यह एक कत्ल था ।

सदमे के मारे सुन्न हुए दिमाग के कारण, मैं लड़खडाता हुआ लाऊंज में चलता हुआ बार तक पहुँचा । मैंने अपने लिये एक व्हिस्की का पैग बनाया । इसने संभलने में मेरी मदद की ।

रिया कहाँ पर थी ? मैंने अपनी घड़ी की तरफ देखा, अब तीन बजने में तीन मिनट बाकी थे । वह अब तक आई क्यों नहीं थी ? मुझे यह पता लगाना था कि क्या वह पहुँच रही थी ।

कुछ पल झिझकने के बाद, मैं टेलीफोन तक पहुंचा और उसके घर फोन लगाया ।              

मैंने बटलर की आवाज को साफ पहचाना जब उसने कहा, “मिस्टर मारलौक्स रेजीडेन्स । कौन बोल रहा है ?” उसकी आवाज से ऐसा नहीं लगा कि उसे नींद में बिस्तर से खींच कर बाहर निकाला गया हो । शायद वह जागा हुआ था और मारलौक्स के लौटने का इंतजार कर रहा हो ।

“मिसेज मारलौक्स ।” मैंने कहा । “वह मेरे फोन का इंतजार कर रही हैं । उसे बताओ कि मिस्टर हेमंड का फोन है ।”

“सॉरी सर । मिसेज मारलौक्स सो रही हैं । मैं उन्हें डिस्टर्ब नहीं कर सकता ।”

“मेरा उनसे बात करना जरूरी है । वह मेरी कॉल का इंतजार कर रही हैं ।”

“मुझे बहुत अफसोस है, सर ।” उसकी आवाज से ही खेद झलक रहा था । “मिसेज मारलौक्स की तबीयत ठीक नहीं है । डॉक्टर ने उन्हें बेहोशी का दवा दी है । उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया जा सकता ।”

“ओह! मुझे पता नहीं था । खैर, थैंक्स ।” और फिर मैंने फोन काट दिया ।

इसका क्या मतलब था ? मैंने अपने आप से पूछा । क्या उसकी बीमारी एक बहाना था । जिससे वह घर के बाहर निकल सके और किसी को पता न चले या वह सच में ही बीमार हो गई थी ?

मैंने अपने पसीने से भरे हाथों को पोंछा ।

अब तक मारलौक्स लोन-बे पार्किंग में पहुँच गया होगा और ओडेट का इंतजार कर रहा होगा । जब ओडेट वहाँ नहीं पहुंचेगी तो वह घर लौट जाएगा । उसके पुलिस में खबर देने से पहले कितना समय मुझे मिलेगा ?

अचानक मेरे दिमाग में एक भयानक ख्याल आया जिसने मेरा दिल धड़का दिया । वे दो टेप जिन्हें मैंने बैंक में सुरक्षित रखा हुआ था, वे अब मेरी सुरक्षा के लिये किसी काम की नहीं थी । किसी की किडनैपिंग का ढोंग करना एक अलग बात थी और कत्ल एक अलग बात थी । इस कत्ल का आरोप मुझ पर लग सकता था । पुलिस कहेगी कि पैसों के बंटवारे को लेकर ओडेट और मुझमें झगड़ा हो गया था और मैंने उसे मार डाला था ।

मैं उसकी लाश को यहाँ पर नहीं छोड़ सकता था । मुझे इससे छुटकारा पाना ही था । अगर मैंने इसे यहाँ पर छोड़ दिया तो यह बिल होल्डन को मिलेगी और वह पुलिस को बुला लेगा । पुलिस जानना चाहेगी कि यह कैबिन किसने किराये पर लिया था और वह मेरे नाम पर बुक होगा । वे यह जरूर जानना चाहेंगे कि मैंने यह महँगा कैबिन दो हफ्तों के लिए किराये पर क्यों लिया जबकि मैं आजकल बेरोजगार था और मेरे पास पैसे भी नहीं थे ।  वे जानना चाहेंगे कि मैं आज की रात कहाँ पर था । टिम काऊले ने मुझे इस लड़की के साथ देखा था । मैंने उसका परिचय एन्न हारकोर्ट के रूप में उसे दिया था । पुलिस इस बात की पड़ताल करेगी और जब उन्हें पता चलेगा कि एन्न हारकोर्ट नाम की लड़की का कोई अस्तित्व ही नहीं है तो वे दो जमा दो जोड़कर नतीजा निकाल लेंगे कि वह असल में ओडेट मारलौक्स थी ।

