सवाल हैं, उनको कुछ तो दिशा मिलेगी । अगर तुम्हारे पास समय है तो चल, अभी चलते हैं ।”
दोनों, रणवीर की रॉयल एनफील्ड पर सवार होकर, रूप कुमार के घर की तरफ चल दिये । उनकी मंजिल पुरानी बस्ती में पुराने डाकखाने के पास वाली गली थी । वहाँ पहुँचकर देखा तो वह एक कदरन चौड़ी गली थी, जिसमें रूप कुमार का वीरान-सा घर था । जब घर के मालिक से खुदा ने ही नजरें फेर ली हों तो उसका आशियाना आबाद कैसे दिख सकता था !
रूप कुमार घर के बाहर मेन-गेट के सामने बैठा था । वह एक सूखी हुई ब्रैड को पानी में भिगोकर खा रहा था, जबकि उसके सामने किसी ने ताजा रोटी और सब्जी रखी हुई थी । उसे अपनी ही सुध नहीं थी तो जमाने की परवाह उसे कहाँ से होती ! दीन-दुनिया से बेखबर वह उस वक्त जैसे अपने सबसे अहम काम में मशगूल था । उसके कपड़े मिट्टी और पसीने से बुरी तरह से सने हुए थे । कई दिनों से बदले न जाने की वजह से काले पड़ गए थे । रणवीर और वरुण उसके सामने जाकर खड़े हो गए तो वह उनकी तरफ सूनी आँखों से देखने लगा । उसकी आँखों में वीरानी बहुत गहरे से पसरी हुई थी और उनमें इस जहान की खुशियों की कोई परछाई नजर नहीं आती थी ।
वरुण ने उससे दुआ-सलाम करना चाहा; लेकिन वह अपनी सूखी हुई ब्रैड को चबाने में व्यस्त रहा । रणवीर ने जब अंदर जाने के लिए घर का मेन-गेट खोला तो उसके बदन में हलचल हुई । वह अपनी ब्रैड को छोड़ तुरंत उठकर खड़ा हुआ और गेट के आगे अपने दोनों हाथ अड़ाकर खड़ा हो गया । मानो रणवीर को चेतावनी दे रहा हो कि उसकी इजाजत के बिना इस घर में आना मना है । उसके मुँह से ऐसी कातर आवाज निकली कि यह कहना मुहाल था कि वह एक घायल आत्मा का क्रंदन था, या एक ज़िबह होते बकरे की चीत्कार । रणवीर तुरंत दो कदम पीछे हो गया और वरुण तो डर के मारे भागकर गली के दूसरे मकान के सामने पहुँच गया ।
“क्या हुआ काका ? क्या बात है ?” सामने वाले मकान से कोई तीस वर्ष के आसपास की महिला दौड़ते हुए बाहर आई । उसके साथ में रूप कुमार की उम्र का एक अधेड़ व्यक्ति भी था । उस अधेड़ व्यक्ति ने भागकर रूप कुमार को सहारा दिया जबकि वह युवती उसकी हालत देख अंदर पानी लेने के लिए उल्टे पाँव भागी ।
रणवीर और वरुण की तरफ देखकर रूप कुमार दोनों हाथों से इशारा करके उस आदमी को बताने लगा कि ये दोनों उसके घर में अनधिकार चेष्टा कर घुसने की कोशिश कर रहे हैं । उसकी आवाज बड़ी अस्पष्ट थी । उसकी वाणी में वह दर्द था जैसे अपने घर को कोई असहाय चिड़िया एक शिकारी बाज के झपट्टे से बचाना चाहती हो । वह आदमी रूप कुमार को बड़े प्यार से संभालता हुआ उसे घर के अंदर ले आया और वहाँ पड़े तौलिये से उसका मुँह पोंछा ।
“आप लोग कौन हैं और किससे मिलना है आपको ?” उस अधेड़ व्यक्ति ने पूछा ।
“हम रूप कुमार से मिलना चाहते थे । यही व्यक्ति रूप कुमार है न ?” रणवीर ने अपना परिचय देते हुए कहा ।
“यही आदमी रूप कुमार है, साहब ! लेकिन इससे मिलकर अब आपको कोई फायदा नहीं होने वाला । अब इसे इस दीन-दुनिया की कोई खबर नहीं । पिछले एक साल में जो दर्द इस बदनसीब ने झेले हैं, उनका सदमा ये बर्दाश्त नहीं कर पाया और दिमाग हिल गया इसका । अब आपके किस काम का ये आदमी ?”
