अलफांसे थोड़ा चौंका... उसने ध्यान से कंकाल को देखा तो नक्श से उसने अनुमान लगाया कि कंकाल किसी युवती का है!


न जाने क्यों अलफांसे के होंठों पर विचित्र - सी मुस्कान उभरी, वह जान गया कि कंकाल बनने के पश्चात भी यह युवती दिल रखती है जो उसकी खूबसूरती पर फिदा होकर प्यार जाहिर कर रही है ।


अलफांसे सोच रहा था कि वास्तव में उसका भाग्य उसके साथ है । वरना ये कंकाल अगर किसी पुरुष का होता तो अभी तक उसका गला दबाकर उसे संसार से मोक्ष दिला देता । किंतु ठीक विपरीत कंकाल के हाथ बड़े यार के साथ उसके गले का हार बने हुए थे।


अचानक अलफांसे चौंका!


बात उंगली से पोंहचे पर पहुंच चुकी थी ।


अगला पल !


कंकाल अलफांसे के निकट ही अगली सीट पर बैठ गया और फिर उस समय तो अलफांसे हड़बड़ाकर रह गया जब कंकाल ने अपना भद्दा.. . बदबूदार चेहरा उसके होंठों पर झुका दिया.. . कंकाल के होंठ तो थे ही नहीं.. -उफ् ! बदबू का भंडार उसकी नाक में समाया. . किंतु वह कुछ न कर सका, कार जो ड्राइव कर रहा था.. कंकाल ने उसके होंठों का चुम्बन ले लिया ।


अब कंकाल के हाथ उसके गालों पर बड़े प्यार के साथ सो रहे थे ।


अलफांसे ने इस बार स्वयं को विचित्र - सी मुसीबत में पाया, उसे इस परेशानी से छुटकारा पाने का कोई रास्ता दिखाई न दे रहा था । पीछे कंकाल वाली कार निरंतर उसके पीछे आ रही थी ।


तभी अलफांसे अवाक्-सा रह गया ।


अत्यंत भद्दी हरकत... इतनी भद्दी कि अलफांसे को क्रोध आ गया ।


कंकाल की भयानक उंगलियां उसकी पैंट के बटन खोल रही थी । उसने कंकाल की ओर देखा- वह जान चुका था कि कंकाल किसी थर्ड क्लास युवती का है इतनी भद्दी हरकत कोई सभ्य युवती नहीं कर सकती । उसका चेहरा क्रोध से लाल होने लगा । वह और अधिक सहन नहीं कर सकता था ।


उसने कंकाल को एक तीव्र धक्का देकर एक जोरदार किक रसीद की ।


कार डगमगा गई


एक पल !


अलफांसे ने कार का दरवाजा खोला और बाहर जम्प लगा दी ।


वह सड़क के किनारे खड़ी कंटीली झाड़ियों में जा गिरा। कांटे उसके जिस्म में चुभे किंतु विशेष चिंता किए बिना वह तुरंत फुर्ती के साथ खड़ा हो गया ।


कार विद्युत गति से दौड़ती हुई एक पेड़ से टकरा गई । एक भयावह विस्फोट |


और कार आग की लपटों में... ।


तभी पीछे वाली वह कार - जिसे एक कंकाल ड्राइव कर रहा अलफांसे के निकट ही थमी किंतु इससे पूर्व ही वह झाड़ियों में छुप चुका था ।


कार से कंकाल निकला और जलती कार को देखने लगा।


उसने सड़क पर नजर मारी.... इस कंकाल के अतिरिक्त सड़क पर दूर-दूर तक कोई नहीं था। उसने रिवॉल्वर को चूमा-जिसमें अभी एक गोली शेष थी ।


अगले ही पल !


रिवाल्वर रिक्त हो गया !


गोली ने कंकाल को मरने पर मजबूर कर दिया ।


अलफांसे फुर्ती के साथ झाड़ियों से बाहर आया और कंकाल वाली कार की ड्राइविंग सीट पर जमकर उसने उसका रुख एयरपोर्ट की ओर कर दिया ।


ठीक तब !.


