गोवा जाने में दो दिन थे। मैंने गोवा जाने से पहले मकान के लिए जरूरी सामान की खरीदारी कर ली थी और अपनी पैकिंग भी की थी। सत्ते और ममता ने भी जरूरी काम के साथ पैकिंग की। रघुवीर और उसकी बीवी भी तैयारी कर रहे थे। 

दो दिन के बाद हम रघुवीर के ड्राइवर के साथ इंदिरा गाँधी एयरपोर्ट के लिए निकले। फ्लाइट की टिकट हमारे लिए निधि ने बुक की थी। समझ के बाहर था कि निधि के पापा ने उसको जाने की कैसे हाँ भरी थी।

हम सब एयरपोर्ट पर मिले। निधि ने सबसे पूछा, “सब अपनी आईडी लाए हैं न?” तो सभी ने हाँ कर दी। हमारी फ्लाइट सुबह दस बजे की थी। अभी एक घंटा बाकी था। हमने एयरपोर्ट से बोर्डिंग कार्ड लिया फिर हम एक सीट पर बैठ गए।

रघुवीर और सत्ते की बीवी हमसे बातें कम कर रही थी। दोनों ने सूट पहन रखा था, एक ने गुलाबी तो दूसरी ने पीला। सर पे चुन्नी डालकर दोनों बैठी थी। निधि ने दोनों के पल्लू सर से हटा दिए पर सत्ते की बीवी ममता ने फिर से पल्लू सर पर रखने की कोशिश की तो निधि ने कहा, “आप इन मान-मर्यादा को रहने दो।”

ममता ने कहा, “भाई साहब के सामने मैं कैसे रह सकती हूँ?” 

“हम मजे करने के लिए आए हैं।” निधि की इस बात पर हम सब हँसने लगे। मैंने ममता और साक्षी से कहा, “आप ऐसे भी रह सकती हैं, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।”

निधि ने काली कैपरी पहनी थी। ऊपर उसने नीला टॉप पहना था। गले में उसने एक गोल्ड चेन पहनी थी। बालों की कसकर उसने चुटिया बना रखी थी। चेहरे पर उसने हल्का मेकप कर रखा था। पैरों पर वैक्स करवाया था।

मैंने निधि से कहा, “तुम्हें इन कपड़ों में ठंड नहीं लग रही है?” 

“दो घंटे की फ्लाइट के बाद ठंड नहीं रहेगी।” ममता ने कहा।

“क्या गोवा में गर्मी है?” 

निधि ने कहा, “हाँ और क्या! तुम गर्म कपड़े तो नहीं लाई हो न?” इस बात पर सब हँसने लगे मैंने कहा, “गोवा में सुबह और शाम को हल्की ठंड इन दिनों में रहती है।” 

रघुवीर ने कहा, “किसी को कोल्डड्रिंक चाहिए? मैं लेने जा रहा हूँ।” मैंने और निधि ने हाँ कहा, पर सत्ते और सबने ठंड की वजह से नहीं कहा। तभी अनाउंस हुआ कि‍ हमारी फ्लाइट जाने को रेडी है। हम फ्लाइट मेजाने के लिए चल दिए। प्लेन में बैठने से पहले हमारी चेकिंग हुई। धीरे-धीरे सब पैसेंजर प्लेन में बैठ गए। कुछ देर एयर होस्टेस ने सुरक्षा उपकरण और सुरक्षा के बारे में बताया। फिर हवाई जहाज उड़ गया। मेरी और निधि की सीट पास-पास थी। मैं पहली बार हवाई जहाज में बैठा था। वैसे निधि के अलावा सभी पहली बार बैठे थे। हम बारह बजे गोवा के एयरपोर्ट पर थे। हमारे होटल की बुकिंग पहले ही निधि ने करवा दी थी। एयरपोर्ट से निकलते ही हमें होटल ले जाने के लिए दो टैक्सी लेने आईं। एक में सत्ते और रघुवीर और उनकी बीवियाँ थी। एक में मैं और निधि थे। हमें दो घंटे में ही टैक्सी ने होटल पहुँचा दिया। होटल मेलड़कों ने सामान हमारे कमरों में रख दिया। 

जब मैं रूम की तरफ गया तो हैरान रह गया। यहाँ सिर्फ तीन रूम ही बुक थे एक रघुवीर और साक्षी का था तो दूसरा सत्ते और ममता का था। तीसरे में मैं और निधि रहने थे। मैंने निधि से कहा, “हम दोनों एक ही रूम में कैसे रह सकते हैं?”

