अगली सुबह ---

' पिछले साल ही विधायक बने कानपुर के दबंग नेता अमित सिंह को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है,उनके ऊपर अवैध बजरी एवं चूने कि माइनिंग का आरोप लगा है ,इसके अलावा अन्य 4 घोटालों में में भी उनका नाम सामने आया है।  कल रात ही SFIO को किसी विशेष सूत्रों से नेताजी अमित सिंह के इन घोटालों में शामिल होने कि जानकारी मिली थी, सूत्रों की पहचान  SFIO ने गुप्त रखी है। माना जा रहा है कि नेताजी अमित सिंह, यहां के लोकल दलित मंत्री जयदीप बेरवा के साथ मिलकर कई घोटालों को अंजाम दिये है। अमित सिंह के साथ पूछताछ जारी है और मंत्री जी के घर पर अभी CBI रेड कर रही है...आगे की जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहिए..न्यूज 24 पर' एक महिला रिपोर्टर टीवी पर यह खबर बता  रही थी।

दरअसल कल रात फाइल और पेनड्राइव मिलते ही संजय ने फाइल रोहित के हाथों SFIO डिपार्टमेंट को भिजवा दी और नेता जी और मंत्री के बीच की कॉल रिकॉर्डिंग की पेनड्राइव भी साथ में दे दी। साथ में एक कॉपी अपने पास रखली की कही अगर वे लोग भी नेताजी के साथ मिले हुए निकले तो कम से कम उनके पास बैकअप तो हो। उन्होंने अपना नाम गुप्त रखने को कहा और सुबह होते ही पुलिस ने नेताजी को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस स्टेशन में --

नेताजी अपने वकील के साथ बैठे अपनी सफाई दे रहे थे, जिनके सामने बैठे पुलिस इंस्पेक्टर उनसे कुछ पूछ रहे हैं और पास में बैठा हवलदार जल्दी-जल्दी उनका बयान लिख रहा था। तभी अचानक नेता जी का फोन बजा, आज नेताजी के लिए हर फोन उठाना जरूरी था क्योंकि क्या पता उनके बड़े दोस्तों में से कोई उन्हें इस परिस्थिति से बचाने के लिए फोन कर रहा हो।इसलिए यह फोन भी उठाया गया।

' पाय लागू नेता जी ,कैसे हो आप? यह हम क्या सुन रहे हैं' संजय ने उधर फोन से कहा।

' खुश रहो ,खुश रहो, कौन बोल रहे हो भाई' नेताजी ने आवाज पहचानने की कोशिश करते हुए कहा।

' अरे हमको नहीं पहचाना ,हम संजय बोल रहे हैं उ आपका कार्यकर्ता थे ना हम' संजय ने हसते हुए कहा।

' हा... संजय , हां बोलो  काहे फोन किया है ?' नेताजी  ने आवाज पहचानते ही स्वर बदल लिया।

' ऐसे कोनो खास काम तो नहीं था, बस हम तो उही कह रहे थे कि नेताजी अब बुढ़ापा आ गया है ,ये दिलबर ...दिलबर ... छोड़िए और राम नाम लेना शुरू कीजिए जरा अच्छा रहेगा और हां  उ दरवाजा आप  खुला छोड़ देते हैं ऐसे ही ,इतनी लापरवाही अच्छी नहीं है, जरा ध्यान रखिए भई ..हमको बहुत चिंता है आपकी' संजय ने हंसते हुए कहा।

' मतलब? ' नेताजी चौंकते हुए पूछा।

' अरे  अभी भी नहीं समझे , खैर नेता लोग में इतना दिमाग होता भी कहा है, अरे उ आपका फाइल हम ही निकाले थे और आपके जेल का ट्रिप भी हम ही स्पॉन्सर किए हैं।,  ' संजय ने मजे लेते हुए कहा।

' हरामजादे तो वो तू था,हम तुमको छोड़ेंगे नहीं, जानते नहीं हो किसके साथ पंगा ले लिये हो...' नेता ने फोन पर गालियां निकालने लगा जबकि सामने बैठे हवलदार उसे देख  रहा था और बयान में लिख रहा था।

