“क्यों चचा?"


"बेवकूफ इतने हो कि सिंगही को कोतवाली ले जाना चाहते हो।"


अभी विजय कुछ और बोलना ही चाहता था कि सिंगही बोला - " अच्छा भतीजे, अब मैं चलता हूं।"


— उसके बाद विजय 'चचा चचा... अबे झबके' इत्यादि शब्द कहता ही रहा, जबकि उसके देखते ही देखते सिंगही शीशे में से गायब हो गया। उसने गरदन घुमाकर पीछे देखा, किंतु सीट वास्तव में खाली थी। एक बार को तो उसका मस्तिष्क भी चकराकर रह गया। उसकी समझ में नहीं आया कि अचानक सिंगही कहां गायब हो गया। परंतु जानता था कि इस बात को सोचने में दिमाग खपाने के अतिरिक्त दूसरा कोई लाभ न होगा। अत: उसने सिर को झटका दिया और कार का रुख अब अपनी कोठी की ओर कर दिया।


उसका मस्तिष्क विचारों में उलझा हुआ था।


तब, जबकि उसने कार अपनी कोठी के लॉन में रोकी, दरवाजा खोलकर वह बाहर आया, परंतु उसी पल वह आश्चर्य से उछल पड़ा।


कार का पिछला दरवाजा एक झटके के साथ खुला और इससे पूर्व कि विजय कुछ समझ सके, अचानक उसके जबड़े पर? एक अत्यंत शक्तिशाली घूंसा पड़ा ।


घूंसा इतना शक्तिशाली था कि वह स्वयं को संभाल न सका और धड़ाम से फर्श पर गिरा। तभी उसके कानों से सिंगही का स्वर टकराया !


---"फिलहाल विदा भतीजे... फिर मिलेंगे।"


अपना जबड़ा सहलाता हुआ विजय उठा परंतु उसे आसपास कहीं भी सिंगही नजर नहीं आया। वह जान गया कि सिंगही कार से उतरा न था, बल्कि वहीं बैठा-बैठा अदृश्य हो गया था और जबकि कार रुक गई, वह जाता-जाता उसके जबड़े को अपनी शक्ति का परिचय दे गया था।


उसके आसपास कहीं भी सिंगही नजर नहीं आया ।


अचानक उसी पल वह चौंका!


बरबस ही उसकी निगाहें आकाश की ओर उठ गई और


अगले ही पल आकाश का दृश्य देखते ही विजय की आंखें हैरत से फैल गई! उसकी आंखों का आश्चर्य क्षण-प्रतिक्षणं बढ़ता ही जा रहा था। दिमाग मानो हवा में चकरा रहा था। वह उस दृश्य पर विश्वास नहीं करना चाहता था, किंतु प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं थी !


ये आपकी इच्छा है कि आप तेरह वर्षीय इस शैतान की इन हरकतों को उसकी कमजोरी कहें अथवा विशेषता! ये खौफनाक और खूबसूरत शैतान उस नमूने सरीखे, चांद के भयानक छलावे को गठरी बनाकर पेड़ से लटकाकर चल दिया तो उसके नन्हे-से शैतानी मस्तिष्क में शैतानी कीड़े ने कुलबुलाना शुरू कर दिया।


अत: चलते-ही-चलते उसने गले में लटके लॉकेट रूपी ट्रांसमीटर पर अपने झकझकिए अंकल से संबंध स्थापित करके कुछ इस प्रकार के शब्द कह डाले कि उधर विजय बौखला जाए और इधर इस शरारती ने अपनी बातों में एक रहस्य छोड़ते हुए कहा। गुनीमत ये थी कि उसने विजय को दिलजली सुनाने के लिए नहीं कहा, वरना विजय के मस्तिष्क में रखे एक बम का धमाका हो जाता और फिर लॉकेट रूपी छोटा-सा ट्रांसमीटर हवा से बातें करता ।


खैर शीघ्र ही विकास उस कार तक आ गया, जिसे टुम्बकटू चुराकर लाया था और विकास ने डिक्की में बैठकर उसका पीछा किया था ।


