एकदम सुबह पापा का फोन आया और उन्होंने मंगलवार को घर पहुँचने को कहा।

“क्या काम है पापा?” 

“वो तुमसे कोई मिलने आ रहा है।”

“कौन आ रहा है?” 

“तुम्हारे आने पर पता चल जाएगा।”

“मैं मंगल को नहीं आ सकता।” मैं समझ गया कि निधि के घर से शायद कोई आ रहा होगा। मैंने इसलिए मना कर दिया। मैं किसी भी हाल में इस शादी को हाँ नहीं करना चाहता था। मैं कई साल से वंश की बातों से तड़प रहा था और स्कूल की पार्टी की कही बात मेरे दिमाग में गूँजती रहती थी। पापा ने कहा, “तुम्हें मंगल को क्या काम है?”

“पशुओं के लिए चारा और गुड़ लाना है।” 

“तो शाम को घर आ जाना। गुड़ लाने का काम तो घंटे दो घंटे का है।”

“पर पापा नहीं आ सकता हूँ। यहाँ गोबर भी फिकवाना है, बड़ी बदबू रहती है।” 

“ये काम तो तुम्हारे लड़के कर लेंगे। मैं ना नहीं सुनना चाहता हूँ।” 

खैर, पापा की जिद पर मैंने आने के लिए अनमने मन से हाँ कर दी। रहीम वहीं था। उसने पूछा कि क्या निधि में कोई कमी या दोष है जो मैं उसे शादी से मना कर रहा था।

मैंने उसे डाँटते हुए कहा, “तुझे इससे क्या मतलब?”

ये सुनकर रहीम ने कहा, “भईया, बड़ी बात और छोटा मुँह। इतनी अच्छी लड़की को क्यों छोड़ रहे हो? पूरे गाँव में धमक रहती है जब वो यहाँ आती है। और तो आप से प्यार भी बहुत करती है। सभी गाँव वाले जानते हैं। आप की ही बेगम बनेगी और एक बात और, वो आप की ही जात-बिरादरी की है।”

“तुम नहीं जानते रहीम, वो बड़ी ही तेज लड़की है। मैं ही उसे जानता हूँ। अगर इतनी ही अच्छी होती तो मैं मना क्यों करता?”

फिर रहीम वहाँ से खिसक लिया। मैंने एक कप चाय अपने लिए बनाई। सोचने लगा कि एक ही लड़की से जीवन में प्यार किया, उसी का दिल तोड़ रहा हूँ। कभी वंश की वो बात याद आ जाती जो उसने पार्टी में कही थी। वंश की हँसी मुझे जलाती रही। मैं पिछले सात साल से तड़प रहा था और प्रेम की आग में जल रहा था। मैं ये भी सोचता था कि‍ निधि ये सब करके भी भोली बनी रहती है। मैं सोचने लगा कैसे निधि और उसके घर के लोगों को टालूँगा मंगलवार को। मैं ये भी जानता था कि‍ अगर निधि से शादी हो गई तो वंश के कहे शब्द मुझे हमेशा घेरे रहेंगे जिसे मैं आठ साल से सुनकर तड़प रहा था।

मैंने मंगलवार को अमित को फोन किया, “अमित, मैं आज नहीं आ सकता, पापा से कह देना।

“पर भाई, तुम्हारा आज आना जरूरी है।”

“मेरा एक्सीडेंट हो गया है, मैं गाड़ी नहीं चला सकता हूँ। मैं सफर भी नहीं कर सकता हूँ।”

“पर भाई, आज निधि के मम्मी-पापा तुम्हारे लिए रिश्ता लेकर आ रहे हैं।” 

“अच्छा पापा को फोन दो।”

पापा ने फोन लेते ही कहा, “बेटा क्या बात है?” 