' अरे ठहरिए नेताजी!...ऐसे कैसे बात कर रहे हैं आप ? ,आपको लोगों की सहानुभूति चाहिए ना, तो प्यार से बोलिए भई' संजय ने हंसते हुए कहा।

' साले तुमको क्या लगता है हम अंदर चले जाएंगे तो हम तुम्हारा कुछ नहीं कर सकते, अगर हम चाहे तो एक फोन करेंगे और...' नेता जी अभी भी गुस्से में कुछ कह रहे थे कि संजय ने अचानक टोक दिया।

' हम कहे थे ना नेताजी ,हम से पंगा ले कर  गलती किए हैं आप, अब आपने तो अपना वादा पूरा नहीं किया हमने तो कर दिया ।ठीक है  विदा लेते हैं आपसे, अब जेल में बैठकर गाइए दिलबर दिलबर...' संजय ने हंसते हुए फोन काट दिया।

' हम तुम्हे ....' नेता ने इतना ही कहा था कि उधर से फोन कटने की आवाज आ गई ,तो नेता ने गुस्से में फोन दीवार पर मारकर तोड़ दिया। हवलदार ने नेता की तरफ देखा और वापस लिखने लगा।

चुनाव को अब बस 15 दिन शेष थे अंकुश ने जितना हो सकता था उतना प्रचार कर दिया था, बहुत सारे फेसबुक पेज, व्हाट्सएप और टेलीग्राम के ग्रुप बना दिए थे, और बड़े-बड़े होर्डिंग भी लगवा दिये थे, जिसने संजय की ठीक ठाक खराब हुई छवि सुधार दी थी, अंकुश ने कुछ फ्रीलांसर्स को हायर किया और आदित्य की ऐसी-ऐसी memes बनवाई की अब क्या कहें ? उन्हें इतना वायरल करवाया कि पूरा शहर हंसते हंसते लोटपोट हो गया। चूंकि अब प्रचार जोरो शोरो से चल रहा था तो अब जो चीज सबसे ज्यादा मायने रखती थी वह थी संजय का भाषण।क्योंकि वही आखरी पड़ाव था चुनाव जीतने के लिए, संजय इसकी तैयारी पिछले 1 महीने से कर रहा था उसने और अंकुश ने मिलकर बहुत सारी प्लानिंग पहले से कर ली थी। अब वह दिन भी आ गया जब संजय को भाषण देना था। राहुल के पास जो थोड़ी-बहुत पैसे बचे थे वह इस प्रोग्राम को बड़ा और शानदार बनाने  में खर्च हो गए। प्रोग्राम के लिए राहुल ने कॉलेज के पास वाले हॉल की व्यवस्था कर ली थी,और कॉलेज के सभी स्टूडेंट्स को बुलवा लिया, कुछ अपनी मर्जी से आए, और कुछ बस नाश्ता करने के इरादे से  ,जो भी राहुल का प्लान था।

' हम सबको एक साथ मिलकर... एक साथ मिलकर....' संजय पार्टी ऑफिस में कांच के आगे खड़े होकर इस स्पीच की तैयारी कर रहा था पर वह बार बार भूल रहा था।

' इतना चिंता मत करो बे, तुम अच्छा ही करोगे हमको विश्वास है तुम पर' अंकुश ने अपना कुर्ता पहनते हुए कहा अंकुश ठीक तो पहले ही हो चुका था और 3 दिन पहले उसे व्हीलचेयर से भी आजादी मिल गई, पर अब भी वह धीरे-धीरे ही चलता था।

' पता नहीं का करेंगे , साला हम तो  बार बार अटक जाता है' संजय ने अपने हाथ में पकड़े कागज अंकुश को थमाते हुए कहा।

' सब कुछ अच्छा ही होगा ,....अच्छा उ तुमने  उससे बात करने की कोशिश की..' अंकुश के इशारा मेघना की तरफ था। अंकुश पिछले कुछ दिनों से संजय को उससे बात करने के लिए मना रहा था ताकि उससे बात करके उसे थोड़ी राहत मिले और वो अपना 100% चुनाव पर दे पाए।

' हम ट्राई किए थे। हम फोन भी मिला लिए थे, पर उसने जैसे ही फोन उठाया हमारी हिम्मत ही नहीं बनी इसलिए हम फोन काट दिए...' संजय ने निराशा से कहा।