जबकि वह एयरपोर्ट पर पहुंचा ।


उसने देखा, यहां भी इधर-उधर कंकाल घूम रहे थे और फिर उसने देखा कि कंकाल उसी की ओर दौड़े चले आ रहे है । वह संभला... भयानक खतरा एक बार फिर सिर पर था ।


अब वह निहत्था भी था वह दौड़ा.. तीव्र वेग से ।


तभी उसकी नजरें ऊपर उठी ।


आकाश में एक गड़गड़ाहट उत्पन्न हुई...ऊपर एक हैलीकॉप्टर चक्कर लगा रहा था । अचानक-हैलीकॉप्टर से एक सीढ़ी नीचे लटका दी गई... उसे लगा जैसे ये सब उसी की रक्षा हेतु किया जा रहा है किंतु ये लोग कौन हो सकते हैं- ये सोचने में उसने समय व्यर्थ नहीं गंवाया ।


उसने नीचे देखा !


कंकाल निरंतर उसी की ओर बड़े चले आ रहे थे। उसने कुछ सोचा... भागा.. .और फिर भागता-भागता सुरक्षित एयरपोर्ट की सबसे उंची छत पर पहुंच गया । कंकालों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा था ।


इधर हैलीकॉप्टर भी निरंतर उसके करीब आ रहा था । सीढ़ी का निचला सिरा इमारत की छत को स्पर्श कर रहा था । इधर कंकाल भी करीब आते जा रहे थे


भाग्यवश कंकालों के वहां पहुंचने से एक क्षण पूर्व ही सीढ़ी उसके निकट पहुंच गई और वह सीढ़ी पकड़कर लटक गया । हैलीकॉप्टर अपनी मंजिल की ओर अग्रसर रहा । अलफांसे सावधानी के साथ ऊपर चढ़ता जा रहा था ।


किंतु ऊपर पहुंचते ही.. . मानो आकाश से गिरकर खजूर पर अटक गया हो ।


ऊपर पहुंचते ही उसके सिर पर एक तीव्र प्रहार हुआ । वह न देख सका कि उसका मददगार कौन है ? प्रहार इतना सख्त था कि वह चेतना गंवा बैठा। उसे सिर्फ ऐसा महसूस हुआ, जैसे उसे किसी की दो मजबूत बांहों ने गिरने से बचा लिया हो ।


और फिर तब !


जबकि उसकी चेतना लौटी !


स्वयं को उसने एक कमरे में पाया...बिस्तर भी गद्देदार था।


उसने आंखें खोली... पास ही में आरामकुर्सी पर बैठा था विजय ! उसके होश में आते ही विजय बोला ।


"कहो प्यारे लूमड़-क्या हाल हैं?"


"अरे तुम ठीक हैं भई । '


-"विकास कहां है? " विजय का अगला प्रश्न ।


"प्यारे जासूस! " अलफांसे अपने बिस्तर पर आराम से बैठता हुआ बोला- "मेरी समझ में नहीं आता कि तुम्हें विकास की इतनी चिंता क्यों है? आखिर वह मेरा भी तो भतीजा है... अगर कुछ दिन मेरे ही पास रह लिया तो आप लोगों को क्या कष्ट है?"


"प्यारे लूमड़-तुम उसके चाचा तो जरूर हो, किंतु भगवान किसी भी भतीजे को तुम जैसा चाचा न दे । तुम्हारे पास रहकर वह तिमारबाजी के अतिरिक्त और कुछ नहीं सीखेगा ।"


'मेरे पास रहकर विकास क्या बन गया है...? " यह देखकर तुम्हें दांतों तले पसीना आ जाएगा तुम्हारे पास रहकर उसने सिर्फ दिलजली और ऊटपटांग हरक्शों के अतिरिक्त कुछ नहीं सीखा । " 