“पापा मैं आज महरौली नहीं आ सकता हूँ, मेरा एक्सीडेंट हो गया है। आप निधि के पापा-मम्मी को आज ना बुलाओ। मेरे हाथ में गुम चोट है।” 

“पर ये सब कैसे हो गया?” पापा ने चिन्ता में कहा

“कल मैं बुलेट से सोहना गया था। रास्ते में कीचड़ के कारण बाइक फिसल गई जिससे हाथ मैं चोट आ गई।”

“ठीक है, मैं निधि के पापा को मना कर दूँगा। हाथ को किसी डॉक्टर को दिखाया है?”

“हाँ पापा दिखाया है।” 

“तो कब तक ठीक होगा?”

“ये तो उन्होंने नहीं बताया, पर लगता है महीना भर तो लग ही जाएगा।”

“तो फिर इतने समय के लिए महरौली आ जाओ। अमित तुम्हारा काम देख लेगा। तब तक कहो तो मैं भी वहाँ आ सकता हूँ।”

“नहीं पापा, मैं ये काम देख लूँगा। आप परेशान ना हो।”

“तो फिर अमित को तुम्हारे पास भेज देता हूँ।” 

“नहीं पापा चोट ज्यादा गँभीर नहीं है। आप सब परेशान ना हों। उसे पढ़ाई करनी है।”

“ठीक है राघव, मैं तो तुम्हारी मदद के लिए कह रहा था। जैसी तुम्हारी मर्जी। मैं निधि के पापा से आने को मना कर देता हूँ। पर मैं तुम्हें गाँव में मिलने जरूर आऊँगा। तब तक तुम अपना खयाल रखना।”

“आप यहाँ ना आना। मैं ही कुछ दिनों में सत्ते के साथ महरौली आ जाऊँगा।”

मैंने सोचा अब मुझे क्या करना है जिससे मैं चोट दिखा सकूँ। मैंने एक पट्टी बाँधने की सोची, जिससे लगे कि‍ मुझे चोट लगी है। नहीं तो निधि जरूर सत्ते से पूछ सकती है कि मेरा एक्सीडेंट हुआ भी है या नहीं। मैंने एक पट्टी अपने हाथ में बाँध ली। जैसे ही मैंने पट्टी बाँधी फोन बज गया। 

“राघव क्या हुआ तुम्हें?” 

“कुछ नहीं, थोड़ी-सी चोट लगी है।”

“ठीक है, एक विडियो कॉल करती हूँ।” 

“तुम्हें यकीन नहीं तो करके देख लो।”

उसने एक वीडियो कॉल की। मैंने उसे अपना हाथ दिखाया तो उसने कहा, “माफ करना राघव, मुझे लगा तुम झूठ बोल रहे हो। कब तक ठीक हो जाओगे?” मुझे लगा की झूठ नहीं बोलना चाहिए था पर मैं उसे शादी के लिए साफ इंकार नहीं कर पाया। वो शायद सही कह रही थी मैंने इतने साल उस का दिमाग खराब कर रखा था मुझे सालो पहले ही उससे कह देना चाहिए था की मुझे तुमसे प्यार नहीं है। पर अब क्या फायदा समय निकल चुका था।

“कुछ ही दिन में।” 

फिर कुछ हाल-चाल के बाद मैंने फोन काट दिया। करीब पंद्रह मिनट बाद रघुवीर और सत्ते मेरे पास आ गए। सत्ते ने आते ही कहा, “इतने झूठे कि‍ नकली पट्टी भी बाँध ली है।” 

“कौन कहता है पट्टी झूठी है?” 

रघुवीर ने रहीम को आवाज लगाई। रहीम दौड़ते हुए वहाँ आ गया, “बताओ तुम्हारा भईया आज बाजार गया था?” 

“नहीं रघुवीर भईया।”

“तो फिर ये चोट कैसे लगी?” 

“मुझे नहीं पता था।” 

“तुम अंदर जाओ हमें अकेले में बात करनी है।” रहीम वहाँ से चला गया। मैं सोचने लगा कि अब क्या झूठ बोलूँ। रघुवीर ने सख्ती से पूछा, “अब बताओ ये चोट कैसे लगी?” 