' कोशिश करते रहो गुरु ,आज कॉल किए हो ,कल बात भी कर लोगे , अब चलो लेट हो रहा है' अंकुश ने चाबी लेते हुए कहा।

अंकुश के हाथ में चाबी देखकर संजय ने झट से चाबी छीन ली, जिस पर अंकुश हंसने लगा।

' अबे नहीं चलाएंगे बे ... बस देख रहे थे कि तुम्हारा ध्यान यहां पर है या नहीं ' अंकुश ने कहा।

थोड़ी देर में दोनों बाइक पर बैठकर प्रोग्राम हॉल में पहुंच गए। जहां राहुल सारी व्यवस्थाए संभाल रहा था। संजय ने स्टेज पर जाकर थोड़ी प्रैक्टिस की और थोड़ी देर में हॉल लोगों से भरने लगा। इतने लोगो के आने का कारण थोड़ा बहुत तो संजय था क्योंकि पहले उसने लोगो के लिए बहुत कुछ किया था , ऊपर से लडकियो की संख्या राहुल की देन थी। अंकुश ने जब देखा कि ज्यादातर लोग आ चुके हैं तो उसने खड़े होकर माइक संभाला।

' नमस्ते भाइयों और.... उनकी बहनों ' अंकुश ने कहा और सब हंसने लगे 'हम आप सभी का धन्यवाद करते हैं क्योंकि आप अपना कीमती समय निकालकर यहां आए ,...खैर कुछ लोग तो सिर्फ नाश्ता करने आएं हैं, पर उनको जाने दीजिए' अंकुश ने हंसकर  कहा और भीड़ भी हंसने लगी, कुछ लोग जो हाथ में नाश्ते की प्लेट लिए हुए थे उन्होंने शर्म के मारे प्लेट नीचे रख दी।

' खैर आज जिस चीज के लिए हम इकट्ठा हुए हैं सीधा उस पर आते हैं ,तो आप सभी जानते ही होंगे कि हमारे संजय भैया इस बार चुनाव लड़ रहे हैं और वह आप सबके समक्ष आकर अपने चुनावी मुद्दे पेश करना चाहते है और बताना चाहते है की वो इस कॉलेज के लिए क्या करना चाहते हैं। तो कृपया जोरदार तालियों से उनका स्वागत करें हमारे अपने संजय भैया का...' अंकुश ने कहा और सभी लोग तालियां बजाने लगे, संजय अंकुश के पास आया और अंकुश ने हंसते हुए उसे माइक पकड़ा दिया और खुद पीछे जाकर राहुल के पास  खड़ा हो गया।

' हेल्लो...अम्म उम्म्म ' संजय ने माइक चेक करते हुए कहा जितने में कुछ लोग खड़े हो गए और हो हल्ला करके संजय को हतोत्साहित करने लगे। राहुल ने जैसे ही स्टेज से इशारा किया सब चुपचाप वापस बैठ गए।

' नमस्ते भाइयों और बहनों , आप में से ज्यादातर लोग  मुझे जानते ही होंगे, खैर  कुछ तो बहुत ही अच्छी तरीके से जानते हैं ' संजय का इशारा b3 के छात्रों की तरफ था जो मुस्कुरा रहे थे।

' आपने हमारे बारे में बहुत सारी अफवाहें  सुनी होंगी कि हम गुंडागर्दी करते हैं, लोगों के घरों में घुसकर मारपीट करते हैं पर इन सब  बातों में कितनी सच्चाई है यह यहां किसी को नहीं पता है, खैर मैं यहां अपनी सफाई देने नहीं आया हूं। जो लोग मुझे जानते हैं उन्हें अच्छी तरह से पता है भले ही मैंने पहले किसी के बहकावे में आकर कुछ गलत काम किए थे  लेकिन उसके अलावा हमने किसी के साथ कुछ नहीं किया।हमने आम कैंडिडेट की तरह चुनाव लड़ना चाहा पर किसी ने आकर हमारे साथ कुछ ऐसा किया की  हम सहन नहीं कर पाए और उसी आवेश में आकर हमने वो मारपीट की' संजय ने अंकुश की तरफ देखा फिर वापस बोलने लगा।