रिया को जब पता लगेगा कि ओडेट का खून हो गया है तो वह कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करेगी ? क्या वह मान लेगी कि किडनैपिंग की प्लानिंग उसकी थी और मुझ पर ओडेट के खून का आरोप लगाएगी ? मुझे उससे बात करनी पड़ेगी! लेकिन उससे पहले मुझे ओडेट की लाश से छुटकारा पाना था ।

उसको छूने के ख्याल से ही मेरे प्राण काँप गए लेकिन यह तो मुझे करना ही था । मुझे उसे किसी ऐसी जगह ठिकाने लगाना था, जहाँ से वह तब तक बरामद न हो जब तक मुझे रिया से बात करने का मौका नहीं मिल जाता ।

मैंने उसकी लाश को हाईवे से एक मील दूर चांदी की पुरानी खदानों में ले जाने का निश्चय किया । वे खदानें मेरे घर के रास्ते में ही थीं और वह एक सुनसान जगह थी । वहाँ पर उसका महीनों पता नहीं चलना था और हो सकता है, किसी को वह कभी मिले ही नहीं ।

मुझे उसके साथ ऐसा निर्दयी व्यवहार करते हुए घृणा हो रही थी लेकिन मुझे अपने बारे में भी सोचना था । मैंने एक ड्रिंक और ली और फिर अपने आप को संभालकर मैं बाहर गया और पैकर्ड को कैबिन के नजदीक ले आया । मैंने अपनी कार की डिक्की का ताला खोला और ढक्कन हटा दिया । फिर मैं वापस कैबिन में लौटा और बेडरूम में गया ।

उसकी तरफ बिना देखे, मैंने चादर को उसके ऊपर लपेट दिया और उसे उठा लिया । वह आश्चर्यजनक रूप से बहुत भारी हो गई थी । मैं उसे बाहर कार तक लेकर गया और उसे, जितने आराम से मैं कर सकता था उतने आराम से, डिक्की में डाल दिया । फिर मैंने उसके नीचे से चादर को खींच लिया और डिक्की को बंद कर दिया ।

मुझे उस वक्त बहुत बुरा लग रहा था । मैं वापस कैबिन में गया और जल्दी से एक ड्रिंक और गटका, फिर मैं बेडरूम में गया और बिस्तर को सीधा करके उसके ऊपर चादर बिछा दी । मैंने लाल विग उसके सूटकेस में डाल दी और यह देखने के लिये कि उससे सम्बंधित कोई चीज वहाँ पर नहीं थी, मैंने चारों तरफ देखा । फिर संतुष्ट होकर मैं बाहर लाउंज में आ गया ।

जब मैं दरवाजा पार कर रहा था तो मैंने टेबल पर रखा हुआ ब्रीफकेस देखा । मैं उस पैसे को पूरी तरह भूल चुका था । अब मेरी उसमें कोई रुचि नहीं रही थी । मैंने उसे छूने की कोई कोशिश नहीं की । इसे ओडेट की लाश के साथ ही दफना देना चाहिए था ।

मैंने ब्रीफकेस उठाया, लाइट बंद करने के बाद कैबिन को ताला लगाया और फिर मैं कार में जा बैठा ।

मेरा तीन मील का रास्ता था । खदानों तक पहुंचने से पहले, मुझे पाम बे से गुजरना था । वे खदानें पाम बे और पाम सिटी के बीच पड़ती थीं । अब तीन बजकर दस मिनट का समय हुआ था । उस वक्त ट्रैफिक नहीं था लेकिन रास्ते में गश्त लगाते सिपाही मिल सकते थे । इसलिए मुझे सावधान रहना पड़ेगा, कोई तेज ड्राइविंग नहीं । मुझे कोई ऐसा काम नहीं करना था जिससे मेरी तरफ किसी की तवज्जो जाती ।

