देखते-ही-देखते रामनगर में उपस्थित व्यक्तियों के जिस्मों का मांस जलने लगा ।


भयानक चीत्कारें रामनगर में गूंजने लगीं! यहां-वहां, सर्वत्र.. . दर्दनाक मौत को भी कंपकंपा देने वाली चीत्कारें - बड़ा ही डरावना दृश्य था !


लोगों के जिस्मों से मांस जलकर वायुमंडल में धुएं के रूप में विलुप्त हो गया था... और शेष रह गए थे सिर्फ हड्डियों के ढांचे.. .यानी जीवित कंकाल.. . चमचमाती सफेद हड्डियों के कंकाल । वास्तव में बड़ा ही भयानक दृश्य था । तड़पते-से कंकाल इधर-उधर घूम रहे थे ।


समस्त रामनगर दहकते कोयले की भांति लाल... और बीच में तड़पते हुए भयानक -कंकाल! कम भयानक नहीं था यह दृश्य ।


सहसा ! वे दोनों चौंके ।


वायुमंडल में प्रिंसेज जैक्सन की खिलखिलाहट उभरी ।


विकास और अलफांसे


दोनों की निगाहें ऊपर उठी... आकाश की ओर.. साथ ही दोनों चौंके !


वायुमंडल में!


साफ माहौल में प्रिंसेज जैक्सन का मुंह चमका-चांद-सा

मुखड़ा जो अब भी मुस्करा रहा था !


"हैलो.. . मिस्टर अलफांसे!" सहसा जैक्सन की आवाज गूंजी।


अलफांसे और विकास चुपचाप उसे देखते रहे ।


''मिस्टर अलफांसे !''जैक्सन की आवाज गूंजी।


"विकास.. .ये असाधारण बुद्धिमान बालक... वास्तव में जीनियस है.. आज इसने तुम्हें बचा लिया है क्योंकि अगर यह सागर का नाम न लेता, तो तुम भी अन्य व्यक्तियों की भांति अब तक कंकालों में बदल चुके होते ।"


विकास ने अलफांसे की ओर देखा ।


"अब अपनी आंखों से रामनगर की तबाही देखो ।" प्रिंसेज जैक्सन ने कहा और फिर एक खिलखिलाहट ।


- "रामनगर का कोई भी व्यक्ति न तो मर ही पाएगा और न ही जीवित रह पाएगा । सबकी स्थिति जीवित मुर्दों जैसी होगी । सभी कंकालों में बदल जाएंगे। अगर धरती के किसी भी देश ने मेरे आदेशों का उल्लंघन किया, तो रामनगर की तरह ही वहां के समस्त व्यक्तियों को कंकलों में बदल दिया जाएगा।" 


और फिर खिलखिलाहट!


अलफांसे और विकास ने वायुमंडल में प्रिंसेज ऑफ मर्डरलैंड की इस आवाज को स्पष्ट सुना जब एक बार फिर रामनगर की सीमाओं में नजरें दौड़ाई तो देखा प्रत्येक व्यक्ति कंकाल में बदल गया था !


दहकता रामनगर धीरे-धीरे ठंडा पड़ने लगा... और कुछ समय उपरांत वह अपनी पूर्व स्थिति में आ गया - किंतु वे कंकाल फिर से इंसान न बन सके ।


गर्मी अब समाप्त हो गई थी ।


"कहो मिस्टर अलफांसे.. कैसा रहा मेरा चमत्कारी ?" सहसा जैक्सन बोली ।


"जो काम तुम करने जा रही हो जैक्सन- उसमें कभी सफल न हो सकोगी ।"


- "क्यों.. . क्या तुम अपने में इतनी शक्ति समझते हो कि मुझसे टकरा सकी? "


- 'मेरा नाम अलफांसे है प्रिंसेज... वक्त बता देगा कि किसकी शक्ति अधिक है! "


"खैर मैं तुम जैसे मच्छरों की कभी चिंता नहीं किया करती... लेकिन एक बात अवश्य कहना चाहती हूं' और वह यह कि विकास मुझे बहुत ही पसंद है ये लड़का मर्डरलैंड में - रहकर काफी बड़ा व्यक्ति बन सकता है । यूं तो आने वाले कुछ ही समय में समस्त पूथ्वी को मर्डरलैंड के नाम से सम्बोधित किया जाएगा - किंतु तब तक मैं विकास को अपने नए मर्डरलैंड में रखना चाहती हूं।"


