अध्याय ४८
“आपका कई बार हार से सामना हो सकता है, लेकिन आपको पराजित नहीं होना चाहिए।”
– माया एंजेलू
जीवन खुद को सार्थक करने के लिए मृत्यु में समाहित होने के लिए सहमत हो गया। मौत ने दुख का उपहार देकर, जीवन के साथ विश्वासघात किया। समय ने यह सुनिश्चित करते हुए कि सब कुछ बदलता रहे, जीवन और मृत्यु दोनों को अर्थ दिया। इस प्रकार, एक ऐसे दुष्चक्र का निर्माण हुआ, जहाँ ज्ञात और अज्ञात दोनों की परिभाषाएँ बदलती रहती हैं।
एमा और डेविड एक दूसरे की ओर पीठ करके, एक पतले गद्दे पर लेटे हुए थे। उनकी माँसपेशियों में थकान और दर्द के साथ ऐंठन हो रही थी। उन्हें दिया गया कमरा छोटा, लेकिन दोनों के लिए पर्याप्त था। डेविड ने एमा को एक तकिया दिया और अपने सिर को अपनी बाँह पर टिका लिया। दीवारों पर आड़ी-तिरछी आकृतियाँ उकेरी हुई थी, जो स्पष्ट रूप से बच्चों की करतूत दिखाई देती थी। कमरे में अंधेरा था। बालकनी का दरवाज़ा चाँदनी और हवा के लिए खुला छोड़ा गया था।
एमा को एक भयानक ख़याल आया कि वह एक उजाड़ से खंडहर के बीच पड़ी हुई है। उसका बेचैन और जागा हुआ दिमाग़, बुरे ख़यालो में उलझा हुआ था। डेविड अपनी पत्नी का सामना करने से बचते हुए उदास और मौन था। वे एक-दूसरे के पास लेटे हुए थे, लेकिन अपने आप में वे निपट-अकेले थे।
“डेविड।” एमा ने धीरे से पुकारा, डेविड ने जवाब नहीं दिया। “डेविड,” उसने फिर पुकारा।
“हाँ।” उसने कर्कश स्वर में उत्तर दिया।
“आज जो हुआ, उसके लिए मुझे खेद है।”
“ठीक है।” उसने उदासीनता से जवाब दिया और फिर चुप हो गया।
“मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था।”
“हाँ, नहीं कहना चाहिए था।” उसने सर्द लहजे में कहा।
एमा ने उसकी बाहों को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन डेविड ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, उसने अपना हाथ वापस खींच लिया।
“क्या तुम मुझ से नाराज़ हो?”
“थोड़ा सा।”
“क्या तुम्हें मुझसे शादी करने पर पछतावा होता है?”
“हाँ, कभी कभी।”
जितना उसने सोचा था, उसके दिल पर उससे कहीं अधिक ज़ोर से आघात लगा।
“हमें यहाँ नहीं आना चाहिए था।” एमा ने अफसोस से छत के पंखे को देखते हुए कहा।
डेविड ने उसकी ओर मुड़ते हुए कहा, “यह मत भूलो, हमनें यहाँ आकर लोगों की कितनी मदद की। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, बल्कि इससे फ़र्क पड़ता है कि हमने उनकी मदद की। इस रात में पहली बार प्रयुक्त इस तरह के सांत्वना भरे शब्दों ने, एमा के अपराध-बोध को कुछ कम करने में मदद की।
“मुझे जॉर्ज की याद आती है।” उसने कबूल किया।
“मुझे भी उसकी बहुत याद आती है।” डेविड ने जॉर्ज के बारे में सोचते हुए कहा।
“मेरा आत्मबल कमज़ोर हो रहा है, डेविड। अगर हम कामयाब नहीं हुए, तो क्या होगा?”
“हमें शांत, संयत और एकाग्रचित्त रहना होगा। डोलोरेस आ रही है, वह हमें घर लेकर जाएगी।” उसने उसके गाल को हल्के से थपथपाया।
दो हेलिकॉप्टर, समुद्र की लहरों के समान्तर उड़ रहे थे। उनके चमकीले सफ़ेद रंग पर बने संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रतीक-चिन्ह का यह मतलब था, कि वे हमलावर नहीं थे। डोलोरेस के लिए यह एक आश्वस्त करने वाला रोमाँच था, कि वह अब बचाव-मिशन को अंजाम देने के लिए और भी बेहतर स्थिति में थी।
वह इज़राइली जहाज पर कैप्टन एरॉन द्वारा दावत के लिए बुलाये जाने पर कमर पर हाथ धरे विराजमान थी। पहला हेलिकॉप्टर जहाज के हेलिपैड पर उतरा; इसमें दस लोगों के आसपास लोग बैठ सकते थे।
उसने मुस्कुराते हुए कहा, “अमाह और कैथरीन के सौजन्य से।”
डिनर समाप्त होने और उनके वापस चॉपर पर सवार होने तक, वह शांति से कुछ सोचने के लिए टीम से अलग हो गई।
बहुत रात बीत चुकी थी, लेकिन उसकी आँखों में नींद का नामो-निशान नहीं था। उसने कैथरीन को डायल किया।
“अरे, हमारी सवारी यहाँ है, बहुत-बहुत शुक्रिया। मैं तुम्हारी एहसानमंद हूँ,” उसने हेलिकॉप्टर की गड़गड़ाहट की आवाज़ से बचने के लिए अपने दूसरे कान पर हाथ रखते हुए कहा।
“हम तुम्हारी सेवा के लिए यहाँ हैं।” कैथरीन ने उत्तर दिया।
“मेरा लड़का और लड़की कैसे हैं? उनका फोन सिग्नल डाउन है।”
“उम्म… हम केवल यह जानते हैं कि वे सकीना की माँ के घर, खान यूनुस में हैं।”
“क्या? किस तरह?”
“हमारे लिए ड्रोन को ज़्यादा नजदीक भेजना संभव नहीं होगा।”
यह सुनकर डोलोरेस को अच्छा नहीं लगा।
“एक और बात।” कैथरीन ने कहा। “युद्ध-विराम अब किसी भी मिनट में ख़त्म हो जाएगा। मेरा सुझाव है कि तुम सतर्क रहो।”
“मैं रहूँगी।” उसने कहा।
डोलोरेस ने चॉपर की ओर कदम बढ़ाये। तब तक टीम के सभी सदस्य उसमें सवार हो चुके थे। “चलो, चलो, चलो!” वह जल्दबाज़ी में ज़ोर से बोली। टीम के सदस्य हेलिकॉप्टर में इधर-उधर बैठ गए।
उन्होंने आपस में धन्यवाद का आदान-प्रदान किया, फिर डोलोरेस ने एरॉन से गले मिलते हुए विदा लेकर, चॉपर में प्रवेश किया और दरवाज़े पर खड़ी हो गई। हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी। उसने एरॉन को हाथ हिलाकर अलविदा कहा।
चॉपर के ऊँचाई पर पहुँच जाने पर, वह गाज़ा में हुए विध्वंस को स्पष्ट रूप से देख सकती थी। ज़मीन पर ध्वस्त हुए आशियानों और निराशा में घिरी ज़िंदगियों को जैसे किसी ने कोई श्राप दे रखा था।
कैथरीन विरक्त-भाव लेकिन दृढ़ता के साथ स्थिति का प्रबंधन कर रही थी। उसकी कार्यशैली टीम को विश्वास दिला रही थी, कि वह डोलोरेस से बेहतर थी।
पूरे समय, वह जरा सी देर के लिए भी अपनी कुर्सी पर नहीं बैठी, फिर भी वह लगातार काम किए जा रही थी। उसकी सकारात्मक ऊर्जा से कक्ष में उपस्थित सभी स्फुरित हो रहे थे।
डोलोरेस के साथ उसकी कॉल समाप्त होने के बाद, उसने दूसरा नंबर डायल किया। उसकी सहायता और उससे सीखने के लिए, मैथ्यू उसके बगल में मौजूद था।
“हे, मैं कैथरीन कोबेन हूँ।”
“ओह, हैलो, कैथरीन,” बेथ ने कहा, उसकी आवाज़ मैथ्यू को भी सुनाई दी।
“हालातों में थोड़ा बदलाव आया है। तुमको, मुझे उन सभी फाइलों और सूचनाओं को सौंपने की ज़रूरत है जो तुम्हारे पास गाज़ा मिशन से सम्बंधित हैं, “कैथरीन ने सख्ती से आदेश दिया।
“ऊँह, मुझे कुछ समझ नहीं आया, कि क्या हुआ,” उसने घबराई हुई आवाज़ में जवाब दिया।
कैथरीन ने मैथ्यू को देखते हुए फोन पर कहा, “यहाँ कुछ फेर-बदल किए गए हैं और हमें अब तुम्हारी ज़रूरत नहीं है।”
“ओह, लेकिन मैं…”
बेथ के बात पूरी करने से पहले ही, कैथरीन ने बीच में टोकते हुए कहा, “यह एक आदेश है, बेथ अनुरोध नहीं।”
बेथ एक पल के लिए चुप हो गई और फिर बोली, “ठीक है… लेकिन पूरी ईमानदारी से, मैं मदद करने की कोशिश कर रही थी।”
“मुझे पता है… मुझे पता है, और हम तुम्हारी मदद की सराहना करते हैं। जैसे ही तुम फाइलों को सौंपोगी, मुझे बता देना।” बेथ आगे कुछ बोल पाती, उससे पहले कैथरीन ने फोन पटक दिया।
मैथ्यू कैथरीन की ओर देखकर मुस्कुराया। वह भी मुस्कुराई।
“क्या तुम जानते हो, मैथ्यू? देवदूत और राक्षस, दोनों एक ही जैसी बातें करते हैं।
इंतज़ार करते हुए, डेविड और एमा को, डोलोरेस की ओर से उनके बचाव के लिए आने का अभी तक कोई संकेत नहीं मिला, यहाँ तक कि उनका फोन भी पहुँच से बाहर था। फिर वे दोनों, वास्तविकता के दु:स्वप्न से थोड़ा सा बचते हुए, आख़िरकार सो गए।
सोये हुए डेविड ने अचानक अपने सिर में एक तेज और असहनीय दर्द महसूस किया। वह तुरंत चीखता हुआ उठा। एमा भी झटके से उठ गई। डेविड ने उसके सिर पर एक और वार होने और बेहोश होने से पहले एक छायाकृति को अपने ऊपर खड़े पाया।
बेहोशी से पहले उसने एमा का रुदन और उसकी पुकार भी सुनी, “ओमार, ओमार, तुम कहाँ हो? ओह, हे भगवान, डेविड!”
सूर्योदय होने वाला था। संयुक्त राष्ट्रसंघ के हेलीकॉप्टर, गाज़ा की हवा में उड़कर, अपने गंतव्य के करीब और करीब पहुँच रहे थे। मरीन, किसी भी स्थिति से निपटने के किए तैयार थे। पायलट के पास सेट किया गया मॉनिटर, पूरे हवाई मार्ग को नेविगेट कर रहा था। रास्ते की तस्वीरें उन्हें परेशान कर रही थीं, क्योंकि चारों ओर केवल और केवल टूटी हुई सड़कें, ध्वस्त इमारतें और उनके मलबे बिखरे पड़े थे।
युद्ध-विराम के समय छाया गहरा सन्नाटा अपने चरम पर था। पीड़ितों के मन में एक कठिन सवाल उठ रहा था, क्या हमें प्रतिशोध लेना चाहिए, या हमें जैसी भी हों, परिस्थितियों को स्वीकार कर लेना चाहिए? दोनों ही स्थितियों में, नुक्सान में हम ही रहेंगे। इस युद्ध से उन्हें क्या हासिल हुआ, जीवन का सर्वनाश?
क्या डोलोरेस चाहती थी, कि डेविड और एमा युद्ध की इन भयानक झलकियों को देखने के बाद यहाँ रहें? उत्तर था हाँ, पहले से कहीं ज़्यादा। इस पागलपन को ख़त्म करने के लिए उनका यहाँ होना बेहद ज़रूरी था।
डोलोरेस ने अपना फोन निकाल कर टीम को दिखाया। यह एक अपार्टमेंट बिल्डिंग की एक तस्वीर थी।
“यह वह जगह है जहाँ हमारे लोग हैं। उन पर कोई पहरा नहीं है। मिशन आसानी से पूरा होगा। हम दस मिनट में पहुँच जायेंगे।” वह चॉपर के शोर के बीच चिल्लाकर बोली।
रॉकफोर्ड ने अपने आदमियों को इशारा किया। उन्होंने अपने-अपने साजो-सामान चैक किये और एक-एक करके, पुष्टि करते हुए कि वे तैयार थे; चिल्लाए, “सब ठीक है!”