विकास कार की ड्राइविंग सीट पर ठीक किसी ऐसे रईसजादे के आंख के तारे की भांति जम गया, जिसके पिता ने वह कार उसी के लिए खड़ी की हो। उसने बड़े आराम से कार बैक की और अगले ही पल कार वापस शहर की दिशा में फर्राटे भर रही थी।


विकास के नन्हे- से मस्तिष्क में इस समय एक बड़ी खौफनाक योजना कुलबुला रही थी। वह टुम्बकटू को गिरफ्तार करके इस प्रकार से ले जाना चाहता था कि आज तक कोई किसी को गिरफ्तार करके न ले गया हो। दूसरे टुम्बकटू किसी भी स्थिति में फरार न हो सके, तीसरे उसका यह ढंग राजनगर की सीमाओं के पार समूचे विश्व में आश्चर्य बन जाए।


उसके मस्तिष्क में जनमी योजना काफी भयानक थी, किंतु उससे कहीं अधिक भयानक था यह तेरह वर्षीय खतरनाक शैतान!


कार सड़क पर फर्राटे भर रही थी।


कार सीधी पहली और अंतिम बार हवाई अड्डे के बाहर रुकी। अभी वह बाहर निकलना ही चाहता था कि बुरी तरह से वह चौंक पड़ा।


एक खासी भीड़ शोर मचाती हुई सीधी उसी की ओर दौड़ीचली आ रही थी। लोगों का यह जत्था अधिक दूरी पर भी नहीं था। पहले तो उसकी समझ में नहीं आया कि यह सब क्या है, परंतु उस समय विकास जैसा शैतान भी बुरी तरह बौखला गया, जब उसके मस्तिष्क में यह आया कि यह कार चोरी की है।


किंतु इस बौखलाहट में उसने यह भी सोच लिया कि अगर अब वह यहां एक पल भी ठहरा तो ये भीड़ निश्चित रूप से उसे पानी का वह बताशा बना देगी, जो किसी खोमचे वाले की दुकान से सड़क पर गिर गया हो। अत: वह अपनी पूर्ण सतर्कता के साथ कार से निकला और उसने एयरपोर्ट के अंदर की ओर जंप लगा दी।


शोर मचाती हुई भीड़ उसके पीछे थी ।


परंतु भीड़ में कोई भी ऐसा व्यक्ति न था, जिसे इस खतरनाक शैतान की भांति गुणवान कहा जाए। हवा में किसी शैतान की भांति ही जंप लगाता हुआ विकास भीड़ के आगे-आगे दौड़ता रहा।


एयरपोर्ट पर हंगामा-सा मच गया।


जो सुनता, वह विकास को पकड़ने दौड़ता, परंतु यह खौफनाक लड़का पूर्णतया अपनी शैतानी पर उतर आया था। अत: प्रत्येक को मात देता हुआ वह दौड़ता जा रहा था।


जब वह प्लेटफार्म में हवाई पट्टियों की ओर लपका तो पुलिस अधिकारीगण भी उसकी ओर लपके, किंतु वह किसी खौफनाक जिन्न की भांति खुले मैदान में हवाई पट्टियों पर दौड़ने लगा।


लोगों की भीड़ में पुलिस अधिकारी भी मिल गए थे और यह बात भीड़ के अधिकांश व्यक्तियों को मालूम थी कि यह किशोर कोई बहुत खतरनाक चोर है।


विकास को लगा कि वह इस भीड़ के पंजे से बच नहीं पाएगा, किंतु फिर भी वह निरंतर अपने प्रयास में प्रयत्नशील रहा। भागता-भागता वह हवाई पट्टियों पर नजर मार रहा था, किंतु उसकी दृष्टि में ऐसा विमान नजर न आया जो तत्काल चल सके।


अचानक उसने देखा कि उससे थोड़ी ही दूरी पर एक

हेलीकॉप्टर लैंड कर रहा था। उसे देखकर विकास की आखों में चमक उभर आई और फिर पलक झपकते ही विकास का रुख उस हेलीकॉप्टर की ओर हो गया।


इस शैतान को हेलीकॉप्टर तक पहुंचने में अधिक समय लगने की आवश्यकता थी ही नहीं। अतः शीघ्र ही वह वहां पहुंच गया।