- "देखो बेटे लूमड़.. अकड़ो मत-मेरा धन्यवाद अदा करो कि अभी तक तुम्हें अपने कोठे के तहखाने में रखा है- वरना बाहर तुम्हें पुलिस सूंघती फिर रही है । रैना भाभी और उस साले तुलाराशि का क्या हाल है, वह तुम नहीं जान सकते.. सिर्फ इतना जान लो कि अगर उनमें से किसी को पता लग गया कि तुम यहां हो, तो तुम्हारे जिस्म का एक कतरा भी नहीं मिलेगा


- "वह तो मैं जानता हूं प्यारे विजय ।"


"तो शीघ्र बोलो कि विकास कहां है ? " -


"अब वह हमेशा के लिए दूर जा चुका है ।'


- "क्या बक रहे हो लूमड़" अत्यंत खतरनाक लहजे में विजय बोला-' 'मैं तुम्हारे जिस्म के टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा । इतना ही प्यार था विकास से? " विजय अत्यंत भयानक हो उठा। पहली बार अलफांसे ने विजय को इतने भयानक रूप में देखा था । उसकी आंखों से मानो खून बरस रहा था । चेहरा गजब का भयानक हो उठा। वह झपटा और अलफांसे की गर्दन थामकर बोला- "सच-सच बोलो, कहां है विकास ? "


अलफांसे को लगा-जैसे आज विजय में हजारों हाथियों की शक्ति आ गई है.. .असीमित शक्ति । उसे महसूस हुआ कि वह लाख प्रयास भी करे- तब भी विजय से गला न छुड़ा सकेगा । वास्तव में बहुत ही भयानक हो उठा था विजय ।


अलफांसे को लगा-जैसे विजय उसकी गर्दन दबाकर ही उसकी हत्या कर देगा । वह हाथ उठाकर शीघ्रता से बोला।


"ठहरो!


विजय ने पकड़ ढीली की और बोला ।


"बोलो.. कहा है विकास?"


." मर्डरलैंड में ।' 


- "क्या?'' विजय उछल पड़ा ।


"हां.. . विकास को प्रिंसेज जैक्सन मर्डरलैंड ले गई है । "


"साफ-साफ बताओ बात क्या है?" 


और उत्तर में अलफांसे ने विस्तारपूर्वक समस्त घटना विजय को समझा दी-जिसे सुनते-सुनते विजय की आंखें ठीक कोयले की भांति दहक गई । अत्यंत भयानकता के साथ वह बोला ।

“लूमड़ अगर विकास को कुछ हो गया, तो मैं तुम्हें तो कुत्ते की मौत मारूंगा ही साथ ही मर्डरलैंड के समस्त निवासियों सहित उस कुतिया को भी नहीं छोडूंगा ।"


विजय मैं पहली बार देख रहा हूं कि तुम भावनाओं में बह रहे हो ।" अलफांसे वह अलफांसे, जो विजय की एक-एक हरकतों से परिचित था- किंतु आज उसने विजय का अनोखा ही रूप देखा और जो रूप देखा उससे वह कांप गया था । -


"बेटे लूमड़!" विजय उसी प्रकार बोला-' 'विकास के लिए क्या-क्या कल्पनाएं मैंने की हैं... वे तुम नहीं जान सकते।' 


"सबसे पहले होश में आओ ।" अलफांसे बोला । और वास्तव में विजय ने महसूस किया कि वह भावनाओं में खो गया है । अत: उसने सिर को एक झटका दिया और बोला- "अब इस साली... मम्मी के तो पर ही निकल आए हैं, इसने तो हमारे चचा को भी मात कर दिया.. . तुम नहीं जानते, तुम्हारी बेहोशी के बीच क्या हो गया है?


"क्या हो गया है ?


