अपनी मौत पर तत्काल शोर-शराबा न करना। बहरहाल, आत्महत्या को हत्या बनाने का टाइम तो मिलना ही चाहिए दिव्या और देवांश को। मुझे यकीन है --- बीमा कम्पनी से पांच करोड़ ऐंठने के फेर में वे मेरी सुसाइड को मर्डर साबित करने के जाल में जरूर उलझेंगे । इतना ही यकीन इस बात पर भी है कि मेरे हत्यारे के रूप में पेश करने के लिए उनके दिमाग में बबलू के अलावा कोई दूसरा नाम नहीं आ सकता। कारण - - - वे बबलू से बेइंतिहा नफरत करते हैं और पहले से ही यह मान बैठे हैं वह किसी दिन लॉकर पर हाथ साफ जरूर करेगा मगर, अभी वे ढंग से कुछ सोच भी नहीं पाये होंगे कि कमरे की तरफ से बंद बाथरूम को कोई बहुत आहिस्ता से खटखटायेगा। होश उड़ जायेंगे पट्ठों के । यही तो चाहता हूं मैं। खटखटाने वाला इंस्पेक्टर ठकरियाल होगा । कारण - - - मैं पहले ही फोन कर चुका होऊंगा कि ठीक एक बजे उसे चोरों की तरह बाथरूम के रास्ते से मेरे पास पहुंचना है। वह पहुंचेगा - - - इस बात का विश्वास मुझे इसलिए है क्योंकि जानता हूं--- पैसे का बहुत बड़ा लालची है वह । ठकरियाल दरअसल मेरा तीसरा शिकार है। उसे लालच के जाल में फंसाने के लिए मैं बाथरूम में पांच लाख रुपये

और एक लेटर छोड़ दूंगा | तब तक वह यह नहीं जान पायेगा मैं मर चुका हूं। जाहिर है --- फीस के एवज में वह वही करेगा जो मैं लेटर में लिखूंगा | लेटर में लिखे मुताबिक वह विला के मेनगेट पर पहुंचकर कॉलबेल बजायेगा। मारे हड़बड़ाहट के दिव्या और देवांश का बुरा हाल हो जायेगा - स्वाभाविक है --- उस कम समय में वे जितना भी कर सकेंगे, घटनास्थल में ऐसी फेर बदल जरूर करेंगे जिससे आत्महत्या ---हत्या नजर आये। वे यह भी चाहेंगे --- बैल बजाने वाला अंदर न ही आये, उन्हें सोता समझकर लौट जाये, परन्तु ठकरियाल ऐसा नहीं करेगा । लेटर में लिखे मेरे निर्देश के मुताबिक वह तब तक बैल बजाता रहेगा जब तक दरवाजा खुल नहीं जायेगा । मजबूर दिव्या और देवांश को दरवाजा खालreles दरवाजा खोलते ही होश । फाख्ता हो जायेंगे पट्ठों के। अफसोस, उस वक्त उनके पीले चेहरे देखने के लिए मैं जीवित नहीं होऊंगा । मगर जहां भी होऊंगा, सच कहता हूं अखिलेश --- सुकून महसूस कर रहा होऊंगा । अंदर मेरी लाश पड़ी होगी। दरवाजे पर पुलिस इंस्पेक्टर खड़ा होगा । मैं कल्पना कर सकता हूं उनकी हालत की । ठकरियाल उन्हें जिन्न नजर आ रहा होगा। स्वाभाविक रूप से उनकी कोशिश होगी ठकरियाल मेरे बैडरूम में न पहुंच सके ताकि सुबह तक अपने प्लान को अमल में लाने का समय मिल जाये मगर, मैंने भी ठान ली है, मर भले ही चुका होऊंगा लेकिन चैन से एक भी सांस नहीं लेने दूंगा उन्हें । इसीलिए राजदान को बाथरूम से मिले लेटर में यह