भीड़ उसके पीछे थी ।


हेलीकॉप्टर में मात्र एक चालक था, जिसने एयरपोर्ट पर होता हुआ ये हंगामा देख लिया था और विकास के पीछे भागती भीड़ को मी।


'चोर... चोर' की आवाजों से उसके मस्तिष्क में यही आया कि लड़का किसी की जेब इत्यादि काटकर भागा है, अत: उसने बात को उतना महत्व न देते हुए हेलीकॉप्टर को लैंड कर दिया।


उसके विचार से लड़का उसी तरफ दौड़ता आ रहा था, अत: वह उसे पकड़ लेगा।


परंतु वह बेचारा क्या जानता था कि जिसे वह साधारण लड़का समझ रहा है, वह खौफनाक शैतान है। ऐसा शैतान, जिसने टुम्बकटू जैसे व्यक्ति की गठरी बना दी।


बेखौफ दौड़ता हुआ वह हेलीकॉप्टर के निकट आया।


इंजन अभी चालू ही था, चालक उसे बंद करना चाहता ही था कि!


खौफनाक शैतान भयानक जिन्न की भांति हवा में लहराया और उसी पल पायलट भी हवा में लहराने हेतु विवश हो गया। क्योंकि अभी वह इंजन बंद करने जा ही रहा था कि उस खौफनाक शैतान की फ्लाइंग किक उसके सीने पर पड़ी, जिसे वह साधारण लड़का समझ रहा था।


परिणामस्वरूप वह आश्चर्य करता हुआ हवा में लहराया और धड़ाम से हेलीकॉप्टर के बाहर दूसरी ओर हवाई पट्टी पर गिरा।


चालक ने तो स्वप्न में भी कल्पना न की थी कि कोई इतना छोटा लड़का इतना अधिक खतरनाक भी हो सकता है, और उसकी उसी भूल का परिणाम ये था कि वह इस समय फर्श पर पड़ा कराह रहा था।


पीछे से आती भीड़ और अधिकारियों ने यह अद्भुत कमाल देखा तो हतप्रभ-से रह गए। उसकी गति में तीव्रता आ गई, परंतु उन्होंने एक अन्य करिश्मा देखा ।


विकास पर मानो पूर्णतया शैतान सवार था। एक ही फ्लाइंग किक का परिणाम ये था कि चालक फर्श चाटने में व्यस्त था। अगले ही पल विकास हेलीकॉप्टर की चालक सीट पर जम गया।


अगले ही पल हेलीकॉप्टर वायु में उड़ रहा था।


अधिकारियों ने जब यह कमाल देखा तो हतप्रभ-से रह गए।


उनका विचार तो ये था कि तेरह-चौदह वर्ष का यह किशोर क्या हेलीकॉप्टर चलाना जानता होगा! उन बेचारों को क्या मालूम था वह लड़का नहीं शैतान है और गुरुओं के गुरु अलफांसे दी ग्रेट का चेला है, जिसने इसे प्रत्येक कार्य में दक्ष कर दिया है ।


विकास ने हेलीकॉप्टर को हवा में उठते हुए ही देखा कि उसके इस करिश्मे को देखकर लोगों के हलक सूख गए और वे उसके हेलीकॉप्टर के साथ ऊपर जा रहे थे। अधिकारी लोग एक पल के लिए तो इस अनहोने दृश्य को देखकर बौखला गए, परंतु अगले ही पल कई के हाथों में एक साथ रिवॉल्वर चमक उठे। विकास इस समय तक काफी ऊपर उठ चुका था, परंतु अभी रिवॉल्विंग रेंज से बाहर न था, अत: जमकर बैठ गया।


-----'धायं…..धायं!'