मैं हाइवे पर अपनी कार ड्राइव करने लगा ।

जब मैं पाम बे की मुख्य सड़क पर ड्राइव कर रहा था तो ओडेट की लाश से छुटकारा पाने की मेरी योजना मुझे चौपट होती दिखाई दी । बीच चौराहे पर मुझे एक पुलिसवाला दिखाई दिया जो ट्रैफिक लाइट के साथ खड़ा था । जब मैं ट्रैफिक लाइट से चालीस गज की दूरी पर था, ट्रैफिक लाइट लाल हो गई । मैंने कार को  ब्रेक लगाए जिससे पैकर्ड बत्ती पर आराम से जाकर रुक गई ।

मैं आराम से निश्चिंत बैठा रहा, जैसे वहाँ पर मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं था और इस बात को जानते हुए कि वह पुलिसवाला खाली खड़ा हुआ मुझे घूर रहा था क्योंकि उसके पास देखने के लिये कुछ दूसरा था ही नहीं ।

मुझे ऐसा लगा कि इस धरती पर बस वह और मैं ही दो आदमी शेष रह गए थे । पाम बे की सड़क की आवारा नियोन लाइटें जैसे सिर्फ हमारे फायदे के लिए जल और बुझ रही थीं । बादलों से रहित आसमान में चमचमाता हुआ चाँद निकला हुआ था और उसकी रोशनी हम पर पड़ रही थी । उस लंबे, बहुत लंबे और चौड़े रास्ते पर किसी दूसरे इंसान का नामोनिशान नहीं था ।

मैंने लाल बत्ती को घूरा, इस उम्मीद में कि वह हरी हो जाए । यह मेरे लिये एक खतरे की निशानी थी, जो मानो चीख-चीख कर मुझे आने वाले खतरे से आगाह कर रही हो, मेरी पकड़ स्टीयरिंग पर इतनी सख्त हो गई कि मेरी उँगलियां दुखने लगीं ।

उस सिपाही ने खंगार कर अपना गला साफ किया और फिर सड़क पर थूक दिया । उस आवाज ने मुझे चौंका दिया और मैंने हड़बड़ा कर उसकी तरफ देखा ।

वह अपनी स्टिक बिना किसी वजह के इधर-उधर घुमा रहा था और मेरी तरफ घूरे जा रहा था । वह विशालकाय और  मजबूत कद काठी का आदमी था, जिसका सिर फुटबाल की गेंद की तरह था, जो उसके कंधों पर टिका हुआ जान पड़ता था । ऐसा लगता था जैसे उसकी गर्दन थी ही नहीं ।

मुझे अपने चेहरे पर पसीना छलकता महसूस हुआ और मैंने अपनी आँखें वापस उस लाल बत्ती पर गड़ा दीं जो मेरे सामने थी ।

तभी वह हरी हो गई ।

मैंने ब्रेक पर से पैर हटा लिया और बड़ी सावधानी से रेस पर पैर रखा ताकि उस पुलिस वाले का ध्यान खींचे बिना गाड़ी आराम से रफ्तार पकड़ ले ।

कार आगे बढ़ी, फिर जोर की आवाज करते हुए और जोर का झटका लेते हुए रुक गई ।

मैंने गियर को न्यूट्रल किया और फिर उसे फिर से पहले गियर में डाला और रेस पर पाँव रखा । इंजन ने जोर की आवाज की लेकिन कार टस से मस नहीं हुई ।

मैं वहाँ बैठा रहा लेकिन एक अनजाना डर मुझ पर हावी होता जा रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि लंबी और कई वर्षों तक सेवाएं देने के बाद आखिरकार गियर बक्से ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे । उसका कोई कलपुर्जा अपनी आखिरी साँस ले चुका था और मैं अब दस फीट की दूरी पर मेरे सामने खड़े एक पुलिसिए और डिक्की में मेरे पीछे पड़ी ओडेट की लाश के बीच में फँस गया था ।

अब न तो मैं हिल पा रहा था और न ही कुछ सोच पा रहा था । मैं वहीं बैठा रहा, स्टीयरिंग पर अपने हाथ जकड़े हुए और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं ।

