स्वयं टुम्बकटू और विजय को सिर्फ संगीत के सिवाय कुछ याद नहीं रहा ।


अचानक संगीत की लहरों में धीमे-धीमे झमाके होने लगे। और फिर वहां-----उस ऑफिस में एक ऐसा मीठा स्वर गूंजा, जिसमें संसार का समूचा मधु घुला था।


मानो कोई शहद लोगों के कानों के माध्यम से उनके कंठ में उतरता चला जा रहा हो !


." उपस्थित सज्जनों को जैक्सन का प्रणाम।'


विजय के साथ ही टुम्बकटू भी चौक पड़ा।


."हाय मम्मी!" विजय उछलकर बोला---- "लेकिन तुम हो कहां?" .


. "इस समय तुम सिर्फ मेरी आवाज सुन सकते हो।" प्रिंसेज ऑफ मर्डरलैंड का अत्यधिक मधुर स्वर गूंजा-----"क्योंकि मैं मर्डरलैंड से बोल रही हूं।"


----- "मम्मी... ये साला मर्डरलैंड तुम बार-बार नई-नई जगह बनाती हो।"


-"मिस्टर विजय!" जैक्सन का फिर वही मधुर स्वर गूंजा ----- "फिलहाल अधिक समय नहीं है। मैं मर्डरलैंड के वफादार जांबाजों को टुम्बकटू को लेने के लिए भेज रही हूं।"


"मुझे तुम्हारी प्रतीक्षा थी जैक्सन!" अचानक टुम्बकटू बोला-----''मुझे तुम्हारी और सिंगही दोनों ही की प्रतीक्षा थी ----- परंतु कोई बात नहीं, पहले तुम आ गई हो तो टुम्बकटू दिल से तुम्हारा स्वागत करता है। "


. - "मिस्टर चांद के अपराधी!" जैक्सन की मधुर आवाज फिर गूंजी-----"मानते हैं कि तुम काफी अच्छी-अच्छी प्रतिभाओं के मालिक हो और वास्तव में तुमने इन प्रतिभाओं से चांद की सरकार को हिला दिया होगा-----परंतु ध्यान रखो कि धरती के एक छोटे-से मर्डरलैंड के लिए तुम, एक चिराग के इर्द-गिर्द मंडराते अनेक कीड़ों में से किसी एक कीड़े जैसी हैसियत भी नहीं रखते।"


." देख रहा हूं कि धरती के लोगों में प्रतिभा कम है और गर्व अधिक।" इस अजीब नमूने ने अपनी विचित्र सिगरेट सुलगाते हुए कहा।


."मैं पहले ही कह चुकी हूं मिस्टर चांद के अपराधी, कि इस समय जैक्सन के पास समय बहुत कम है। अत: शेष बातें मर्डरलैंड में होंगी।"


." लेकिन मैं मर्डरलैंड पहुंचूंगा कैसे?"


"इस ऑफिस के बाहर मेरे ऐजेंट तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। "


'ओके जैक्सन!'' एकाएक टुम्बकटू ने कहा और विजय को चपत मारता हुआ वह अन्य लोगों के सिर के ऊपर से लहराता हुआ कमरे से बाहर निकल गया।


विजय की आंखों के आगे लाल-पीले तारे नाच गए, परंतु वह स्वयं के अचेत होने से भी शीघ्रता से बाहर की ओर लपका, किंतु इसका क्या किया जाए कि उससे पूर्व ही वह खौफनाक छलावा दरवाजा बाहर से बंद कर चुका था।


विजय सिर्फ दरवाजे से टकराकर रह गया।


खौफनाक छलावा भयानक जंप के साथ बाहर तो आ गया, परंतु बाहर आते ही वह बुरी तरह चौंक पड़ा।


यह पहला अवसर था, जब टुम्बकटू चौंका था।


और वास्तव में उसके सामने का दृश्य ही ऐसा था कि उसका चौंकना स्वाभाविक हो गया। यह तो वह जानता था कि बाहर जैक्सन ने उसे गिरफ्तार करने के लिए जाल बिछा रखा है, परंतु यह उसने स्वप्न में भी कल्पना न की थी कि जाल इतना विचित्र और खौफनाक होगा।


उसका विचार था कि खौफनाक जांबाज उसे घेरेंगे, परंतु बाहर का दृश्य एकदम आश्चर्यजनक था।


स्वयं टुम्बकटू का गन्ने जैसा जिस्म ऐसे कांपकर रह गया, जैसे खेत में खड़ा इकलौता गन्ना हवा के एक तीव्र झोंके के साथ थरथरा गया हो।