अधिकारियों के रिवॉल्वर गरजे ।


परतु चालक सीट पर उपस्थित था खौफनाक शैतान विकास! उसने उसी पल हेलीकॉप्टर को विशेष झुकाइयां दीं और गोलियों को बेकार करता हुआ हवा में ऊपर उठता चला गया। उसकी गति भी अपेक्षाकृत तीव हो गई थी।


इधर प्रतिपल विकास की हरकतें देखकर अधिकारियों का आश्चर्य बढ़ता ही जा रहा था। उन्होंने एक-दो गोलियां और चलाई, परंतु हेलीकॉप्टर की चालक सीट पर उपस्थित उस शैतान ने उन्हें भी बिना कोई विशेष करिश्मा दिखाए शहीद होने पर विवश कर दिया।


कुछ ही देर बाद वह रिवॉल्विंग रेंज से बाहर था ।


विकास ने जब नीचे झांककर देखा तो उन्हें मुंडी उठाए हेलीकॉप्टर की ओर इस प्रकार देखते पाया, जैसे जुए में हारा खिलाड़ी उन नोटों को देख रहा हो जो कुछ ही देर पहले उसकी जेब में थे और अब जीतने वाले खिलाड़ी की शोभा बने जा रहे थे।


ज्यों-ज्यों हेलीकॉप्टर ऊपर उठता जा रहा था, त्यों-त्यों विकास को हारे हुए वे खिलाड़ी छोटे होते दिखाई पड़ रहे थे।


विकास के प्यारे-प्यारे गुलाबी अधरों पर मुस्कान उभर आई। उसने अब उधर से ध्यान हटाकर हेलीकॉप्टर का रुख उस ओर किया, जिधर वह टुम्बकटू को पेड़ पर लटका आया था। वह जानता था कि फिलहाल तो राजनगर एयरपोर्ट पर कोई विमान अथवा हेलीकॉप्टर चलने की स्थिति में न था। इसलिए कोई उसका पीछा न कर सका, परंतु वह जानता था कि वह कितना संगीन जुर्म करके फरार हो रहा है। अत: कुछ ही देर पश्चात समूचे भारत में कोलाहल मच जाएगा, परंतु तब तक विकास अपना लक्ष्य पूरा कर लेना चाहता था।


अत: उसने हेलीकॉप्टर की गति तीव्र कर दी। वह दक्षता के साथ हेलीकॉप्टर संचालन कर रहा था। आखिर चेला किसका था? परंतु इससे भी अधिक आश्चर्य की बात तो यह थी कि जहां उसके प्यारे चेहरे पर घबराहट, बौखलाहट और चिंता के चिह्न होने चाहिए थे, वहां वह बिल्कुल विपरीत मन-ही-मन एक दिलजली गुनगुना रहा था। अखिर संगत में किसकी रहता था? विकास पर विजय और अलफांसे का संयुक्त प्रभाव था।


कठिनता से विकास को उस स्थान तक पहुंचने में दस मिनट लगे होंगे-----इन दस मिनटों में ही उसने वृक्षों से बचाते हुए हेलीकॉप्टर जंगल में उस पेड़ के काफी निकट उतारा जहां उसने टुम्बकटू को गठरी बनाकर रखा था।


उसे यह देखकर संतोष हुआ कि टुम्बकटू सुरक्षित यथास्थान पेड़ पर लटका हुआ है। परंतु यह भी देखा कि उसे हेलीकॉप्टर के साथ देखकर टुम्बकटू की आंखों में आश्चर्य उभर आया है। वहीं बंधा हुआ वह विकास से बोला ।


." ये खटारा कहां से उठा लाए बेटे ?"


-"एक नाले में पड़ा था अंकल ! " विकास हेलीकॉप्टर


का इंजन बंद करके उसी ओर बढ़ता हुआ बोला-----''मैंने सोचा, आपकी यात्रा के लिए अच्छा रहेगा।"


."मैं एक चपत में इसका इंजन बेकार कर सकता हूं बेटे!'' दुम्बकटू मुस्कराकर बोला ।


"मैं इतना अवसर ही कहां दूंगा लंबू अंकल!" विकास उसके समीप के ही एक वृक्ष पर चढ़ता हुआ बोला।


टुम्बकटू उसकी इन अजीब हरकतों को देख रहा था, परंतु उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि यह नन्हा-सा लड़का वास्तव में लड़का है अथवा कोई फरिश्ता ?


पता नहीं अब उसके नन्हे-से दिमाग में कौन-सी योजना कुलबुला रही थी ?


