यह जानते ही कि सामने बैठी लड़की प्रोफेसर हेमंत की लड़की है। ब्रिगेजा का दृष्टिकोण उसके प्रति एकदम बदल गया । अभी तक उसका विचार था कि संग्राम की भावनाओं को ध्यान में रखकर वह इस लड़की को सकुशल अपने घर पहुंचा देगा, किंतु यह जानने के बाद कि सविता हेमंत की लड़की है उसके दिमाग में एकदम कई बातें घूम गई । क्षणमात्र में उसने निश्चय किया कि सविता आग के बेटों की प्रगति को चार चांद लगा सकती है। ब्रिगेंजा को पता था कि उनके दल ने हेमंत का अपहरण इसलिए किया है क्योंकि वह एक प्रगतिशील वैज्ञानिक है। उसके वैज्ञानिक मस्तिष्क को प्राप्त करने के लिए ही उसका अपहरण किया गया है । उसका अपहरण इसलिए किया गया है कि वह आग के बेटों के लिए काम करने लगे। एक क्षण में ही ब्रिगेंजा के दिमाग में सब कुछ घूम गया ।
ब्रिगेजा यह जानता था कि हेमंत एक भारतीय वैज्ञानिक है, जो स्वभाव से बड़े दृढ़ और जिद्दी होते है और किसी भी कीमत पर अपने दिमाग को शत्रुओं को अथवा अपराधियों को नहीं बेचते हैं यानी कि ब्रिगेंजा को संदेह था कि प्रोफेसर हेमंत उनके लिए काम करने के लिए तैयार हो जाएगा और अगर ऐसी स्थिति आती है तो सविता उनके लिए वरदान सिद्ध हो सकती है। अपनी बेटी की यातनाएं शायद हेमंत न देख सके और वह उनके लिए कार्य करने के लिए बाध्य हो जाए । मतलब ये कि इस समय ब्रिगेंजा के हाथ में सविता के रूप में एक हीरा था- जिसे वह किसी भी मूल्य पर खो नहीं सकता था। यही कारण था कि उसके चेहरे के भाव परिवर्तित हो गए-उसकी आंखों में दृढ़ता उभर आई । वह बोला... ।
- " मैं तुमसे अकेले में कुछ बातें करना चाहता हूं " उसका संकेत संग्राम की ओर था ।
"क्या मतलब?" इस बार संग्राम उछल गया । सविता के मुखड़े पर फिर परेशानी के लक्षण उभर आए ।
उसके बाद अपने आदमियों को बुलाकर ब्रिगेंजा ने सविता को बाहर भेजा और फिर अंदर से दरवाजा बंद करके वह संग्राम की ओर घूम गया और अत्यंत गंभीर स्वर में बोला।
- "क्या तुम वास्तव में इंटरनेशनल अपराधी हो?"
-"क्या मतलब - इसमें संदेह क्या है ? " संग्राम बुरी तरह चौंककर बोला ।
- "तुम फर्ज को अधिक महत्व देते हो अथवा भावनाओं को?' ब्रिगेंजा का अगला रहस्यपूर्ण प्रश्न ।
"तुम कहना क्या चाहते हो - मैं तुम्हारा मतलब नहीं समझ पा रहा हूं।"
- ''मैं सिर्फ अपने प्रश्नों का संक्षिप्त उत्तर चाहता हूं । सीधा उत्तर दो कि तुम फर्ज और भावनाओं में से किसे सर्वोपरि मानते हो?" ब्रिगेंजा इस समय अत्यधिक गंभीर स्वर में बातें कर रहा था ।
"कोई भी व्यक्ति, जो फर्ज को भूलकर भावनाओं में बहता होगा-इंटरनेशनल अपराधी नहीं बन सकता और स्पष्ट - सा उत्तर यह है कि मेरे सिद्धांतों की सूची में सर्वोपरि फर्ज है-उसके बाद भावनाएं ।" संग्राम का गंभीर उत्तर ।
"वेरी गुड! " ब्रिगेंजा प्रशंसनीय स्वर में बोला- "मुझे तुमसे यही आशा थी... अब मेरी बात ध्यान से सुनो।" ब्रिगेंजा ने अपनी बात कुछ इस प्रकार सुनाई - "ये लड़की जिसे तुमने बहन बनाया है यानी सविता हमारे गिरोह की प्रगति के लिए एक अत्यंत ही आवश्यक मोहरा है। जैसा कि तुमने सुना-उसके पिता हेमंत भारत के एक बड़े वैज्ञानिक हैं। तुम जानते हो कि आग के बेटी का समस्त खेल विज्ञान पर आधारित है। सविता के जरिए हमें एक बड़ा वैज्ञानिक हेमंत प्राप्त हो सकता है । -