“इनकी इस हालत पर मुझे बेहद अफसोस है, लेकिन कुछ सवाल मुझे परेशान कर रहे थे । मैं बस उनके बारे में इस आदमी से कुछ सवाल करना चाहता था । इनकी हालत देखकर मुझे नहीं लगता कि कोई फायदा होने वाला है ।”
“सही कह रहे हैं आप । आपकी बात न तो ये समझेगा और न आप इस पागल का प्रलाप समझ पाएँगे । आप मुझसे पूछ लीजिये, शायद मैं आपकी कोई सहायता कर सकूँ ।”
“आप इस फोटो के बारे में मुझे कुछ बता सकते हैं ?” रणवीर ने वही फोटो उसके सामने रख दी, जो उसने वरुण को दिखाई थी ।
वह अधेड़ पुरुष, जो अपना नाम दया राम बता चुका था, उस फोटो को हाथ में लेकर ध्यान से देखने लगा । एकाएक रूप कुमार की आँखों में भी जिज्ञासा के भाव उमड़े और उसने उस फोटो को झपट्टा मारकर खींच लिया और आँखें फाड़-फाड़कर फोटो को देखने लगा । उसकी आँखों से आँसू बह निकले और वह सूखे पत्ते की तरह काँपने लगा । एकाएक वह उस फोटो को अपने सीने से लगाते हुए चिंघाड़ मारकर रोने लगा ।
रणवीर और वरुण हकबकाए से उसकी तरफ देखने लगे । जब दया राम ने उससे वह फोटो खींचनी चाही तो रूप कुमार ने उसे बड़ी ज़ोर से धक्का दिया । वह अपना संतुलन खो बैठा और एक तरफ लुढ़क गया । रूप कुमार अब उसकी पकड़ से बाहर था । अचानक उसने अपना सिर दीवार पर ज़ोर-ज़ोर से मारना शुरू कर दिया, जो किसी स्वस्थ व्यक्ति के बस की बात नहीं थी ।
रणवीर तुरंत उसकी तरफ तेजी से लपका लेकिन तब तक वह अपना सिर दीवार पर पटक-पटककर लहूलुहान कर चुका था । जिस वहशियाना तरीके से उसने दीवार पर अपना सिर पटका था, वह वही आदमी कर सकता था, जो या तो पागल हो, या फिर जिसे जिंदगी से कोई मोह न हो । रूप कुमार पर ये दोनों ही बातें लागू होती थीं । रणवीर ने अपना रुमाल निकालकर फौरन उसके सिर पर रखकर दबा दिया ।
न जाने उस पागल में इतना बल कहाँ से आ गया था कि रणवीर जैसे कद्दावर आदमी को भी उसे काबू में करने के लिए पूरा ज़ोर लगाना पड़ा । फिर कुछ देर बाद वह बेहोश होकर उसकी बाँहों में झूल गया ।
वरुण और दया राम की मदद से रणवीर ने उसे पलंग पर लिटाया । तब तक दया राम की पुत्रवधू पानी और चाय लेकर आ गई थी । उसने अपने घर से फ़र्स्ट-ऐड बॉक्स लाकर दिया, जिससे वरुण की मदद से उसने रूप कुमार के सिर पर मरहम-पट्टी कर दी । रणवीर अपने माथे से पसीना पोंछते हुए एक कुर्सी को झाड़कर बैठ गया । पूरा कमरा धूल से अटा हुआ पड़ा था ।
रणवीर की निगाहों का पीछा करते हुए वह युवती मालती, बोली, “जब अंकल बाहर बैठे हों तो किसी को घर में घुसने नहीं देते । उन्हें खाना देने के बहाने से जब मैं यहाँ आती हूँ तो उस वक्त बस थोड़ा बहुत ही साफ हो पाता है ।”
“ये हालत कब से है इनकी ?” रणवीर ने पूछा ।
“क्या बताएँ साहब ! इस आदमी का पूरा परिवार एक महीने में ही उजड़ गया । रूप कुमार हैल्थ डिपार्टमेंट से क्लर्क की पोस्ट से रिटायर हुआ था । फिर पता नहीं, एक दिन अचानक इसकी लड़की लापता हो गई । ये बेचारा उसकी तलाश में मारा-मारा फिरता रहा । पुलिस ने भी बस खानापूर्ति करने के लिए रपट तो दर्ज कर ली लेकिन आगे कोई कार्यवाही नहीं की । बाद में उस रपट का भी कोई नामोनिशान नहीं मिला । इसकी पत्नी वह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और इस दुनिया को छोड़कर चली गई । इसका इकलौता लड़का भी अपना घर-बार छोड़कर पता नहीं कहाँ चला गया । पुलिस वाले, जब भी उन्हें कोई लावारिस लाश मिलती, तो इसे शिनाख्त के लिए बुला लेते । बस एक दिन ऐसी ही एक लाश को, जो पुलिस ने इसके लड़के की बताई थी, देखकर ये अपना मानसिक संतुलन खो बैठा और तब से इसकी ये हालत है ।”
“क्या नाम था इसके लड़के का ?” रणवीर ने पूछा ।
“अक्षत वर्मा । जो फोटो आप मुझे दिखा रहे थे, उसमें वह बीच में खड़ा है । इसी की मौत के कारण रूप कुमार अपना आपा खो बैठा ।”