पता नहीं क्या करने जा रहा था विकास ?


उसकी इन विचित्र हरकतों का अभिप्राय क्या था?


टुम्बकटू जैसा व्यक्ति भी विकास के दिमाग तक न पहुंच सका। अत: बोला।


"ये क्या कर रहे हो?"


." आपकी यात्रा की तैयारी ।" विकास मुस्कराता हुआ वृक्ष से एक लंबी, सीधी और किसी लाठी की भांति मजबूत लकड़ी तोड़ता हुआ बोला।


'आखिर तुम करना क्या चाहते हो?'' टुम्बकटू वास्तव

में विकास की अजीब-अजीब हरकतों पर उलझ गया था । उसे ऐसा लग रहा था कि ये लड़का आवश्यकता से कुछ अधिक ही खतरनाक है।


"अभी अपनी ही आंखों से देख लेना अंकल!" विकास ने कहते हुए एक लकड़ी और तोड़ ली! उसके बाद वे दोनों इसी प्रकार बात करते रहे और विकास अपना कार्य निरंतर तेजी के साथ करता रहा, क्योंकि वह जानता था कि या तो उसकी खोज जारी हो गई होगी अथवा जारी होने जा रही होगी।


शीघ्र ही वह लकड़ियां लेकर वृक्ष से नीचे उतर आया, उसने उन पर से पत्ते साफ किए। अब वे ठीक किसी लठिया की भांति ही लग रही थी। वह शरारत के साथ टुम्बकटू की ओर देखता हुआ व्यंग्यात्मक लहजे में बोला----- " अब इस समय तुम्हारा मौका है बेटे ।" टुम्बकटू मुस्कराता हुआ बोला-----"जब अंकल का मौका आएगा तो तुम्हें तिगनी का नाच नचा देंगे।''


-----"ख्वाब देखना छोड़ दो अंकल!" विकास ने भी उसी प्रकार जवाब दिया-----"अब तो आप दस लाख की बिल्डिंग में हलाल का खाएंगे।'


"देखना ये है कि तुम लोग मुझे गिरफ्तार करके कितने दिन रख सकते हो?'' टुम्बकटू के लहजे में एक सख्त चैलेंज छुपा हुआ था । 


"वह भी देखा जाएगा अंकल!" विकास अपना कामं जारी रखता हुआ बोला।


सर्वप्रथम विकास ने अत्यधिक सतर्कता के साथ टुम्बकटू की गठरी खोली, परंतु उसके हाथ नहीं खोले, क्योंकि टुम्बकटू के चपत का मतलब वह भली प्रकार से जानता था। अत: उसने उसके हाथ-पैर उसी प्रकार बंधे रहने दिए और फिर उसने एक आश्चर्यचकित कर देने वाला ड्रामा किया।


उसने एक सीधी और लंबी लकड़ी ली और उसका एक सिरा टुम्बकटू की दाई कलाई और उसके टैक्नीकलर कोट की बांह के बीच के खाली स्थान में ठूंस दिया। ठीक इस तरह, जैसे कोट की उस बांह में टुम्बकटू की कलाई के रहते हुए एक अन्य कलाई आ जाए। लठियानुमा यह लकड़ी कोट की बांह के भीतर टुम्बकटू की कलाई को छीलती हुई उसके कंधे तक पहुंच गई। विकास ने उसे कोट के भीतर ही भीतर टुम्बकटू की पीठ की तरफ से लेते हुए उसकी बाई बांह के कंधे से के लेकर बाई कलाई पर से होते हुए कलाई के पंजे तक निकाल दी।


अब स्थिति ये थी कि उस सीधी और मजबूत लकड़ी का एक सिरा दाई बांह से झांक रहा था और एक सिरा बाई बांह से । अन्यथा समूची लकड़ी उसके कोट के नीचे दबी थी और टुम्बकटू की दोनों बाहें 180 डिग्री, यानी दो समकोणों पर बिल्कुल सीधी हालत में थीं। और अब उस शैतान ने उसके हाथों की उंगलियां एक-एक करके डोरी से लकड़ी में बांध दी।