“हम जोड़ों के रूप में आए हैं इसलिए हम एक ही रूम में रहेंगे।” अब मेरे समझ में आया उस दिन निधि ने जो कहा था की हम जोड़ो के रूप में वहाँ जाएँगे शायद इस का मतलब था हम शादीशुदा लोगो की तरह एक ही कमरे में रहेंगे।

मैंने ज्यादा बहस उससे नहीं की और मैं रूम में आ गया। रूम को अच्छी तरह से सजाया गया था। रूम की पहली दीवार पर रिबन से आई लव यू लिखा था जिसके चारों तरफ गुब्बारे लगे थे। मैं अंदर गया तो रूम के साथ एक रूम और जुड़ा था। एक में डबल बेड था तो दूसरे में सिंगल बेड था। मैं बाथरूम में गया और हाथ-मुँह धोकर एक हाफ पैंट पहन ली ये सोचते हुए कि मुझे एक ही रूम में निधि से दूरी बनाकर रखनी है। मैं जैसे ही बाथरूम से आया तो निधि ने मुझे गले लगा लिया और बेड पर गिरा दिया। फिर वो दूर हो गई। मैंने निधि से कहा, “दो कप चाय होटल से मँगवा लो।” उसने कहा, “मैं चाय नहीं पिऊँगी, दो कॉफी मँगवाते हैं।”

उसने रूम सर्विस से फोन से ऑर्डर कर दिया। बेड के पास ही एक फ्रिज था जिस में बीयर भरी पड़ी थी। निधि बाथरूम में गई और उसने एक निकर पहन लिया जिससे उसके पैर कुछ ज्यादा ही दिख रहे थे। उसकी कमर पर बाल नाम की चीज नहीं थी। उसकी टाँगें बहुत अच्छी लग रही थी। मैंने सोचा मुझे उसकी टाँगें नहीं देखनी चाहिए।

कुछ देर में दो कॉफी आ गई। ये होटल कैंडोलिम बीच पर था। मुझे निधि ने बताया। हम कुछ ही देर में पैदल ही बीच पर जा सकते थे। हमने जल्दी ही कॉफी खत्म की तो निधि ने कहा, “चलो अब बीच पर जाने की तैयारी करते हैं।” फिर उसने सत्ते और रघुवीर को बीच पर चलने के लिए फोन कर दिया। कुछ ही देर में हम सभी बीच के लिए निकल गए। बीच पर जाते समय हमेलाल रेत मिली। इस तरह की रेत मैंने पहली बार देखी थी। सत्ते और रघुवीर ने लोअर पहने थे। दोनों की ही बीवियों ने सूट पहना था। हम समुद्र के पास थे। मैंने समुद्र पहली बार देखा था। निधि ने सभी को समुद्र मेजाने को कहा। हम सब पानी में चले गए। 

हम वहाँ घंटा भर नहाते रहे। सबसे पहले मैं पानी से निकला। मैंने बीच पर ही एक रेस्टोरेंट में बीयर ऑर्डर की। कुछ ही देर में वे पाँचों भी आ गए। निधि ने तीन बीयर मँगवाई जिस में दो सत्ते और रघुवीर की थी और एक निधि की। ममता और साक्षी ने दो जूस ऑर्डर किए। मैंने निधि से कहा, “मैं सिगरेट पी सकता हूँ?” तो उसने हाँ कहा। 

एक घंटे में हमने चार बीयर खत्म कर दी। तभी रेस्टोरेंट में एक विदेशी के कहने पर संगीत बजा तो निधि भी डांस करने लगी। हम सब भी नाचने लगे। कई घंटे बाद हम होटल में आ गए। हमने होटल के रेस्टोरेंट में खाना खाया। किसी ने वेज तो किसी ने नॉनवेज।

रात दस बजे हम अपने रूम में थे। निधि ने कहा, “यहाँ कैसीनो भी है क्या हम कुछ खेलने वहाँ जा सकते हैं?” 

