**तीन महीने बाद**
अंकुश की एक्सीडेंट वाली घटना को आज 3 महीने बीत चुके थे। और इन तीन महीनों के दौरान बहुत कुछ हुआ जिसे हम अच्छा तो हरगिज नहीं कह सकते थे। अंकुश के घाव तो भर गए पर वह अभी भी कोमा में था।अंकुश के मम्मी पापा ने तो संजय और राहुल को माफ कर दिया था पर वे दोनों खुद को माफ नहीं कर पाए थे।
संजय को पुलिस ने 2 हफ़्ते हिरासत में रखा, खूब मारा पीटा क्योंकि नेताजी का प्रेशर था। फिर संजय के पापा ने जैसे तैसे हाथाजोड़ी करके उसकी बेल करवाई। Lock up से निकलते ही उसने रोहित से माफी मांगी , जो कभी गुस्सा था भी नहीं , दोनों फिर साथ हो गए ।वो अब सारे दिन घर पर बैठा रहता था। हर एक-दो दिनो में अंकुश से मिलने आता और उसके पास 15,20 मिनट बैठ कर वापस चला जाता। चुनाव पास आ रहे थे पर संजय की तैयारियां कुछ भी नहीं थी और अब अंकुश के एक्सीडेंट के बाद उसका चुनाव में इंटरेस्ट भी लगभग खत्म हो चुका था । अब वो चुनाव क्यों ही लडे?जिन दोस्तों के कहने पर वह चुनाव लड़ रहा था वो दोनों ही उसके साथ नहीं थे।हां राहुल भी साथ नहीं था।
राहुल उस दिन की घटना के बाद गहरे सदमे में चला गया था ।वह खुद को सारी घटना का दोषी मान रहा था। उसने ये 3 महीने का वक्त अंकुश के कमरे के आगे खड़े होकर हॉस्पिटल में ही गुजारा, रोज वह अंकुश के कमरे में जाने की सोचता पर एक दिन भी उसकी हिम्मत नहीं हुई । अंकुश की मम्मी ने उसे कई बार अंदर ले जाने की कोशिश की , पर हमेशा असफल रही।अंकुश की मां भी राहुल को उस दिन डांटने के लिए शर्मिंदा थी। ' बेचारा बच्चा जिसकी खुद की मा इस दुनिया में ना हो उसे मेरी बाते सुनकर कितना बुरा लगा होगा ' यह सोचकर वो रो पड़ती।
राहुल ने 3 महीने से ना शेव की और ना ही बाल कटाये और अब तो वो पहचानने में भी नहीं आ रहा था। उसने धीरे धीरे सिगरेट , शराब, गांजा सबकी लत लगा ली थी। कम शब्दों में 3 महीने उसने बस अस्पताल के कॉरिडोर में सिगरेट पीते और अंकुश को देखते हुए बिता दिए। उसकी सारी चंचलता , सारी मासूमियत सब जा चुकी थी।संजय ने उससे बात करने की बहुत कोशिश की पर वह ज्यादा बात भी नहीं कर रहा था ।प्रतिभा भी उसे रोज कॉल करती तो वो कभी कबार बात कर लेता , संजय और प्रतिभा ने पूरी कोशिश की कि राहुल को नार्मल किया जा सके ,पर राहुल इतने अंदर से टूट चुका था कि उसको सिर्फ अंकुश ही ठीक कर सकता था।
इस तरह संजय ने एक ही रात के अंदर अपने दोनों दोस्त खो दिए, पर संजय और रोहित ने अपने स्तर पर हल्का फुल्का प्रचार करना जारी रखा। उस दिन की घटना के बाद किसी को संजय से हमदर्दी नहीं थी ।जब उसने पिछली बार स्पीच का प्रोग्राम बनाया तो डेढ़ सौ लोगों की सीट पर सिर्फ 15 बैठे थे। संजय जब भी अपने पोस्टर लगवाता वह फाड़ दिए जाते ,सोशल मीडिया के ऊपर उसकी memes बनने लगी और उसके लिए गंदे कॉमेंट्स लिखे जाने लगे। उस दिन जब उसने मेघना को थप्पड़ मारा तब से कॉलेज की सारी लड़कियां संजय कि दुश्मन हो चुकी थी । और अब तो संजय के अपने लड़के भी धीरे धीरे आदित्य की पार्टी में जाने लगे थे, आजकल संजय इतना परेशान और थका हुआ महसूस कर रहा था जीतना उसने अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं किया ।
