श्रीकांत और मिलिंद सावधानी से सीढ़ियों की तरफ बढ़े। उनके साथ माधव अधिकारी भी आने लगा लेकिन श्रीकांत ने उसको रोक दिया।
“माधव, तुम यहीं रुको। हम ऊपर से जो भी आदमी नीचे भेजेंगे उन लोगों की सहायता का इंतजाम करो। फोर्स भी आने वाली होगी तो उन्हें हमारी पोजीशन के बारे में बताने के लिए कोई तो यहाँ होना चाहिए।”
“लेकिन सर मेरा स्टाफ ऊपर है और हमारे कस्टमर्स...”
“हमें सबसे पहले यहाँ पर होने वाले जान और माल के नुकसान को कम करने के बारे में सोचना है। और फिर तुम यहाँ रह कर हमारी ज्यादा मदद कर पाओगे। अपने स्टाफ़ को किसी सुरक्षित कमरे में लेकर जाओ। आलोक देसाई जब यहाँ पर आ जाये तो उसे कैमरा से...”
तभी ऊपर से गोलियाँ चलने और चीख पुकार की आवाजें आनी शुरू हो गयी। श्रीकांत और मिलिंद तेजी से ऊपर की तरफ भागे। माधव वहीं पर रुक गया और अपने स्टाफ़ को ऑफिस के पास वाले कमरे की तरफ जाने का निर्देश देने लगा जिसके बाहर लोहे की ग्रिल लगी हुई थी। गोलीबारी की आवाज सुन कर रिसेप्शन एरिया तुरंत खाली हो गया। सिर्फ़ माधव और उसके ट्रांसपोर्ट स्टाफ़ के लोग ही वहाँ पर बचे थे। उन्हें माधव ने अपनी गाड़ियाँ पार्किंग में तैयार रखने के निर्देश दिये ताकि घायल लोगों को तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल पहुँचाया जा सके।
☸☸☸
दिल्ली
राजीव जयराम के पास होटल ‘पर्ल रेसीडेंसी’ के घटनाक्रम की रिपोर्ट पहुँच चुकी थी। आतंकवादियों द्वारा मुंबई को एक बार फिर दहलाने की नापाक साजिश कामयाब होती दिखाई दे रही थी।
तभी उसके फोन पर एक कॉल आयी। कॉल उसके सर्विलेंस डिपार्टमेंट के ऑफिसर की थी। मुंबई में वो जगह ट्रेस हो गयी थी जहाँ से पिछले कुछ दिनों से सीमा पार संपर्क किया जा रहा था। उसी जगह से होटल ‘पर्ल रेसीडेंसी’ में भी बात की जा रही थी। जो आतंकवादी होटल में घुसे हुए थे, उनका हैंडलर इस वक्त मुंबई में भायखला में चंडूवाड़ी चाल में मौजूद था।
राजीव जयराम के सामने मुसीबत यह थी कि इस वक्त वह श्रीकांत को वहाँ जाने के लिए नहीं कह सकता था।
सैंकड़ों लोगों की जिंदगी और मौत की जद्दोजहद के बीच श्रीकांत, नागेश, सुधाकर और मिलिंद अपनी जान झोंके हुए थे और बात अभी मँझदार में थी। आखिरकार उसने पुलिस कमिश्नर धनंजय को फोन करने का निश्चय किया।
“यस, कमिश्नर धनंजय हियर।” फोन से आवाज आयी।
“कमिश्नर साहब। हम इस वक्त बड़ी विकट स्थिति में हैं। आप का ध्यान ‘पर्ल रेसीडेंसी’ पर है लेकिन हमारा एक परिंदा वहाँ से कुछ ही दूरी पर मुंबई में ही मौजूद है और उसे अब नहीं पकड़ा गया तो वो उड़ जाएगा।” राजीव जयराम ने जल्दी से कहा।
“कौन परिंदा?”
“उन लोगों का हैंडलर जो इस वक्त ‘पर्ल रेसीडेंसी’ में कहर बरपा रहें हैं। वह आदमी उस्मान ख़ान भी हो सकता है?”
“उस आदमी की इतनी हिमाकत? मुंबई में बैठ कर हमसे ही सौदेबाजी कर रहा है!” रॉय ने गुस्से से काँपते हुए कहा।
“यह समय हैरान और परेशान होने का नहीं है, कमिश्नर साहब। उन लोगों को दबोचने का है। नैना वहाँ पर मौजूद है ही। हमारी इंटेलिजेंस टीम के आदमी भी वहाँ पर मौजूद हैं जो टारगेट की मौजूदगी को कन्फ़र्म करेंगे। नैना को मैं इस ऑपरेशन के लिए भेजता हूँ। आप उसको असिस्ट करने के लिए मुंबई पुलिस और एटीएस की टीम भेजिये।”
“ओके। लोकेशन?”