“ये रिपोर्ट तो मैंने भी अपनी लोकल न्यूज़ पर दिखाई थी । उस वक्त किसी ने इनकी लड़की के लापता होने की खबर भी दी थी, पर परिवार वालों की इच्छा नहीं थी कि उस खबर को आम किया जाए, तो मैंने उसकी फोटो नहीं दिखाई थी; लेकिन मैंने उस लाश की कवरेज और अक्षत की फोटो अपनी रिपोर्ट में जरूर दिखाई थी ।” वरुण बीच में बोला ।
“क्या वह वीडियो अब मुझे मिल सकती है ? वह लाश कहाँ से बरामद हुई थी ?” रणवीर ने पूछा ।
“हाँ, मिल जाएगी । मैं अलग से हार्ड डिस्क में एक साल का रिकार्ड रखता हूँ ।” वरुण ने आश्वस्त स्वर में कहा ।
“क्या नाम था इनकी गुमशुदा लड़की का ?” रणवीर ने एक बार फिर दया राम की तरफ रूख करते हुए पूछा ।
“रूपाली ! बड़ी ही नेक और खूबसूरत लड़की थी । भगवान जाने, उसे जमीन खा गई या आसमान निगल गया । किसी को भी उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी । पुलिस ने तो बस ये कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि किसी लड़के के चक्कर में पड़कर भाग गई । उसका भरा-पूरा परिवार उजड़ गया, लेकिन वह लड़की वापिस नहीं आई ।”
“वैसे रूप कुमार का लड़का अक्षत काम क्या करता था ?”
“वह एम.बी.ए. था और शूटिंग का राष्ट्रीय स्तर का गोल्ड मेडलिस्ट था । वह ‘महक फार्महाउस’ में मैनेजर था ।”
रणवीर इस बात पर बुरी तरह चौंका । महक फार्महाउस ! मोहित गेरा ! अक्षत ! मैनेजर !
“मेरे ख्याल से रूप कुमार को किसी हॉस्पिटल में चेक करा लेते हैं । जिस ताकत से इसने दीवार में सिर मारा था, कहीं अंदरूनी चोट से बात बढ़ न गई हो । कोई खोपड़ी में फ्रैक्चर... ।” दया राम ने रणवीर की तंद्रा भंग करते हुए कहा ।
“हाँ, ठीक है । आप इन्हें डॉक्टर के पास ले जाएँ । हम चलते हैं । मैं एंबुलेंस को फोन कर देता हूँ । अगर हमें रुकने की जरूरत हो तो बताइये ।” रणवीर ने खड़े होते हुए कहा ।
“नहीं, बस आप एम्बुलेंस बुला दें । बाकी हम संभाल लेंगे ।” दया राम ने जवाब दिया ।
इसके बाद रणवीर और वरुण वापिस वरुण के घर आ गए । वरुण ने कम्प्यूटर पर उस न्यूज़ की वीडियो ढूँढ़ निकाली, जो उसने अक्षत की मौत पर अपने लोकल चैनल पर चलाई थी । इस वीडियो में कोई ब्लर्रिंग नहीं थी और साफ-साफ सब कुछ दिखाई दे रहा था । उस वक्त वह लाश बुरी तरह से जली हुई थी । उसको पहचानना नामुमकिन-सा काम था । सिर्फ बदन पर बचे-खुचे जीन्स और जूतों से ही शिनाख्त की जा सकती थी । वरुण ने वीडियो बंद कर दी और रणवीर कुछ देर चिंतापूर्ण ढंग से बैठा रहा ।
तभी उसका फोन बजा । दूसरी तरफ सब-इंस्पेक्टर रोशन वर्मा था ।
“जयहिंद जनाब !” रोशन ने अभिवादन किया ।
“कहो रोशन, कैसे हो ?”
“ठीक हूँ, सर ! सुबह आपके जाते ही यहाँ पर नए एसएचओ इंस्पेक्टर वरियाम सिंह ने थाने का चार्ज ले लिया है ।”
“वरियाम सिंह ! मुझसे पहले इस थाने का इंचार्ज वही तो होता था । साहब लोगों ने बिलकुल सही आदमी लगाया है, गेरा फ़ैमिली के काले कारनामों को कवर करने के लिए ।”
“उसने तो आते ही सब कुछ कवर कर दिया जनाब ! विधायक के घर हुई घटना को एक नौकर की लापरवाही से हुई दुर्घटना करार दे दिया गया है । उसके सेक्रेटरी ने एक प्रैस-स्टेटमेंट भी इस मामले में प्रैस को दे दिया है । उसके अनुसार इस दुर्घटना में एक नेपाली नौकर की मौत हो गई है । उसकी लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है । मोहित गेरा की मौत को वह बीच में से गोल कर गए हैं और उसकी डैड-बॉडी शमशेर गेरा के घर चुपचाप पहुँचा दी गई है ।”
“वह नेपाली मर गया ! उस वक्त तो वह इतना घायल नहीं था ।”
“पता नहीं जनाब ! वरियाम सिंह के आते ही आनन-फानन में ये सारी कार्यवाही अंजाम दे दी गई है ।”
“हम्म । फिर तो इस केस की पूरी तरह लीपा-पोती के लिए ही उसे वापिस इस थाने में भेजा गया है । अभी मेरे ट्रान्सफर की बात आम नहीं हुई है । पब्लिक को तो कल के अखबार के जरिये इस बात का पता लगे, तो लगे । रोशन, मैं एक बार फिर ‘महक फार्महाउस’ जाना चाहता हूँ । क्या तुम वहाँ आ सकते हो ?”