ब्यूमिरान और रामनगर जैसी घटनाएं प्रत्येक देश में हो रही हैं... इन घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है। प्रत्येक देश इससे पीड़ित है... अमेरिका और रूस भी घबरा गए हैं । धरती के सारे देशों के बड़े शहरों को रामनगर की भांति दहकाया जाता है और इंसानों को कंकालों में बदल दिया जाता है । इन घटनाओं का क्रम-सा लग गया है । समस्त दुनिया कांप उठी है। लोग सिर्फ यह जानते हैं कि यह सब कार्रवाही मर्डरलैंड की शहजादी कर रही है अत: सम्पूर्ण धरती पर मर्डरलैंड का आतंक छाया हुआ है। अमेरिका और सोवियत संघ अपनी शत्रुता झुलाकर इस समस्या से जूझने का पूर्ण प्रयास कर रहे हैं किंतु स्थिति पल-प्रतिपल खतरनाक होती जा रही है । धरती के समस्त देश मिलकर मर्डरलैंड के विरुद्ध कुछ करना चाहते हैं किंतु कुछ समझ में नहीं आ रहा है । अब तो प्यारे लूमड़ भाई, यह समझ लो कि एक ओर मर्डरलैंड है और दूसरी ओर सपूर्ण धरती।' ' 


- "क्या यह पता लगा कि मर्डरलैंड कहां है?"


"नहीं... ये कोई नहीं जानता ।"


"विजय, घबराने की आवश्यकता नहीं है । "


- "क्यों.. ।"


. क्या तुम जानते हो कि मर्डरलैंड कहां है ? "


"नहीं.. किंतु मर्डरलैंड का दुश्मन मर्डरलैंड में पहुंच चुका है


"कौन?"


-"विकास!"


"तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है साले लूमड़ भला वह बच्चा मर्डरलैंड में क्या कर सकेगा ?" 


"प्यारे विजय... अब देखते जाओ वह बच्चा क्या-क्या करता है । मुझे उम्मीद है कि विकास वह सब कुछ कर पाने में सफल होगा-जों हमारे बस का भी नहीं है । "


"तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है साले लूमड़ ।" "देखते - जाओ जासूस महोदय ।"


विजय को अलफांसे की बात कुछ जमी नहीं थी, इसलिए मुंह बनाकर रह गया। अब वह सोचने पर मजबूर हो गया।


केस अत्यंत भयानक रूप धारण कर चुका था । एक तरफ धरती पर मर्डरलैंड का आतंक, दूसरी ओर विकास का मर्डरलैंड पहुंचना । दोनों ही स्थितियां खतरनाक थी । वह समझता था कि इस समय अलफांसे से भिड़ना बुद्धिमानी का काम न होगा । विकास तो मर्डरलैंड पहुंच ही चुका था और जैक्सन निरंतर मर्डरलैंड का आतंक धरती के निवासियों पर फैलाती जा रही थी । अगर शीघ्र ही उन्होंने कुछ नहीं किया, तो धरती भयानक खतरों में घिर जाएगी। सम्भव है- प्रिंसेज जैक्सन अपने उद्देश्य में सफल भी हो जाए क्योंकि विश्व की जनता में मर्डरलैंड का आतंक बुरी तरह फैल चुका है । अराजकता का साम्राज्य होता जा रहा है ।


लेकिन वह करे भी तो क्या?


कैसे मर्डरलैंड से टकराया जाए?


अलफांसे ऐसे निश्चिंत बैठा था मानो उसे कुछ चिंता ही न हो ।


विजय ने उसकी ओर देखकर बुरा-सा मुंह बनाया और समाचार सुनने हेतु रेडियो खोल दिया... समाचार जारी हो चुके थे, आवाज आ रही थी ।


- " धरती के समस्त निवासी बेचैन है...कोई नहीं जानता कि मर्डरलैंड नामक यह स्थान है कहां.. मर्डरलैंड की शहजादी को वायुमंडल में तैरते हुए देखा गया है जो आश्चर्य से परिपूर्ण है। संसार के कोने-कोने से निरंतर समाचार आ रहे हैं कि अब वह शहर दहक रहा है...अब वह शहर आग की लपटों से घिरा हुआ है ।


-ये समाचार आप आकाशवाणी से सुन रहे है ।'


थोड़ा ठहरकर आवाज फिर आई ।


- 'समस्त विश्व की जनता आतंक्ति और भयभीत है । और फिर !


विजय-अलफांसे दोनों ही चौंके !