हरी बत्ती फिर से लाल हो गई ।

उस पुलिस वाले ने अपनी कैप उतारी और अपना मुंडा हुआ गंजा सिर खुजाया । चाँदनी उसके लाल और क्रूर चेहरे पर पड़ रही थी । वह पचास साल के पेटे में पहुँचा हुआ एक पुराना आदमी था, जिसने दुनिया का बद से बदतर चेहरा देखा हुआ था । वह ऐसा आदमी लग रहा था जो किसी को भी मुसीबत से निकालने की बजाय मुसीबत में डाल सकता था ।

मैंने गियर को रिवर्स में डाला, इस उम्मीद में कि कार को बीच सड़क से हटा कर एक तरफ कर सकूं लेकिन रिवर्स गियर ने भी कोई साथ नहीं दिया ।

लाल बत्ती फिर से हरी हो गई ।

वह पुलिस वाला फुटपाथ से नीचे उतरा और मेरी तरफ बढ़ा ।

“सारी रात यहीं पर सोने का इरादा है, दोस्त ?” उसने अपने चेहरे से मिलते हुए कड़क पुलिसिया लहजे में कहा ।

“ऐसा लगता है कि मेरी कार का गियर बक्सा जवाब दे गया है ।” मैंने कहा ।

“अच्छा ? अब तुम इसके लिये क्या करोगे ?”

“क्या कहीं पास में कोई गैरेज खुली मिलेगी ?”

“सवाल मैं तुमसे पूछ रहा हूँ, दोस्त । मैं पूछ रहा हूँ कि अब तुम इस मामले में क्या करोगे ?”

“किसी टो करने वाली गाड़ी को बुलाऊँगा ।” मैंने अपनी आवाज को भरसक सामान्य बनाने का प्रयत्न करते हुए कहा ।

“अच्छा ? जब तक तुम टो करने वाली गाड़ी को बुलाओगे तो फिर तब तक तुम इस कबाड़ का क्या करोगे ?”

“तुम्हें मेरी सहायता करनी पड़ेगी ताकि हम इसे धक्का देकर फुटपाथ के किनारे पर खड़ी कर सकें ।”

उसने अपनी छड़ी से अपना मोटा कान खुजाया और मेरी तरफ आँख मारी ।

“अच्छा ?” उसने सड़क पर थूका । “क्या मैं तुम्हें ऐसा मूर्ख लगता हूँ जो तुम्हारे जैसे पनौतियों की कारों को धक्का देता फिरे ? मैं तुम्हें एक बात बताता हूँ, मैं कारों से नफरत करता हूँ और उन मनहूसों से भी जिनके पास कार होती है । चलो, जल्दी से इस कबाड़ को बीच सड़क से हटाओ वर्ना मैं सड़क रोकने के जुर्म में तुम्हें अन्दर करता हूँ ।”

मैं कार से बाहर निकला और उसे धक्का मारने की कोशिश की लेकिन यह थोड़ी सी  ढलान पर खड़ी थी इसलिए मैं इसे हिला नहीं सका ।

मैं उसे धक्का मारता रहा जब तक कि मैं पूरा पसीने से तरबतर नहीं हो गया और वह पुलिसिया मुझे, अपने सिर को एक तरफ झुकाए, देखता रहा ।

“तुम्हें अपनी हड्डियों में कुछ मजबूती की जरूरत है, दोस्त ।” उसने कहा और आगे की तरफ बढ़ा । “ठीक है, अब तुम रिलैक्स करो । तुम अपने आप को गिरफ्तार समझो । लाओ, तुम्हारे लाइसेंस पर एक नजर डालते हैं ।”

कार को हिलाने के प्रयासों ने मेरी साँस चढ़ा दी । मैंने उसे अपना लाइसेंस दे दिया और मुझे अभी इतनी अकल थी कि मैंने उसे साथ में अपना प्रेस कार्ड भी दे दिया । उसने प्रेस कार्ड को देखा, फिर मेरी तरफ और फिर से वापस प्रेस कार्ड को देखा ।

“यह क्या है ?” उसने पूछा ।

“मैं डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी मिडोज के लिए काम करता हूँ ।” मैंने बताया । “मैं लेफ्टिनेंट रेनिक का आदमी हूँ ।”