“क्यों नहीं जनाब ! आप पहुँचो, मैं आता हूँ ।”
“ठीक है । तुम एक घंटे में वहाँ पर पहुँचो । मैं भी वहाँ पर पहुँचता हूँ ।” रणवीर इतना कहकर खड़ा हो गया ।
“ठीक है, गोस्वामी जी ! तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया ।”
“मैं भी आपके साथ चलूँ, बड़े दारोगा जी ! आप अकेले... ।”
“हम कभी अकेले नहीं होते, वरुण ! हमारे कर्मों की परछाइयाँ हमेशा हमारे साथ होती हैं और शायद कोई हमें न दिखाई देकर भी हमेशा हमारे साथ होता है । तुम्हारी मेल पर एक वीडियो है, अगर मेरा साथ देने की इच्छा हो तो उसे एक बार देख लेना । आगे का फैसला तुम्हारे हाथ में है ।”
वरुण ने बाद में अपना फोन देखा तो उसमें राम चरण के घर लगी भीषण आग का वीडियो था, जिसमें नेपाली के साथ-साथ मोहित गेरा का झुलसा हुआ शरीर साफ दिखाई दे रहा था ।
रणवीर, वरुण के घर से सीधा अविनाश चौधरी के घर पहुँचा । रविवार होने की वजह से वह अपने घर पर ही था । घर का गेट पहले की तरह अशोक कुमार ने ही खोला । रणवीर को सादे कपड़ों में होने की वजह से वह उसे तुरंत पहचान नहीं पाया । जब रणवीर ने अविनाश चौधरी के बारे में पूछा तब कहीं जाकर उसने उसे पहचाना । उसने अविनाश के ऊपर अपने कमरे में होने की पुष्टि की ।
रणवीर सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर पहुँचा ।
“अरे सर, आप !” रणवीर को देखते हुए अविनाश आश्चर्य से बोला ।
“हाँ । मैं इधर से निकल रहा था, सोचा तुमसे एक बार और मिल लूँ । तुम कहीं जा रहे हो शायद ?”
“हाँ जी, वह दया राम अंकल का फोन आया था । रूप अंकल को फिर कोई दिमागी दौरा पड़ गया है शायद । वह लोग उन्हें सिविल हॉस्पिटल लेकर जा रहें हैं इसीलिए मैं भी वहाँ जा रहा हूँ ।”
“तुम रूप कुमार को जानते हो ?”
“बचपन से । वे मेरे दोस्त अक्षत के पापा हैं । उसके चले जाने के बाद मैं उनकी थोड़ी-बहुत देखभाल की कोशिश करता हूँ । बाकी सारा काम तो दया अंकल संभालते ही हैं ।”
“हम्म । अक्षत की मौत के बारे में कुछ बताओगे मुझे । मेरा मतलब क्या कोई हादसा हुआ था ?”
“ये तो आपको पुलिस ही सही ढंग से बता सकती है । उसकी लाश कहाँ से मिली, कैसे मिली, वह कैसे मरा, ये सब आपके डिपार्टमेंट को पता है । उसके पापा को तो बस ये बताया गया था कि उसकी बॉडी मिली है । उनको शिनाख्त के लिए बुलाया गया और तब से वह इसी हालत में हैं ।”
“उसकी बहन रूपाली को भी लोग लापता बताते हैं । उसके बारे में भी कुछ पता है तुम्हें ?”