“वो मैं बाथरूम में फिसल गया था।”

“पर तुमने तो कहा कि‍ बाजार में बाइक से एक्सीडेंट हो गया था। अरे तुम्हें निधि जैसी लड़की नहीं मिल सकती है, वो तुम्हें बहुत प्यार करती है। क्यों अपनी जिंदगी से उसे निकाल रहे हो?” उसने बड़ी शांति से मुझे समझाया।

“तुम उसे नहीं जानते जितना मैं जानता हूँ और ये मेरी जिंदगी है, मैं उससे शादी करूँ या नहीं, ये मेरी मर्जी है। मैं किसी के दबाव में शादी हरगि‍ज नहीं करूँगा।” 

सत्ते ने कहा, “बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद? कहीं दीया लेकर भी ढूँढोगे नहीं मिलेगी उस जैसी।”

“ठीक है, अपनी सलाह अपने पास रखो। क्या जानते हो उसके बारे में? मैं उसे तेरह साल से जानता हूँ। वो वफादार नहीं रही कभी भी। उससे प्यार करके भी मैं उससे शादी नहीं करना चाहता हूँ।” मैं कहते हुए रुक गया।

“अपने ही प्यार से जलते हो, उसके लिए तुम्हारा प्यार हमने नहीं देखा है।”

“मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता हूँ। ये मेरी मर्जी है, मैं उससे शादी करूँ या नहीं। तुम अपनी सलाह अपने पास रखो।” मैंने कठोरता से कहा मैं बिलकुल नहीं चाहता था की कोई मुझे मेरे ही घर में ऐसे पेश आए। मैं अपनी शादी में किसी का दखल नहीं चाहता था चाहे उस में मेरे सबसे करीबी ही क्यो ना हो।

“ठीक है, हम भी उससे शादी करने के बारे में नहीं कहेंगे। पर कहाँ मिलती है ऐसी लड़की? तुम्हें मिली है पर तुम उसकी कदर नहीं कर सके हो जो तुम्हें इतना प्यार करती है। आज जब उसने तुम्हारी नकली चोट देखी तो फोन पर ही रो पड़ी थी। उसने कई बार कहा कि‍ तुम उसे देखकर आ जाओ, पर मैंने कहा कि वो झूठ बोल रहा है। अगर चोट होती तो क्या मुझे नहीं पता होता? उसने कहा कि‍ वो झूठ नहीं बोलता है। पर तुम्हारे मन में ऐसा क्या जहर भरा है उसके लिए जो तुम हमें नहीं बताना चाहते हो?”

“मैं उससे प्यार नहीं करता हूँ। बात बस इतनी है जो तुम नहीं समझ रहे हो।”

“ठीक है राघव, बड़े एहसान फरामोश हो तुम।” सुन कर मुझे मिर्ची लग गई सोचने लगा क्या एहसान कर दिए हैं उसने 

“उसने क्या एहसान कर दिया है?” 

“ठीक है राघव हम जाते हैं।” सत्ते ने कहा और वे सब चले गए।

मुझे आज घर जाना था। वैसे तो निधि के घरवाले कल मंगल को आने थे, पर मुझे हिदायत दी गई थी कि मैं सोमवार को ही शाम को घर पहुँचना है। मंगलवार को महरौली का बाजार बंद रहता है इसलिए गुप्ता अंकल का शोरूम इस दिन बंद था। उन्हें इस दिन अवकाश मिल जाता है। अमित और पापा ने कहा था कल के लिए कोई कपड़े बाजार से ले आना, पर मैंने कपड़े नहीं खरीदे।