संग्राम ब्रिगेंजा के कुछ ही शब्दों से उसका अभिप्राय समझ गया, किंतु उसके चेहरे के भावों में किसी प्रकार का परिवर्तन न आया- अलबत्ता वह विफ्तो की आंखों में घूरता हुआ बोला । -
- "वास्तव में मुझे तुमने काफी दुविधापूर्ण स्थिति में फंसा दिया है । तुम्हारे किसी काम के बीच में न तो मुझे आना
चाहिए और न ही मैं आ सकता हूं- किंतु तुमसे मैं व्यक्तिगत रूप से इतना अवश्य कहूंगा कि सविता पर कोई बुरी नजर न डाले । वैसे तुम और तुम्हारा दल जैसे कार्य करना चाहे -उसमें मैं बाधा डालने की न तो शक्ति रखता हूं और न ही डालूंगा ।"
-"वेरी गुड .! " ब्रिगेंजा खुश होकर बोला- "मानता हूं कि तुम वास्तव में इंटरनेशनल अपराधी हो-प्रारंभ में तुम्हें चीफ के पास आंखों पर पट्टी बांधकर चलना होगा... ये हमारा कानून है।"
इसके उत्तर में संग्राम मुस्कराकर बोला- 'मैं जानता हूं - अक्सर ऐसे दलों का यह प्रथम कानून होता है ।"
लगभग एक ही साथ संग्राम और सविता की आंखों से पट्टियां हटाई गई । उन्होंने स्वयं को एक विशाल गोल हॉल में पाया । उनके चारों तरफ लगभग तीस शक्तिशाली इंसान ग्रीन कपड़े पहने हुए खड़े थे । कुछ देर तक तो वे दोनों अपने चारों ओर का निरीक्षण करते रहे। फिर उन दोनों की निगाह सामने ब्रिगेंजा पर स्थिर हो गई जो मुस्करा रहा था कुछ देर तक वे उसे देखते रहे, फिर वे आपस में एक-दूसरे को देखने लगे । सविता तो बेचारी सहमी-सी थी । उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि उसे घर पहुंचाने का प्रोग्राम स्वयं अधेड़ ने क्यों त्याग दिया और उसके साथ ये उपन्यासों जैसी घटनाएं क्यों हो रही हैं? उसके लिए इस समय एकमात्र सहारा उसका वह भाई ही था, जो इस समय भी उसी अधेड़ के रूप में था । अत: उसने अपने भाई से हमेशा अपने साथ रहने की प्रार्थना की थी, जिसे अधेड़ के मेकअप के पीछे छुपे संग्राम ने सहर्ष स्वीकार कर लिया । सविता अपनी प्रत्येक परेशानी उसे इस प्रकार बताती मानो वे एक ही कोख के बचपन से साथ ही खेले हों । बताती भी क्यों नहीं जमाने की इस भीड़ में, जहां आज प्रत्येक मर्द प्रत्येक औरत पर बाज की भांति झपटता है-ऐसे समाज में उसे सिर्फ यह अधेड़ ही पवित्र लगा था । उसे लग रहा था जैसे यह अधेड़ ही सब कुछ है । संग्राम भी वास्तव में प्रत्येक पल उसके साथ था । न जाने क्यों उसे भी राक्षसों के बीच फंसी लड़की से सहानुभूति हो गई थी ।
- "अभी कुछ समय पश्चात आप लोगों की भेंट मेरे चीफ से होगी ।" ब्रिगेंजा ने कहा ।
दोनों ही शांत रहे । सविता ने अधेड़ की ओर देखा तो उसे
मुस्कराते पाया । उस सीधी-सादी लड़की के दिमाग में कुछ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या चक्कर है...? अब तो उसके लिए उसका भाई भी रहस्य बनता जा रहा था । उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि इस कठिन परिस्थिति में भी वह मुस्करा रहा है । कमरे के अंदर अकेले में ब्रिगेंजा और उसमें क्या बातें हुई हैं ?