निर्देश होगा----‘भले ही दिव्या और देवांश तुम्हें रोकने की चाहे जितनी कोशिश करें, चाहे जितने बहाने बनायें परन्तु

तुम्हें वहां पहुंचना है क्योंकि जिस सोफे पर मैं विराजमान होऊंगा, उसके पीछे से तुम्हें एक पैकिट मिलेगा जिसमें कुछ नई जानकारियां और आगे के लिए निर्देश होंगे। यह सब में लिखूंगा ही इसलिए ताकि वहां पहुंचने के लिए ठकरियाल की क्यूरोसिटी बढ़ जाये । तो तय है ---ठकरियाल वैडरूम में पहुंचेगा। वह एक भ्रष्ट पुलिसिया भले ही हो किन्तु जिस ढंग से उसने समय से पहले विचित्रा, शांतिबाई और देवांश के कुचक्र को पकड़ा, उसकी रोशनी में कह सकता हूं- -वह एक ब्रिलियेंट इन्वेस्टीगेटर है। दिव्या और देवांश भले ही चाहे जितनी चालाकियां बरत चुके हों मगर घटनास्थल पहुंचने और वहां का निरीक्षण करने के बाद वह यकीनन बहुत कुछ समझ जायेगा | उसके सवाल पूरे समय दिव्या और देवांश के चेहरों पर हवाइयां उड़ाये रखेंगे। यही मेरा मकसद है। रही-सही बातें ठकरियाल मेरा दूसरा लेटर समझा देगा। केसिट में मेरे ठहाका लगा- लगाकर हंसने और दिव्या तथा देवांश से सम्बोधित कुछ शब्द होंगे। ठकरियाल मेरे निर्देशों का पालन करेगा। इसका विश्वास मुझे दो कारणों से है। पहला - - - मेरे पांच लाख हलाल करने में उसे कोई बुराई नजर नहीं आ रही होगी। दूसरा --- खुद उसके जेहन में भी चक्कर को समझने की क्यूरोसिटी पैदा हो चुकी होगी। यहां के बाद आयेगी वह स्थिति जहां से ठकरियाल का दिमाग पलटा खायेगा । यह स्थिति तब आयेगी जब ठकरियाल को पता लगेगा ---इस सारे झमेले के पीछे पांच करोड़ का चक्कर है। मैं अच्छी तरह जानता हूं । ठकरियाल एक निहायत की लालची किस्म का शख्स है। किसी हालत में वह खुद को पांच करोड़ या उसके किसी एक हिस्से को हासिल करने के लालच से दूर नहीं रख पायेगा । तुम भी सोचो अखिलेश, जिस शख्स ने दिल से यह मानने के बावजूद कि उसने मेरे जैसा भाई दुनिया में पहले कभी नहीं देखा, देवांश को गिरफ्तार न करने के पचास लाख ले लिये । क्या वह शख्स केवल इसलिए पांच करोड़ का लालच छोड़ देगा कि मैंने दिव्या और देवांश को गिरफ्तार करने के लिए पांच लाख दिये हैं? । Mahaहरगिज ऐसा नहीं करेगा वह इतनी । नैतिकता उसमें दूर-दूर तक नहीं है। दूसरी तरफ --- पांच करोड़ या उसका एक हिस्सा हथिया लेना उसे सूजी का हलवा खा लेने जितना आसान नजर आ रहा होगा क्योंकि खुद वही तो होगा उस सारे केस का विवेचनाधिकारी । नहीं - - - वह किसी हालत में हाथ आये इतने सुनहरे मौके को गंवाना नहीं चाहेगा। यहां मैं ठकरियाल को इस झमेले में फंसने के एक मुख्य कारण का जिक्र जरूर करना चाहूंगा । असल में देवांश ने पहले विचित्रा के और बाद में दिव्या के फेर में पड़कर मेरे मर्डर की कोशिश भले ही की हो । भले ही आर्थिक हालात ने उसे पांच करोड़ कमाने के लालच में फंसाया हो मगर दिल उसका चूहे जैसा है, बेहद डरपोक है वह । और... दिव्या भी कोई बहुत बहादुर नहीं है। भले ही हालात ने इनसे घिनौनी से घिनौनी हरकतें करा दी हों परन्तु घाघ क्रिमिनल तो ये हैं नहीं । सो, मुझे डाउट है--- ये टकरियाल के प्रेशर के समक्ष टूट सकते हैं। घुटने टेक सकते हैं उसके सामने। फैसला कर सकते हैं कि बस ! बहुत हो चुका। अब जेल जाने में ही भलाई है। मैं नहीं चाहता उनका यह इरादा परवान चढ़े। ऐसा हो गया तो सारा प्लान ही बिखर जायेगा मेरा | मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। इसीलिए ठकरियाल को झमेले में फंसाया है । वह घुटा हुआ है। घाघ है। छोटे-मोटे झटकों से विचलित होने वाला नहीं है। दिव्या और देवांश अगर उस मानसिक स्थिति में आये भी जिसका जिक्र ऊपर क चुका हूं तो तब तक ठकरियाल को बीमा कम्पनी से रकम ऐंठना चुटकी बजाने जितना आसान नजर आना शुरू हो चुका होगा। उन हालात में कमान वह खुद संभाल लेगा । किसी हालत में सरेंडर नहीं करने देगा। दिव्या और देवांश को अर्थात् मेरा प्लान पुनः उसी पटरी पर दौड़ पड़ेगा जिस पर मैं दौड़ाना चाहता हूं। तब... ठकरियाल उससे पूछेगा --- 'हत्या के इल्जाम में तुम किसे और कैसे फंसाना चाहते थे?” वे बतायेंगे। क्योंकि बुनियादी बात --- यानी --- शिकार के रूप में बबलू को पेश करने की बात बिल्कुल करेक्ट होगी इसलिए ठकरियाल को भी जंचेगी । उसी प्लान को अंजाम देगा वह । हां, यह हो सकता है --- वह