“ये आप मुझसे पूछ रहे हैं ! ये तो आप अपने महकमे से पूछिए कि क्या वह लापता है ? क्या आपके थाने में कोई ऐसी रिपोर्ट दर्ज है ? क्या हिंदुस्तान के किसी कोने में आप ऐसी रिपोर्ट दर्ज हुई बता सकते हैं ? नहीं ! आप नहीं बता सकते । उसकी तो एफआईआर तक पुलिस ने दर्ज नहीं की । फिर किस बिना पर पुलिस या आप कह सकते हैं वह लड़की लापता है ।”
आवेश की अधिकता के कारण अविनाश चौधरी अचानक चुप हो गया । रणवीर को कोई जवाब नहीं सूझा और न ही कोई सवाल । रूपाली के नाम की कोई रिपोर्ट सिटी पुलिस स्टेशन में नहीं थी । अक्षत के बारे में जानने के लिए उसने एक बार थाने का रिकॉर्ड खँगालने के निश्चय किया । तभी अशोक कुमार चाय की ट्रे लेकर ऊपर आ गया ।
“सर, आप अशोक अंकल के साथ चाय लीजिये, प्लीज और मुझे इजाजत दीजिये ! दया राम जी मेरी इंतजार कर रहे होंगे ।”
इतना कहकर वह जल्दी-जल्दी में रणवीर की मूक सहमति देखकर वहाँ से निकल गया ।
रणवीर अपनी कुर्सी पर वहाँ बैठा हुआ कुछ सोचता रहा । फिर अशोक से पूछकर वह कमरे के साथ ही बने हुए बाथरूम में लघुशंका निवारण हेतु घुस गया जिसकी वजह से वह काफी समय से बेचैनी अनुभव कर रहा था । अशोक के साथ चाय पीते हुए उसने कुछ इधर-उधर की और अविनाश के बारे में बातें की और फिर उससे विदा ली ।
अविनाश के घर से नीचे उतरकर उसने घड़ी की तरफ देखा तो उसे याद आया कि रोशन ‘महक फार्महाउस’ में उसका इंतजार कर रहा होगा । उसे एक घंटे बाद वहाँ पहुँचना था ।
जब रणवीर वहाँ पहुँचा तो रोशन उससे पहले ही बाहर सड़क पर उसका इंतजार कर रहा था । उसकी हिदायत के अनुसार वह सादा कपड़ों में था । महक फार्महाउस का मेन-गेट खुलवाकर दोनों रिसेप्शन पर पहुँचे और मैनेजर विपिन मित्तल के बारे में पूछा । रिसेप्शनिस्ट ने उसके ऑफिस की तरफ इशारा कर दिया । विपिन अपने ऑफिस में बैठा अपने मोबाइल में व्यस्त था ।
“कैसे हो विपिन ? अभी तक यहीं हो, गए नहीं ?” आवाज की दिशा में रणवीर को खड़ा पाकर वरुण एकदम से चौंका और कुर्सी से खड़ा हो गया ।
“अरे सर आप ? आइये ।” उसके माथे पर पसीने की कुछ बूँदें अचानक से चमकने लगी थीं । जाहिर है, उसे उनके आने का अंदेशा बिलकुल नहीं था ।
“इतने परेशान न हो, मैनेजर साहब ! आज तो बड़ी हल्की-फुल्की बातें करनी हैं हमें, तुमसे तुम्हारे बारे में । सब-इंस्पेक्टर रोशन को बाहर मेरा इंतजार करना पड़ा और तुम भी कुछ परेशान से दिखाई दे रहे हो । क्यों न चाय-कॉफी मँगवा लो बढ़िया-सी ?”
रोशन के चेहरे पर मंद-मंद मुस्कान दौड़ गई । ये इस बात का इशारा था कि रणवीर वहाँ पर समय लगाने वाला था । विपिन ने बैल बजाई और रिसेप्शनिस्ट को कॉफी मँगवाने के लिए कहा ।
“विपिन, तुम मैनेजर के रूप में कब से यहाँ काम कर रहे हो ?”
“मैंने फरवरी में जॉइन किया था, सर ! इससे पहले मैं दिल्ली में एक ट्रैवल कंपनी में काम करता था ।”
“कितनी बुकिंग होती रहती हैं यहाँ, मैरेज पैलेस में, आम तौर पर ?”
“बुकिंग तो फुल रहती हैं, सर ! जो इन्फ्रास्ट्रक्चर हमारे पास है, वह इस इलाके में और किसी के पास नहीं है और रेट भी हमारे सबसे कम हैं । अगर मैरेज पार्टी न हो तो भी यहाँ पोलिटिकल मीटिंग्स तो लगातार चलती ही रहती हैं । इसलिए सीज़न में शायद ही कोई दिन खाली जाता हो ।”
“फरवरी में जब तुमने इधर जॉइन किया था तो उस वक्त तुम्हारे से पहले यहाँ मैनेजर कौन था ?”
“मुझसे पहले... पता नहीं सर ! कभी मिलना नहीं हुआ और न ही कभी उसका नाम सुना ।”
वह साफ-साफ इस प्रश्न से बचता हुआ लगा ।
“ऐसा होना तो नहीं चाहिए । क्योंकि मालिक या स्टाफ कभी-न-कभी जिक्र कर ही देते हैं कि भाई, पहला मैनेजर ऐसा था या पहला आदमी वैसा था !”
“हाँ सर, आपकी बात सही है ! पर मेरे सामने ऐसा कोई जिक्र कभी नहीं हुआ ।” विपिन ने कुर्सी पर अपना पहलू बदलते हुए कहा ।
“यहाँ स्टाफ का कोई अटेंडेंस रिकॉर्ड भी तो होता होगा, या मोहित गेरा और शमशेर मुँहजुबानी काम चला लेते थे ?”