“ये कैसीनो कहाँ है?”

“यही बागा बीच पर।” 

“ठीक है, हम वहाँ खेलने कल जाएँगे।” नशे के कारण मुझे नींद आने लगी और मैं दूसरे कमरे मेजाकर लेट गया। मैं इससे ज्यादा देर जाग नहीं पाया पर निधि तो अब भी एक्टिव थी और फ्रिज से बीयर निकाल कर पी रही थी। 

रात को दो बजे मेरी आँख खुली तो देखा निधि और दोनों महिलाएँ बीयर पी रही थी, कमरे की लाइट बंद करके। मैंने जैसे ही देखा तो ममता और साक्षी वहाँ से भाग गईं। मैं उन्हें देखकर हँसने लगा और कमरे का पर्दा लगाकर फिर से सो गया। 

रोज की तरह मैं सुबह पाँच बजे उठ गया। मेरी खट-पट से निधि ने कहा, “इतनी जल्दी क्यों उठ गए? कुछ देर शांत रहो मुझे सोना है।” लेकिन मैंने उस पर से कंबल हटा दिया तो उसने मुझे गंदी गाली दी। मैंने भी उसे कमर में एक चपत लगाई। निधि ने कहा, “राघव, मैंने तुम्हें कभी गाली देते नहीं देखा है, क्या तुमने कभी गाली नहीं दी किसी को?”

“जब मैं दसवी कक्षा में था, मैंने तब से गाली देनी छोड़ दी थी। मैंने दो साल ही गाली बकी थी जीवन में, उसके बाद मुझे गाली देने वालों से नफरत-सी हो गई थी। मैंने फिर उसे कहा, “दो चाय ही ऑर्डर कर दो तब तक।” 

“नहीं, मैं तो बीयर पीऊँगी। तुम्हें चाय पीनी है तो पी सकते हो।” उसने बीयर फ्रिज से निकाल ली। मैंने भी उसके साथ बीयर पी। निधि मेरे पास आई और मुझे चूमने लगी। मैंने कुछ देर उसे कुछ नहीं कहा। उसकी टाँगें और कमर मुझे लुभाती रहीं। फिर मैं उससे अलग हो गया। 

“क्या मैं सुंदर नहीं हूँ जो तुम दूर हो गए?” ऐसे अजीब सवाल पर मैं क्या जवाब दूँ मेरी समझ में नहीं आ रहा था।

“ये सब मैं अपनी पत्नी के साथ करूँगा।” मैं नहीं जानता था ऐसे जवाब पर मैंने मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया था। 

“क्या हम आगे शादी नहीं कर रहे हैं?” 

“नहीं।” मैंने तपाक से कहा। ये बात वो बरदार्शत नहीं कर सकती थी। तब वो चिल्लाई, “चुप! मैं तेरे साथ इस कमरे में क्यों हूँ? क्या तुम समझ नहीं सकते?” 

मैं थोड़ा मुस्कुराया, “छोड़ो इसे, चलो बाहर जाकर कुछ खा लेते हैं।” 

“मेरी बात का जवाब दो, हम शादी करेंगे या नहीं?” निधि के चेहरे से लगा वो मुझसे ये नहीं चाहती थी की हम शादी ना करे। उसकी आँखें लाल थी नशे से या गुस्से से मैं नहीं जानता था। 

“जब उसका टाइम आएगा तब सोचा जाएगा। तुम क्यों अभी से परेशान हो।”

“तुम मेरी बात का सही से जवाब दो। मैं तेरे लायक नहीं हूँ या तुम्हारी इन भाभि‍यों जैसी नहीं हूँ?”