बबलू को फंसाने के लिए दिव्या और देवांश के मुकाबले कुछ ज्यादा ही ठोस सुबूत बिछाये मगर इससे मेरे प्लान पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बल्कि और मजबूती ही आयेगी क्योंकि मैं तो खुद चाहता हूं--- इस स्पॉट पर उन्हें अपना प्लान कामयाब होता नजर आये । इसके लिए मैं आज ही रात बबलू को अपने बाथरूम में बुलाऊंगा। अपना खून पिचकारी में भरकर उसके कपड़ों पर डालूंगा । वह चौंकेगा। समझ नहीं पायेगा मेरी हरकत को । अनेक सवाल करेगा मगर मैं केवल 1 इतना कहूंगा--- अपने दुश्मनों को मजा चखाने के लिए ऐसा कर रहा हूं। जानता हूं... बगैर पूरी बात जाने भी बबलू वही करेगा जो मैं कहूंगा। मेरे खून से सने कपड़ों को ले जाकर वह अपने बैड के गद्दे के नीचे रख देगा। सब कुछ क्लियर होने के बाद दिव्या, देवांश और ठकरियाल के बीच फैसला होगा --- 'अब बबलू को फंसाने की कार्यवाई की जाये ।' तब तक मेरा एक आदमी जिसका नाम समरपाल है, बैडरूम के आस-पास पहुंच चुका होगा। छुपकर वह यह सुन लेगा कि वे लोग बबलू को फंसाने के लिए क्या प्रपंच रच रहे हैं। ”


“समरपाल कौन है ?” अवतार ने पूछा ।


“राजदान का विश्वस्त । उसकी फर्म का चीफ एकाउन्टे।”


“ओ. के. ।” अवतार ने कहा--- "आगे बढ़ ! "


अखिलेश ने पुनः कहना शुरू किया --- “राजदान आगे लिखता है---देवांश का मोबाइल यह कहकर बबलू को दे