अलफांसे चौंका.. .उसे लगा-जैसे जैक्सन विकास का अपहरण करना चाहती है। उसके दिमाग में तुरंत एक योजना ने जन्म लिया । भयानक फुर्ती के साथ उसने विकास को लेकर पानी में डुबकी लगाई और पानी के अंदर उसने ट्रांसमीटर चेन विकास के गले में डाल दी ।


और फिर वे दोनों पानी की सतह पर उभर आए। "लाख प्रयास के बाद भी तुम मुझे विकास का अपहरण करने से रोक नहीं सक्ते ।" और प्रिंसेज के इन शब्दों के साथ ही विकास हवा में उठने लगा ! -


अलफांसे ने चाहा कि वह किसी प्रकार विकास की टांग पकड़ ले-किंतु तब तक विकास उसकी इस क्षमता से दूर निकल चुका था-अत: वह मजबूर-सा वायुमंडल में उठते विकास को देखता रहा- जो रह-रहकर- 'अंकल-अंकल' पुकार रहा था लेकिन दोनों ही मजबूर थे ।

- "कहो मिस्टर अंतर्राष्ट्रीय शातिर.. . क्या तुम जैक्सन के सामने अपने-आपको मच्छर महसूस नहीं करते ?!"


जैक्सन व्यंग्यात्मक लहजे में बोली ।


अलफांसे के होंठों पर एक विचित्र - सी मुखन उभर आई। ऐसी-मानो उसने प्रिंसेज जैक्सन पर विजय प्राप्त कर ली ही ! वह बड़े आराम से बोला ।


-" प्रिंसेज-अलफांसे से टकराने का मतलब पतन होता है। तुम जिस लड़के को इस शान से अपहरण करके ले जा रही हो-उसे मैं पूर्णतया मर्डरलैंड का दुश्मन बना चुका हूं।"


- "तुम शायद मर्डरलैंड के कानून भूल गए हो जिसे तुम दुश्मन कहते हो-मर्डरलैंड में वही सबसे गहरा और वफादार दोस्त समझा जाता है । "


"विश्वविजय के स्वप्न कभी पूरे नही हुआ करते प्रिंसेज । "


''तुम स्वयं अपनी आंखों से मर्डरलैंड की विस्तृत शक्ति देखना - आने वाले कुछ ही दिनों में तुम देखोगे कि सारी धरती को सिर्फ .एक नाम से पुकारा जाएगा और वह नाम है मर्डरलैंड !"


और इससे पूर्व कि अलफांसे कुछ बोले- हवा में तैरता हुआ विकास ठीक जैक्सन के चेहरे के निकट पहुंच गया और फिर आई जैक्सन की आवाज ।


"अच्छा मिस्टर अलफांसे - अलविदा!" प्रिंसेज जैक्सन ने कहा और क्षणमात्र में विकास के साथ अदृश्य हो गई ।


अलफांसे रिक्त वायुमंडल को घूरता ही रह गया ।


तब!


जबकि अलफांसे सागर से बाहर निकला और रामनगर की ओर बढ़ा । स्थान-स्थान पर कंकालों के जिस्म पड़े थे। अभी कुछ ही क्षण पूर्व जो रामनगर जीवित व्यक्तियों का रामनगर था-अब एक कंकालों के शहर के अतिरिक्त कुछ भी न था ।


अलफांसे के दिमाग में न जाने क्या-क्या विचार चक्कर काट रहे थें । वह कंकालों के जिस्मों के बीच से गुजर रहा था कि से सहसा वह एक कंकाल के निकट थम गया और उसे ध्यान से देखने लगा । उसने हड्डियों को स्पर्श किया जो अभी तक गर्म थी । अलफांसे के चारों ओर पड़े कंकाल भयानक लग रहे थे । चारों तरफ कंकाल --इंसान था सिर्फ अलफांसे!