मैं उसके ये कहते ही उसके होंठों पर टूट पड़ा। मैं समझ नहीं पाया कि मैंने उसे ऐसे क्यों चूमा। लेकिन जल्दी ही मैं फिर उससे दूर हो गया। 

निधि ने कहा, “बस हवा टाइट हो गई? इससे आगे बढ़ते नहीं हो। प्यार मुझसे और शादी किसी और से करोगे।” 

मैं बोतल में पड़ी कुछ और बीयर पीने लगा। मैंने उससे कहा, “सच पूछो तो मैं तेरे से प्यार नहीं करता।” 

“क्या ये सच है? एक बार मेजवाब देना।” 

“हाँ सच है।”

निधि मेरे गले लग गई और रोने लगी, “राघव जब से मैंने प्यार को जाना है मैंने सिर्फ तुमसे ही प्यार किया है और तुमने भी मेरे से। तो फिर क्या हो गया जो तुम मेरे से सालों से दूर हो। बताओ मुझे हमारे बचपन के प्यार पे किसने नजर लगा दी?” 

मैं उसे वंश के बारे में बताकर शर्मिंदा नहीं करना चाहता था। सच पूछो तो मेरा प्यार बस निधि ही थी, पर मैं सालों से वंश के बारे में सोचकर नहीं सो पाता था। मैं निधि के बारे में भी सोचकर जलने लग जाता था पर आज तक मैंने अपनी जलन किसी को नहीं बताई थी तो निधि को भी बताकर क्या फायदा था। मैंने निधि को कहा, “निधि चुप हो जाओ, मैं तो मजाक कर रहा था।” मैंने जैसे-तैसे उसे चुप कराया। मैंने सोच लिया था कभी और सही, मैं उससे पीछा छुड़ा लूँगा। मैं इससे शादी तो नहीं करने वाला हूँ। कुछ देर मेजब निधि शांत हो गई तो हमने चाय पी लेकिन जब तक निधि मुझे घूर-घूरकर देखती रही। फिर हम बीच के लिए निकल गए। 

हमें चार दिन हो गए थे गोवा में। निधि अब भी मेरे से ठीक से बात नहीं कर रही थी पर मैं उससे नॉर्मल ही व्यवहार कर रहा था। हम बागा बीच पर कैसीनो जाने को तैयार हो रहे थे। निधि बाथरूम में थी। मैं कमरे में कपड़े बदल रहा था। निधि दस मिनट में बाथरूम से बाहर आ गई। उसने बाहर आकर बाथरूम का दरवाजा धड़ाम से बंद कर दिया। “तुम मेरे साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हो? क्या तुम्हें और कोई लड़की मिल गयी है जिसे मैं जानती हूँ? कोई नहीं होगी मैं जानती हूँ। क्या तुम्हें दहेज चाहिए?” मैंने कभी भी दहेज के लिए शादी करने के बारे में नहीं सोचा था ये बात निधि भी जानती थी पर मैं ये जरूर चाहता था की मैं शादी अपनी मर्जी से ही करूँ अरेन्ज या लव मैरीज। 

“ऐसा कुछ नहीं है, मुझे जिंदगी में बहुत कुछ अभी पाना है, अभी इसलिए शादी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता हूँ। मेरे कुछ सपने हैं उन्हें पूरा करना है मुझे।”

“ क्या तुम्हारे सपने मेरे नहीं हैं वे अलग कैसे हो सकते हैं। क्या तुम्हें बिल गेट्स बनना है? पैसे कमाने वाली मशीन? क्या यही चाहते हो?”

“ऐसा कुछ नहीं है।” 

“तो फिर क्या है जो तुम्हें घर से इतने दूर भी मेरे करीब आने से रोकता है? क्या मैंने कुछ ऐसा कर दिया है? मेरा सुंदर चेहरा तुझे अपनी ओर आकर्षित नहीं कर रहा है? मैं बस तेरे लिए सजती हूँ। सोच लो, अगर मेरी शादी किसी और से तुम्हारी बेवकूफी से हो गई तो सारी जिंदगी पछताते रहोगे।”

मैं कहना तो चाहता था ऐसा हो जाए तो बहुत अच्छा हो पर कहा, “हम घूमने आए हैं। तुम अभी से इस बात पर क्यों परेशान हो? एंज्वॉय करो। चलो कैसीनो चलते हैं।”