दूंगा कि मैं उस पर किसी भी समय तुमसे कान्टेक्ट कर सकता हूं। और मेरा मोबाइल समरपाल पर रहेगा । उसका काम होगा - - - इन लोगों का पूरा प्लान मेरी आवाज में बबलू को बताना और यह निर्देश देना कि वह वही सब करता चला जाये जो दिव्या, देवांश और ठकरियाल चाहें। समरपाल मेरी आवाज की नकल बाखूबी कर सकता है। वह फोन पर बबलू को और भी बहुत सारी बातें समझायेगा जो उसे थाने से फरार होने तक तक करनी हैं। यहां मैं तुझे यह बता देना जरूरी समझता हूं बबलू जो भी कर रहा होगा यह समझकर कर रहा होगा कि चाचू जिंदा हैं। मरने वाला चाचू का क्लोन है जो एक स्टेज आर्टिस्ट बबलू को हकीकत बता था । यदि दी गई तो मारे सदमे के उसका बुरा हाल हो जायेगा और उससे वह काम नहीं लिया जा सकेगा जो लेना है। जिसके बगैर प्लान आगे बढ़ ही नहीं सकता। दिव्या, देवांश और ठकरियाल का प्लान चाहे जो बने मगर बबलू को फंसाने के लिए कम से कम मेरा रिवाल्वर और लॉकर के जेवरात उसके कमरे में पहुंचाने उनके लिए जरूरी होंगे ताकि पुलिस कार्यवाई के दरम्यान बाद में उन्हें वहां से बरामद दिखाकर बबलू को पुख्ता ढंग से फंसाया जा सके। ये दोनों चीजें देवांश या ठकरियाल में से कोई बबलू के फ्लैट में पहुंचाने की कोशिश करेगा । यह कोशिश बबलू के कमरे की खिड़की के माध्यम से की जायेगी--- इस बात का दावा मैं इसलिए कर सकता हूं क्योंकि दिव्या जानती है बबलू को खिड़की खोलकर सोने की आदत है। ऐसे मौकों पर आदमी अपनी जानकारियों का ही इस्तेमाल करता है। और... इमारत के टैरेस पर होगा समरपाल । उसे मैं निर्देश दूंगा--- तुम्हें बबलू के कमरे में पहुंचने वाले शख्स की फोटो तब खींचना है जब वह अपना काम करने के बाद वापस लौट रहा हो। इस निर्देश के दो उद्देश्य होंगे। पहला- - - मैं चाहता हूं देवांश या ठकरियाल अपने काम को पूरी शांति के साथ अंजाम देने में कामयाब हो । यदि पहले फोटो खींचा गया तो मुमकिन है मारे दहशत के वह काम को अंजाम ही न दे पाये। ऐसा हुआ तो मेरा खींचने का निर्देश ohin आगे नहीं बढ़ पायेगा । और... फोटो खींचने का निर्देश इसलिए दूंगा जिससे उसके होश फाख्ता हो जायें। उसी के नहीं, उसकी बातें सुनकर बाकी दो के भी पैरों तले से जमीन खिसक जाये । शायद बार-बार लिखने की आवश्यकता नहीं है, मैं नहीं चाहता मेरे मरने के बाद वे चैन की एक भी सांस ले सकें। मुमकिन है, फोटो वाली घटना के बाद दिव्या और देवांश एक बार फिर घबराकर विचलित हों परन्तु मुझे पता है----ठकरियाल उन्हें सरेण्डर नहीं करने देगा। उसके बाद, अगले दिन सुबह बबलू को गिरफ्तार किया जायेगा। यहां मैं ऐसा जाल बिछा दूंगा कि दिव्या, देवांश और ठकरियाल की बुद्धियां तिगनी का नाच नाच जायेंगी। बबलू को फंसाने के लिए उन्होंने उसके कमरे में जो सुबूत प्लान्ट किये होंगे उनके अलावा भी मेरे खून से सने बबलू के कपड़ों के रूप में ऐसा एक और बेहद पुख्ता सुबूत बरामद होगा जिससे वह मेरा हत्यारा साबित हो जायेगा। इतना ही नहीं, खुद बबलू कहेगा --- हां, ज्वेलरी की खातिर मैंने ही चाचू की हत्या की है। पूरी कहानी सुनायेगा वह । वह कहानी जो समरपाल मेरी आवाज में उसे मोबाइल पर समझा चुका होगा। एक बार फिर मैं यह सोच-सोचकर रोमांचित हुआ जा रहा हूं हुआ जा रहा हूं उस वक्त क्या हालत होगी इन तीनों की जब बबलू इकबाले जुर्म कर रहा होगा। कुछ भी तो समझ में नहीं आ रहा होगा कमीनों के । ऐसी ही... कदम-कदम पर ऐसी ही सजाएं देना चाहता हूं मैं इन्हें । ऐसी सजाएं कि अपना हर सांस इन्हें बोझ नजर आने लगे । इनकी ऐसी ही हालत मेरा वह लेटर भी करेगा जो इन्हें बाकायदा रजिस्टर्ड डाक से मिलेगा । उसमें लिखा होगा --- 'अगर तुमने मेरी हत्या के इल्जाम में बबलू को फंसाया है तो अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल कर चुके हो ।' उधर बबलू को निर्देश होंगे--- जब वे पूछें, तुम्हारे कमरे में राजदान के खून से सने कपड़े कहां से आ गये? क्यों कर रहे हो झूठा इकबाले जुर्म ? तब वह, सारी हकीकत खुलकर बता दे जो वह जानता होगा। ऐसे निर्देश मैं बबलू को इसलिए दिलवाऊंगा ताकि उसकी ताजा स्वीकृति 'तीनों' के दिमाग के फ्यूज ही उड़ा डाले । एक बार को तो यह बात उनके दिमाग पर चढ़े भूत की तरह नाचेगी कि राजदान जीवित है, मरने वाला उसका क्लोन था । कभी इस बात को सच मानेंगे तो कभी मेरे द्वारा फैलाया गया झूठ का जाल।