नेवी सील टीम ने युद्ध या मिशन में हर तैनाती से पहले का अपना पारंपरिक उद्घोष किया। उनमें से हर एक ने अगले आदमी के कंधे पर अपनी हथेली रखी और एक सुर में चिल्लाये, “हम युद्ध करते हैं… हम जीवन के लिए युद्ध करते हैं और रक्षा के लिए लड़ते हैं, इस बात का ईश्वर साक्षी है!”
डोलोरेस पायलट के पीछे खड़ी होकर, आगे का दृश्य देख रही थी। वह इमारत को देख सकती थी। कार्रवाई का समय करीब आता जा रहा था।
“बहुत बढ़िया। इंजन चालू रखना। हमें ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा।”
पायलट ने उतरने के लिए जगह की तलाश की, उसकी अभिव्यक्ति विकट थी।
नीचे, चट्टानों और मलबे से गड्डों को भरा गया था। लैंडिंग में बहुत मुश्किल हो रही थी। कुछ झटकों के बाद आख़िरकार वे उतरने में सफल हुए।
इससे पहले कि वे आगे बढ़ पाते, सामने की ओर से डामर रोड़, नीचे धंस गई, जिससे हेलीकॉप्टर भी आगे की ओर से नीचे झुका और उसके पंखे की ब्लेड, ज़मीन से टकराने से बाल-बाल बची। यात्रियों को भारी झटके झेलने पड़े। पायलट ने तुरंत इंजन बंद कर दिया।
“बाहर निकलो, बाहर निकलो!” रॉकफोर्ड दहशत में चिल्लाया। सभी हेलीकॉप्टर की तेज ब्लेड से टकराकर कटने से बचने के लिए झुककर जल्दी, जल्दी निकल आये।
“जीसस क्राईस्ट!” नाराज़ डोलोरेस, सड़क पर आगे की ओर झुक कर चिल्लाई, “क्या तुम सब लोग ठीक हो?”
“मैं ठीक हूँ… ठीक है… मैं ठीक हूँ।” कुछ ऐसे शब्द थे जो उजाड़ सड़क पर गूँज रहे थे।
डोलोरेस ने पायलट की तरफ़ देखा, जो झुकते हुए हेलीकॉप्टर को देख रहा था। वह चुपचाप कुछ गणना कर रहा था। “मुझे लगता है कि हम इसे फिर से उड़ा सकते हैं।”
“क्या तुम्हें यकीन है?” रॉकफोर्ड को संदेह हुआ।
पायलट ने कहा, “मेरे ख़याल से तो ऐसा हो सकता है, तुम आगे बढ़ो, दूसरा हेलीकॉप्टर भी आने वाला है।”
डोलोरेस ने अपना ध्यान वापस मिशन की ओर केन्द्रित किया।
टीम बाहर की ओर निकली। रॉकफोर्ड टीम की अगुआई कर रहा था। डोलोरेस ने तीन हथियारबंद आदमियों को पीछे छोड़ा।
डोलोरेस ने उसके कॉलर से जुड़े माइक पर कहा, “हम थोड़ी परेशानी में फँस गए थे, कैथरीन। तुम्हें बाद में बताती हूँ, हम अंदर जा रहे हैं।
“समझ गई।” कैथरीन ने उत्तर दिया।
गठित की गई यूनिट के सदस्य, तूफानी गति से अपार्टमेंट बिल्डिंग के अंदर घुसे। वे पार्किंग तक पहुँच गए; वहाँ दो सफ़ेद, हैचबैक कारें खड़ी थीं। केसी और रोनाल्ड ने पार्किंग को आसानी से पार किया। “रास्ता साफ़ है,” केसी फुसफुसाया।
“यहीं ठहरो।” रॉकफोर्ड ने आज्ञा दी।
रॉकफोर्ड पसीने में नहाया हुआ, सीढ़ियों से आगे, ऊपर की ओर बढ़ रहा था। डोलोरेस भी तेज़ी से धड़कते दिल के साथ उसके ठीक पीछे चली। कुछ ठीक नहीं था; उन्होंने बहुत शोर मचाया और किसी ने ध्यान नहीं दिया। वे किसी जाल में फँसने तो नहीं जा रहे थे?
रॉकफोर्ड ने इशारा किया, वे ऊपर की ओर बढ़े। डोलोरेस अपने दिल की धडकनों को ड्रम की आवाज़ की तरह सुन सकती थी। उसने हथेलियों से माथे का पसीना पौंछा उसके दिमाग़ में कुछ गड़बड़ चल रही थी। वे पहली मंज़िल पर पहुँच गए।
“दरवाज़ा थोड़ा खुला है।” रॉकफोर्ड फुसफुसाया।
रॉकफोर्ड ने दरवाज़े को धीरे से धक्का दिया। लाइट बंद थी। उसने अपने कंधे पर फिक्स टॉर्च पर क्लिक किया। टॉर्च की तेज रोशनी में उसने जो कुछ देखा, वह असामान्य था। बहुत सारे बच्चे, एक झुण्ड में, डर के मारे काँपते हुए, आपस में कसकर सटे हुए बैठे थे। बीच में, एक बूढ़ी औरत ने, उसकी गोद में जितने अधिक से अधिक बच्चे समा सकते थे, उतने गोद में बैठा रखे थे। वह भी डरी हुई थी।
“वह सकीना की माँ है।” डोलोरेस फुसफुसाई। वह थोड़ी सहज हुई और सलमा को दिलासा देती हुई बोली।
“डरिये मत, हम यहाँ मदद करने के लिए आये हैं, एमा, डेविड और सकीना कहाँ हैं?”
सलमा ने फूट-फूट कर रोते हुए, हकला-हकलाकर, डोलोरेस से जो कुछ बोला, वह रॉकफोर्ड की समझ से परे था। सुनकर, डोलोरेस का चेहरा पीला पड़ गया। उसने तुरंत कैथरीन को फोन किया।
“हमें देर हो गयी।”
“हर मुश्किल का हमेशा कोई ना कोई हल जरुर निकल आता है, डोलोरेस, तुम बस धैर्य रखो।” कैथरीन ने उसे आश्वस्त किया।
अध्याय ४९
“विनाश निकट होगा और वे शांति की खोज में होंगे, लेकिन वहाँ केवल अशांति होगी।”
– एज़िकिएल 7:25 (बाईबल)
मानवीय चेतना पतित होकर एक घटिया बीमारी बन कर रह गयी है। हम उस राक्षस जैसे हो चुके हैं, जिसके हृदय में कोई करुणा नहीं बची, उसे बस दर्द देने में ही आनंद आता है।
सुनसान रेगिस्तानी खुला पठार, सूर्य के प्रकाश में चमक रहा था।
दीवार से पीठ सटाकर बैठे डेविड ने, बड़ी मुश्किल से अपनी आँखें खोलने का प्रयास किया। उसे ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन उसने अपनी दृष्टि नीचे की तो पाया कि उसके सर से टपकता हुआ रक्त, धीरे-धीरे उसकी जाँघों के बीच गिर रहा था और उसके कपड़े खून और पसीने से भीग गए थे।
“डेविड… डेविड! क्या तुम ठीक हो?” एमा ने उसके घावों पर उसका हाथ ना लगे, इस बात की सावधानी बरतते हुए उसे टटोलते हुए पुकारा।
“हूँह।” उसे चक्कर आ गया। उसने अपना सिर उठाकर देखा तो खुद को कच्ची सीमेंट की दीवारों वाले एक निर्माणाधीन कक्ष में पाया।
उसके बाएँ हिस्से में एक स्तंभ था, जिसमें बने आलों में इज़राइली सेना की वर्दी का बड़ी नफ़ासत से बांधा हुआ, एक बंडल रखा गया था। वह एमा को देखकर मुस्कुराया। उसकी आँखों में आँसू भरे थे, लेकिन शुक्र है वह ज़ख़्मी नहीं थी।
उसके सामने एक आदमी पड़ा हुआ कराह रहा था। डेविड ने उसे पहचाना, वह ओमार था, उसे पीट-पीटकर बुरी तरह से ज़ख़्मी कर दिया गया था।
देहरी से लगा कमरा, रॉकेट शैल के बक्सों से भरा पड़ा था। हथियारों का बड़ा ज़ख़ीरा, जो एक निर्णायक जंग के लिए जमा किया गया था।
“कहाँ… हम कहाँ हैं?” डेविड अपने सिर को स्थिर रखने के लिए संघर्ष कर रहा था।
“वह हमारे बारे में सब जानता है, डेविड। सुल्तान… वह सब जानता है, “एमा ने अटकते हुए कहा।
सुनते ही डेविड को एक झटका लगा और एकाएक सारा रक्त उसके दिमाग़ की ओर प्रवाहित हुआ, जिससे वह पूर्ण चेतन अवस्था में आ गया।
उसने अपने घूमते हुए सर को स्थिर किया और अपने आसपास की परिस्थितियों का आँकलन किया। उसने अपने आप को, आने वाली निश्चित मौत की सम्भावना के लिए तैयार किया और आसपास के लोगों को कैसे सहज रख सकता था, इस बात पर विचार किया।
“सकीना, सब ठीक हो जायेगा। तुम्हें कुछ नहीं होगा।” सकीना डर के मारे जैसे बहरी हो चली थी, उसने ध्यान ही नहीं दिया।
हाथ से चिह्नित लाइनों और प्रतीकों के साथ दीवार पर लटके एक नक्शे ने डेविड का ध्यान आकर्षित किया। बहुत बारीकी से उसका मुआयना करने पर, उसकी आँखें आश्चर्य से बाहर की ओर उबल पड़ी। नक्शे में एक जटिल सुरंग-श्रृंखला दिखाई पड़ रही थी, जो गाज़ापट्टी की सीमा को पार करते हुए, इज़राइल की सीमा में प्रवेश कर रही थी।
गंभीर खतरे के डर से उसके दर्द का अहसास जाता रहा। यह सच था; हमास ने इज़राइल पर आक्रमण करने के लिए मज़बूत सुरंगों का निर्माण किया था। इस तरह के लंबे और जटिल निर्माण, कुछ दिनों का काम नहीं हो सकते थे। सुरंगें एक नियोजित वास्तुकला का नमूना थीं और महीनों या शायद वर्षों की अवधि के दौरान बनाई गई थीं।
इज़राइली सेना की वर्दी का वहाँ होना, कुछ शैतानी काम और हमास के उग्रवादियों द्वारा धोखे से इज़राइल में घुसपैठ के षड्यंत्र को इंगित करता था। भारी परिमाण में सर्वनाशिक हमले की तैयारी। युद्ध अवश्यंभावी था। लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और, हमास युद्ध से पूर्व, अचानक हमला कर, इज़राइल को चौंका देने से चूक गया था।
यही कारण था कि वे गाज़ा में तैनात थे; यही कारण था कि उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। हमास का छिपा हुआ एजेंडा, मानवता की बर्बादी के लिए बनाया गया था। डेविड और एमा ने अपने जीवन को दाव पर लगाते हुए आखिरकार, सत्य की खोज कर ही ली।
“सुरंग… हम एक सुरंग में हैं,” डेविड ने एक अजीब सी फुस्फुसाती हुई आवाज़ में कहा। “ओमार? ओमार? क्या तुम मुझे सुन सकते हो?”
ओमार ने झिझकते हुए घरघराती हुई आवाज़ में कहा, “हाँ।”
“हम यहाँ कब से हैं?”
“… मैं नहीं जानता,” ओमार ने हकलाते हुए कहा, उसका सिर घूम रहा था। उसने उठने के लिए बहुत संघर्ष किया, आख़िर में वह उठ ही गया। भारी मार के कारण उसका चेहरा विकृत हो गया था। उसकी आँखें और गाल सूजे हुए थे। यह एक हौलनाक दृश्य था। डेविड ने एमा की ओर मुड़ते हुए पूछा, “डोलोरेस की कोई ख़बर?”
एमा ने ‘ना’ में सिर हिला दिया।
“भाड़ में जाओ।” डेविड अपनी किस्मत को कोसते हुए, भड़का।
शैतान का आगमन हो चुका था। क्रोध में काँपता हुआ सुल्तान, धरती को रौन्धता हुआ वहाँ आया।
एमा उसे देखकर थोड़ा झुकी और उसे रास्ता देने के लिए एक कोने में सरक गई, डेविड के निकट से होते हुए सुल्तान, ओमार के पास गया और उसके हाथ पर अपना पाँव ज़ोर से मारा, ओमार दर्द से बिलबिला उठा लेकिन अपनी बची-खुची शक्ति को समेटकर उसने, सामने के जंग लगे दरवाज़े को पकड़कर थोड़ा दूर जाने की कोशिश की। लेकिन सुल्तान ने उसका कॉलर पकड़कर वापस खींचा और उसके पेट में दो-चार मुक्के मारे और उस पर थूकते हुए बोला।
“तुम्हारे जैसे गद्दारों के कारण ही आज गाज़ा का यह हाल हुआ है।”
“उसे मत मारो, मत मारो उसे… वह कुछ नहीं जानता… उसे कुछ भी नहीं पता।” एमा ने गुस्से से बिना डरे कहा।
सुल्तान रुका और घूम गया। उसकी आँखें गुस्से में लाल थीं। “मेरी क़िताब में, धोखेबाजों के लिए केवल एक ही सजा है, दर्दनाक-मौत। तुमने उसे अपने देश को बेचने के लिए कितना ऑफर किया?”