' हम यह भी मानते हैं कि  हमारा लिया गया वो  फैसला बहुत ही गलत था पर हमने आज तक किसी को जानबूझकर नुकसान नहीं पहुंचाया है' सभी लड़कियां संजय को शांत भाव से देख रही थी।

' खैर मुझे आपसे बस यही कहना है कि सुनी सुनाई बातों पर यकीन ना करें पहले उस बात की जड़ तक जाए ,फिर हमारे बारे में अपनी राय बनाएं' संजय ने कहा पर सभी लोग उसे ही देख रहे थे।

' अब थोड़े चुनावी मुद्दों पर बात कर लेते हैं तो सबसे पहले बात करते हैं हमारे दलित वर्ग के भाई बहनों की, तो हम सब  यह जानते ही हैं कि पिछले महीने ही हमारे मंत्री जी जयदीप बेवरा यहां पधारे थे और उन्होंने बाबासाहेब की मूर्ति का अनावरण भी किया था, और हम उनके इस फैसले से बहुत खुश भी हैं ,पर जिस चीज से हम खुश नहीं है वो इस बात से कि आपको सरे आम मूर्ख बनाया  गया और आप सब बन भी गए।'संजय ने कहा और माहौल में एकदम शांति छा गए।

' तुम कौन होते हो बे हमारे बारे में बोलने वाले ?,तुम्हें क्या पता है उन्होंने हमारे लिए क्या क्या किया है ...तुम्हे क्या पता यहां माइनॉरिटी में कैसा लगता है ?' एक लड़के ने पीछे से उठ कर कहा। जिससे लोगों के बीच खुसुर - पुसुर होने लगी।

' हां... सही कह रहे हो तुम, हम उस बात पर भी आएंगे पर, पहले जरा थोड़ा आंकड़ों की बात कर लेते हैं।क्या आप हमको बता सकते है कि इस कॉलेज में sc/st छात्रों के लिए कुल कितनी सीटों की व्यवस्था की गई है ?' संजय ने पूछा और माहौल में शांति छा गई।

' चलिए हम ही बता देते हैं' संजय ने कागज उठाया और पढ़ने लगा' तो कॉलेज के एजुकेशन केटलोग के अनुसार ,कॉलेज में sc/st  छात्र छात्राओं के लिए 820 सीटें रिजर्व की गई है,और इस कॉलेज में पड़ने वाले कुल दलित छात्र - छात्राओं की संख्या कितनी है ? 705...तो बाकी की 115 सिटे कहां गई ? जरा बता सकते है क्योंकि कॉलेज की एडमिशन रिपोर्ट में तो सारी सीटें फुल आ रही हैं।' संजय की बात सुनते ही छात्रों के होश उड़ गए।

' चलो ये भी हम ही बता देते हैं , वो आपके जो मंत्री जी आए थे ना उन्होंने आपकी सीटें, obc और जनरल कास्ट के स्टूडेंट्स को बेची है, उन्होंने हर एक सीट के बदले एक -एक लाख रुपया लिया है और उन्हीं रुपयों  से यह मूर्ति लगवाकर आपको दी हैं।पर आप लोग हमारी बात का विश्वास क्यों करेंगे ? सही है करना भी नहीं चाहीए ।इसलिए आपको सबूत भी दे देते हैं' संजय ने कहा और अंकुश  आगे आया और अपना फोन संजय को दिया।

दरअसल कल रात जो पेन ड्राइव में कॉल रिकॉर्डिंग अंकुश और संजय सुन रहे थे उन्हीं में से एक कॉल नेताजी और मंत्री जी के बीच की भी थी ।संजय ने फोन की रिकॉर्डिंग को प्ले किया और माइक के पास रख दिया ताकि सब उसे सुन सकें।

जैसे ही सबने रिकॉर्डिंग सुनी सबके होश उड़ गए ,क्योंकि जैसा संजय कह रहा था ठीक वैसे ही नेताजी और मंत्रीजी आपस ने बात कर रहे थे।  जिसमें नेता जी , मंत्री को कॉलेज में आकर भाषण देने के लिए भी कह रहे थे ताकि दलित छात्रों के वोट मिल सके और उसी रिकॉर्डिंग में मंत्रीजी ने सीटों के बदले मिले  पैसों को पार्टी फंड में कैसे डालना है वह भी बता रहे थे।