फैसला नहीं कर पायेंगे सच्चाई क्या है? हर कदम पर खड़ा नया सवाल, नई मुसीबतें उन्हें चैन से नहीं जाने देंगी। उनकी बेचैनी, उनकी व्यग्रतायें उन्हें बवलू को टार्चर करने के लिए मजबूर करेंगी मगर तब, वहां पहुंचेगा मानवाधिकार द्वारा नियुक्त किया हुआ वकीलचंद । उसका पार्ट मैं यह लेटर लिखने से पहले ही उसे समझा चुका हूं। वकीलचंद बबलृ को टॉर्चर नहीं होने देगा | देवांश वाला मोबाइल बबलू उन्हें बरामद करा ही चुका होगा। समरपाल मेरी आवाज में उनसे बात करेगा। एक बार फिर होश उड़ जायेंगे उनके। मैंने समरपाल को एक बड़ा सा पैकेट दिया है। पैकेट में स्केल की चौड़ाई के बराबर काली- सफेद पट्टियों वाला एक गाऊन, मेरे ब्राण्ड के सिगार की एक डिब्बी, म्यूजिकल लाइटर, वह साबुन, परफ्यूम और आफ्टर शेव लोशन जैसी चीजें हैं जिन्हें मैं इस्तेमाल किया करता हूं। साथ ही है--- विग सहित मेरे चेहरे का फेसमास्क । इसे मैंने एक बहुत ही निखरे हुए कारीगर से तैयार कराया है। इन सबकी मदद से राजदान बनकर उसे सबसे पहले बबलू के मां-बाप से मिलना है क्योंकि बबलू की गिरफ्तारी सबसे ज्यादा उन्हीं को साल रही होगी। बबलू की एक गर्ल फ्रैन्ड है--- स्वीटी | जितना बबलू को पता होगा उतना ही उसे भी पता होगा । वह बबलू के मां-बाप को असलियत समझाने की कोशिश करेगी। मगर मैं समझ सकता हूं--- इतनी छोटी बच्ची की बातों पर वे विश्वास नहीं कर पायेंगे । इसलिए समरपाल को पहुंचना है वहां । उन्हें यकीन दिलाना है कि वह राजदान ही है और इसलिए राजदान की हत्या के इल्जाम में फंसे बबलू को कोई खतरा नहीं है। समरपाल उन्हें न केवल यह विश्वास दिलायेगा कि बबलू खतरे से बाहर है, जो वह कर रहा है राजदान के प्लान के मुताबिक कर रहा है। बल्कि स्वीटी सहित उन्हें अण्डरग्राउण्ड भी कर देगा क्योंकि बहुत जल्द ही ठकरियाल को उनकी तलाश होगी। अब तू पूछेगा --- ठकरियाल को उनकी तलाश क्यों होगी? जवाब में समरपाल का इण्टरकाम सुन - स्वीटी, सत्यप्रकाश और सुजाता बहन को अण्डरग्राउण्ड करने के बाद उसे मेरे ही रूप में रामोतार नामक एक पुलिसिए से मिलना है । यह ठकरियाल का मुंहचढ़ा हवलदार है । सौदा चाहे कितने में पटे । उसके द्वारा बबलू को हवालात से फरार कराना है। बबलू की फरारी के बाद, तू समझ सकता है ---ठकरियाल के पास बबलू पर दबाव बनाने के लिए एक ही रास्ता होगा--- उसके मां-बाप और स्वीटी को उठा लेना । उसका यह मंसूबा परवान न चढ़े इसीलिए समरपाल उन्हें अण्डरग्राउण्ड कर देगा।'