“क्या? नहीं, नहीं! मैं भगवान की कसम खाती हूँ, उसे कुछ पता नहीं है।” एमा ने सुल्तान से विनती की। लेकिन उस नर-पिचाश पर एमा की विनती का कोई प्रभाव नहीं पड़ा, बल्कि उसने ओमार को मारने का निश्चय करते हुए; अपनी कमर पर लटकी पिस्तौल निकाली और बिना देखे ओमार के पैरों की ओर निशाना साधा। सकीना ने अपनी आँखें बंद कर लीं और आफ़रीन का चेहरा हाथों से ढक दिया।
“मैं तुम्हें अभी मार सकता हूँ, लेकिन यह मेरा ज़ाती मामला है। मारने से पहले, तुम सभी को पहले टॉर्चर करूँगा।” सुल्तान ने उसके दिल में उबलते हुए प्रतिशोध के साथ कहा।
सुनते ही डेविड की नेवी-सील की सहज-वृति जाग उठी और उसने सुल्तान की कमज़ोर पकड़ से उसकी पिस्तौल छीनकर उसे नीचे पटका और उसके चेहरे पर पिस्तौल तान दी, उसका हाथ स्थिर था। वह फिर से नौ-सैनिक बन गया था।
डेविड ग्लास ने सेवा निवृति के बाद, कभी हथियार न उठाने की कसम खाई थी। लेकिन जब एमा के जीवन पर खतरा मंडराता देखा, तो उसका वादा टूट गया। आज उसकी जान पर बन आई, तो सारी कसमें टूट गईं।
सुल्तान ने अपने शरीर में गुस्से की तेज लहर महसूस की, उसके अभिमान को घहरा आघात लगा। लेकिन फिर भी, गुस्से में आकर, उसने किसी भी मूर्खतापूर्ण हरकत करने से खुद को रोका।
“एमा, उठो और ओमार की मदद करो।” डेविड ने आदेश दिया।
एमा ने ओमार को उठने में सहारा दिया, लेकिन वह अपने कमज़ोर पैरों पर खड़ा ना रह सका और उसके कंधे पर झूल गया। उसके ज़ख़्मों से रिसता हुआ खून, एमा के कपड़ों को भिगो रहा था। वे लंगड़ाते हुए बाहर की ओर लपके।
लेकिन सकीना और आफ़रीन एक इंच भी आगे नहीं बढ़े।
“उठो, सकीना!” एमा ने अविश्वास से कहा।
पूरी तरह भयभीत सकीना ने, ना में सिर हिलाया।
डेविड ने अभी भी अपनी आँखें और पिस्तौल सुल्तान पर टिका रखी थी। “एमा! बाहर निकलो!” वह कठोरता से बोला।
एमा सकीना की ओर थोड़ा झुक गई, “वह तुम्हें अब कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता। मेरी बात सुनो, जो जानना था, हम जान चुके। मुझ पर एक बार और विश्वास करो।” एमा ने उससे विनती की।
सकीना का चेहरा शर्मसार हो गया, उसने डर के मारे हार मान ली। उसका सिर अभी भी, नहीं कहने के लिए हिला।
“जल्दी, यहाँ से चलो, नहीं तो हम सब को मार डाला जाएगा!” एमा उस पर चिल्लाई, और सकीना को चलने के लिए मजबूर किया।
सकीना रो पड़ी और खड़ी हो गई। वे बाहर निकल आये। डेविड पीछे की ओर मुड़कर, उल्टा होकर उनके पीछे चल दिया। इस बात से अंजान कि बाहर कौन सी मुसीबत उनका इंतज़ार कर रही थी, उसने अभी भी सुल्तान पर पिस्तौल तान रखी थी।
बाहर निकलते ही, चिलचिलाती धूप से उनकी आँखें चुंधिया गई। कुछ पल बाद उनकी आँखें देखने लायक हुई तो, उन्होंने खुद को एक पठार पर पाया, जो लाल मिट्टी और चट्टानी संरचनाओं, और बंजर भूमि से घिरा हुआ था। उन्हें अब एहसास हुआ कि पिस्तौल के बल पर भागना कितना बेकार था। वहाँ गाड़ियों पर सवार, हथियारों से लेस, शैतानों की एक छोटी सी सेना, गोला-बारूद के साथ उनका स्वागत करने के लिए तैयार खड़ी थी। उनके एक ओर कुआँ था तो दूसरी ओर खाई। दुर्गति और खून-खराबा निकट ही था।
सुल्तान के गुर्गे उन्हें, हिकारत भरी नज़रों से देख रहे थे। उसी समय सुल्तान, चेहरे पर कुटिल मुस्कान लिए विजेताओं की तरह कदम बढ़ाता हुआ, सुरंग से बाहर आया। उसे देखकर डेविड की आँखें आश्चर्य से फ़ैल गई।
सकीना अपने घुटनों के बल बैठकर अपनी छाती पीटते हुए अपने भाग्य को कोस रही थी, कि ये सब उसके और आफ़रीन के भाग्य में लिखा था। आफ़रीन ने अपने हाथों को ऊपर उठाया और अपनी माँ के आँसू पोंछे। सकीना ने उसे गले लगा लिया, और सोचा, अल्लाह ही अब उनका फ़ैसला करेगा।
डेविड ने आत्मसमर्पण में पिस्तौल को फेंककर, अपने हाथ उठाते हुए आगे बढ़ा दिए।
“तुमको ग़लतफहमी हो गई है, हम वह नहीं हैं जो तुमको लगता है कि हम हैं।” डेविड ने एक आख़री बार बचने की कोशिश की।
“क्या वास्तव में, ऐसा है?” सुल्तान व्यंग्यात्मक तरीके से बोला। “तुम डेविड ग्लास, एक्स-नेवी सील, जो अब संयुक्त राष्ट्रसंघ में काम कर रहे हो।” उसने एमा पर उंगली से इशारा करते हुए कहा, “तुम एमा ग्लास हो, पूर्व-सीआईए एजेंट, जो अब यूएन में काम कर रही हो। आधा-अधूरा सच, पूरे झूठ से भी बदतर होता है, तुम कितना ही छिपाओ, सच बाहर आ ही जाता है।”
“मैं तुम्हें मार सकता था, लेकिन मैंने नहीं किया। हम कोई खून-खराबा नहीं चाहते, कुछ तो रहम करो। ओमार तुम्हारे प्रति वफादार है।” डेविड बोला।
“वफादार?” सुल्तान तंज कसते हुए चिल्लाया। उसने एमा से ओमार को छीना, वापस मुड़ा और उसे ज़मीन पर फेंक दिया।
“एक कुत्ते की तरह बैठ,” सुल्तान ने ओमार को चिल्लाकर कहा और उसकी पसलियों में एक ठोकर मारी।
ओमार ने उसकी बात मानी और आशाहीन, अपमानित होकर, मौत की आशंका में बैठ गया।
“इस ग़द्दार की असलियत पहचानो,” सुल्तान नाटकीय ढंग से चिल्लाया। उसने अपनी कमर से एक ख़ंजर निकाला और बोला, “और गद्दारों के साथ जो सुलूक किया जाता है, वही मैं इसके साथ करूँगा।”
सुल्तान के नीचे पड़े ओमार के मुँह से अपना खून उगल दिया और कहा, “अमन के नाम पर और कितनी जाने जायेंगी?”
सुल्तान ने जवाब नहीं दिया। उसने ख़ंजर को ओमार की जली हुई गर्दन के पीछे पेवस्त कर, घुमा दिया। वह बुरी तरह से चीखा और उसके खून की फुहारें, सुल्तान के चेहरे से टकराई।
एमा ने अपनी आँखें बंद कर लीं। इससे उत्पन्न पीड़ा को वह सहन नहीं कर सकती थी। सकीना ने यह सोचकर कि वह उसको और उसकी बेटी को भी ऐसे ही ख़त्म कर देगा, सुल्तान की ओर शुन्य भाव से देखा।
क्या यही जीवन का अंत है? केवल ख़ंजर का एक वार और शरीर के सभी ऊतकों के साथ आपका अस्तित्व समाप्त? उन सभी यादों, प्यार, अनसुनी अलविदा और पछतावे के साथ-साथ आप मर जाते हैं, जैसे कि उनका और आपके जीवन का कोई अर्थ ही नहीं था। तभी एक गोली उड़ती हुई आई और बगल से सुल्तान की गर्दन को छेदती हुई दूसरी ओर से निकल गई। उसके हाथ से ख़ंजर छूटकर ज़मीन पर गिरा और वह अपनी गर्दन को थामते हुए लड़खड़ाया और किसी टूटे हुए पेड़ की भांति भरभरा कर, धडाम से ज़मीन पर फ़ैल गया।
डेविड ने अविश्वास्पूर्वक अपने दाहिने ओर देखा। डोलोरेस ने नेवी सील की टीम के साथ पहुँचते हुए, धावा बोलकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
सुरंग में प्रवेश करने से पहले, एमा के फोन से एक कमज़ोर सिग्नल मिला था, जिससे जोनाथन इनकी स्थिति का पता लगा पाया। डोलोरेस और नेवी सील टीम, इंतज़ार और इंतज़ार करती रही। अंत में, उन्हें अपने गंतव्य का पता चल ही गया।
नेवी-सील की टीम अपने पूरे बल के साथ फिर से तैयार खड़ी थी। वे किसी भी शोर से बचने के लिए, अपने प्रस्तावित गंतव्य से आधा मील पहले ही, हेलीकॉप्टर की रस्सी से नीचे उतरकर, चुपके से पैदल ही निकल आये। समय से पहले पहुँचकर, उन्होंने पठार की चट्टानों के एक बड़े हिस्से के पीछे छुपी हुई पीड़िता को खोज निकाला। काइल रोथ ने, सुल्तान को, ओमार को कसाई की तरह जिबह करते देखा और उस पर निशाना साधा और उसे मारने के लिए गोली चला दी।
जंग शुरू हो चुकी थी।
हमास के लोग मधुमक्खियों की तरह चारों ओर बिखर गए। भ्रमित, क्रोधित और घात लगाए हुए। वे छह के मुकाबले पच्चीस थे।
रॉकफोर्ड ने आदेश दिया, “चलते रहो, हमारे लोग अभी भी दुश्मन के इलाके में है।”
“कॉपी!” जवान एक साथ चिल्लाए।
टीम ने सावधानी से गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने अपने लोगों, एमा, डेविड, सकीना और आफ़रीन को बचाते हुए, केवल दुश्मनों को निशाना बनाया, इस कारण वे कुछ को ही मार सके। हमास मिलिशिया के बाकी लोगों ने तेजी से चट्टानों और कारों के पीछे आड़ ले ली। पठार कुछ ही सेकंड में, युद्ध के मैदान में तब्दील हो गया। उन्होंने पूरी ताकत से जवाबी हमला किया।
डोलोरेस ने अपने स्नाइपर दूरबीन के माध्यम से डेविड और एमा को ध्यान से देखा। भारी गोलीबारी के बीच वे चट्टानी सतह पर ओमार को सुरक्षा के लिए ले जा रहे थे, उसकी गर्दन के पीछे से खून बह रहा था। उनके बगल में, सुल्तान अपनी गर्दन को पकड़े हुए फुसफुसाता पड़ा था और उसके घाव से बुरी तरह खून बह रहा था। एक निर्दयी दानव के लिए सिर्फ़ इतना कम दुख। सकीना ने उसे घृणा से घूर कर देखा। जॉर्ज और कई अनगिनत बेगुनाह लोगों की मौत के लिए ज़िम्मेदार जल्लाद को उसकी करनी की सजा मिल चुकी थी।
एमा और डेविड ने सुरंग के किनारे ओमार को आराम से लेटा दिया। डेविड ने ओमार के गले के घाव पर बाँधने के लिए अपनी आस्तीन को चीरा और झुककर उस पर पट्टी की तरह लपेट दिया। हालाँकि उसके बचने की उम्मीद नहीं थी, फिर भी एमा ने घाव को बंद करने के लिए अपने नंगे हाथों से ओमार की गर्दन को ढक दिया।
“हम यहाँ तुम्हारे साथ हैं, ओमार। सब ठीक हो जायेगा।” एमा ने उसे सांत्वना देते हुए, रक्तस्राव को रोकने की पूरी कोशिश की। उसने उसकी ओर लुप्त होती आँखों से देखा, मदद के लिए एक शब्दहीन पुकार। वह मरना नहीं चाहता था, कम से कम आज तो नहीं।
डेविड ने सकीना और आफ़रीन को देखा, जो अभी तक सुरक्षित थे। शायद सकीना पागल हो गई थी। कुछ ही पल में, वह झुककर उनकी ओर लपका लेकिन वह विफल रहा। उसने झुककर उनकी ओर चलना फिर शुरू किया। कुछ गोलियाँ उसके बगल से गुजरीं। उसे बार-बार झुकना पड़ा, लेकिन वह बढ़ता रहा।
सुबह का सूरज मुस्कराया; पठारी इलाक़ा गोलियों की आवाज़ से गूँज उठा। सभी दिशाओं से गोलियाँ दागी जा रही थीं। गाज़ा में यह सब होना, रोजमर्रा की बात हो गई थी।
डेविड ने सकीना को पूरी ताकत से पीछे हटने के लिए कहा, “तुम यहाँ क्या मरने के लिए बैठी हो? एमा के पास वापस जाओ!” उसकी आवाज़ तेज और स्पष्ट थी।
उस पल, सकीना को एहसास हुआ कि वह कहाँ थी। डर, गोली की रफ़्तार से उसके दिमाग़ में घुसा। इससे पहले कि वह वापस जा पाती, एक विद्रोही ने उन पर हमला करने के लिए, उनकी ओर छलांग लगाई। जैसे ही वह करीब पहुँचा, डेविड ने उस पर एक पत्थर मारा, पत्थर उसकी आँख में जा लगा। लड़खड़ाने के कारण, उसकी एके – 47 राइफल, उसके हाथ से छूटकर गिर पड़ी, क्रोध में उसने उन पर खाली हाथों से ही हमला बोल दिया। उसने सकीना को निशाना बनाया। डेविड उनके बीच में आया और उस आदमी को मारकर गिरा दिया। पीछे हटती हुई सकीना से गलती से फिसल कर आफ़रीन नीचे गिर पड़ी। अपराधबोध से ग्रस्त एक माँ अपनी बेटी के लिए चिल्ला रही थी। दयाहीन और शैतानी फितरत लिए एक विद्रोही उनकी हत्या करने के लिए बेताब था। उसने आफ़रीन पर अपनी नज़रें गढ़ा दी थी।