“रिकॉर्ड तो होता ही है, सर ! बिना उसके हिसाब-किताब कैसे चलेगा !”
“तो फिर मँगवाओ... रिकॉर्ड । जब तक कॉफी आती है, तब तक हम वही देख लेते हैं ।”
विपिन ने बड़े अनमने भाव से फिर बैल बजाई । रिसेप्शनिस्ट फिर ऑफिस में आया । विपिन ने उससे पिछले दो सालों के हाजिरी रजिस्टर लाने को कहा । जब वह जाने लगा तो रणवीर ने उसे टोका –
“हाजिरी रजिस्टर के साथ-साथ तुमने यहाँ पर ग्राहकों को दिखाने के लिए कोई एल्बम जैसी चीज भी बना रखी होगी ।
जरा वह एल्बम भी ले आना । मेरे एक रिश्तेदार के यहाँ शादी है । हमें आजकल की लाइटिंग और डेकोरेशन का थोड़ा आइडिया लग जाएगा ।”
“सर, एल्बम में तो फोटो कम हैं ! अगर आप कहें तो लैपटॉप में पिक्स दिखा दूँ । उसमें प्रोग्राम्स की ज्यादा और लेटैस्ट फोटो हैं ।” मैनेजर को खुश करने के चक्कर में रिसेप्शनिस्ट बोला ।
“हाँ, क्यों नहीं ! ये तो और भी अच्छा रहेगा । तुम ले आओ ।”
विपिन अपने माथे पर उंगलियाँ ठकठकाते हुए बोला, “जाओ, अब जल्दी से कॉफी वाले को भेज दो ! साहब ने जो रजिस्टर लाने को कहा है, वह भी ले आओ ।”
रिसेप्शनिस्ट तेज चाल से चलता हुआ कमरे से बाहर हो गया । विपिन कुर्सी पर बैठा अपना पहलू बदलता रहा ।
“वह दरअसल क्या है... आपकी बात और है । नहीं तो, बाहर के आदमी को हम अपना कोई भी रिकार्ड दिखाते नहीं है ।”
“ऐसा है मैनेजर बाबू ! मुझे पता चला है कि अक्षत नाम का एक लड़का यहाँ पर तुमसे पहले मैनेजर होता था । ‘था’ का मतलब समझते हो न ! अब वह लड़का यहाँ नौकरी करता था तो यहाँ उसके वजूद के निशान होने चाहिए कि नहीं ! अगर ऐसा कोई सुराग यहाँ नहीं है तो इसका मतलब दोनों पक्षों में से या तो कोई झूठ बोल रहा है या कुछ तो ऐसा है जिसे छुपाया जा रहा है ।”
“साहब, कॉफी !” एक वर्कर ने गेट को थोड़ा खोलकर पूछा ।
“हाँ, ले आओ ।” विपिन ने कहा । उस लड़के ने मेज पर कॉफी सर्व की और जब वह वापिस जाने लगा तो रणवीर ने उससे पूछा, “अरे रुको । क्या नाम है तुम्हारा ?”
“मोनू नाम है, साहब जी !”
“यहाँ कब से काम कर रहे हो तुम ? तुम्हारे साथ के कितने लोग और हैं यहाँ ?”
“मुझे तो दो साल हो गए, साहब जी, यहाँ काम करते हुए ! मेरे साथ लगने वाले तो अब सिर्फ दो ही लोग बचे हैं । एक रमेश और एक नेपाली है साहब !”
“काफी समय से यहाँ टिके हुए हो । इसका मतलब ईमानदार और काम के आदमी हो तुम । हमें भी ऐसे ही ईमानदार आदमी चाहिए अपने होटल में लगाने के लिए । मोनू, इन साहब से उन सबको मिलवाना और हो सके तो अपने जान-पहचान के लोगों के पते-ठिकाने भी बता दो, ताकि जब हमें जरूरत हो तो उनसे बात कर सके नौकरी के लिए ।”
अपनी प्रशंसा सुनकर वह फूलकर कुप्पा हो गया । विपिन की कुर्सी थोड़ा और चरमराने लगी थी ।
“अच्छा, इस तस्वीर को थोड़ा ध्यान से देखो । इसमें से कोई आदमी पहले यहाँ पर काम करता था ? क्या तुम उसे पहचानते हो ?”
उसने तस्वीर को आराम से ये सोचकर देखा कि कोई पहले का वर्कर होगा लेकिन तस्वीर देखकर वह भी सुन्न-सा हो गया । वह घबराकर कभी विपिन की तरफ तो कभी रणवीर की तरफ देखने लगा ।
“लगता है, मोनू पहचान गया । शाबाश ! बता इनमें से कौन यहाँ पर काम करता था ? साहब की तरफ से तुम निश्चिंत रहो । ये तुम्हें इस बारे में कुछ नहीं कहेंगे ।”
“अक... अक्षत बाबू... ! वो पहले यहाँ के मैनेजर होते थे । विपिन साहब के आने से पहले ।”
“फिर वो यहाँ से क्यूँ चले गए ?”