यहां मैं यह समझा देना भी जरूरी समझता हूं--- जिस वक्त समरपाल के निर्देशों के मुताबिक रामोतार बबलू को फरार करने के मिशन पर काम कर रहा होगा, उस वक्त वकीलचंद भी हवालात में होगा। समरपाल रामोतार को क्लोरोफार्म की एक शीशी देगा और कहेगा---काम करने से पहले इसके जरिए वकीलचंद को बेहोश करना जरूरी है ।


थाने से निकलते ही बबलू को राजदान बना समरपाल मिल जायेगा। वहां से वह उसे वहां ले जायेगा जहां उसने सत्यप्रकाश, सुजाता और स्वीटी को छुपा रखा होगा। उन सबको वहीं छोड़कर मेरे निर्देशों के मुताबिक समरपाल विला में पहुंचेगा। किचन लॉन और विला में उत्पात मचा देना है उसे । डरा-डराकर बेहाल कर देना है दिव्या और देवांश को । इतना ज्यादा कि उन्हें राजदान के जीवित होने का भ्रम होने लगे । अपने हर तरफ उन्हें मैं ही मैं नजर आऊं। एहसास तो हो कमजफ को कि उन्होंने कितना घिनौना काम किया है। कम से कम समरपाल को मैं यह समझाने की जरूरत महसूस नहीं करता कि यह सब कैसे करना है । वह सक्षम है । समझदार है। जानता हूं--- हालात के मुताबिक वह ड्रामे को शानदार ढंग से अंजाम दे लेगा। बस उद्देश्य समझा दिया है अपना ---त्राहि-त्राहि कर उठें ये जलील । जो प्लान मैंने बनाया है, उसके मुताबिक -- जिस रात इधर ये सब चल रहा होगा उसी रात जब ठकरियाल अपने फ्लैट पर पहुंचेगा तो उसका स्वागत मेरी आवाज की एक ऑडियो कैसिट करेगी। अपनी मेज की दराज से उसे मेरा लेटर मिलेगा । वह लेटर - जो उस मौके को ध्यान में रखकर मैं लिख चुका हूं। वहां होने वाले सारे ड्रामे को समरपाल पहले ही प्लांट कर चुका होगा । एक बार फिर इस ड्रामे के दो उद्देश्य होंगे। पहला- - - ठकरियाल को पुनः इस उलझन में फंसा देना, राजदान जीवित है या नहीं। दूसरा उसी वक्त उल्टे पांव ठकरियाल को वापस थाने भेजना | लेटर में लिखा होगा--- जिस वक्त तुम ये लेटर पढ़ रहे हो उस वक्त थाने से बबलू को फरार करने की प्रक्रिया चल रही है।' यह पढ़ते ही वह थाने फोन करने की कोशिश करेगा। मगर कर नहीं पायेगा। क्योंकि समरपाल पहले ही उसका तार तोड़ चुका होगा। उसे उसी वक्त थाने पहुंचाने के पीछे पुनः मेरे दो उद्देश्य हैं। पहला--- उसे आराम न करने देना। दूसरा --- उसके हाथों रामोतार की गिरफ्तारी । यह गिरफ्तारी मैं इसलिए चाहता हूं ताकि रामोतार सार्वजनिक रूप से राजदान के जीवित होने का बयान दे और बीमा कम्पनी के लोग अगर क्लेम का पैसा दिव्या को देने के बारे में सोच रहे हों तो भटक जायें।”