डेविड ने अपनी बाईं बाँह के साथ आफ़रीन को उठाया और अपनी दाहिनी मुट्ठी के साथ रक्षा के लिए तैयार हुआ। विद्रोही ने उस पर छलांग लगाकर उसकी गर्दन दबोचने का प्रयास किया। प्रतिक्रिया करते हुए डेविड ने अपने मज़बूत हाथ से उसे खींचकर एक थप्पड़ रसीद किया। वह वापस आया और उसने डेविड की जंघा के बीच लात मारी। डेविड घुरघुराते हुए अपने घुटनों पर बैठ गया, और उसने उसकी गर्दन पकड़ ली, लेकिन आफ़रीन को अभी भी उसने अपनी गोद में जकड रखा था। डेविड ने उसके पेट में मुक्का मारा। वह दर्द से बिलबिला उठा, लेकिन मार के बावज़ूद भी उसने डेविड की गर्दन पर अपनी पकड़ ढीली नहीं की।
आफ़रीन साहसपूर्वक उस आदमी की बाँह को अपने नन्हे हाथों से पीटती रही। डेविड को अपने हाथों से बचाने में नाकाम रहने के बाद, उसने अपने दांतों को आदमी की उंगली के पीछे पूरा ज़ोर लगाकर काटा। विद्रोही की पकड़ ढीली पड़ गई और आखिरकार उसने डेविड की गर्दन छोड़ दी।
डेविड को ज़ोर ज़ोर से खाँसी का ठसका चलने लगा। लड़ाई ख़त्म नहीं हुई थी। विद्रोही ने ज़मीन से एक चट्टान उठाई और मारने के लिए दौड़ा। तभी एक गोली आई और उसकी कनपटी से पार हो गई। तत्काल उसकी रूह खुदागंज की ओर रवाना हो गई, बेजान शरीर लहराकर ज़मीन पर गिरा। रोनाल्ड हैम द्वारा एक अचूक निशाना लगाया गया, जो डेविड पर अपनी नज़रें जमाये हुए था।
डेविड, आफ़रीन और सकीना वापस एमा के पास आ गए। एमा का चेहरा बुझा हुआ था, उसके हाथ खून से लथपथ थे।
“क्या हुआ?” डेविड ने डरते हुए पूछा।
“वह बच नहीं सका।” उसने शोक व्यक्त किया।
डेविड ने ओमार के पीले पड़े शरीर को देखा। उसके शरीर से बहुत खून बह गया था; वह किसी हालत में बच नहीं सकता था। एक और दोस्त खो गया था। संक्रामक धुएँ की तरह, हवा में भय व्याप्त हो गया। वे छिपकर इंतज़ार करने लगे; उन्हें लेने के लिए, मौत और मदद, जो पहले आ जाये।
नेवी सील टीम इस पैमाने पर हमले के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित नहीं थी। वे जो भी गोला-बारूद साथ लाये थे, वह उनकी एकमात्र आपूर्ति थी; कोई बैकअप नहीं आ रहा था। लेकिन एक कला उनके पास थी-जो भी उस वक़्त उपलब्ध हो, उसी के सहारे युद्ध लड़ना, जो कि लड़ाई में किसी भी सैनिक की सबसे अधिक मूल्यवान धरोहर होती है।
अपनी राइफल को फिर से लोड करती हुई डोलोरेस चिल्लाई, “हमें आगे बढ़ने की ज़रूरत है!”
“ठीक है,” रॉकफोर्ड ने उत्तर दिया। “केसी… गोली का जवाब दो।”
केसी ने सिर हिलाया, और रॉकफोर्ड और उन्होंने गोलियों की बरसात शुरू की।
डोलोरेस ने आगे बढ़ने से पहले अपने हेलमेट को बांधा और चलने से पहले उसे आख़री आदेश दिया, “हेलिकॉप्टर बुलाओ।” वह, रोनाल्ड, रयान और काइल अपने लोगों को बचाने के लिए आगे बढ़े।
केसी ने बंदूक चलाते हुए ही, रेडियो पर आदेश दिया, “अब चॉपर्स लाओ, हम भयानक गोलीबारी के बीच फँसे हैं! हमें तुरंत यहाँ से निकालने की आवश्यकता है!” उसने रूककर, अपनी पिस्तौल वापस लोड की।
उस एक क्षण में, वह अपनी पूरी ताकत लगाकर चिल्लाया, कुछ उसके रास्ते में आ रहा था, “आरपीजी इन्कमिंग!” जिस चट्टान के पीछे वे छिपे थे, वह रॉकेट के टकराने से केसी और रॉकफोर्ड को उछालती हुई, टुकड़ों में विभक्त हो गई। केसी के सिर से खून बहने लगा, उसका शरीर ज़मीन पर इधर-उधर डगमगाने लगा। रॉकफोर्ड बुरी तरह से ज़ख़्मी हो गया था, छर्रे उसके सीने, हाथ और पैरों में घुस गए थे, जिससे वह युद्ध में बने रहने में असमर्थ हो गया।
विस्फोट ने डोलोरेस और उसकी टीम को चौंका दिया, लेकिन पीछे हटने से पूरे मिशन को खतरा होता। हालाँकि घायल होने के बावजूद, रॉकफोर्ड ने अपनी मुट्ठी उठाई ताकि उन्हें पता चल सके कि वह जीवित था। वे लड़ते रहे, वे आगे बढ़ते रहे।
उन पर एक वैन से फिर आरपीजी दागे गए। “इन्कमिंग!” काइल ने फिर से चिल्लाकर कहा। वे मुड़कर एक दूसरे से दूर भागे। डोलोरेस ने वैन पर गोली चलाई, जो गैस की टंकी से टकराई। उसमे तुरंत ही विस्फोट हो गया, इसके साथ पाँच दुश्मन भी हवा में उछले और गिरकर मारे गए।
डोलोरेस और टीम फिर से संगठित हो गई। दुश्मन चौंका, तेजी से भागने के लिए उन्होंने रास्ता खोजा, और पूरी ताकत से सुरंग के मुहाने की ओर भागे।
डोलोरेस रोमांचित हो कर एमा के ऊपर कूद पड़ी और ख़ुशी के आवेग में उसने एमा के होंठो पर अपने होंठ रख दिए।
“तुम्हें ढूंढना बहुत मुश्किल है।” डोलोरेस ने कहा, उसने अभी भी एमा को गले लगा रखा था। एमा फूट-फूट कर रो रही थी।
“चलो घर लौट चलें।” डोलोरेस ने कहा, और आलिंगन से मुक्त हो गई।
“काइल, सुरंग को उड़ा दो!” उसने आदेश दिया। काइल ने तुरंत आदेश का पालन किया और विपरीत दीवारों पर विस्फोटक लगाए।
पठार के युद्ध के मैदान को निहारते हुए हेलीकॉप्टर आया। आशा अंतत: फलीभूत हुई। थोड़ी दूर का रास्ता और यह सब ख़त्म हो होने वाला था।
“हमारी सवारी यहाँ है।” रायन ने खुशी से घोषणा की, इस बात से अंजान कि केसी ने उसी क्षण दम तोड़ा।
उन्होंने डेविड, एमा, सकीना और आफ़रीन के चारों ओर एक मानव परिधि का गठन किया और अपने आप को एक सुरक्षित मार्ग को वहन करने के लिए लक्ष्यहीन रूप से गोलीबारी करने लगे। उन्होंने कुछ और लोगों को गिरा दिया; विजय सामने दिखाई दे रही थी।
काइल ने डेटोनेटर में विस्फोट किया। विस्फोट बड़े पैमाने पर था, जिससे धूल की एक चादर सी बन गई। उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। दुश्मनों की ओर से गोलीबारी रुक गई।
“लगता है कि हमने उन सभी को मार गिराया।” रयान ने धीरे से कहा, लेकिन खतरा अभी टला नहीं था।
हेलीकॉप्टर उड़ने के लिए तैयार था।
एमा ने आशंका से पीछे देखा। उसका दिल भर आया। उसने सहारे के लिए डेविड का हाथ पकड़ रखा था। उसने भी गर्मजोशी के साथ एमा का हाथ दबाया।
“पचास मीटर!” रोनाल्ड ने हेलीकॉप्टर तक की दूरी की घोषणा की। डोलोरेस की अभिव्यक्ति गंभीर थी। वे रोटरों द्वारा उत्पन्न जंगली हवा को महसूस कर सकते थे, उनकी आँखें धूल से भर गयी, उसी वक़्त।
धुएँ में से निकलकर, एक आतंकवादी उनकी ओर दौड़ा। सबसे पहले एमा ने उसे देखा। उसने डेविड पर निशाना साधा और गोली चला दी। एमा ने गोली से बचाने के लिए डेविड को धक्का दिया और वे दोनों नीचे ज़मीन पर गिर पड़े। अगले ही पल, डोलोरेस ने उस विद्रोही को गोली मारकर खुदागंज का टिकट थमा दिया। मैदान में, एमा के चेहरे पर डेविड की नज़र पड़ी तो उसने देखा कि गोली उसके सिर के ऊपरी हिस्से पर लगकर दूर जा गिरी थी; उसका सारा चेहरा खून से लथपथ हो गया था।
“नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं!” डेविड ज़ोर रोते हुए चिल्लाया।
उसने अपनी गोद में एमा को लेटाया, उसकी आँखें अभी भी खुली हुई थी। खून बह रहा था और वह सदमे में थी।
“मुझे पट्टियाँ और प्लाज्मा दो!” डोलोरेस चिल्लाई।
सकीना और आफ़रीन एमा के पैरों की ओर बैठ गई। सकीना ने उसके जूते उतार दिए और अपनी पूरी ताकत से एमा के पैरों को रगड़ने लगी।
डेविड के आँसू एमा के चेहरे पर गिरे और उसके खून के साथ मिलकर, एकाकार हो गए।
एमा ने अपनी आँखें बंद करने से पहले, अपने अंतिम शब्द कहे।
“डेविड, मुझे ठंड लग रही है।”
अध्याय ५०
“हम सभी सिर्फ़ एक दिन की लड़ाई सफलतापूर्वक लड़ सकते हैं। लेकिन जब हम दो बेकाबू दिनों, बीते हुए कल और आने वाले कल को इसमें सम्मिलित कर लेते हैं, उसी समय हमें व्याकुलता घेर लेती है, और हम हार जाते हैं।”
– स्टीव माराबोली
५० दिन बाद, न्यूयॉर्क
युद्ध समाप्त हो चुका था।
कई असफल प्रयासों के बाद, इज़राइल और हमास अंततः एक स्थिर युद्ध-विराम के लिए सहमत हो गए। लगभग चौतीस सुरंगों को नष्ट किया गया था, जिनमें से १७ इज़राइल में जा कर खुलती थी। इज़राइल ने भी अपने सैनिकों को गाज़ा से वापस बुला लिया था।
युद्ध के अंत के दौरान, तुर्की में एक निर्वासित हमास अधिकारी ने इज़राइली किशोरों के अपहरण की ज़िम्मेदारी का दावा किया, जिनकी खोज का परिणाम गाज़ा की भयानक घेराबंदी के रूप में हुआ। निस्संदेह, हमास ने अपनी कार्रवाई को उचित ठहराते हुए, यह दावा किया कि निहत्थे, निर्दोष किशोरों की हत्या, इज़राइल द्वारा किए गए कब्जे के ख़िलाफ़ सिर्फ़ एक न्यायोचित कार्रवाई थी।
संयुक्त राष्ट्रसंघ ने बताया कि इतने भारी परिमाण में हुए विध्वंस के बाद, गाज़ा के पुनर्निर्माण में कम से कम दस साल लग जायेंगे।
मिशन को गाज़ा और काहिरा से समेट लिया गया था। मैथ्यू, हेदर, डोलोरेस, जोनाथन, और अन्य सभी अपने-अपने, सामान्य जीवन में वापस, लेंगली लौट आए। डेविड भी न्यूयॉर्क लौट आया था।
डेविड ने अपने मनोचिकित्सक के ऑफिस डेस्क पर, अपने आधे – खाली फ्लास्क को ज़ोर से पटका। उसने मरीज की कुर्सी पर बैठने से इंकार कर दिया, इसलिए उसके मनोचिकित्सक डॉ. रॉबर्ट (बॉब) पेज, ने उसे अपनी मेज़ के सामने रखी कुर्सी पर बैठने की पेशकश की।
मेज़ पर हाथ टिकाये डेविड ने अपनी ठोड़ी हथेलियों पर टिका ली। कई रातों से नींद नहीं आने से उसकी आँखें सूजी हुई थी और उसका चेहरा पीला पड़ा हुआ था। उसने अपना मुँह बंद ही रखा, क्योंकि वह जानता था कि व्हिस्की से भरी साँस की बदबू डॉक्टर को बेहोश कर देगी।
“डेविड।” बॉब ने उसकी तवज्जो अपनी ओर चाही। “मेरी तरफ़ देखो।” डेविड ने अपने आप को व्यवस्थित किया और बॉब की ओर देखा।
“मुझे पता है कि तुम्हें यहाँ आना पसंद नहीं है।”
“मैं यहाँ इसलिये हूँ, क्योंकि मुझे यहाँ आने के लिए मजबूर किया गया है।” उसने शिकायती लहजे में कहा। डॉक्टर ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की।
“और, तुमने पी रखी है।” बॉब ने बिना तोहमत लगाये कहा।
डेविड ने कहा, “मैं केवल इसी हालत में बात कर सकता हूँ।”
“ठीक है, कोई बात नहीं। मुझे बताओ, तुमने हाल ही के दिन, किस तरह से गुजारें हैं?” बॉब ने उसके हाथों को थामते हुए पूछा।
“मैं अपने आप से बहुत बातें करता हूँ।” उसने अपने परेशान करने वाले विचारों की कल्पना करते हुए कहा। उसकी आँखें खुली थी, लेकिन उसके सामने क्या है, इसका उसे अहसास नहीं था।
“तुम किस बारे में बातें करते हो?”
