पाली के कंधे से गोली निकल चुकी थी। उसकी दवा-दारू हो चुकी थी। पारसनाथ ने यह सारा काम नर्सिंग होम से करवाया था। फीस के रूप में सौ की पूरी गड्डी एडवांस में दी थी। इस वक्त पाली उसी ठिकाने पर, दवाइयों और इंजेक्शन के असर में गहरी नींद में डूबा था। उसके पहुंचने के घंटे भर बाद मोना चौधरी और महाजन वहां पहुंचे। दोनों को खाली हाथ देखकर पारसनाथ की आंखें सिकुड़ीं। 


"तिजोरी कहां है?" उसके होंठों से निकला। 


"देवराज चौहान ले गया। "महाजन मुस्कराया । 


"क्या।" पारसनाथ के चेहरे पर अजीब भाव उभरे–"देवराज चौहान?"


"हां। फकीर बाबा ठीक ही बोला था बेबी को कि देवराज चौहान से मुलाकात होगी।"


मोना चौधरी कुर्सी पर बैठ चुकी थी।


महाजन ने आगे बढ़कर एक तरफ रखी बोतल उठाई।


"तो तुम इतना खुश होकर क्यों बता रहे हो कि तिजोरी देवराज चौहान ले गया है। " पारसनाथ ने उसे गहरी निगाहों से देखा—"तुम्हारा चेहरा तो बता रहा है कि जैसे तिजोरी तुमने खुद उसके हवाले की हो।"


महाजन ने एक ही बार में बोतल से कई मोटे-मोटे घूंट गले में उतारे। पारसनाथ ने मोना चौधरी को देखा। जिसका चेहरा बिलकुल शांत था।


"बात ये हुई कि उस फाइल के चक्कर में बांकेलाल राठौर और रुस्तम राव भी थे।" 


"क्या?"


"सुनता रह वो जाने कब से हमारी हरकतों पर नजर रख रहे थे कि हम फाइल पर हाथ साफ करें और वहां से निकलते ही वो हमारे से फाइल छीनें।" उसके बाद होने वाली सारी बातें महाजन ने पारसनाथ को बताई जिसे सुनकर पारसनाथ गंभीर हो उठा।


"तो वो तिजोरी हमारे हाथ से निकल गई। " पारसनाथ ने सपाट स्वर में कहा। 


"हां। बदले में बेशकीमती हीरा हाथ आ गया। " महाजन हंसा। 


"महाजन।" मोना चौधरी ने उसे देखा।


"हां बेबी।" 


"वो तिजोरी हमें वापस मिलेगी।"


"कैसे?"


"ये हीरा देवराज चौहान को चाहिए और मुझे वो तिजोरी । इसलिए तिजोरी वापस मिलेगी।" 


महाजन ने आंखें सिकोड़कर मोना चौधरी को देखा।


"पागल तो नहीं हो गई तुम बेबी " महाजन तेज स्वर में कह उठा—"तिजोरी वाला सौदा हमारे लिए सिर्फ एक करोड़ का था और यह हीरा करोड़ों का बंगाली को एक करोड़ देकर, हाथ जोड़ देंगे। माफी मांग लेंगे और करोड़ों का यह हीरा बेचकर, माल अपनी जेब में डालेंगे।"


मोना चौधरी ने हीरे की थैली निकाली और पारसनाथ की तरफ उछाल दी। पारसनाथ ने थैली थामी। उसमें से हीरा निकाला और ध्यानपूर्वक उसे देखने लगा।


"महाजन, हालात कोई और होते तो, ऐसा ही करते शायद । लेकिन अब स्थिति दूसरी... | "


"बेबी। सब ठीक है। वही हालात है। स्थिति ठीक है। " तुम--।"


"अब बात दौलत की नहीं, जिद्द की आ चुकी है। " मोना चौधरी की आवाज में कठोरता आ गई "देवराज चौहान की वजह से वो तिजोरी हमारे हाथ से निकली। अब देवराज चौहान ही वो तिजोरी हमारे हवाले...।"


"परंतु वो तो रुस्तम राव और बांकेलाल राठौर के पास-।"