उसने ध्यान से सामने के दृश्य को देखा।


चारों ओर सूं... सूं... की तीव्र धनियां गूंज रही थी। उसके चारों ओर कुछ विचित्र भयानक और विशाल आकृतियां खौफनाक ढंग से उसे घूर रही थी। चारों ओर एक विचित्र - सी दुर्गध फैली हुई थी। ऐसी दुर्गध, जिससे ऐसा महसूस होता मानो मस्तिष्क फट पड़ेगा! तीव्र मवाद-भरी दुर्गध टुम्बकटू के नथुनों में से होती हुई उसके मस्तिष्क में चली गई। न चाहते हुए भी उसका मुंह बन गया।


परंतु इस दुर्गध को भुलाता हुआ टुम्बकटू सतर्क हो गया। उसे नहीं मालूम था कि इन खौफनाक आकृतियों से टकराया कैसे जाएगा।


वे भयानक और घिनौनी आकृतियां अत्यधिक विशाल थी । उनका समूचा जिस्म मेढक की भांति हरा और चिकना था।


चारों पंजे भी ठीक मेढक ही की भांति थे ! उंगलियां किसी बत्तख की उंगलियों की भांति एक झिल्ली से जुड़ी हुई थीं ! सब कुछ अजीब!


परंतु मेढक जैसे जिस्म पर चेहरा इंसान का था!


परंतु आम, इंसानों के चेहरे से दुगना बड़ा।


उनके साँस लेने के कारणं सूं... सूं... की ध्वनि हो रही थी---- जो वहां गूंजती हुई अत्यधिक भयानक लग रही थी ! उनके जिस्मों से ऐसा गाढ़ा और चिपचिपा तरल पदार्थ बह रहा था, जिसे देखते ही घृणा होने लगती। यह तरल पदार्थ उनके जिस्मों में इस प्रकार बह रहा था, मानो कोढ़ी के जिस्म से कोढ़ बहता हो !


कदाचित यह दुर्गध उस तरल चिपचिपे पदार्थ ही से उठ रही थी।


लगभग दस खौफनाक मेढक इंसान, अपनी गोल-गोल आंखों से उसे घूर रहे थे। टुम्बकटू प्रत्यक्ष में भले ही सिगरेट के कश लगा रहा था, परंतु वास्तव में वह अपनी समूची इंद्रियों के साथ पूर्णतया सतर्क था।


वह अभी समझ भी नहीं पाया था कि ये 'मेढक इंसान' उसे पर किस प्रकर हमला करेंगे और उसे उनसे किस ढंग से निबटना है। अत: वह हर प्रकार के खतरे का सामना करने हेतु सतर्क खड़ा हो गया। चारों ओर फैली दुर्गध से उसका मस्तिष्क फटा जा रहा था। सूं... सूं... की ध्वनि बड़ी खौफनाक प्रतीत होती थी।


अचानक! बिल्कुल अचानक!


-"खै... ब... ड़ा।" एक मेढक इंसान ने कंठ से एक अत्यधिक भयानक दिल को हिला देने वाली डकार निकाली और साथ ही वह घिनौना जीव किसी जबरदस्त बाज की भांति टुम्बकटू पर झपटा।


परंतु टुम्बकटू, यानी खौफनाक छलावा!


ये चांद का भयानक अपराधी भला इतना शरीफ कहां था कि इस सरलता से मेढक इंसान के रूप में छिपी उस भयानक मौत के पंजे में फंस जाता! उसे न जाने क्यों ऐसा लगा था कि अगर वह एक बार भी इन भयानक, घिनौने और दुर्गधयुक्त जीवों के पंजे में फंस गया तो मौत ही उसे मुक्त करा सकेगी।


अत: अगले ही पल वह खौफनाक छलावा एक अन्य स्थान पर खड़ा बड़े इत्मीनान के साथ अपनी अजीब सिगरेट में क्या लगा रहा था। जबकि वह भयानक शक्तिशाली जीव धड़ाम से किसी विशाल पहाड़ की भांति उस रिक्त फर्श से टकराया। जहां कुछ ही पल पूर्व टुम्बकटू आराम फरमा रहा था।


***

क्रमशः....


20

“खैबड़ा!" फिर एक भयानक डकार ।


फिर एक मेढक इंसान टुम्बकटू पर झपटा।


परंतु खौफनाक छलावा बेहद खौफनाक था।


ऐसा लगता था कि मानो. मौत भी उसके पास आने से कांपती है।


यानी परिणाम फिर वही ।


टुम्बकटू किसी अन्य स्थान पर खड़ा सिगरेट के कश लगा रहा था, जबकि मौत उस खाली फर्श पर चिपकी हुई थी, जहां टुम्बकटू को होना चाहिए था।


उसके बाद !