. अचानक समाचार बंद हो गए । रेडियो.. . घू.. घू.. करने लगा । यह रेडियो की खराबी नहीं थी क्योंकि कुछ यांत्रिक खड़खड़ाहट की ध्वनियां निरंतर निकल रही थीं । लगता था - जैसे कोई कुछ सेट कर रहा हो ।


कुछ समय पश्चात घर्र... घर....की ध्वनि समाप्त हो गई और उसके स्थान पर संगीत की लहरें गूंजने लगी । मधुर संगीत की मदहोश कर देने वाली लहरें । ।


विजय-अलफांसे ने एक-दूसरे को देखा।


दोनों ही पहचान चुके थे कि ये संगीत की लहरें प्रिंसेज जैक्सन के आगमन की सूचना देती हैं। कुछ समय उपरांत लहरों के बीच जैक्सन की मधुर आवाज आई ।


धरती निवासियों, सर्वप्रथम मर्डरलैंड शहजादी का प्रणाम... मैं क्षमा प्रार्थी हूं कि आपके प्रोग्राम में दखल दिया । बात ये है कि मैं आप लोगों से संबन्ध स्थापित करके अपना संदेश आप तक पहुंचाना चाहती हूं।"


विजय-अलफांसे ने फिर एक-दूसरे को देखा। दोनों की आंखों में विचित्र - से भाव थे । प्रिंसेज जैक्सन आगे बोली। ।


- ''मैं आप लोगों का अधिक समय नहीं लूंगी... मैं ये कहना चाहती हूं कि आप लोग मेरी वैज्ञानिक शक्ति तो देख ही चुके हैं लेकिन फिर भी मैं ये कहती हूं कि मर्डरलैंड में इतनी वैज्ञानिक शक्ति है कि उसके सामने अभी तक जो आपने देखा है-वह सिर्फ एक नमूना मात्र है । इस समय भी ये बता दूं कि मैं यहां से इंग्लिश में बोल रही हूं और आशा करती हूं कि विश्व के प्रत्येक देश में मेरी आवाज उन्हीं की भाषा में सुनी जा रही होगी - यह भी मेरी वैज्ञानिक शक्ति का कमाल है ।''


विजय-अलफांसे आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि वास्तव में रेडियो पर प्रिंसेज की आवाज हिंदी में ही सुनाई पड़ रही थी ।


''मैं मर्डरलैंड की शहजादी हूं, यह आप लोग जान चुके हैं- किंतु ये बता दूं कि मैं धरती की शत्रु नहीं हूं, लेकिन जैसा कि सभी जानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के विचार और दृष्टिकोण अलग होते हैं । मेरे ख्याल से ये धरती गलत ढंग से चल रही है। क्या आप नहीं मानते कि इस छोटी-सी धरती के इतने टुकड़े ठीक नहीं हैं? इतने टुकड़ों में न तो यह धरती शक्तिशाली ही रहती है और न ही संगठन और समानता । जबकि मानव जीवन के लिए ये सभी चीजें अत्यंत आवश्यक हें ये चीजें तभी मानव को प्राप्त हो सकती हैं जबकि सम्पूर्ण धरती एक सूत्र में बंधी हो...यह तभी संभव है, जब धरती के ये छोटे-छोटे टुकड़े-यानी ये देश केवल एक ही पताका के नीचे एकत्र हों... और उसे श्रद्धा से मानें ।


- और मेरा यानी मर्डरलैंड का प्रयास यही है, अत: हम एक पताका लेकर आपके सम्मुख आ रहे हैं । वह पताका है मर्डरलैंड की - यानी समस्त धरती का अब केवल एक नाम मर्डरलैंड ही होगा? आशा है, आप हमें सहयोग देंगे... मानव-जीवन के लक्ष्य को पहचानकर समस्त पृथ्वी को एक ही मान लेंगे और आपस के भेद-भाव, जो धरती पर विभिन्न देश बनने से हो गए है -दूर करके शांति प्राप्त करेंगे ।' कहकर वह सांस लेने के लिए रुकी और फिर बोली । 