“भायखला, चंडूवाड़ी चाल। आई होप देयर विल बी नो मैस और लीक?”
“नो, रेस्ट अश्योर्ड। आई विल बी देयर।”
इस बात के साथ ही इस वार्तालाप का पटाक्षेप हो गया।
इसके साथ ही राजीव जयराम के फोन पर मैसेज आया।
मैसेज यासिर ख़ान का था।
राजीव जयराम ने तुरंत उस मैसेज को पढ़ा।
“नीले आकाश पर बाज दिखाई दिया। शुभ लक्षण।”
राजीव जयराम के माथे पर पसीने की बूँदें दिखाई देने लगी। यह समाचार उनके लिए शुभ नहीं था।
इस सूचना का मतलब यही था कि ‘अब्दील राज़िक’ को कराची एयरपोर्ट से उतरते ही पाकिस्तानी सेना की गिरफ्त में ले लिया गया था। और पाकिस्तानी जवानों के द्वारा ले जाया गया आदमी अब्दील नहीं नीलेश पासी था, योगराज पासी का बेटा।
उसने तुरंत अभिजीत देवल को फोन किया और उसे हालात में आयी नयी पेचीदगी के बारे में बताया।
“ये सब क्या हो रहा है, राजीव। क्यों हमें जोकर बनाने पर तुले हुए हो। मैं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को इन नामाकूल हालात को जल्द काबू में करने का वादा कर के आया हूँ और तुम मुझे अब ये खबर सुना रहे हो। क्या हम किसी जासूसी नॉवल की कहानी पढ़ रहें हैं?”
“हमारी इंटेलिजेंस... ”
“भाड़ में गयी तुम्हारी इंटेलिजेंस। इंटेलिजेंस की कीमत किसी वारदात होने से पहले होती है या बाद में? तुम तो साँप निकलने के बाद लकीर दिखा कर पीट रहे हो कि यह साँप था। और ये मुंबई में क्या हो रहा है ? इतने लोगों के खून से सना ये काला दाग लेकर कम से कम मैं तो अपना नाम इतिहास में दर्ज नहीं करवा सकता। तुम्हें पता है कि हालात के किस मोड़ पर आकर खड़े हो गए हैं हम? अब उस योगराज पासी को कैसे कंट्रोल करेंगे हम लोग? इस मौके पर सरकार गिर गयी तो तुम्हें पता है सब कुछ कंट्रोल करना कितना मुश्किल हो जाएगा।” अभिजीत देवल किसी बम की तरह से फटा।
“यह मामला अब ख़तम होने ही वाला है। लगता है इस खेल में कई लोग शामिल हैं। मुझे लगता है मामला उनके हाथ से भी निकल गया है जो लोग इस खेल को खेल रहें है।” राजीव जयराम के मुँह से निकला।
“राजीव, पाकिस्तान कभी नहीं मानेगा कि उसका हाथ इसके पीछे है। इसलिए नीलेश का वहाँ होना, अगर ऐसा हुआ है तो, दुनिया के सामने कभी नहीं आएगा। तुम्हें पता है कि पहले हम कादिर मुस्तफा को छोड़ने पर विचार कर रहे थे लेकिन अब यह हमारी मजबूरी हो गयी है। वी आर फक्ड नाऊ, राजीव।” अभिजीत देवल के मुँह से अंगारे बरस रहे थे।
राजीव जयराम के मुँह से बोल न फूटा।
“अब बोलो भी कुछ। चुप क्यों हो? तुम अभी मुंबई जाओ और ये सब कचरा साफ करो। हमारी जेलों में जगह नहीं है अब इन लोगों के लिए। डोंट बर्डन अवर इकॉनमी बाय अरेस्टिंग देम। जस्ट फिनिश देम।”
इसके बाद लाइन कट गयी। कुछ समय के बाद राजीव जयराम फ्लाइट पकड़ कर मुंबई की तरफ रवाना हो गया।
☸☸☸
मुंबई
श्रीकांत ने सीढ़ियों से धीरे-धीरे ऊपर बढ़ना शुरू किया। उसके पीछे मिलिंद पूरी सतर्कता के साथ एक-एक सीढ़ी पर अपने सधे हुए पाँव रखता हुआ आगे बढ़ रहा था।