शाम चार बजे मैंने जाने का समय तय किया। इसलिए रहीम को मैंने सारे काम समझा दिया। फिर मैंने बैग में दो जोड़ी कपड़े रख लिए। मैं चाहता था कि‍ मैं गुप्ता अंकल को साफ इनकार कर दूँगा शादी से। मैं दोपहर को खेत में घूमता रहा और अपने काम करता रहा। शाम को चार बजे मैं महरौली के लिए निकल गया। मैं वहाँ जाने से घबरा रहा था और सोच रहा था कि मैं कैसे गुप्ता अंकल को शादी से मना करूँगा। उन्हें इस रिश्ते से बड़ी उम्मीद थी। मैं चालीस की स्पीड से सोहना पहुँचा। मेरा वहाँ जाने का मन नहीं था। मैं ये भी सोच रहा था कि‍ जब निधि को पता चलेगा कि‍ मैं उससे शादी नहीं करना चाहता हूँ तो उस पर क्या बीतेगी। पर मैं शादी तो हरगिज नहीं करने वाला हूँ उससे, यही सोचते हुए मैं धीरे-धीरे चल रहा था। कोई दो घंटे लगे मुझे गुरुग्राम पहुँचने में।

मैं अपने घर के लोगों से क्या कहूँगा, यही सोचता रहा। सबसे मुश्किल था निधि को समझाना कि‍ मैं उससे नफरत करता हूँ, प्यार नहीं।

कभी सोचने लग जाता कि क्या मैं सच में उससे नफरत करता भी हूँ तो लगता कि नहीं यार, मैं प्यार ही करता हूँ। फिर सोचता कि नफरत किससे करता हूँ? तो समझ में आता कि उस वंश से। हाँ मैं उससे ही नफरत करता हूँ और उसके कहे शब्द फिर से मेरे कानों में गूँजने लगे। और उसका हँसना और मुस्कुराना मुझे परेशान करने लगा। मैं अभी उसको थप्पड़ मारना चाहता था। मैंने गाड़ी दो मिनट के लिए रोकी और गाड़ी की पिछली सीट पर रखी बोतल से बहुत-सा पानी पिया। अभी भी वंश मेरी आँखों में था। मैंने निश्चय किया कि सबको शादी के लिए मना कर दूँगा। मैंने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और तेज चलाते हुए गाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए आगे चलने लगा। मैंने किसी भी रेड लाइट पर गाड़ी को नहीं रोका। मैं चलता रहा। शुक्र था कि‍ ना ही ट्रैफिक पुलिस वाला मिला ना ही मेरा एक्सीडेंट हुआ। लाडो सराय जब आया तो अमित का फोन आया। मैंने फोन उठाते ही कहा कि दस मिनट में आ रहा हूँ और तेजी से गाड़ी मैंने महरौली के लिए मोड़ दी। जलन से मेरा चेहरा लाल हो रहा था। महरौली में मैंने गाड़ी पार्किंग में लगाई और मैं घर पर जाने लगा। गाड़ी घर तक नहीं जा सकती थी। घर तक के रास्ते सँकरे थे। 

घर पहुँचा तो अमित ने दरवाजा खोला। उसने मुझे गले लगाया। हम हॉल में गए। पापा ने कहा कि हाथ-मुँह धो लो, खाना खा लो। फिर मैंने सभी घर वालों के साथ खाना खाया और अपने कमरे में चला गया। जहाँ मेरे पीछे-पीछे अमित भी आ गया। 

“भाई, कल निधि के पापा तुम्हारे लिए रिश्ते की बात करने आएँगे। मैं बहुत खुश हूँ। तुम्हारे और निधि के प्यार को हम सफल लव सटोरी कह सकते हैं।” 

मैंने इस पर उसे कुछ नहीं कहा। अमित फिर बोला, “भाई, निधि ने तुम्हारे लिए थियेटर की टिकट बुक कर रखी है। जब रिश्ता हो जाएगा तो तुम और निधि मूवी देखने जाना। जाना तो मैं भी तुम्हारे साथ चाहता था पर निधि ने मना कर दिया है इसलिए नहीं जाऊँगा। सच में निधि जैसी भाभी पाकर मैं खुश हूँ। पर तुम खुश नहीं लगते, क्या बात है?”