“जी, कुछ दिन तो वो यहाँ पर दिखे नहीं । हम सबने सोचा कि उनकी कहीं दूसरी जगह नौकरी लग गई होगी ।
फिर हमने सुना था कि उनकी मौत हो गई । इससे ज्यादा हमें कुछ नहीं मालूम ।”
“ठीक है । तुम यहाँ पर एक कोने में बैठ जाओ । विपिन, जिन आदमियों के इसने नाम लिए हैं, उन्हें अभी यहाँ पर बुलाओ । अब मुझे ये मत कह देना कि उनकी रात की ड्यूटी है । वह मुझे यहाँ अभी चाहिए ।”
रणवीर के तेवर देखकर विपिन ने रिसेप्शन पर रमेश और बहादुर नाम के दो वर्कर्स को बुलाने के लिए कहा । उनके आने तक रोशन अपनी कॉफी पी चुका था । रणवीर ने फोटो उसको थमा दी और रोशन उसका मंतव्य समझकर ऑफिस से बाहर चला गया । उन दोनों वर्कर्स से पूछताछ अब उसने करनी थी । रिसेप्शनिस्ट के बुलावे पर रमेश और बहादुर जब ऑफिस के बाहर पहुँचे तो रोशन ने उनको वहीं पर बैठा लिया ।
अक्षत के वहाँ मैनेजर होने की बात उन दोनों ने भी कबूल की । उसके वहाँ से चले जाने की वजह कोई नहीं बता सका । उन तीनों के बयान रणवीर ने विपिन की गवाही में वीडियो बनाकर रिकॉर्ड कर लिए, जो इस बात की तसल्ली के लिए थे कि वह बाद में इस बात से मुकर न सके । रिसेप्शनिस्ट से उसने हाजिरी रजिस्टर लेकर देखा तो उसमें अक्षत के सोलह फरवरी तक की हाजिरी लगी हुई थी । वह हाजिरी सिर्फ आने की थी लेकिन वापसी की कोई हाजिरी नहीं थी ।
रिसेप्शनिस्ट जो तस्वीरें अपनी लैपटॉप में लेकर आया था, वह रणवीर ने एक पेन ड्राइव में कॉपी कर ली ।
‘महक फार्महाउस’ से निकलकर रोशन वर्मा वापिस प्रेम नगर पुलिस चौकी चला गया और रणवीर अपने घर की तरफ चल दिया । रास्ते में रणवीर ने वेदपाल के पास एक बॉक्स कूरियर करवाया । फिर उसको फोन करके उसे हिदायत दी कि वह आखिर क्या चाहता था । वेदपाल ने आश्वासन दिया कि वह जल्दी ही रिपोर्ट उसको दे देगा ।
घर पहुँचते-पहुँचते उसे शाम हो गई । घर जाते ही वह अपने कागजातों को समझने और पढ़ने में गुम हो गया और सारे घटना-क्रम के तार एक-दूसरे से जोड़ने की कोशिश करने लगा । उसकी नजर फिर उन कागजातों और रसीदों पर पड़ी जिनकी फोटो कल मदन कालिया, अविनाश चौधरी के घर से लेकर आया था ।
तभी उसके फोन पर आती इनकमिंग कॉल ने रणवीर का ध्यान भंग किया । असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर दिनेश लाइन पर था । उसने सूचना दी कि मोहित गेरा की मौत को अब सार्वजनिक कर दिया गया था । उसके परिवार ने उसकी मौत को एक कार दुर्घटना में हुआ दुर्भाग्यपूर्ण हादसा बताया था । उनके अनुसार देर रात को अपने घर लौटता हुआ मोहित नींद के प्रभाव में अपनी गाड़ी को सड़क के किनारे एक पेड़ से टकरा बैठा था । पेट्रोल की टंकी फटने से गाड़ी में आग लग गई और उसकी घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी ।
तत्काल थाना प्रभारी इंस्पेक्टर वरियाम सिंह के कानों पर इस बात कि जूँ तक नहीं रेंगी थी कि वह स्थानीय पुलिस को एक तिहरे हत्याकांड में वांछित था । जिस काम के लिए उसे थाने में लाया गया था, वह काम उसने पूरी वफादारी से अंजाम दे दिया था । एमएलए के प्रभाव और हतप्राण के किसी हॉस्पिटल में दाखिल न होने की वजह से पोस्टमार्टम किए बिना ही उसका आनन-फानन में पुलिस कार्यवाही की खानापूर्ति कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया ।
यह खबर सुनकर रणवीर का दिमाग भन्ना गया । उसने तुरंत डीएसपी हरपाल सिंह को फोन लगाया । उसने दूसरी बार में अपने फोन पर कॉल रिसीव की । रणवीर ने फोन पर उसे सारी बात बताई और उसने यूँ सुना जैसे उसे कुछ भी मालूम नहीं था ।