फर्स्ट फ्लोर पर वो लोग निर्विघ्न पहुँचे। गोलियाँ चलने की आवाज थर्ड फ्लोर से आ रही थी। श्रीकांत ने दो सिक्योरिटी गार्डों को फर्स्ट फ्लोर को जल्दी से खाली करवाने के लिए आदेश दिये। उनके सामने समस्या यह थी कि लोग अपने कमरे में अंदर से लॉक लगाए बैठे थे और दरवाजा खटखटाने से भी दरवाजा नहीं खोल रहे थे।
मिलिंद ने भाग कर अटेंडेंट रूम से वहाँ के फ्लोर मैनेजर और स्टाफ को ढूँढ कर बाहर निकाला और उसे समझाया कि वो लोगों को वहाँ से बाहर निकालने में गार्ड की मदद करे। श्रीकांत, मिलिंद और हथियारबंद गार्डों को देख कर उनकी हिम्मत बढ़ी और वो लोग जल्दी से लोगों को अपने अपने कमरों से बाहर निकालकर सीढ़ियों से नीचे भेजने लगे। सेकंड फ्लोर पर भी कमोबेश यही हालात थे।
उन दोनों फ्लोरों को कवर करने के बाद वे लोग तीसरे फ्लोर की तरफ बढ़े।
श्रीकांत ने अचानक मिलिंद को एक हाथ से रुकने का इशारा किया। सीढ़ियों से उसे किसी के नीचे उतरने की आवाज आ रही थी। वह सावधानी से दीवार के साथ चिपक गया। तभी ऊपर से गोली चलने की आवाज आयी। फिर ऊपर से कोई चीखा और लुड़कता हुआ सीढ़ियों पर श्रीकांत के आगे आकर गिरा।
श्रीकांत का रिवॉल्वर वाला हाथ सीधा हुआ और उसने उस व्यक्ति को, जिसने किसी ऑफिसर जैसा नीले रंग का थ्री-पीस सूट पहना हुआ था, अपने निशाने पर ले लिया।
“मुझे मत मारो। मुझे मत मारो। मैं...” वो आदमी गला फाड़कर कर चिल्लाया लेकिन उसकी आवाज ने उसका साथ नहीं दिया। उसकी आँखों से आँसू टपक रहे थे और उसने बेबसी में श्रीकांत के सामने अपने हाथ जोड़ दिये। श्रीकांत का हाथ कुछ ढीला हुआ कि तभी एक गोली उस आदमी के कंधे को छीलती हुई प्लास्टर में धँस गयी। वह आदमी किसी परिंदे की तरह फड़फड़ाया और श्रीकांत की परवाह न करते हुए उठ खड़ा हुआ और नीचे की तरफ भागा।
मिलिंद ने उसे दबोच लिया लेकिन वह आदमी उसकी पकड़ में इस तरह से तड़पा जैसे मौत से बहुत दूर निकल जाना चाहता था। वह मिलिंद के कब्जे में बुरी तरह से कसमसाया। उसने अपना आई-कार्ड निकाल कर मिलिंद को दिखाया लेकिन उत्कंठा के मारे उसके गले से बोल नहीं फूटा।
“शांत हो जाओ। मुंबई पुलिस। कोई नहीं मारेगा तुम्हें।” मिलिंद ने उससे फुसफुसाते हुए कहा।
तभी किसी के आने की आहट नजदीक आती जा रही थी। कोई आदमी अब सीढ़ियों के अगले मुहाने पर दम साधे खड़ा था और श्रीकांत के सीढ़ियों में आने की इंतजार कर रहा था।
“इसे जाने दो। हमारे पास इस समय इससे पूछताछ का कोई टाइम नहीं है।” श्रीकांत ने धीरे से बोला।
मिलिंद ने जल्दी से उसकी तलाशी ली। उसके पास कोई हथियार नहीं था और उसकी साँसे जैसे उखड़ रही थी। उसके कंधे से खून के निशान दिखाई देने शुरू हो गए थे। मिलिंद ने उसे नीचे जाने का इशारा किया। वो कमान से निकले तीर की तरह नीचे की तरफ भागा।
वे लोग आगे बढ़े लेकिन सीढ़ियों पर उन्हें कोई नहीं मिला। थर्ड फ्लोर का कॉरिडॉर खाली पड़ा था। जो कोई भी सीढ़ियों पर था, वो वहाँ से हट चुका था। उस फ्लोर के दोनों तरफ के कमरों के दरवाजे बंद पड़े थे। अब उनके सामने दुविधा यह थी कि वह फोर्थ फ्लोर पर जाएँ या वहाँ के हरेक कमरे को टटोलें। यह बड़ा मुश्किल काम था। न जाने किस कमरे के अंदर आतंकवादी छुपे हुए हों।