एक दिन संजय जब शाम को अपने घर के लिए निकल रहा था तभी उसके सामने एक वेन आकर रुकी उसमें से उसमें से 4 लोगों ने संजय को खींचकर गाड़ी में डाल दिया और घाट के पीछे ले जाकर खूब पीटा , और जब पीट-पीटकर थक गए तो उसे वहीं कचरे के ढेर पर छोड़ आए। संजय चाहता तो उन सबको वापस जवाब दे सकता था पर उसमें अब इतनी हिम्मत बची नहीं थी वह बस कचरे के ढेर पर पड़ा आसमान देखता रहा। अब संजय का खौफ तो बिल्कुल ही खत्म हो चुका था जो जूनियर उसे 'संजय भैया' कहकर पुकारते थे वह सीधा नाम से बुलाने लगे थे।फिर थोड़े दिनों बाद संजय ने प्रतिक्रिया देना ही बंद कर दिया ना उसने पोस्टर चिपकाए ना ही कोई प्रचार करवाया और ना ही कुछ और, वह बस अपने पार्टी ऑफिस में सारे दिन बैठा रहता और शाम होने से पहले हॉस्पिटल जाकर अंकुश से मिल आता। उसका एक दो बार मन भी किया मेघना से बात करने का पर उस दिन की बात सोच कर उसे अपने पर गुस्सा आ जाता और वो अपना मन बदल लेता। अब संजय कोई दबंग नहीं रह गया था, वह भी इस कॉलेज का एक आम स्टूडेंट ही लग रहा था।
पर इस घटना का सबसे ज्यादा फायदा जिस ने उठाया वह आदित्य था उसने नेताजी की मदद से बड़ी-बड़ी 2 रेलिया निकलवाई और एक बड़ा सा भाषण समारोह आयोजित किया जिसमें उसने खुद को पीड़ित और संजय को गुनहगार दिखाते हुए लोगों की शांत्वनाए बटोरी ।आदित्य पर आए मारपिट के निशान और मेघना को पड़े थप्पड़ के कारण लड़कियों के सारे वोट आदित्य को ही जाने थे।पर इसके साथ ही उसने जूनियरस को भी तरह-तरह के प्रलोभन देकर अपनी साइड कर लिया। अब कॉलेज के लगभग सारे वोट आदित्य की तरफ थे।बस दलित वर्ग के नहीं तो उसने नेताजी के साथ मिलकर प्लान बनाया।
' भैया ...सुना है आदित्य उ मंत्री जयदीप बैरवा को बुलाया है , उसके भाषण का प्रोग्राम हैं आज' रोहित ने पोस्टर्स के बंडल रखते हुए कहा।
' जयदीप ? उ हमारा खनिज मंत्री ' संजय ने रजिस्टर में हिसाब करते हुए रोहित से पूछा, पर संजय की आवाज अब पहले जितनी वजनदार नहीं रही थी।
' उ मंत्री कॉलेज की राजनीति में काहे आएगा ...उसको और कोई काम नहीं का ' संजय बोला।
' भैया उ नेताजी का पुराना समर्थक हैं ऊपर से दलित वर्ग का है।हमको तो लगता है कि वह दलित वर्ग के मंत्री को बुलाकर कॉलेज के सारे दलित छात्रों का वोट हथियाने के चक्कर में है' रोहित ने अपने ज्ञान अनुसार कहां।
' अच्छा... ऐसा है क्या ? चलो फिर देख कर आते है मंत्री जी क्या भाषण देते हैं।'संजय खड़ा हुआ और ऑफिस को ताला लगाकर बाइक स्टार्ट की और रोहित को पीछे बिठाकर आदित्य का प्रोग्राम देखने चला गया।
वहां पड़ी कुर्सियों में दोनों एकदम पीछे जाकर बैठ गए और थोड़ी देर के इंतजार के बाद मंत्री जी आए उन्होंने स्टेज पर खड़े नेता जी से हाथ मिलाए और आदित्य ने उनका आशीर्वाद लिया। फिर आदित्य और नेता जी के भाषण के बाद मंत्री जी ने एक जातिवादी भाषण दिया जिससे सारा दलित वर्ग उत्साह से भर गया, फिर उसके साथ ही उन्होंने कॉलेज में नई प्रतिस्थापित बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्ति का अनावरण भी किया, भीड़ की तालियां और जोश देखकर संजय और रोहित समझ गए कि अब तो दलित वर्ग के वोट भी आदित्य को जाने निश्चित है । संजय और रोहित वापस आ गए संजय ने रोहित को पार्टी ऑफिस छोड़ा और घर चला गया।
संजय के पिताजी बहुत दिनों से संजय का ऐसा बर्ताव देख रहे थे पर कुछ कह नहीं पाए थे , पर आज उन्होंने निश्चित कर ही लिया था कि वो संजय से बात करेंगे।संजय जैसे ही घर आया तो पिताजी ने उसे बुला लिया।