' तो अब तो आपको हमारी बात पर यकीन हुआ कि जिस मंत्री को आप मसीहा की  मान रहे हो ,उ आपका ही पैसा लेकर आपका ही काट रहा है। ' संजय ने कहा और हॉल में सन्नाटा छाया रहा।

' और हां और आप वह कह रहे थे ना कि हम माइनॉरिटी का दुख नहीं समझते, चलिए हम हमारे दलित दोस्त से बात करवा देते हैं वो आपको ज्यादा अच्छे से बता पायेगा, रोहित अाजाओ' संजय ने रोहित को बुलाते हुए कहा।

रोहित दलित है यह बात किसी को पता नहीं थी और यह जानकर सब चौंक भी गए थे। रोहित आगे आया और उसने माइक ले लिया।

' आप सबको पता नहीं होगा पर हम भी दलित वर्ग से ही आते हैं पर किसी को ऐसा आजतक लगा नहीं होगा,पर आप हमारे साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव होते नहीं देखे होंगे..ऐसा क्यों है बताइए?' रोहित ने सवाल पूछा, जिसका जवाब किसी के पास नहीं था।

' हम  बताते है, आपको ऐसा कभी नहीं लगा, क्योंकि संजय भैया हमारे साथ भी ठीक वैसा ही व्यवहार करते आए हैं जैसा ये अंकुश भैया और राहुल भैया के साथ करते हैं , उन्होंने कभी भी हमें एहसास नहीं होने दिया हम किसी नीची जाती से हैं और उ ऊंची जाती से ' रोहित ने रुक कर कहा ' सब लोग हम दलितो को वोट बैंक की तरह समझते हैं क्योंकि उन सब को पता है हम में  सबसे ज्यादा एकता है इसलिए हमारे वोट जहां भी जाते हैं इकहरे जाते हैं,.... सब को लगता है कि हम दलित लोगों को सिर्फ आरक्षण चाहिए और हमें बस हमारे कानूनी अधिकारों का फायदा उठाना आता है, पर क्या हमको बस यही चाहिए ?। बाबा साहब ने भी जब  हमारे लिए आरक्षण का अनुच्छेद  बनाया था तो यह सोचकर नहीं बनाया कि हमें समाज में एक अलग दर्जा मिले, बस यही सोचकर बनाया ताकी हम समाज की बराबरी कर सकें, हमको किसी से  ऊंचाई पर नहीं रहना है, हमको बस बराबरी चाहिए और आपको यह पता होना चाहिए कि आपको ये बराबरी कौन दिलवा सकता है।' रोहित ने कहा और माइक संजय को दे दिया।

' यह बात तो सबको पता है कि जब जब चुनाव होता है तो दलित वर्ग के लोगों को बहला-फुसलाकर अपनी तरफ किया जाता है और चुनाव होने के बाद उनको कोई नहीं पूछता । उ आदित्य और नेताजी के लोग जो आज आपको सोफे पर बिठा रहे हैं ,कल वही आपको जमीन पर बैठने को कहेंगे, जो आपको कपो में चाय दे रहे हैं, वही कल डिस्पोजल गिलास में मिलेगी और जिन थालीयो में आपको व्यंजन परोसे जा रहे हैं ,कल आपको बताया जाएगा कि आपकी हैसियत उनको साफ करने जितनी ही है ' संजय की यह बात सुनते ही सारे दलित  विद्यार्थी जैसे होश में आ गए, जैसे उन्हें ये सारी बाते पता थी , पर वो जानबुझकर इन बातो को नकार रहे थे।