मानो वह स्थान कोतवाली का प्रांगण न होकर फ्री-स्टाइल कुश्ती का अखाड़ा रहा था ।


मौत और छलावे की दिल को कपकपा देने वाली जंग जारी थी। 


मौत छलावे पर झपटती, परंतु छलावा उस समय कहीं और होता। छलावा एक यानी सिर्फ टुम्बकटू था ---- जबकि' मौत अनेक 1


प्रत्येक मौत उस पर झपटती----परंतु खौफनाक छलावा


मानो उनसे आंख-मिचौली खेल रहा था। हर बार टुम्बकटू प्रत्येक मेढक इंसान को मात देता रहा था।


अगले ही कुछ क्षणों में ।


वहां मौत को भी कपकंपा देने वाला भयानक युद्ध हो रहा था!


मेढक इंसान टुम्बकटू पर झपटते, जबकि उनका प्रत्येक वार खाली जाता।


परंतु शीघ ही टुम्बकटू जान गया कि वह इस प्रकार अधिक देर तक मेढक इंसानों के रूप में आई इन साक्षात मौतों को अधिक देर धोखा नहीं दे सका। किसी भी बार अगर वह किसी भी मेढक इंसान के पंजे में फंस गया तो केवल उसका शव ही उस पंजे से मुक्त हो सकेगा।


क्योंकि अब वह देख रहा था कि मेढक इंसान भी उस पर यूं ही शक्ति के घमंड में न झपटकर बुद्धि का उपयोग कर रहे थे अत: अब वे उसके चारों ओर एक व्यूह का निर्माण कर रहे थे और बड़ी सतर्कता के साथ उस पर जंप लगा रहे थे।


यह बात टुम्बकटू ने भी अनुभव कर ली। अत: वह निश्चय कर चुका था कि अब आंख-मिचौली खेलने के स्थान पर मौत का खेल खेलेगा।


उसके बाद!


जैसे ही एक मेढक इंसान भयानक तरीके से उस पर झपटा। मेढक इंसान की भयानक डकार के साथ एक अन्य आवाज ।


----"सन्न...न...न" की तीव्र ध्वनि के साथ टुम्बकटू के जूते से चमकदार सुनहरा सिक्का निकला... क्षणमात्र के लिए तेजी से घूमता हुआ वायु में लहराया और अगले ही पल वह अत्यधिक चमकदार सुनहरा सिक्का झपटने वाले मेढक इंसान के माथे पर किसी जोंक की भांति चिपका हुआ था।


अगले ही पल उस स्थान से सफेद बुझा निकलने लगा और फिर वह मेढक इंसान बड़े ही दयनीय ढंग से तड़पने लगा। उसके कंठ से अजीब-अजीब और भयानक आवाजें निकल रही थी---- परंतु टुम्बकटू ने उस पर कोई विशेष ध्यान न दिया तभी!


एक अन्य मेढक इंसान झपटा ।


'सन्न....न.... न्!'


फिर उसी ध्वनि के साथ एक अन्य चमकदार सुनहरा सिक्का निकलकर मेढक इंसान के माथे से जा चिपका।


उसका परिणाम भी लिखने की आवश्यकता नहीं ।


तभी...उसी पल !


मानो टुम्बकटू की मौत का पल।


उसके पीछे-से एक मेढक इंसान झपटा।' इतना समय नहीं था कि वह पीछे घूमकर सिक्के का वार उस पर करता। अत: खौफनाक छलावा अगले ही पल वायु में नजर आया और फिर लहराता हुआ वह कोतवाली की छत पर पहुंच गया।


परंतु उफ!


यहां खौफनाक छलावा मात खा गया।


अगले ही पल वह मौत के पंजे में था।


इस बात खी तो उसने कल्पना भी न की थी।


वह तो नीचे की मौत को धोखा देकर ऊपर गया था, परंतु इस बात का उसको स्वप्न में भी ख्याल नहीं था कि ऊपर एक अन्य मौत उसकी प्रतीक्षा कर रही है।


हुआ यूं कि खौफनाक छलावा अपनी भयानक फुर्ती के साथ लहराता हुआ कोतवाली की छत पर पहुंचा, परंतु इसका क्या किया जाए कि वहां पहले ही एक मेढक इंसान मौत बनकर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था।