-''समस्त धरती को संभालने के लिए क्योंकि एक ऐसे साम्राज्य की स्थापना आवश्यक है जो शक्तिशाली हो, और मर्डरलैंड की शक्ति का परिचय आप लोगों को मिल ही चुका है। मैं कामना करती हूं कि धरती का प्रत्येक देश आत्मसमर्पण करके बुद्धिमानी का परिचय देगा क्योंकि सभी जानते हैं कि अच्छे कार्य करने वाला वह व्यक्ति, जिसकी लगन सत्य होती है, कभी पीछे नहीं हटता । काम अगर अमन-शांति से नहीं चलता, तो हिंसा का सहारा भी लेना पड़ता है । मैं ही क्या - शायद यह धरती निवासी भी नहीं चाहेंगे कि मुझे उस हिंसा का सहारा लेना पड़े, जो मैंने ब्यूमिरान और रामनगर इत्यादि शहरों में दिखाई है अत: सरेंडर कर दें । |


- "आज ही दिन में वायुमंडल से मर्डरलैड के झंडे गिराए जाएंगे... जो देश मर्डरलैंड की अधीनता स्वीकार कर लें - वे अपना झंडा उतारकर उसके स्थान पर मर्डरलैंड का झंडा लगा दें, जो लोग अधीनता स्वीकार नहीं करेंगे हम समझेंगे- उन्हें अहिंसा नहीं हिंसा पसंद है |


अच्छा--प्यारे धरती-निवासियों- अब जैक्सन का प्रणाम!" जैक्सन की आवाज आई ।


उसके बाद !


फिर घुर्र... घुर्र-और फिर आम प्रोग्राम ।


प्रिंसेज जैक्सन की इस घोषणा के पश्चात!


समस्त धरती पर आतंक फैल गया... संसार भर की महाशक्तियां कांप गई । -


- " प्यारे लूमड़ !" विजय बोला ।


"हूं ।" वह शायद कुछ सोच रहा था ।


''ये साली मम्मी तो प्यार भरे शब्दों में ही सब-कुछ कह गई


''मैं ये सोच रहा हूं कि विकास ने अभी तक क्यों कुछ नहीं किया?"


"बेटा लूमड़ - तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है - भला वह बच्चा क्या करेगा?"


तभी विजय चौंका... उसके चेन वाले ट्रांसमीटर की सुई गले में चुभ रही थी ।


विकास स्वयं को न संभाल सका किंतु वायु में उठता ही चला गया । जाते-जाते उसने छटपटाने का प्रयास किया किंतु असफल रहा.. .उसने 'अंकल... अंकल' कहकर अलफांसे को आवाजें दीं- किंतु सब निरर्थक!


वह ऐसा महसूस कर रहा था-जैसे उसे किसी चीज से बांधकर उठाया जा रहा हो ।


और तब !


जबकि वह निरंतर ऊपर उठता ही चला गया वह अपनी चेतना गंवा बैठा.. . किंतु... जब उसे होश आया.. .तो कराहकर उसने आंखें खोली और चारों तरफ नजरें देखा । घुमाकर


यह हॉल था.. . अत्यंत विशाल हॉल! जगमगाता हुआ हाल! वह आराम से एक गद्देदार बिस्तर पर लेटा हुआ था - कुछ देर तक-लेटे - ही लेटे वह हॉल का निरीक्षण करता रहा ।


हॉल में प्रकाश था और दीवारों से लगे कुछ व्यक्ति यहां खड़े थे ।


उन सभी व्यक्तियों के जिस्म पर एक जैसे कपड़े ये स्याह और चमकदार लिबास प्रत्येक व्यक्ति के जिस्म पर एकदम चुस्त थे।


प्रत्येक व्यक्ति एक-से-एक शक्तिशाली था ।


विकास के मन में कोई भय नहीं था- अलफांसे ने उसे परिस्थितियों के अनुसार काम करना सिखाया था । अलफांसे ने उसे बता दिया था कि ऐसी परिस्थितयों में अंदर-रही- अंदर सतर्क रहकर बाहर से लापरवाही का प्रदर्शन करना चाहिए ।


अत: वह उठ खड़ा हुआ और एक शक्तिशाली व्यक्ति क्तई और देखकर बोला ।


-'" आंटी कहां है ?''