“मैं कभी निधि से शादी नहीं करूँगा, वो तेरी भाभी नहीं बनने वाली है।” सुनते ही अमित का चेहरा उतर गया वो शायद मेरे से ऐसे जवाब की बिलकुल भी उमीद नहीं कर रहा था। 

“भाई, तेरह साल तक जिससे प्यार किया, अब उससे शादी नहीं करोगे? क्या कमी रह गई उसके प्यार में?” मैंने थोड़ी खामोशी के बाद कहा

“कमी तेरे भाई में है जो प्यार उससे किया।” मेरे इतना कहने के बाद कमरे में खामोशी छा गई। 

“भाई, दिल टूट जाएगा उसका। वो तुम्हें जान से भी ज्यादा प्यार करती है।”

“उसका तो दिल ही टूटेगा, मेरा सब टूट जाएगा उससे शादी करके।”

“हमारे बुजुर्ग माता-पिता के बारे में सोच। कितने सपने बुन लिए हैं उन्होंने। तुम साफ-साफ बताओ क्या गलती कर दी है निधि ने जो तेरह साल के प्यार को यूँ उजाड़ रहे हो? उसके नहीं तो उसके माता-पिता के बारे में सोचो। वो तुम्हें दामाद बनाना चाहते हैं। तुम स्वार्थी हो गए हो। उसने अपने और तुम्हारे बारे में सब बता दिया है अपने पापा मम्मी को। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा। अगर तुम्हारे और उसके बीच कोई बात है, तो बैठकर हल कर लो।”

“ऐसा कुछ नहीं है, बस प्यार नहीं है उससे, बात इतनी-सी है।” मैंने अमित से आँख चुराते हुए कहा मैंने ना का मन पहले ही से बना रखा था पर घर के और लोगो से पहले अमित से कहना जरूरी था क्योंकि मेरे हिसाब से सबसे पहले उसे ही झटका लगना था मम्मी पापा को तो मैं कैसे भी मना लेता।

“पर मम्मी-पापा को कौन समझाएगा? बड़े सपने बुन लिए हैं उन दोनों ने। खैर, एक बात समझ में नहीं आ रही है, जब तुमने किसी लड़की से कभी रिश्ता ही नहीं बनाया है उसके अलावा तो तुम्हें प्यार किसी और से प्यार कैसे हो सकता है? बचपन से ही तुम्हारे लबों पर बस निधि का ही नाम रहा है। मुझे सही-सही बताओ क्या बात हुई है तुम्हारे बीच जो उससे दूरी बना ली है? तुम्हारे ना कर देने से उसका रिश्ता कहीं और कर देंगे उसके पापा, तब क्या करोगे? सारी जिंदगी भर रोते रहोगे पर वो तो क्या उसकी परछाईं से भी शादी नहीं कर पाओगे। समझ लो ये बात कि ऐसा मौका कभी नहीं मिलेगा तुम्हें। मेरी सलाह है उससे शादी कर लो।” 

“मैं भी जानता हूँ पर मैं उससे शादी करके जिंदगी भर नहीं जल सकता हूँ। मैंने बुरे दिन देखे हैं, पर अब और नहीं। जाओ मुझे सोने दो।” मैंने अपनी मन की बात उसे साफ-2 बता दी और सच भी था मैं सारी जिन्दगी नहीं जल सकता था। पर अमित तो बस शादी पर ही अटक गया था वो जैसे भी हो मुझे शादी के लिए मनाना चाहता था पर मैं अपने फैसले पर अड़ा रहा।

“सोच लो राघव, मैं जानता हूँ प्यार तो तुम्हें उससे ही है। अगर निधि से खफा हो तो बात कर लो उससे। शादी को ठोकर ना मारो। भगवान प्यार में सब को ऐसा मौका नहीं देता है। गिने-चुने लोग होते हैं जीवन में जो प्यार को शादी में तब्दील कर पाते हैं। किस बात की जलन है तुम्हें उससे?”अब मैं उसे क्या बताता मेरी समझ से वो अब भी बच्चा ही था मैं उसे हिन्ट दे सकता था पर नहीं दी।

“मैं नहीं बता सकता हूँ। शादी उससे की तो उसका चेहरा देखकर मैं रोज जलता रहूँगा, बस यही समझ ले। मैं नहीं कर सकता उससे शादी।”

“पर नहीं बताओगे तो मैं कैसे मान लूँ कि वो तुम्हें रोज जलाती रहेगी?”