"तो क्या हो गया। देवराज चौहान तिजोरी उनसे लेगा। क्योंकि वो हर हाल में ये हीरा वापस पाना चाहता होगा। ये सौदा करके मैं देवराज चौहान को यह समझाना चाहती हूं मैंने उसके हाथों ही अपनी चीज वापस पाई। "


महाजन ने तगड़ा घूंट भरा। "बेबी। ये जरा सी जिद्द करोड़ों का नुकसान कर देगी। तुम समझने --।"


"मैं इस वक्त करोड़ों का नुकसान नहीं देख रही। देवराज चौहान को देख रही हूं। जिसका सिर कैसे भी हो, हर हाल में झुकना ही है। उसकी वजह से तिजोरी हाथ से निकली। अब वो ही तिजोरी मेरे हवाले करेगा।"


महाजन माथा पकड़ने वाले अंदाज में बैठ गया।


तभी पारसनाथ बोला।


“ये हीरा बहुत कीमती है। मेरे ख्याल में कोई खास हीरा है यह "


"मेरा भी यही ख्याल है। " मोना चौधरी ने सहमति में सिर हिलाया—"और इस खास हीरे को पाने के लिए देवराज चौहान हर हाल में वो तिजोरी हमें वापस करेगा।"


महाजन ने उखड़ी निगाहों से मोना चौधरी को देखा। 


"बेबी। उनके साथ सोहनलाल था। एक्सपर्ट ताला तोड़। अब तक उन्होंने तिजोरी खोल ली होगी या दो-चार घंटों में खोल लेंगे। वो काली फाइल तिजोरी से निकाल लेंगे। उसके बदले खाली तिजोरी को गले में लटकाएंगे क्या?"


मोना चौधरी ने मुस्कराकर महाजन को देखा।


"चिंता मत करो। वो फाइल तिजोरी में हो। यह मेरी पहली शर्त होगी। अगर देवराज चौहान को हीरा चाहिए तो वो हर हाल में, मेरी बात मानेगा। " मोना चौधरी कह उठी।


"मान लो कि देवराज चौहान ने इस सौदे से इंकार कर दिया तो?"


“चो बाद की बात है कि अगर ऐसा हुआ तो, तब हमारा कदम क्या होगा? पारसनाथ।" मोना चौधरी ने पुकारा पारसनाथ ने मोना चौधरी को देखा।


"कुछ देर आराम कर लो। फिर बंगाली से बात करो कि उसका पार्टनर कर्मपाल सिंह कहां मिलेगा। रुस्तम राव और बांकेलाल, कर्मपान सिंह के लिए ही तिजोरी ले गए हैं। कर्मपाल सिंह, उन दोनों का पता-ठिकाना, फोन नंबर जरूर जानता होगा। उस नंबर पर दोनों से बात करके, उन्हें समझाओ कि देवराज चौहान से बात करना बहुत जरूरी है। उसका बेशकीमती हीरा हमारे पास है। बेशक वे इस बारे में देवराज चौहान से पूछ सकते हैं। यानी कि हमें देवराज चौहान का फोन नंबर उनसे लेना है। ताकि देवराज चौहान से आगे की बात कर सकें । "


"ठीक है। " पारसनाथ हथेली में रखे हीरे को देखता कह उठा–"मैं बंगाली से बात करूंगा।"


***


उसी कार से देवराज चौहान, जगमोहन और सोहनलाल बंगले पर पहुंचे। 


"जगमोहन।" देवराज चौहान सपाट स्वर में बोला- "कार को कहीं दूर फेंक दो। एक्सीडेंट की वजह से इसकी हालत बुरी हो चुकी है। पुलिस ने कार देखी तो, वह रोक लेगी"


"वो तो ठीक है। लेकिन वह हीरा ।"


"उसके बारे में फिर बात करेंगे। पहले कार ठिकाने लगा आओ।" देवराज चौहान ने कहा और बंगले में प्रवेश करता चला गया ।


जगमोहन और सोहनलाल की आंखें सिकुड़ी।


"देवराज चौहान को परवाह ही नहीं हीरे की कि वो हाथ से निकल गया है। " जगमोहन भुनभुनाया।