तभी श्रीकांत के फोन में हरकत हुई। माधव अधिकारी फोन पर था। शायद और फोर्स आ गयी थी।
“यस? माधव?” श्रीकांत ने फोन पर कहा।
“थर्ड फ्लोर पर रूम नंबर तीन सौ बीस में मैंने दो आतंकवादियों को कुछ लोगों को गनपॉइंट पर ले जाते हुए देखा है। वो दो बेडरूम का सुइट है। वे आतंकवादी लोग बस कुछ ही कमरों के दरवाजे तोड़ पाये हैं। आपकी तरकीब काम कर गयी है। बहुत से लोग अपने कमरों में सुरक्षित हैं।” माधव की फोन पर आवाज आयी।
“इसका मतलब रूम नंबर तीन सौ बीस में कई लोग होस्टेज़ हो सकते हैं। फोर्थ फ्लोर पर क्या पोजीशन है?” श्रीकांत ने पूछा।
“इन लोगों ने वहाँ कमरों के दरवाजे तोड़ने की कोशिश तो की है लेकिन वक्त पर दी गयी हमारी चेतावनी की वजह से ये ज्यादा नुकसान नहीं कर पाये हैं।” माधव ने बताया।
“ओके। हम अब रूम नंबर तीन सौ बीस की तरफ जा रहें हैं। ओवर एंड आउट।” कह कर श्रीकांत ने फोन काट दिया।
“क्या हुआ?” मिलिंद ने पूछा।
श्रीकांत ने उसे कमरा नंबर तीन सौ बीस के बारे में बताया।
“उस कमरे में जाने का सीधा मतलब है कि जिन लोगों को वो लोग अंदर लेकर गए हैं, उन सब को मौत के हवाले करना।” मिलिंद बोला।
“वो बात तो अब भी हैं। हम यहाँ पर भी तो नहीं बैठ सकते। हमारे पास अभी कोई स्मोक-बॉम्ब भी नहीं है जिससे उन लोगों को बाहर निकाला जा सके।” श्रीकांत ने जैसे अपने आप से कहा।
तभी उसकी निगाह कॉरीडोर में लगे हुए आग बुझाने वाले सिलेंडरों पर पड़ी। उसके मन में एक विचार कौंधा।
“हमारे पास हथियार कम हैं लेकिन यह बात हम जानते हैं। लेकिन उन लोगों को तो इस बात का पता नहीं है। जिस तरह से नीचे स्टाफ अटेंडेंट के लिए एक कमरा था वैसा ही इस फ्लोर पर भी लिफ्ट के पास वैसा ही कमरा होगा। मिलिंद, तुम एक सिक्योरिटी गार्ड को लेकर उस कमरे तक जाओ और उसे खुलवा कर अपनी पोजीशन लो। मैं इन सिलेंडरों को निशाना बनाता हूँ। इससे ज्यादा नुकसान तो नहीं होगा लेकिन कुछ समय तक हम लोग उन्हें कन्फ़्यूजन में डाल सकते हैं।” सुधाकर ने मिलिंद से कहा।
“अगर सिलेंडर ना फटे तो।” मिलिंद ने शक जाहिर किया।
“अपने साथ ये दोनों चैम्पियन हैं। गार्ड्स, तुम दोनों का यही जिम्मा है कि तुमने इन सिलेंडरों को निशाना बनाना है। पहले तुम्हारी तरफ के, जिससे वो भाग कर मेरी तरफ आएँ ताकि धुएँ के पीछे से वो लोग तुम्हें न देख पाएँ। इससे हमारा विजन क्लियर होगा और हम उन पर आसानी से निशाना साध सकेंगे। तुम लोग समझ गए।” श्रीकांत ने गार्डों को समझाया।
दोनों सिक्योरिटी वालों ने सहमति से सिर हिलाया।
मिलिंद एक सिक्योरिटी गार्ड के साथ दबे पाँव कॉरीडोर से होता हुआ अटेंडेंट रूम तक पहुँचा। किस्मत से वह खुला हुआ था। वे दोनों उसमें घुस गए।
श्रीकांत दम साधे हुए उनके उस रूम तक पहुँचने का इंतजार कर रहा था। वह जानता था कि ऐसा करके वह उन सब की जिंदगी को दाँव पर लगाने वाला था लेकिन इसके सिवा उसके पास कोई चारा भी नहीं था।
उसने एक आग बुझाने वाले सिलेंडर की तरफ निशाना लगाया जो किस्मत से वही करने में कामयाब हुआ जो उसने सोचा था।
एक धमाका हुआ और कॉरीडोर धुएँ से भर गया।
☸☸☸
0 Comments