अखिलेश ने जब ऐसा कहा तो ठकरियाल के होठों पर मुस्कान फैल गई ।


यह मुस्कान यह सोचकर फैली थी कि कम से कम कहीं तो वह राजदान की सोचों से अलग काम कर सका । रामोतार को गिरफ्तार न करने के अपने फैसले पर मुस्करा उठा वह ।


अखिलेश कहता चला जा रहा था - -- “मगर ऐसा हुआ नहीं। ठकरियाल ने रामोतार को गिरफ्तार नहीं किया । एक ही कारण हो सकता है---राजदान की उम्मीद के मुताबिक ठकरियाल रामोतार को ताड़ ही नहीं सका। यहां के बाद राजदान ने लिखा है --- 'अखिलेश, तेरा काम यहीं से शुरू होता है। तेरा मुख्य काम है --- मेरे बिखरे हुए सभी मोहरों को जोड़कर एक प्लेटफार्म पर लाना। सबसे पहले तुझे भट्टाचार्य के घर पहुंचकर उससे मिलना है । वकीलचंद को भी मैंने वहीं पहुंचने के लिए कहा है। इस तरह उस रात तुम तीनों वहां मिलोगे । भट्टाचार्य और वकीलचंद के दिमागों में बहुत सारे सवाल होंगे। तुझे उनके सभी सवालों के जवाब खुद-ब-खुद मिल जायेंगे। मेरे निर्देशों के मुताबिक अगली सुबह समरपाल भी वहां पहुंच जायेगा। इसके बाद का मिशन तुम सब एक-दूसरे को विश्वास में लेकर पूरा करोगे । संभवतः उसी दिन मेरी लाश पोस्टमार्टम से मिलेगी। अंतिम संस्कार किया जायेगा। इससे पहले ही तुझे विला में पहुंचना है। उन्हें वह लेटर दिखाना है जिसके मुताबिक मैंने तुझे अपनी हत्या की इन्वेस्टीगेशन के लिए नियुक्त किया होगा । इस आशय का लेटर इस लेटर के साथ मैं तुझे अलग से भेज रहा हूं। उस लेटर को पढ़कर और तेरे बारे में जानकर एक बार फिर उनके हाथों के तोते उड़ जायेंगे । अब कदम-कदम पर यह शंका दीमक बनकर उनके दिमागों को कचोटना शुरू कर देगी कि जाने किस पल हकीकत तक पहुंच जाये | जाने कब बबलू को बेगुनाह साबित करके उन्हें सूली का रास्ता दिखा दे । ऐसी शंकाएं आदमी को खोखला कर डालती हैं और यही मैं चाहता हूं---अंदर से खोखले होते चले जायें वे | तेरा टैरर उनके सिर पर भय का भूत बनकर नाचे । जरा ध्यान से पढ़ उस लेटर को जो तुझे उन्हें दिखाना है। उसमें कहीं भी मैंने आत्महत्या का जिक्र नहीं किया है। उसे पढ़कर उन्हें लगेगा मैं तेरे जरिए उन्हें अपनी मैं हत्या के इल्जाम में फंसाना चाहता हूं। एक बार फिर बुरी तरह उलझ कर रह जायेंगे वे। समझ नहीं पायेंगे --- मैं खुद को जीवित साबित करके बीमा कम्पनी के रुपये को रोक देने के मिशन पर काम कर रहा हूं या उन्हें अपनी हत्या के इल्जाम में फंसाने के? दुश्मन को अगर इस किस्म की उलझनों में फंसा दिया जाये तो वह ठीक से सोच नहीं पाता अपने हक में करे तो करे क्या? दूसरी तरफ यह सवाल भी उनके दिमागों को कचोट रहा होगा---'जब खुद हमारे पास राजदान के ऐसे कई लेटर्स हैं जिनके मुताबिक उसने सुसाइड की है तो अखिलेश भला हमें हत्या के जुर्म में कैसे फंसा सकता है?” मेरा उद्देश्य उन्हें इसी किस्म के ऊटपटांग सवालों में उलझाये रखना है। एक और खास बात --- मैं नहीं जानता तुझे किसी किस्म के नशे की लत है या नहीं? मगर, उन तीनों से मुलाकात के वक्त तुझे यह दर्शाना है कि तू सिगरेट में सुल्फा भरकर पीता है । "