“मैंने अपने और तुम्हारे लिए ये एक ही रूम लिया है, मैं तुम्हें पाना चाहती हूँ। और तुम मेरे इतने पास होकर भी पास नहीं आते हो।”

असलीयत तो उसके पास ना जाने की ये थी की मैं चाहता था की मैं शादी के बाद ही किसी लड़की के पास जाऊँ बेशक मेरी सोच पुरानी लगे पर मैं ऐसे ही माहौल में रहा था कि मैं सदा पवित्र रहूँ। ये सोच मेरे अन्दर बचपन से ही थी मेरे पेरन्टस के दिये मेरे संस्कार ऐसे ही थे।

मैंने कहा, “अभी दूरी है कुछ समय इस दूरी को और रहने दो।” 

“मैं छब्बीस साल की हूँ। मेरे घर वाले ज्यादा समय और मेरी शादी के लिए नहीं रुक सकते हैं।” 

“मुझे भी तो अपने घर वालों से शादी के लिए अभी पूछना है। और क्या फर्क पड़ता है हम अलग-अलग शादी कर भी लें तो?” निधि ने सुनते ही झन्नाटेदार थप्पड़ मुझे मारा जिसकी आवाज बहुत तेज थी। वो फिर रोने लगी। मैं सोचने लगा, थप्पड़ का गम मनाऊँ या उसे चुप कराऊँ। मैंने सोचा उसे चुप ही कराना ठीक रहेगा। मैंने जैसे-तैसे उसे मनाया। उसने भी मुझे थप्पड़ मारने के लिए माफी माँगी।

उसने अपनी आँखें धोईं और हम कैसीनो के लिए निकले। रास्ते में मैंने सोचा मुझसे एक साल बड़ी है, थप्पड़ मारा तो क्या हुआ। आखिर मुझे ही तो प्यार करती है। 

हम रात ग्यारह बजे कैसीनो पहुँचे। कैसीनो में एक हजार की टिकट के भी हमें अलग से पैसे देने पड़े। मैंने कैसीनो पहली बार देखा था। निधि ने दस हजार के टोकन लिए और वो एक चकरी वाले गेम की ओर बढ़ गई। उसी ने बताया कि‍ कुछ नंबर के ग्रुप पर टोकन लगाने होते हैं, फिर चकरी को घुमाया जाता है। अगर चकरी लगाए हुए ग्रुप पर रुक जाती है किसी एक नंबर पर तो पैसे तिगुने हो जाते हैं। एक सिंगल नंबर पर भी टोकन मनी लगा सकते हैं और नंबर आ जाए तो पैसे चार गुना हो जाते हैं।

कुछ ही देर में निधि सारे पैसे या टोकन हार गई। तो मैंने उसे दस हजार रुपये और दिए जिसके उसने और टोकन ले लिए। हम वहाँ पर एक ड्रिंक भी ले सकते हैं मैंने अपनी ड्रिंक के साथ निधि की भी ड्रिंक ले ली। मैंने एक औरत को देखा जिसके हाथ में एक सूटकेस था और उसकी आँखें नम थी। लग रहा था रोने ही वाली थी। उसका पति जुआ खेल रहा था। शायद सूटकेस के पैसे हार रहा था। मेरे से ये देखा नहीं जा रहा था पर मैं कर भी क्या सकता था। मैंने निधि को पास बुलाकर ये सब बताया पर उसने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया। वो खेल में मगन थी।

निधि खेल में कभी जीतती तो कभी हार जाती। आखिरी में वो सारे टोकन हार गई। हमने वहाँ पर ही खाना खाया जो टिकट के साथ ही शामिल था।

रात को हम किराए की स्कूटी पर होटल के लिए निकले। निधि से मैंने रास्ते में कहा, “वो औरत बहुत रो रही थी।” 

निधि ने कहा, “शायद कुछ बेचकर आए होंगे और सब हार गए होंगे। कैसीनो में ये सब करके लोग आते हैं पर अपना सब हार जाते हैं।”

“ मेरी भी समझ में आ गया कि जुआ एक लत है और तुम भी कभी जुआ नहीं खेलोगी।” 

“यार कौन-सा रोज खेलती हूँ और कभी पाँच-दस हार भी जाऊँ तो इस में भी मजा है।” 

“पाँच-दस नहीं बीस हजार हारी हो।” 

“छोड़ो ना यार, कमाते हैं तो कुछ खर्च भी करना चाहिए।”

“तुम्हारे लिए मजा है पर कैसीनो वालों के लिए तो कमाई है। और उनका क्या जो पूरा सूटकेस हार गए?” 