उसके निकट वाला कंकाल खड़ा हो गया और वह महसूस कर रहा था कि कंकाल उसी को घूर रहा है और अचानक अलफांसे अत्यंत बुरी तरह चौंका.. . होश में आने वाले कंकाल ने अचानक उस पर जम्प लगा दी थी । वह तो अलफांसे वक्त की गम्भीरता को तुरंत भांप गया और उसने स्वयं को बचा लिया । वरना कंकाल के पंजे में दब गया होता ।


अलफांसे सतर्क हो गया उसे लगा, जैसे कंकाल उसे इंसानी चोले में देखना नहीं चाहता । कंकाल, जो सड़क पर गिरा था-पुन: खड़ा होकर अलफांसे की ओर बढ़ा । उसके सामने अब यह एक नई परेशानी थी । वह पीछे हटा रिवॉल्वर निकाला और गरजा ।


"वहीं ठहर जाओ - अगर एक कदम भी बढ़ाया तो गोली मार दूंगा ।"


किंतु उस समय अलफांसे सोच में पड़ गया, जब उसने अपनी धमकी का लेशमात्र भी प्रभाव न देखावह निरंतर उसी प्रकार उसकी ओर अग्रसर रहा ।


अलफांसे कुछ उलझा !


उसने एक चेतावनी और दी.. . किंतु निरर्थक |


अंत में !


-'धांय !'


अलफांसे के रिवॉल्वर ने शोला उगला । गोली कंकाल के सीने की हड्डियों के बीच से निकल गई । वह बिना प्रभावित हुए निरंतर बढ़ता रहा ।


उसने एक बार फिर रिवॉल्वर सीधा किया और फायर कर दिया । इस बार निशाना था कंकाल की रीढ़ की हड्डी! गोली लगते ही कंकाल की रीढ़ की हड्डी टूट गई और वह शांति के साथ कटे-वृक्ष की भांति धरती पर गिर पड़ा, वैसे उसने महसूस किया कि वास्तव में कंकाल ने चीखने का पूर्ण प्रयास किया था किन्तु उसके कंठ से कोई आवाज न निकल सकी थी।


सहसा अलफांसे के हाथ पर एक तीव्र प्रहार हुआ । दर्द की लहर उसके संपूर्ण जिस्म में दौड़ती चली गई। रिवॉल्वर छिटक कर उससे दूर जा गिरा । वह भयंकर फूर्ती के साथ घूमा।


पीछे देखा तो हैरान रह गया !


उसके पीछे तीन कंकाल खडे थे जो शायद अभी-अभी होश में आए थे. .. अन्य धीरे-धीरे होश में आते जा रहे थे। वह अभी उन्हें देख ही रहा था कि उसके जबड़े पर एक जोरदार चोट पड़ी और वह थोड़ा-सा लड़खड़ा गया । उन तीन कंकालों में से एक ने उसे घूंसा रसीद कर दिया था । अलफांसे को ऐसा मसूस हुआ था मानो उसके जबड़े पर किसी ने भारी ईट मारी हो ।


अलफांसे संभला !


और फिर भयंकर फुर्ती के साथ उछलकर एक फ्लाइंग किक घूंसा मारने वाले कंकाल के मुंह पर रसीद कर दी, किंतु तत्पश्चात उसे अपनी भूल का अहसास हुआ क्योंकि कंकाल का मुंह तो था ही नहीं... सिर्फ था सफेद चमचमाती हड्डियों का वह सिर- जिस पर अलफांसे ने फ्लाइंग किक मारकर अपनी टांग तुड़ाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं किया था । वैसे कंकाल कुछ लड़खड़ा अवश्य गया था ।


अलफांसे भयानक खतरे को भांप गया । वह जान गया कि अगर अब वह एक क्षण भी चूक गया तो कंकालों के पंजे में फंस जाएगा और उसको भयानक मौत से कोई न बचा पाएगा । अत: गजब की फुर्ती के साथ वह खड़ा हुआ और अपने चारों ओर देखा ।


उसके चारों ओर खतरनाक कंकाल खड़े थेजो उसकी जान के दुश्मन थे-कंकालों ने अलफांसे के चारों ओर एक वृत्त बना लिया था । कहने की आवश्यकता नहीं कि वह बीच में खड़ा इस वृत्त का केंद्र ही लग रहा था । उसने घूम-घूमकर अपने चारों ओर देखा ।


वृत्त की परिधि क्षण-प्रतिक्षण न्यूनतम होती जा रही थी अर्थात चारों ओर से कंकाल उसकी ओर बढ़ रहे थे । अलफांसे जान चुका था कि वे कंकाल इंसानों को अपना दुश्मन समझते हैं- अतः उसे जीवित इंसानी चोले में देखना नहीं चाहते ।


वह जानता था कि कालों से टकराना कितना खतरनाक है। वह तो पूरे कंकालों के शहर में एक अकेला ही व्यक्ति था । कंकालों की पकड़ में आने का मतलब था- मौत !