' हां पापा...कुछ काम था ? ' संजय ने पूछा।
' आओ बैठो हमारे पास ' पिताजी ने कहा तो संजय में आज्ञा का पालन किया।
' क्या हुआ बेटा ?... हम देख रहे हैं जबसे उ मारपीट वाला घटना हुई है, तुम चुप चाप से रहते हो..ना आजकल अपनी वो कॉलेज राजनीति में एक्टिव हो इतने ...क्या हो गया है तुम्हे? , अंकुश की वजह से परेशान हो क्या?... बेटा अब जो हो गया सो हो गया...ऐसे रहकर तो तुम सब ठीक नहीं कर सकते ना ' पिताजी से सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
' नहीं पापा ऐसा कोई बात नहीं है, वो...वो तो अब हमारा इतना मन ही नहीं लगता उ पॉलिटिक्स में , बाकी हम सोच रहे अभी दिसंबर में रेलवे tt की भर्ती आ रही है तो उसकी तैयारी करते हैं , क्या पता हमारी नौकरी लग जाए, तो हम भी सेटल हो जाएंगे ' संजय ने उदासी छुपाते हुए कहा।
' बेटा हम तुम्हारे बाप है ...तुम्हारी रग रग से वाकिफ है...इसलिए हम जानते हैं कि अपने दोस्तो और इस पॉलिटिक्स के अलावा तुम किसी भी चीज से खुश नहीं रह सकते। बस... हमें खुश रखने के लिए डिसिज़न मत लो वरना हमारी तरह जिंदगी लोगो को खूश रखने में ही गुज़ार दोगे...वो करो जिसमें तुम अच्छे हो...ना कि वो जो हमे लगता है तुम्हारे लिए अच्छा है ' पिताजी ने कहा तो संजय के इतने दिनों का दुख फुट पड़ा। पिताजी ने भी उसे पीठ पर धीरे धीरे थपकियां दी।
' जाओ पहले अपने दोस्तो को अपने साथ करो ...फिर तुम अपने पूरे पोटेंशियल पर खेल पाओगे ' पिताजी ने अंतिम गुरुमंत्र दिया।संजय उठा हाथ मुंह धोया और हॉस्पिटल के लिए निकल गया।
हॉस्पिटल पहुंचा तो देखा कि कमरे के बाहर राहुल खड़ा था। आज अंकुश की फैमिली में से कोई नहीं था।
' कहां रहते हो बे आजकल ?,हम तुमको कॉल किये थे, तुमने उठाया हीं नहीं' संजय ने राहुल से कहा।
' उ हम देखें नहीं ' राहुल ने संजय की तरफ देखा और धीरे से उत्तर दिया।
' देखे नहीं, और उ प्रतिभा का फोन भी स्विच ऑफ आ रहा है,उसको क्या हुआ' संजय बोला
' उसका फोन चोरी हो गया है कल ही हमको बताया था हम नया दिला दिए हैं उसको' राहुल ने वापस धीरे से कहा।
' चोरी हो गया तो फिर तुमने कंप्लेंट की ना?' संजय चोरी की बात से हैरान था
' नहीं कि '
' नहीं कि , साला दिमाग खराब हो गया है क्या तुम्हारा, पता है ना उसका गलत इस्तेमाल हो सकता है। चलो चलते है पहले कंप्लेट करवा के आएंगे ' संजय ने राहुल का हाथ पकड़कर खींचा।
' अरे नहीं करनी कोई कंप्लेंट वांप्लेंट हमको, साला जिंदगी में और भी बहुत प्रॉब्लम है, ई 2000 के फोन के लिए हम कंप्लेंट कराते घूमे और तू कब से पुलिस के पास जाने लगा' राहुल ने झुंझलाकर हाथ छुड़ा लिया। संजय राहुल को गुस्सा होता उसे अकेला छोड़ दिया फिर अंदर जाने लगा।
' आ जाओ भाई जरा देख तो लो उसको' संजय ने राहुल से पूछा
' हम बाद में मिल लेंगे ,तुम जाओ पहले' राहुल बोला और कॉरिडोर में जाकर सिगरेट सुलगा ली।
संजय कमरे में घुसा , और अंकुश के बेड के पास वाली टेबल पर जाकर बैठ गया कमरे का वातावरण एकदम शांत था।कई देर की शांति के बाद संजय बोला
' पता है ना अंकुश साला जब तक तुम दोनों हमारे साथ थे हम सोचते थे हम सारा दुनिया जीत सकते है' संजय ने अंकुश का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा।
' पर जब से तुम यहां आये हो हममें तो चींटी से भी लड़ने की हिम्मत नहीं बची है 'संजय की आंखें भर आई।