“रणवीर ! तुम क्यों इस बात की इतनी चिंता कर रहे हो ? अब सिटी पुलिस स्टेशन में जो स्याह और सफ़ेद हो रहा है या आगे होगा, उसका जिम्मेदार अब वहाँ का इंचार्ज वरियाम सिंह है । तुम अपना काम कर चुके हो और तुमने अपना काम पूरी मुस्तैदी से किया, ये मैं जानता हूँ । इस बात का मुझे भी पता है और तुम्हें भी इसका दिली-सुकून होगा । अब हम हर किसी को अपने पैमाने पर मापकर उसकी काँट-छाँट नहीं कर सकते हैं । इस दुनिया में हर आदमी का किरदार अलग है और उसके ईमान में झूठ और सच की मिक़दार अलग है । अब तुम उस जगह पर नहीं हो तो अब तुम उन परिस्थितियों को कंट्रोल नहीं कर सकते । मेरी सलाह ये है कि तुम अपने आपको शांत रखो ।”
“अपने आपको कैसे शांत रखूँ, सर ! जो आदमी फरार था और मेरे सामने अपने छुपने के ठिकाने पर, जो एक विधायक का घर था, कुत्ते की मौत मारा गया और पुलिस ने उस मामले को इस तरह से रफा-दफा कर दिया । इसका मतलब तो यह हुआ कि वरियाम सिंह तो इस सारे मामले को बिल्कुल ही पलट देगा ।”
“अब इस केस का इंवेस्टिगटिंग ऑफिसर वह है रणवीर और ये ही हकीकत है ! तुम्हें इसे मानना पड़ेगा । अब तुम अपना आगे का चार्ज संभालो । कुछ दिनों के बाद तुम्हारी पोस्टिंग किसी और जगह हो जाएगी, फिर तुम वहाँ के नए किस्से देखना । अब इस मामले को अपना प्रैस्टीज इशू मत बनाओ । इस तरह से तो तुम नाहक ही परेशान रहोगे ।”
“शमशेर गेरा का आपने क्या किया ? उसे भी ढील दी जा रही है क्या ?”
“महक फार्महाउस में पाये गए ड्रग्स के जखीरे के लिए तो उस पर और मोहित गेरा के ऊपर मामला अदालत में चलेगा । मोहित गेरा अब इस दुनिया में नहीं है तो अदालत ही फैसला करेगी कि उसे आरोपियों की लिस्ट में रखना है या नहीं । लेकिन तुम्हारे द्वारा नकली दवाइयों के सिलसिले में की गई रेड में शमशेर गेरा अपने आपको बेकसूर बताता है । उन दुकानदारों ने सब इल्जाम कबूल कर लिए है और उस मामले में उसे राहत मिल सकती है ।”
“यानी ये तो अधूरा ही काम हुआ ।”
“अब कानून के हिसाब से उन लोगों के इक़बालिया बयान को तो मानना ही पड़ेगा !”
रणवीर एकाएक कहकहा लगाकर हँसा तो हरपाल सिंह एकदम हड़बड़ा गया । सौम्या भी भागकर उसके पास आई ।
“क्या हुआ रणवीर ?” हरपाल ने पूछा ।
“कुछ नहीं, सर ! वह आपका कानून का हिसाब... । हा हा हा... समझ रहा था ! सर, आपके कानून के हिसाब से तो जिनकी जेबें भरी हुई हैं, वह लोग हमेशा नफे में रहेंगे और जो कमजोर हैं, वह लोग हमेशा की तरह घाटे में रहेंगे !”
“रणवीर, कानून तुम्हारे और मेरे जज़्बातों से तो नहीं चलता है ! मेरी सलाह मानो तो अपने आपको इस मामले से जज्बाती रूप से दूर कर लो । यही ठीक रहेगा ।”
“मैं कुछ दिनों के लिए छुट्टी पर जाना चाहता हूँ । उम्मीद है, आप मेरी बात समझ रहे होंगे ।”
“ठीक है, तुम मेरे पास दरख्वास्त भेज दो, मैं उसे सेक्शन करवा दूँगा । कितने दिन के लिए छुट्टी पर जाना चाह रहे हो ?”
“एक हफ्ते के लिए ।”
“ठीक है ।” हरपाल सिंह ने फोन रख दिया ।
“ये तुमने सही किया । मुझे भी अपने मम्मी-पापा से मिले काफी दिन हो गए थे । कब चल रहे हैं हम ?” सौम्या ने चहकते हुए पूछा ।
“कल सुबह । मैं तुम्हें और भव्या को छोड़ आऊँगा ।”
रणवीर की इच्छा अनुसार उसकी पाँच दिन की छुट्टी मंजूर हो गई । रणवीर भी कुछ दिन के लिए इस झमेले से दूर होना चाहता था और आखिरकार उसे ये मौका मिल गया ।
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