अवतार कह उठा--- "इसका क्या मतलब?”


“फिलहाल सुनता रह, स्टोरी के एण्ड में खुद-ब-खुद समझ जायेगा।" रहस्यमय मुस्कान के साथ अखिलेश कहता चला गया "इस वक्त बस इतना ही कह सकता हूं. राजदान ने लेटर चाहे जितना लम्बा लिखा हो मगर फालतू एक भी बात नहीं लिखी। मुझे 'सुल्फई भाई होने का निर्देश देने के बाद उसने लिखा है --- उसी रात राजदान के रूप में समरपाल को फिर विला जाना है। अगर तब तक दिव्या और देवांश इस नतीजे पर पहुंच चुके हों कि पिछली रात उन्हें डराने की कोशिश करने वाला राजदान नहीं, उसका क्लोन था तो समरपाल नये सिरे से उन्हें यह विश्वास दिला देगा कि वह क्लोन नहीं, राजदान ही है। वहां क्या करना है, कैसे करना है --- यह समरपाल की हैडेक है मगर उद्देश्य होना चाहिए --- दिव्या और देवांश के बीच दरार पैदा कर देना । अविश्वास की ऐसी खाई खोद देना जिसमें गिरकर अंततः गर्क हो जायें । "


“ और वही समरपाल रात वहां करके आया है।" भट्टाचार्य ने कहा ।


“वह भी करके आया है और तारों भरी रात में चिलचिलाती धूप वाली दोपहर का एहसास भी कराकर आया है उन्हें । " 


“इसका क्या मतलब हुआ ?" अवतार ने पूछा।


“राजदान के निर्देशों के मुताबिक वह उन्हें बताकर आया है न उनके पास राजदान की हैंड राइटिंग में लिखा कोई कागज है, न ही उसकी आवाज की कैसेट। उन्हें राजदान ने जितने भी लेटर लिखे थे सब उड़ने वाली इंक से लिखे थे | वैसी ही कैसिट्स थीं । तुम समझ सकते हो, यह जानकर उन्हें रात में सूरज नजर आ गया होगा। यह खौफ अब उन्हें हिलाये दे रहा होगा कि मैं उन्हें राजदान का हत्यारा साबित करूंगा और उनके पास इस सच्चाई तक को साबित करने वाला कोई सुबूत नहीं है कि राजदान ने वास्तव में आत्महत्या की है।"


" बेचारे !” वकीलचंद बड़बड़ाया।