वृत्त की परिधि क्षण-प्रतिक्षण कम होती जा रही थी । वह उनके दायरे से बाहर निकलने का उपाय सोच रहा था.. .उसने अपने रिवाल्वर की खोज में नजरें घुमाई तो उसने अपना रिवॉल्वर कंकालों के घेरे के बाहर पड़ा पाया। वृत्त बनाए प्रत्येक कंकाल के मध्य इतना स्थान न था कि अलफांसे निकल पाता... वे एक-दूसरे से सटे हुए थे और उसकी ओर बढ़ रहे थे ।


क्षण-प्रतिक्षण !


दायरा तंग होता चला गया - त्रिज्या कठिनाई से तीन गज रह गई थी ।


अलफांसे का एक-एक क्षग्ग कीमती था ।


तभी!


जैसे बिजली कौंधी


अचानक!


भयानक फुर्ती !


अलफांसे का जिस्म वायु में लहराया...लगभग दस फीट ऊंचा... अगला कमाल उससे भी भयानक हवा में ही अलफांसे ने एक कुशल नट की भांति कलाबाजी खाई और कंकालों के वृत्त के बाहर वह सीधा अपने स्वित्विर पर जाकर गिरा |


अलफांसे के जिस्म में मानो बिजली का संचार हो रहा था। पलक झपकी!


उसने रिवीत्वर उठाया और आधी-तूफान की भांति एक तरफ को दौड़ा ।


कंकालों का घेरा टूट गया-वे सब अलफांसे के पीछे दौड़े ।


अलफांसे हाथ में रिवाल्वर लिए प्राण-पण से दौड़ रहा था-भयानक खतरे का पूर्ण अहसास था । कंकाल निरंतर


उसकी ओर दौड़े चले आ रहे थे ।


और फिर!


तब!


जबकि वह एक मोड़ पर मुद्रा


तीन कंकालों ने उसका रास्ता रोक लिया !


पीछे से भी कंकाल उसकी ओर आ रहे थे- अलफांसे ने विलम्ब करना उचित न समझा-उसके रिवाल्वर ने तीन शोले उगले..निशाना चूकने का कोई प्रश्न ही न था.. .गोलियों ने उनकी रीढ़ की हड्डियों को तोड़ दिया और परिणामरवरूप वे कटे वृक्ष की भांति धरती पर गिरे ।


अलफांसे ने पीछे देखा!


कंकालों की भीड़ उसकी ओर भागी चली आ रही थी । वह फिर दौड़ा.. दौड़ते-दौड़ते उसकी निगाह एक होटल की कार पार्किंग में पड़ी ... वहां अनेकों कारें खड़ी हुई थीं। वह जानता था कि इनके वारिस कंकालों में बदल गए होंगे। अत: वह बिना एक भी क्षण विलम्ब किए एक कार की ड्राइविंग सीट पर जम गया ।


भाग्यवश कार का लाक खुला हुआ था- अगले ही पल कार तीव्र वेग से सड़क पर दौड़ रही थी इस समय अलफांसे के हाथ में रिवाल्वर था जिसमें सिर्फ एक गोली शेष रह गई थी ।


अभी वह कठिनाई से आधा फर्लांग दूरी ही तय कर पाया था कि चौंक पड़ा !


उसकी दृष्टि बैक-व्यू-मिरर पर थी ।


कार की पिछली सीट पर एक कंकाल उपस्थित था जो अब होश में आ रहा था ।


कंकाल ने भी होश में आते ही अलफांसे को देखा और एक झटके के साथ खड़ा हो गया, किंतु साथ ही उसकी गोल


डरावनी खोपड़ी कार की छत में लगी... एक विचित्र-सी ध्वनि का क्षण मात्र में उत्थान और पतन भी हो गया ।


तभी अलफांसे ने बैक-यु- मिरर में कार से बाहर का दृश्य देखा तो चौंका... उसके पीछे तीव्र गति से एक कार आ रही थी जिसे एक कंकाल ही ड्राइव कर रहा था ।


सहसा कार में मौजूद कंकाल ने अपनी भद्दी पतली, सफेद चमकती हड्डियों की बदबूदार उंगलियां अलफांसे के गले में डाल दीं किंतु आश्चर्य की बात यह थी, ये भयानक उंगलियां उसका गला दबा नहीं रही थीं बल्कि इस कंकाल की कलाइयां उसके गले में इस प्रकार पड़ी हुई थीं-मानो थर्ड क्लास प्रेमिका अपने प्रेमी के गले में बाहें डाल दे ।