डेविड एक पल के लिए रुका, वह अपने व्यवहार पर पछताते हुए सोच रहा था, कि उसे क्या बोलना चाहिए। “ये सब एमा की जगह, मेरे साथ होना चाहिए था। वह मेरे रास्ते में क्यों आई? ऐसा मेरे ही साथ होना चाहिए था।”
“तुम्हें अपने आप को दोषी ठहराना बंद करना चाहिए। वह तुम्हें बचाने के लिए रास्ते में इसलिये आई, क्योंकि वह तुमसे बहुत प्यार करती है। डेविड, अपने आप को सम्भालो।”
डेविड ने मनोचिकित्सक की ओर भीगी आँखों से देखा, “मेरी पत्नी पचास दिनों से कोमा में है।” उसकी जबान लड़खड़ा रही थी।
“उसकी दो ब्रेन सर्जरी हो चुकी है, फिर भी उसके जीवित रहने की संभावना आधी-आधी है। मैं उसके बिना कैसे रह पाउँगा?” उसने अपने फ्लास्क से बर्बन व्हिस्की का एक और घूंट लिया।
बॉब ने डेविड की परेशानी को गंभीरता से समझा। उसका व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण था, लेकिन उसने अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए, पेशेवर दृष्टिकोण अपनाया।
“मुझे ऐसा लगता है, जैसे मेरे दिल में कोई छेद हो गया हो। मैं अपनी हड्डियों तक को खोखला महसूस करता हूँ; मैं कहीं खो गया हूँ। मुझे उसकी बहुत याद आती है।” ये सब फुसफुसाते हुए उसने अपना सिर नीचे झुका लिया।
“मैं उसे वापस पाने के लिए क्या करूँ? मैं किससे प्रार्थना करूँ? मैं उसकी मुस्कुराहट को फिर से देखने के लिए कुछ भी करूँगा।” डेविड ने उसकी मुस्कान के बारे में सोचा, कितनी सुंदर, कितनी मधुर, कितनी शांतिपूर्ण।
उसके बारे में विचार करने के बाद उसे, रह-रह कर ये बात साल रही थी कि वह अभी भी ज़िंदगी के लिए, मौत से संघर्ष कर रही है। वह क्यों बच गया, इस बात का अपराध-बोध होते ही, उसे बेचैनी का दौरा पड़ा, और उसने कलेजे को जलाने वाली, व्हिस्की का एक और घूंट, गले से नीचे उतारा।
डेविड ने जाने के लिए उठते हुए कहा, “शुक्रिया, डॉक्टर।”
बॉब ने अनुरोध किया, “मैं फिर से, अगले सप्ताह, तुमसे ईसी समय मिलना चाहूँगा।” डेविड ने सिर हिलाया और कमरे से बाहर चला गया।
अपने विचारों की कभी न ख़त्म होने वाली श्रृंखला में खो जाने के बाद, डेविड व्यस्त सड़क पर अपनी आँखें पोंछता हुआ, आगे बढ़ गया।
‘मुझे उसकी बहुत याद आती है। मेरे आँसू मुझे याद दिलाते हैं, कि मैं उसके बिना कितना टूट गया हूँ, हाल ही में, कैसी विनाशकारी घटनाएँ हुई हैं, लेकिन मैं, अभी भी, उससे दिलो-जान से प्यार करता हूँ। इस तरह का विश्वासघाती प्रेम, खुशी पर एक उपहास है।’
अपनी अचानक और निर्णायक हार के बाद, बेथ शेर को रोजमर्रा के जीवन से अलग हो, थोड़े आराम की ज़रूरत थी। मेडो फॉय को भूलने के लिए उसने दुनिया भर की यात्रा की। उसे अपने किये का पछतावा नहीं था, बस इस बात का अत्यंत दुःख था कि जिस महिला से वह दीवानगी की हद से भी ज़्यादा प्यार करती थी, उसके साथ कभी नहीं रह पायेगी।
उसके गायब होने का एक और कारण, सीआईए के गर्म माहौल से दूर भागना था। उसकी करतूतों ने, लाशों के ढेर लगवा दिए थे। अनुपस्थित रहने के लिए, उसे यह ग़लतफ़हमी थी, कि; जब आप किसी की नज़रों के सामने नहीं रहते, तो लोग आपको और आपके द्वारा किए गए गुनाहों को भूल जाते हैं। जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है।
आज वह अपने स्वैच्छिक अवकाश से काम पर लौटआई। एजेंसी में उसके दोस्तों के अनुसार, किसी ने भी उसके बारे में, अथवा ऐसा कुछ नहीं पूछा था, जिससे किसी तरह का संदेह उत्पन्न होता हो। उसने सोचा, हो सकता है, कि चीजें उतनी बुरी ना हों, जितनी मैनें कल्पना की थी।
उसने अपने केबिन के रास्ते पर मिलने वाले सभी लोगों का अभिवादन किया। उसकी सहायक, टिफ़नी, उसके केबिन के ठीक बाहर, उसकी मेज़ पर थी, वह बेदाग़ कपड़े पहने थी, लेकिन उसके चेहरे पर तनाव स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
“गुड मॉर्निंग, टिफ़, बहुत अरसे के बाद तुम्हें देखा।” वह उसको खुश करते हुए बोली।
“बेथ, कुछ लोग आपसे मिलने यहाँ आये हुए हैं।” टिफ़नी ने चिंतित होकर कहा।
“ओह,” बेथ ने अंदर झाँका, उसकी आँखें आश्चर्य से चौड़ी हो गईं।
अपने बिन बुलाए मेहमानों के सामने, उत्साहित होने का दिखावा करते हुए उसने अंदर प्रवेश किया किया।
डोलोरेस, कैथरीन और मैथ्यू, बेथ के सजे हुए केबिन में, चारों ओर घूमते हुए यहाँ-वहाँ रखी, कलाकृतियों को प्रशंसात्मक दृष्टि से निहार रहे थे।
“गुड मॉर्निंग, मैं आप सब के लिए क्या कर सकती हूँ?” बेथ ने अपने लहजे को जितना हो सकता था, नर्म रखा, लेकिन अंदर ही अंदर वह तीनों को चीर-फाड़ देना चाहती थी।
डोलोरेस ने जैसे ही बेथ पर अपनी खोजी नजरें गड़ाई, उसके चेहरे का रंग उड़ गया।
“तुम्हारी छुट्टी कैसे बीती?” डोलोरेस ने पूछा।
“सुखद और आराम-दायक, तुम सब बैठ क्यों नहीं जाते? डोलोरेस, तुम कुछ थकी हुई लग रही हो।”
बेथ अपनी कुर्सी पर बैठ गई और उसके मेहमान भी उसके सामने बैठ गए।
“जो हुआ उसके बारे में सुनकर मुझे बहुत अफ़सोस हुआ। एमा अब कैसी है?” बेथ को पता था, कि उसने जो पूछा है, वह उसे नहीं पूछना चाहिए था।
डोलोरेस की अभिव्यक्ति क्रोध में बदल गई, वह बोली, “कोमा में है और अभी भी जीवन के लिए संघर्ष कर रही है।”
सुनकर बेथ को पछतावे के कारण ऐसा आघात लगा, जैसे किसी ने एक टन का पत्थर उसके चेहरे पर दे मारा हो, अफ़सोस उसके चेहरे पर स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। उसने मेज़ पर हाथ रखा, “यह सब बदकिस्मती से हो गया।”
डोलोरेस ने उसे घृणास्पद तरीके से घूरा। डोलोरेस की ओर से कैथरीन ने जवाब दिया, “तुम्हारे लिए ये सब कहना कितना आसान है, है ना?”
“तुम्हारा मतलब क्या है?” बेथ ने भ्रमित होने का ढोंग किया और फौरी नाराज़गी भी जताई जताई।
“उन्हें, तुम्हें तो ऑस्कर से नवाजना चाहिए।” डोलोरेस ने बेथ के कृत्य का तिरस्कार करते हुए उस पर व्यंग्य किया।
“सुनो, बेथ… तुम काफ़ी होशियार हो। हम जानते हैं, कि तुमने क्या किया, ये कोई छिपने वाली बात नहीं है।” कैथरीन ने अपने पत्ते खोलते हुए एक धूर्त मुस्कराहट पारित की। बेथ के पास, पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं बचा था।
डोलोरेस ने कहा, “पहले, हम यह पता नहीं लगा सकते कि मेरे साथ जो रहा था, वह कौन है, और क्यों कर रहा है? लेकिन तुम्हारा व्यवहार अजीब था। मैथ्यू ने यह अनुमान लगाया कि, यहाँ कुछ गड़बड़ है, इसलिए हमनें तुम पर नज़र रखने का इंतजाम किया। उसके बाद तुमने सबसे बड़ी गलती की, कि तुम मेडो से मिलने गई।”
डोलोरेस ने बेथ की करतूतों को उजागर कर, उसे सबके सामने नंगा कर दिया था। उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका राज़, इस तरह फ़ास होगा। उसके सपनों का महल एक ही पल में, ताश के पत्तों की तरह बिख़र कर ढेर हो गया। उसे उम्मीद थी कि इस मिशन में, डोलोरेस बुरी तरह से असफल होगी या शायद मारी भी जाएगी और जब मेडो का कोई जीवन साथी ही नहीं बचेगा तो, वह मेडो के लिए वहाँ होगी, और फिर वे एक साथ होंगे। ‘मुहब्बत और जंग में सब जायज होता है।’
अपनी पोल खुलने पर, बेथ भौंचक्की रह गई।
डोलोरेस ने उस पर तरस खाते हुए कहा, “तुम केवल और केवल मेरी पत्नी के कारण नौकरी से बर्खास्त किए जाने और सलाखों के पीछे होने से बची हो। मैंने उसे तुम्हारी सारी करतूत बताई, फिर भी उसने मुझे तुम्हें बक्शने के लिए विनती की। मैंने जिस महिला से शादी की है, वह रहम दिल, कृपालु और क्षमाशील है। जो कि तुम हरगिज नहीं हो।”
बेथ ने अपनी आँखें नीची कर लीं, इस पर विचार करते हुए कि मेडो उसके बारे में क्या सोचती होगी? उसे जो भी नुक्सान हुआ, उसमें सबसे ऊपर, उसका मेडो की नज़रों में गिर जाना था।
डोलोरेस और कैथरीन जाने के लिए उठी।
“अगर मुझे जरा भी भनक लगी, कि तुम फिर से ऐसा कुछ करने जा रही हो, तो मैं तुम्हें ज़िन्दा ज़मीन में दफ़न कर दूंगी।” कैथरीन ने धमकी देते हुए टेबल से, बेथ की नेमप्लेट को उठा कर फेंक दिया।
डोलोरेस ने बेथ पर अपनी नजरें गड़ाये हुए कहा, “अगर एमा को कुछ हो जाता है,…तो अपना इस्तीफ़ा तैयार रखना, और खुद ही दे देना।
कैथरीन और डोलोरेस, तूफान की गति से वहाँ से चली गई। मैथ्यू उसके कक्ष में रुका रहा।
बेथ ने उसकी ओर उदासी भरी नज़रों से देखते हुए कहा, “अब तुम्हें क्या चाहिए?”