“बात तेरे समझ में नहीं आएगी। जब तुम इतने बड़े हो जाओगे तो मैं बता दूँगा कि वो बात क्या है।”

“तुम चाय पियोगे? मैं तुम से इस बारे में बात करना चाहता हूँ। मैं दस मिनट में चाय ले आता हूँ, जब तक सोना नहीं।” सोचने लगा इसे अब क्या बताऊँ घर के सबसे छोटे को समझाना ही मुश्किल है तो बड़ो को कैसे समझाऊँगा।

“मुझे नहीं पीनी है चाय। मैं सोने जा रहा हूँ। अमित, मैं तुम्हें सच कह रहा हूँ, अगर मैंने निधि से शादी की तो जिंदगी भर जलता रहूँगा।”

“बात क्या है? क्या वो तुम्हारी बेइज्जती करती है जो तुम उससे जलते हो? अब तो भाई तुम में और उसमें उसकी अमीरी भी नहीं पड़ती है। अगर उसमें पैसो का घमंड हो तो तुम्हारे पास भी बहुत है।”

“बात जलने की यह नहीं है, तुम नहीं समझोगे। ये जलन मैं आठ साल से सह रहा हूँ। अगर मैं वजह बताऊँ तो मान जाओगे कि‍ ये शादी नहीं करनी चाहिए। बस तुम यही समझ लो ‍कि हमारी शादी नहीं हो सकती।” मैं जानता था अमित अपनी पे आ जाए तो उससे कोई भी बातों में नहीं जीत सकता है उसके पास तर्को का पूरा पिटारा रहता है।

“बहाने ना बनाओ। कोई ऐसी वजह नहीं हो सकती है। प्लीज कल निधि के पापा से ना मत करना, बड़ी उम्मीद से और खुशी से वे आ रहे हैं और तुम्हारे बीच जो भी बात हो गई है, उसको बात करके निपटा लेना। मैं भी जानता हूँ गाँव में जो तुम बंगला बनवा रहे हो, वो निधि के लिए है। तुम कहते हो आठ साल से जल रहे हो तो बंगला क्यों बनवा रहे हो?” सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए। 

“वो मैं अपने परिवार के लिए बनवा रहा हूँ, उस नकचढ़ी के लिए नहीं।”

“भाई जो भी हो, कल कोई बेवकूफी मत करना उसके पापा के सामने। मैं तो तुम्हें समझदार समझता था, तुम तो निहायत ही बेवकूफ निकले। कोई तेरह साल का प्यार चुटकियों में खत्म कर दे, वो भी ठीक शादी से पहले। प्लीज मम्मी-पापा को अपने अरमान पूरा कर लेने दो। इतनी खुशी इतने समय बाद घर आ रही है। अगर प्यार है तो हाँ कर देना।”

“जिससे जलन हो उससे शादी नहीं करते हैं। मैं तो सो रहा हूँ।” मैं सोने का नाटक करते हुए लेट गया। अमित पापा-मम्मी को मेरी ना के बारे में बताने चला गया पर वे सो गए थे। शायद उसने दो कप कॉफी बनाई और मेरे पास खड़ा हो गया कॉफी लेकर। मैंने सोने का नाटक किया तो उसने कहा, “नहीं उठे तो गर्म कॉफी गिरा दूँगा तुम्हारे ऊपर। मैं तीन तक गिन रहा हूँ।” लेकिन उसके तीन गिनने से पहले ही मैंने आँख खोल ली। अमित ने कहा, “भाई ऐसी लड़की नहीं मिलेगी। कल हाँ कर देना।”