इससे पूर्व कि टुम्बकटू समझ सके, उस भयानक मेढक


इंसान का जबड़ा खुला और अगले ही पल वह गन्ने जैसा लंबा-पतला खौफनाक छलावा मेढक इंसान के जबड़ों के बीच फंसा हुआ था।


स्वयं टुम्बकटू चकराकर रह गया।


अब वह बिल्कुल नर्वस स्थिति में था। अत: कुछ कर नहीं सका।


यह भी उसने महसूस किया कि कोई मेढक इंसान उसके जूते के निशाने पर नहीं है, वह जान गया कि इस समय वह मौत के जबड़े में फंस चुका है। अब वह कोई हरकत करने की स्थिति में भी नहीं था और प्रयास न करने में ही उसने अपनी भलाई समझी।


उसे लिए लिए ही मेढक इंसान कोतवाली की छत से नीचे कूद गया।


विशाल शरीर के कूदने पर धड़क की ध्वनि हुई।


अन्य सभी मेढक इंसानों ने उसे चारों ओर से घेर लिया।


टुम्बकटू उसी जबड़े में नर्वस-सा फंसा हुआ था। यह भी उसने महसूस किया कोई भी मेढक इंसान उसके जूतों की रेंज में नहीं है।


उसके बाद !


मेढक इंसानों का वह ग्रुप टुम्बकटू को उसी प्रकार अपनी कैद में लिए कोतवाली से बाहर की ओर बढ़ा। उन दोनों मेढक इंसानों की लाश वहीं पड़ी रह गई, जो टुम्बकटू के सिक्के के शिकार थे, सिक्का उसी प्रकार उनके माथे पर चिपका हुआ था।


वे कोतवाली से बाहर आए, परंतु !


कोतवाली के बाहर का दृश्य इतना अधिक आश्चर्यजनक था कि मेढक इंसानों के साथ-साथ जबड़े में कैद टुम्बकटू भी बिना बौखलाए न रह सका। निश्चित रूप से यह दृश्य संसार का नौवां आश्चर्य था।


मेढक इंसानों के चारों ओर... उफ् !


ऐसा भयानक दृश्य जिसे देखते ही रोंगटे खड़े हो जाएं! आश्चर्य से आंखें उबल पड़े, ऐसा तो शायद कभी किसी ने स्वप्न में भी न देखा हो!


मेढक इंसानों के चारों ओर छिपकलियां थीं !


खौफनाक सुनहरी छिपकलियां !


उन छिपकलियों का आकार ही आश्चर्यजनक था। प्रत्येक छिपकली लंबाई की दृष्टि से किसी भी प्रकार पंद्रह फीट से कम न थी। छिपकलियों का' यह रंग-रूप और आकार न कभी किसी ने देखा ही था और न ही इसकी कल्पना की थी। छिपकलियों के पंजे बड़े खौफनाक लग रहे थे।


पंद्रह-पंद्रह फीट लंबी ये सुनहरी छिपकलियां संख्या में ठीक दस थी, और दसों ने मेढक इंसानों के ग्रुप को इस प्रकार घेर लिया था, मानो युद्ध में एक दुश्मन टुकड़ी किसी अन्य को। उनके चारों ओर फैली पंद्रह-पंद्रह फीट लंबी छिपकलियां अपनी गोल-गोल, भयानक चमकीली पुतलियों को झपका रही थीं।


बीच में मेढक इंसान, चारों और फैली छिपकलियां।


सभी कुछ आश्चर्यजनक था। बेहद खौफनाक!


आसपास कोई इंसान दृष्टिगोचर नहीं होता था; जबकि चारों ओर दूर-दूर से बदहवास-से लोग आश्चर्यजनक और खतरनाक दृश्य को देख रहे थे। ये मेढक इंसान तो थे ही सबके लिए अजूबा, किंतु ये पंद्रह-पंद्रह फीट लंबी सुनहरी छिपकलियां उनसे भी कहीं अधिक आश्चर्यजनक थीं। छिपकलियों का यह रंग-रूप और आकार एकदम अजूबा ही था! सुनहरी छिपकलियां धीरे-धीरे अपने पंजों के माध्यम से अपने भारी जिस्म को सड़क पर लगभग रेंगते हुए मेढक इंसानों की ओर बढ़ रही थीं।


मेढक इंसानों के चारों ओर बना वृत्त क्षण प्रतिक्षण कम होता हो रहा था ।


मेढक इंसानों ने भी अपनी पोजीशन ले ली थी। ऐसा लगता था कि अब उन दोनों के मध्य खौफनाक युद्ध होगा।


एकाएक वहां पुलिस सायरन गूंजा !