टुम्बकटू उसकी प्रत्येक हरकत आश्चर्य के साथ देख रहा था। उसे मानना पड़ा कि लड़का खतरनाक शैतान है।


वास्तव में वह अभी तक धरती पर प्रभावित हुआ तो सिर्फ विकास से । वास्तव में वह स्वयं विकास की इस बुद्धिमत्तापूर्ण हरकत पर आश्चर्यचकित था। विकास ने वह तरीका अपनाया था कि वास्तव में अब वह अपने हाथों को लेशमात्र हरकत भी नहीं दे सकता था। अलबत्ता वह विकास की ओर देखकर थोड़ा मुस्कराया और प्रशंसनीय स्वर में बोला--- "मानते है बेटे, कि तुम दिमाग नाम की एक प्रशंसनीय वस्तु रखते हो।"


"सब आपकी देन है अंकल!" विकास मुस्कराता हुआ बोला और साथ ही उसने एक अन्य लकड़ी पैंट के पेटी वाले स्थान से घुसाकर दाएं पैर के साथ बाहर निकालकर लकड़ी का ऊपरी सिरा डोरी से कसकर पैंट की पेटी के साथ बांध दिया। कुछ ऐसी ही स्थिति उसने एक अन्य लकड़ी से उसके बाएं पैर की कर दी। अब स्थिति ये थी कि टुम्बकटू स्वेच्छा से पैर भी नहीं मोड़ सकता था। उसके पैर भी लकड़ी की भांति ही, लकड़ी और पैंट की पकड़ में रह गए। अत: टुम्बकटू अब स्वेच्छा से कोई हरकत नहीं कर सकता था।


.--" कहो अंकल, क्या हाल है?" विकास मुस्कराता हुआ व्यंग्यात्मक लहजे में बोला ।


. "अच्छा ढंग है।'' टुम्बकटू मुस्कराकर प्रशंसनीय स्वर में बोला।


'आगे जो करने जा रहा हूं वह इससे भी अधिक अच्छा

ढंग होगा।" प्रत्युत्तर में विकास ने भी मुस्कराते हुए कहा और आराम से हेलीकॉप्टर की ओर चल दिया। टुम्बकटू वहीं किसी पुतले की भांति खड़ा रहने के लिए विवश था। वास्तव में वह स्वेच्छा से गरदन के अतिरिक्त अपने जिस्म का अन्य कोई अंग न हिला सकता था।


कुछ ही देर में उसने देखा कि विकास हेलीकॉप्टर की रस्सी और डंडों वाली सीढ़ी खींचे ला रहा है ।


टुम्बकटू की समझ में नहीं आया कि विकास की इस हरकत का क्या मतलब है?


वह विकास को घूरता हुआ बोला।


"अब क्या बेवकूफी करने जा रहे हो ?"


-"देखो अंकल, अगर मेरी बात को बेवकूफी कहा तो हम तुम्हें यहीं इसी हालत में छोड़कर चले जाएंगे। जंगल में किसी शेर इत्यादि का पेट भर जाएगा।"


"हड्डियों से किसी का पेट नहीं भरा करता है बेटे!" प्रत्युत्तर में टुम्बकटू भी व्यंग्यात्मक लहजे में बोला-----" और फिर वह फिल्म तुम कहां से लोगे, जो मेरी जांघ में है?"


- "यही तो विवशता है अंकल, जो आपको ले जाना पड़ रहा है।'' विकास बोला और फिर टुम्बकटू के जिस्म को डोरियों से कस-कसकर हेलीकॉप्टर की सीढ़ी के साथ, सबसे निचले सिरे पर बांधने लगा। वह उस इस प्रकार बांध रहा था कि उसका जिस्म तराजू के पलड़े की भांति धरती के साथ 180 डिग्री का कोण बनाए ।


विकास की यह हरकत देखकर टुम्बकटू के मस्तिष्क में यह आ गया कि विकास करना क्या चाहता है ?


और यह मस्तिष्क में आते ही टुम्बकटू जैसा व्यक्ति भी कांप गया। भय की झुरझुरी उसके जिस्म में दौड़ती चली गई।