“रेनिक ?” पुलिसिए ने अपनी कैप फिर सिर पर रख ली । “तुमने पहले क्यों नहीं बताया ? उसके प्रमोशन से पहले लेफ्टिनेंट और मैं दोस्त हुआ करते थे ।” उसने प्रेस कार्ड को शक की नजरों से देखा और फिर उसे मुझे वापस कर दिया । “ठीक है । मेरे ख्याल से अगर मैं तुम्हारी कुछ सहायता कर भी दूँगा तो मेरा कुछ बिगड़ भी नहीं जाएगा ।”

हमने मिलकर कार को सड़क के किनारे लगा दिया ।

उस पुलिसिए ने चेहरे पर गहन वितृष्णा के भाव लिये हुए कार का निरीक्षण किया ।

“एक बिगड़ा हुआ गियर बक्सा ? इसे ठीक करवाना तुम्हें काफी महंगा पड़ने वाला है, है कि नहीं ?”

“मैं भी ऐसा ही सोचता हूँ ।” मेरा दिमाग अब तेजी से काम कर रहा था । मैं क्या करने वाला था ? मैं कार को किसी गैरेज में छोड़ने की हिमाकत नहीं कर सकता था । ऐसी हालत में सिर्फ एक ही चीज संभव थी कि मैं कार को अपने गैरेज तक ले जाता । लेकिन फिर मैं ओडेट की लाश का क्या करता ?

“मेरे ख्याल से तुम जैसे लोगों को, जिनके पास कारें है, काफी पैसा खर्च करना पड़ता होगा । अगर मुझे कोई कार दे भी दे, तो भी मैं ना रखूँ ।” उस पुलिसिए ने बोलना जारी रखा ।

“क्या आस-पास कहीं गैरेज है ?” अपने चेहरे को रूमाल से पोंछते हुए मैंने पूछा ।

“इसी सड़क पर एक मील की दूरी पर है लेकिन वह अब बंद हो गया होगा । अगर कोई गश्ती कार यहाँ से गुजरती है और इस कबाड़ को यहाँ पर देख लेती है, तो वे इसे खींच कर हेडक्वार्टर ले जाएंगें और फिर तुम्हारे खिलाफ वे लोग मामला दर्ज कर लेंगे ।”

सड़क पार, मुझे सारी रात खुले रहने वाला एक ड्रग स्टोर दिखाई दिया ।

“मेरे ख्याल से मुझे फोन कर देना चाहिए ।” मैंने कहा ।

“बढ़िया रहेगा । मैं यहीं पर रुकूँगा । उस आदमी को बताना कि मैं चाहता हूँ वह यह कबाड़ यहाँ से हटाए । मेरा नाम ओ’फलार्टी है । वह मुझे जानता है ।” उसने अपनी डायरी बाहर निकाली और मुझे एक गैरेज का नम्बर दिया ।

मैं ड्रग स्टोर में गया और गैरेज का नंबर मिलाया । एक आदमी की उनींदी सी आवाज को लाइन पर आने में लंबा समय लगा । उसने झल्ला कर पूछा कि मैं क्या चाहता था ।

मैंने उसे बताया कि मैं अपनी कार को ‘टो’ करवाना चाहता था और यह भी बताया कि ऑफिसर ओ’फलार्टी ने मुझे उसका नम्बर दिया है ।

उस आदमी ने पहले तो जी भर के मुझे कोसा और आखिर में वह बोला कि वह आ रहा है ।

मैं वापस पैकर्ड तक पहुंचा ।

“वह आ रहा है ।” मैंने कहा ।

पुलिसिया मुस्कुराया ।

“उसने गालियाँ तो शर्तिया दी होंगी ।”

“वो तो उसने दी ।”

“जब तुम लेफ्टिनेंट से मिलो, तो उसे कहना कि मैं उसे याद करता हूँ ।” ओ’फलार्टी कहता गया, “वह एक अच्छा आदमी है । वह हमारी फोर्स का सबसे बढ़िया आदमी है ।”

“मैं उसे बता दूँगा ।”

“मेरे ख्याल से मुझे अब जाना चाहिए । फिर किसी वक्त मिलते हैं ।”

“जरूर और बहुत-बहुत शुक्रिया ।”