लड़ते-झगड़ते हम होटल पहुँच गए। रूम में घुसते ही निधि सो गई। मैं बिस्तर में पड़ा-पड़ा उस औरत और उसके पति के बारे में ही सोचता रहा जो पूरा सूटकेस पैसों का हार गए थे। मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैंने फ्रिज से कोक निकालकर पीने लगा। 

सुबह-सुबह ही हमें अगवाडा फोर्ट के लिए निकलना था। मैं अपनी तैयारी कर रहा था। बाथरूम में मैंने क्लीन शेव की, नहाकर बाहर आ गया तो निधि बाथरूम में चली गई। कोई पंद्रह मिनट बाद वो बाथरूम से निकल कर आई। वो सुंदर लग रही थी। उसने सफेद स्कर्ट के साथ ही टॉप भी सफेद पहना था जिस पर कढ़ाई हो रखी थी। मैं बस देखता ही रह गया।

“क्या देख रहे हो, कोई लड़की नहीं देखी?” 

मैंने झट से कहा कि चलो जल्दी करो, चारों हमारा इंतजार कर रहे हैं। उसने हील वाली सैंडिल पहनी और रूम के बाहर आ गई। हम होटल के बाहर पार्किंग में आ गए। सभी अपनी-अपनी स्कूटी पर बैठे और निकल लिए। निधि मेरे से सटकर बैठी थी। उसका सीना मेरे पीठ पर टच हो रहा था। रास्ता ज्यादा लंबा नहीं था। मैंने भी ऐसे में स्कूटी से हल्के-हल्के बर्क कई बार लिए। ये सब हमारे पीछे चल रहा सत्ते देख रहा था। करीब बीस मिनट की ड्राइव के बाद हम अगवाडा फोर्ट पर थे। हमने स्कूटी पार्किंग मेलगाई और किले में चले गए। किला पुर्तगालियों ने नीले या काले पत्थरों से बनाया था। हम किले को देखते हुए ऊपर चढ़ गए। यहाँ ऊपर ज्यादा गर्म महसूस हो रहा था।

मैं सत्ते और रघुवीर आपस में बातें कर रहे थे और पीछे तीनों महिलाएँ। सत्ते और रघुवीर कुछ आगे चले गए तो मैं तीनों महिलाओं की बातें एक दीवार के पीछे से सुनने लगा। ममता ने कहा, “तुम एक ही कमरे में एक-दूसरे से कैसे दूर रहते हो, ऐसा कैसे हो सकता है?” 

“क्या मैं तुम्हें झूठ बोल रही हूँ? मैंने उसे छूने भी नहीं दिया।”

“क्या तुम्हारे बीच कुछ भी नहीं हुआ?” साक्षी ने पूछा। 

“हाँ, मैंने उसे बस चूमने दिया तीन बार।” 

“भईया बहुत सीधे हैं, नहीं तो पता नहीं कोई और हो तो जाने क्या हो।” 

“वो तो मैंने उसे सीधा कर रखा है।” निधि की इस बात पर तीनों हँसने लगी।

“पर तेरा मन कैसे मान जाता है अपने होने वाले पति से दूर रहने का?” 