उसने अपने चश्मे को ठीक करते हुए कहा, “बहुत सारे लोगों ने तुम्हारी वजह से अपनी जानें गँवाई है। तुम एजेंसी के लिए एक कलन्क हो। मैं और कुछ नहीं कहना चाहूँगा।” वह अपनी कुर्सी से उठा और जाने के लिए मुड़ा। जाते-जाते उसने आख़री बार बेथ पर नज़र डाली। पहली बार उसने बेथ के चेहरे पर ग्लानि के भाव देखे।
“मैं कोई राक्षस नहीं हूँ… मैंने ये सब, बस प्यार की खातिर किया है।” उसने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में अपना गुनाह कबूल किया।
डेविड ने विशेष आईसीयू के कमरा नंबर १५६ के अंदर भारी कदमों से प्रवेश किया। उसे एमा को देखने की खुशी थी और उसे ट्यूब से जुड़ा हुआ, बोलने की अवस्था में नहीं होने, वेंटिलेटर की सहायता से साँस लेते हुए देखने का दुःख भी था। एमा की स्थिति एक शव के सामान थी।
डेविड को वहाँ एमा के अलावा कुछ और नज़र नहीं आ रहा था। एमा इतनी दुबली हो चुकी थी, कि किसी कंकाल पर त्वचा लपेट रखी हो, ऐसी दिखाई दे रही थी। उसका रंग पीला पड़ चुका था। उसके जबड़े से एक स्वांस नली जुड़ी थी और पेट में एक फीडिंग ट्यूब डाली हुई थी। इस अवस्था में वह स्वयं एक मृत्यु की तरह दिखाई देती थी।
उसे इस हालत में देखना, डेविड को कतई गवारा नहीं था। वह केवल एक चीज़ चाहता था, कि वह स्वस्थ और महफूज़ रहे। ज़िंदगी का अपना एक उसूल है, कि आप जिससे हमेशा सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं, उसे आपसे वह छीन लेती है। वह काफ़ी दुखी था; पूरे पचास दिन — वे युद्ध से तो घर वापस आ गए थे, लेकिन युद्ध ने उन्हें नहीं छोड़ा। वे दोनों अभी भी जीवित रहने के लिए संघर्षरत थे। एक जोड़ा, जो एक-दूसरे के प्यार में पागल, लेकिन स्पष्ट रूप से दुर्भाग्यशाली दिखाई दे रहा था।
इस बात से बेख़बर डेविड, कि बगल में कुर्सी पर उसकी सास ऊँघ रही है, एमा के पास पहुँच गया। उसने अपने आँसुओं को रोकते हुए, उसके माथे पर चुम्बन दिया।
“मैं यहाँ हूँ, तुम्हारे पास।”
उनकी आवाज़ से एमा की माँ जाग गई। “मुझे खेद है।” उसने माफ़ी माँगी।
“कोई बात नहीं,” वह जम्हाई लेती हुई कुर्सी से उठकर, सोफे की ओर बढ़ी। डेविड उसकी कुर्सी पर बैठ गया।
एमा की माँ, एलेन, भारी हृदय से, हिचक के साथ उठी और चलने लगी। उसने डेविड पर एक सहृदयतापूर्ण दृष्टि डाली। उसकी मुस्कान में एक सकारात्मक और फ़िक्रमंद माँ, दिखाई दे रही थी।
“आप इतनी सकारात्मक कैसे रहती हो?” डेविड आश्चर्यचकित था।
एलेन ने दृढ़ विश्वास के साथ कहा, “मेरी बेटी ईश्वर का प्रकाश है, वह बिलकुल ठीक हो जायेगी, क्या तुम थोड़ी कॉफ़ी लोगे?”
“जी नहीं, शुक्रिया।”
“ओह, मुझे लगता है कि मुझे तुम दोनों को कुछ देर अकेला छोड़ना चाहिए।” कहते हुए, वह कमरे से बाहर निकल गई।
वहाँ एक अजीब और दर्दनाक चुप्पी छाई हुई थी।
उसने एमा का निर्जीव सा हाथ पकड़ कर अपने गाल पर रख लिया; उसे वह बिलकुल ठंडा महसूस हुआ।
उसने, उसके बेजान चेहरे को निहारते हुए कहा “मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है। मैं जिस किसी से भी प्यार करता हूँ, वह मुझसे दूर चला जाता है… ठीक है, मैं समझता हूँ, यह जीवन का नियम है। लेकिन मैंने तुमको अपनी जीवन-संगिनी के रूप में इसलिये चुना क्योंकि मैं तुमको कभी भी अपने से दूर नहीं जाने देना चाहता था। प्लीज़ वापस आ जाओ।” इससे पहले कि वे उसके हाथ पर गिरते, उसने अपने आँसू पोंछे।
“माँ और पिताजी भी मुझे जल्दी छोड़ गए। फिर मरीन कॉर्प्स के सभी दोस्त भी मारे गए। मैंने ही अपने सबसे अच्छे दोस्त की चीथड़े हुई लाश को बैग में पैक किया था। मैंने अपने जीवन में बहुत ज़्यादा मौतें देखी हैं। मैं अब और मौतें बर्दाश्त नहीं कर सकता… मैं अंदर से टूट रहा हूँ, एमा। मुझे तुम्हारे बिना यहाँ कुछ भी अच्छा नहीं लगता। अगर तुम वापस नहीं आई, तो मैं तुम्हारे पास आ जाऊँगा। दोनों ही स्थितियों में, हम एक साथ रहेंगे।”
अध्याय ५१
“जब आप एक ज़िन्दगी को बचाते हैं, तब आप पूरी दुनिया को बचाते हैं।”
– ताल्मुन्द
मृत्यु क्या है? क्या यह शरद ऋतु में पत्तियों के पेड़ों से टूटकर झड़ने जैसी सरल है अथवा हमारे द्वारा उठाये गए सभी भयानक दु:ख और दर्द से अन्तत: छुटकारा है? अथवा हमारी यात्रा का पूर्णतः अंत होना? अथवा शायद एक एहसास? यह महसूस करना कि, यह सब सिर्फ़ एक सपना था और हम सिर्फ़ कल्पना-लोक में जी रहे थे। किसी जीवित व्यक्ति को यह बात ज्ञात नहीं है, और मरने के बाद कोई बता नहीं सकता। क्या मौत एक अन्धकार पूर्ण नींद है? अथवा यह जीवन-रूपी कल्पना-लोक से एक जागरण है?
उन्होंने कहा, अपनी आँखें खोलो, समय मेरे ज़ख़्मों को शायद ठीक कर रहा है। मैं ज़िन्दा रहना चाहती थी, लेकिन इस तरह नहीं, इस कभी न ख़त्म होने वाले दर्द की पीड़ा को सहने के लिए नहीं। मेरी इच्छाएँ क्षीण पड़ती जा रही थी। मेरा रोम-रोम मुझसे अनुरोध कर यह कह रहा था, कि हमें अब आराम करने दो, हम बहुत थक चुके हैं। एक भ्रामक यातना, एक चीखों से भरा भयानक सन्नाटा। मैंने अन्य आत्माओं को, उनका समय आने, प्रस्थान करने, और जीवन के इस काल-चक्र में किसी और स्वरुप में परिवर्तित होने की प्रतीक्षा करते हुए देखा।
जीवन से अनभिज्ञ, स्पर्श-हीन अनुभूति की अवस्था में, मैं कुछ क्षण के लिए साँस लेना भूल गयी। प्रस्थान का समय आ चुका था। लेकिन कुछ ऐसा था, जिसे मुझे हासिल करना बाकी था, और इसी ने मुझे जाने से रोक लिया।
शायद वह एक वादा था, एक जवाब का इंतज़ार करता हुआ सवाल? एमा।
बेथ को उसके दफ्तर में धमकाने के दो दिन बाद डोलोरेस, गाज़ा की युद्ध रिपोर्ट के अंतिम प्रस्तुतीकरण से पहले, डेविड के प्रकरण की गोपनीय सुनवाई और एमा को देखने के लिए, हेदर के साथ न्यूयार्क पहुँची।
यह बताते हुए, कि वह पहले ही काफ़ी मुसीबतें झेल चुका है, मैथ्यू लैंग्ले वापस आ गया था। कैथरीन ने डोलोरेस के साथ यात्रा करने से इंकार कर दिया। उसके अनुसार, यह ‘डोलोरेस द्वारा खुद को सच्चा और ईमानदार साबित करने का एक सुनहरा अवसर था।’ और इसमें उसकी कोई ज़रूरत नहीं थी।
यह बैठक संयुक्त राष्ट्रसंघ मुख़यालय की ४३ वीं मंज़िल पर होनी थी। डेविड को छोड़कर हर सदस्य, समय पर पहुँचा।
अमाह बेल ने डोलोरेस की ओर अजीब नज़रों से देखा। किसी को पता भी नहीं था कि बात को कैसे शुरू करें? कोई भी, डेविड के देरी से आने पर नाराज़ नहीं होना चाहता था। उन्होंने नैतिक रूप से महसूस किया कि वह जिस संकट से जूझ रहा है, इसके लिए वह सहानुभूति का पात्र है।
अमाह ने ऊबते हुए, उस डोजियर को फिर से पढ़ा, जिसे वह पहले ही दस बार पढ़ चुकी थी। युद्धग्रस्त गाज़ा के बारे में, डेविड ग्लास द्वारा मूल रूप से जो जानकारी हासिल की गई, वह बहुत विचलित करने वाली, लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण थी।
अमाह के दो वरिष्ठ अधिकारी, बैठक के संचालन के प्रभारी थे। दक्षिण अफ्रीका के बेंजामिन एंडोह, छोटे किए गए अफ्रीकी केश विन्यास के साथ एक अधिक वजन वाला अश्वेत। बैरोनेस हॉवर्ड, एक निष्पक्ष चरित्र वाली दयावान जर्मन महिला। यदि हेनरी ब्लैंक आज जीवित होता, तो ये दोनों यहाँ नही होते।
इंतज़ार ख़त्म हुआ। डेविड ने काँच का दरवाज़ा खटखटाया और हेदर के साथ उपस्थित हुआ। डोलोरेस अपनी कुर्सी से उठी और उसका अभिवादन करने के लिए आगे बढ़ी। “मिस्टर छः फीट के चलते फिरते तूफ़ान।” उसने तत्परता से उसका अभिवादन करते हुए कहा।
उसकी पत्नी की, मौजूदा दुश्वारियों के लिए ज़िम्मेवार महिला को नज़रंदाज़ करते हुए, आकर उसने अपना स्थान ग्रहण किया। वह शर्मिंदा थी, लेकिन यहाँ उसने सहनशीलता का परिचय दिया।
“मैं देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ,” उसने कहा। उसकी साँसों से मिंट की महक आ रही थी।
उसने सुनवाई के माहौल की गरिमा का सम्मान करने के लिए एक साफ़-सुथरा – ग्रे सूट पहना था। उसकी बढ़ी हुई दाढ़ी के बावजूद, उसके चेहरे का पीला पड़ा हुआ रंग, साफ़ दिखाई पड़ रहा था।
सभी की नजरें डेविड पर टिकी थीं। उसके हाव-भाव, उसके शरीर से निकल रही तरंगें, उन शिष्ट अधिकारियों को यह दर्शा रही थी, कि युद्ध में फँसे व्यक्ति की क्या दुर्दशा होती है। डेविड ने बेंजामिन एंडोह को एक देशी मुहावरे की याद दिलाई, “अत्याचारी, अक्सर अपने द्वारा किए गए अत्याचारों को भूल जाता है, लेकिन अत्याचार सहने वाले की स्मृति में वे सदा बने रहते हैं।”
बैरोनेस हॉवर्ड ने घोषणा की। “सभा की कार्यवाही शुरू होती है। ये हमारी ‘ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज’ पर फायनल रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पूर्व की अंतरिम सुनवाई है।” उसने नियमानुसार इसे बताने की बाध्यता के कारण, ऐसा कहा।
“तुमने, तुम्हारी पत्नी और जॉर्ज मार्टिंस ने युद्ध के वास्तविक कारणों पर ख़ुफ़िया जानकारी हासिल करने के लिए, गाज़ा सिटी में गोपनीय रूप से प्रवेश किया?” बेंजामिन ने औपचारिक प्रक्रिया के तहत पूछा।
“उम-हम्म,” डेविड ने अपने झुक रहे, सर को सीधा रखने की कोशिश करते हुए सिर हिलाकर ‘हाँ’ में जवाब दिया। बेंजामिन ने उसे फाइल में नोट किया।
“संयुक्त राष्ट्रसंघ के जिन स्कूल-परिसरों का उपयोग, शरणार्थी – शिविरों के रूप में किया जा रहा था, उनमें क्या हुआ था?”