"परवाह है। " सोहनलाल ने गहरी सांस ली— "लेकिन तेरी तरह इस बात का ढोल बनाकर ठोकता नहीं फिरता। यो इस बारे में कुछ न कुछ अवश्य सोचेगा।"


सोहनलाल के भीतर जाने के बाद, जगमोहन कार लेकर चला गया।


एक घंटे बाद वापस लौटा।


तब तक देवराज चौहान और सोहनलाल नहा धो चुके थे। परंतु बीते दिनों की भागदौड़ की वजह से थकान उनके चेहरों पर स्पष्ट झलक रही थी।


"कार में चैक कर लिया था।" सोहनलाल बोला—"हीरा कार में तो नहीं गिरा?"


"कार में नहीं था। " देवराज चौहान शांत स्वर में बोला"मैंने देख लिया था। "


"तो फिर गया कहां?"


"मोना चौधरी के पास


"क्या?"


"हां। " देवराज चौहान ने सिगरेट सुलगाकर गंभीर स्वर में कहा- "सबसे बाद में वहां से मोना चौधरी ही निकली थी। हीरा वहीं गिरा और उसके हाथ लगा। वो ले गई। " 


"करोड़ों का हीरा वो ले गई।" सोहनलाल ने गहरी सांस ली।


“अब क्या किया जाए?" जगमोहन व्याकुलता से बोला ।


"हमें नहीं मालूम कि मोना चौधरी इस वक्त मुंबई में कहां है। " देवराज चौहान एक एक शब्द पर जोर देकर कह उठा–“अगर मालूम हो जाए तो कुछ किया जा सकता है। हीरा वापस आ सकता है।


जगमोहन ने व्याकुलता से पहलू बदला। सोहनलाल ने गोली वाली सिगरेट सुलगा ली। 'तुम्हारा मतलब कि हम उस बेशकीमती हीरे को मोना चौधरी को ले जाने दें। " जगमोहन के दांत भींच गए। देवराज चौहान ने सोच भरे ढंग से सिर हिलाया। 


‘‘एक रास्ता है मोना चौधरी तक पहुंचने का। " 


"क्या?"


"बांके ने कहा था कि वो अपने दोस्त कर्मपाल सिंह के लिए तिजोरी में रखी फाइल पाना चाहता है और मोना कर्मपाल के किसी पार्टनर बंगाली के लिए वो फाइल पाना चाहती है। " देवराज चौहान बोला। 


"हां। "


"बांके से कहकर, कर्मपाल सिंह से जाना जा सकता

है कि बंगाली कहां है और बंगाली से मालूम करना कठिन नहीं होगा, मोना चौधरी के ठिकाने के बारे में जानना।"


जगमोहन उछल पड़ा।


"ओह। इस तरफ तो मैंने सोचा भी नहीं था। मैं अभी बांके रुस्तम राव को फोन करता हूं।" कहने के साथ ही जगमोहन वहां से उठकर चला गया।


सोहनलाल ने देवराज चौहान को देखा।


"तुम क्या समझते हो कि मोना चौधरी वो हीरा आसानी से हमारे हवाले कर देगी।" सोहनलाल बोला। 


"नहीं।" देवराज चौहान ने शांत स्वर में कहा "उससे हीरा

वापस लेने की पूरी कोशिश करनी पड़ेगी। " 


"ये तो झगड़े वाली बात हो गई—।" देवराज चौहान खामोश रहा। जगमोहन वापस लौटा।


"दोनों में से कोई भी नहीं मिल रहा। " जगमोहन ने कहा। 


"इस वक्त वो तिजोरी के साथ जाने कहां होंगे। दस ग्यारह बजे फोन करना।" देवराज चौहान ने कहा।


"और तब तक मोना चौधरी हीरा लेकर दिल्ली भाग गई तो?" जगमोहन तीखे स्वर में बोला।


देवराज चौहान के होंठों पर मुस्कान उभरी। "तो दिल्ली कौन सी दूर है।' जगमोहन होंठ भींचकर रह गया।


***