निधि शरमा गई। इसी तरह बात करते हुए वे आगे बढ़ गए। मैं भी वहाँ से चुपचाप खिसक लिया।

मैं सत्ते के पास चला गया। सामने ही वहाँ से लाइट हाउस दिख रहा था। हम उसे देखने लगे। मैंने रघुवीर से कहा, “किला ज्यादा बड़ा नहीं है पर ये किला दिल्ली की पुराने समय की इमारतों के आगे टिकता नहीं है। ये देश की सभी इमारतों से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है, इसलिए ही इसे देखा जा सकता है।”

कोई दो घंटे बाद हम किले से बाहर आ गए। सामने ही किले से निकलते ही कुछ खोमचे वाले बैठे थे। वहाँ बंटा और छोले-भटूरे वाले को देखकर सभी महिलाएँ मचल गईं। निधि ने बंटा पिया और मैंने भी, जिसे बंटा बेचने वाले ने नींबू के साथ काले नमक से टेस्टी बना दिया था। फिर एक प्लेट छोले-भटूरे के बाद सब तृप्त हो गए। हम स्कूटी पर बैठकर वहाँ से वापस चल दिए। मैं एक पेट्रोल पंप पर रुका। मैंने स्कूटी में पेट्रोल भरवाया पर निधि ने कहा कि ज्यादा तेल भरवाने की जरूरत नहीं क्योंकि हमें कल ही दिल्ली की फ्लाइट पकड़नी थी। हम बातें करते हुए होटल में पहुँचे जहाँ हमने चाय और एक कॉफी ऑर्डर की।

निधि ने कॉफी पीते हुए कहा, “मैं बहुत परेशान हूँ राघव। मेरे घर वालों ने मेरे ऊपर दबाव बना रखा है कि‍ मैं जल्दी शादी कर लूँ। पर तुम हो कि‍ शादी के लिए मान नहीं रहे हो। प्लीज जल्दी करो, पापा ने मुझे कई रिश्तों के बारे में बताया है।”

“तो फिर हाँ क्यों नहीं कर देती हो?” मैंने उसे छेड़ते हुए कहा

“तुम फिर से थप्पड़ खाओगे। मैं बस तुम्हारी दुल्हन बनूँगी।” 

मैंने बातों का रूख बदलते हुए कहा, “यहाँ पर कुछ दूरी पर बाजार है, कुछ खरीदारी कर लाते हैं।” 

“मेरा मूड नहीं है, मैं दो घंटे रूम मेजाकर सोना चाहती हूँ, तुम जा सकते हो।”

मैंने चाय और कॉफी का बिल दिया और बाजार की तरफ चल दिया। मुझे बाजार में एक जैकेट पसंद आई। मैंने एक बेल्ट के साथ एक लकड़ी का बुद्ध भगवान भी लिया। टहलते हुए आइसक्रीम का मजा भी लिया। होटल जाते-जाते मैं थक गया। जब मैं रूम में पहुँचा तो निधि सोकर उठ गई थी। वो अपने बाल बना रही थी। उसने अपने बालों का जूड़ा बनाया और मुझसे कहा, “चलो बीच पर चलते हैं।” 

“नहीं मैं बहुत थक गया हूँ। तुम बाकी सब के साथ चले जाओ।” 

“पर गोवा में हमारा आखिरी दिन है। कल रात को ही हमें वापस जाना है। साथ में चलते हैं न।” 

“नहीं यार थका हूँ। नहीं जा सकता हूँ। तुम ही चली जाओ।” 

“तो मैं भी नहीं जाती।” गुस्से में उसने एक बीयर फ्रिज से निकाली और पीने लगी। 

“यार एक बात बताओ, तुम इतनी बीयर पीती हो और सब कुछ खा लेती हो फिर भी तुम्हारा वेट कंट्रोल में रहता है?” 

“हाँ रहता है। मैं घर पर जिम में मेहनत के साथ हल्की डाइटिंग जो करती हूँ।” 

“मैं तुम्हारी कमर का फैन हूँ।” 

“ऐसा तुमने कभी नहीं कहा। ये कमर सदा के लिए तुम्हारी हो सकती है।” 

“जानता हूँ शादी करके। पर... मैं अब सो रहा हूँ। तुम को जाना नहीं है बीच पर?”

“नहीं जाना। अगर जाना होगा तो तुम्हारे साथ ही जाऊँगी।” 

मैं अंदर के रूम में सोने चला गया और दस मिनट में ही सो गया। सोते हुए मुझे सपना आया।