डेविड ने उस भयावह घटना की अपनी स्मृति को याद करते हुए कहा, “हमने देखा कि कुछ आदमी सैन्य-ग्रेड के हथियारों, हथगोले, राइफलें इत्यादि को, स्कूल में छुपा रहे थे, उसी समय कुछ हुआ। जॉर्ज ने हमारे ट्रक के अंदर एक बच्चे को बैठे देखा। उसने ट्रक स्टार्ट कर दिया और फिर तो विस्फोटों की ऐसी श्रृंखला बनी, जैसे नरक, धरती फाड़ कर ऊपर आ गया हो। क्या मुझे एक गिलास पानी मिल सकता है?” उन घटनाओं को याद करते हुए डेविड परेशान हो गया; वह इस वक़्त, भावनात्मक रूप से बहुत कमज़ोर था। उसने अपनी टाई ठीक की और पानी पिया।
“मुझे स्वीकार करना चाहिए, मिस्टर ग्लास, हमने बहुत सारे ड्रोन फुटेज देखे हैं। यह वास्तव में काबिले-तारीफ़ है, कि तुम इतने लंबे समय तक जीवित रहे। हम गाज़ा में किए गए तुम्हारे प्रयासों की सराहना करते हैं। इसके लिए तुम्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी, लेकिन हज़ारों ज़िंदगियाँ बच गयी।”
डेविड इस बात को नकारते हुए, धीरे से मुस्कुरा दिया और कहा, “हमारे साथ कुछ उल्लेखनीय लोग थे, सर। यह उनके समर्पण और बलिदान के बिना असंभव होता।”
“क्या हमास के नेता, सुल्तान हमाद ने तुम्हारे सामने कोई महत्वपूर्ण बात की थी?”
“अ… हमने हमास के नेताओं के बीच हुई कुछ महत्वपूर्ण बातचीत सुनी थी, और हमारे बचाव से कुछ देर पहले, उन्होंने हमें एक सुरंग के अंदर रखा था वहीं से सारी घटनाओं के तार जुड़े। मैंने वहाँ जटिल सुरंगों को इंगित करने वाला एक नक्शा टंगा देखा, उनमें से बहुत सी सुरंगें, इज़राइल में जाकर खुलती हैं।” अचानक उसके सर में चीखों और विस्फोटों की आवाज़ गूंजने लगी। वह चौंका और झल्ला गया। उसे ऐसा महसूस हुआ, जैसे वह फिर से युद्ध के बीच में वापस आ गया था। उसकी गंभीर दिमाग़ी हालत, दूसरों को स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी। एक तो उसकी दिमाग़ी हालत ठीक नहीं थी और उसे बोलने में भी बहुत कठिनाई हो रही थी, अतः वह परेशान होकर बोला, “क्या, अब मैं जा सकता हूँ?”
“बस एक आख़री सवाल।” अमाह ने अनुरोध किया।
“तुम गाज़ा के अपने अनुभव और खोजों का वर्णन कैसे करोगे?” यह सवाल बैरोनेस ने किया था। डेविड का जवाब सुनने के लिए वह जिज्ञासावश थोड़ा आगे झुक गई।
सवाल से डेविड बहुत असहज और परेशान हो गया। उसने अपना सिर नीचे किया और जवाब देने के लिए कुछ समय लिया।
डेविड ने डोलोरेस की तरफ़ देखने के लिए सर ऊपर उठाते हुए कहा,
“मैं कैसे बताऊँ कि हमारे साथ वहाँ क्या हुआ था?” उसने सबकी तवज्जो अपनी ओर करने के लिए, सभी को बारी, बारी से देखा “मैं कैसे समझाऊँ कि हमने युद्ध में फँसने के बावजूद एक भी गोली नहीं दागी; चाहे हमारे हालात कितने भी बुरे होते गए, सिर्फ़ इसलिए कि हम शांति के लिए उस युद्ध में शामिल थे।” उसकी आग उगलती हुई आँखों में देखने की हिम्मत किसी ने नहीं की। “कितने लोग हमारे सामने मारे गए…बेचारे, और कितनों ने हमें बचाने के लिए अपनी जान कुरबान कर दी।”
अमाह ने उसके दु:ख को कम करने का प्रयास करते हुए, उसे बीच में रोका और बोली “और यह सोचो कि तुम्हारे कारण आज कितने लोग ज़िन्दा बच गए।”
“क्या तुमने कभी एक ही स्थान पर मानवता का सबसे अच्छा और सबसे बुरा पहलु देखा है? हमने देखा है। मैं… मुझे समझ नहीं आया कि किसी व्यक्ति की निंदा क्यों की जानी चाहिए, क्योंकि वे एक विशेष धर्म के अनुयायी हैं। यहूदी, मुस्लिम, हिंदू, या ईसाई। एक मुस्लिम महिला ने हमें उस वक़्त जीवन, आश्रय और भोजन दिया, जब चारो ओर जनता भूख से मर रही थी, क्योंकि उसका मानना था कि यह एक सच्चे मुसलमान के रूप में उसका कर्तव्य है।” कहते, कहते उसकी आवाज़ कठोर हो गई। “एक कट्टरपंथी व्यक्ति ने अपनी मान्यताओं को बदल दिया और हमारी रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। मैंने देखा कि ओमार उसी कमबख्त वहशी द्वारा मारा जा रहा था, जिसका वह सबसे ज़्यादा वफादार और आज्ञाकारी था। मेरी पत्नी, मेरी गोद में कोमा में चली गयी। मैं हर दिन उसके जीवन के लिए, उसकी जद्दो-जहद को देखते हुए, कई-कई बार मरता हूँ; लेकिन मैं एक ऐसा अभागा हूँ, जिसे वास्तव में मौत नहीं आती। काश यह सब मेरे साथ हुआ होता। क्या इतना विवरण आपके लिए पर्याप्त है?” उसकी आँखें भीग गई और वह उठकर बाहर निकल गया।
डोलोरेस ने शीघ्रता से उठते हुए, डेविड की ओर से माफ़ी माँगी और उसे वापस लाने के लिए बाहर की ओर दौड़ी।
विशाल गलियारा डेविड की पदचापों से गूंज रहा था। उसने किसी को उसका नाम ज़ोर से पुकारते हुए सुना। उसने पलटते हुए देखा कि, डोलोरेस उसे पुकारती हुई उसी की ओर दौड़ी चली आ रही थी। उसने अपनी भोंहैं सिकोड़ी और तेज गति से आगे बढ़ने लगा, डोलोरेस भी तेजी से उसके पीछे भागी। उसने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए अंततः, उसका हाथ पकड़ लिया और उसे रोककर समझाया।
“क्या है?” डेविड चिल्लाया, अपने द्वारा किए जा रहे बेरुखे व्यवहार के लिए खुद को मन ही मन कोस रहा था।
“मेरी ओर देखो,” डोलोरेस ने दृढ़ता से उसकी बाहों को पकड़ते हुए कहा।
“जो हुआ, उसके लिए खुद को दोषी ठहराना बंद करो। यह तुम्हारी गलती नहीं है, तुम मुझे सुन रहे हो ना? यह तुम्हारी गलती नहीं है। तुमको एमा की खातिर, अपने आप को, अपने मन को, मज़बूत बनाये रखना होगा।”
“मैं नहीं कर सकता,” उसकी ज़ुबान लड़खड़ा रही थी। “मैं नहीं कर सकता… मुझे हर जगह उसका चेहरा दिखाई देता है। मैं अपने आप को कैसे संभालूँ?” वह एक बच्चे की तरह फफक-फफक कर रोने लगा।
डोलोरेस ने कसकर उसे अपनी बाहों में भर लिया। इससे उसकी रुलाई और फूट पड़ी।
“सब ठीक हो जायेगा… सब ठीक हो जायेगा।” उसने उसे धीरे-धीरे ढाढस बंधाया। “हम योद्धा हैं, डेविड। हम रो सकते हैं, लेकिन हमें मैदान छोड़कर भागने की इजाज़त नहीं है।”
सकीना हमाद, युद्ध से बेहाल हो चुके निर्दोष लोगों की मदद करने के लिए स्वेच्छा से, शरणार्थी-शिविर में, अपने पुराने जीवन में लौट आई थीं। विस्फोटों की ज़ोरदार आवाज़, अब गुज़रा हुआ इतिहास बन चुकी थी।
सुल्तान की मृत्यु के बाद, वह और उसकी बेटी एक शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे। आख़िरकार न्याय हुआ, लेकिन हमेशा की तरह, इसने अपनी पूरी कीमत वसूल की। सकीना को एहसास हुआ कि वह बहुत कुछ तो नहीं कर सकती थी, लेकिन हाँ, लोगों को अपनी पुरानी ज़िन्दगी में वापस लौटने में मदद जरुर कर सकती थी। युद्ध समाप्त हो गया, लेकिन दुश्मनी ख़त्म नहीं हुई। हमास, अभी भी गाज़ा पट्टी पर शासन कर रहा था और उसका हमेशा की तरह आज भी, एक ही एजेंडा था, इज़राइल का सर्वनाश। लाखों ज़िंदगियों और अन्य जान-माल के वृहद् पैमाने पर हुए विनाश के बाद भी हमास, इस बात पर खुश हो रहा था कि, इज़राइली सैनिकों की वापसी, उसके लिए एक विजय थी।
सकीना ने एक बूढ़ी औरत के कप में पानी डाला। महिला ने दुआ देते हुए उसकी तारीफ़ की और आगे बढ़ गई। एक और महिला कतार में आ गई। हर प्यासे के मुँह की वह प्यास बुझा रही थी, उसकी आत्मा, दूसरों की मदद करने की खुशी से सराबोर हो रही थी; वह एक जन्मजात मददगार थी।
आफ़रीन ने खाली जग में टंकी से पानी लिया और उसे अपनी माँ को सौंप दिया। सकीना ने अच्छा काम करने के लिए उसके सिर को थपथपाया। आफ़रीन ने अपने सिर से सरक गए हिज़ाब को समायोजित किया और मुस्कुरा दी।
लंबी कतार में लगी, एक छोटी लड़की, अपनी बारी आने पर वहाँ पहुँची। सकीना का हाथ उसे देखते ही रुक गया। यह फ़ातिमा थी।
“तुम्हारी अम्मी कहाँ हैं?” उसने फ़िक्रमंद होते हुए पूछा।
उसने कुछ मीटर दूर एक खंभे के पास बैठी एक महिला की ओर इशारा किया। सकीना भीतर से ओमार की विधवा के प्रति सहानुभूति रखती थी। अब, जब उसका पति चला गया था, हज़ारों अन्य विधवाओं और अनाथों की तरह, उसे भी शरणार्थी समर्थकों की दया पर ही गुज़ारा करना था। सभी जगह शरणार्थी, राहत-शिविरों में बिखरे हुए पड़े थे। सकीना ने फ़ातिमा को दो कप पानी दिया।
एक अन्य वालंटियर द्वारा उसकी ड्यूटी सँभालने के बाद, सकीना नगमा से मिलने गई। कुछ सहानुभूतिपूर्ण शब्दों के आदान-प्रदान के बाद, सकीना ने कहा, “अगर तुम्हें किसी चीज़ की ज़रूरत हो, तो बेझिझक तुम मेरे पास चली आना।”
“शुकरन।” नगमा ने कहा। उसके पास शब्दों में शुक्रिया अदा करने के अलावा, देने को कुछ भी नहीं था।
कुछ वक़्त के बाद, सकीना और आफ़रीन, अन्य लोगों के बीच उनसे जाकर मिली। उन्होंने शिविर में अनंत लोगों की विशाल संख्या को मायूसी की हालत में ऊबते हुए देखा।
तभी दो आदमी, उनके पास से लापरवाही से बातें करते हुए गुजरे। सकीना ने उनमें से एक को यह कहते हुए सुना, “तुम जानते हो कि युद्ध के बारे में सबसे बुरी बात क्या है… हम इसके ख़त्म हो जाने पर इसको बहुत मिस करते हैं।”
