इन्स्पेक्टर ख़ालिद ने बहुत जल्दी में फ़ोन का रिसीवर उठाया।

‘मैं ख़ालिद हूँ!’ उसने माउथपीस में कहा, ‘क्या आप फ़ौरन मुझे वक़्त दे सकेंगे? ओह शुक्रिया, मैं अभी हाज़िर हुआ!’

उसने तेज़ी से रिसीवर रखा और कमरे से निकल गया।

डी.एस. के अर्दली ने उसके लिए चिक उठायी और वह अन्दर चला गया।

डी.एस. ने सिर के इशारे से बैठने को कहा और पाइप को दाँतों से निकाल कर आगे झुक आया।

‘कर्नल ज़रग़ाम का मामला बहुत ज़्यादा उलझ गया है।’ ख़ालिद बोला।

‘क्यों?...कोई नयी बात?’

‘जी हाँ और बहुत ज़्यादा अहम! मैंने कर्नल के नौकरों को टटोलने की कोशिश की थी। आख़िर एक ने उगल ही दिया। कर्नल कहीं बाहर नहीं गया, बल्कि यकबयक ग़ायब हो गया है।’

‘ख़ूब!’ डी.एस. ने पाइप ऐशट्रे में उलटते हुए कहा और ख़ालिद की आँखों में देखने लगा।

‘वो अपने मेहमानों को लेने के लिए अकेला स्टेशन गया था। फिर वापस नहीं आया!’

‘वाह!’ डी.एस. उँगली से मेज़ खटखटाता हुआ कुछ सोचने लगा। फिर उसने कहा, ‘उसके घर वालों को तो बड़ी फ़िक्र होगी।’

‘क़तई नहीं! यही तो हैरत की बात है।’

‘आ हुम्!’ डी.एस. ने पैर फैला कर लम्बी अँगड़ाई ली और कुर्सी की पीठ से टिक गया।

‘फिर तुम्हारा क्या ख़याल है?’ डी.एस. ने थोड़ी देर बाद पूछा।

‘मैं अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सका।’

‘वाह, यह भी क्या कोई मुश्किल मसला है!’ डी.एस. मुस्कुराया। ‘कर्नल ज़रग़ाम भी शिफ़्टेन की धमकियों से न बचा होगा, लेकिन वह ग़ायब हो गया। उसने पुलिस को ख़बर नहीं दी। दूसरों ने पुलिस को ख़बर दी थी और वे सब मौजूद हैं। इस लाइन पर सोचने की कोशिश करो।’

‘मैं सोच चुका हूँ!’

‘और फिर भी किसी ख़ास नतीजे पर नहीं पहुँचे।’

‘जी नहीं!’

‘कमाल है!...अरे भई, यह तो एक बहुत ही साफ़ इशारा है।’

‘आप ही रहनुमाई कीजिए। मेरी तो अभी शुरुआत है। आप ही से सीखना है मुझे।’ ख़ालिद ने कहा।

‘देखो...तुम दो ऐसे आदमियों के नाम धमकी के ख़त लिखो जिनमें से एक तुम से वाक़िफ़ हो और दूसरा नावाक़िफ़...’ तुम अपनी मौजूदा हैसियत में दोनों को लिखते हो कि वे ख़तरे में हैं और किसी वक़्त भी गिरफ़्तार किये जा सकते हैं। वह शख़्स जो तुम्हें नहीं जानता, उसे मज़ाक़ समझेगा। यही सोचेगा कि किसी ने उसे बेवक़ूफ़ बनाया है। लेकिन उस शख़्स पर उसका क्या असर होगा जो तुमसे और तुम्हारे ओहदे से बख़ूबी वाक़िफ़ है!’

‘बदहवास हो जायेगा।’ ख़ालिद बोला।

‘ठीक! उसी तरह शिफ़्टेन के मामले को ले लो। हमारे लिए भी यह नाम नया है। कर्नल हमारे पास शिकायत ले कर नहीं आया। इसका यह मतलब है कि वह शिफ़्टेन से वाक़िफ़ है और इस तरह ग़ायब हो जाने का मतलब हुआ कि शिफ़्टेन इन्तहाई ख़तरनाक है!...इतना ख़तरनाक कि पुलिस भी उसका कुछ नहीं कर सकती!’

‘मैं तो यह सोच रहा था कि कहीं कर्नल ज़रग़ाम ही शिफ़्टेन न हो!’ ख़ालिद ने कहा।

‘अगर वह शिफ़्टेन है तो उसके बेवक़ूफ़ होने में कोई शुबहा नहीं!’ डी.एस. बोला। ‘अगर वह शिफ़्टेन ही है तो उसे हमारे पास ज़रूर आना चाहिए था...नहीं...ख़ालिद वह शिफ़्टेन नहीं है। वरना इस तरह ग़ायब न होता!’

‘तो फिर अब मुझे क्या करना चाहिए?’

‘कर्नल ज़रग़ाम को तलाश करो।’

कुछ देर खामोशी रही फिर डी.एस ने पूछा, ‘इमरान का क्या रहा?’

‘कुछ नहीं! उसकी शख़्सियत भी बड़ी अजीब है।’

डी.एस. हँसने लगा। फिर उसने कहा, ‘कैप्टन फ़ैयाज़ ने मेरे तार का जवाब दिया है। इमरान के बारे में उसने लिखा है कि वह एक परले सिरे का बेवक़ूफ़ आदमी है। फ़ैयाज़ का दोस्त है। यहाँ घूमने आया है। अक्सर हिमाक़तों के सिलसिले में मुसीबतें मोल ले बैठता है। इसीलिए फ़ैयाज़ ने मुझे ख़त लिख दिया था कि अगर ऐसी कोई बात हो तो उसकी मदद की जाये!’

‘मगर साहब! वो कर्नल ज़रग़ाम का प्राइवेट सेक्रेटरी कैसे हो गया।’

‘मुझे भी फ़ैयाज़ की कहानी पर यक़ीन नहीं!’ डी.एस. ने कहा, ‘ये फ़ेडरल वाले कभी खुल कर कोई बात नहीं बताते!’

उसके बाद कमरे में गहरी ख़ामोशी छा गयी!