अभी प्रत्येक व्यक्ति अपने निजी विचारों में उलझा हुआ था कि धीमे-धीमे चमचमाते हॉल का प्रकाश मानो सिमटने-सा लगा- अंत में उस समय जबकि स्टेज पर विचित्र बल्बों वाले नकाबपोश के रूप में 'आग का स्वामी' प्रकट हुआ । हॉल में धुंधला-सा प्रकाश प्रसारित था । ऐसा प्रकाश जिसमें एक इंसान दूसरे इंसान की सूरत पहचान सकता था । स्टेज पर उसके आगमन पर समस्त आग के बेटे श्रद्धा के साथ झुक गए । सविता आश्चर्य के साथ सब कुछ देख रही थी जबकि संग्राम के होंठों पर अब भी एक विचित्र - सी मुस्कान थी। |
बेटा नंबर गर्मीला सेशन?" हॉल में रहस्यमय नकाबपोश का भराया हुआ स्वर गूंजा।
-"यस महान स्वामी ।" ब्रिगेंजा आगे बढ़ता हुआ बोला ।
- " मिस्टर संग्राम की सारी कहानी हम जान चुके हैं, इन्हें अपने दल के समस्त नियम बता देना ।"
"जैसी आज्ञा महान स्वामी ।" ब्रिगेंजा बोला ।
"तुमने इस सविता नाम की लड़की को यहां लाकर वास्तव में प्रशंसनीय कार्य किया है मिस्टर गर्मीला सेशन । वास्तव में यह लड़की हमारे दल को एक बड़ा मस्तिष्क दे सकती है । "
उसकी बात सुनकर सविता कुछ बोलने ही जा रही थी कि संग्राम ने आंखों-ही- आंखों में उसे चुप करने का संकेत किया । उन्होंने सुना, आग का स्वामी कह रहा था ।
"खैर-सबसे पहले मैं आप लोगों को जासूसों के एक षड्यंत्र के पर्दाफाश का एक खेल दिखाता हूं।" चीफ की आवाज हॉल में गूंज रही थी- "कुछ आग के बेटे तो वह खेल देख ही चुके हैं, किंतु कुछ ने नहीं देखा है। आज सभी के सामने इन जासूसों के षड्यंत्र का पर्दाफाश किया जाएगा और साथ ही सजा भी दी जाएगी।"
समूचे हॉल में सन्नाटा व्याप्त रहा ।
- "मिस्टर दर्बीला सेशन!" आवाज पूंजी । I
-'यस महान स्वामी ।" एक अन्य इंसान आगे बढ़कर आदर से बोला ।
- "तुम तुरंत अपनी टोली के साथ विकास, विजय और उस नाटे को हॉल में ले आओ ।"
-"ओके महान स्वामी ।" कहकर वह हॉल के दाई ओर बने दरवाजे की ओर बढ़ा । उसके साथ उसके पांच साथी भी थे । सभी लोग उत्सुक्ता से उनके आगमन की प्रतीक्षा करते रहे । अभी कठिनता से तीन मिनट ही व्यतीत हुए थे कि दर्बीला सेशन बदहवास-सा भागता हुआ हॉल में प्रविष्ट हुआ उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं । घबराया-सा वह बोला ।
- "महान स्वामी... विजय कैद से फरार हो गया ।"
-"क्या कहा ? विजय गायब हो गया ?" सभी के मुख से निकला-वास्तव में इन शब्दों ने हॉल में विस्फोट का कार्य किया । सभी लोग हतप्रभ-से रह गए। आग का स्वामी खतरनाक ढंग से गुर्राया ।
- " नंबर दर्बीला सेशन- तुम अपनी समस्त टुकड़ी के साथ विजय की कोठी तथा उन सभी स्थानों पर अपना जाल फैला दो - जहां वह जा सकता है। जैसे रघुनाथ की कोठी, कोतवाली इत्यादि । "
-" ओके सर ।" दर्बीला सेशन ने कहा और हॉल से बाहर निकला । इस बार उसके साथ दस साथी थे । उनके जाने के पश्चात नकाबपोश बड़े रहस्यमय स्वर में बोला ।
- "वह बेवकूफ शायद फरार होकर यह समझ रहा है कि वह आग के बेटों का कुछ बिगाड़ लेगा-किंतु उसे यह नहीं मालूम कि आग के बेटे तो उस महान शक्ति के तुच्छ सेवक है, जिसके रहते वह आग के बेटी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता । खैर, छोड़ो उसको उसकी हमें कोई विशेष चिंता नहीं है । अब आप लोग जासूसों का चौंका देने वाला षड्यंत्र देखिए ।" स्वामी बोला ।
हॉल में विकास और नाटे को ले आया गया । वे दोनों चुपचाप आमने-सामने वाली कुर्सियों पर बैठ गए। तभी नकाबपोश की आवाज फिर गूंजी।
'मिस्टर ब्रिगेंजा-इस नाटे का नकाब उतारो तो तुम्हें मालूम हो जाएगा कि जासूसों ने आग के बेटों के विरुद्ध कितनी गहरी साजिश का निर्माण किया था? आप लोग इस नाटे का नकाब उतरने के बाद चौंके बिना न रह सकेंगे । "
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