सकीना को उसकी बातों का थोड़ा बुरा लगा। लेकिन कुछ मायनों में, यह सच भी था; उसे एमा, डेविड और जॉर्ज के साथ युद्ध के दौरान विकसित हुए रिश्तों और उनके साथ गुज़ारे हुए दिनों की बड़ी शिद्दत से याद आई। उनके अलावा, उनके इन रिश्तों की गहराई को कोई नहीं समझ सकता था।
वक़्त के साथ घर पर, जैसे-जैसे दिन गुज़रते गए, डेविड के अवसाद की स्थिति बद से बदतर होती चली गई। वह अस्पताल के अलावा, कभी घर से बाहर नहीं गया, हर समय व्हिस्की पीता रहता, बहुत कम खाना खाता और इसी वजह से, पहले की तुलना में, उसका वजन लगभग आधा रह गया था। उसने अपने मनोचिकित्सक के पास जाना भी बंद कर दिया, और जैसा कि ज़माने का दस्तूर है, मुसीबत के वक़्त अपना साया भी साथ छोड़ देता है; लोग भी धीरे-धीरे उससे दूर होते चले गए। हालात से टकराने की उसकी इच्छा, जीर्ण-क्षीण हो चुकी थी। एमा अभी भी अचेतावस्था में थी।
डेविड, हमेशा की तरह केवल लोअर पहने हुए, बुझा-बुझा सा सुबह ११ बजे उठा। वह अपने, घूमते हुए सिर के साथ, बिस्तर पर सीधा बैठने में कामयाब रहा। उसने पानी की बोतल उठाई और एक ही साँस में पूरी गटक गया। फिर अपनी अलार्म घड़ी पर नज़र डाली; आज फैसले का दिन था। उसने खुद के लिए फ्रेंच-टोस्ट और कॉफी बनाई और निर्धारित किए गए काम पर लग गया।
उनके लिविंग रूम में, एक भी वस्तु अपनी जगह पर नहीं थी। टीवी टूटा हुआ था, पूरे घर में कपड़े बिखरे हुए थे। उसका घर एक ऐसे हॉस्टल के कमरे जैसा दिख रहा था, जिसमें किशोर बच्चे रहा करते हों। एमा का जर्नल कॉफी टेबल पर खुला पड़ा था। अपनी पत्नी की यादों को पढ़ना उसका पसंदीदा शगल था। उसने अपने पसंदीदा दिन, अपनी शादी के दिन की यादों के पेज को खोला। क्या शानदार दिन था। और फिर उसने एमा द्वारा लिखी गई एक कविता को खोजने के लिए कुछ और पृष्ठों को पलटा। उसने अपनी पत्नी की बातें पढ़ने के लिए अपनी आँखों को उन पन्नों पर केन्द्रित किया। जिन पर एक कविता लिखी हुई थी,
अभाव
जहाँ हृदय ना हो, वहाँ उदासीनता होती हैं,
जहाँ बातें ना हों, वहाँ यादें होती हैं,
जहाँ आँसू सूख जाएँ, वहाँ उम्मीदें सूख जाती हैं,
जहाँ डर ना हो, वहाँ पागलपन होता है,
जहाँ परवाह ना हो, वहाँ आलोचना होती है,
जहाँ संस्कृति ना हो, वहाँ पतन होता है,
जहाँ समानता ना हो, वहाँ उत्पीड़न होता है,
जहाँ आशा ना हो, वहाँ युध्द होता है,
जहाँ न्याय ना हो, वहाँ ज़िन्दगी होती है,
जहाँ मृत्यु ना हो, वहाँ सिर्फ़ पीड़ा होती है,
जहाँ प्रेम ना हो, वहाँ अंधकार होता है।
डेविड आज ऐसे शांत था, जैसे उसने अपनी सारी समस्याओं और समाधानों को चिन्हित कर लिया हो। नाश्ते के बाद, उसने जेक डेनियल का एक और पैग बनाया, एमा के जर्नल से एक कोरा पन्ना फाड़कर पेन खोजा, और पैग को हलक से उतारा, फिर काँपते हाथों से लिखना शुरू किया।
“पाँच बरस हो गए, जब मेरी पत्नी ने मुझे अपने आप से बचाया था। लेकिन, आज मैं उसे बचाने में असफल हूँ। और इस युद्ध के बाद, केवल निराशा और पागलपन ही शेष रह गया है। मैंने एक भयावह ज़िन्दगी जी है, लेकिन उसमें प्यार-ही-प्यार था। एमा, केवल तुम्हीं मेरे जीवन का एकमात्र प्रेम हो, इसकी गवाह सारी खुदायी है। मेरे सारे सुख-दु:ख की वजह ही तुम हो। मुझे उम्मीद है कि, तुम कभी नींद से जागोगी, तो मुझे माफ़ कर पाओगी।
ज़िन्दगी में मेरे फैसले ज़्यादातर ग़लत ही रहे हैं, और इस मायूसी ने मुझे अपने आगोश में ले लिया है। हमें जिन चीज़ों को अपनी सहायता के लिए औजार बनाना चाहिए था, उन्हें हमने अपने विनाश का कारण बना लिया। हरेक फ़ैसला जो मैंने लिया, मुझे बर्बादी और लाशों के रास्ते पर ले गया। मुझे लगता है कि कुछ ज़िंदगियाँ ऐसी होती हैं, जिन्हें ख़ुशी केवल छूकर निकल जाती हैं, पर कभी उनके साथ नहीं रहती।
मैं अपने माता-पिता का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा। उन्होंने मुझे अच्छी तरह से पाला-पौसा और जो कुछ वे मुझे दे सकते थे, बावजूद आर्थिक अभावों के, उन्होंने मुझे वे सब चीजें दी। ऐसे माता-पिता को पाकर मैं धन्य हूँ, जिन्होंने मेरे अच्छे-बुरे बर्ताव की परवाह किए बिना, मुझे प्यार दिया। मेरी इच्छा है कि मुझे उनकी बगल में दफ़न किया जाये।
जब हम जंग से बाहर आते हैं, तब हमें यह एहसास होता है कि हम क्या हैं। एक राक्षस, इंसान या फिर कायर। मैं, हमारे जीवन को अनगिनत बार बचाने वाले जॉर्ज मार्टिंस, सकीना हमाद और ओमार का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। एमा और मैं, सदा उनके एहसानमंद रहेंगे।
युद्ध इंसान के रूप में हमारी कमियों और विफलताओं के परिणाम है। हमारा जन्म जिन उद्देश्यों के लिए हुआ था, हम उन्हें पूरा करने के स्थान पर पतन के गर्त में जा गिरे। इस वक़्त मेरी केवल यही कामना है, कि युद्ध में जान गवांने वाले सभी की आत्माओं को ईश्वर शान्ति प्रदान करें। जल्द ही, मैं भी उनमें शामिल हो जाऊँगा।
मेरे परिचित समझते हैं कि वे मुझे जानते हैं, लेकिन एमा के अलावा मुझे कोई समझ नहीं सका। केवल वही एक ऐसी इन्सान है, जिसने मेरे व्यक्तित्व के अंधकारपूर्ण हिस्से को पहचाना और स्वीकार किया। उसके बिना, मैं अस्तित्व-हीन हूँ।
उसके स्थान पर, मेरे साथ यह सब होना चाहिए था। मुझे आशा है, मेरी मौत से एमा को ज़िन्दगी नसीब होगी।
तुम्हारा, डेविड
उसने अपनी जींस की जेब से, ९ – एमएम का, बैरेटा एम ९ पिस्तौल निकाला। उसकी साँस भारी थी, लेकिन उसके हाथ स्थिर थे। उसने अपनी कनपटी पर बंदूक की नली टिका दी।
“एक दर्दनाक जीवन, एक आसान मौत,” उसने ज़ोर से कहा और ट्रिगर दबा दिया। लेकिन गोली नहीं चली। उसने चैक किया; सेफ्टी-लॉक नहीं खुला था। वह पसीने-पसीने हो गया।
तभी लैंडलाइन फोन की घंटी बजी। वह चौंका, आंसरिंग मशीन पर उसकी सास की आवाज़ थी।
“तुम्हारा सेल फोन बंद है। तुम कहाँ हो? अस्पताल आ जाओ। एमा… वह… “डेविड ने फोन उठाया और एलेन ने जो कहा था, वह सुन लिया।
उसने तुरंत एक टी-शर्ट धारण की और बिना यह देखे कि, उसके पीछे वह दरवाज़ा खुला छोड़कर जा रहा है, अस्पताल के लिए दौड़ पड़ा।
डेविड ग्लास ने अस्त-व्यस्त कपड़ों में, अस्पताल परिसर में प्रवेश किया। उसके शरीर से पसीना टपक रहा था, लेकिन वह आईसीयू के कमरा नंबर १५६ की ओर भागा जा रहा था। वह एक बंद होती लिफ्ट में, छलांग लगाकर घुसा, जिससे लिफ्ट में सवार सभी चौंक गए और उन्होंने उसे पागल समझकर उसका उपहास किया। उसे इसकी कोई परवाह नहीं थी।
डेविड ने दरवाज़े को इस तरह खोला, जैसे नहीं खुलने पर उसे तोड़ डालता। डॉक्टर और नर्सों की एक टीम, लाईफ-सपोर्ट मशीनों पर काम कर रही थी। उसकी सास एलेन, सोफे पर एक मासूम बच्चे की तरह सो रही थी।
एमा ने अपने ऑक्सीजन मास्क को हटाते हुए डेविड को मुस्कुराकर देखा। डेविड की आँखें जैसे ख़ुशी से फिर से जीवंत हों उठी।
“इस मुस्कान के लिए ही तो मैं जी रहा हूँ।” एमा खिलखिला उठी।
युद्ध ने उनसे ये सब छीन लिया था, लेकिन आखिरकार जीत उनकी हुई। एमा ने अचेतावस्था से बाहर आकर उनकी जीत पक्की कर दी। डेविड के दिलो-दिमाग़ से सारी नकारात्मकता मिट गई। यह सोचकर उसके रोंगटे खड़े हो गए, कि एमा ने आज उसे, फिर से उससे बचा लिया था। वे ज़िंदा थे… वे जीवन की रोशनी को देखने के लिए ज़िंदा थे, वे अपनी कहानियों को बताने के लिए ज़िंदा थे, वे फिर से एक दूसरे को प्यार करने के लिए ज़िंदा थे।
डेविड ने पहले उसके माथे, फिर उसकी नाक, उसके बाद उसके होंठों को चूमा। उसके बाद, उसने, उसे ऐसे बाहों में भर लिया जैसे वे दोनों पहली बार मिले हों।
“थैंक्यू… थैंक्यू,” उसकी बाहों में रोते हुए, उसने कहा।
एक बम गिरता है, एक बच्चा मर जाता है, एक माँ आँसू बहाती है, और सारी इंसानियत खो जाती है… सारी मानवता खो जाती है।
स्वराज भाटिया द्वारा रचित उपन्यास।
About the Author
लेखक स्वराज भाटिया ड्रामा-थ्रिलर और फैंटेसी उपन्यासकार हैं। वे ग्राफिक्स डिजाइनिंग, सेल्स और संगीत का अनुभव भी रखते हैं। उन्होंने 10 साल की उम्र में बाल-फिल्म "हम हैं भारतवासी" में मुख्य भूमिका निभाई थी। स्वराज अब पूरा समय लेखन के लिए समर्पित कर रहे हैं।
उनकी लेखन-पद्धति मुखर, सूचनात्मक और दृश्यात्मक है, जो पाठकों के मन में एक ऐसी तस्वीर पेश करती है, मानो वे कहानी के भीतर मौजूद हों। वे एक मनोरंजक कहानीकार हैं, जिनके पात्र अपने पाठकों से गहरा सम्बन्ध बनाते हुए सहानुभूति का आह्वान करते हैं।
वे अपने विषयों पर बड़े पैमाने पर शोध करते हुए अस्तित्वगत आख्यानों के माध्यम से मानव-मन की प्रकृति के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को दर्शाते है। सैनिकों की जीवन-शैली और हथियारों के तकनीकी पहलुओं की जानकारी हेतु स्वराज ने स्नाइपर ट्रेनिंग भी ली है। वे एक कवि तथा लघु कथाकार भी हैं।

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