' वो राहुल सिगरेट , गांजा पी पी के गंजेड़ी हो गया है और हमारा भी सारा साथी छूट गया है , सच कहें तो तुमको बहुत मिस करते है यार...जबसे तुम गए हो पूरा दुनिया ही बदल गया है हमारा...अब वापस आ जाओ यार...' संजय ने बोलते बोलते अंकुश के बेड पर सिर रख दिया ।
' बस करो गुरु, अब रुलाओगे क्या यार? ' एक आवाज आई
संजय को लगा अंकुश बोल रहा है। फिर उसे लगा कि उसे वहम हो रहा है पर जब उसने उसके चेहरे की तरफ देखा तो अंकुश की आंखें खुली हुई थी ,अंकुश ने संजय को देखकर आंख मारी ।संजय हड़बड़ाकर उठने लगा पर अंकुश ने उसे इशारे से बैठने को कहा।
' अब मास्को उतारों बे, साला बिना काम के फ्री में ऑक्सीजन लीए जा रहे हैं ...काफी ठंडा ठंडा फिल हो रहा हैं ' अंकुश ने कहा तो संजय ने मास्क उतार दिया।
' डॉक्टर.. डॉक्टर.... ' संजय वापस उठने लगा और डॉक्टर को बुलाने बाहर जाने लगा।
'अरे उनको पता है भाई आज दोपहर में ही होश आ गया था हमको और सब आकर मिलके भी गए हमसे , मम्मी को भी हमही घर भेजे है बस तुम ही लास्ट में आए हो 'अंकुश ने कहा और सरकते हुए बेड पर बैठ गया।
' तो अभी तक तुम हमारी बातें सुन रहे थे, हमारे मज़े ले रहे थे? संजय ने अचानक तेवर बदलते हुए कहा।
' हां बे, सारी बातें सुनी तुम्हारी , आजकल बहुत मीठे हो गए हो बे , इतने इमोशनल पहले तो नहीं थे बे' अंकुश ने हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा।
' अरे तुम्हें पता नहीं हमारे साथ क्या-क्या हो रहा है अगर हमारी पूरी कहानी सुनते तो वापस कोमा में चले जाते ' संजय हंसते हुए बेड पर बैठ गया।
' चिंता ना करो गुरु अब हम आ गए हैं, अब देखो कैसे जीतते हैं चुनाव, बस समस्या ये है कि साला सिर्फ ऊपर का पोर्शन सही हुआ है ग्राउंड फ्लोर अभी भी कमजोर है' अंकुश ने अपने पैरों की तरफ इशारा करते हुए कहा।
' कोई ना अब तुम आ गए हो तुम्हारा फर्स्ट फ्लोर ,ग्राउंड फ्लोर सब सही कर देंगे' संजय हंसते हुए भी हल्का-हल्का रो रहा था।
संजय ने अंकुश से थोड़ी देर बात की और फिर बाहर आ गया बाहर देखा तो राहुल अभी भी सिगरेट पी रहा था।
' उसको होश आ गया है जाकर मिल लो' संजय ने राहुल से कहा। और यह सुनते ही राहुल कि सिगरेट उसके मुंह से गिर गई।यह सुनते ही जेसे राहुल की अचानक से नींद सी खुल गई।
' हम नहीं जा पाएंगे भाई ।जब जब उसको देखता है तो ऐसा लगता है कि उ हमारी सजा काट रहा है , हम नहीं जा पाएंगे' यह कहते-कहते राहुल जड़ हो गया, संजय उस पास आया और उसके गले लग गया।
' ऐसा कुछ नहीं है यार.. जाओ उससे बात करो थोड़ा मन हल्का होगा और उसे भी अच्छा लगेगा' संजय ने उसके आंसू पोंछे और उसे कमरे में जाने को कहा। राहुल कमरे के भीतर चला गया संजय बाहर कांच से सब कुछ देख रहा था उसने देखा कि राहुल पहले तो पास में जाकर बैठ गया फिर अंकुश से थोड़ी देर बात करने के बाद उसे कसके गले लगा लिया ।राहुल ने इतनी जोर से गले लगाया कि अंकुश पीछे से ऑक्सीजन मास्क टटोलने लगा।ये सब देखकर संजय हंस दिया।
संजय बाहर कि तरफ जाने लगा, अब उसके चेहरे पर वह पहले जैसी उदासी नहीं थी अब एक जीत भरी मुस्कान थी उसे पता था कि अब अंकुश वापस आ चुका है और राहुल भी। अब उसके दोनों दोस्त उसके साथ है तो चुनाव तो वह जीतकर रहेगा ही।
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