'  पर हम आदित्य की तरह नहीं है जो दलितों को अपना भाई कहता है और घूमता सिर्फ ब्राह्मणों और ठाकुरों के लड़को के साथ ।हम आपसे ये नहीं कहने वाले , कि हम आपके लिए ये करेंगे,वो करेंगे। पर हम आपसे ये एक वादा कर सकते हैं कि अगर हम चुनाव जीते तो आपके साथ ठीक वैसा ही व्यवहार किया जाएगा जैसा इस कॉलेज में हर छात्र के साथ किया जाना  चाहिए , भले ही आप हम वोट दो या ना दो, हम कोई बाबा साहेब की मूर्ति नहीं लगवाने वाले , ..हम  सीधा उनके आदर्शों को व्यवहार में लाने वाले हैं' संजय ने कहा और हर एक छात्र जोश से भर गया। सबने जोरदार तालियां बजाई।

अंकुश और बाकी सब उनके  गुस्से से भरे चेहरों को देख कर समझ गए थे कि संजय ने दलित वर्ग का वोट अपने हाथ में कर लिया है।

' चलिए अब हम बताते हैं कि अगर हम चुनाव जीतेंगे तो हमारा प्रोपेगेंडा क्या रहेगा, तो सबसे पहले अगर हम चुनाव जीतते हैं तो जूनियर्स और फ्रेशर्स के लिए हम एक कमिटी बनाएंगे जिनके हेड हमारे सचिव ' अंकुश शर्मा 'होंगे ,हर क्लास से चुना हुआ एक छात्र इस कमेटी के सदस्य होंगा। जिनका काम आपकी पढ़ाई और एग्जाम से संबंधित सारी समस्याओं का समाधान करना होगा, साथ में ही प्रैक्टिकल लेब इक्विपमेंट और स्पोर्ट्स फैकल्टी का जिम्मा भी यही लेंगे और जिन - जिन सब्जेक्ट के टीचर अभी कॉलेज में नहीं है उनको भी जल्द से जल्द लगाने का प्रयास करेंगे और अगर हो सका तो अपने स्तर पर पढ़ाएंगे भी।'संजय ने कहा और पन्ना पलटा,सबने तालियां बजाई।

' अब हम बात करते हैं ' गर्लस सेक्शन' की जिसके लिए भी हम एक अलग से कमिटी बनाएंगे, जिसे हेड हमारे  दो  उप सचिव प्रतिभा चौधरी और राहुल श्रीवास्तव होंगे' हमारे कॉलेज की लड़कियों को किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या हो ,भले ही वह हॉस्टल से संबंधित, उनके आने-जाने के साधनों से संबंधित और उनकी सुरक्षा से संबंधित ,सभी कामों का जिम्मा ये लेंगे, और आपकी गोपनीयता की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं की रहेगी तो आप इन्हें बेझिझक अपनी समस्याएं बता सकते हैं' संजय ने कहा और सभी लड़कियों ने जोरदार तालियां बजाई।

' अब बात करते हैं, हमारे दलित भाई बहनों की ,जैसा कि हमने पहले भी कहा कि हम आपको हमारे बराबर रखना चाहते हैं इसलिए  वाइस - प्रेसिडेंट का पद रोहित संभालेंगे , और  अगर आपको कोई भी प्रकार की समस्या हो या अगर आपके साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव हुआ तो उसका समाधान हम खुद करेंगे' संजय ने कहा और सभी दलित छात्र छात्राओं ने तालियां बजाई।

' अब ये सारी व्यवस्था , हम तभी कर पाएंगे जब आप हम अपना सहयोग देंगे ,देखिए हम मानते हैं कि हम कोई आदर्श कैंडिडेट नहीं है , पर एक हम ही हैं  इस कॉलेज का विकास चाहते हैं। और आप लोगो का विकास चाहते हैं...... बस आज के लिए इतना ही ,यहां आने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द,  ' संजय ने कहा और सब ने जोरदार तालियां बजाई। संजय ने माइक रोहित को पकड़ा दिया और अंकुश के पास आकर खड़ा हो गया।

' बोलिए हमारा नेता कैसा हो। ' रोहित ने माइक लेकर जोर से कहा।

' संजय भैया जैसा हो।' भीड़ चीलाई।

' संजय भैया '

' जिंदाबाद '

' बाबासाहेब आंबेडकर ' रोहित ने फिर से जोर से कहा।

'  जिंदाबाद' भीड़ ने नारे दिए। और भाषण का प्रोग्राम खत्म हो गया और आज का दिन भी अब बस चुनाव में 3 दिन बचे थे।