उसके लाल और सख्त चेहरे पर मुस्कान तैर गई ।

“हम लोगों को एक दूसरे का साथ देना चाहिए ।” और वह गर्दन हिलाता हुआ, अपनी छड़ी घुमाता हुआ और सीटी बजाता हुआ सड़क के दूसरी तरफ चला गया ।

मैंने काँपते हाथों से सिगरेट सुलगाई । मैं इतना डरा हुआ था कि साँस भी नहीं ले पा रहा था । जब मैं कार को अपने गैरेज में ले जाऊंगा, उसके बाद मैं क्या करने वाला हूँ ? नीना के बारे में भी सोचना पड़ेगा । मैं ओडेट की लाश कैसे बाहर निकालूंगा! बिना इस बात का प्रबंध किए कि मैं जब ऐसा कर रहा होऊं तो वह अचानक से गैरेज में दाखिल न हो जाए, मैं इस काम को दिन में नहीं कर सकता था । रात को नीना कभी बाहर जाती नहीं थी । मैं ऐसी उलझन में पड़ गया था कि मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था । मेरा सिर भयंकर रूप से दर्द करने लगा था ।

दस मिनट के इंतजार के बाद, गाड़ियों को उठाकर ले जाने वाला ट्रक वहाँ पर पहुंचा । गैरेज वाला ठिगने कद का, किसी छड़ी की तरह से मरियल और कट्टर आयरिश नस्ल का आदमी था । वह इतने गुस्से में था कि उसने मुझे पैकर्ड से बाहर निकलने को भी नहीं बोला, सीधे ही गियर चेक किए, बाहर निकला और फिर गली में जोर से थूका ।

“गियर बक्सा टूट गया है ।” उसने कहा । “इस काम में दो हफ्ते लगेंगे और काफी खर्चा होगा ।”

“मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी कार को टो करके घर तक पहुँचा दो ।” मैंने उससे कहा ।

उसने मुझे खा जाने वाली निगाहों से देखा ।

“क्या तुम नहीं चाहते कि मैं इस कबाड़ की मरम्मत करूँ ?”

“नहीं । मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे बस मेरे घर पहुँचा दो ।”

उसका चेहरा गुस्से से बिगड़ने लगा ।

“तुम्हारा मतलब है कि तुमने रात के इस वक्त मुझे सोते से जगाया और अब कह रहे हो तुमने मुझसे काम नहीं करवाना ?”

अब मेरे लिये उसका व्यवहार बर्दाश्त के बाहर था ।

“मैं डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के दफ्तर में काम करता हूँ ।” मैंने कहा, “और तुम अब यह नाटक बंद करो और मुझे मेरे घर तक पहुँचाओ ।”

मैं उम्मीद कर रहा था कि वह गुस्से से फट पड़ेगा, लेकिन किसी तरह वह अपना गुस्सा पी गया ।

गुस्से में बड़बड़ाते हुए उसने मेरी कार के साथ टो करने के लिये तार बांधी । मैंने उसे बताया कि कहाँ जाना था और ट्रक में उसके साथ बैठ गया ।

घर तक चार मील की ड्राइविंग के दौरान हम दोनो में से किसी ने भी एक शब्द नहीं कहा । जब हम घर के सामने रुके, मैंने बड़ी बेचैनी से खिड़की के बाहर झाँक कर देखा। कोई लाइट जलती हुई नहीं दिखी । नीना अपने बिस्तर में थी और सो गई थी । उसने बंधी हुई तार को खोला ।

“हमें इसे गैरेज के अंदर करना होगा ।” मैंने कहा ।

उसने कोई खास मदद नहीं की लेकिन गैरेज तक जाने के लिये थोड़ी सी ढलान थी और थोड़ी सी मेहनत के बाद हमने कार को गैरेज के अंदर कर दिया ।

“कितने हुए ?” मैंने पूछा ।

“पंद्रह डालर ।” मेरी तरफ कड़वी निगाहों से देखते हुए उसने कहा ।

मेरे पास पंद्रह डॉलर नहीं थे । मैंने अपना पर्स निकाला । मैं उसमें से ग्यारह डॉलर ही ढूंढ पाया । मैंने उसे दस का नोट दिया ।

“इस काम के लिये इतने ही काफी हैं ।”

उसने पैसे लिये, मुझे घूर कर देखा, ट्रक में बैठा और चला गया ।

मैंने गैरेज के दरवाजे बंद कर दिए और ताला लगा दिया ।

सुबह की हल्की सी रोशनी आसमान में दिखाई देने लगी थी । एक घंटे में सूरज निकलने वाला था । मैं अब कुछ नहीं कर सकता था । मुझे अभी तक इस बात का भी कोई आइडिया नहीं था कि मैं क्या करने वाला था ।

इस दौरान, पूरे दिन, लाश को इस डिक्की में ही पड़े रहना था । इस विचार मात्र से ही मेरे पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई ।

मैं घर के रास्ते पर आगे बढ़ा और सामने का दरवाजा खोल कर लाऊंज में दाखिल हुआ । मेरी निगाह दीवार पर टंगे शीशे में अपने आप पर पड़ी । मैं एक भयानक ख्वाब में जकड़े हुए आदमी की तरह दिखाई दे रहा था ।

टेबल पर नीना का हैंडबैग पड़ा था । मैंने उसे खोला और कार की डुप्लीकेट चाबियाँ निकाल लीं और उन्हें अपनी जेब के हवाले किया । मैं जब दफ्तर में होऊं तो उसके डिक्की को खोलने का खतरा नहीं उठा सकता था ।

मैंने लाइट बंद कर दी और चुपचाप अपने ड्रेसिंग रूम में गया और कपड़े बदले । फिर मैं नहाया । मेरा दिमाग डर के मारे अभी भी इतना सुन्न पड़ा हुआ था कि मैं अभी अपने अगले कदम के बारे में सोच नहीं पा रहा था कि आगे क्या होगा ।

मैं अभी कपड़े पहन ही रहा था तभी मुझे टेलीफोन की घंटी की आवाज सुनाई दी । उस आवाज ने मेरा दिल ही निचोड़ दिया । मैंने जल्दी से अपनी पैंट पहनी और लाऊंज की तरफ लपका और रिसीवर पर झपटा ।

“क्या तुम हो, हैरी ।” मैंने रेनिक की आवाज को पहचाना । “मारलौक्स ने अभी फोन किया है, उस लड़की का अपहरण हो गया है । तुम अभी के अभी हेडक्वार्टर पहुँचो ।”

मैं कांपता हुआ, हाथ में टेलीफोन पकड़े हुए, वहीं खड़ा रहा । मुझे अपने पूरे शरीर में डर की लहर दौड़ती हुई महसूस हो रही थी ।

“तुम मुझे सुन रहे हो, हैरी ?”

मैंने किसी तरह अपने आप को संभाला ।

“हाँ, मैं सुन रहा हूँ । लेकिन कमबख्त मेरी कार खराब हो गई है । उसका गियर बक्सा बिगड़ गया है ।”

“ठीक है । मैं एक गश्ती कार भेज देता हूँ । वह तुम्हारे पास दस मिनट में पहुँच जाएगी ।” फिर उसने फोन रख दिया ।

“हैरी, क्या बात है ?”

नीना, अधजगी सी, दरवाजे में खड़ी थी ।

“एक इमरजेंसी है । उस लड़की का अपहरण हो गया है ।” उसके पास से निकलते हुए मैंने कहा । “तुम वापस सोने के लिये चली जाओ । वे लोग मुझे लेने के लिये आ रहे हैं ।”

उससे बात करते हुए ही मैं अपनी ड्रेस चेंज कर रहा था ।

“मैं तुम्हारे लिये कॉफी बना कर लाऊँ ?”

“नहीं, तुम वापस सोने चली जाओ ।”

“अगर तुम्हें नहीं...”

“तुम अपने बिस्तर पर जाओ ।”

जब मैं अपना कोट पहनने की कोशिश कर रहा था तभी मुझे एक कार रुकने की आवाज सुनाई दी ।

“वो लोग आ गए हैं ।”

मैंने अपने बाँह उसकी कमर में डाली, जल्दी से उसे किस किया और मैं बाहर इंतजार करती हुई पुलिस की कार की तरफ लपका ।